जवानी की शुरूआत काकी की चुदाई से

हैलो दोस्तो, मैं अलेग्जेंडर लिओन हूँ. ये मेरी सेक्स लाइफ की शुरूआत की कहानी है.
मेरा इंट्रो- उम्र 21 साल, हाइट 5.11, खिलाड़ी जैसा मर्दाना शरीर, खड़े लंड की लंबाई 8 इंच, रंग गोरा.

अब चुदाई की कहानी की तरफ बढ़ते हैं. उस समय मैं 12 वीं क्लास की छुट्टियाँ एंजाय कर रहा था. पहले से ही मुझे सेक्स की बड़ी तमन्ना थी, स्कूल से ही मैं अलग अलग बॉलीवुड एक्ट्रेस को अपने सपने में चोदता था. लेकिन रियल मजा कभी नहीं किया. मेरी गांड फटती थी और मैं डरता था. मध्यम उम्र की औरतों को देखते ही मेरा खड़ा हो जाता था. पर मैं जैसे तैसे खुद को रोक लेता था. मैं अपनी उभरती जवानी में एक मुस्टंडा हो गया था और अच्छे मौके की तलाश में था.

एक दिन बात है, जब मेरे मम्मी पापा 7 दिन के लिए दीदी को लेकर उसकी पढ़ाई के लिए मुंबई सैटिल करने जाने का डिसकस कर रहे थे, पर मुझे घर पर ही रुकना था.. क्योंकि मुझे ड्रॉइंग का शौकीन होने कारण मुझे रुकना पड़ना था.
मेरी वजह से मम्मी पापा को टेंशन थी कि मैं सात दिन कैसे रहूँगा.

तभी बाहर किसी के आने आवाज़ हुई, देखा तो मेरे चचेरी बहन की ननद अपने पति और दो बच्चों के साथ हमारे घर मिलने आए थे. मेरी चचेरी बहन की ननद के दोनों बच्चे 6 और 8 साल के थे. उनके बच्चे मुझसे बहुत क्लोज़ थे और सबसे भी फ्री से थे. यहीं हमारे ही शहर में कुछ 8 किलोमीटर की दूरी पर उनका घर था.

दीदी की ननद का नाम उषा है, मैं उन्हें काकी बुलाता था. क्या गज़ब का माल थीं वो, उनका पति रिटायर्ड मिलिट्री मैन थे और अभी कहीं सिक्यूरिटी का काम कर रहे थे. उषा काकी भी किसी घरेलू रांड से कम नहीं थीं, आख़िर फ़ौजी की बीवी थीं. उनकी उम्र करीब 30 साल की थी, कद 5.7 का था, खूब बड़े बड़े स्तन थे, मुझे साइज़ का अंदाजा नहीं, लेकिन बहुत टाइट और बड़े थे. उनकी कमर पतली सी कामुक और गांड तो पूछो ही मत, एकदम पर्फेक्ट शेप.

जब वो लोग घर आए तो मैं नॉर्मल कपड़े पहने हुआ था. मैंने एक टाइट टी-शर्ट पहनी थी, जिससे मेरा कसा हुआ शरीर दिखता था और शॉर्ट्स पहना हुआ था. उषा काकी 6-7 महीने के बाद हमारे यहाँ आई थीं. जब मैं मेहमाननवाजी करने गया तो मैंने काकी को थोड़ा नाराज़ सा देखा, उनमें आज वो पहली वाली मुस्कान नहीं थी.

जब मैं कुछ खाने का ऑफर करने लगा तो वो सब मुझे देख कर खुश हुए. बच्चे तो मेरे से लिपट ही गए.

तब मैंने काकी को देखा वो मुझे घूर कर देख रही थीं, उन्होंने कहा- तू बहुत बड़ा हो गया.
यह कहते वक्त काकी ने एक अलग सी कामुक स्माइल भी दी.
मेरा तो उनको वहीं चोदने का दिल कर रहा था, पर मैंने खुद पर कंट्रोल किया क्योंकि सम्भव ही नहीं था.

फिर बातों बातों में पापा ने हमारी प्राब्लम के बारे में बताया.. तो उषा काकी के पति ने कहा- अरे आप बेझिझक इसे हमारे यहाँ भेज दो, बच्चे भी उसी वक्त में 6 दिनों की ट्रिप पर जा रहे हैं और मेरा भी नाइट शिफ्ट रहेगा तो उषा को कंपनी मिल जाएगी.

बस यह सुन कर मैं तो जैसे पागल ही हो गया. सोचा इस बार अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस बार इस रंडी को चोदने का चांस बिल्कुल नहीं छोड़ूँगा.
थोड़ी देर बाद वो सब चले गए और जाते जाते उषा काकी ने मुझ और एक सिग्नल दिया.

बस मैं पेरेंट्स की जाने के दिन का इंतजार कर रहा था. उन दिनों मैंने अपने लंड की बड़ी ज़ोर शोर से मालिश करके तगड़ा बना लिया. मैंने सोच लिया था कि अब कुछ भी हो ज़ाए मैं सेक्स की शुरूआत तो करूँगा ही.

आख़िर वो दिन आ गया, उसी दिन मेरी पहली परीक्षा थी और दूसरी तीन दिन बाद.. तो मैं सुबह की ट्रेन से मम्मी पापा और दीदी को छोड़ने स्टेशन गया और वहीं से एग्जाम देकर मेरी प्यास बुझाने उषा काकी के घर जाने वाला था.

तीन बजे एग्जाम खत्म हुआ और मैं अपनी बाइक लेकर उषा काकी के घर गया. जैसे ही मैंने नॉक किया, उषा काकी ने दरवाजा खोला. वो जस्ट नहा कर आई थी, शायद सर्दी के दिन थे तो शायद दोपहर को नहाई होंगी. काकी पिंक गाउन में थीं, जिसमें उनके खरबूजे जैसे स्तन, पतली कामुक कमर और उनकी उठी हुई गांड आह.. और रसीले होंठ देख मेरा लंड खड़ा हो गया.
शायद उन्होंने देख लिया और मुस्कुराते हुए कहा- अन्दर आओ.

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इतना कह कर वो गांड मटकाते हुए चली गईं. मैं सोफे पर बैठा ही था कि उनके पति आए और बोले- बेटा, मैं नाइट शिफ्ट जा रहा हूँ. तुम बच्चों के रूम में अपना सामान शिफ्ट कर लेना, वो दोनों ट्रिप पर गए हैं. तुम्हें कुछ चाहिए हो तो काकी से माँग लेना.

मैं मन ही मन मुस्कुराया, वो तो मैं ले लूँगा ही. काकी के पति चले गए. उषा काकी का घर आखिरी घर और सुनसान जगह पर था इसलिए उसका पति को तसल्ली हुई कि मैं यहाँ हूँ. पर उनको क्या पता था कि आगे क्या होने वाला है.

उषा काकी मुझे बचपन से जानती थीं और मुझे बहुत लाड़ करती थीं. उनके पति के जाने के बाद से तो उषा काकी का बर्ताव ही बदल गया था. वो काफ़ी खुश लग रही थीं. मैं फ्रेश होकर टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहन कर आया. उषा काकी मेरे से काफ़ी बिंदास लग रही थीं. हम दोनों ने बहुत सारी बातें की. इसके बाद वे अपने काम में लग गईं.

अंधेरा हो रहा था, मैं आज ही उन्हें चोदना चाहता था और मौके की तलाश में था. मैं बोर हो रहा था तो मैं उनकी काम में मदद करने के बहाने अपनी रांड को देखने लगा. मैं उनसे कुछ लंबा था, तो मुझे उनकी चूचियों की क्लीवेज साफ़ दिख रही थी. पर मैं इतने से संतुष्ट नहीं था. उनका पूरा बदन ढका सा था. हम दोनों अकेले होकर भी कुछ नहीं हो रहा था.

तभी उषा काकी टेबल पर चढ़ कर कुछ निकालने लगी थीं और मैं उनके पीछे उनकी गांड को निहारता हुआ खड़ा था. तभी टेबल हिल गई और वो सीधे मेरे पर आकर गिर गईं. हम दोनों फ्लोर पर एक दूसरे के ऊपर चढ़े हुए थे.

एक तीस साल की जवान रांड को पकड़ने का इससे अच्छा मौका कोई नहीं था. मैंने उन्हें एक दम से कस के पकड़ लिया था. पहली बार किसी औरत के स्तनों के स्पर्श से मेरा लंड झट से खड़ा हो गया. मेरा कड़क लंड उन की बॉडी को टच कर रहा था. मेरे कसे हुए लंबे तगड़े शरीर का एहसास उन्हें भी हो रहा था, वो मदहोश हो कर मुझ से चिपकी रहीं.

मैं तो उनके गर्म जिस्म का मजा ले रहा था. जब उन्हें होश आया तो वो अपने आपको संभाल कर शरमाते हुए खड़ी हो गईं और कहा- दरवाजे खिड़कियां बंद कर दो.. रात बहुत हो गई है.

ये कह कर वे अर्थ पूर्ण निगाह डाल कर कमरे में चली गईं. मैंने दरवाजे खिड़की बंद कर दी और रूम में जा कर मुठ मारने लगा. बाद में उसने मुझे डिनर के लिए बुलाया.. मैं जब गया तो सोचा कि अब कुछ तो होगा. लेकिन फिर वही नॉर्मल वाली बात होती दिखी.

अब मुझे गुस्सा आ रहा था. मैंने गुस्से में खाना खाया, पर मुझे खाना कुछ अलग ही लगा. मैं जब खाना ख़ाकर उठा और अपने रूम में गया. मैं अब खुद को और बर्दाश्त नहीं कर सकता. मुझमें सेक्स की भूख कुछ ज़्यादा ही बढ़ गई थी, मेरा लंड अचानक खड़ा हो रहा था. अब मैंने ठान लिया कि अब तो इन्हें चोद कर ही रहूँगा, आगे कुछ भी हो ज़ाए.

मैं एक दम वासना के वशीभूत हो गया था. मैं वैसे ही किचन गया, वो साली रांड काकी अभी तक गाउन में ही थीं. उसकी मस्त फिगर देख कर मैं अब पागल हो रहा था. मेरी सहने की हद अब खत्म हो गई थी. इस वक्त रात के दस बजे थे, वो बर्तन धो रही थीं. दरवाजे खिड़की तो सब बंद ही थे.

मैंने पीछे से जाकर एक हाथ से उन के बाल पकड़ कर उनको अपनी तरफ़ घुमाया और उनके रसीले होंठों को एक जबरदस्त किस किया. इससे पहले कि काकी कुछ करतीं, मैंने झट से उन्हें अपने मजबूत हाथों से पकड़ लिया. वो एक दम से चौंक गईं और मेरी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगीं. मैंने उनके होंठों को काट लिया.. वो बिलबिला उठीं.

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मैंने अपने दोनों हाथों से उन के दोनों मम्मों को एक दम कस के दबाया तो वो चिल्लाने की कोशिश करने लगीं, लेकिन मैं उन्हें किस करता रहा. वो मेरी पीठ पर नाख़ून से नोंचने लगीं. मैंने झट से उन्हें दीवार से लगा दिया और उनकी गर्दन को किस करने लगा. कुछ ही पलों बाद उन्हें भी थोड़ा कामुकता का नशा चढ़ने लगा था.

वो चिल्लाने लगीं- छोड़ दे, मुझे मैं तेरी काकी हूँ..
वो मुझसे भागने की बहुत कोशिश कर रही थीं, तब मैंने एक हाथ से उनका गाउन ऊपर किया और उनकी मोटी गांड दबाने लगा. वो मादक सिसकारियां भरने लगीं “श.. ऑश..”
उनकी गांड दबाते दबाते मैंने उनकी निक्कर नीचे कर दी. वो अब घबराते हुए कहने लगीं- उह… नहीं.. नहीं.. ये क्या कर रहा है तू..

पहली बार किसी औरत के स्तन और गांड दबाने से मुझे तो और मस्ती चढ़ गई थी. वो “ऐसा मत कर…” चिल्लाने लगीं. इधर मेरा लंड तूफान की तरह मचल रहा था. मैंने जब अपना हाथ उनकी चुत पर फेरा, तो वो “आह… आह.. अहहा.. छोड़ मुझे..” चिल्लाने लगीं.
अब मुझे डर लग रहा था कि कहीं पड़ोसी ना सुन लें. मैं उन्हें पकड़ कर बेडरूम में ले गया और कुण्डी लगा दी.

मैंने उन्हें किस किया और उनके बड़े मम्मों को दबाने लगा. रात गहरा रही थी, मेरा लंड पागल हो रहा था. रंडी काकी अभी भी मुझे गाली दे रही थीं.

मैं तो पूरा पागल हो गया था. मैंने उनका गाउन फाड़ दिया.. उनकी ब्लैक ब्रा और पेंटी देख कर तो मैं और उत्तेजित हो गया. मैंने उन्हें बेड पर उठा कर पटका. अब उन्हें भी अब मजा आने लगा था, उन्होंने चिल्लाना बंद कर दिया था.
मैंने झट से अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स उतारी और मैं पूरा नंगा हो गया.

जब उन्होंने मेरा खड़ा लंड देखा तो वो फिर से चिल्लाने और भागने लगीं. इस बार मेरा लंड कुछ ज़्यादा ही टनटना गया था, पता नहीं क्यों. पर मैं तो अब उन्हें चोदने के लिए रेडी था.

तभी वो मेरे चंगुल से भागने ही वाली थीं कि मैंने उन्हें पैरों में जकड़ लिया. मैंने उन की ब्रा का हुक खोला और पेंटी भी फाड़ कर निकाल फेंकी. अब मेरे सपनों की नंगी रांड मेरे सामने थी, पूरी तरह नंगी काकी आह.. मैंने उनको अपने नीचे खीचा पैर फैलाए और अपना लंड उनकी चुत पर रखा ही था कि वो “आह.. ओह..” करने लगीं.

मैंने एक ज़ोरदार स्ट्रोक लगाया, वो चिल्लाईं- उम्म्म्म.. मममाँ.. मार डाला कमीने नेईई… निकाल बाहररर.. हरामीई… तू अपनी काकी को चोद रहा है छोड़ दे मुझे.

मुझ बहुत दर्द हो रहा था. वो “आह… ह.. आआहह…” कर रही थीं. लंड के दो तीन धक्के मारने के बाद वो गांड उछाल कर साथ देने लगीं. मुझ पर तो जुनून सवार था, मैं कस कस के काकी की चूत में धक्के मार रहा था.

बीस मिनट की मस्त चुदाई के बाद उषा काकी मुझसे चिपकी पड़ी थीं. वे झड़ चुकी थीं. मैंने भी अपने आखिरी धक्के मारे और उन की चूत में ही झड़ गया.

कुछ पल यूं ही चिपके रहने के बाद मैंने काकी को चूमा तो काकी ने मुझे चूमते हुए कहा- मुझे नहीं मालूम था कि तुझे इतनी गर्मी चढ़ जाएगी.
उनकी इस बात से मैं तनिक चौंका और मुझे अब खाने का स्वाद क्यों अलग लगा था, इसका मतलब समझ आने लगा.

काकी ने मेरे खाने में कामोत्तेजक दवा मिलाई थी, जिसके कारण मुझे जरूरत से ज्यादा चुदास चढ़ गई थी. शायद काकी को इसका अंदाज नहीं था कि चुदास इतनी बढ़ जाएगी.
खैर चुदाई का एक दौर पूरा हो चुका था और अब हम दोनों दूसरे राउंड की तैयारी करने लगे थे.

पाठको, आपको मेरी हिन्दी सेक्सी कहानी कैसी लगी, मेरी स्टोरी पर अपने कमेंट्स जरूर कीजिएगा.
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