फूफाजी ने मुझे खिलाकर कलि से फूल बनाया- 1

हॉट लड़की सेक्सी कहानी में पढ़ें कि कैसे मैं वासना के वशीभूत अपने फूफाजी की ओर आकर्षित हो गयी. उन्होंने मेरे जिस्म को छुआ तो मुझे अच्छा लगा.

लेखक की पिछली कहानी थी: पार्टी में दो जवान लौड़ों ने चोदी मेरी चूत

हाय दोस्तो, मेरा नाम कुमकुम है, मेरी उम्र इस समय 20 साल से कुछ महीने कम है.

ये हॉट लड़की सेक्सी कहानी जो मैं आपको बताने जा रही हूं, वो मेरे और मेरे फूफाजी जी बीच हुई थी जिसमें मैं एक नादान कली से फूल बन गई थी.

मैं जबलपुर की रहने वाली हूं और मेरे फूफा जी का भोपाल में बिजनेस है.

उनका बिजनेस काफी अच्छा चल रहा था. अपने काम के सिलसिले में उनका कभी कभार जबलपुर आना हो जाता था.
इसी प्रकार मेरी और उनकी हमेशा मुलाकात होती रहती थी.

यह बात आज से एक साल पहले शुरू हुई थी तब मैं सेक्स में किसी भी चीज के बारे में नहीं जानती थी क्योंकि मेरे साथ कभी कुछ ऐसा नहीं हुआ था.

एक बार की बात है, फूफाजी घर पर शाम को आए.
सभी लोग बाहर घूमने गए थे. घर पर सिर्फ दादी और मैं थी. दादी पूजा कर रही थीं, मैं हॉल में बैठी थी.

तभी फूफाजी घर पर आए.
मैं खुशी के मारे उनके पास गई और उनके गले लग गई.

इस पर उन्होंने भी मुझे गले लगाया और ज़ोर से मुझे अपने सीने से चिपका लिया.
मेरे दूध उनके सीने से दब गए.

उस वक्त मुझे कुछ अजीब सा लगा लेकिन मैंने उस बात को नजरअंदाज करते हुए उनके गर्दन में अपना हाथ घुमा लिया जिसका फायदा उन्होंने एक कदम और आगे बढ़ते हुए उठाया.

फूफा जी ने मेरी कमर में … और पीठ में हाथ डालकर हाथ डालकर मुझे और भी जोर से अपने सीने से चिपका लिया.
फिर मुझे उठा कर एक गोल राउंड घुमा दिया.

इसके कारण मैं भौचक्की रह गई. उनका लंड भी मुझे कड़क होता महसूस हो गया था. मगर मुझे ये सब बड़ा अच्छा लगा था.

फिर उनसे छूटने के बाद मैं हॉल में आ गई. कुछ देर बाद फूफाजी भी हॉल में आ गए और बैठ गए.

मैं भी उनके समीप जाकर उनकी बगल में बैठ गई.
इस बार भी उन्होंने मेरा पूरा फायदा उठाया और मेरी कमर में हाथ डाल कर बात करने लगे.

बीच-बीच में वो मेरे चेहरे को भी छू लेते थे और मेरी गर्दन पर अपना सर भी रखते थे लेकिन मुझे फूफाजी होने के कारण किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं हुआ और मैं उनके साथ फ्री होकर बातचीत करने में लगी रही.

कुछ देर बाद मैं उठी और पानी लेने चली गई. कुछ देर बाद घर के सभी लोग आ गए.

उस बार फूफाजी जबलपुर में दो दिन रहे और इन दो दिनों में उन्होंने मेरे साथ काफी हंसी मजाक भी किया लेकिन मौका देखकर वो मुझे छूना नहीं भूलते और मुझे सहला देते.
उनका स्पर्श अब मुझे कुछ अजीब और अच्छा लगने लगा था.

दो दिन बाद वो भोपाल वापस चले गए. उनके जाने के एक दो दिन तक मुझे उनकी याद काफी आई.

फिर एक दिन मैं ट्यूशन से आ रही थी कि तभी मुझे फूफाजी का फोन आया. रास्ते भर करीब पन्द्रह मिनट तक हमारी बात हुई.
ये सामान्य बात हुई थी लेकिन इससे पहले फूफा जी ने मुझे इतनी लम्बी बात कभी नहीं की थी.

फिर दूसरे दिन भी उनका फोन आया और मेरी बात हुई. तीसरे दिन उनका फोन नहीं आया तो मुझे अजीब सी बेचैनी हुई.

चौथे दिन ट्यूशन जाते वक्त मैंने उन्हें फोन किया और अब रोज ही हमारी बातों का सिलसिला चालू हो गया.

मैं जब ट्यूशन के लिए निकलती थी तो रास्ते में उनसे फोन पर बात कर लेती थी.

ऐसा करीब आठ दस दिन तक रोज चला.

फिर एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि तुम रात के पढ़ाई के लिए कितने बजे बैठती हो.
मैंने उन्हें बताया कि 10:00 से 1 बजे तक.

वो बोले कि ठीक है, आज रात को मैं तुम्हें 12:00 बजे व्हाट्सएप पर मैसेज करूंगा.

फिर ठीक रात 12:00 बजे उनका व्हाट्सएप पर मैसेज आया और हमारी व्हाट्सएप पर चैटिंग चालू हो गई.
अब हमारी चैटिंग रात के वक्त 12:00 से 1:00 के बीच में रोज होने लगी.

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इस दौरान वह मुझसे काफी हंसी मजाक वाली चैटिंग करते थे.

धीरे धीरे मुझे उनके साथ व्हाट्सएप पर बातें करना काफी अच्छा लगने लगा.
अब मैं रोज घंटों उनके साथ व्हाट्सएप पर चैटिंग करने लगी थी. मुझे भी इसमें मजा आने लगा था.

फिर एक दिन उनका मैसेज आया. उन्होंने मुझसे पूछा कि अभी क्या पहन रखा है?

मैंने उनसे बताया कि पिंक कलर की नाइटी.

इसके आगे उन्होंने मुझसे पूछा- वह तो ठीक है, अन्दर क्या पहन रखा है?

मैंने उनसे अपनी अन्दर की ब्रा और पैंटी के बारे में भी बताया.
उन्होंने मुझसे कलर पूछा, वह भी मैंने उन्हें बताया- वाइट ब्रा और ब्लैक पैंटी.

अब वो रोज रात मैसेज में मेरी ब्रा और पैंटी के बारे में पूछने लगे और मुझे मेरी खूबसूरती के बारे में बताने लगे जिसे जानकर मुझे भी काफी अच्छा लगने लगा.

ऐसे ही एक दिन चैटिंग करते वक्त उन्होंने मुझसे बोला कि तुम वाकयी बहुत खूबसूरत हो.
यह बात सुनकर मैंने भी कह दिया- क्या फूफा जी, आप भी मजाक करते हो.
उन्होंने कहा- नहीं, मैं सच कह रहा हूं.

मुझसे उन्होंने सेक्स रिलेटेड चैटिंग भी शुरू कर दी.
मुझे भी उनसे चैट करने में काफी मजा आता था, तो मैं भी रस लेने लगी.

फिर एक दिन उन्होंने मुझसे मेरी ब्रा पैंटी दिखाने को कहा.
मैंने भी उन्हें मैसेज में दिखा दिया.

इससे आगे वह और आगे बढ़े … और मुझसे ब्रा पैंटी पहने हुए मेरी फोटो मांगी.
मैंने उनसे फोटो शेयर की.

इसके बाद तो हमारे बीच में ओपन सेक्स की बातें होने लगीं.
उनसे सेक्स रिलेटेड बातचीत करने में मुझे बहुत मजा आता था.
उससे मेरी चुत में गुदगुदी होने लगती थी.

उन्होंने कहा- इस बार जब मैं जबलपुर आऊंगा, तब एक बार तुम्हें मेरे सामने ब्रा और पैंटी में आना होगा.
इस पर मैंने भी हामी भर दी.

रोज हमारी बातें इसी तरह होती रहीं.

फिर एक दिन उनका फोन आया कि मैं तुम्हारी बुआ को लेकर जबलपुर आ रहा हूं. उसके बाद उधर से फ्लाइट से 2 दिन के लिए दिल्ली जाऊंगा.

जिस पर मैंने कहा- क्या मैं आपके साथ फ्लाइट में चल सकती हूं.

इस पर उन्होंने हां कहा लेकिन पूछा कि तुम कैसे जा पाओगी. सब लोगों को क्या बोलोगी?
मैंने कहा- ये तो मैंने सोचा ही नहीं.

फिर उन्होंने ही एक आईडिया निकाला और मुझे बताया कि तुम ज़िद करना कि मैं भी दिल्ली घूमना चाहती हूं. बाकी चीजें मैं मैनेज कर लूंगा.

अब मैं उनके आने का इंतजार करने लगी कि कब वह आएं.
इस बीच उन्होंने बताया कि एक दिन हम लोग सबके साथ अमरकंटक भी चलेंगे, जिसमें तुम भी चलना.
मैंने हामी भर दी.

फिर वह दिन आ गया, जिस दिन फूफा जी और बुआ जी हमारे घर आए.

शाम के 7:00 बजे के करीब वो जबलपुर पहुंचे थे. जबलपुर पहुंचने के बाद हमारे साथ घर पर रात बिताई.

उस दिन फूफा जी पूरी तरह से नॉर्मल थे. उन्होंने किसी प्रकार की कोई ऐसी हरकत नहीं की, जिसके कारण मुझे परेशानी हो.

फिर सुबह सब लोगों ने मिलकर अमरकंटक जाने की तैयारी की.

सुबह 4:00 बजे हम सब लोग उठ कर तैयार हो गए थे.
कार की पीछे की सीटों पर मेरी मम्मी, दादी, बुआ के दो बच्चे और बुआ बैठी थीं.
आगे की सीट पर मेरी एक और बुआ बैठ गईं.

अब मेरे बैठने के लिए सिर्फ एक जगह बची थी, आगे की सीट पर ड्राइवर वाली जगह पर.

फूफाजी कार चलाने के लिए बैठ गए और मैं, बुआ और फूफा के बीच में गेयर के दोनों ओर टांगें डाल पर बैठ गई.

फूफा जी ने कह दिया कि कुमकुम तुम आगे बैठ रही हो और ड्राइवर के बगल में बैठ रही हो, तो तुम्हें सोना तो बिल्कुल नहीं है … मुझसे बातचीत करते रहना ताकि सुबह का टाइम है, मेरी भी झपकी ना लगे.

मैं भी तैयार हो गई और खुशी-खुशी हां बोल दिया.

कुछ देर बाद हम लोग निकल पड़े.

सुबह का समय था. शुरू में आधा घंटा तक तो सब लोग जगे हुए थे.

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लेकिन धीरे-धीरे बाकी सब लोगों ने सोने लगे. सब लोगों को सोता देख फूफा जी की हरकतें चालू हो गईं जो मुझे भाव विभोर कर रही थीं.

फूफा जी ने मेरी जांघ पर अपना हाथ रख देते और इसी बहाने अपने हाथों की कोहनी से मेरे मम्मों को दबा देते.
फिर मेरी ओर देख कर मुस्कुरा देते.

मैं भी उनकी ओर देख कर मुस्कुरा रही थी.
और यही नहीं, अब गेयर पर हाथ रखने के बहाने वो मेरी चुत पर भी हाथ रख देते और उसे सहला देते.

मेरी हालत काफी नाजुक हो रही थी. बीच-बीच में फूफाजी मौक़ा देखकर मेरे सारे अंगों को सहला रहे थे. यह सब मुझे काफी अच्छा लग रहा था कि मेरे साथ पहली बार हो रहा था.

अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मैं भी फूफा जी की जांघ पर अपना हाथ रख देती.
फिर एक कदम आगे बढ़ते हुए मैंने अपना हाथ उनके लंड पर रख दिया.
इससे मैं और भी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी.

फूफा जी भी मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर अपना लंड मसलवाने लगे.
मैं भी उनके लंड पर दबाव बना रही थी लेकिन यह सब मेरी जानकारी में नहीं था कि आगे क्या होने वाला है.

फूफा जी ने मेरी चुत को कई बार मसल दिया था और उन्होंने कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चुत के दाने को भी रगड़ा था, जिसके कारण उससे हल्का हल्का पानी भी निकलने लगा था.

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, आखिर उस वक्त मैं कर भी क्या सकती थी.

इसी तरह हम लोग अमरकंटक पहुंच गए. वहां हम लोग सारा दिन घूमे.

उसके बाद शाम को आते वक्त भी फूफा जी की हरकतें वैसी ही रहीं. फूफा जी की हरकतों में कोई बदलाव न था, वे वैसे ही मुझे छेड़ रहे थे और मैं उनका साथ दे रही थी.

लाइट बंद होने के कारण किसी को कुछ समझ नहीं रहा था कि आखिर हम दोनों के बीच क्या खेल चल रहा है.

आखिर रात 9:00 बजे हम लोग वापस जबलपुर आ गए और फूफा जी दूसरे दिन सुबह 10:00 बजे दिल्ली जाने के लिए बोलने लगे.

इस पर मैंने कहा- फूफा जी, मैं भी आपके साथ दिल्ली घूमने चलूँगी.
इस पर फूफा जी ने मना कर दिया लेकिन मैं बार-बार जिद कर रही थी.

आखिर फूफा जी मान गए.
वो बोले- ठीक है. तुम साथ चली चलो, लेकिन वहां तुम बोर हो जाओगी. मैं तुम्हारे साथ घूम नहीं पाऊंगा. मैं अपने किसी काम से जा रहा हूं.
इस पर मैं बोली- कोई बात नहीं, कम से कम मैं दिल्ली तो देख लूंगी.

मेरे मम्मी पापा भी इस बात के लिए तैयार हो गए और फूफा जी के साथ मेरे जाने की तैयारी करने लगे.

फूफा जी ने शाम के वक्त ही उसी फ्लाइट में एक और सीट बुक कर ली ताकि मैं उनके साथ चल सकूं.

मैं भी तैयार हो गई.
मेरी बुआ ने फूफा जी को स्पेशली बोला- कुमकुम को ले जा तो जा रहे हो लेकिन उसका सारा ध्यान रखना.

अब मुझे फूफा जी के साथ 2 दिन के लिए दिल्ली में ही रहना था.
हमें वहां कोई जानता भी नहीं था तो अब मुझे उनके साथ रहने में … या कुछ करने में किसी बात की कोई शर्म या परेशानी ना थी.

आखिर मैं भी तो यही चाहती थी कि उनके साथ कुछ समय अकेले बिता पाऊं.
मेरी मनोकामना पूर्ण हो रही थी.

रात को हम लोग सो गए और दूसरे दिन सुबह तैयारी करके सुबह 9:00 बजे एयरपोर्ट की ओर निकल गए.
दस बजे हमारी फ्लाइट थी.

हमें छोड़ने के लिए पापा एयरपोर्ट आए और एयरपोर्ट के गेट के बाहर से ही हमें छोड़कर निकल गए.

दोस्तो, दिल्ली ले जाकर मेरे फूफा जी ने मुझे किस तरह से चोदा और मेरी कमसिन सीलपैक चुत का भोसड़ा बना दिया.
ये मैं अपनी देसी फूफा भतीजी की चूत चुदाई की कहानी में लिखूँगी.

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