हॉट लेडी Xxx कहानी मेरी अपनी है. मेरे पति मुझे चोद कर खूब खुश रखते हैं. पर एक बार वे कुछ महीनों के लिए विदेश गए तो मेरे जिस्म की प्यास मुझे सताने लगी.
दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्कार!
मेरा नाम मनीषा है. मेरी उम्र 28 साल है और मेरे हस्बैंड की उम्र 32 साल की है.
मेरा जिस्म एकदम भरा और गदराया हुआ है. मेरे चूतड़ों का साइज 38 इंच है और मेरी कमर 32 इंच की है, जबकि मेरे हाहाकारी मम्मों का साइज 36 इंच है. मेरी इस फिगर से आप अनुमान लगा सकते हैं कि मेरा जिस्म कैसा होगा.
जब भी मैं कहीं बाहर जाती हूं, तो सारे मर्द मुझे घूर घूर कर देखते हैं. इससे मैं समझ जाती हूं कि यह सारे मुझे चोदना चाहते हैं. इस बात से मुझे बड़ी गुदगुदी होती है और मैं अपने अन्दर ही अन्दर मुस्कुराती रहती हूँ.
इस हॉट लेडी Xxx कहानी में मैं आपको अपनी जिंदगी का एक वास्तविक घटना सुना रही हूँ.
यहां अन्तर्वासना पर ये मेरी दूसरी सेक्स कहानी है.
मेरी पहली कहानी थी: फाग में पड़ोसी लड़के से चुद गयी मैं
मेरी शादी को 3 साल हो गए हैं और जो बात मैं आप लोगों को बताने जा रही हूँ, वो मेरी शादी के कुछ महीनों बाद मेरे साथ घटित हुई थी.
हुआ यूं था कि जब शादी के बाद मैं अपनी ससुराल आई तो मुझे मेरे हस्बैंड से बहुत प्यार मिला. मेरे हस्बैंड मेरी हर छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान रखते थे.
सेक्स में तो मुझे अपने पति के साथ भरपूर मजा आता था.
मेरी सुहागरात पर भी उन्होंने मुझे बहुत जबरदस्त चोदा था. उस रात हम दोनों ने 5 बार सेक्स किया था.
फिर एक हफ्ते के अन्दर ही मेरे पति ने मेरी गांड मार कर उसे भी खोल दिया था.
कुल मिलाकर मेरी और मेरे हस्बैंड की दोनों की आपस में बहुत पटती है.
चूंकि मैं भी बहुत खुले विचारों की थी और मेरे हस्बैंड भी. हम दोनों चुदाई के समय ड्रिंक और स्मोकिंग का मजा भी लेते हैं.
हम लोगों की शादी के कुछ समय बाद ही हम दोनों सेक्स में नए-नए प्रयोग करने लगे थे.
कभी मेरे हस्बैंड मेरे नौकर बन जाते और मैं उनकी मालकिन.
अपने सेक्स में कभी हम किसी तीसरे की कल्पना करके एक दूसरे के साथ चुदाई को खूब एन्जॉय करते थे.
उन्होंने मुझे ऐसा बना दिया था, जब तक कुछ नया ना हो … मुझे चुदाई में ज्यादा मजा ही नहीं आता था.
मेरे हस्बैंड को भी चुदाई में सबसे ज्यादा मजा, किसी तीसरे की उपस्थिति की कल्पना करने में आता था.
वो चुदाई के समय कहते थे कि कोई दूसरा ही बंदा मुझे चोद रहा है और वो मुझे उस बंदे से चुदता हुआ देख रहे हैं.
शुरू में तो मुझे ये जरा असहज सा लगा कि पति के सामने कोई दूसरा मुझे कैसे चोद सकता है, पर धीरे धीरे मुझे भी इस चीज में आनन्द आने लगा और मैं भी चुदाई के दौरान किसी और से चुदवाने के लिए व्याकुल होने लगी.
हमारी जिंदगी में हमारा सेक्स और हमारा प्यार ऐसे ही चलता रहा और लगभग हमारी शादी को छह-सात महीने बीत गए.
फिर एक दिन मेरे हस्बैंड को किसी वजह से विदेश जाना पड़ा.
वो एक कंपनी में वर्क करते हैं, उन्हें कंपनी के किसी काम से वहां जाना पड़ा था.
मेरा मन भी उनके साथ जाने का था मगर वो सम्भव नहीं हो सका था.
मैं घर पर अकेली रह गई.
मेरा घर पर बिल्कुल भी मन नहीं लगा.
कहां तो मेरे हस्बैंड मेरे साथ रोज सेक्स करते थे और फिर अचानक से हम एक दूसरे से बिल्कुल अलग हो गए थे.
हम दोनों को अलग हुए धीरे-धीरे 4 महीने बीत गए.
अब मुझसे सेक्स के बिना बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था मुझे कोई ऐसा मर्द चाहिए था जो मेरी सेक्स की भूख को शांत कर सके और मैं उसकी!
घर पर अकेले पड़े पड़े मुझे मेरा घर खाने को दौड़ता था; घर पर बिल्कुल भी मन नहीं लगता था.
मैं रोज शाम को अपने घर की छत पर घूमने जाती थी.
वहां मेरी बात एक पड़ोस वाली भाभी से हुई, वह बिल्कुल उम्र में मेरी ही तरह की थीं.
भाभी से बातों ही बातों में कुछ दिनों में अच्छी दोस्ती हो गई.
धीरे-धीरे मैं भी उनके घर जाने लगी और वह भी मेरे घर आने लगीं.
हम दोनों पूरी तरह से खुल गई थी.
एक दिन हम दोनों ने मेरे घर में बैठ कर ड्रिंक एन्जॉय करनी शुरू की और बातों का दौर चल पड़ा.
उन्होंने मुझे बताना शुरू किया कि वह भी घर पर अकेली ही रहती हैं.
उनके हस्बैंड अमेरिका में जॉब करते हैं और साल में कोई एक या दो बार ही आ पाते हैं.
मैंने उनसे पूछा- भाभी, फिर आप अपना पूरा टाइम अपना कैसे व्यतीत करती हो. मतलब एक साल तक आप बिना सेक्स के कैसे रह पाती हो. यह एक सामान्य जरूरत है, जो हर इंसान को चाहिए ही है.
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं उनको भाभी कह कर ही बुलाती हूं. मुझे हर किसी को रिस्पेक्ट देना अच्छा लगता है. वह मुझसे उम्र में थोड़ी सी बड़ी भी थीं, इसलिए मैं उनको यथोचित सम्मान देती हूं.
मेरे इस सवाल पर वो मुझे देख कर हंसने लगीं और मुझसे कहने लगीं- तुम भी ना यार बहुत भोली हो. आज के टाइम में सब मिलता है, सब जरूरतें पूरी हो जाती है. बस हमें ऐसा तरीका आना चाहिए, जिससे हम सब एक दूसरे की जरूरत पूरी कर सकें.
इस पर मैंने हैरानी जताते हुए उनसे कहा- भाभी मैं कुछ समझी नहीं!
उन्होंने मुझसे कहा- अगर तुम किसी से जिक्र ना करो, तो मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूँ.
मैंने उनसे कहा- भाभी आपको तो मालूम ही है कि यहां सिर्फ मैं आपको ही जानती हूं. मैं किसी और के पास जाती भी नहीं हूँ, तो भला मैं किसी से क्या कहूंगी!
उन्होंने सिगरेट सुलगाई और धुंआ छोड़ती हुई मुझसे बोलीं- मनीषा तुम्हारी जिंदगी की सारी जरूरतें पूरी हो सकती हैं. मैं एक ऐसा क्लब जानती हूं, जहां औरत और मर्द सब जाते हैं. किसी पर कोई पाबंदी नहीं होती. उधर सब कुछ सेफ होता है. तुम वहां अपने पसंद के लड़के के साथ जो चाहे कर सकती हो. एक से ज्यादा लड़के, मतलब जितने तुम चाहो, उतने चुन सकती हो. तुम्हें फुल मजा भी मिलेगा और बदले में वहां से तुम्हें कुछ और भी मिल जाएगा, जैसे तुम अपने उस साथी के साथ घूमने फिरने शॉपिंग आदि का लुत्फ भी उठा सकोगी.
मुझे भाभी की यह बात कुछ अजीब सी लगी क्योंकि मैंने इस से पहले कभी ऐसा नहीं सुना था.
मैंने बड़े आश्चर्य भरे भाव से उनसे पूछा- क्या सच में ऐसा होता है?
उन्होंने मुझसे कहा- हां पगली, ऐसा होता है. मैं खुद उस क्लब में, जब मेरा मन करता है … खूब जाती हूं.
मैंने उनसे कहा- नहीं भाभी मुझे तो सुनकर ही डर लग रहा है. किसी को कुछ पता चल गया तो?
उन्होंने मुझसे कहा- अगर तू मुझ पर भरोसा करती है, तो एक बार एन्जॉय करके देख. चाहे फिर कभी दुबारा मत जाना.
मन में तो मेरे भी बहुत था क्योंकि मुझे भी चुदे हुए कई महीने हो गए थे. मैंने किसी मर्द को छुआ भी नहीं था.
मैंने भाभी से हामी भर दी.
हमारा एक रात का जाने का प्लान भी सैट हो गया.
उस दिन शाम को मैं एकदम मस्त तैयार हो गई और उन भाभी के साथ उस क्लब में चली गई.
वहां पर एक औरत मौजूद थी, जिसकी उम्र 40 साल के आसपास होगी.
उसकी बातों से लग रहा था कि वह उस क्लब की ऑनर थी.
वहां पर उसके अलावा तीन हट्टे-कट्टे लड़के मौजूद थे. हम दोनों को मिलाकर अब वहां पर तीन औरत और तीन ही मर्द हो गए थे.
उस औरत ने मेरा स्वागत किया और मुझसे कहा- वेलकम टू माय क्लब … मैं सिर्फ तुम लोगों का परिचय करवा कर यहां से चली जाऊंगी.
उस औरत ने हम सबका एक दूसरे से परिचय करा दिया.
वे तीनों लड़के तो मुझे ही घूरे जा रहे थे क्योंकि मैं उनके लिए एकदम नया माल थी.
उनके हाव-भाव से लग रहा था कि जो मेरी पड़ोस वाली भाभी मेरे साथ आई थीं, उनके साथ वो तीनों खुलकर एन्जॉय कर चुके थे.
वो औरत, जो वहां की मालकिन थी, हम सबका परिचय करवा कर वहां से चली गई.
असल में वो जगह कोई क्लब नहीं था, शायद उसका घर था. वो अन्दर बने जीने से अपने उस घर में ऊपर चली गई थी. नीचे हम पांच लोग रह गए थे. उस घर में नीचे तीन रूम बने हुए थे.
मैं मन ही मन में सोचने लगी कि यह लोग तो तीन हैं … और हम सिर्फ दो हैं, तो अब कैसे होगा.
मैंने यह बात भाभी से बोल दी.
वो हंसने लगीं और कहने लगीं- बेबी तुमको जैसे अच्छा लगे … तुम बस वैसे ही एन्जॉय करना. इधर कोई जोर जबरदस्ती का सीन नहीं है.
मैंने उनसे कहा- ठीक है.
फिर भाभी मुझे एक रूम में ले गईं और मुझसे कहने लगीं- बताओ इन तीनों में से तुम्हें कौन सा लड़का अच्छा लग रहा है?
उनमें एक लड़का मुझे अच्छा लग रहा था तो मैंने उसको चुन लिया और बाकी बचे दोनों लड़के भाभी के पास चले गए.
फिर जिस लौंडे को मैंने चुना था, वह मेरे पास आ गया. वो मेरे बालों पर अपना हाथ फिराने लगा.
उसने मुझे बेड के कोने पर बैठा लिया और मेरी आंखों में देखते हुए मेरे कपड़ों को मेरे बदन से अलग करने लगा.
मैं भी मर्द के साथ सहवास के लिए बहुत भूखी थी, तो मैंने भी उसे पूरी इजाजत दे दी.
मैंने अपने बदन पर साड़ी डाली हुई थी, उसने मेरे बदन से मेरी साड़ी ब्लाउज पेटीकोट को अलग कर दिया और अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में उसके सामने रह गई थी.
मेरे रसीले मम्मों को देखकर उसने सीधे अपने होंठ मेरे बूब्स की गली के बीच में लगा दिए और अपनी जीभ और होंठों से मेरे उभारों को चूमने और चाटने लगा.
मेरी वासना भड़कने लगी और कामुकता की वजह से मेरी आंखें बंद होने लगीं.
जल्द ही मेरे मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं.
वो लड़का मेरे बदन पर धीरे-धीरे किस करते हुए मेरी नाभि तक चला गया; मेरे सारे जिस्म को चूमने और चाटने लगा.
सच बताऊं तो मुझे बहुत ज्यादा आनन्द आ रहा था. मैंने भी अपना सारा जिस्म उसको सौंप दिया और मैं भी उसके बालों और उसकी कमर पर हाथ फिराने लगी.
इसी मजे के बीच मैंने देखा कि मेरे सामने वाले दूसरे बेड पर भाभी अपने साथ उन दोनों लड़कों के साथ खेल रही थीं.
मैंने भाभी को मस्ती से देखा, तो वह दोनों मर्दों के बीच में थीं और उन दोनों ने अपने जिस्म के बीच में उन्हें बहुत बुरी तरह से भी भींच रखा था.
वो दोनों मर्द उनको बुरी तरह से चूम और चाट रहे थे.
भाभी भी दोनों के बीच में पड़ी हुई बहुत तेज तेज कामुक सिसकारियां ले रही थीं.
मैं अभी भाभी की तरफ ही देख रही थी कि तभी मेरे वाले लड़के ने मेरी पैंटी को मेरी चूत से अलग कर दिया.
मेरी चुत में से पानी रिसने लगा था.
उसने मेरी टांगों को फैला दिया और मेरी चूत पर अपनी जीभ की नोक को फिराने लगा.
वो धीरे धीरे मेरी पूरी चुत को चाटने लगा.
मैं तो मस्ती से पागल सी हुई जा रही थी, मैंने अपनी ब्रा का हुक खुद ही खोल दिया और अपने बाल भी खोल दिए.
अब मेरा मन तो बस उससे जल्दी से चुदने का कर रहा था.
मैंने उसको अपनी चूचियों के ऊपर खींच लिया और उसे चूमते हुए कहा- बस अब मुझसे और नहीं सब्र होता. जल्दी से तुम अपना लौड़ा मेरी प्यासी बुर में अन्दर डाल दो.
उसने मेरी एक चूची को मसलते हुए कहा- इतनी भी क्या जल्दी है भाभी जी! आज तो हमारे पास पूरी रात है. मैं आज आपको अपनी बनाकर ही छोड़ूंगा.
मैंने कहा- वो सब ठीक है लेकिन पहले अन्दर कर दो.
उसने मुझसे फिर से कहा- थोड़ा सब्र तो रखिए भाभी जी.
फिर उसने बातों ही बातों में अपना लौड़ा चूसने का मुझे इशारा किया.
मेरे अन्दर भी बहुत आग थी तो मैंने भी फट से उसके लंड को अपने मुँह के अन्दर ले लिया और पूरा लंड गले के अन्दर तक लेकर चूसने लगी.
मैंने उसके लंड को कुछ ही देर में चूस चूस कर एकदम चिकना कर दिया.
कुछ देर ऐसे ही उसका लंड चूसने के बाद मैं सीधी लेट गई और उसने अपना लंड मेरी चुत की फांकों पर रगड़ना शुरू कर दिया.
इतने दिन बाद चुत के मुँह में लंड का स्पर्श मुझे मदहोश करने लगा था और मेरी गांड उठ कर लंड चुत में लेने के लिए मचलने लगी थी.
उस मस्त लौंडे ने बड़ी नफासत से धीरे-धीरे करके मेरी चूत में लंड डाल दिया.
लंड चुत में घुस जाने मुझे तो मानो लज्जत मिलने लगी थी.
मेरी चुत इस तरह से फड़क रही थी कि जैसे किसी भूखी कुतिया को हड्डी चूसने को मिल गई हो.
वो भी मेरी चुदाई में लग गया. कभी वह अपना लंड पूरा मेरी चूत में अन्दर तक डाल देता … और कभी पूरा लंड सुपारे तक चुत की फांकों तक बाहर निकाल लेता.
सच बताऊं … तो कमरे में सबसे ज्यादा मेरी ही मादक आवाजें गूंज रही थीं.
वह मेरी कमर के हिस्से को पकड़कर मुझे ऐसे ही चोदता रहा.
मेरी टांगें हवा में उठ गई थीं और मैं उसे और तेज तेज चोदने के लिए बोल रही थी.
उस लड़के में भी जितना दम था, उसने अपनी पूरी ताकत से धक्के लगाने शुरू कर दिए थे.
मैंने भी चिल्ला चिल्ला कर उसे पूरा खुल्ला छोड़ दिया था- आह चोद और तेज चोद दे मेरी चुत को … आह तू चाहे मेरी चुत फाड़ भी दे.
मेरी कामुक आवाजें सुनकर वो भी मेरी चुत में एकदम से पिल पड़ा.
तभी मेरे बदन में चरम सीमा पर आने जैसी सनसनी होने लगी और मेरा बदन अकड़ने लगा.
मैंने उसको अपने आगोश में समा लिया और मेरी चुत रो पड़ी … चुत से पानी निकल गया.
उस समय मैंने उत्तेजना के शिखर पर आते हुए उसकी कमर पर नाखूनों के निशान भी मार दिए.
वो लंड पेले पड़ा रहा और मैं बुरी तरह से कांपती हुई झड़ गई.
मेरा शरीर एकदम से निढाल हो गया.
मेरे निढाल पड़ते ही वो अपनी कमर को चलाने लगा, तो मैंने उसको रुकने के लिए इशारा किया.
उसने मुझसे कहा- भाभी अभी मेरा हुआ ही नहीं है.
मैंने उससे कहा- हां मुझे मालूम है … प्लीज तुम मुझे थोड़ा टाइम दो … कुछ देर बाद फिर से कर लेना.
वह मेरी बात मान गया और चुत में लंड पेले हुए ही रुक गया.
मैंने उससे कहा- प्लीज़ तुम मेरे अन्दर से एक बार निकल जाओ, मुझे अपनी चुत पौंछनी है.
वो भी चुत के गीलेपन से कुछ असहज महसूस कर रहा था तो वो लंड चुत से निकाल कर बाजू में ही लेट गया.
उसका कड़क लंड छत की तरफ देख कर हिल रहा था.
मेरी सांसें धौकनी की तरह चल रही थीं. मेरे दिल में मुझे एक अजीब सी ख़ुशी मिल रही थी.
दोस्तो, इस हॉट लेडी Xxx कहानी के अगले भाग में मैं आपको पड़ोसन भाभी के साथ हुए चुदाई के मजे को लिखूंगी. आपका प्यार मुझे ईमेल के जरिए मिलेगा, तो मैं समझूंगी कि मेरी सेक्स कहानी को पढ़ कर आपको भरपूर मजा आया है.
आपकी प्यारी भाभी मनीषा
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हॉट लेडी Xxx कहानी का अगला भाग: पड़ोसन भाभी ने मेरी अन्तर्वासना को समझा- 2