एग्जामिनेशन हाल में मिली भाभी की चुदाई होटल में

हॉट भाभी की चुदाई मैंने की लखनऊ के होटल में! मैं एग्जाम देने गया था, वहीं उससे दोस्ती हुई और बात चुदाई तक पहुँच गयी. हमने एक रात साथ बिताई.

दोस्तो कैसे हो आप सब!
मेरा नाम देव है और मेरी उम्र 27 साल है. मेरे लंड की साईज 6 इंच है और ये 3 इंच मोटा है.

मैं उत्तर प्रदेश गोरखपुर का रहते वाला हूं और अन्तवार्सना का सन 2010 से नियमित पाठक हूं.
चूंकि मुझे सेक्स कहानियां पढ़ना बहुत पसंद हैं तो मैंने भी सोचा कि मैं अपनी भी सेक्स कहानी आप लोगों को सुनाऊं.

यह हॉट भाभी की चुदाई कहानी तीन साल पहले की है.
मैं नौकरी की तलाश में था और एक जॉब का एग्जाम देने जा रहा था.
उसके लिए मुझे लखनऊ स्थित एक सेंटर में जाना था.

मैंने सुबह चार बजे की ट्रेन पकड़ी और एग्जाम के लिए निकल गया.
पेपर दूसरी पाली में 2:00 बजे से था.

मैं दस बजे ही सेंटर पर पहुंच गया था.
उधर पहुंचा तो जानकारी हुई कि अभी पहली पाली वालों का एग्जाम चल रहा है.

मैं कालेज के पार्क में ही बैठ कर पढ़ाई करने लगा.

करीब 12:00 बजे के आसपास एक मोहतरमा आईं.
मैंने उन्हें देखा तो मेरी आंखों में चमक आ गई.
मैं उन्हें देखता ही रह गया. वो नीले रंग की साड़ी में क्या मस्त माल लग रही थीं.

वो एक तरफ बैठ गईं.

अब मेरी नजर बार बार उन्हीं पर जा रही थी और उन्होंने शायद मेरी चोरी पकड़ ली थी.

उनकी उम्र लगभग 29-30 के आस-पास की रही होगी. उनके जिस्म का कटाव 30-28-32 का था.

पार्क में और भी लोग आ गए थे.
मैं सर झुका कर अपनी किताब पढ़ रहा था.

तभी मैंने देखा कि मेरे पास कोई आ कर खड़ा हो गया है.
मैंने सर उठाया तो देखा कि मेरे सामने वो मोहतरमा ही खड़ी हैं.

पहले तो मैं एकदम से डर गया कि कहीं मुझे उनकी डांट तो नहीं पड़ने वाली है.

वो बोलीं- हैलो, आपका भी एग्जाम है क्या?
मैं- जी हां भाभी जी.

वो मुस्कराईं और मेरे बगल में ही बैठ गईं.
भाभी बोलीं- आप कहां से हो?
मैं- जी गोरखपुर से.
भाभी- ओके.

मैं- आप कहां से हो भाभी जी?
भाभी- कानपुर से.
मैंने भी हल्की सी स्माइल देकर ओके कहा.

भाभी- आप क्या पढ़ रहे हो?
मैं- करेंट अफेयर.

भाभी- अफेयर … किसका अफेयर पढ़ रहे हो.
इतना कह कर भाभी हंसने लगीं और मैं भी हंसने लगा.

मैं- क्या आप कानपुर से अकेली आई हैं?
भाभी- हां, क्यों?

मैं- नहीं, बस ऐसे ही पूछ रहा हूं.
वो कुछ नहीं बोलीं.

मैं- आपके पति जी?
भाभी- वो अपनी जॉब पर गए हैं, उनको छुट्टी नहीं मिली.

मैं- आपके पति कहां जॉब करते हैं?
भाभी- दिल्ली में.

इस तरह से मेरी भाभी जी से काफी बातें हुईं.
फिर एग्जाम का टाईम हो गया और हम दोनों एग्जाम देने अन्दर चले गए.

पेपर देते समय मुझे भाभी जी का ही ख्याल आ रहा था.

जब पेपर खत्म हुआ तो मैं जल्दी से रूम से बाहर सा गया ताकि भाभी से दुबारा मिल सकूं.

काफी समय इन्तज़ार करने पर भी भाभी दिखाई नहीं दे रही थीं.
अब मैं निराश हो गया और अब बाहर जाने लगा था.

तभी न जाने क्यों मुझे कुछ आभास हुआ तो मैं पीछे को मुड़ा, मैंने देखा कि भाभी जी आ रही थीं.
उन्हें देख कर मैं रुक गया.

तभी भाभी जी मेरे पास आईं और कहने लगीं- अरे क्या आपका पेपर जल्दी हो गया था?
मैंने कहा- हां दस मिनट जल्दी हो गया था.

भाभी- तो अभी आप गए नहीं, सभी लोग तो चले गए?
मैं- नहीं, मैं आपका इन्तज़ार कर रहा था.
भाभी- ओह …

मैं- आपका पेपर कैसा हुआ?
भाभी- यार, ठीक नहीं हुआ.

मैं- क्यों, तैयारी नहीं हुई थी क्या?
भाभी- नहीं वो बात नहीं है. जो पढ़ा था वो आया ही नहीं.

मैंने कुछ नहीं कहा.

भाभी- यार, मुझे तो बड़ी भूख लगी है.

भाभी बार बार यार कह कर बात कर रही थीं तो मुझे अन्दर ही अन्दर बड़ी गुदगुदी सी हो रही थी.

मैं- हां मुझे भी भूख लगी है भाभी जी.
भाभी- हां चलिए, कुछ खाते हैं.
मैं- हां चलिए.

हम दोनों एक रेस्टोरेंट में गए.

मैंने भाभी से पूछा- आप क्या खाओगी भाभी जी?
भाभी जी बोलीं- आपको जो पसंद है, मंगवा लीजिए. मैं भी वही खा लूंगी.

मैंने ओके कहा और वेटर को अपनी तरफ बुलाकर उसे खाने का आर्डर दे दिया.
वो सर हिलाता हुआ चला गया.

भाभी- एक बात पूछूं?
मैं- क्यों नहीं, पूछिए.

भाभी- क्या आप अभी सिंगल हो?
मैं- हां, क्यों क्या हुआ?

भाभी ने हल्की स्माइल देते हुए कहा- क्यों कोई जीएफ नहीं है क्या?
मैं- नहीं भाभी जी.

भाभी- ये तो हो ही नहीं सकता. आप देखने में तो ठीक ठाक हो, फिर भी कोई जीएफ नहीं है.
मैं- मेरी तारीफ़ के लिए धन्यवाद भाभी जी … मगर क्या करूं, पढ़ाई से फुर्सत ही नहीं मिलती.

वो मेरी ओर मुस्कुरा कर देखने लगीं और उसके बाद संजीदा हो गईं- हां ये तो है, पहले सैटल होना जरूरी है, फिर तो एक से बढ़ कर एक मंडराने लगेंगी.
मैं हंस दिया.

फिर हम दोनों ने इसी तरह की हल्की फुल्की बातचीत के साथ खाना खाया.

खाने के बाद भाभी जी बोलीं- चलिए कहीं बैठते हैं, फिर चलने की देखेंगे. आपकी ट्रेन कितने बजे की है.
मैंने कहा- मुझे जाने की जल्दी नहीं है, आराम से दिन बिता कर शाम तक जाने की सोचूँगा. अभी कुछ पक्का नहीं है.
वो हम्म कह कर मेरी ओर देखने लगीं.

मैं- आपकी ट्रेन कब है?
भाभी- अरे लखनऊ कानपुर में तो तमाम साधन हैं. मैं 7 बजे शाम तक निकलूंगी.
मैंने कहा- हां मैं भी 8:30 तक जाने की सोच रहा हूँ.
भाभी- ओके.

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अब मैंने भाभी की तरफ देखा और पूछा- तब तक आप क्या करोगी?
भाभी- कुछ नहीं फालतू हूँ, चलो यार कहीं बैठते हैं.

मैं- ओके.

फिर हम लोग एक पार्क में आ गए.
उधर बैठ कर बातें करने लगे.
बातें करते करते हम दोनों काफी खुल गए और हमारे बीच पूरी तरह से खुल कर बातें होने लगीं.

मैं- भाभी जी एक बात पूछूं?
भाभी- हां क्यों नहीं, पूछिए.

मैं- आपका अपने पति के बिना कैसे दिल लग जाता है. मेरा मतलब आप अकेली कैसे रह लेती हो?
भाभी- क्या करें यार, अब उनका जॉब ही ऐसा है. वो 2-3 महीने में एक बार आ पाते हैं.

मैं- अरे … दो तीन महीने तो बहुत ज्यादा समय होता है भाभी जी.
भाभी- हां, तुम अपनी बताओ, तुम अकेले कैसे रह लेते हो. अब तो तुम भी जवान हो गए हो. वैसे कभी सेक्स किया है?
मैं- हां … कई बार.

भाभी- पर आप तो कह रहे थे कि आपकी कोई जीएफ ही नहीं है, तो किसके साथ सेक्स किया है?
मैं- एक पड़ोस में भाभी जी हैं, उनके साथ मेरी अच्छी बनती थी. उन्हीं की कृपा से मेरे बाबू को चैन मिल जाता था.

ये कह कर मैंने भाभी जी को आंख मार दी और हंसने लगा.

भाभी- अच्छा, क्या उनके साथ आप अभी भी करते हो?
मैं- हां, पर अब कभी कभी ही मौका मिलता है.

भाभी- क्यों?
मैं- पड़ोस वाली भाभी की ज्वाइंट फैमिली है, इसलिए भाभी को कभी कभी ही समय मिल पाता है. फिर एक ही तरह का फल खाते खाते शायद भाभी जी का मन भी उकता गया होगा.

भाभी हंसने लगीं और बोलीं- उनका मन उकता गया होगा, या आपका मन भर गया?
मैं हंसने लगा.

ये सब बातें करते करते मेरा लंड खड़ा हो गया था.

तभी भाभी की नजर मेरी फूली हुई पैंट पर पड़ गई और वो मुस्कराने लगीं.

भाभी- क्या हुआ, क्या आपका बाबू कुछ कह रहा है?
मैंने अपने लंड पर हाथ फेरा और भाभी की तरफ वासना से देख कर कहा- आप खुद पूछ लीजिए न भाभी जी!

भाभी जी मेरे हाथ को लंड पर फिरते देखा और बोलीं- अच्छा जी, मैं देख तो लूं, पर यहां खुले में कैसे?

मैं- अरे इसमें क्या दिक्कत है आपका मन हो तो एकांत भी मिल जाएगा. बताइए आपका क्या विचार है?
भाभी चुप रहीं.

मैं- अगर आप चाहें, तो हम दोनों का काम बन सकता है … और अभी ट्रेन में भी काफी टाईम है.

भाभी मुस्करा दीं और सर हिला कर सहमति दे दी.

मैंने फोन में होटल ढूँढा और एक कमरा बुक करके उधर से चल दिए.

होटल नजदीक ही था.
हम दोनों उस होटल में आ गए.

वहां पर मैंने अपने रूम की बुकिंग दिखाई और चाभी हासिल कर ली.
ये एक डबलबेड वाला एसी कमरा था.

हम दोनों अन्दर आ गए और वहां पर बैठकर बातें करने लगे.
तभी भाभी ने कहा- क्या आज हम दोनों पूरी रात यहीं रुक सकते हैं?
मैंने कहा- मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है. अगर आपको प्रॉब्लम नहीं हो, तो मेरी हां है.

भाभी ने कहा- मैं भी रुक सकती हूं.
मैंने भी ओके कर दिया.

भाभी ने कहा- अब रुक ही गए हैं, तो क्यों ना हम दोनों कहीं घूम कर आएं. फिर जो भी एन्जॉय करना होगा, वो सब रात में हम करेंगे.
मैंने कहा- ठीक है भाभी जी, पर कुछ देर आराम कर लेते हैं, फिर चलेंगे.

भाभी जी ने हामी भर दी.
मैंने कपड़े उतारे और बाथरूम में चला गया.

मेरे बाद भाभी जी भी फ्रेश होकर आईं और हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में भर कर प्यार की बोहनी की.

कुछ देर बाद हम दोनों बाहर जाने के लिए तैयार हो गए और रूम को लॉक करके अंबेडकर पार्क चले गए.
वहां पर घूमते घूमते अंधेरा हो गया था.

हम लोग रास्ते में आइसक्रीम खाते हुए होटल चले आए.
होटल के पास में एक होटल में खाना खाया, फिर अपने रूम में आ गए.

कमरे में जाते हैं मैंने कमरा बंद कर दिया और मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया.
भाभी सिहर गईं.
मैंने भाभी को कस कर पकड़ लिया.

मेरा लंड भाभी की गांड पर लगते ही लंड फटने लगा.

भाभी की भी मादक आहें निकलने लगीं- अह अह आहह!
मैंने भाभी की चूची पर हाथ लगाया तो मुझे लगा कि भाभी जी ने अपनी ब्रा में कुछ रखा है.
इतनी टाइट चूची मैंने कभी नहीं छुई थीं.

मैंने भाभी से पूछा- क्या कुछ पेड वगैरह लगाया हुआ है? बड़ी सख्त लग रही हैं?
भाभी ने हंस कर कहा- नहीं जी, मेरी नेचुरल हैं और ज्यादा यूज नहीं हुई हैं, इसलिए इतनी ज्यादा टाइट हैं.
मैंने कहा- अरे वाह … तब तो कम चली हुई हैं?
वो हंस दीं.

फिर मैंने भाभी को अपनी ओर घुमाया और उनके होंठों को अपने होंठों से कैद करके चूसने चूमने लगा.
भाभी भी मेरा साथ देने लगीं.
हम दोनों एक दूसरे में खो गए.

कुछ देर बाद मैंने ब्रा पैंटी छोड़ कर भाभी के सारे कपड़े एक-एक करके उतार दिए और अपने भी उतार दिए.

भाभी की ब्रा जालीदार थी. उसमें से उनके तने हुए मम्मे देख कर मेरा लंड और भी उफान मारने लगा.
मैंने भाभी को बेड पर लेटा दिया और उनकी चूत को हाथ से छूने लगा.

भाभी कामुक आवाजें निकालने लगीं.
भाभी की चूत एकदम चिकनी थी.

मैंने भाभी की चूत पर अपनी जीभ लगा दी.
भाभी अपनी चूत पर मेरा मुँह पाते ही सिहर उठीं और एकदम से उठ कर बैठ गईं.
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी जी?

भाभी ने कहा- यार ऐसा मैंने कभी नहीं किया.
मैंने कहा- रुको भाभी अभी आपको बहुत कुछ ऐसा मिलेगा, जो आपको पहली बार मिलेगा.

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ये कह कर मैंने भाभी जी को धक्का दे दिया और वो फिर से लेट गईं.
अब मैंने भाभी की चूत पर अपना जुबान को काम पर लगा दिया और भाभी की चूत के फांकों को खोलकर अपनी जुबान उनके चूत के अन्दर डाल कर चाटने लगा.

भाभी मचलने लगीं और अपने हाथ पैर चलाने लगीं.
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी, आपके पति ऐसा नहीं करते हैं क्या?

भाभी ने वासना भरी आवाज में धीमे से कहा- नहीं यार … उसने ऐसा कभी नहीं किया.
मैंने पूछा- क्यों?

तो भाभी बोलीं- वह चूतिया किस्म का है. साले को जल्दी जल्दी रहती है. कपड़े उतारे और लंड पेल दिया. पुल्ल पुल्ल करके चोदा और माल निकाला कर हट जाता है. चुदाई के बाद अपनी गांड औंधी करके सो जाता है.

मैंने कहा- आप टेंशन मत लीजिए भाभी, मैं आज आपको पूरा सुख दूंगा.

मैं फिर से भाभी की चूत चाटने में लग गया.
अभी भाभी भी मेरा सर अपनी चूत पर दबा कर चूत चुसाई का मजा लेने लगी थीं.

वाह … क्या नमकीन स्वाद था भाभी की चूत का …
मैं- भाभी यार सच में क्या मस्त चूत है आपकी.

भाभी चूत पसारे लेटी रहीं और कामुक आवाजें निकालती रहीं.

मैंने भाभी से पूछा- क्या आपने कभी लंड चूसा है?
भाभी ने एकदम से कहा- नहीं कभी नहीं.
मैंने कहा- चूसना पसंद करोगी?
तो भाभी ने कहा- नहीं.

मेरे काफी कहने करने पर भाभी जी लंड चूसने के लिए मान गईं और हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
फिर भाभी मेरा लंड और मैं भाभी की चूत चाटने लगा.

मेरा लंड भाभी के होंठों से लगते ही मुझे जन्नत की हूर की अनुभूति हुई.
मैंने अपना लंड भाभी के मुँह में फंसा दिया और हल्के हल्के से कमर चलाने लगा.
भाभी जी मेरे लंड को अब और मजे से चूसने लगीं.

फिर भाभी बोलीं- यार, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है. अब आ जाओ और मुझे चोद दो!
मैं अभी भाभी को और गर्म करना चाहता था इसलिए मैं उनकी चूत में उंगली और जुबान दोनों डालने लगा था.

भाभी तड़पने लगीं और मुझे चुदाई के लिए कहने लगीं.

मैं उठ गया और भाभी जी को सीधा लेटा कर उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया.
फिर मैं उनकी टांगों को फैला कर चूत के सामने लंड पकड़ कर सैट हुआ और उनकी चूत में लंड का सुपारा रगड़ने लगा.

भाभी की आह आंह निकलने लगी.

मैं लंड रगड़ता हुआ उनके मम्मों को दबाने लगा.
भाभी बोलीं- इनको मुँह में लेकर चूसो.

मैं भाभी की एक चूची को मसलने लगा और दूसरी को मुँह में लेकर चूसने लगा.

भाभी की चूत पर लंड घस्सा मार रहा था और चूची चूसे जा रहा था.
इससे उनकी कामुक आवाजें निललने लगीं और गांड उठने लगी.

भाभी बोलीं- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, जल्दी से मुझे चोद दो.

मैंने भी अपना लंड भाभी की चूत की फांकों में लंड का सुपारा फंसाया और पेलने को हुआ.

तभी भाभी बोलीं- थोड़ा आराम से डालना … तुम्हारा लंड बहुत तगड़ा है.
मैंने बोला- ओके भाभी जी.

मैंने धीरे से अपना लंड भाभी की चूत में पुश किया.
मेरा सुपारा भाभी की कसी हुई चूत में फंस गया.

उतने में ही भाभी के मुँह से एक तेज ‘अह मर गई … धीरे राजा …’ की आवाज निकल पड़ी.
उसी समय मैंने एक तेज शॉट दे मारा.

मेरा पूरा लंड भाभी की चूत में समा गया और भाभी के मुँह से चीख निकल गई- अह मादरचोद फाड़ दी साले … धीरे करने को कहा था न … अअह मेरी फट गई … अह … आह.
मैं लंड पेल कर रुक गया और भाभी के शांत होने का इंतजार करने लगा.

कुछ पल बाद भाभी कराहती हुई बोलीं- आराम से करो मेरे राजा, आज पूरी रात तुम्हारी ही हो, मैं कहीं नहीं जाने वाली … अह … बड़ा मोटा है तुम्हारा यार.

अब मैं भी पूरी मस्ती से भाभी को चोदने लगा.
भाभी की चूत सच में बहुत टाइट थी.

मुझे भी हॉट भाभी की चुदाई में बहुत मजा आ रहा था.

भाभी भी मजे ले ले कर चूत चुदवा रही थीं.
फिर भाभी बोलीं- पड़ोसन भाभी से ज्यादा मजा आया मेरे बाबू को या नहीं?
मैंने कहा- अरे मेरी जान … वो तो नेशनल हाईवे बन गई हैं. आप तो अभी नई नई हैं. आपकी चूत का उनके भोसड़े से क्या मुकाबला.

भाभी हंस दीं और गांड उठा कर लंड का मजा लेने लगीं.
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

करीब दस मिनट चुदाई चलने के बाद मैंने पोजीशन बदल दी और भाभी को उल्टा लेटा दिया.
अब मैंने भाभी चूत के नीचे तकिया लगाया और लंड फिर से चूत में डाल दी.

दोस्तो, यह मेरा फेवरेट आसन है. पीछे से और 10 मिनट चोदने के बाद मैं झड़ने वाला था.
इस बीच भाभी दो बार झड़ चुकी थीं और उनकी चूत में अब जलन होने लगी थी.

मैंने भाभी से पूछा- भाभी मैं अपना माल कहां निकालूं?
भाभी बोलीं- मेरी चूत में ही निकाल दो … मेरी चूत काफी दिनों से प्यासी है.

मैंने भी दो तीन तगड़े झटके मारे और भाभी की चूत में अपना सारा माल डाल दिया.

भाभी ‘अअह आह …’ की आवाज निकालती हुई झड़ गईं और उन्होंने लंबी सांस भर कर सारा वीर्य अपनी चूत में खींच लिया.
मैं भी थका कर उनकी पीठ पर ही लेट गया और ऐसे ही पड़ा रहा.

तो दोस्तो मेरी यह हॉट भाभी की चुदाई कहानी आपको कैसी लगी, आप लोग जरूर बताइएगा.
कोई गलती हुई हो तो वह भी कमेंट में लिख दीजिएगा ताकि मैं अगली कहानी में सुधार कर सकूं.
धन्यवाद
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