कुंवारी लड़की की सीलपैक चूत चोदकर फाड़ी

हॉट आयेशा सेक्स कहानी 12वीं में पढ़ने वाली मेरी पड़ोसन लड़की की है. हम एक साथ पढ़ते थे, दोस्त थे, पारिवारिक सम्बन्ध थे भाई बहन जैसे! मैंने उस लड़की की सील तोड़ी.

मेरा नाम अंकित है. मैं आज आपको अपनी सच्ची सेक्स कहानी सुना रहा हूँ.

ये हॉट आयेशा सेक्स कहानी दो साल पहले की उस समय की है जब मैं 12वीं कक्षा में पढ़ता था. उस वक्त मैंने अपनी मुँहबोली बहन के साथ सेक्स कर लिया था.

मेरी ये बहन मेरे घर के पास रहती थी. उसका नाम आयशा था.

हमारे परिवारों में बहुत गहरा रिश्ता था जिसके चलते हमारे परिवार वाले आयशा को मेरी बहन मानते थे.

आयशा देखने में बड़ी मस्त माल थी. वो एकदम भरा हुआ आइटम थी. उसका जिस्म ऐसा था कि कोई भी देख कर उस पर टूट पड़े.

आयशा मेरे साथ ही स्कूल जाती थी. वो मेरी ही क्लास में पढ़ती थी. हम दोनों पास पास ही बैठते थे.

हमारे बीच लगातार बातें चलती रहती थीं, जिस वजह से हम दोनों को कई मर्तबा टीचर से डांट भी खानी पड़ जाती थी.

ये 4 सितम्बर की बात है. अगले दिन यानि पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस था.
मैं, आयशा और कुछ दूसरे दोस्त सब लोग मार्केट से सामान लेने गए थे.

उस समय आयशा बोली- अंकित, आज मेरे घर में कोई नहीं है. आज आप मेरे घर पर ही रुक जाना.
मैंने हामी भर दी और हम सभी बाजार का काम खत्म करने लगे.

बाजार से अपना काम खत्म करते करते हमें रात के 8 बज गये.
आयशा अपने घर चली गई.
हम लोग भी सामान लेकर घर आ गए.

मैं अभी अपने घर आया था कि मेरी बहन आयशा ने मुझे आवाज दी- अंकित इधर आना!

तो मैं उसके पास गया.
तो वो बोली- मैंने आपको बताया था न कि मेरे घर में कोई नहीं है और आज आप मेरे घर में रुक जाना.
मैंने कहा- हां हां आयशा, मैं अभी घर में सामान रख कर आता हूँ.

उस समय बिजली नहीं आ रही थी जिस वजह से आयशा को कुछ डर लग रहा था.
मैंने उससे मोमबत्ती जला लेने में मदद की और अपने घर आ गया.

कुछ देर बाद बिजली आ गई और मैं अपने घर पर आयशा के घर जाने की कह कर उसके घर आ गया.

जब मैं अपने घर में आयशा के घर रुकने की कह कर उसके घर आया तो उसके घर में अभी भी अंधेरा था.

मैं सोचने लगा कि ऐसी क्या बात हुई कि आयशा के घर की बिजली नहीं जल रही है जबकि मेरे घर की बिजली आ रही थी.

मैंने अन्दर जाकर आवाज दी- आयशा … तू किधर है और तेरे घर की बिजली क्यों नहीं आ रही है?
वो बोली- अंकित, आ रही हूँ.

वो जब मेरे पास आई तो हरे रंग की नाइटी पहनी हुई थी. इस वक्त वो देखने में एकदम बम लग रही थी.

मैंने उसे नजर भर कर देखा और कहा- बिजली क्यों नहीं आ रही है?
वो बोली- मुझे नहीं मालूम.

मैंने पूछा- मेन स्विच कहां लगा है?
उसने बताया तो मैं मेन बोर्ड के पास आया और मोमबत्ती की रोशनी में देखने लगा.

मेन बोर्ड कुछ ऊंचाई पर था. मैंने उधर रखे एक स्टूल को उठाया और उस पर खड़ा होने लगा.

आयशा मेरे साथ आई थी.
मैंने उसे मोमबत्ती पकड़ा दी.

मैं टेबल पर चढ़ कर कट आउट को निकालने की कोशिश करने लगा.
उस कटआउट को निकालने में मुझे काफी जोर लगाना पड़ रहा था.
किसी तरह से बिजली आ गई, शायद कट आउट हिलने से तार जुड़ गए थे.

मगर जोर लगाने के कारण मैं टेबल से गिरने लगा तो आयशा मुझको गिरने से बचाने के लिए आगे आई.
मैं अपना संतुलन सम्भाल नहीं सका और आयशा के ऊपर ही गिर गया.

गिरते समय मेरे हाथ में आयशा के मम्मे आ गए.
मैंने उसके मुलायम मम्मे हाथ में आए हुए महसूस किए तो अपने आप ही मेरे हाथों ने उसके मम्मों को भींच दिया.
आयशा की आंह की आवाज निकल गई.

आयशा और मुझे कुछ हल्की फुल्की चोट लग गई थी.
मगर आयशा ने ऐसा जाहिर किया और मुझसे कहने लगी कि मुझसे उठा नहीं जा रहा है.

मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और उसे उठा कर कमरे में ले गया. मैंने उसे उसके बिस्तर पर लेटा दिया.

तब मैंने आयशा से कहा- सॉरी यार आयशा, गलती से मेरे हाथ तेरे बूब्स पर लग गए थे.
वो कुछ नहीं बोली.
उसके चेहरे पर दर्द झलक रहा था.

तब मैंने पूछा- क्या तुमको ज्यादा चोट लग गई है?
वो बोली- हां … पीछे कमर के पास दर्द हो रहा है.

मैंने कहा- कुछ बाम वगैरह है घर में?
वो बोली- हां अंकित, दराज में बाम रखी है. आप लाकर दे दो.

मैंने सामने अलमारी की दराज में रखी दवाएं देखीं और उनमें से दर्द निवारक दवा और बाम की शीशी लाकर आयशा को दे दी.
उसने बाम निकाल कर अपनी कमर में लगाने की कोशिश की.
मैंने देखा कि उसका हाथ पीछे नहीं जा पा रहा था.

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तभी अचानक से बिजली फिर से चली गई. मैं समझ गया कि कट आउट के कारण ही बिजली चली गई होगी.

मैंने आयशा से कहा- लाओ, मैं बाम लगा देता हूँ.
वो बोली- हां अंकित मेरा हाथ ही नहीं जा पा रहा है.

उसने अपनी हरी नाइटी को ऊपर कर लिया. तब तक मैंने मोमबत्ती फिर से जला दी थी.

मैंने मोमबत्ती की रोशनी में देखा कि जैसे ही आयशा ने अपनी नाइटी ऊपर की तो उसकी गोरी कमर मुझे मदहोश करने लगी.

फिर जब मैं आयशा की कमर में बाम लगाने लगा तो उसकी नर्म और मुलायम कमर का स्पर्श होने पर मेरा लंड खड़ा होने लगा.
मैं उसकी कमर को सहलाने लगा.

शायद आयशा को भी मजा आ रहा था जिस वजह से उसके मुँह से ‘आह आह …’ की आवाज निकलने लगी.

मैंने उसकी गर्दन के पास अपनी गर्म सांसें छोड़ते हुए कहा- ज्यादा दर्द हो रहा है क्या?
वो भी कुछ भरी हुई आवाज में बोली- नहीं … पर हो रहा है और तुम्हारे हाथ से काफी अच्छा लग रहा है.

मैं काफी देर तक उसकी कमर में बाम लगाता रहा.

आयशा ने कहा- तुमको भी तो चोट आई होगी. मैंने तुमसे पूछा ही नहीं है. तुम भी मेरे साथ ही लेट जाओ.

मैंने हामी भरी और उसके बगल में ही लेट गया.

मैंने उसकी कमर में हाथ लगाते हुए मजा लेने लगा. मेरा लंड उसकी गांड में लगने लगा था, जिसका उसे भी अहसास हो रहा था.

मैंने उससे कहा- अब कैसा लग रहा है आयशा?
वो चुदासे स्वर में बोली- करते रहो अंकित … मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.

मैंने उसी वक्त उसके मम्मों पर हाथ रख दिया और कहा- शायद मेरा हाथ इधर भी लगा था, जिस वजह से तुम चिल्ला पड़ी थी?
वो कुछ नहीं बोली और न ही उसने मेरा हाथ हटाने के लिए कहा.

मेरा हाथ उसके एक दूध पर जम गया था. उसके दूध बहुत कसे हुए थे. मेरा लंड और ज्यादा कड़क हो गया था.

मैंने उसके दूध को सहलाया तो आयशा भी मादक आवाजें भरने लगी.

उसकी तरफ से किसी भी तरह से कोई भी विरोध न होने से मुझे हिम्मत आ गई और मैं धीरे धीरे उसके मम्मों को दबाते हुए सहलाने लगा.

आयशा नींद में होने का ड्रामा करने लगी थी.
मेरे लंड ने अब आपा खो दिया था.
मैं उसके बदन को सहलाते हुए अपना हाथ उसकी चूत पर ले गया.

उसकी नाइटी मेरी राह में बाधा थी, तो मैंने उसकी नाइटी को ऊपर करने लगा.

एक हाथ से मैं उसके दूध सहला रहा था और अब नाइटी हट जाने के कारण मैं उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूत को सहला रहा था.

उसने भी अपनी टांगें खोल दीं और मुझे उसकी पैंटी गीली सी लगने लगी थी.

मैंने करीब दस मिनट तक उसकी चूत और चूची के साथ मजा लिया.

अब रात के शायद 10.30 बज गए थे.
मुझसे आयशा का नंगा बदन और ज्यादा नहीं देखा जा रहा था. आयशा की चूत गीली थी और वो कुछ भी नहीं बोल रही थी.

मैंने पहल करना ठीक समझा.
मैंने उसकी चड्डी की इलास्टिक में उगलियां फंसाईं और चड्डी को नीचे कर दिया.

उसने भी अपनी टांगें पास पास करके चड्डी निकल जाने में मुझे सहयोग किया.
ये देख कर मैंने अगले ही पल उसकी नाइटी को भी उतार दिया और अगले कुछ पलों में अपने सारे कपड़े उतार कर उसके ऊपर चढ़ गया.

अब मैं उसे किस करने लगा.
पर वो कुछ नहीं कर रही थी, वो बस नींद में सोने का ड्रामा कर रही थी.

अब चूंकि उसकी पैंटी उतर गई और मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
मैं नीचे को सरक आया और उसकी टांगों के बीच में आ गया.

उसकी बुर मेरे सामने नम हुई पड़ी थी जो साफ़ साफ़ बता रही थी कि आयशा चुदासी है.

मैंने एक पल भी गंवाए बिना अपनी जीभ को आयशा की बुर पर लगा दिया.
मेरी जीभ लगते ही आयशा एकदम से झुरझुरा उठी.
उसकी सिहरन बता रही थी कि उसे मजा आने लगा था.

मैं मस्ती से उसकी दोनों जांघों को पकड़ कर उसकी बुर को चाटने लगा.
मेरी आयशा से न रहा गया और उसने मेरा सिर को पकड़ लिया और अपनी बुर में दबाने लगी.

उसकी आंह आंह निकलने लगी.
मैं समझ गया कि अब आयशा पूरी तरह से गर्म हो गई है.

मैं छटपटाती आयशा की बुर को मस्ती से चाट रहा था और वह मेरे सर के बाल पकड़ कर ‘आ आह आह …’ कर रही थी.

तभी उसने पहली बार कहा- आह अंकित … अब और नहीं रहा जा रहा है आंह भाई … एक बार मेरे ऊपर चढ़ जाओ … आज मेरी बुर में अपना लंड पेल दो.

मुझसे भी नहीं रहा गया और मैंने अपने लंड को सहलाया और पोजीशन बना कर उसकी बुर में लंड डालने लगा.

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उसकी कुंवारी बुर एकदम कसी हुई थी और मेरा मोटा लंड उसकी सीलपैक बुर में नहीं जा पा रहा था.

रूम में लाइट ही नहीं थी, जिस वजह से कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था.

तभी आयशा का हाथ मेरे लंड पर आ गया और उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी बुर के छेद पर लगा दिया.

लंड को चूत के छेद का रास्ता मिल गया था.
अब मुझे बस ताकत लगानी बाकी थी.

मैंने जोर लगाया और उसने अपनी टांगों को चौड़ा कर दिया.
मेरा लंड चूत की फांकों को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा.

अभी मेरे लौड़े का सुपारा ही चूत की फांकों को चीर कर सैट हुआ था कि आयशा को दर्द होने लगा.
उसने अपने हाथ हटा लिए और चादर भींच कर कराहने लगी.

उसी वक्त मैंने एक जोर का एक झटका दे मारा और मेरा लंड उसकी बुर के अन्दर घुसता चला गया.

मेरी बहन आयशा जोर से चिल्ला उठी- उई अम्मी मर गई अह आंह बाहर निकालो भाई … मैं मर जाऊंगी.
आयशा रोने लगी.

तभी मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को जमा दिए और उसे किस करने लगा.
उसकी आवाज घुट कर रह गई.

मैं चूत में लंड पेलने लगा.

दो मिनट तक मैंने आयशा के होंठों को अपने होंठों से बंद किए रखा और लंड चूत में अन्दर बाहर करता रहा.

फिर जब मैंने देखा कि आयशा शान्त हो गई, तब मैंने उसके होंठों को छोड़ दिया और उसे हचक कर चोदना शुरू कर दिया.

अब आयशा भी मेरा साथ देने लगी थी और वो अपनी गांड उठा उठ कर अपनी सीलपैक चूत चुदवा रही थी.

आयशा को चोदने में मुझे बहुत मजा आ रहा था, वो अपनी दोनों टांगें हवा में उठा कर मेरा साथ दे रही थी.

उसकी मादक आवाज ‘आह अंह …’ मेरा जोश बढ़ा रही थी.

कोई बीस मिनट तक ताबड़तोड़ चूत चोदने के बाद मेरा माल निकलने वाला हो गया था.

मैं अपना लंड बुर से निकालने लगा तो आयशा ने कहा- अभी निकालो नहीं अंकित … मुझे अच्छा लग रहा है, अभी और करो ना भईया.
मैंने कहा- साली … भाई भी कहती है … और चोदने की भी कह रही है. मैं आज से तेरा भाई नहीं शौहर हूँ.

वो मुस्कुरा दी और मजे से गांड उठाने लगी.

मैंने कहा- आयशा, मेरे लौड़े का पानी निकलने वाला है. मुझे लंड निकाल लेने से वर्ना तेरी चूत ले अन्दर ही सारा रस टपक जाएगा.
वो मस्ती में बोली- टपका दे साले … अपनी बहन की चूत में ही रस भर दे.

उसके ये कहने से मैं उसको और जोर जोर से चोदने लगा.
उसको चोदते चोदते ही मेरा सारा माल आयशा की चूत में ही निकल गया.

मैं आयशा के ऊपर ही ढेर हो गया और वो मेरी पीठ को सहलाती हुई मुझे चूमने लगी.

कुछ पल बाद आयशा की बुर से रस बाहर निकलने लगा.

मैं उसके ऊपर से उठा और हाथ से उसकी चूत के रस को टटोलने लगा.

उसी समय न जाने कैसे बिजली आ गई.
मैंने देखा तो मेरा हाथ लाल रंग के माल से सना हुआ था.

मैं समझ गया कि आयशा की बुर की सील टूटने से खून निकल आया है. मैं आयशा की तरफ देखने लगा.
वो शर्मा गई और उसने मुझे अपने बाजू में खींच लिया.

मैंने चादर से ही अपना हाथ पौंछ लिया और आयशा के साथ चिपक कर लेट गया.
हम दोनों सो गए.

मेरी नींद रात के तीन बजे खुली, तब तक मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था.

मेरी आयशा मेरे बाजू में एकदम नंगी सो रही थी. उसकी मस्त चूचियां मेरे लंड को फिर से फनफनाने पर मजबूर करने लगी थीं.

मेरा मन नहीं माना और मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया. आयशा जाग गई और हम दोनों फिर से चुदाई का खेल खेलने लगे.

इस बार मुझे आयशा को चोदते चोदते सुबह के 4 बज गए थे.
हम दोनों 4 बजे चुदाई से फारिग हुए, तो मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गया.

मैं बाथरूम से आया तो आयशा ने बताया कि उसे दर्द हो रहा है.
मैंने उसे एक बिस्कुट खिलाई और एक पेन किलर दे दी.

अगली सुबह मुझे स्कूल भी जाना था इसलिए मैं अपने घर चला गया.
सुबह 5 सितंबर यानि शिक्षक दिवस था.

आयशा और मैं एक साथ स्कूल गए.

मेरी मुँह बोली बहन आयशा मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही थी. हम दोनों एक दूसरे से शर्मा रहे थे.

ये मेरी जिन्दगी का पहला अवसर था जब मैंने अपनी रिश्ते की कुंवारी बहन की सीलतोड़ चुदाई की थी.

उस दिन के बाद से कई बार स्कूल में भी मैं और आयेशा सेक्स कर चुके हैं.

खेल के घंटे में जब कोई क्लास में नहीं रहता था, तब हम दोनों चुदाई कर लेते थे.

अभी भी हम दोनों एक ही कॉलेज में हैं और आज भी सेक्स करते हैं.

आपको मेरी हॉट आयेशा सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मेल करें.
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