पहली चुदाई में पड़ोसन में भाभी की चुत बजायी

जवान भाभी की चुदाई कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाली सेक्सी भाभी की है. उन दिनों मेरे दिमाग में चुदाई का कीड़ा कुलबुला रहा था. मैंने अपनी पहली चुदाई कैसे की?

दोस्तो, मैं अन्तर्वासना का बहुत पुराना पाठक हूं. ना जाने कितने सालों से अन्तर्वासना की सेक्सी और कामुक कहानियां पढ़ पढ़ कर अनगिनत बार मुठ मार चुका हूं.

न जाने कितनी बार मेरे मन में विचार आया कि मैं भी अपनी कहानी अन्तर्वासना पर सबके साथ शेयर करूँ, पर कभी हिम्मत ना कर पाया.

आज मैं अपनी पहली सेक्स कहानी आप सबके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं. उम्मीद करता हूं कि आप सबको यह जवान भाभी की चुदाई कहानी पसंद आएगी.

मेरा नाम यधुराज है, मैं कानपुर का रहने वाला हूं. मेरी उम्र छब्बीस साल है और मैं लगभग छह फीट की हाइट वाला गोरे रंग का लंबा चौड़ा हैंडसम लड़का हूं.
इस समय मैं अलीगढ़ में नौकरी कर रहा हूं.

ये सेक्स कहानी मेरी पहली चुदाई के बारे में है, जब मैं नया नया जवान हुआ था. उस समय मेरी उम्र 18 साल 2 महीने की थी.

अन्तर्वासना की कहानियां और सेक्सी मैगज़ीन्स पढ़ कर दिमाग में चुत का कीड़ा कुलबुली मचा रहा था.

हमारे मोहल्ले में एक भाभी रहती थीं. उनका नाम पायल (बदला हुआ) था. भाभी की उम्र 30 साल की थी. उनकी हाइट पांच फीट तीन इंच, रंग गोरा और फिगर 36-34-38 का था. भाभी का कमाल का सेक्सी फिगर था.

उनके दो बच्चे थे और उनके पति पुलिस में थे. जिनका दूसरी जगह ट्रांसफर हो रखा था. वो हफ्ते पंद्रह दिन में एक दो दिन के लिए ही घर आ पाते थे.

पायल भाभी बहुत ही मिलनसार और मजाकिया थीं. कई बार सबके सामने ही मेरे साथ भाभी बहुत अश्लील मजाक तक कर दिया करती थीं.

पहले तो मैं बहुत शर्माता था, पर मन ही मन खुश भी होता था.
धीरे धीरे जवानी के जोश और चूत की चाह में मैं भाभी की ओर आकर्षित होता चला गया.
मुझे लगने लगा कि भाभी तो चुदने को तैयार हैं, बस मुझे ही हिम्मत करके भाभी को चोदना है.

मैं अक्सर भाभी को और उनकी हरकतों को याद करके मुठ मार लेता था लेकिन उनसे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था.

एक दिन भाभी को मार्केट से कुछ सामान लेना था तो उन्होंने मुझसे साथ चलने को बोला.
भईया ड्यूटी पर थे और भाभी के साथ बाजार जाने के लिए कोई नहीं था.

मैं खुशी खुशी भाभी को अपनी बाइक पर बैठा कर ले गया.
मार्केट पहुंच कर भाभी ने सारा सामान ले लिया और थोड़ा बहुत चाट पकौड़ी खा पीकर हम घर के लिए वापस निकल पड़े.

भाभी ने बाइक पर बैठे बैठे अपनी सेक्सी शरारतें शुरू कर दी.
कभी वो मेरी शर्ट में हाथ डाल देतीं, कभी जांघों को सहला देतीं.

मैंने भी हिम्मत करके एक बार ब्रेक मार दिया, जिससे भाभी की चूचियां मेरी पीठ में दब गईं और भाभी की आह निकल गई.

वो हंस कर बोलीं- हम्म … मतलब अब बड़ा हो गया है तू!
मैंने पूछा- कैसे जाना भाभी!

भाभी बोलीं- तेरी सब शरारत समझती हूँ.
मैं हंस दिया.

हम रास्ते भर ऐसे ही मस्ती करते घर आ गए.
मेरा लंड पूरा अकड़ गया था और मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी.

मैंने भाभी के घर पर भाभी को उतारा.
वो जैसे मेन डोर के अन्दर घुसीं, मैंने उन्हें आवाज़ दी और बाइक खड़ी करके गेट के पास चला गया.

गेट के अन्दर की तरफ पायल भाभी … और बाहर की तरफ मैं खड़ा था.

भाभी ने मुस्कुरा कर पूछा- क्या हुआ?

मुझे उस समय पता नहीं क्या सूझा, मैंने वहीं बाहर ही सीधा भाभी के दोनों गाल पकड़े और उनके होंठों को बेतहाशा चूसने लगा.

भाभी ने मुझे कसके धक्का देकर खुद से दूर किया और गंदी सी गाली देकर मुझे भगा दिया.

तब मुझे होश आया और मैं बहुत डर गया कि ये बात भाभी भैया को या मेरे घर पर ना बता दें.

उसके बाद से मैं भाभी के सामने जाने से भी बचने लगा था.
लेकिन जब भी कभी कभार हमारा सामना होता था तो भाभी मुस्कुरा देती थीं.

भाभी शायद सब भूल गई थीं और पहले की तरह हंसी मजाक करने लगी थीं.
मगर मैं अब कुछ अलर्ट हो गया था.

इस बात को बीते एक महीने से ज्यादा हो गया था लेकिन मेरे और भाभी के बीच कोई खास बात नहीं हुई.

फिर होली आयी, जिसके बाद सब कुछ बदल गया.

होली के दिन सब अपने अपने दोस्तों के साथ होली खेलने में व्यस्त थे.
मैं भी सुबह ही दोस्तों के साथ निकल गया और होली खेल कर दोपहर में लौटा.

मेरी मम्मी ने कहा- जा अपनी भाभी से भी होली खेल आ, पायल तुझे पूछ रही थी.

मेरे मन में संकोच और डर था. फिर भी माताजी के कहने पर भाभी के यहां गया.

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मैंने देखा उनके साथ मोहल्ले की चार पांच भाभी और बैठी थीं.
सब की सब नीचे जमीन पर बैठी थीं और सर से पैर तक रंगी हुई थीं. सबके कपड़े अस्त व्यस्त थे.

मुझे देखते ही भाभी मुझ पर रंग लेकर सीधा टूट पड़ीं.
पहले उन्होंने मेरा पूरा मुँह रंगा, फिर मेरी शर्ट में हाथ डाल कर पूरे सीने, पेट और पीठ को रंगा.

फिर भाभी ने बाकी सबके सामने ही मेरी चड्डी में हाथ डाल कर मेरे लंड को भी रंग दिया.

मैं इसके लिए तैयार नहीं था, मैं शर्मा गया.

मुझे शर्माता देख कर भाभी बोलीं- क्या हुआ देवर जी … अब तुम रंग नहीं लगाओगे क्या?
मैं सकपका कर बोला- भाभी, मैं रंग लाना तो भूल ही गया.

भाभी ने अपनी साड़ी का पल्लू हटा दिया. उन्होंने बहुत डीप नेक का ब्लाउज पहना था, जिसमें से उनकी आधी चूचियां साफ नजर आ रही थीं और उनके क्लीवेज पर खूब सर रंग पड़ा हुआ था.

भाभी वासना से बोलीं- लो, इधर से रंग ले लो.

उनके बड़े बड़े छत्तीस इंच के मम्मे देख कर मेरा दिमाग खराब हो गया … लंड एकदम टाइट होकर अकड़ गया.

ये सीन देख कर बाकी सब भाभियां हंसने लगीं.

तब मुझे होश आया और मैं शर्मा कर वहां से भाग आया.

घर आया तो मेरी आंखों के आगे बार बार भाभी की बड़ी बड़ी सेक्सी चूचियां घूम रही थीं.
मैंने भाभी को याद करते हुए मुठ मार ली … लेकिन थोड़ी देर बाद फिर वही सब दिमाग में घूमने लगा.

मुझसे रहा नहीं गया और एक घंटे बाद फिर भाभी के घर के लिए निकल गया.

मैंने बेल बजाई तो भाभी ने आकर दरवाजा खोला. उन्होंने सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट पहना हुआ था. अन्दर ब्रा पैंटी नहीं दिख रही थी. ये उन्हें देख कर साफ नजर आ रहा था.

भाभी गजब की हॉट लग रही थीं.
मैं तो बस उनमें खो सा गया.

तभी भाभी ने आवाज़ दी- क्या हुआ क्या देख रहे हो, अन्दर आ जाओ.
मुझे एकदम से जैसे होश आया और मैं भाभी के साथ अन्दर चला गया.

अन्दर देखा तो भईया पूरे ऊपर से नीचे रंग में नहाए हुए भांग और दारू के नशे में धुत्त पड़े सो रहे थे.

भाभी ने भी शायद एक दो पैग लगा रखे थे. उनके मुँह से भी शराब की महक आ रही थी.
पायल भाभी ने मुझसे कहा- तुम बैठो यधु … मैं नहा कर आती हूं.

मैंने भाभी का हाथ पकड़ते हुए कहा- भाभी, पहले हमसे तो रंग लगवा लो, फिर नहा लेना.
भाभी बोलीं- ठीक है … लगा लो.

मैंने जेब से रंग निकाला और दोनों हाथों में लेकर भाभी के गोरे गोरे गालों पर मलने लगा. उनके पूरे चेहरे पर रंग लगाने के बाद में भाभी के पीछे आ गया और उनके नंगे पेट पर रंग लगाने लगा.

भाभी मुझसे चिपकी हुई थीं. मेरा खड़ा लंड उनकी गांड में चुभ रहा था. भाभी का सर मेरे कंधे पर था और मैं धीरे धीरे उनके पूरे पेट औेर कमर पर हाथों से रंग लगा रहा था.

फिर धीरे धीरे मैं अपने हाथ ऊपर लाने लगा और उनके ब्लाउज में हाथ डालकर उनकी दोनों नंगी चूचियां पकड़ कर मसलने लगा.

भाभी चौंक गईं और मेरे हाथ ब्लाउज से बाहर निकालने की कोशिश करने लगीं.

उनकी इस कोशिश में भाभी का ब्लाउज फट गया और भाभी की पहाड़ जैसी चूचियां एकदम नंगी हो गईं.

भाभी मुझसे दूर होती हुई अपने हाथों से अपनी दोनों चूचियों को छुपा कर खड़ी हो गईं.

वो मुझसे बोलीं- बस अब तुम घर जाओ.

लेकिन अब मैं एकदम बेकाबू हो गया था. मैंने एक बार भईया की तरफ देखा, तो पाया वो नशे ओर नींद के आगोश में थे.

मैं भाभी से फिर से चिपक गया.

भाभी मुझसे दूर जाने की कोशिश कर रही थीं, हाथ पैर मार रही थीं पर वो चिल्ला नहीं रही थीं.

मैंने भाभी के पीछे जाकर उनके दोनों हाथ पकड़ लिए और उनके कान की लौ को अपने होंठों और दांतों से चबाने लगा. पूरी गर्दन, कंधे, हर जगह बेतहाशा चूमने लगा.

भाभी कभी आहें भरतीं, कभी मुझे जाने को कहतीं.

फिर मैंने झटके से भाभी को पीठ के सहारे दीवार से चिपका दिया और उनके दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ कर दीवार से लगा दिए.

अब भाभी की नंगी चूचियां मेरे सामने लटक रही थीं. मैंने अपने तपते होंठ भाभी के एक निप्पल पर रखे और चूसने लगा.

भाभी एकदम से तड़प उठीं और आह आह करके आहें भरने लगीं.

मैं भाभी की दोनों चूचियों को चूसने चाटने काटने लगा और भाभी का विरोध ना के बराबर हो गया.

भाभी का विरोध काम होता देख, मैंने उनके हाथ छोड़ दिए और दोनों हाथ से उनके बड़े बड़े तरबूजों को मसलने लगा, उनके होंठों को अपने होठों में लेकर चूसने लगा.

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भाभी से भी कंट्रोल नहीं हुआ और वो मेरा साथ देने लगीं.
हम दोनों वहीं दीवार से चिपके एक दूसरे को किस किए जा रहे थे.
मेरे हाथ भाभी के पेट और मम्मों को सहलाने में व्यस्त थे.

फिर मैंने भाभी को घुमाया और उनकी पूरी पीठ को धीरे धीरे करके चूमने लगा, चाटने लगा.

भाभी जोर जोर से आहें भरने लगीं. वे बोलीं- बस उम्र में ही छोटे हो, इस काम में तो बड़ों से भी आगे हो.
मैंने कहा- आगे आगे देखो, भाभी होता है क्या … आज मुझे अपने हथियार का उद्घाटन समारोह करना है.

ये कह कर मैंने उनके और अपने पूरे कपड़े उतार कर दूर फैंक दिए.
कुछ ही देर बाद भाभी और मैं आंगन में एकदम नंगे खड़े थे और अन्दर कमरे में भईया सो रहे थे.

मैं भाभी के पीछे जाकर फिर से चिपक गया और बगल से दोनों हाथ निकाल कर उनके दोनों मम्मों को जोर जोर से मसलने लगा.
भाभी की गर्दन और चेहरे पर चूमने लगा. मेरा लंड नीचे से भाभी की चूत और गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था.

फिर मैंने भाभी को वहीं आंगन में लेटा दिया और उनके पूरे बदन को सर से पैर तक चाटने लगा.

भाभी की केले जैसी जांघों को चाटने में अलग ही आनन्द आ रहा था.
उनकी जांघें चाटने के बाद मैं उनकी चूत पर आ गया.

और जैसे ही मैंने अपनी जीभ भाभी की चूत में घुसाई, भाभी तड़प उठीं.
भाभी ने मुझे धक्का देकर अलग किया और मेरा लंड पकड़ कर सीधा मुँह में लेकर चूसने लगीं.

मेरी तो हालत एकदम खराब होने लगी और मैं जोर-जोर से आहें भरने लगा- आह भाभी और जोर से चूसो और अन्दर तक लो!

मैं उनका सर पकड़ कर उनके मुँह को चोदने लगा. मेरा लंड भाभी के गले से जा टकराया और उनको खांसी आ गई.

भाभी ने मेरे लंड को गले से बाहर निकाल दिया और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगीं.

अब हम दोनों ही बेकाबू हो चुके थे और चुदाई आग में बुरी तरीके से जल रहे थे.

मैं आंगन में ही अपनी दोनों टांगें फैला कर बैठ गया.
मेरी दोनों टांगों के बीच मेरा लंड कुतुब मीनार की तरह एकदम सीधा खड़ा होकर भाभी की चूत को सलामी दे रहा था.

मैंने भाभी से कहा- आओ भाभी, मेरे खड़े लंड पर बैठ जाओ.
भाभी आकर धीरे-धीरे मेरे लंड पर बैठने लगीं.

मेरा लंड उनकी चूत की दीवार को चीरता हुआ पूरा चूत में समा गया और उनकी बच्चेदानी से टकरा गया. मैंने उनकी कमर पकड़ कर लंड पर दबा दी.

भाभी की चीख निकल गई. भाभी बोलीं- इसे बाहर निकालो बहुत बड़ा है.

वह उठने लगीं, पर मैंने उनकी कमर पकड़ कर उन्हें फिर से अपने लंड पर बैठा लिया.

वह बार बार उठने की कोशिश करतीं और मैं कमर पकड़कर उनको फिर से लंड पर बैठा लेता.

इस तरह से धीरे-धीरे करके मेरे लंड ने भाभी की चूत में अपनी जगह बना ली.

भाभी को भी मजा आना शुरू हो गया.

वो जोर-जोर से सीत्कारने लगीं- हां आह आह मजा आ गया … और जोर से चोदो मुझे … आंह और तेज और तेज़.

हम दोनों तेज़ी से अपनी कमर चला रहे थे. भाभी ऊपर से नीचे और मैं नीचे से ऊपर.

कुछ देर ऐसे ही जवान भाभी की चुदाई करने के बाद मैंने भाभी को आंगन के फर्श पर लिटा दिया और खुद उनके ऊपर लेट कर अपना लंड उनकी चूत में घुसा दिया.
मैं भाभी की चुत में धक्के मारने लगा और दोनों हाथों से उनकी दोनों चूचियों को मसल कर चोदने लगा.

सात से आठ मिनट के जबरदस्त धक्कों के बाद मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया और मेरे लंड ने सारा वीर्य भाभी की चूत में उगल दिया.

मेरा वीर्य चूत में गिरते ही भाभी ने मुझे कसके दबोच लिया. उनका पूरा शरीर अकड़ गया और वो भी झड़ गईं.

भाभी ने झड़ते हुए कहा- आह … कर ली अपने लंड की ओपनिंग.
मैंने उन्हें चूमा- हां भाभी … थैंक्यू.

कुछ देर हम दोनों एक दूसरे पर ऐसे ही पड़े रहे. फिर उठ कर हमने कपड़े पहने और भाभी को एक स्मूच करके घर आ गया.

उस दिन के बाद से मेरा लंड भाभी की चुत में आए दिन घुसने लगा. भाभी को भी मेरे लंड से चुदने में मजा आने लगा था.

दोस्तो, यह थी मेरी पहली चुदाई की कहानी. मैं पहली बार लिख रहा हूं कुछ गलती हो गई हो … तो माफी चाहता हूं.

आप सब मेल करके जरूर बताएं कि जवान भाभी की चुदाई कहानी आपको कैसी लगी.
मेरी ईमेल आईडी है
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