होली के बाद की रंगोली-09

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अब तक आपने पढ़ा कि कैसे सचिन ने सोनाली को गलती से नंगी दबोच लिया था लेकिन उसके बाद जिस तरह से सोनाली ने इस बात पर प्रतिक्रिया दी उसे देख कर सचिन को लगा कि कहीं ये खुला आमंत्रण तो नहीं?
अब आगे…

सचिन ज़्यादा देर तक सोच में डूबा न रह सका, रूपा और सोनाली भी खाना खा कर उठ चुकीं थीं।
रूपा- फिर आज क्या प्लान है कोई फिल्म देखना है या यूँ ही टीवी? या फिर गप्पें लड़ाना है?
सोनाली- नहीं यार, मैं तो नहाने जा रही हूँ, उसके बाद थोड़ी देर सोने का मूड है।
रूपा- क्यों भैया ने रात को सोने नहीं दिया क्या?
सोनाली- सोई तो बेटा तू भी नहीं है और मज़े मेरे ले रही है?
रूपा- हाँ यार! मैं भी सो ही लेती हूँ थोड़ी देर! सचिन तुम?
सचिन- मैं भी आ गया साथ में तो हो गई तुम्हारी नींद… हे हे हे…
रूपा- ठीक है तो फिर तुम टीवी देख लो।

रूपा सोने के लिए अपने रूम में चली गई। सोनाली भी नहाने चली गई और सचिन टीवी देखने के नाम पर फिर अपनी सोच में डूब गया। दीदी चाहती तो अपने गाउन के अंदर कुछ ब्रा-पैंटी पहन सकती थी। कम से कम रूपा के ये कहने पर कि तेज़ रोशनी में अंदर सब दिख रहा है, वो इसे अपनी गलती मान कर गाउन बदल भी सकती थी। लेकिन उसने जो कहा उसका तो सीधा मतलब यही है कि उसे अब फर्क नहीं पड़ता या शायद ये कि सुबह जो हुआ उसके बाद उसकी शर्म ख़त्म हो चुकी है।

ये सब सोच कर सचिन को इतना तो समझ आ गया कि अब डरने की ज़रूरत नहीं है। अब उसे कोई दबंग कदम उठा ही लेना चाहिए। वो उठा और उसने निश्चय किया कि अब सोचने का नहीं करने का समय है। पहले सचिन रूपा के कमरे की तरफ गया और देखा कि दरवाज़ा बंद था। उसने धीरे से खोलकर देखा तो वो अंदर सो रही थी। दरवाज़े को वापस धीरे से बंद करके सचिन बाथरूम की तरफ चला गया।

उसने बाथरूम का दरवाज़ा अंदर से बंद करके लॉक कर दिया ताकि रूपा अगर आये तो उसे लगे कि वो टॉयलेट गया था। फिर उसने आराम से अपने सारे कपड़े निकाले और सुबह की ही तरह शावर की तरफ गया। लेकिन अब उसे न तो कोई जल्दी थी और न कोई ग़लतफ़हमी। उसे साफ पता था कि उस परदे के पीछे कौन है। उसने एक लम्बी सांस ली और धीरे से पर्दे को पूरा खोल दिया।

क्योंकि पर्दा धीरे से खोला गया था, सोनाली को कोई झटका नहीं लगा और शायद उसे ऐसा कुछ होने की अपेक्षा भी थी। उसके एक हाथ में शावर था और दूसरा उसके स्तनों के बीच से होकर दूसरे कंधे को छू रहा था। कुछ देर वो ऐसे ही खड़ी रही। दोनों एक दूसरे की आँखों में आँखें डाले देखते रहे, मानो आँखों ही आँखों में कह रहे हों कि एक न एक दिन तो ये होना ही था।

फिर सोनाली को जाने क्या सूझा कि वो मुड़ी और पीछे लगे सेटिंग वाले पैनल पर कुछ करने लगी। थोड़ी ही देर में उसने शावर को स्टैंड पर लगा दिया और सेटिंग पैनल पर एक बटन दबा कर वापिस सचिन की ओर मुड़ गई।
म्यूजिक शुरू हो गया था और साथ ही सोनाली की कमर भी धीरे से लहराने लगी थी। संगीत की धुन से ही सचिन समझ गया था कि ये मोहरा फिल्म का गाना था… टिप टिप बरसा पानी… पानी ने आग लगाई…

सचिन कमोड के बंद ढक्कन के ऊपर जा कर बैठ गया और अपनी बहन का नंगा नाच देखते हुए धीरे धीरे अपना लंड सहलाने लगा। यूँ तो पहले भी बाथरूम के छेद से पहले भी उसने सोनाली को नंगी नाचते हुए देखा था लेकिन आज ये न केवल आमने सामने था बल्कि साथ में म्यूज़िक था, लाइट्स थी और तरह तरह के शॉवर थे जो म्यूजिक की धुन पर सोनाली पर मस्ती की बारिश कर रहे थे।

नाचते हुए सोनाली अपनी चूची और चूत बराबर रगड़ रही थी। ये नाच दिखाने में उसे और भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था। वैसे भी अभी कुछ दिनों से उसे पहले की तरह दिन रात की लगातार चुदाई नहीं मिली थी।
गाना ख़त्म होते होते उससे रहा नहीं गया और वो नीचे बैठ कर ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत रगड़ने लगी और दूसरे हाथ से उंगली भी करने लगी। जब तक गाने की धुन बंद हुई, सोनाली झड़ चुकी थी।

जब सोनाली को होश आया तो सामने उसे सचिन दिखाई दिया। उसके हाथ में अब भी उसका खड़ा हुआ लंड था जिसको हिलना अब वो बंद कर चुका था। सोनाली खड़ी हुए और शावर का पारदर्शी दरवाज़ा स्लाइड करके मुस्कुराते हुए बाहर आई। फिर धीरे धीरे स्टाइल से चलते हुआ सचिन के पास पहुंची। सचिन तब तक खड़ा हो चुका था। उसने वैसे ही मुस्कुराते हुए सचिन का लंड पकड़ा और उसे खींच कर बाहर की ओर चल दी।

सोनाली, सचिन को उसके लंड से पकड़ कर अपने बैडरूम तक ले गई, फिर उसने सचिन को बेड के पास खड़ा किया और जैसे फुटबाल के खिलाड़ी अक्सर करते हैं वैसे अपनी छाती से सचिन की छाती को धक्का मार कर उसे बिस्तर पर गिरा दिया। अपनी बहन के स्तनों को अपनी छाती पर टकराते हुए अनुभव कर सचिन का लंड और भी कड़क को गया।

सोनाली, सचिन की आँखों में आँखें डाल कर देखते हुए घुटनो के बल नीचे झुकी और सचिन का लंड अपने हाथों में पकड़ कर जीभ से चाटने लगी। बीच बीच में कभी वो आँखें बंद करके उसे चूसने लगती तो कभी अपनी क़ातिलाना निगाहों से सचिन को देखने हुए लंड को जड़ से सर तक चाटने लगती। कुछ ही देर में पूरा लंड उसके थूक से गीला हो चुका था।
अब सोनाली उठी और बिस्तर पर उसके सर के बाजू में बैठ गई।

सचिन उसके कूल्हों पर अपने हाथ फेरने लगा। सोनाली ने अब सचिन के लंड को अपने मुँह में ले लिया था और वो उसे ऐसे चूस रही थीं जैसे सारा रस अपने चूसने की ताक़त से ही निकाल लेगी। सचिन के हाथों को खेलने के लिए बहुत कुछ मिल गया था, वो उसके स्तनों को सहलाता तो कभी पीठ से होता हुआ कमर तक सोनाली की चिकनी त्वचा को महसूस करता। फिर कभी उसके नितम्बों को मसल देता।

तभी उसे अहसास हुआ कि सोनाली ने उसका लंड काफी ज़्यादा अपने मुँह में ले लिया है और उसका लंड अब सोनाली के गले के करीब पहुँच गया है। करीब 2-3 उंगल ही सोनाली के मुँह के बाहर था बाकी सब अंदर! ऐसे में सोनाली ने 2-4 बार अपना सर ऊपर नीचे किया और हर बार सचिन के लंड ने सोनाली के गले पर दस्तक दी। फिर उसने पूरा लंड बाहर निकाल कर उस पर थूका और हाथ से फैला कर पूरा लंड फिर गीला कर दिया।

कुछ समय तक सोनाली ऐसे ही तेज़ी से अपना सर हिला हिला के सचिन को अपने मुँह से चोदती रही। फिर वो उठी और उसने 2-3 बार गहरी सांस ली और वापस झुक कर सचिन का लंड गप्प कर गई।
इस बार जब सचिन का लंड सोनाली के गले तक पहुंचा तो उसने सर हिला कर उसे चोदने की बजाए, उसे निगलना शुरू कर दिया। उसके गले में ऐसी हलचल हो रही थी जैसे वो पानी पी रही हो। सचिन का लंड धीरे धीरे सोनाली के गले में समाने लगा।

जल्दी ही सोनाली के होंठ सचिन के अंडकोषों को चूम रहे थे और अब लंड के और अंदर जाने की कोई गुंजाईश नहीं थी। लेकिन सोनाली अब भी उसे किसी ड्रिंक की तरह गटक रही थी। इससे सचिन को ऐसा लग रहा था जैसे लगातार उसके लंड की मालिश हो रही हो।
उसने ऐसा पहली बार अनुभव किया था और वो आँखें बंद किये चुपचाप इसका पूरा आनन्द उठाने की कोशिश कर रहा था। उसे लग रहा था कि अब वो ज़्यादा देर रुक नहीं पाएगा और झड़ जाएगा.

तभी सोनाली के फ़ोन की घंटी बजने लगी।

लंड सोनाली गए गले में इतना अंदर था कि उसे अचानक से नहीं निकला जा सकता था। सोनाली ने उसे धीरे से निकालने की कोशिश की लेकिन वो अचानक लंड की मालिश बंद होने के डर से और कुछ निकालने की कोशिश में बढ़ी हुई हलचल से, सचिन रोक नहीं पाया और झड़ने लगा। जो वीर्य सोनाली के गले में ही निकल गया वो तो सोनाली पी ही गई लेकिन बाकी का उसके मुँह में निकला और तब तक सोनाली ने फ़ोन उठा लिया था।

पंकज ने कॉल किया था।
सोनाली- है…वो!
पंकज- क्या हुआ? ऐसे क्यों बोल रही हो?
सोनाली- रबड़ी ख़ा रही थी?
कहते कहते सोनाली ने सचिन का सारा वीर्य पी लिया और बाकी बात करते करते उसके लंड से चटख़ारे ले कर चाटने लगी जैसे खाने के बाद अपनी उंगलियाँ चाट रही हो।

पंकज- हाँ यार, इसी के लिए कॉल किया था। आज काम जल्दी निपट गया है तो सोचा वापस आते वक़्त बाज़ार से कुछ मिठाई वगैरा ले आऊं। परसों राखी है तो तुमको भी कोई सामान मंगाना हो तो बता दो।
सोनाली- हाँ यार! पूजा का कुछ सामान है, मैं लिस्ट बता देती हूँ, तुम ले आना।

अब तक सोनाली ने सचिन का लंड चूस कर और चाट कर पूरी तरह से साफ़ कर दिया था। वो उठ कर नंगी ही फ़ोन पर बात करते हुए बाहर चली गई। सचिन कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा फिर उठ कर बाथरूम गया और फ्रेश हो कर कपड़े पहन कर ड्राइंग रूम में जाकर टीवी देखने लगा।

सोनाली किचन में थी, उसने एक दूसरा सेक्सी सा गाउन पहन लिया था और वो शायद रात के खाने की तैयारी कर रही थी।

तभी रूपा अपने रूम से बाहर आई और फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चली गई, वहां से आकर रूपा सचिन के पास चिपक कर बैठ गई।
रूपा- पता है मैंने एक मस्त सपना देखा।
सचिन- क्या देखा?
रूपा- सपने में हम दोनों चुदाई कर रहे थे, और तभी भाभी वहां आ गईं, और मैंने उनको पकड़ के तुम से चुदवा दिया। फिर हम तीनों ने मिल कर बहुत तरीकों से चुदाई की।
सचिन- वाओ ! काश, तुम्हारा सपना सच हो जाए।

रूपा- तो एक काम करो न! तुम मुझे अभी यहीं चोदने लगो। भाभी आवाज़ सुन कर आएंगी तो उनको पकड़ कर चोद देना।
सचिन- अरे नहीं! ऐसे जबरन नहीं करना चाहिए। सही मूड बनना ज़रूरी है। और वैसे भी आज जीजा जी जल्दी आने वाले हैं। अभी उनका फ़ोन आया था। अगर दीदी से पहले उन्होंने देख लिया तो।
रूपा- तुम कौन सा मेरा जबरन चोदन कर रहे हो। उनको भी पता है कि मैं दूध की धुली नहीं हूँ।

सचिन- क्या बात कर रही हो? उनको किसने बताया कि तुम चुदवा चुकी हो?
रूपा- अरे बाबा ! वक़्त आने पर सब बता दूँगी। अभी चुदाई नहीं तो किस तो कर ही सकते हो न यार?

तभी पंकज आ गया। वो अक्सर अपनी चाभी से दरवाज़ा खोल कर सीधे अंदर आ जाता है ताकि किसी को अपना काम छोड़ कर दरवाज़ा खोलने न आना पड़े। उसके आने से सचिन चौंक गया और अपना चुम्बन तोड़ कर अलग होने की कोशिश की लेकिन रूपा ने उसे नहीं छोड़ा। और तो और वो दोनों तरफ पैर करके सचिन के ऊपर चढ़ गई और उसे किस करने लगी।

इस बात पर पंकज ज़ोर से हंसने लगा।
पंकज- क्या है सचिन? मेरी बहन तुम्हारा जबर चोदन तो नहीं कर रही न? देखो इस घर में सब खुले आम हो सकता है लेकिन जबरदस्ती कुछ नहीं। कोई प्रॉब्लम हो तो बता देना मैं आ जाऊँगा मदद के लिए।
ऐसा कह कर हँसते हुए पंकज सामान रखने के लिए किचन की ओर चला गया।

जब तक वो फ्रेश हो कर कपडे बदल कर आया तब तक रूपा का किस ख़त्म हो चुका था। पंकज वहीं सोफे पर रूपा के बाजू में बैठ गया।
पंकज- मुझे अभी पता चला कि तुम लोग शादी करने का सोच रहे हो?
रूपा- हाँ भैया! मतलब अभी नहीं, लेकिन जब भी शादी के लायक हो जाएंगे तब।
पंकज- देखो, मैं बहुत खुले विचारों वाला हूँ तो अगर तुमको एक दूसरे के साथ अच्छा लगता है तो साथ रहो, जितनी मस्ती करनी है करो। लेकिन शादी के मामले में जल्दीबाज़ी में कोई फैसला मत लेना।

रूपा- चिंता मत करो भैया! सिर्फ मस्ती की बात नहीं है। हमको सच में प्यार हो गया है। फर्क बस इतना है कि कुछ लोगों को पहली नज़र में प्यार होता है, हमको पहली चु…
सचिन- मतलब हमको पहली मुलाक़ात में प्यार हो गया। वैसे भी दीदी तो रूपा को काफी दिनों से जानती हैं उन्होंने भी सिफारिश की थी।
पंकज- फिर ठीक है। वैसे भी शादी को तो अभी बहुत टाइम है, तब तक एन्जॉय करो।

ऐसे भी बातों और गप्पों में ये शाम भी गुज़र गई।

एक ज़रूरी बात दोस्तो, सोनाली ने जो सचिन के लंड को गटका था वो हर किसी के लिए संभव नहीं है। केवल कुछ खास गले की बनावट वाली लड़कियां ऐसा कर सकती हैं वो भी कुछ ही तरह के लंडों के साथ। इन सब के बाद भी ऐसा करने के लिए काफी अभ्यास की ज़रूरत होती है, इसलिए अपनी सेक्स की साथी को ऐसा करने के लिए ज़ोर न दें। धीरज से काम लें, और अगर वो न कर पाए तो उसे मजबूर न करें।

दोस्तो, आपको यह भाई-बहन की उत्तेजक नाच और लंड चुसाई की वाली कहानी कैसी लगी आप मुझे ज़रूर बताइयेगा।
आपका क्षत्रपति
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