साले की दुल्हन की सुहागरात मनी मेरे साथ

हॉट बेब सेक्स कहानी मेरे साले की नवविवाहिता पत्नी की बुर चुदाई की है. उसकी सुहागरात नहीं हुई थी और मेरी पत्नी की डेलिवरी के लिए वो मेरे घर आ गयी.

दोस्तो,
अक्सर रिश्तेदारी में कई ऐसी बातें या घटनाएं हो जाती हैं जो या तो शर्मिंदगी बनती है या फिर कोई नया सुखद अहसास।
तो दोस्तो, मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ जब अपने साले की शादी होने के बाद सुहागरात बनाने का मौका मिला।

मैं अपने बारे में बता देना चाहता हूं, मेरा नाम बबलू है। मैं फरीदाबाद शहर में रहता हूँ और अब तक कई सुखद अनुभव कहानियों के माध्यम से बता चुका हूं।
मेरी पिछली कहानी थी: अनजान कुंवारी लड़की संग सुहाना सफ़र

मध्यम और प्रतिभाशाली शरीर, चेहरा साफ और उम्र 28 साल।
अक्सर मेरे सुख की तलाश पूरी होती है तकरीबन हर सप्ताह में 2 बार, अपने अच्छे दोस्तों से या फिर यूं कहें अपनी जानेमन गर्लफ्रैंडों से!

तो अब मैं अपने उस अनुभव को, हॉट बेब सेक्स कहानी को आप सभी दोस्तों के साथ बांटने जा रहा हूँ।

मेरी शादी को हुए 3 साल हुए हैं। मेरी पत्नी शालू एक सुंदर शरीर की मालकिन है; उसका हर अंग एक से बढ़कर एक गजब ढहाता है।

पहले 2 साल तक तो मुझे उसके अलावा फुरसत ही नहीं मिलती थी।
दिन रात बस हम चुदाई ही किया करते थे और वो भी नए नए तरीकों से।

जब तीसरे साल शालू प्रेग्नेंट हुई तो मन में पिता बनने की खुशी भी हुई और एक दुख भी हुआ कि अब अगले डेढ़ दो साल चुदाई का मौका शायद ही मिलेगा।

खैर दिन निकलते गए और मेरे साले की शादी की बात चली जो सर्दियों में होने थी.
और उस समय ही शालू की डिलीवरी भी होनी थी।

शालू का चलना फिरना असम्भव ही था।
तो अब शादी की सभी रसमें मुझे ही निभानी थी।

सबसे पहले मुझे अपने साले के लिए लड़की देखने जाना था।
हम सभी अम्बाला में लड़की देखने पहुंचे।

लड़की के घर पहुंच कर नाश्ता वगैरह लेने के बाद लड़की भी सामने आ गई।

उस लड़की का नाम नवीषा था।
दूध से गोरा रंग, सुंदर और खूबसूरत चेहरा, नशीली आंखें, भर हुआ शरीर, गोल चुचे!
इन्हें देखकर मैं पागल हो गया था।
मुझे लगा जैसे मेरे लिए ही लड़की देखी जा रही हो।

खैर सभी ने उस लड़की को पसंद किया।
मैंने अपने साले अशोक को इशारे से पूछा- लड़की पसन्द है?
तो उसने कहा- क्या अकेले में लड़की से कुछ बात हो पाएगी?

तो मैंने कहा- अभी इंतजाम कर देते हैं।
और लड़के की इच्छा लडक़ी वालों को बताई।
लड़की वाले भी तैयार हो गए।

अब मैं, अशोक, नवीषा और उसकी सहेली रीना एक कमरे में बैठ गये और हल्की हल्की पूछताछ होने लगी।

मैंने इशारे से उसकी सहेली रीना को अलग होने को कहा.
रीना किसी काम का बहाना करके बाहर चली गई।

मैं भी थोड़ा बहाना करके बाहर आ गया।

5 मिनट के बाद जैसे ही अंदर जाने को हुआ तो मादक सिसकारियों की आवाजें सुनाई दी।

मैंने दरवाजे से देखा तो ढंग रह गया।
अशोक और नवीषा एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे से चुपके हुए थे।

मेरे अंदर आते ही दोनों अलग हुए और नवीषा उठकर बाहर चली गई।
तब अशोक ने कहा- मुझे नवीषा पसन्द है।

तो मैंने अशोक की रजामंदी सभी को बता दी।

शादी की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थी और शादी भी बड़े ही धूमधाम से सभी रस्मों के साथ पूरी हुई।

शादी के अगले दिन लगभग सभी मेहमान जाने लगे।
मैं भी अब घर आ गया था।

लेकिन मेरी पत्नी शालू की हालत ज्यादा खराब थी तो मैंने अपनी सास को इस बारे में बताया।
चूंकि मैं ज्यादातर शहर से बाहर ही रहता था तो घर के काम में मदद के लिए मेरे साले अशोक ने अपनी पत्नी नवीषा को हमारे घर एक महीने के लिए भेज दिया।

तो मैंने कहा- अरे अशोक, अभी तो तुम्हारी सुहागरात भी नहीं मनी है।
उसने कहा- कोई बात नहीं, बाद में हो जाएगी अभी दीदी का ख्याल रखना भी जरूरी है।
नवीषा ने भी अपनी रज़ामंदी दिखाई।

10-12 दिन के लिए मैं बाहर टूर पर चला गया।

मेरे घर पर ना होने पर नवीषा ने घर और मेरी पत्नी शालू का काफी अच्छे से ध्यान रखा था।
नवीषा और शालू आपस में अच्छे दोस्त बन गए थे और आपस में अच्छी बन रही थी।

चूंकि अब शालू की डिलीवरी भी नजदीक थी तो मेरा भी घर पर रहना जरूरी हो गया था।
मैंने घर से ही ऑफिस का काम शुरू कर दिया।
अब मैं शालू को ज्यादा समय देने लगा।

नवीषा जो घर में ही थी, सभी कामों को अच्छे से सम्भाल रही थी।
जैसे खाना बनाना कपड़े वगैरा और घर के छोटे-मोटे काम, सब को बड़े ही अच्छे से संभाल रही थी.

क्योंकि मैं भी घर पर ही रहता था तो मेरी भी नवीषा से अक्सर बात हो जाया करती थी।

दो-तीन दिन में मेरी और नवीषा की एक दोस्तों वाली बात हो गई थी.

नवीषा के कामुक शरीर को देखकर मेरा मन डोलने लगा।

2 दिनों में मैंने नवीषा के शरीर के एक-एक अंग को अपनी आँखों से घूर घूर कर महसूस कर लिया था।

गोरे और बड़े ही कोमल, सुन्दर और कड़क चूचों का उसका शरीर जवानी के जोश से भरा पड़ा था और उसके शरीर का हाल बता रहा था कि नवीषा को अपने पति से अभी चुदना चाहिए।
इसी बौखलाहट में उसका शरीर भी उसका साथ नहीं दे रहा था।

मुझसे बात करते हुए उसके हावभाव भी बता रहे थे कि जैसे वह मुझसे ही चुदने वाली हो।

और एक दिन ऐसा मौका भी मिला जब मैंने उसका फायदा उठाया।

मैं अक्सर शालू के पास ऑफिस का काम करता था और नवीषा दूसरे कमरे में बैठकर अपने काम करती थी।

काम करते हुए मैं कभी-कभी शालू को होंठों पर चूम लिया करता था और उसके चूचों को भी दबा लिया करता था जिससे शालू को भी मजा आता था और मेरे पास लेटी होने की वजह से वह भी अपना एक हाथ मेरे पजामे में से डालकर लंड को मसल रही होती।

मैं भी तब उसकी पायजामी में हाथ डालकर उसकी चूत में उंगली घुसाकर आगे पीछे करता रहता था।

जब उसका जोश ज्यादा हो जाया करता था तो मैं उसकी चूत में तेज़ी से अपनी उंगली अंदर बाहर करते हुए उसका पानी निकाल देता।

शालू भी पूर्ण संतुष्टि के साथ मुझे होंठों पर चूमते हुए मेरे लंड को जोर जोर से हिला कर मेरा भी पानी निकाल देती और इस तरह हम दोनों ही सेक्स से परिपूर्ण हो जाया करते थे।

ऐसा लगभग दो-तीन दिन चला और इन दो-तीन दिनों में मैंने तकरीबन 4 या 5 बार ऐसा किया होगा.

लेकिन शायद मैं यह भूल गया था कि हमारे चरम सुख लेने के समय की मादक आहें नवीषा के कानों में भी पड़ती थी।

जैसे ही हम सो जाते थे तो नवीषा भी अपनी चूत को रगड़ रगड़ कर अपना पानी निकाल देती थी।

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2 दिन में नवीषा ने अपनी चूत को रगड़ रगड़ कर बहुत ज्यादा गर्म कर लिया था और उसकी हालत अब किसी भी लंड को अपनी चूत में घुसाने की थी।
और हो भी क्यों ना … अभी तो उसकी सुहागरात भी नहीं मनी थी।
और चूत भी सीलबंद … चूचे अनछुए! नवीषा का अपने पति से मिलन अभी अधूरा था।

मुझे उसकी हवस का पता तब लगा जब एक बार रसोई में पानी लेते समय मेरी और नवीषा की सामने की टक्कर हो गई।

टक्कर दोनों की सामने से हुई जिससे नवीषा ने एकदम से मुझे कस के पकड़ लिया और करीबन 10 सेकंड तक मुझे छोड़ा ही नहीं।

तब मुझे महसूस हुआ कि नवीषा भी अब किसी से भी चुदना चाहती है और फिर वो मैं ही क्यों न हूं।

एक बार तो हद ही हो गई जब उसने बाथरूम में जाते समय मुझे इस तरह से इशारा किया कि जैसे वह मुझसे अभी चुदेगी।
खैर अब मेरा उसके प्रति नजरिया बदल गया था।

मैं भी उसके कामुक अंगों को बाहर से देखकर गर्म हो रहा था और मैंने नवीषा को चोदने का पूरा प्लान कर लिया था।

दिन भर मैं घर पर ही रहता था और शालू जो प्रेग्नेंट थी दिन में आराम करती थी कई बार मैं भी आराम करता था।

मेरे फोन ज्यादा आते थे इसलिए मैं दूसरे कमरे में सो जाया करता था और नवीषा और मेरी बीवी दोनों एक साथ दूसरे कमरे में सो जाती थी।

मैं 3-4 घंटे तक काम करता रहता था और दोपहर में फोन पर बात करने की वजह से नींद भी ज्यादा नहीं आती थी।

नवीषा और शालू यानि मेरी बीवी दोनों एक साथ सोती थी.
लेकिन मैंने भी महसूस किया था कि नवीषा सोने का नाटक ज्यादा करती है और मुझे चुपके-चुपके घूरती रहती है।

एक दिन मैं बहाने से दोपहर के समय कमरे में घुसा तो मैंने देखा मेरी बीवी और नवीषा और दोनों एक साथ सोई हुई थी।
मैंने शालू को पानी देने की कोशिश की और मुझे महसूस हुआ कि नवीषा मुझे चुपचाप देखने की कोशिश कर रही है।

मैं समझ गया आज चाहे कुछ भी हो जाए नवीषा को पकड़ कर रहूंगा।
मैं फुर्ती से घूमता हुआ नवीषा की तरफ देखने लगा तब मैंने नवीषा को अपनी ओर यानि मुझे देखते हुए पाया।
नवीषा समझ चुकी थी कि उसकी चोरी पकड़ी गई है।

वह मुझे देखकर हल्की सी मुस्कुरा दी।
मैं भी थोड़ा सा मुस्कुराया और इशारा में पूछा कि माजरा क्या है।
वह कुछ नहीं बोली तो मैंने उसे कमरे से बाहर बुलाया।

वह उठी और साथ वाले कमरे में आ गई।
तब मैंने नवीषा से पूछा- नवीषा मैं तुम्हें पिछले 3-4 दिनों से देख रहा हूं तुम्हारा मेरी तरफ कुछ ज्यादा ध्यान है क्या बात है, खुल के कहो जो कहना चाहती हो। मैं तुम्हें एक दोस्त की तरह पूछ रहा हूं, कोई भी बात हो मुझे जरूर बता देना। अगर मेरी तरफ से कोई कमी रह गई हो या मुझसे कोई शिकायत हो तो मुझे जरूर बताओ ताकि मैं उसे दूर कर सकूं।

अब नवीषा थोड़ी सी शर्माते हुए बोली- कुछ नहीं … बस उनकी याद आ रही थी।

तो मैं बोला- चलो तुम्हें अशोक के पास छोड़ आते हैं।
इस पर नवीषा बोली- ऐसे समय में शालू दीदी के पास रहना जरूरी है। डिलीवरी होने के बाद चली जाऊँगी।

मैंने कहा- क्या अशोक तुमसे मिला?
नवीषा ने कहा– जी नहीं!
मैंने नवीषा को छेड़ते हुए कहा- अच्छा-अच्छा, अभी तो तुम्हारी और अशोक की सुहागरात भी बाकी है इसलिए ज्यादा याद आ रही है।

इस पर नवीषा मुस्कुरा दी और अपने हाथों से अपने चेहरे को छिपाते हुए दूसरी तरफ घूम गई।

मैंने मज़े लेते हुए कहा- नवीषा, अशोक में ऐसा क्या है जो मुझ में नहीं है?
तो वह खिल खिला कर मुस्कुरा दी।

मैंने अपनी उँगलियाँ एक दूसरे के ऊपर क्रॉस के इशारे में रखते हुए कहा- नवीषा रानी, कहो तो मैं और तुम … !?

इस पर नवीषा ने आश्चर्य से देखा और शालू को देखा और कहा- दीदी अन्दर हैं, सुन लेंगी!
मैंने हैरानी से उसकी बात को समझा।

अब मैं सब कुछ समझ चुका था।
मैंने तुरंत नवीषा को बांहों से पकड़ कर उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसके होठों पर एक प्यारा सा किस किया।

नवीषा मेरी इस अचानक की जकड़न पर हैरान थी।
उसे इस एकदम से जकड़ने और किस करने पर कुछ समझ नहीं आ रहा था।
उसकी सांसें ऊपर नीचे तेजी से हो रही थी.

2 मिनट तक मैंने नवीषा को अपनी बाँहों मेँ जकड़ा हुआ था और उसके होठों को अपने होठों मेँ लेकर चूमा था।
एक पल को तो नवीषा को सब कुछ एक हसीन सपना ही लग रहा था।
नवीषा भी सबकुछ भूलकर रोमांच महसूस कर रही थी।

उसकी नर्म चूची और मादक शरीर पहली बार किसी मर्द की गिरफ़्त में थे।
मेरा लंड भी उसकी चूत के आस पास ही उसे महसूस हो रहा था।

मैं धीरे से बोला- क्या अब तुम्हारी दीदी को पता लगा।

नवीषा मीठी सी मुस्कराई और मेरी ओर देखकर ना में सिर हिलाया और कहा- शालू दीदी को नहीं पता चला!
और फिर से मुस्कुरा कर अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया।

मेरे तो जोश की कोई सीमा ही नहीं थी।
अब मैंने नवीषा को फिर से अपनी बांहों में लेकर चूमना और चूसना शुरू कर दिया।
नवीषा ने भी किसिंग में पूरा साथ दिया।

लगभग 5 मिनट के बाद हम दोनों अलग हुए।
नवीषा का चेहरा जोश में लाल हो चुका था और अब वो चोदने में ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना चाहती थी।

हमारे घर के ऊपर तीसरी मंजिल पर एक बड़ा हॉल था जिसमें 1 बेड और सोफा रखा हुआ था वहां पर कोई कभी-कभी जाता था और दोपहर के समय तो शायद ही कोई आता था।

क्योंकि सर्दियों का समय था तो सभी अपनी अपनी रजाई में पड़े हुए थे और छत पर जाने का किसी को समय ही नहीं था।

मैंने नवीषा को चुपके से छत पर आने को कहा तो उसने कहा- दीदी उठ जाएंगी।

मैंने कहा- इसका भी जुगाड़ कर देता हूं।

मैं झट से दूसरे कमरे में गया और एक नींद की गोली शालू के पानी के गिलास में डाल दी और और रसोई में से पानी लेकर ग्लास अपनी बीवी के पास रखा और उसको उठाकर दवाई लेने के लिए कहा।

शालू को एक आयरन की गोली लेनी थी।
मैंने उसको कहा- पहले ये पानी पी लो और उसके 5 मिनट बाद आयरन की गोली खा लेना।

शालू ने वह गिलास का पानी पी लिया और 2 या 3 मिनट के अंदर अंदर उसे नींद आ गई जिससे वो निढाल होकर बिस्तर पर पड़ गई।

फिर मैंने नवीषा को बुलाया और कहा- मैंने तुम्हारी दीदी को नींद की गोली खिला दी है। अब कम से कम 2 घंटे तक वह उठ नहीं पाएगी।

इस पर नवीषा धीरे से मुस्कुराई और अपना चेहरा नीचे कर लिया।

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मैंने अब नवीषा की ठोड़ी की अपनी एक उंगली से ऊपर किया और उसे देखकर प्यार से बोला- मेरी नवीषा रानी, अब बताओ कि तुम्हारी सुहागरात इस कमरे में बनाऊं या दूसरे में?
नवीषा ने छत वाले कमरे में चलने को कहा।

मैं भी उसकी बात को समझकर उसके साथ छत वाले कमरे में चला गया।

दरवाजे की कुंडी लगाने के बाद और लाइट जलाने के बाद धीरे से नवीषा को अपनी तरफ खींचा और उसके साथ ही उसके होठों को भी चूमने लगा।
नवीषा ने भी अब फुर्ती से मेरे शरीर से अपने शरीर को चिपका लिया।

वह मुझे पागलों की तरह चूम रही थी।

मेरे शरीर को हर जगह से जकड़ कर मुझे बार बार चूम और चूस रही थी।
मैं भी नवीषा के होठ उसी जोश में उसे जोड़े हुए उसको चूम रहा था।

नवीषा की सांसें तेज हो रही थी। उसकी छातियाँ बहुत तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी और उसका दिल भी तेजी से धड़क रहा था।

मैंने नवीषा को अपनी साड़ी खोलने को कहा।
उसने कहा- आज मैं तुम्हें अपना पति मानती हूं और मेरी सुहागरात भी तुम्हें ही मनानी है तो तुम ही मेरे कपड़े भी खोलोगे!
इतना कहकर वह मुझसे फिर से चिपक गई।

मैंने धीरे से नवीषा को अपने से अलग किया और उसके शरीर से साड़ी को धीरे धीरे निकालना शुरू किया।

साड़ी निकालने के बाद नवीषा अब ब्लाउज़ और पेटिकोट में रह गई जिसमें वह बड़ी ही सुंदर लग रही थी।
सुन्दर … मख़मल सा बदन उस पर मोहक नंगी कमर मुझे पागल कर रही थी।

मैंने नवीषा को कमर में हाथ डालकर अपनी तरफ खींच कर नवीषा को फिर से चूम लिया और उसके कोमल चूचों को बाहर से ही मसलने लगा।

नवीषा ने भी मेरी टीशर्ट को उतारने की कोशिश की।
मैंने उसकी बात को समझते हुए फटाक से अपनी टीशर्ट निकाली और साथ में लोवर भी निकाल दिया।
मैं अब चड्डी और बनियान में था।

मैंने नवीषा के ब्लाउज़ को खोलना शुरू किया और उसकी ब्रा भी खोल दी।

नवीषा की चूचियाँ नुकीली और हल्की सी उठी हुई थी और बिल्कुल आम की तरह ही लग रही थी।
दोनों चूचियों के बीच में से हल्की गहराई थी।

इसे देखकर मेरा लंड भी अकड़ने लगा था।

नवीषा शर्म के मारे अपने चेहरे पर हाथ रखकर उसे छुपाने की कोशिश करने लगी।

मैं तो मस्त होकर अब उसकी चूचियों को मसलने लगा।
मेरा एक हाथ नवीषा की एक चूची को मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसके पेटिकोट के नाड़े को खोलने में लग गया।

नवीषा ने पेटिकोट खोलने में मेरी मदद की और थोड़ी ही देर में उसका पेटिकोट खुलकर नीचे फिर गया।

मेरा हाथ नवीषा की पेंटी के अंदर होकर उसकी चूत को छूने और मसलने में लग गया।
हम दोनों एक दूसरे को काफ़ी देर तक चूम रहे थे।

नवीषा भी पागलों की तरह अपने हाथों को यहाँ वहाँ मेरे शरीर पर फिरा रही थी और मेरी चड्डी पर हाथ लगाकर मेरे लंड को मज़े से दबाकर महसूस करने लगी।

मैंने नवीषा का हाथ अपनी चड्डी में डालकर अपना लंड पकड़ाया और फिर से उसकी चूचियों को मसलने लगा।
नवीषा की कामुक आवाजें मेरे कानों में पड़ने लगी- म्म्म्म् स्स्श श्सस उम्म्म मम्म्ह।

नवीषा ने मेरा निक्कर नीचे किया और मेरा लंड बाहर निकालकर उसे सहलाने लगी।
मैंने अपना निक्कर अपनी टांगों से अलग किया और नवीषा की पेंटी भी उतार दी।
साथ ही अपनी बनियान भी निकालकर फेंक दी।

नवीषा और मैं, हम दोनो ही नंगे खड़े थे और लाइट में मस्त लग रहे थे।

मेरा लंड अब पूरी तरह से अकड़ चुका था।
इधर नवीषा की चूत से भी कामरस की कुछ बूँदें निकल रही थीं।

मैंने नवीषा को बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत को मुँह में भरकर चूसने लगा।

नवीषा की मादक सिसकारियाँ निकल रही थीं।
उसने मेरे सिर को अपनी चूत पर कसकर चिपका लिया और तेज तेज कमर उछालने लगी।

वो सिसकारियाँ भर रही थी- म्म्म अम्म आम्म्ह म्मह आह्ह आऊऊ ऊऊऊम्म्म!

लगभग 2-3 मिनट में ही उसकी चूत ने नमकीन पानी निकाल दिया और अब उसका शरीर ढीला हो गया।

अब हॉट बेब सेक्स को तैयार थी।
मैंने भी अब देर ना लगाते हुए उसकी गीली चूत में अपना कड़क लंड लगाकर अंदर की ओर धकेला।
नवीषा की चूत टाइट थी; लंड अंदर नहीं जा रहा था।

मैंने अब उसकी टांगें खोलकर अपना लंड फिर से सेट किया और ज़ोर से झटका मारकर लंड अंदर डाला और उसके होंठों को अपने होंठों से कस लिया।
मेरे लंड का टोपा अंदर घुस चुका था।

नवीषा दर्द के मारे छटपटा रही थी।
उसके मुँह से दबी हुई चीख निकल रही थी- ऊईई मरीईईऽऽऽ ईईई मर गयी उफ़्फ आह …

मैंने नवीषा के शरीर को रगड़ना शुरू किया और उसके होंठों को जोरों से चूसने लगा।
नवीषा कुछ देर तक छटपटाने के बाद धीरे-धीरे सामान्य होकर जोश में आने लगी।

मैंने दूसरा झटका मारा।
उसकी चूत अब फट चुकी थी और मेरा लंड दूसरे झटके मैं काफ़ी अंदर तक जा चुका था।

नवीषा को जलन हो रही थी।
मैंने नवीषा से कहा- बस 2-3 मिनट में सब ठीक हो जाएगा। मुझे चूमना जारी रखो!
कहकर धीरे धीरे लंड अंदर तक घुस दिया।

नवीषा का शरीर अब हरकत में आ गया और झटके लगवाने को तैयार था।
मैंने भी धीरे धीरे नवीषा को चोदना शुरू किया और झटकों की स्पीड बढ़ाने लगा।

नवीषा भी अपनी कमर उचका कर मेरे झटकों का जवाब देने लगी।
अब वह दर्द को भूलकर चुदाई के मज़े ले रही थी; साथ ही कह रही थी- बस मुझे चोदते रहो, मज़ा आ रहा है। आह, क्या मजा है। आज तुमने मुझे औरत बनाया है अब मेरी पूरी ज़िंदगी बस तुम्हारे लिए है। म्म्म्म आह्हऽऽऽ इस्स्स स्स्स्स हाय्य आह्ह उईई माऽऽऽऽ हाय्य।

मेरे झटके अब पूरी स्पीड से नवीषा की चूत में अंदर बाहर हो रहे थे और नवीषा भी पूरा साथ दे रही थी।
7-8 मिनट के बाद मैं और नवीषा एक साथ ही अकड़ कर झड़ने लगे और नवीषा के कहने पर मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में ही निकाला।

नवीषा अब चुदकर तृप्त हो चुकी थी।
उसने मुझे माथे पर चूमा और कहा- आई लव यू!
कहकर वो मेरे सीने से चिपक गयी।

तब से मैं और नवीषा जब भी मौका मिलता था चुदाई कर लेते थे।
जैसे शालू के बाथरूम नहाने जाने पर, सोने पर और रात को!

नवीषा जब तक मेरे घर पर रही, मेरे साथ अपनी चूत की प्यास बुझाई और इस बीच मेरे बच्चे का काम भी सम्भाला।

फिर मेरी बहन भी आ गई थी तो मैंने नवीषा को उसकी ससुराल भेज दिया।

आज भी नवीषा और मैं दोनों मौक़ा मिलने पर चुदाई कर लेते हैं।

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