हॉट गर्लफ्रेंड गोवा सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी कहानी पढ़ कर गोवा की एक लड़की ने मुझसे दोस्ती की. उसने सेक्स के लिए मुझे अपने शहर में बुलाया.
नमस्कार दोस्तो, मैं राम और मेरी पहली सेक्स कहानी
क्लासमेट की चुदाई उसकी शादी के बाद
के प्रकाशित होने के बाद आप लोगों के बड़ी संख्या में मेल मिले, उससे प्रेरित होकर मैं अपनी हॉट गर्लफ्रेंड गोवा सेक्स कहानी लिख रहा हूँ.
बहुत सी लड़कियों, भाभियों और आंटियों के मेल मिले और लगभग सभी ने मुझसे अपनी चूत की आग को शांत करने के तरीके पूछे.
इससे मुझे महसूस हुआ कि अकेली महिलाएं और लड़कियां अपनी चुत, किस्म किस्म के लंड से फड़वाने के लिए बेचैन रहती हैं.
मैं कुछ लड़कियों से मिला भी, उनकी चूत चुदाई भी की और उनको चुदाई का सुख दिया, उनकी चूत भी चाटी.
अब तो मुझे चूत चाटने का मज़ा लेने की आदत सी हो गयी है.
दोस्तो, चूत चाटने का नशा ही कुछ और है.
चूत गर्म करने के बाद अपने लंड से उनकी ताबड़तोड़ चुदाई करने में जो मजा मिलता है, वो अद्भुत है.
चुदाई से उन महिलाओं और लड़कियों को जो परम संतुष्टि मिलती है, वह मैं अपने शब्दों में बयां नहीं कर सकता हूँ.
मुझे उम्मीद है कि मेरी इस सेक्स कहानी को भी पढ़कर आप लोग के तन मन में आग लग जाएगी.
मेरी पहली सेक्स कहानी के प्रकाशन होने के बाद मुझे रीमा नाम की लड़की का मेल आया, जिसमें रीमा ने मेरी कहानी की तारीफ की थी.
मैंने रिप्लाई में उसको शुक्रिया बोला.
दो चार औपचारिक मेल के बाद हमारी अच्छी दोस्ती हो गयी.
उसने बताया कि वो गोवा के कॉलेज में सेकंड इयर की स्टूडेंट है और उधर रूम लेकर रहती है. अपनी सहेलियों से ही उसने अंतर्वासना के बारे में जाना और को इसमें प्रकाशित सेक्स कहानी पढ़ना अब उसका शगल हो गया है.
इधर की मस्त सेक्स कहानी पढ़कर वो अपनी चूत में उंगली डालकर अपने अन्दर की आग शांत कर लेती थी.
मैंने उसकी बात से सहमति जताई कि हां अन्तर्वासना पर सेक्स का मजा लेना बहुत ही आनन्ददायक है.
उसने बताया- मैं पहली बार किसी स्टोरी को पढ़कर उसके रचनाकार को मेल करने की हिम्मत जुटा पाई हूँ.
मैंने कहा- मुझे भी आपसे बात करके अच्छा लगा.
उसने बातों बातों में यह भी बोला कि उसको अंतर्वासना की सेक्स स्टोरी की तरह ताबड़तोड़ चुदाई की बहुत ज्यादा ख्वाहिश है, साथ ही उसने यह भी बताया कि उसने अभी तक अपनी चूत का मज़ा किसी को लेने नहीं दिया है.
मुझे ये जानकर बड़ी हैरानी हुई कि गोवा जैसी जगह में रहकर भी ये लड़की अभी चुदाई का मजा नहीं ले पाई है.
उसने आगे बताया कि उसने अपनी स्कूल की पढ़ाई गांव में रहकर की है. वो दिखने भी थोड़ी मोटी है और सिर्फ पढ़ाकू बहन जी टाइप की थी. इसलिए लड़कों ने उस पर कभी ध्यान ही नहीं दिया.
कॉलेज में आने के बाद उसको थोड़ा आजादी मिली और उसकी दोस्ती भी आजाद ख्याल की लड़कियों से हो गयी.
उसकी सहेलियां अपनी चुदाई का किस्सा उसे बड़े चाव से सुनाती थीं, जिससे उसके मन में भी सेक्स के प्रति झुकाव होने लगा था.
उसकी सहेलियों में से ही एक लड़की अंतर्वासना की लेखिका भी थी.
अब इतना सब आपके आस पास हो रहा हो तो किसी का भी मन आउट ऑफ कंट्रोल हो जाएगा.
पर बहन जी टाइप की लड़कियों की आदत होती है ना कि वो अपने आपको कभी जाहिर ही नहीं होने देतीं कि वो क्या चाहती हैं.
रीमा अपने अन्दर की आग को अंतर्वासना को पढ़कर अपनी चूत में उंगली मूली गाजर आदि डाल कर शांत करती थी.
छह महीने तक अंतर्वासना की पाठिका रहने के बाद उसको अपनी चूत चुदवाने की आग लग गई.
इसी वजह से उसने एक सेक्स कहानी के रचनाकार के रूप में पहली मेल मुझे करने की सोची.
रीमा अपनी चुदाई तो करवाना चाहती थी, पर उसने मेरे सामने शर्त रखी कि वो अपना मोबाइल नंबर मुझे नहीं देगी और न ही अपनी फोटो भेजेगी.
अगर मुझे उसकी चूत की चुदाई की चाहत है तो पहले हम दोनों को मिलना होगा और अगर हम दोनों को अच्छा लगेगा, तभी वो चुदवाने के लिए रेडी होगी.
मुझे उसकी शर्त अच्छी लगी.
हमारा एक दूसरे को संपर्क करने का जरिया केवल मेल ही था.
आख़िरकार रीमा से मिलने का दिन फिक्स हो गया.
उसने बताया कि वो जिसके यहां किराए पर रहती है, उनकी पूरी फैमिली 3 दिनों के लिए बाहर जा रही है.
अब वो पूरे घर में अकेली थी, तो वो बेफ़िक्र होकर मुझे अपने रूम में बुला सकती थी.
उसका मेल देखकर तो मेरा लंड पूरी तरह से फनफना गया और उसकी चुदाई की कल्पना करते हुए मैंने अपने हाथ से हिला कर अपने आपको शांत कर लिया.
उसने मुझे दो दिन बाद मिलने बुलाया था.
मेरा जॉब गोवा सिटी से 4 घंटे की दूरी पर था.
मैं उसी दिन शाम को ऑफिस से 4 दिन की छुट्टी लेकर गोवा पहुंच गया.
गोवा में मैंने पहले दिन बागा बीच पर रूम लिया.
दोस्तो, बागा बीच सच में जन्नत जैसा लगा.
उधर रूम लेने के बाद मैंने रीमा को बताया कि मैं गोवा आ गया हूँ.
वो मेरी बात सुनकर एकदम से चकित हो गयी कि मैं आ भी गया हूँ.
मेरी ये तड़प उसको भी अच्छी लगी.
फिर उसने मेरे सामने एक और शर्त रख दी कि वो मुझसे मिलने बागा बीच में आएगी तो जरूर, पर अब भी अपनी पहचान नहीं बताएगी.
उसने ये पक्का ही कर लिया था कि जिस दिन उसको अपनी सील तुड़वाना है, उसी दिन वो मेरे सामने आएगी.
उस दिन वो मुझसे मिलने बागा बीच में आई भी थी.
मेरे आस पास ही बीच के किनारे पर थी.
मैं सभी अकेली लड़कियों में रीमा को ही देखता रहा था.
मेरा लंड उसके मिलने की चाह में ऐसे ही खड़ा हो रहा था.
उसकी ये हरकत हम दोनों को रोमांचित कर रही थी.
दूसरे दिन उससे भी मुझसे मिले बगैर रहा नहीं गया, उसने फाइनली मुझे पंजिम में एक रेस्टारेंट में बुलाया.
दस बजे मैं उस रेस्टारेंट में पहुंच गया.
मैंने उसको मेल किया कि मैं रेस्टारेंट पहुंच गया हूँ और गेट के सामने खड़ा हूँ.
दो मिनट बाद वो बाहर आयी और मुझे मेरे नाम से आवाज दी.
तब वो पहला पल था, जब हमने एक दूसरे को देखा था.
उसने उस दिन लाइट ब्लू कलर का सलवार सूट पहन रखा था.
उसकी ऊंचाई 5 फुट 5 इंच थी और शरीर भरा हुआ था.
वो दिखने में थोड़ी मोटी थी, ऐसा बोल सकते हैं.
जैसा उसने अपने बारे में बताया था, वैसे ही लगभग थी.
उसका मेकअप देख कर लग रहा था कि उसने इससे पहले आज तक इतना ज्यादा मेकअप नहीं किया होगा.
हम लोग अब रेस्टोरेंट के अन्दर गए और ब्रेकफास्ट का आर्डर दिया.
उसकी नजरें मुझे बार बार देखतीं और फिर नीचे हो जाती थीं.
उसके हाथ पैर कांप रहे थे, उसकी धड़कन बढ़ी हुई थीं.
ये मैं साफ़ महसूस कर पा रहा था.
चूंकि हम दोनों एक दूसरे के सामने बैठे थे तो मैं उठ कर उसके बगल में उससे चिपक कर बैठ गया और अपना हाथ उसकी जांघों में रख दिया.
मेरी इस हरकत से वो एकदम से ऐसे सन्न हो गयी जैसे उसे सांप सूंघ गया हो.
वो कुछ भी नहीं बोल पा रही थी.
इतने में हमारा ब्रेकफास्ट आ गया तो मैंने अपना हाथ उसकी जांघों से हटा दिया.
फिर ब्रेकफास्ट खत्म होने तक उसने कुछ बात ही नहीं की और न ही नजरें उठा कर देखा.
हमने ब्रेकफास्ट खत्म किया.
फिर मैंने उससे आज का प्लान पूछा क्योंकि ये हमारी चुदाई का दिन नहीं था.
हमने घूमने का प्लान बनाया.
उसके पास स्कूटी थी तो वो मुझे मेरी मर्जी से कहीं भी घुमाने को तैयार थी.
मेरा मन तो उसकी आज ही चुदाई करने का था पर कुछ जुगाड़ नहीं बन रहा था तो मन मारकर मैंने उससे कहा कि लांग ड्राइव पर ले चलो.
वो मुझे 60 किलोमीटर दूर एक ‘जू’ में ले जाने को रेडी हो गयी.
पहले तो मैंने ही ड्राइविंग की और वो रास्ता दिखा रही थी.
ड्राइविंग के दौरान मैं जानबूझ उसके मम्मों से खुद को टकरा रहा था और वो मुस्कुरा देती थी.
कुछ 20 किलोमीटर ड्राइविंग के बाद मैंने उसको ड्राइविंग के लिए बोला क्योंकि अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसको बांहों में भरने की तड़प बढ़ती जा रही थी.
अब वो ड्राइविंग कर रही थी और मैं उसके पीछे बैठा था.
मैंने तो पहले उसकी कमर को पकड़ लिया और अपनी दोनों टांगों से उसकी टांगों को दबाने लगा.
मेरी इस हरकत से उसको बहुत ख़ुशी हो रही थी.
उसको खुश होता देख मेरी हिम्मत और बढ़ गयी.
अब मैंने अपनी बांहों का घेरा उसके पूरे जिस्म में किया और उसको कसकर जकड़ लिया.
अब उसकी झिझक लगभग खत्म हो गयी थी और वो भी ड्राइविंग करते हुए मेरे लौड़े से चिपक कर बैठ गयी.
मेरे लंड का तनाव वो अपनी गांड में महसूस करने लगी थी.
इसलिए अब वो अपनी गांड बार बार उठा कर मेरे लंड पर रगड़ रही थी.
उसे सच में बहुत मज़ा आ रहा था.
मैंने अचानक पीछे से उसके दोनों मम्मों को जोर से पकड़ लिया और मसल दिया.
एक हल्की सी सिसकारी के साथ वो मेरे पीछे को झुक गई और उसने अपनी आंखें बंद कर लीं.
कुछ देर के लिए तो वो भूल ही गयी कि वो ड्राइविंग कर रही है.
फिर मैंने उससे कहा- यार, ड्राइविंग पर भी ध्यान दो.
ये कह कर मैंने एक लव बाईट उसके गले में दे दी.
वो थोड़ा सा सकपकाई, फिर वो मुझसे चिपक कर ही ड्राइविंग करने लगी.
रास्ता थोड़ा सुनसान होने पर मैंने उससे गाड़ी रोकने को कहा और पहली बार उसको बांहों में भर लिया.
वो भी मुझे बांहों में भरने के लिए तड़प रही थी.
मैंने उसको लिप किस किया और उसके मम्मों को जोर से मसलते हुए उसकी मम्मों की बहुत तारीफ की.
धीरे धीरे मेरा हाथ उसके टांगों के बीच जाने लगा तो उसने रोक दिया और बोली- यार, आज चुदाई का दिन नहीं है, थोड़ा कंट्रोल करो और मुझे भी कंट्रोल में रहने दो.
हम दोनों कुछ करते, उससे पहले ही कुछ लोग सड़क पर आने जाने लगे.
हम लोग आगे की मंजिल की ओर निकल पड़े.
अभी भी ड्राइविंग वही कर रही थी.
मुझे उसके पीछे बैठने में ही मज़ा आ रहा था.
अब तो मैं उसके सभी अंगों में अपना हाथ फिरा रहा था.
मेरा हाथ बार बार उसकी दोनों टांगों के बीच जा रहा था और बार बार वो मना कर रही थी.
मैंने उसे समझाया कि आज भले चुदाई नहीं होगी, पर बाहर से तो चूत का मज़ा ले लेने दो.
उसके न नुकुर के बाद भी मैंने उसकी चूत को रगड़ दिया.
कुछ देर वो शांत रही.
फिर उसने अपनी टांगें खोल दीं.
अब मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दिया. ऐसा करते ही वो चिहुंक उठी और उसने स्कूटी को रोक दिया.
वो रिक्वेस्ट करने लगी कि प्लीज अब इससे आगे कुछ मत करो.
मैंने भी उसको किस किया और सॉरी बोला और कुछ नहीं करूंगा, बोला.
अब वो फिर से ड्राइविंग करने लगी.
मगर मुझे तो शरारत सूझ रही थी.
मैंने फिर से उसकी चूत में उंगली को घुसा दिया.
इस बार मैंने महसूस किया कि वो पूरी तरह से गीली हो गयी थी.
उसकी चूत का पानी उसके कपड़ों को पार करता हुआ मेरी उंगली को भिगो गया था.
उसकी चूत की पानी की सुगंध से तो मैं पागल घोड़े की तरह हो गया, मेरा दिल अब उसकी चूत का स्वाद चखने के लिए पूरी तरह तड़प उठा था.
मैंने रीमा से कहा- यार, अब तो बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मुझे तो आज ही तुम्हारी चुदाई करनी है.
चूत की आग तो रीमा की भी भड़क गई थी, पर कल के दिन वो पूरे इत्मीनान से चुदवाना चाहती थी.
इसलिए उसने मुझे कण्ट्रोल में रहने को बोला.
खैर … अब हमारी मंजिल आ गयी थी हमने ‘ज़ू’ घूमकर थोड़ा इंजॉय किया.
पर हम लोग ज्यादा नहीं रुके.
हमें तो ज्यादा मज़ा ड्राइविंग में ही आ रहा था.
इस बार मैं ड्राइविंग कर रहा था और वो अब लड़कों की तरह दोनों टांग फैला कर मेरे पीछे बैठ गयी.
उसने अपनी मुसम्मियों को मेरी पीठ से पूरी तरह चिपका दिया.
मैं भी उसकी चूचियों की रगड़ का मजा लेते हुए ड्राइविंग का मज़ा लेने लगा.
मैंने अब एक कदम और आगे बढ़ाया.
मैं उसके हाथ को अपने लंड के पास ले गया और उससे लंड पकड़ने को बोला.
चूंकि अब वो पूरी तरह से खुल गयी थी तो उसे भी अब मेरा साथ देने में मज़ा आने लगा.
रास्ता फिर से सुनसान हो गया था तो मैंने अपने पैंट की चैन खोल कर अपना लंड अब उसके हाथों में दे दिया.
उसने मेरा लंड पकड़ किया और अपने दुपट्टे से ढक कर लंड सहलाने लगी.
मैंने उसको लंड हिलाने के लिए बोला तो वो लंड हिलाने लगी.
उसे मेरा लंड पकड़ कर हिलाने में बहुत मज़ा आ रहा था.
उस दौरान वो मेरे कंधे पर अपना मुँह रखे हुई थी और उसकी गर्म सांसें मुझे मेरी गर्दन पर महसूस हो रही थीं.
कुछ देर तक वो मेरा लौड़ा हिलाती रही, फिर मैं भी झड़ गया.
उसने अपने दुपट्टे से मेरे लंड को पौंछा और उसे पैंट के अन्दर करके मेरे पैंट की चैन लगा दी.
शहर आने से पहले हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक कर लिए.
कुछ देर और ड्राइविंग करने के बाद अचानक बारिश होने लगी.
उस बारिश में हम लोग आधे से ज्यादा गीले हो गए थे पर कोई रुकने की जगह ही नहीं मिल रही थी.
कुछ दूरी पर लोग बारिश से बचने के लिए इकट्ठा हो गए थे तो हम दोनों भी वहीं रूक गए.
उस भीड़ में हम दोनों ने पीछे की जगह ले ली.
मैं दीवार के सहारे और रीमा मेरे सहारे वहां खड़ी हो गयी.
रीमा की गांड मेरे लंड से टकरा रही थी, जिससे मेरा लंड फिर से उफान पर आ गया.
मैंने रीमा को अपनी तरफ थोड़ा खींच लिया, जिससे मेरा लंड रीमा के चूतड़ों की दरार में घुस गया.
रीमा उस वक्त ऐसे रियेक्ट कर रही थी, जैसे कुछ हुआ ही न हो.
बेचारी करती भी क्या, इतनी भीड़ जो थी.
बारिश के बंद होते तक मैंने रीमा की गांड में अपना लंड घुसाए रखा था और उस हरकत में रीमा को भी बहुत मज़ा आ रहा था.
अब बारिश बंद हो चुकी थी और हम लोग भी वापस ‘पणजी’ पहुंच गए थे.
उस समय 3 बज रहे थे, तो मैंने रीमा से कहा- यार चलो मूवी देखने चलते हैं.
वो भी रेडी हो गयी.
हमने पणजी के एक सिनेमा हॉल में बालकनी की टिकट ले ली.
हमारे अलावा उस हॉल में एक और कपल था.
मूवी शुरू हुयी और जैसे ही अंधेरा हुआ, मैंने रीमा को पकड़ कर उसके गालों को किस कर लिया.
वो भी मुझे किस करने लगी और बोली कि आज का दिन मेरे लिए सचमुच बहुत यादगार दिन रहेगा.
हॉल में जो दूसरा कपल था, वो हम दोनों से दूसरे कोने में था.
उन्होंने तो चुदाई करना भी शुरू कर दिया था.
मैंने रीमा से कहा- देखो रीमा लाइव चुदाई.
इतना बोल कर मैंने अपना पैंट खोलकर अपना लंड को आज़ाद कर दिया और रीमा के हाथ में दे दिया.
रीमा मेरे लंड को देख कर आश्चर्य हो गयी और बहुत खुश भी … आखिर उसका बड़े लंड से सील तुड़वाने का सपना जो पूरा होने वाला था.
मैंने उसके मम्मों को भी उसके कपड़ों से आज़ाद कर दिया और एक दूध चूसने लगा.
इससे वो अपना सुध बुध हो बैठी और आँखें बंद कर ली और सिसकारी भरने लगी.
साथ ही उसने मेरे लंड को बहुत मजबूती से जकड़ लिया.
मैं उसको सभी जगह चूमे जा रहा था और वो मदहोश होती जा रही थी.
उस तरफ दूसरे कपल तो चुदाई में मशगूल थे तो उनको कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि हम लोग क्या कर रहे हैं.
हम लोग भी निश्चिंत हो गए थे.
अब मैंने रीमा का सलवार का नाड़ा खोल दिया.
मेरा ऐसा करने पर उसने मेरा लंड छोड़ कर मेरे हाथ को पकड़ लिया और मना करने लगी.
मैंने जबरदस्ती उसकी सलवार को नीचे सरका दिया और पैंटी के अन्दर उसके चूत में उंगली डाल दी.
चूत में उंगली डलवाने के पहले तक तो वो मेरा भरपूर विरोध करती रही पर जैसे ही मेरी उंगली उसकी चूत में घुसी, वो पूरी तरह बदल गयी और उसने अपनी टांगों को फैला दिया.
मैंने उसकी पैंटी को भी घुटने के नीचे सरका दिया जिसका उसने कोई विरोध नहीं किया.
उसकी नंगी चूत मेरे सामने थी.
मैं कुर्सी से उतर कर नीचे जमीन पर बैठ गया और उसकी चूत की फांकों को सहलाते हुए फिर से उंगली को अन्दर डाल दिया.
उसकी चूत बहुत ही ज्यादा गीली हो गयी थी.
मैंने उसकी चूत को किस करते हुए जीभ उसके चूत के अन्दर घुसा दिया.
इससे वो पागल हो गयी और मेरे सर को जोर से पकड़ कर चूत में दबाने लगी.
आखिरकार उसने कहा- राम, प्लीज मेरी चुदाई करो.
बस इतना बोल कर उसने मुझे कुर्सी पर बिठा दिया और मेरे ऊपर आकर बैठ गयी.
मेरे आज़ाद लंड को उसने डायरेक्ट अपनी चूत में भर लिया.
मेरा लंड इतना बड़ा होने के बाद भी एक ही झटके में पूरा लौड़ा चूत के अन्दर घुस गया.
वो आंखें बंद करके निढाल होकर मेरे ऊपर झुक गयी.
मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा हुआ था ताकि वो चिल्ला न सके.
वो झड़ चुकी थी पर मेरा लंड उसकी चूत में ही था.
जैसे ही मैंने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला, उसकी चूत से खून निकलने लगा जो बहता हुआ मेरे लंड से होकर मेरी जांघों में आने लगा.
हम दोनों ने बाथरूम जाकर खून की सफाई की और फिर से चुदाई के लिए हॉल में आ गए.
इस बार मैंने रीमा को नीचे ही लिटा दिया और लंड पेल कर उसे चोदने लगा.
मैंने लगभग बीस मिनट तक उसकी चूत की चुदाई की, फिर लंड बाहर निकाल कर झड़ गया.
उस पूरे शो में वो अपनी चुदाई करवा कर बड़ी खुश थी.
दोस्तो, इस तरह से मैंने रीमा की सील पैक चूत को उसकी प्लानिंग के दिन से एक दिन पहले ही चोद दिया था.
वो भी सिनेमा हॉल में किसी लौंडिया को चोदने का जो सुख मिला था, वो मेरे लिए एक अलग अनुभव के रूप में मिल गया था.
उसके बाद मैंने रीमा के कमरे में दो दिनों तक रह कर उसकी धांय धांय चुदाई कैसे की, ये गोवा सेक्स मैं बाद में लिखूँगा.
आपको यह हॉट गर्लफ्रेंड गोवा सेक्स कहानी कैसी लगी?
मुझे मेल करके जरूर बताएं.
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