अस्पताल में मिली लंड की प्यासी भाभी

गुड सेक्स फॉर फ्री मिला मुझे जब मैं एक रिश्तेदार के साथ अस्पताल गया। वहां एक भाभी अपनी सास का इलाज करवाने आई। मैंने उसकी मदद की तो हम दोनों की नजदीकी बढ़ गयी.

दोस्तो, आप सभी का आपकी अपनी पसंदीदा सेक्स स्टोरी साइट अन्तर्वासना पर स्वागत है।
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आप लोगों ने पढ़ी और कहानी को प्यार दिया, उसके लिए आप सभी का धन्यवाद।

मुझे बहुत सारे मेल आये हैं लेकिन माफी चाहता हूँ कि सबको जवाब नहीं दे सका।

जो पाठक नये हैं उनको बता दूं कि मैं आपका राज, जोधपुर राजस्थान से हूं।
मेरी उम्र 48 साल है और थोड़ा सांवला हूं।
मैं एक बिजनेसमैन हूं।

मेरी हाईट छ: फीट, तीन इंच है। मैंने लण्ड का साईज कभी नापा नहीं।

मुझे आंटियां और भाभियां बहुत पसंद हैं।

तो आज आपके लिए एक और सच्ची कहानी लेकर आया हूं गुड सेक्स फॉर फ्री की। आशा करता हूं कि आपको पसंद आएगी।

एक बार मैं और मेरे एक रिश्तेदार अहमदाबाद के हॉस्पिटल में चेकअप करवाने कार से गए।
डाक्टर ने दो दिन भर्ती करने की सलाह दी।
साथ में रिश्तेदार का भाई था जो उसकी देखभाल में व्यस्त था।

मैं खाली था और अस्पताल के स्वागत कक्ष के बाहर बैठकर नयन सुख ले रहा था।

इतने में एक टैक्सी आकर रुकी, उसमें से एक पटाखा भाभी पिंक साडी़ का पल्लू ठीक करते हुए उतरी और तेज कदमों से इधर उधर भागने लगी।

मैं ये सब कुछ देख रहा था।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने भाभी से पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने बताया कि उसकी सास की तबीयत ज्यादा खराब है और स्ट्रेचर (ट्राली) भी नहीं है।
मैं भागकर अंदर से ट्राली लेकर आया, साथ में ट्राली चलाने वाली असिस्टेंट भी भागी भागी आई।

उनकी सास को कार से उतार कर ट्राली पर लेटाकर हम डाक्टर के पास ले गए।
डाक्टर ने कुछ जांचें लिखकर भर्ती कर दिया।
भाभी ने मेरा धन्यवाद किया।

मैंने कहा- कोई बात नहीं, ये तो फर्ज था। किसी चीज की जरूरत हो तो मैं बाहर ही बैठा हूं।

थोड़ी देर बाद भाभी हाथ में पर्ची लिए बाहर आई।
मेरी आँखों में झांक कर बोली- कृपया बताएंगे कि ये दवाई कहाँ मिलेगी?

मैं उनके साथ जाकर उनको मेडिकल स्टोर पर ले गया।
फिर वापस आते हुए उनसे बातें होने लगीं।
मैंने पूछा- कहां से हैं आप?

भाभी- अहमदाबाद में ही रहते हैं, मेरी सास के साथ!
मैं- आपके पति?
वो बोली- उनको काम से कम ही फुरसत मिलती है। बिजनेस चलाते हैं और घर पर बहुत कम रहते हैं।

अब मैं भाभी के बारे में विस्तार से आपको बता देता हूं।
मेरी उनसे बात हुई और पता चला कि भाभी का नाम अनीता (बदला हुआ) था।

उसका मस्त फिगर था। चूचियां 38डी के साइज की; मोटी और भारी भरकम गांड।
उम्र भी 38 थी लेकिन देखने में 30-32 के लगभग लगती थी।

बातें होते होते हम लोग जल्दी ही काफी खुल गए।
अब मैं असली मुद्दे पर आ गया।
मैंने कहा- तो कैसे काम चलता है आपका बिना हस्बेंड?

वो बोली- बस जी … जी रहे हैं।
मैं बोला- कोई दोस्त तो बनाया होगा आपने?
वो बोली- कहां जी … मेरी सास इतनी खड़ूस है कि कहीं आने जाने का मौका ही नहीं मिलता है।

मैं बोला- लेकिन अब तो वो भर्ती हो गई हैं।
वो बोली- हां, मुझे ही देखभाल करनी है।

फिर मैं अंदर उनके साथ कमरे में ही चला गया जहां सासू मां भर्ती थी।

उसकी सास को मैंने नमस्ते की तो वो भी धन्यवाद देने लगी।
मैंने कह दिया कि ये तो इन्सानियत के नाते मेरा फर्ज था।

वो 75 साल की बुढ़िया थी और ज्यादा देख या चल नहीं पाती थी।
फिर बुढ़िया ने कहा- अरे अनीता, घर में रक्षिता (भाभी की बेटी) अकेली है।

भाभी- उसको पड़ोस वाली आंटी सँभाल लेगी।
बुढ़िया- नहीं, तू घर चली जा, यहां देखभाल करने के लिए कई नर्सें हैं। मुझे कुछ नहीं होगा।
इसी बात का फायदा उठाते हुए मैंने कहा- मां जी, बुरा न मानें तो भाभी जी को घर छोड़ दूं?

बुढ़िया ने कहा- हां हां बेटा, ये तो और अच्छी बात है। रात काफी हो गई है और अब इस समय कहां टैक्सी में घूमती फिरेगी।
दोस्तो, ये सुनकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे।

रात के 9 बज चुके थे।

मैं कार लेकर निकला।

गुजरात में शराब बंद है इसलिए मैं अपनी कार में छुपाकर ले जाता था।
भाभी अगली सीट पर ही बैठी थी।

रास्ता पूछने के बहाने मैंने भाभी की जांघ पर हाथ फेर दिया।
हल्की से मुस्कान के साथ भाभी ने मेरी तरफ देखा और रास्ता बताने लगी।
आधे घंटे के बाद हम उनके घर पहुंच गए।

शानदार कोठी थी।

मुझे घर के अंदर बैठाकर वो पड़ोस के घर की ओर तेजी से गई।
आते हुए बेटी को कंधे पर लादे थी।
शायद सो गई थी गुड़िया!

उसको बेडरूम में लेटाकर वो बाहर वाले सोफे पर आकर सुस्ताने लगी।
मैंने कहा- आप तो बहुत थक गई होंगी।
आंखें बंद किए हुए ही उसने कहा- हां बहुत।

मैं बोला- थोड़ी मसाज कर दूं क्या?
वो बोली- नेकी और पूछ पूछ?
बस फिर क्या देर थी।

वो उठकर दूसरे बेडरूम की तरफ चली और मैं पीछे पीछे। वो जाकर लेट गई और मैंने तेल लेकर तलुवों से मसाज करना शुरू किया।
धीरे धीरे साड़ी को उठाते हुए मैं घुटनों और जांघों तक पहुंच गया।

क्या मस्त मोटी मांसल जांघें थीं उसकी!
हाथ फिरवाते हुए हल्की हल्की सिसकारी भी ले रही थी।

अब मैंने अपना जादू दिखाना शुरू कर दिया। मेरे हाथ धीरे धीरे उसकी चूत तक पहुंच गए।
उसकी सिसकारियां धीरे धीरे बढ़ने लगीं।

मैंने उसकी झांटों से भरी चूत पर उंगलियां फिराना शुरू कर दिया।
इससे उसकी जांघें सिकुड़ने लगीं और कसमसाने लगी।

थोड़ी ही देर में वो अपने पांव पटकने लगी, लग रहा था जैसे उसकी चूत में चुदाई की आग लग गई हो।

लोहा गर्म था और मैंने इस मौके का फायदा उठाते हुए उसकी साड़ी को खोल दिया।
साथ में उसका पेटीकोट भी खोल दिया।
मैंने अब उसको उल्टी लेटने को कहा।

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उल्टी लेटने के बाद मैंने उसके ब्लाउज को भी खोल दिया और ब्रा के हुक निकाल कर वो भी नीचे कर दी।
उसकी पीठ नंगी हो गई थी।
मैंने तेल लगाकर कंधों से मसाज करना शुरू किया।

धीरे धीरे मेरे हाथ उसकी पीठ की मसाज करते हुए उसकी चूचियों तक जाने लगे।
क्या मस्त चूचियां थीं उसकी!

कई मिनट तक मैंने चूचियों को दबाते हुए उसकी मसाज की।
वो अब बेहद गर्म हो चुकी थी।

नीचे हाथ ले जाते हुए मैंने उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया।
वो ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाई और बोली- पहली बार चूत देखी है क्या? डाल दो ना जल्दी?

मैंने भी फिर देर न की और तुरंत नंगा होकर भाभी की चूत में मुंह लगा दिया।
चूत चाटते हुए उसकी सिसकारियां और तेज हो गईं।
उसकी चूत से रस की धारा चलने लगी।

एकदम से वो उठी और मुझे बेड पर पटकते हुए मेरा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।
वो ऐसे चूस रही थी जैसे उसने बरसों से पानी न पिया हो और आज उसके हाथ कुआं लग गया हो।
लंड के टोपे पर जीभ फिराते हुए आंडों तक लंड को अंदर ले जाती थी।

ऐसी चुसाई मैं पहली बार अनुभव कर रहा था।

वो शायद मुझे तड़पाना चाह रही थी जिससे मैं गर्म होकर उसे जल्दी से चोद दूं।
फिर दो मिनट बाद ही उठकर बोली- बस … अब चोद दो … नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगी।

फिर मैंने लण्ड पर थूक लगाया और अंदर डाल दिया।
उसके मुंह से जोर की आह्ह निकली और उसे हल्की तकलीफ भी हुई।
लंड डालकर मैं उसके होंठों को चूसने लगा।

कुछ देर के बाद मैं भाभी की ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा। वो भी अब मेरा पूरा साथ दे रही थी।
भाभी मुँह में मुँह डालकर किस कर रही थी।

कुछ देर चोदने के बाद मैनें टांगें उठाकर अपने कंधों पर रख लीं और उसके कंधे पकड़ कर ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा।
रूम में उसकी सिसकारियां का मधुर संगीत बजने लगा; साथ में पच-पच … फच-फच की आवाजें भी होने लगीं।

बस उसके दो मिनट बाद ही भाभी की चूत ने कामरस छोड़ दिया।
वो झड़ने के बाद ढीली पड़ गई, कहने लगी- बहुत दिनों बाद किया है इसलिए टिक नहीं पाई।

मैं बोला- कोई बात नहीं, घोड़ी बन जाओ।
वो पलंग के किनारे पर आकर घोड़ी बन गई।

मैंने पीछे से फांकें चौड़ी करके एकदम से पूरा लण्ड डाल दिया जिससे भाभी छटपटाकर छूटने की कोशिश करने लगी।

मगर मैंने उसके कूल्हों को मजबूती से पकड़ रखा था इसलिए वो छूट नहीं सकी।
फिर मैंने उसको चोदना चालू किया।

मैं दमदार धक्के उसकी गांड पर मार रहा था और पट-पट की तेज आवाज होने लगी। लंड उसकी चूत को फाड़ने लगा.

कुछ देर बाद ही वो बोलने लगी- टांगें दुख रही हैं।
वो मेरे ऊपर आने के लिए कहने लगी ताकि उसको आराम मिल सके।

फिर मैं नीचे लेट गया और वो लंड पर बैठकर कूदने लगी। मैं उसकी चूचियों को भींचने लगा।

उसे कूदते हुए कई मिनट हो गए और मैं अब अपनी चरमसीमा की ओर बढ़ने लगा था।
मैंने पूछा- माल का क्या करना है?
वो बोली- चूत में ही निकाल दो।

कुछ पल बाद ही मेरे लंड से वीर्य छूट पड़ा और उसकी चूत में भर गया।
इसी के साथ भाभी की चूत भी दोबारा झड़ गई।

मेरे ऊपर लेटी हुई वो हांफने लगी और चूत से निकला मिश्रित वीर्य मेरी जांघों तक बहकर आ गया।
वो उठी और मेरी आंखों में देखकर बोली- ऐसा मजा जिंदगी में कभी नहीं आया।

फिर वो उठी और बाथरूम में चली गई।

मैं भी उसके पीछे गया और दोनों ने एक दूसरे को साफ किया।
फिर हम बाहर आए तो वो कहने लगी- अरे … मैंने आपसे कुछ खाने पीने का तो पूछा ही नहीं!
मैं बोला- कोई बात नहीं, अब इतनी रात को क्या खाना बनाएंगे।

फिर मुझे ध्यान आया कि मेरे पास गाड़ी में दारू और कुछ नमकीन पड़ी है।
सारा सामान मैं निकालकर ले आया और भाभी गिलास लेकर आ गई।

फटाफट बोतल खोलकर मैंने पटियाला पैग बनाया और चियर्स करके लम्बा घूँट लिया।

जब मैंने उसकी ओर गिलास किया तो उसने पीने से मना कर दिया और बोली- मैंने बस विदेश में एक बार बियर पी थी पति के साथ!
मैंने कहा- ओह्ह … कोई बात नहीं, इसमें थोड़ी कोल्ड ड्रिंक मिलाओ तो ये बियर बन जाएगी।

आखिरकार मैंने उसको पिला ही दी।
उसके बाद चुदाई का दूसरा राउंड शुरू हो गया।
फिर हम दोनों थक कर सो गए।

सुबह उसने सात बजे उठा दिया और जल्दी से गुड़िया को नहला दिया।
फिर हम भी नहा लिए और बेटी को उसने पड़ोस वाली आंटी के घर छोड़ा और हम अस्पताल के लिए निकल गए।

रास्ते में भाभी बोली- मां जी पूछें तो कह देना तुम मुझे छोड़कर निकल गए थे।

हम अस्पताल पहुंच गए।
मैं अपने रिश्तेदार के पास चला गया और वो अपनी सास के पास।

कुछ देर बाद मैं उनके रूम में गया तो बुढ़िया मेरा हाल पूछने लगी।

मैंने भी उसके बारे में पूछा।
फिर बोली- रात को कहां रुके थे बेटा?
मैं एकबार तो सकपका गया और फिर बोला- जी होटल में!

वो बोली- होटल में जाने की क्या जरूरत थी, घर पर ही रुक जाते।
फिर मेरी सांस में सांस आयी।
मैं बोला- नहीं मां जी, मैं एक अनजान आदमी ऐसे कैसे रूक सकता था?

उसने कहा- अनजान कहां हो बेटा, अपने जैसे ही हो।
उधर भाभी नजरें नीचे किए मुस्करा रही थी।

मैंने पांव छूकर मां जी का आशीर्वाद लिया।

फिर दिन गुजर गया और शाम को फिर उसे घर छोड़ने की बारी आई।

आज रास्ते में हमने काफी सारी शॉपिंग की।

घर पहुंचे तो वो सामान एक तरफ रखकर सोफे पर सुस्ताने लगी।

अचानक से फिर उठी और बेटी को लेने गई।

आज फिर से मुझे घर में पाकर उसकी बेटी बोली- मम्मी ये कौन हैं?
वो बोली- बेटी ये तुम्हारी दादी के मायके से हैं। तबियत पूछने आए हैं।

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फिर वो उसको खिलाकर टीवी के पास ले गई और कार्टून में लगा दिया।
खुद वो किचन में जाकर खाना बनाने लगी।

मैंने पीछे से जाकर उसको पकड़ लिया।

उसकी बेटी दूसरे रूम में टीवी देख रही थी।

भाभी बोली- ओफ्फ … ऐसी भी क्या जल्दी है, खाना तो बनाने दो!
मैं वापस सोफे पर आकर बैठ गया।

कुछ देर बाद वो आई और सोफे पर आकर बैठ गई। मैंने पास खींचकर उसकी पप्पी ले ली।
मैं बोला- बाथरूम में चलो, अब रुका नहीं जा रहा।

वो उठकर बेटी के रूम की ओर गई और धीरे से दरवाजा बंद करके आ गई।
फिर हम दोनों जल्दी से बाथरूम में घुस गए और नंगे होकर एक दूसरे से लिपट गए।

चूमा चाटी के बाद मैंने रेजर से भाभी की झांटें साफ कीं, चूत एकदम चिकनी हो गई, मेरा चाटने का मन कर गया था।

मैं वहीं टॉयलेट सीट पर उसकी टांग रखवाकर चूत को चाटने लगा।
उसकी चूत से नमकीन सा पानी निकल रहा था। उसकी सिसकारियां निकलने लगीं और कुछ ही देर में उसने मेरे मुंह पर पिचकारी मार दी।

अपने मुंह को मैंने उसके बूब्स पर रगड़ रगड़ कर साफ कर दिया।

नहा धोकर हम बाहर आ गए।
उसने बिटिया को खाना खिलाया और सुलाने की तैयारी कर दी।

उसके सोने के बाद हमने अपना प्रोग्राम शुरू किया।
भाभी ने पैग बना दिया और मेरी गोद में आकर बैठ गई।

मैंने उसके होंठ चूसते हुए पैग खत्म किया।

जैसे जैसे दारू का सुरूर चढ़ने लगा, भाभी के कपड़े उतरने लगे।
जल्दी ही हम 69 की पोजीशन में एक दूसरे के लंड चूत को खाने में लगे हुए थे।

कुछ ही देर में उसकी चूत लंड के लिए तड़प उठी और वो चोदने के लिए कहने लगी।

मैं उठा और उसके बूब्स मसलते हुए लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
उसकी चूत पानी पानी हुई पड़ी थी।

अब मुझसे भी न रुका गया और मैंने मौका देख एक झटके में लंड उसकी चूत में पेल दिया।

इस बार मैंने विराम नहीं दिया और सीधा चुदाई करने लगा।
वो भी बर्दाश्त कर गई।
मेरी स्पीड बढ़ती चली गई और उसकी चूत पचापच चुदने लगी।

मैंने उसको अब डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया।
पांच-सात धक्कों के बाद उसकी चूत ने पिचकारी मार दी।
आनंद में भरकर भाभी बोली- काश मैं आपकी बीवी होती!

तो मैंने एक दुनिया की सबसे हटकर बात कही- तुम अगर मेरी बीवी होती तो कुछ सालों में ऊब जाती, क्योंकि फैशन की तरह सेक्स भी बदलता है।
वो इस पर कुछ न कह पाई।

फिर हमने खाना खाया और चुदाई के अगले राउंड की तैयारी होने लगी।
इस बार मेरी इच्छा भाभी की गांड मारने की थी।
हम दोनों नंगे बेड पर पड़े हुए थे।

मैं उसके कूल्हों पर हाथ फेरने लगा तो वो कहने लगी- इरादे नेक नहीं लग रहे।
मैं बोला- हां भाभी, मुझे गांड मारनी है।
भाभी- नहीं-नहीं, मैंने आज तक नहीं मरवाई।

तो मैं बोला- तो आज मरवा लो, फिर न जाने हम मिलेंगे या नहीं।
उसने मेरे मुंह पर हाथ रखते हुए कहा- ऐसा न कहो, जो चाहो कर लो।

मैं उसकी गांड को सहलाने लगा और वो एकदम से मेरे सीने से लिपट गई।

ऐसे ही लेटे लेटे अब मैंने उसको पलटा दिया और उसके चूतड़ों पर लंड को रगड़ने लगा।
उसकी गांड के छेद को लंड के टोपे से सहलाने लगा।

उसको मजा सा आने लगा तो मैंने ढेर सारा थूक उसके छेद और अपने लंड के टोपे पर लगा दिया।

अब मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए और पीठ पर किस करते हुए एक धक्के के साथ लंड को गांड में घुसा दिया।

वो छटपटाने लगी और छूटने लगी लेकिन मैंने सहलाना शुरू कर दिया।
लंड घुस चुका था और अब बस उसका दर्द कम करना था।

मैं उसको होंठों और गालों पर चूसने लगा और जल्दी ही वो नॉर्मल हो गई।

अब धीरे धीरे मैंने उसकी गांड चोदनी शुरू की।
वो दांत भींचकर सहन करने लगी।
धीरे धीरे पूरा लंड गांड में जाने लगा।

कुछ देर के बाद भाभी को भी गांड चुदाई में आनंद आने लगा।
गांड अब खुल गई थी तो आराम से लण्ड आ-जा रहा था।

मैं चूत में भी एक उंगली चलाने लगा तो भाभी को और मजा आने लगा।

इस पोजीशन में चुदते हुए भाभी को दस मिनट हो गए और फिर मस्ती में होकर उसने एकदम से चूत से फव्वारा छोड़ दिया।
इधर मेरे लंड ने भी वीर्य उसकी गांड में गिरा दिया।

फिर हम नंगे ही एक दूसरे को बांहों में लेकर सो गये।

सुबह जब नींद खुली तो तो देखा भाभी उल्टी सोई हुई थी जिससे उसकी गाण्ड चमक रही थी।

मैंने उसे बांहों में लेकर भींच लिया और वो भी जाग गई।
इतने में मेरा लण्ड सलामी देने लगा।

वो कहने लगी- अब नहीं, दुख रहा है सब कुछ … अस्पताल भी चलना है।
मैंने कहा- जल्दी से कर लेते हैं एक राउंड!

ये बोलकर मैं उस पर चढ़ गया।
तेजी से उसकी चूत में लंड को अंदर बाहर करते हुए उसे दस मिनट तक खूब रगड़ा।
फिर उसकी चूत में वीर्य गिराकर मैं बाथरूम में नहाने चला गया।

हम पहले दिन की तरह तैयार होकर अस्पताल के लिए निकले।
उस दिन उनको छुट्टी मिल गई और मेरे रिश्तेदार को भी।
पहले मुझे मां जी को घर छोड़ना था, इसलिए उनको छोड़ने चला गया।

मां जी ने मेरे सिर पर हाथ फेर कर आशीर्वाद दिया और मैं निकलने लगा तो भाभी मुझे दरवाजे तक छोड़ने आई।
उसकी आंखों में पानी था।
मैं भी भारी मन से वहां से विदा हुआ।

फिर भाभी से कभी कभार फोन पर बातचीत हो जाती थी।
कुछ महीने बाद पता चला कि मां जी अब इस दुनिया में नहीं रहीं।
उसके बाद भाभी अपने पति के साथ विदेश में ही रहने लगी।

तो दोस्तो, ये थी भाभी के साथ चुदाई की मेरी सच्ची कहानी।
आपको ये गुड सेक्स फॉर फ्री स्टोरी कैसी लगी मुझे जरूर बताना।
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