पहली बार नंगी भाभी की चूत के दर्शन और चुदाई

मेरा नाम सत्यम है, 20 साल का एक नौजवान हूँ।
मैं औरंगाबाद महाराष्ट्र में रहता हूँ, देखने में काफी सुंदर हूँ.. पर अभी तक किसी लड़की के साथ मेरा चक्कर नहीं था।

मैंने अन्तर्वासना की सभी कहानियाँ पढ़ी हैं। इसकी सेक्स कहानियों को पढ़कर मुठ भी मारी है।
आज मैंने सोचा कि मैं भी अपनी कहानी लिखूँ।
यह मेरी सच्ची कहानी है।

बात पिछले साल की है। मैं 12 वीं क्लास में पढ़ता था। हमारे गाँव में अच्छा कॉलेज नहीं है तो मैंने और मेरे एक दोस्त ने औरंगाबाद के कॉलेज में दाखिला लिया।
हमने औरंगाबाद में एक कमरा किराए पर लिया।

हमारे कमरे की मालकिन रूपाली बहुत सुंदर थी, उनकी अभी कुछ समय पहले ही शादी हुई थी, उनको अभी कोई बच्चा नहीं था।
हम उन्हें रूपाली भाभी बुलाते थे।

सच में यार.. क्या माल थीं.. वे एकदम चिकनी थीं।

जब हम रूम की बात करने गए थे, तब तो मैं उनको ही देख रहा था। उनके मम्मे बहुत बड़े-बड़े थे.. उनके चूतड़ भी बहुत मोटे थे।
वो करीब 24 साल की होगी।

जब वो हमें रूम दिखाने ले जा रही थीं, तो मैं उनके पीछे-पीछे चल रहा था, क्योंकि मैं उनकी मटकती गांड को देखने की लालसा में मरा जा रहा था। वो अपनी गांड क्या हिला रही थीं यार.. सच में दिल तो कर रहा था कि इधर ही उनकी गांड फाड़ दूँ, घुसेड़ दूँ अपना लंड उनकी गांड में.. लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था, क्योंकि हमें कमरा चाहिए था।

हमने वो कमरा फाइनल किया और वापस अपने गाँव आ गए।
मैं रात भर रूपाली भाभी के बारे में सोचता रहा। मैंने उन रात दो बार रूपाली भाभी के नाम से मुठ भी मारी।

मेरा दोस्त 8 दिन बाद आने वाला था। मैं दूसरे दिन अपना सामान लेकर कमरे पर आ गया।

रूपाली भाभी ने मुझे पूछा- अकेले ही आए हो.. तेरा दोस्त कब आने वाला है?
मैंने कहा- भाभी वो 8 दिन बाद आएगा.. उसे कुछ काम है।

उस दिन रूपाली भाभी बहुत सुंदर दिख रही थीं, उनके मम्मे आज मुझे ज्यादा बड़े दिख रहे थे, मेरा तो जी कर रहा था कि अभी अपना मुँह लगा कर इनका दूध पी लूँ।

फिर रूपाली भाभी मेरे कमरे में आकर मुझसे बातें करने लगीं, उन्होंने सामान लगाने में मेरी मदद की।

पूरी रात मैं भाभी के बरे में ही सोचता रहा और रूपाली भाभी के नाम से एक बार मुठ भी मार ली।
अगले दिन मैंने देखा कि हमारे घर के मालिक यानि रूपाली के पति सुबह जल्दी ही दुकान पर चले जाते थे और भाभी बेचारी घर पर अकेली बोर हो जाती थीं।

हमारा और उनको बाथरूम एक ही था। मैं स्नान के लिए जा रहा था.. तो भाभी मेरे बदन को जिस तरह देख रही थीं.. मैं तो उनकी नजरों से घायल ही हो गया।
मैं भी समझ गया था कि भाभी मुझसे क्या चाहती हैं।

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मैंने अपना लौड़ा सहलाते हुए भाभी से पूछा- भाभी, ऐसे क्या देख रही हो?
‘कुछ नहीं…’ कहकर भाभी मुस्कुरा कर अन्दर चली गईं।

दोपहर को भाभी मेरे कमरे में आईं, कहने लगीं- आज मेरी पीठ में बहुत दर्द हो रहा है.. थोड़ा दबा दोगे प्लीज़।

मेरे मन मैं जैसे लड्डू फूटने लगे, मैं समझ गया कि भाभी किस मकसद से आई हैं, मैंने कहा- हाँ भाभी दबा देता हूँ.. आओ यहाँ लेट जाओ।

भाभी पेट के बल लेट गईं।

उनकी गांड क्या मस्त दिख रही थी, जी कर रहा था.. मैं भी भाभी के ऊपर लेट जाऊँ।
मुझे बाजू से उनके मम्मे दिख रहे थे।

ये सब देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया और पैन्ट से बाहर आने की कोशिश करने लगा।

मैं पैन्ट को फूलता दिखने से बचने के लिए जल्दी से नीचे भाभी के पास बैठ गया। लेकिन भाभी ने मेरा लंड खड़ा होता देख लिया था।

मैं उनकी पीठ दबाते-दबाते गांड पर भी हाथ फेरने लगा।
ऊपर को जाता तो बाजू के मम्मों को भी हाथ लगा देता था।

मैंने महसूस किया कि भाभी कुछ नहीं बोल रही थीं।

अब मेरा हौसला बढ़ गया, मैंने भाभी के मम्मों को जोर से दबा दिया.. भाभी चिल्लाईं और बोलीं- अरे यह क्या कर रहा है?
मैं थोड़ा डर गया- सॉरी भाभी..

मेरा डरा हुआ चेहरा देख कर भाभी हँसने लगीं और बोलीं- अरे मुझे भाभी मत बोल.. मैं तेरे से केवल 3 साल ही तो बड़ी हूँ.. मुझे रूपाली बोल। जब तुम रूम देखने आए थे.. तब मुझे लगने लगा था कि तुम ही मेरा काम लगा सकते हो। मेरा पति रोज थक कर घर आता है और सुबह चला जाता है। उनको तो अपनी बीवी की जरा भी फिकर नहीं है।

मुझे तो जैसे मेरा स्वप्न पूरा होता दिखाई दे रहा था।
मैंने जल्दी से अपने होंठ रूपाली भाभी के होंठों पर रखे और उन्हें जोरों से दबाने लगा।
मेरी जीभ उनके मुँह में हलचल मचा रही थी।

उन्होंने भी मुझे कसके पकड़ा हुआ था।

मेरा एक हाथ भाभी की चूत पर था और दूसरा उनकी चूचियां दबा रहा था। कपड़े प्याज के छिलके की तरह उतरने लगे।
भाभी की चूत पर एक भी बाल नहीं था, लगता था आज ही शेविंग करके आई है। करीबन 10-15 मिनट चूमा-चाटी करने के बाद मैंने रूपाली भाभी की साड़ी उनके बदन से अलग कर दी।

बाप रे बाप.. क्या बदन था उनका.. इतना हसीन कि कोई भी आदमी घायल हो जाए।

मैंने पहली बार किसी औरत को ऐसा देखा था। मैं तो बस हूर जैसी मादक रूपली भाभी को देखता ही रह गया।

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रूपाली भाभी ने भी मेरे कपड़े उतारे। मैंने उनकी ब्रा को जैसे उतारा.. उनकी भरी हुई चूचियां जैसे कैद से आजाद होकर हवा में उछलने लगीं।
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

क्या मस्त मम्मे थे उनके… मैंने जल्दी से अपना मुँह एक चूची के निप्पल पर लगाकर चूसने लगा।
रूपाली भाभी और उत्तेजित हो रही थीं।

मैं जोर-जोर से मम्मों को मसलते हुए उनका दूध पी रहा था।

फिर मैंने रूपाली भाभी को पूरी नंगी किया।
हाय.. भाभी क्या दिख रही थीं.. बता नहीं सकता।

आज पहली बार किसी नंगी चूत का मुझे दीदार हुआ था। मैं तो भाभी की चिकनी चूत को देखता ही रह गया।

रूपाली भाभी बोलीं- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- आज पहली बार चूत देख रहा हूँ न.. इसलिए गौर से देख रहा हूँ।

मैंने अपना मुँह रूपाली भाभी की चूत पर रख दिया और अगले ही पल मैं उनकी चूत को चाट रहा था।

उन्होंने भी मुझे 6-9 की दशा में होने को कहा और अब वो मेरा लंड चूस रही थीं।

रूपाली भाभी ने कहा- अब मुझे और न तड़फा.. जल्दी से डाल दो अपना ये खड़ा लंड मेरी चूत में.. फाड़ दो मेरी चूत..

मैंने रूपाली भाभी के ऊपर चढ़ कर अपना लंड उनकी चूत पर रखा और एक धक्का लगाया.. मेरा आधा लंड उनकी चूत में चला गया।

वो चिल्लाईं मगर मेरे होंठ उनके होंठों पर लगे हुए थे, इसलिए उनकी आवाज दब गई।
दूसरे धक्के में मेरा पूरा लंड उनकी चूत में जड़ तक चला गया था।

वो बोल रही थीं- आह्ह.. कितने दिनों से मैं तड़प रही थी.. बुझा दो मेरी आग।

मैं जोर-जोर से धक्के देकर अपना लंड अन्दर-बाहर कर रहा था।
पूरा कमरा उनकी मादक आवाजों से गूँज रहा था- आह आहह.. मर गई.. और जोर से आह.. आह्ह..

कुछ मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद वो झड़ गईं.. लेकिन मैं अभी कहाँ रुकने वाला था।

उनके झड़ने के काफी देर बाद मैं झड़ने को हुआ इसी बीच वो फिर से मेरा साथ देने लगी थीं।
फिर हम दोनों साथ में झड़ गए।

मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया और चिपका कर सो गया।

इसके बाद तो रोज दोपहर को हम चुदाई का खेल खलते थे।

कुछ दिन बाद उनके पति को शक होने लगा.. तो उनने हम दोनों को रूम खाली करने को कहा।

फिर हमने वो रूम न चाहते हुए भी छोड़ दिया।

आज मैं रूपाली को बहुत मिस करता हूँ। उन्होंने मुझे पहली बार चोदने जो दिया था।

दोस्तो.. कैसी लगी मेरी पहली चुदाई की कहानी.. मेल जरूर कीजिए।
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