हॉट गर्ल ओरल सेक्स कहानी में पढ़ें कि ग्वालियर से दिल्ली की ट्रेन में मुझे एक सेक्सी जवान लड़की मिली। उससे मेरी बात हुई तो आगे कहाँ तक बढ़ी।
दोस्तो, मेरा नाम आदित्य है. मैं दिल्ली का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 27 साल है और मैं प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूं.
मैं आपका ज्यादा समय न लेकर सीधे हॉट गर्ल ओरल सेक्स कहानी पर आता हूं. मैं अपनी जिंदगी का एक असली वाक़या बताने जा रहा हूं.
बात आज से कोई 6 महीने पहले की है। मैं किसी अपने काम से ग्वालियर गया था।
अपना काम दिन में करके मैं फ्री हो गया और फिर होटल आ गया।
मेरी ट्रेन रात को 10 बजे थी तो मैंने होटल से 9 बजे चेक आउट किया और ट्रेन पकड़ने के लिए होटल से टैक्सी लेकर रेलवे स्टेशन के लिए रवाना हो गया।
यही कोई 20-25 मिनट में मैं स्टेशन पहुँच गया और ट्रेन का इंतजार करने लगा।
वहां मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी।
क्या हसीन लड़की थी वो … मानो कोई संगमरमर की मूर्ति!
उसके शरीर की बनावट 34-28-34 थी। उम्र दिखने में यही कोई 27 की होगी क्योंकि वो उस समय मुझसे थोड़ी दूरी पर बैठी हुई थी।
उसने उस वक्त लेगिंग और कुर्ता व उसके ऊपर एक जैकेट पहना हुआ था।
देखने में उस ड्रेस में वो कयामत लग रही थी।
वो अपने भाई के साथ थी। वो उसे वहां छोड़ने आया हुआ था।
थोड़ी देर में ट्रेन आ गई थी, मैं जाकर अपनी सीट पर बैठ गया।
मैं ऊपर वाले से दुआ मांगने लगा कि काश वो लड़की मेरे साथ आकर बैठ जाए।
शायद ऊपर वाले ने मेरी दुआ कबूल कर ली थी. वो लड़की मेरे ही सामने वाली सीट पर आकर बैठ गई।
थोड़ी देर बाद हमारी ट्रेन चल पड़ी।
हमने बैग से कम्बल निकाल लिए थे और अपने पैरों पर डाल लिए थे।
ग्वालियर से आगे निकलने के बाद मैंने उससे बात करने की पहल की।
मैंने उनसे नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम स्मृति बताया।
उनका नाम वैसा ही हसीन था जितनी वो खुद।
मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए उनके बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वो अपने परिवार में सबसे बड़ी है और उनके 2 भाई हैं। उनके पिताजी किसी प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे।
वो अपनी किसी सहेली रिमी की शादी में दिल्ली जा रही थी। उनका दिल्ली में ही किसी कंपनी में इंटरव्यू भी था।
बात करते करते मेरी आँखें स्मृति की आंखों से मिल रही थीं।
उसकी आंखों में देखते हुए पता नहीं कौन सा नशा सा मुझे चढ़ गया और मैं उसकी आँखों में खो गया।
स्मृति ने चुटकी मारते हुए बोला- क्या हुआ … क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- स्मृति जी, आपकी आंखों में एक अजीब सा नशा है।
मैंने स्मृति की आंखों से दोबारा आंखें मिलाते हुए कहा- आपकी आँखें बहुत ही कातिलाना हैं। इनमें अजीब सा नशा भी है।
वो शर्माते हुए बोली- आप कुछ भी बोल रहे हो।
बाहर से ठंडी हवा आ रही थी तो मैंने स्मृति को बोला कि वो खिड़की बंद कर दे।
उसने खिड़की बन्द करने की कोशिश की लेकिन स्मृति से खिड़की बन्द नहीं हुई।
फिर मैंने खड़े होकर खिड़की बन्द की।
बन्द करते हुए मेरी कोहनी स्मृति के बूब्स पर लग गई।
मैंने भी अन्जान बनते हुए हल्के से कोहनी के द्वारा उसके बूब्स को दबा दिया।
स्मृति ने कुछ नहीं बोला।
ऐसा करने से मेरी हिम्मत और बढ़ गई थी।
11 बजे तक उस डब्बे के सारे पैसेंजर सोने लग गए थे और उसकी लाइटें धीरे धीरे बन्द होने लगी थीं।
रात के करीब 11:30 का समय हो रहा होगा और सिर्फ हम दोनों के अलावा सभी यात्री सो गए थे।
अब लाइट भी सिर्फ हमारी सीट वाले केबिन की जली हुई थी।
मैंने स्मृति की तरफ देखा और मेरे साथ आने का लिए इशारा किया।
फिर मैं खड़ा होकर बाथरूम के पास आ गया।
स्मृति भी मेरे बाद आ गई।
स्मृति के आते ही मैंने स्मृति से पूछा कि क्या मैं एक बार उसे हग कर लूं?
वो कुछ नहीं बोली।
मैंने फिर भी स्मृति को एक टाइट सा हग कर लिया। उसके 34 साइज के बूब्स मेरे सीने में ऐसे दबे कि उसकी हल्की सी आह … की आवाज निकल गई।
मैंने समय देखा तो अभी अगला स्टेशन आने में काफी समय था। मैंने स्मृति को बाथरूम के अंदर चलने के लिए हल्के से उसके कान में कहा।
उसने धीरे से कहा- कोई आ जायेगा।
फिर मैंने बोला- सब सो गए हैं और टीटी भी इतनी रात को मुश्किल से आएगा क्योंकि सर्दियों की रात है।
वो बोली- ठीक है, तुम चलो, मैं आती हूँ।
इतना कह कर स्मृति थोड़ी मुझसे दूर हो गई।
अब मैं बाथरूम के अंदर चला गया और मेरे पीछे से स्मृति भी बाथरूम में आ गई।
स्मृति के आते ही मैंने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और उसे अपने गले लगा लिया।
मेरे होंठ स्मृति के होंठों से जा मिले और उनका रसपान करने लगे।
होंठ चूसते चूसते मेरा एक हाथ स्मृति के कुर्ते के अंदर था और बूब्स के ऊपर उनको दबा रहा था।
अब मैं स्मृति के बूब्स को हल्के हल्के दबा रहा था और साथ में उसके बूब्स की निप्पल्स को भी मसल रहा था।
कोई 10 मिनट तक मैंने स्मृति के होंठों का रसपान किया।
फिर हम दोनों बाथरूम से निकल कर बाहर आये और सीधा अपनी सीट पर जा बैठे।
हम एक दूसरे को देखकर हंसने लगे।
अब मैंने अपना कम्बल लिया और स्मृति की सीट पर जाकर खिड़की से सिर लगा कर बैठ गया।
स्मृति अपनी पीठ मेरे सीने से लगा कर मेरे दोनों पैरों के बीच में बैठ गई।
थोड़ी देर बाद स्टेशन आया।
हम थोड़ा ठीक से बैठे और मैंने स्मृति से चाय के लिए पूछा तो उसने हां बोला।
मैंने 2 चाय खिड़की में से ही ले ली और हम दोनों चाय पीने लगे।
मेरा ध्यान तो स्मृति पर ही था।
उसकी वजह से चाय पीने में भी मज़ा नहीं आ रहा था।
2 मिनट बाद ट्रेन चल पड़ी।
मैंने खिड़की बन्द की और फिर दोबारा वैसे ही बैठ गए। मेरे कप में थोड़ी चाय थी तो मैंने चाय की एक घूँट ली और स्मृति के होंठों से अपने होंठ लगा दिए।
मैं उसके होंठों का रस लेने लगा। स्मृति ने अपनी जैकेट निकाल कर मेरी सीट पर रख दी थी।
मेरे हाथ अब स्मृति के बूब्स के ऊपर थे. मैं स्मृति के कुर्ते के अंदर हाथ देकर उसकी निप्पल्स को मसलने लगा।
फिर लैगिंग के अंदर दूसरा हाथ डालकर पैंटी के ऊपर से ही उसकी गर्म चूत पर हाथ फिराने लगा।
धीरे धीरे स्मृति की सांसें गर्म हो रही थीं और थोड़ी तेज भी।
मैंने अब स्मृति के होंठों को अपने होंठों से दबा लिया और उन्हें चूसने लगा।
स्मृति अब बिल्कुल कंट्रोल नहीं कर पा रही थी अपने आप को।
मैंने मोबाइल में समय देखा तो 12:30 होने वाले थे।
अब मैंने स्मृति की लेगिंग और पैन्टी को उतार कर अलग कर दिया। मैंने उसे खिड़की के पास कम्बल ओढ़ा कर बैठा दिया। मैं उसकी चूत पर अपना मुंह रखकर कम्बल ओढ़कर लेट गया।
स्मृति की चूत मेरे मुंह के सामने थी। मैंने अपने होंठों से उसकी चूत के दोनों होंठों को चूमा और एक एक करके उन्हें चूसने लगा। जीभ चूत के अंदर डालकर मैं उसकी चूत को चाटने लगा।
अब वह अपने एक हाथ से मेरे सिर को और एक हाथ से अपने बूब्स को दबा रही थी।
मैंने जीभ से उसकी भग्नासा को छुआ किया तो उसकी हल्की सी आह … की आवाज निकली।
10 मिनट तक चूत को मैं चाटता रहा और फिर एकदम से स्मृति झड़ गई।
मैंने उसका रस जीभ से चाटकर उसकी चूत साफ की और अब मैं स्मृति की जगह बैठ गया।
स्मृति मेरी जगह पर लेट गई।
मैंने अपना लण्ड लोअर में से बाहर निकाला और स्मृति के मुँह में दे दिया।
स्मृति मेरे लंड को बड़े प्यार से चूस रही थी और हल्के हल्के दबा भी रही थी।
वो मेरे लण्ड के टोपे पर कभी अपनी जीभ फिराती तो कभी उसे अपने होंठों में दबाकर अपने मुँह में ले जाती।
कभी मेरे नीचे की गोलियों को अपनी जीभ से चाटकर अपने मुँह में लेती।
ऐसा उसने कोई 2 मिनट तक किया होगा; फिर उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में लिया और लण्ड को चूसने लगी।
स्मृति लण्ड को पूरा अंदर तक ले रही थी और साथ उसे हल्के हल्के मसल भी रही थी।
कोई 10 मिनट बाद मैंने अपना पानी स्मृति के मुंह में ही छोड़ दिया।
स्मृति मेरे लण्ड का पूरा पानी पी गई और उसने लण्ड को चाट कर साफ किया।
फिर पैन्टी पहन कर वापस वो मेरे सीने से पीठ लगा कर लेट गई।
मैंने पीछे से ही स्मृति को अपनी बांहों में लिया और उसे प्यारी सी किस की।
हॉट गर्ल ओरल सेक्स के बाद हम ऐसे बैठे बैठे ही सो गए।
हमारी आंख यही कोई 3:30 पर खुली।
मैंने स्मृति को उठाया और पूछा कि कुछ लोगी तो उसने मना कर दिया।
अब स्मृति ने अपनी लेगिंग पहनी और हम दोनों फिर से पहले जैसे बैठ गए।
हल्की हल्की झपकी लेते हुए हम सफर का मजा लेने लगे।
अब हम पूरी तरह एक दूसरे से खुल गए थे जैसे पता नहीं कब से एक दूसरे को जानते हैं।
हमारी ट्रेन यही कोई 4 बजे के आसपास दिल्ली पहुंची।
हम ट्रेन से उतर कर वेटिंग रूम में आ गये और कम्बल ओढ़ कर वहाँ सीट पर बैठ गए।
स्मृति ने मुझे दिल्ली घुमाने के लिये कहा क्योंकि वो दिल्ली में नई थी।
शादी वाले घर में वो अपनी सहेली रिमी के सिवाय किसी और को जानती भी नहीं थी।
मैंने स्मृति को दिल्ली घुमाने के लिए हां कह दिया था।
हम दोनों ने एक दूसरे का फोन नम्बर लिया।
वो दिल्ली में यही कोई 8-10 दिन रुकने वाली थी। रिमी की शादी में 3-4 दिन लगने थे। उसके बाद इंटरव्यू और दिल्ली भी घूमनी थी उसे।
शाम तक मैं भी ऑफिस से फ्री हो जाता हूँ और फिर इंटरव्यू की टेंशन भी खत्म हो जाएगी।
जिस कंपनी में उसका इंटरव्यू था वो मेरे ऑफिस के पास में ही थी।
मैंने स्मृति को बोला- तुम चाहो तो मेरे साथ अभी मेरे फ्लैट पर चल कर आराम कर लो. उसके बाद शादी वालों के यहाँ चली जाना।
उसने कहा- मेरी सहेली आ गयी होगी क्योंकि उसे भाई ने फ़ोन करके बता दिया होगा कि 4 बजे तक मैं दिल्ली पहुँच जाऊंगी।
इस पर मैंने कहा- ठीक है। बाहर तक तो साथ चलें?
उसने हां कर दिया।
उसने अपनी सखी को कॉल लगाया और पूछा कहां है तो वो बोली कि बाहर इंतजार कर रही है कार में।
हम दोनों स्टेशन से बाहर आये।
वहां स्मृति की सहेली कार लेकर खड़ी हुई थी।
उसने दूर से ही हाथ उठाकर इशारा किया।
मैंने उसे उसकी सखी के पास छोड़ा।
स्मृति ने अपनी सहेली का परिचय करवाया और साथ में मेरा भी।
दिखने में तो वो भी कमाल की लग रही थी।
हमने एक दूसरे को बाय किया और हम हमारी मंजिल की तरफ चल दिए।
सारे रास्ते मैं स्मृति के बारे में ही सोच रहा था क्योंकि मन में सिर्फ स्मृति का ही ख्याल आ रहा था।
उसके गुलाबी होंठ जिनमें शहद भरा हुआ था और उसके टाइट कुर्ते में से उसके बूब्स एकदम ऐसे चमक रहे थे मानो कह रहे हों कि आओ और मेरा सारा रस पी लो।
अब घर पहुँचकर मैंने स्मृति को फ़ोन किया और उससे उसके बारे में पूछा कि वो पहुँची या नहीं।
उसने बताया कि वो अभी मार्किट आ गई थी रिमी के साथ, क्योंकि रिमी को मार्किट से कुछ सामान लेना था।
मैंने ज्यादा बात न करके उसे बोला कि घर पहुंच जाओ तो बता देना और फिर मैंने इतना बोलकर फ़ोन रख दिया।
फिर मैं फ्रेश होने बाथरूम में चला गया.
स्मृति को याद करके मैं अपना लण्ड हिलाने लगा। मैं उसे मेरी कल्पना में ही चोदने लगा।
थोड़ी देर में मेरा सारा पानी नीचे फर्श पर निकल गया।
मैं फिर फ्रेश होकर सीधा अपने कमरे में जाकर लेट गया।
बेड पर लेटकर मैं स्मृति के बारे में सोचने लगा। लेटे लेटे पता नहीं कब आंख लग गई।
मेरी आंख खुली तो देखा शाम के 6 बज गए थे। मैंने फ़ोन उठाकर देखा तो उसमें स्मृति के 2 मिस कॉल थे।
मैंने स्मृति को कॉल लगाया तो उस समय उसने रिसीव नहीं किया। मैंने भी ज्यादा कॉल करना सही नहीं समझा क्योंकि शादी वाला घर था; हो सकता था कि वो बिजी हो।
फिर मैं रात का खाना खाकर बाहर टहल रहा था।
तभी मेरा फोन बजा।
मुझे लगा शायद घर से फ़ोन आया होगा मगर वो कॉल स्मृति का था।
मैंने कॉल उठाकर हैलो बोला तो वहां से भी एक स्वीट सी आवाज आई; उसने कहा- हैलो आदित्य जी!
तो मैंने कहा- मैडम जी, आप तो बड़े बिजी हो गए यहां आकर?
अब मैं स्मृति से रिमी की शादी के बारे में पूछने लगा और इधर उधर की बात करने लगा।
रिमी ने अपनी शादी में मुझे भी इन्विटेशन दिया था स्मृति के जरिये।
हमारे 3 दिन बात करने में ही बीत गए थे और हम एक दूसरे को और भी ज्यादा जानने और समझने लगे थे।
मैं एक गिफ्ट लेकर रिमी की शादी में जा पहुँचा।
मेरी निगाह सिर्फ स्मृति को तलाश रही थी।
फिर मुझे वो स्टेज पर रिमी के पास खड़ी दिखाई दी।
उसने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी। उस साड़ी में वो बहुत ही कयामत लग रही थी।
मैं स्टेज पर गया और रिमी को गिफ़्ट देकर उसकी शादी के लिए उसे विश किया।
स्मृति को देखकर आंखों ही आंखों में उसकी और उसकी साड़ी की तारीफ की।
मैंने फिर स्मृति को थोड़ा साइड में आने के लिये इशारा किया।
अब मैं स्टेज से नीचे आ गया और दो कॉफ़ी लेकर पार्किंग की तरफ चल दिया।
स्मृति भी मेरे पीछे पीछे पार्किंग में आ गई।
मैंने स्मृति को हैलो बोल कर विश किया और कॉफ़ी आफर की।
उसने कॉफ़ी ली और कॉफ़ी की चुस्की ली।
मैंने स्मृति को कहा कि वो इस साड़ी में बहुत ही खूबसूरत लग रही है।
उसने मुझे थैंक-यू कहा।
मैंने उसे एक हग करने के लिए पूछा तो उसने न तो हां की और न ही ना की।
फिर भी मैंने कॉफ़ी साइड में रख कर एक हग कर लिया।
उसने भी कुछ नहीं कहा और एक स्माइल दी।
वो बोली- अब चलना चाहिए, काफी टाइम हो गया है।
मैंने भी कहा- चलो ठीक है, मगर कल का क्या प्रोग्राम है?
उसने बताया कि कल वो किसी होटल में रूम लेकर रहेगी।
मैंने उसे कहा- अगर ऐतराज ना हो तो तुम मेरे फ्लैट पर रुक सकती हो. मैं वहां अकेला ही रहता हूं।
वो बोली- मैं सोचकर बताऊंगी।
फिर हम दोनों वहां से चल दिये।
आपको ये हॉट गर्ल ओरल सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे इस बारे में अपने विचार जरूर बताएं. मुझे आपके ईमेल और मैसेज का इंतजार रहेगा।
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हॉट गर्ल ओरल सेक्स कहानी जारी रहेगी।