गांव की देसी बहू ने मुझसे चूत चुदवायी

हॉट देसी औरत चुदाई कहानी मेरे पड़ोसी की पत्नी के मेरे साथ सेक्स सम्बन्ध की है. वो मुझे चाचा कहती थी. तब भी उसने खुद से पहल करके मेरे साथ सेक्स किया.

हाय दोस्तो कैसे हैं आप सब!
मेरी पिछली कहानी थी
कुंवारी साली की मस्त बुर चुदाई

आज मैं आप सभी के लिए एक नई सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ … एक हॉट देसी औरत चुदाई कहानी!

मेरे घर के बगल में पड़ोसी थे, उनका नाम राजकुमार था. उनके यहां मेरा आना-जाना था.

राजकुमार मेरी उम्र का ही था मगर तब भी वो मुझे चाचा कहता था.
उसकी पत्नी बहुत ही सुंदर थी. उसका नाम रीना था.

राजकुमार और रीना की एक बेटी और एक बेटा था. तब उन दोनों की बेटी शालू 18 साल पार कर चुकी थी.

राजकुमार की पत्नी रीना 39 साल की थी, सुंदर और काफी मस्त आइटम थी.
उसकी चूचियां एकदम कठोर दिखती थीं.

राजकुमार अधिकतर अपने काम से बाहर आता जाता रहता था. उसके घर में उसकी मां और बच्चे ही रहते थे.

फिर अचानक से न जाने क्या हुआ कि रीना मुझसे खूब बातें करने लगी जबकि अब तक वो गांव के परिवेश के चलते मुझसे कम बोलती थी क्योंकि राजकुमार मुझे चाचा कहता था.

मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि रीना मुझसे बात क्यों करने लगी.
उसकी खूबसूरत जवानी देख कर मुझे भी उससे बात करना अच्छा लगा तो मैंने भी उससे बेतकल्लुफी से बात करना शुरू कर दी.

ऐसे ही एक दिन रीना के घर से मुझे बुलावा आया.
मैं जब वहां पहुंचा तो रीना ने कहा- चाचा जी, मेरी तबियत बहुत ही खराब लग रही है … मेरे यहां कोई भी नहीं है. मुझे अस्पताल जाना है. आप मुझे बाइक पर बिठा कर अस्पताल ले चलो.

ये बात उसने अपनी सास के सामने कही थी तो मैंने भी सोचा कि इसे मदद की जरूरत है.

मैंने कहा- चलो.

उसे बाइक पर बैठा कर अस्पताल की ओर चल दिया.

जैसे ही गांव से बाहर निकला, वो मुझसे चिपक कर बैठ गई. मैंने सोचा कि इसकी तबियत खराब है इसलिए गिरने के डर से सहारा लेने के लिए बैठी है.

अस्पताल पहुँचने तक उसने मेरे हर तरह का ड्रामा कर लिया. कभी चूचियां मेरी पीठ से रगड़ीं … तो कभी मेरी गर्दन पर गर्म सांसें छोड़ीं, बस लंड ही नहीं पकड़ा और सब हरकतें कर लीं.

दरअसल वो मुझे उकसा रही थी कि मैं उसके साथ खेलने लगूं.
मुझे भी कोई दिक्कत नहीं थी … मगर ये सब एकदम से हुआ तो कुछ समझ नहीं आया कि मामला क्या है.
ऐसा न हो कि मैं कहीं किसी लफड़े में फंस जाऊं.
इसलिए मैं शांत बना रहा.

इसी प्रकार तीन दिन मैंने उसे अस्पताल ले जाकर उसका इलाज करवाया.

जब तक मैं बाइक पर उसे बिठा कर गांव की सीमा में चलता रहता, तब तक तो वो बड़ी शालीनता से दूर को बैठती, जैसे ही गांव से बाहर निकल आते, वो मुझसे चिपक जाती.
आते समय भी ऐसा ही करती. गांव के बाहर तक चिपकी रहती, जैसे ही गांव के अन्दर आते, एकदम से संभल कर बैठ जाती.

चौथे दिन इसी दौरान अचानक जब वह चिपकी बैठी थी, मुझे अहसास हुआ कि उसकी कठोर चूचियां मेरी पीठ पर धंसी हुई थीं और वो अपने मम्मे मेरे पीठ पर कुछ ज्यादा ही रगड़ रही है.
इसका अहसास होते ही मेरा लंड झटके से मेरे जींस में अंगड़ाई लेने लगा.
उसके प्रति मेरे मन में चुदाई की भावना जन्म लेने लगी.

उसी दिन उसने लौटे समय मुझसे कहा- चाचा चलिए कहीं घूम कर आते हैं. दिन भर घर में बैठे-बैठे बोर हो जाती हूँ.
मैंने कहा- किधर चलें?
उसने कहा- जंगल की तरफ चलिए.

अब तो मेरे मन में भी उसकी चुदाई की इच्छा जोर मारने लगी.

जंगल की तरफ जाकर मैंने बाइक रोक दी और उसे लेकर पैदल ही अन्दर को निकल गया.

थोड़ी दूर चलने के बाद वह थक कर बैठ गई.

मैंने पूछा- क्या हुआ … थक गई क्या?
उसने कहा- हां.

तो मैं भी वहीं बैठ गया.
मैंने एक सिगेरट सुलगा ली.

वो मेरी तरफ देखने लगी.
उसके चेहरे पर एक अजीब सी उदासी सी दिख रही थी.

मैंने धुंआ उड़ाते हुए उससे पूछा- तुझे कोई परेशानी है क्या?
वो- हां … मगर कैसे बताऊं चाचा जी!

मैं- बताओ … ये सब हमारे तुम्हारे बीच ही रहेगा.
तब उसने बताया कि उसका पति उससे दूर ही रहता है. दिन भर ड्यूटी करके आता है और खा पीकर सो जाता है. मेरी कोई चिंता ही नहीं करता.

जब वो ये सब बता रही थी तो उसने अपनी साड़ी का पल्लू सीने से हटा कर अपनी गोद में रख लिया था.
उसकी मदमस्त चूचियों का नजारा मुझे उत्तेजित कर रहा था. उसके गहरे गले के ब्लाउज में से उसकी आधी से ज्यादा चूचियां बाहर को निकलने को बेताब दिख रही थीं.

सिगरेट के छल्ले उड़ाते समय इस तरह का सीन बड़ी उत्तेजना देता है.

मैं भी उसकी चूचियों को देख कर मजा ले रहा था. मैंने झौंक में उससे कह दिया- मतलब कि तुम्हारी चुदाई नहीं हो पाती?

उसने चुदाई शब्द सुनकर अपना सर झुका लिया.

मैंने सिगरेट बुझाते हुए कहा- सब साफ़ बता दो … शर्माओ मत, शायद मैं कुछ मदद कर सकूं.

मेरे इतना कहते ही वह मेरे ऊपर ढह गई और सिसकने लगी.
मैंने उसकी पीठ सहलाते हुए उससे कहा- क्या तुम चुदाई के लिए तड़प रही हो?
कुछ देर बाद उसने धीरे से कहा- हां.

मैं- तुम तो इतनी सुंदर और सेक्सी हो, कोई भी तुम्हारा साथ दे देगा.
वो- पर बदनामी भी तो होगी!

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मैं- होशियार रहोगी तो कुछ भी नहीं होगा.
वो मेरी तरफ देखती हुई बोली- इसी लिए तो पांच दिन से आपके साथ कुछ कुछ कर रही हूँ.

ये कह कर उसने झटके से अपने होंठों को मेरे होंठों से चिपका दिया.
मैंने भी उसे और नज़दीक खींच लिया और उसके होंठों को चूसने लगा.

वह देसी औरत मुझसे लिपट गई.
मैं उसकी चूचियों को मसलने सहलाने लगा.
उसने मेरे जींस के ऊपर से मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया.

तभी मुझे ध्यान आया कि हम खुले में है.
मैं उसे अपने से चिपका कर झाड़ियों में ले गया. उसे जमीन पर लेटा दिया और उसकी साड़ी को ऊपर कर उसकी चुत को नंगी कर दिया.

फिर अपनी जींस खोल कर लंड उसके हाथों में पकड़ा दिया.

लंड पकड़ते ही उसने ऐसे लंबी सांस ली, जैसे उसे उसकी पसंद का खिलौना मिल गया हो.

वो बोली- अब डाल दीजिए चाचा … बहुत दिन से तड़प रही हूं.

मैंने उसकी गर्म चूत पर लंड रख कर उसके होंठों से होंठ जोड़ दिए और एक करारा धक्का दे मारा.
मेरा लंड उसकी टाइट चूत को चीरते हुए अन्दर घुस गया.
वह सिसकारी मारते हुए मुझसे जोर से चिपक गई.

लंड ने उसकी चुत को काफी जोर से रगड़ा था.

क्योंकि वो काफी तड़फ उठी थी. मैंने रुक कर उसे चूमना सहलाना शुरू कर दिया.

फिर मैंने पूछा- कब से नहीं चुदी?
वो- एक साल से ज्यादा हो गया.
मैंने कहा- तभी चुत टाईट हो गई.

वो अपनी कमर हिलाने लगी तो मैंने घोड़ा दौड़ा दिया.
अब वह अपने चूतड़ों को उठा उठा कर चुदवाने लगी.

मुझे भी मज़ा आने लगा. मैंने जोर जोर से उसकी चुदाई करना शुरू कर दिया.

मैंने बिना कुछ बोले बीस मिनट तक उसे रगड़ कर चोदा.

जब झड़ने की बारी आई तो मैंने उससे पूछा- कहां निकालूं!
तो उसने कहा- मेरी चुत को ही ठंडा कर दो … मैं भी आने वाली हूँ.

पांच मिनट बाद ही वह जोर से चिपक गई.
मुझे लगा वह मुझे ही अपनी चुत में घुसा लेगी, तभी मैं भी उसकी चुत में ढेर सारा माल गिराने लगा.

उसने मुझे जकड़े रखा और मेरे वीर्य की हर एक बूंद माल को अपनी चुत से चूस लिया.

कुछ देर के बाद यह अचानक ही मेरे होंठों, गालों, छाती को चूमने लगी.

वो- आज आपने मुझे बहुत सुख दिया है. आज से मैं आपकी हूँ, जब मन करे आप मुझे बिना शर्त कभी भी चोद सकते हैं.
मैं- मगर मेरी एक शर्त है.
उसने हंस कर मेरा लंड पकड़ा और बोली- इससे मेरी हमेशा चुदाई के लिए आप जो भी बोलोगे … मैं राजी हूँ.

मैंने उसे चूमा और उठ कर अपने कपड़े पहनने लगा. उसने भी अपने कपड़े ठीक किए और हम दोनों वापस चल पड़े.

रास्ते में उसने मेरा फोन नम्बर ले लिया.

उस दिन मैं उसके घर पहुंचा कर अपने घर आया ही था कि अचानक दस मिनट बाद राजकुमार की मौसी के मरने की खबर आ गई.

आधा घंटे में ही उसकी सास, उसके पति और लड़का रिश्तेदारी में चले गए.

उसने सभी के जाते ही मेरे पास फोन कर दिया.

मैंने पूछा- क्या हुआ!
उसने कहा कि शाम को आप घर आना.
मैंने कहा- ठीक है.

शाम को मैं उसके घर पहुंचा, तो उसने बड़े प्यार से चाय पकौड़ी खिलाई.

उसके बाद उसने कहा- चाचा आज घर में कोई नहीं है. आज आप यहीं रुक जाइए.
मैंने कहा- ठीक है. रात को आ जाऊंगा.

फिर मैं अपने घर चला आया.
मैंने घर में सभी को बताया कि मैं बाहर जा रहा हूँ. लौटने में देरी हो जाएगी तो आ नहीं पाऊंगा. मेरा इंतजार मत करना.

ये कह कर मैं बाजार निकल गया और घूमता रहा. दारू की दुकान से एक हाफ लिया और रात 9 बजे मैं फोन करके उसके घर पहुंच गया.

उसने मेरा फोन सुनकर दरवाजा खोल रखा था.
मैंने इधर उधर देखा और सीधा घर में घुस गया.

उसने मुझे अन्दर ले कर दरवाजा बंद कर दिया.

जैसे ही मैं कमरे में गया तो देखा कि उसकी बेटी सोई हुई थी.
उसकी मस्त चूचियां बिना दुपट्टे की तनी हुई थीं. उसकी कुर्ती पेट के ऊपर होने के कारण थोड़ा नंगा पेट भी दिख रहा था. स्कर्ट उठा होने के कारण कच्छी में उसकी छोटी बुर भी दिख गई.

तभी मेरे मन में उसे भी चोदने का ख्याल आ गया. मैंने तय कर लिया कि इसे भी जरूर चोदूंगा.

मैं आंगन में बैठ गया.
तभी वह पानी और नमकीन ले आई. मैंने पैग बनाया और गला तर किया.
दूसरा पैग बनाया ही था कि उसने उठा लिया और खुद गटक गई.

मैंने हंस कर उसे देखा, तो वो मेरी गोद में बैठ गई और तीसरा पैग हम दोनों ने धीरे धीरे पिया.

फिर मैंने सिगरेट सुलगाई तो मेरे साथ उसने भी कश खींचे.
कुछ ही देर में हाफ खत्म हो गया था और हम दोनों मस्त हो गए थे.

अब मैंने उसे पलटा कर अपने सीने से लगा लिया. उसके होंठों पर होंठों को चिपका लिया और चूसने लगा.

उसने भी मुझे अपने बांहों में भर लिया और मेरे लंड को सहलाने लगी.

मैंने उसके बदन से साड़ी अलग कर दिया, बदले में उसने मेरे कमीज को उतार दिया.
अब वह ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने मस्त लग रही थी.

मैंने उसे उठाया और कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया, उसकी चूचियों को मसलने लगा.
फिर धीरे से उसके ब्लाउज के बटन को खोल कर उसे अलग कर दिया.

उसकी चूचिया नंगी थीं और वो मुझे चूचे मसलने का और पीने का आमंत्रण दे रही थी.
मैं एक हाथ से उसकी मस्त चूची को सहलाने लगा और दूसरे चूची को मुँह लगा कर पीने लगा.

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वह मेरी पीठ को सहला रही थी.

दस मिनट तक उसकी चूचियों को सहलाने पीने के बाद मैंने उसके पेटीकोट को खोल कर उसके बदन से अलग कर दिया. उसकी भट्टी जैसी तप रही चूत पर अपना हाथ रख दिया.

उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. मैं अपना मुँह उसकी चूत पर रख कर चाटने लगा, दो मिनट बाद ही वह सिसकारी भरने लगी.

तभी वह उठी और मेरे बाक़ी बचे कपड़े उतारने लगी.
वह इतनी नशे में इतनी अधिक चुदासी हो गई थी कि यह भी भूल गई कि उसी बिस्तर पर उसकी कच्ची कली बेटी भी सोई है.

वह मेरे साथ सेक्स का मज़ा ले रही थी.
उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और लंड आगे पीछे करते हुए चूसने लगी.

कुछ देर बाद मैंने उसे सीधा करके लिटा दिया. अब मैं उसके बदन को सहलाते हुए चूत तक जाता और उसकी बुर में एक उंगली घुसेड़ देता.
ऐसा ही कई बार किया.

अब वह चोदने की मिन्नतें करने लगी- आह अब चोद भी दो यार … मेरी बुर को फाड़ दो … ठंडा करो मेरी बुर को आग लगी है चूत में!
वह अपनी आंखें बंद किए नशे में बड़बड़ा रही थी.

जब मैं लाइट बंद करने के लिए उठने लगा तो उसने पकड़ लिया.

मैं- लाइट तो बंद करने दो.
वो- रहने दो.

मैं कहा- बेटी सो रही है तुम्हारी.
वो- सोने दो … वह नहीं उठेगी.

फिर भी मैं उठा और लाइट बंद कर उसके ऊपर चढ़ गया.
मैं चाहता था कि आज ही उसकी बेटी को भी छू ही लूं.

मैंने अपना लंड उसकी चूत की फाकों में फंसा कर जोर से पेल दिया.
वह चीख पड़ी ‘आह मर गई …’

मैं धकापेल चोदने लगा. जैसे-जैसे लंड का दबाव चूत पर बढ़ता गया, उसकी मस्ती बढ़ती गई.
उसने जरा भी परवाह नहीं की कि बगल में बेटी सोई है.

जब वह मस्त हो गई तो अंधेरे में मैंने उसकी बेटी की तरफ हाथ बढ़ा दिया. उसकी बेटी की चूचियों पर हाथ रख कर सहलाने लगा.

उसकी चूत को चोदते हुए उसकी बेटी शालू की चूचियां मसलने लगा.

मेरा मकसद था कि उसकी बेटी जाग जाए और चुदाई के मज़े को समझे, जिससे उसे चोदने में और आसानी हो जाए.

मैंने पड़ोसन रीना को चोदते हुए शालू की शर्ट के अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी नंगी चूचियों को मसलने लगा.

शायद शालू पहले से ही जाग रही थी. उसने थोड़ी सी भी नानुकर भी नहीं की.
ये समझ कर मैंने अपना हाथ चूचियों से निकाल कर धीरे से नीचे ले गया और उसकी छोटी बुर को सहलाने लगा.
उसकी बुर गीली थी तो मैं समझ गया कि शालू चुदाई देख कर गर्म हुई पड़ी है.

इधर रीना मेरे लंड से चुत चुदवाने में मस्त थी. वो आह उह की आवाज निकाल रही थी.

मैंने रीना से पूछा- लंड कैसा लग रहा है जानू!
रीना- बहुत ही मस्त लग रहा है … तुम्हारा लंड सच्ची में मज़े दे रहा रहा है.

मैंने जोर से धक्का मारते हुए चुत की जड़ तक लंड पेला और कहा- ले मादरचोद चुदवा ले.
उसने भी उसी धुन में बोला- चोद बहन चोद … और जोर से चोद.

फिर मैंने कहा- ले तेरी बेटी को चोदूं साली रांड …. मेरा लंड बुर में पूरा घुसेड़ ले.
वो- डाल मादरचोद मेरी बेटी को भी चोद दे … मगर पहले मेरी चूत फाड़ दे हरामी.

अब तो रीना ने भी अपनी बेटी चोदने की बात कह दी थी.

इसी प्रकार उसे चुदाई की मस्ती में डुबो कर अपनी एक उंगली उसकी बेटी की छोटी सी बुर में घुसेड़ दी.
उसकी बेटी शालू ने भी दबे होंठों से सिसकारी मारी.
वह भी अपनी मां की चुदाई देखते देखते चुदासी हो गई थी.

अब मैं अपने लंड से रीना को गपागप चोद रहा था और उंगली से उसकी बेटी शालू को रगड़ रहा था. धक्कापेल चुदाई चुदाई चल रही थी.

मैंने चुदाई रोक कर रीना को अपने ऊपर किया. उसकी चूत में लंड सैट कर उसके चूत में हुमच कर पेल दिया.

रीना- आह मर गई राजा … आह पेलो जोर से.
मैंने कहा- नहीं … अब तुम चोदो.
ओके कहती हुई अब वह मेरे लंड को चोद रही थी.

मैं उसकी चूत को लंड से चोदते हुए उसकी बेटी की कुंवारी बुर को तैयार करने में लगा था.
मैं शालू की बुर में दो उंगली डाल कर उसे चोदने लगा.

करीब दस मिनट के बाद शालू झड़ गई. मेरा पूरा हाथ उसकी कुंवारी बुर की मलाई से भीग गया.
मैं समझ गया शालू भी लंड लेने को तैयार हो गई है.

अब मैं रीना को चोदने में लग गया. पूरा पलंग हिल रहा था. छपछप की आवाज़ के साथ बुर में लंड अन्दर बाहर हो रहा था.

काफी देर के बाद बाद रीना मुझसे चिपक गई, उसकी बुर के रस से पूरा लंड भीग गया.
मैंने भी जोर का धक्का मारते हुए उसकी बुर को लंड के रस से भर दिया. वह मुझसे चिपकी हुई थी.

बांहों में उसे भरे हुए मैं उसकी बेटी की तरफ लुढ़क गया. रीना मुझसे चिपक गई और थोड़ी ही देर में सो गई.

रीना की बेटी की चुदाई की कहानी को पूरे विस्तार से अगली बार लिखूंगा.
आपको हॉट देसी औरत चुदाई कहानी कैसी लगी … बताने के लिए मुझे मेरी मेल पर अपनी राय जरूर भेजिएगा.
[email protected]
धन्यवाद