इंडियन मामी सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी शादी में ही मुझे अपनी बीवी की मामी पसंद आ गयी. उसने भी मेरी नजर पहचान ली थी. वो मेरे नीचे कैसे आयी?
नमस्कार दोस्तो,
यह इंडियन मामी सेक्स कहानी मेरे दोस्त देव की है उसी की ज़ुबानी सुनें.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम देव है और मेरा टेक्सटाइल का बिज़नेस है।
मेरा कद 6 फुट है और कसरत करने से अच्छी बॉडी बना रखी है।
मेरी उम्र 32 वर्ष है। मेरी शादी की बात चल रही थी मेरे पापा के एक दोस्त ने वो रिश्ता बताया था।
फिर एक होटल में हम दोनों के परिवार का मिलना हुआ।
वहीं मैंने प्रीति को पहली बार देखा।
मेरे घर में लड़की सभी को पसंद थी और मुझे भी!
वो बिल्कुल परी लग रही थी.
तब मैं 27 साल का था और प्रीति 24 की।
ज्यादा बात तो नहीं हुई हमारे बीच … पर एक दूसरे का नम्बर हमने ले लिया।
हमारी ज्यादा बातें व्हाट्सएप पर ही होती थी।
फिर हमारी शादी हो गई.
शादी के कार्यक्रम में मैंने एक लड़की को देखा जो बिल्कुल अप्सरा लग रही थी।
उसके गोरे रंग पर हरी साड़ी उसे और भी सेक्सी बना रही थी।
फिर वो स्टेज पे आयी अपने परिवार के साथ!
मैं दंग रह गया कि ये इसने खुद को कितना मेंटेन कर रखा है।
वो प्रीति की मामी मुग्धा थी जो 39 साल की थी पर 30 की लग रही थी।
उसका फिगर बहुत ही मादक था 34-30-32 का!
मैं लगातार उसे ही देख रहा था और यह बात वो भी नोटिस कर रही थी।
उसके बाद सभी अपने घर चले गए और मैं प्रीति के साथ हनीमून पर निकल गया।
वही मुझे प्रीति ने बताया कि उसके मामा को ये रिश्ता पसंद नहीं था पर मामी कहने पर ही वो माने।
अब मेरी शादी को एक साल हो चुका था कि एक बार मुझे अपने काम के लिए सूरत जाना था।
वहीं प्रीति के मामा रहते थे.
प्रीति ने मुझे जोर दिया कि मैं उन लोगों से मिल लूं।
मैं आधे मन से उनके घर गया.
वहां मामा की बेटी, मेरी साली अंगिका कुछ ज्यादा ही मेरा ख्याल रख रही थी।
मुग्धा का एक बेटा भी है जो उस वक़्त स्कूल में पढ़ रहा था।
शाम का वक़्त था और ठंड के मौसम के कारण अंधेरा जल्दी हो जाता था।
घर पे सिर्फ मैं और मुग्धा थे, अंगिका अपने दोस्त के घर गई थी और मामा जी आये नहीं थे।
मुग्धा मामी छत पर से कपड़े उतारने गयी थी कि तभी मैंने सीढ़ियों की लाइट बन्द कर दी।
मैं ‘मामी जी … मामी जी ….’ करता हुआ चढ़ने लगा.
वो भी आवाज़ देते हुए आयी लेकिन अंधेरे में उसे कुछ दिख नहीं रहा था।
मैं एक खाली जगह पे खड़े होकर अपने पैर पटकने लगा जैसे ऊपर चढ़ रहा हूँ।
मुग्धा भी ‘दामाद जी’ कहती हुयी आयी.
जैसे ही वो पास आई, मैं उसके साथ सीढ़ियों पर गिर पड़ा.
वो मेरे नीचे थी।
मैं सोरी बोलने लगा और उसकी चूत ढूंढने लगा अपने लण्ड से!
उसने कहा- कोई बात नहीं … आपको तो चोट नहीं आयी?
मैं- नहीं, मैं आपके ऊपर हूँ. चोट तो आपको लगी होगी।
मेरे हाथ उसके बूब्स को सहला रहे थे.
उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैं और दबाने लगा।
मुग्धा- अब उठ जाइये।
उसने अपने पैरों को मोड़ लिया।
मैं उसके दोनों बूब्स पे हाथ रखे हुये हल्का सा उठा और फिर गिर गया।
तभी वो बोली- आज यहीं रहने का मन है क्या?
मैं घबराते हुए हटा.
फिर हम अंदर आ गए।
मुग्धा- आपकी शरारत अभी बन्द नहीं हुई।
मैं- कैसी शरारत?
मुग्धा- बनिये मत … पहले दिन से देख रही हूं. और आज तो …
इतना बोलकर वो अचानक चुप हो गई।
मैं थोड़ा डर गया कि कहीं गड़बड़ न हो जाये- आज क्या मामी जी? आपने भी देखा कि वहां अंधेरे में कुछ नहीं दिख रहा था।
मुग्धा- हाँ वो तो मैं देख रही थी कि क्या ढूंढ रहे थे आप?
वो मेरे लंड को ताड़ते हुए बोली।
मैं- ढूंढ तो आप कुछ रही हैं और मुझे कह रही हैं।
कहते हुए मैं उसके और पास हो गया।
मुग्धा- हाँ! काश कि मिल जाता।
कहते हुए वो आगे बढ़ने लगी।
तभी मैंने हिम्मत करते हुए उसका हाथ पकड़ लिया- क्या चाहिए जिसकी आस में हैं?
मुग्धा- बस … कुछ नहीं।
कहते हुए वो शर्मा रही थी।
फिर मैं उसे पकड़ कर बाथरूम में ले गया और उसके गालों पर किस करने लगा.
वो बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी।
मैं- इतना इंतजार क्यों कराया मेरी जान?
और मैं उसके बूब्स दबाने लगा।
वह आह … आह करने लगी।
मैं उसके होंठों को चूसने लगा.
अब वो भी मेरा साथ देने लगी।
फिर मैंने उसके ब्लाउज को खोलकर बूब्स को आज़ाद कर दिया।
साथ ही हम दोनों की वीडियो मोबाइल से बनाने लगा।
मुग्धा- हह … ओह कोई आ जायेगा।
मैं- कोई नहीं आएगा। चूत कब दोगी?
वो चुप रही और मैं उसके बूब्स मसलने लगा।
मुग्धा- आ…ह ओ…ह तुम्हें कब चाहिए?
और मेरा लंड सहलाने लगी।
मैं- मुझे तो अभी चाहिए।
वो भी अब गर्म हो रही थी, सिसकते हुए उसने कहा- तो ले लो।
मैं- अभी?
मुग्धा- हाँ, पर कोई आ गया तो?
मैं- ठीक है तो रात में दोगी न?
फिर मैं अलग हो गया, वो भी अपने कपड़े ठीक करते हुए बाहर आ गई।
मैं उसके कमरे में उसे ले गया और एक दवा उसे दी कि आज रात को सभी को ये खिला देना।
एक साड़ी मैंने पसंद की और उसे वही पहनने को कहा।
मुग्धा- पर ये ठीक करनी होगी, काफी दबी हुई है।
मैं- तो कल रात तक तो हो जायेगा न!
मुग्धा- मतलब आज नहीं?
मैं उसकी चूत सहलाते हुए- नहीं जान! आज ये देखो की इस दवा का कितना असर होता है और तुम्हें अपना जंगल भी साफ करना है।
फिर मैं वहाँ से बाहर आ गया.
बाथरूम से निकल कर हम अपने कामों में लग गए.
कुछ ही देर में अंगिका भी आ गई।
वो मुझसे द्विअर्थी शब्दों में बातें कर रही थी … खास तौर से अपनी दीदी को लेकर!
फिर खाना खाने के बाद मुग्धा ने सभी को दवा दूध में पिला दिया सब सोने चले गए।
एक कमरे में मैं और मामा जी थे, दूसरे में अंगिका उसके भाई के साथ थी।
मुग्धा हाल में सोयी थी.
फिर रात में हमने थोड़ा शोर किया लेकिन किसी भी कमरे से कोई नहीं आया।
मैंने मुग्धा से कहा कि दवा ने अपना काम कर दिया है अब कल हम करेंगें ठीक से तैयार होना।
उसने हाँ में सिर हिलाया.
फिर हम दोनों भी सो गए।
दूसरे दिन हम दोनों रात का इंतजार कर रहे थे कि अंगिका मेरे पास आयी।
तब उसकी मां बाहर गयी थी।
वो मुझसे काफी चिपक के बैठी थी।
अंगिका- जीजू, क्या मैं आपके पास बैठ सकती हूं?
मैं- तो अभी किसी और के साथ बैठी हो क्या?
अंगिका- आप मुझसे कभी ठीक से बात नहीं करते। एक ही तो साली है आपकी उसे भी …
कहते हुए उसने अपना मुँह बनाया।
मैं- हहह तो नाराज़गी है आपको! अब क्या करें तुम्हारी दीदी के अलावा हमें कोई दिखता नहीं।
अंगिका- मैं जानती हूँ. दीदी भी आपकी तारीफ करती है पर थोड़ा ध्यान साली का भी करना चाहिए न!
मैं- क्या करूँ बताओ?
अंगिका- वो बाद में, पहले बताइए आप दीदी को खुश कैसे करते हैं?
मैं- मतलब?
अंगिका- वो काफी बदल गई है, पहले जैसी नहीं है अब!
मैंने पूछा तो बोली कि इसमें आपका हाथ है।
जब वो बात कर रही थी तब अपने बूब्स मेरे कन्धे से लगा रही थी।
जिससे मेरा लंड खड़ा हो रहा था।
मैंने अपना हाथ उसके पीछे कर दिया और हल्के-हल्के सहलाने लगा।
मैं- ये तो सही बात है और हाथ ही नहीं मेरा सब कुछ है उसके बदलने में!
अंगिका- ओ…हो ! सब कुछ में क्या-क्या है?
मैं- मेरा हाथ, मेरे पैर और …
कहकर मैं रुक गया।
मेरे हाथ अब उसकी कुर्ते के अंदर थे और वो बिल्कुल आराम से थी।
अंगिका- और पे रुक क्यों गए जीजू … कुछ खास है क्या आपका?
मैं- हाँ … मेरा प्यार है।
मैंने ज़ोर देते हुए कहा।
अंगिका- हाय, थोड़ा प्यार इस साली के लिए भी है आपके पास?
मैंने खुद को रोका कि ये क्या हो रहा है. कल इसकी माँ आयी और आज ये सामने से बुला रही है। कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाये।
तो मैंने कहा- प्यार तो दे देता साली जी … पर कोई और है प्रीति के बाद।
वो थोड़ा गुस्सा हुई पर खुद को संभालते हुए बोली- कौन है? मुझे नहीं बतायेंगे?
मैंने कहा- यहां नहीं … कल इतवार है. कोई ऐसी जगह है जहाँ सिर्फ हम दोनों हों … वहां दिखा दूंगा।
कहते हुए मैंने अपने हाथ को हटा लिया.
फिर वह भी ठीक से बैठ गई और कहा- कल आपको ले चलूंगी वहाँ!
फिर रात को खाना खाने के बाद सब बैठे थे कि तभी मुग्धा दूध लेकर आ गई।
उसने मुझे भी एक ग्लास दिया और आंख मारकर चली गयी।
कुछ ही देर में सभी सो गए.
फिर मेरे मोबाइल पर मिस कॉल आया जो मुग्धा का बुलावा था।
मैं उसके पास पहुंचा तो क्या लग रही थी वो उसने वही मरून साड़ी पहनी थी जो मैंने कहा था।
बिल्कुल दुल्हन की तरह सजी हुई थी।
मैंने उसे अपनी बांहों में लेकर कहा- बिल्कुल शेरनी लग रही हो जान!
मुग्धा- ये शेरनी तुम्हारी ही है।
मैं- तो ये शेरनी शिकार करेगी या इसका शिकार होगा आज?
कहते हुए मैंने उसका ब्लाउज निकाल दिया।
उसने हरे रंग का ब्रा पहना था जो उसे और भी सेक्सी बना रहा था।
मुग्धा- तुम्ही शिकार करो, मैं तो मरने के लिए भी तैयार हूँ।
इतना कहते ही वो मुझे किस करने लगी।
मैं भी उसके होंठों को चूस रहा था और उसके बूब्स दबा रहा था।
वो एक हाथ मेरी पीठ पर सहला रही थी और दूसरे से मेरा लंड पकड़ रखा था।
फिर उसने मेरे गालों को चूमते हुए कहा- शेरनी को देख लिया. अपना हथियार भी निकालो अब!
कहते हुए उसने मेरा पजामा खोल दिया और कच्छे में से लंड निकाल दिया।
“वाह क्या खड़ा है!”
फिर मैंने भी उसकी चड्डी साड़ी के अंदर से निकाल दी।
वो अब बैठ गई और मेरे लंड को सहलाते हुए मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं उसके बालों को सहला रहा था और बोल रहा था- आह … ओ…ह … हाँ मेरी जान … पीओ इसे … आह और चूसो!
मैं कह रहा था- सक इट बेबी … आह आ जाओ … और तेज पीओ जान!
तब मैं बिल्कुल अलग ही दुनिया में था.
फिर अचानक लगा कि अब मेरा माल निकलने वाला है.
तभी मैंने कहा- अब आने वाला हूँ।
और मैं वहीं खाली हो गया।
तभी उसने कहा- शोना मज़ा आया तुम्हें?
मैंने हाँ कहते हुए उसे अपनी बांहों में ले लिया, फिर उसे बिस्तर पर लिटा दिया।
उसकी साड़ी उठा कर मैं उसके पैरों को चूमते हुए बढ़ने लगा।
जैसे ही मैं उसकी जांघों के पास गया, वो मचलने लगी और अपने हाथों से बूब्स को सहलाने लगी।
मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू किया, वो ओह … आह … करने लगी और खुद ही अपनी ब्रा निकाल दी।
तो मैंने कहा क्या हुआ जान?
वो बोली- आह … अब चोदो मुझे … लंड डाल दो … आह ठंडा कर दो आज!
फिर मैंने अपना लंड मामी सास की चूत में घुसा दिया.
वो जोर से चीखी … पर मैं रुका नहीं।
सिसकारियाँ भरते हुए उसने कहा- हाँ ऐसे ही … आह … मजा आ रहा है!
मैंने कहा- बहुत!
और उसे चूमने लगा।
तभी उसने मुझे कस के पकड़ लिया और खाली हो गई।
मैं अभी भी चोद रहा था.
फिर मैं उसके कान, गले पे किस करते हुए उसके बूब्स को भी पीने लगा।
वो फिर से गर्म हो गई और मुझे कस के अपनी बांहों में दबा दिया।
उसने कहा- शोना, तुम्हें मज़ा आ रहा है?
और मेरी गंजी निकाल दी।
मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था।
तभी वो बोली- चोद साले चोद मुझे … आह चोद भड़वे … निकाल अपने लंड का पानी … आह!
मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और कहा- एकदम नंगी करके चोदूँगा आज … बिल्कुल नंगी हो जाओ!
और उसके सारे कपड़े उतार दिये।
अब मैं उसे फिर से चोदने लगा और वो ओ…ह आ..ह कर रही थी।
उसने कहा- कैसा लग रहा है मुझे चोदते हुए?
मैं- बहुत अच्छा मेरी जान!
मुग्धा- कैसे चोद रहे हो मुझे?
मैं- बिल्कुल रंडी की तरह!
वो आह आह कर रही थी और अब मैंने उसकी टांगों को और फैला दिया।
मैंने कहा- जान ऐसे ही मज़ा लूंगा तुमसे!
वो बोली- हाँ लेते रहना!
मैं- मुझे तुम्हारी गांड चाहिए … कब दोगी?
मामी- आह दे दूंगी … सब तुम्हारा ही है … ओह!
अब मैं भी आने वाला था, मैंने कहा- अब होने वाला है!
तभी उसने मुझे कस के पकड़ लिया और हम दोनों एक साथ खाली हो गए।
मैंने कहा- मेरी जान, मज़ा आ गया तुम्हारी चूत में!
वो भी हँसने लगी.
हमने एक बार और सेक्स किया फिर हम लोग सो गए।
इसके बाद क्या-क्या हुआ … वो अगले भाग में बताऊंगा।
कैसे अंगिका खुद मेरे नीचे आ गई।
मेरी इंडियन मामी सेक्स कहानी पर अपनी राय जरूर बताइयेगा.
धन्यवाद।
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