हाय दोस्तो.. मेरा नाम सुदर्शन है मैं महाराष्ट्र से हूँ। मैं अन्तर्वासना का कई दिनों से नियमित पाठक हूँ।
मैं दिखने में ज्यादा खास नहीं हूँ.. पर मेरा गठीला जिस्म बहुत आकर्षक है। मैं साधारण तरीके से रहता हूँ.. पर अच्छा रहना मुझे पहले से ही पसंद है। मेरी उम्र 26 साल की है।
बात 3 महीने पहले की है, मुझे एक एग्जाम के लिए जाना था। तो मुझे सुबह मेरी पहचान की लड़की वीना (बदला हुआ नाम) का फोन आया।
वीना को मैं बहुत पहले से ही जानता था.. पर आज तक मैंने उसे गलत नजर से नहीं देखा था।
वो बोली- यदि तुम एग्जाम देने जा रहे हो.. तो मैं भी तुम्हारे साथ आना चाहती हूँ।
मैंने पहले सोचा और एक मिनट में ‘हाँ’ कह दी। वो खुश होकर मेरे साथ चलने की तैयारी करने में लग गई।
हम दोनों 5 बजे की बस से निकले।
आज के दिन जब मैंने उसे बस में चढ़ते वक्त देखा.. तो वो उस वक्त क्या लग रही थी। उसके जिस्म का कटाव 36-26-32 का रहा होगा। बस मेरा मन उसे किस करने को करने लगा था।
बस चलने को तैयार थी। कुछ देर बाद सूरज डूबने ही वाला था और मैंने वीना की तरफ देखा तो वो मुझे ही घूर रही थी।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
उसने बोला- कुछ नहीं।
मैंने उसका हाथ मेरे हाथ में ले लिया। उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया तो मैं धीरे-धीरे उसे सहलाते-सहलाते उसके होंठ देखने लगा।
उसके क्या होंठ थे यार.. एकदम गुलाबी बहुत ही सेक्सी होंठ थे।
मैंने उसके होंठों पर होंठ रखकर चूसना शुरू किया.. उसने भी कुछ नहीं कहा।
मैं अब समझ चुका था कि वो भी मेरे साथ मजा लेना चाहती है। मैंने उसे औरंगाबाद आने तक बहुत सहलाया.. वो गरम हो चुकी थी। हम दोनों में ही चुदास भड़क चुकी थी और हम दोनों के एक-दूसरे की बांहों में समा जाना चाहते थे।
मैं उसे बस स्टॉप पर बिठाकर लॉज में एक कमरा बुक करके वापस आकर उसे ले गया।
यह कमरा दो अलग-अलग बेड वाला था।
खाना खाने के बाद मैंने उसे चूमना शुरू किया। मैंने उसे चूमते-चूमते एक बेड पर बिठाया, उसकी ओढ़नी उतार कर दूर फेंक दी।
अब मैं उसकी चूत सहलाने लगा।
वो मादक सिसकारियाँ भरने लगी, उसके कपड़े उतार दिए, वो मेरे सामने पूरी नंगी हो चुकी थी।
मैं तो उसे देखता ही रह गया।
उसके बाद मैंने उसके चूचों को जोर-जोर से दबाते हुए लिटा दिया और अपने कपड़े उतार कर खड़ा हो गया। मेरा लंड एकदम कड़क हो गया था।
अगले ही पल मैं उसके मम्मे मुँह में लेकर चूस रहा था।
मेरे से सहा नहीं जा रहा था.. तो मैंने अपना खड़ा लंड उसकी चूत पर रख दिया।
क्या चिकनी चूत थी.. अहहा.. उसने उसी दिन झांटें साफ़ की थीं.. तो चूत पर एक भी बाल नहीं था।
मेरा लंड चुदाई के लिए तड़प रहा था वैसा हाल उसकी चूत का भी था।
मैं लौड़े को उसकी चूत पर रगड़-रगड़ कर उसे मजा दे रहा था।
उसने कहा- जानू.. अब अन्दर भी डालो.. मुझस सहा नहीं जाता।
मैंने उसकी कुछ न सुनी.. मुझे उसे तड़पते देख आकर और जोश आ रहा था।
कुछ देर बाद मैंने अपना लंड चूत पर रखकर एक धक्का लगाया।
मेरा लम्बे लंड का टोपा चूत में घुस गया, उसके मुँह से चीख निकल पड़ी, उसे दर्द हो रहा था।
मैं उसके मम्मे दबाकर उसके निप्पलों को चूसने लगा.. इससे उसका दर्द थोड़ा कम हुआ।
फिर बाद में एक और जोर से धक्का दिया.. अब मेरा आधा लौड़ा चूत में घुस गया।
उसने लौड़ा अन्दर जाते ही मुझसे कहा- जानू बाहर निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है.. मैं मर जाऊँगी।
पर मैंने उसकी एक नहीं सुनी और उसकी चुम्मा-चाटी करता रहा।
वो बहुत दर्द होने के कारण चीख रही थी और कह रही थी- तुम्हें सिर्फ़ चोदने की पड़ी है.. इधर मेरी जान निकलने को आई।
मैंने उसे समझाया और उसकी चूत की तरफ देखा तो चूत से खून बह रहा था।
यह देखकर मैं भी थोड़ा हैरान हुआ क्योंकि मुझे पहली बार में ही कुंवारी चूत चोदने को मिली थी।
मेरा अब निकलने वाला था.. तो मैंने उसके पेट पर ही माल छोड़ दिया।
उस दिन मैंने वीना के साथ तीन बार चुदाई की।
दोस्तो, यह मेरी जिंदगी का पहला सेक्स था…
यह एकदम सच्ची कहानी है। मैं आशा करता हूँ कि आपको कहानी पसंद आई होगी। मैं आपके मेल का इन्तजार कर रहा हूँ.. आप मेल जरूर करना।
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