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रैगिंग ने रंडी बना दिया-76
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रैगिंग ने रंडी बना दिया-78
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अब तक की इस हिंदी पोर्न स्टोरी में आपने पढ़ा कि गोपाल ने नीतू से अपने लंड की मुठ मरवा ली थी और मोना ने ये सब देख लिया था.
इधर सुमन अपने पापा को गरम करने के लिए हर मौके का इस्तेमाल करने की सोच चुकी थी.
अब आगे..
सुमन ने एक पतली टी-शर्ट और पजामा पहन लिया था, उसका मन अब कुछ और करने का था.
गुलशन जी बाहर आए और सुमन को ऊपर से नीचे तक गंदी नज़रों से देखते हुए सुमन के खाना बनाने के सवाल पर बोले- अपने पापा का बड़ा ख्याल है तुझे.. आज तो तू परांठे बना.. एकदम कड़क और मसालेदार.. तब मज़ा आएगा.
सुमन- ठीक है पापा बना देती हूँ. तब तक आप बाहर बैठ कर इंतजार करो.
गुलशन- अरे बाहर क्यों? हम दोनों साथ मिलकर बनाते हैं ना, बात भी होती रहेगी और परांठे भी बन जाएँगे.
सुमन समझ गई कि उसकी तरह उसके पापा भी उसके मज़े लेने के चक्कर में हैं. अब वो भी कहाँ पीछे रहने वाली थी उसकी शराफत तो कब की हवा हो गई थी. अब तो सुमन बस लंड और चुत के खेल को आगे ले जाना चाहती थी.
सुमन- ठीक है पापा, जैसा आपको अच्छा लगे. चलो आप आलू उबालो, मैं तब तक आटा गूँथ लेती हूँ.
गुलशन जी ने अपना काम निपटा दिया और सुमन खड़ी हुई आटा गूँथ रही थी. उसकी गांड थोड़ी बाहर को निकली हुई थी, जिसे देख कर गुलशन जी का मन डोलने लगा. वो सुमन के ठीक पीछे जाकर खड़े हो गए और लंड को सुमन की गांड से टच कर दिया.
सुमन- क्या कर रहे हो पापा.. मुझे काम करने दो ना.
गुलशन- अरे देख रहा हूँ ना कैसे तुम आटा गूँथ रही हो.
सुमन अपने मन में- अच्छा ये बात है.. देख रहे हो या आप लंड को गांड से सटा कर मज़ा ले रहे हो.
सुमन ने कुछ बोला नहीं और गांड को थोड़ा और पीछे कर दिया और आटा गूँथने लगी, जैसे वो हिलती, उसकी गांड ऊपर-नीचे होती, जिससे लंड की अच्छी- ख़ासी घिसाई होने लगी.
थोड़ी देर ये खेल चलता रहा, फिर सुमन ने अपने पापा को एक्सट्रा मज़ा देने की एक तरकीब लगाई. वो कोहनी से अपने पेट पर खुजलाने लगी, जिससे गुलशन जी को भी एक्सट्रा मज़ा लेने का मौका मिल गया.
गुलशन- अरे क्या हुआ है तुम्हें?
सुमन- वो पेट के ऊपर खुजली हो रही है.. अब हाथ आते में सने हैं तो कोहनी से करूँगी ना.
गुलशन- अरे पापा के होते तुम परेशान क्यों होती हो. लाओ मैं कर देता हूँ.. बताओ कहाँ करूं?
सुमन- नहीं पापा रहने दो.. मैं अपने आप कर लूँगी ना!
गुलशन- अरे ऐसे कैसे.. बताओ मुझे, मैं कर दूँगा.. नहीं तो ऐसे ही परेशान रहोगी.
इतना कहकर गुलशन जी ने पीछे से ही सुमन के पेट के ऊपर हाथ रख दिया.
सुमन- पापा व्व..वो थोड़ा ऊपर करो.
गुलशन जी ने धीरे-धीरे हाथ को ऊपर करना शुरू किया. अब वो सुमन के मम्मों से बस एक इंच की दूरी पर थे.
सुमन- आह…. नहीं.. रहने दो सस्स.. मैं खुद कर लूँगी ना पापा.
गुलशन- अरे मैं तेरा पापा हूँ, ऐसे क्यों बर्ताव कर रही हो.. यहीं करूं क्या?
सुमन- व्व..वो पापा आपको कैसे बताऊं व्व..वो मेरे कहाँ खुजली हो रही है?
गुलशन जी भी समझदार थे, उन्हें इतना इशारा काफ़ी था. उन्होंने शर्म को साइड में रखा और हाथ सीधे सुमन के मम्मों पे रख दिया और धीरे-धीरे सहलाने लगे.
सुमन- सस्स आह.. पापा.. यहीं हो रही है मगर नहीं रहने दो ना.. नहीं प्लीज़ पापा.
गुलशन- चुप कर तू.. ऐसे खुजली ज़्यादा होगी.. मैं कर रहा हूँ ना.
गुलशन जी ऐसे बर्ताव कर रहे थे, जैसे ये एक नॉर्मल बात है. फिर सुमन ने भी आगे कुछ नहीं कहा, बस वैसे ही खड़ी अपने मम्मों को दबवाती रही. वैसे तो गुलशन जी कपड़ों के ऊपर से मज़ा ले रहे थे, मगर उनका मन था कि वो सीधे सुमन के नंगे चूचों को मसल कर मजा लें और सुमन भी यही चाहती थी. मगर वो मर्यादा में रहकर सब करना चाहती थी यानि सब कुछ हो भी जाए और गुलशन जी की नज़र में वो सीधी भी बनी रहे.
सुमन- बस बस पापा हो गया.. अब सही है. अब आप रहने दो.
गुलशन जी ने हाथ हटा लिया मगर वो वैसे ही खड़े रहे और लंड को गांड पर दबाते रहे और जैसे सुमन का मन था कि पापा डायरेक्ट मम्मों को छुएँ.. अन्दर उसने कुछ पहना भी नहीं था तो वो फिर कोहनी से खुजलाने लगी.
सुमन- ओफफो.. ये आज क्या हो रहा है बार-बार खुजली क्यों हो रही है?
गुलशन- फिर से हो गई.. ला मैं करता हूँ.
सुमन- नहीं पापा रहने दो, ऐसे ही शायद पसीने से हो रहा होगा.
गुलशन- अरे कोई चींटी होगी जो काट रही होगी.. मुझे देखने दे, नहीं तो तुझे और ज़्यादा परेशानी होगी.
सुमन कुछ कहती, उससे पहले ही गुलशन जी ने हाथ टी-शर्ट में डाल दिया और सीधे सुमन के नंगे मम्मों पे लगा दिया.
सुमन- ससस्स.. प्प..पापा ये आप क्या..
सुमन आगे कुछ बोलती तब तक गुलशन जी ने उसके मम्मों को अच्छे से दबा दिया और उसके निप्पलों को भी मरोड़ दिया. फिर जल्दी से हाथ बाहर निकाल लिया.
गुलशन- त्त.. तुमने अन्दर कुछ नहीं पहना.. मुझे पहले क्यों नहीं बोली.
सुमन- सॉरी पापा व्व..वो मैं बताना चाहती थी मगर आपने मेरी बात सुनी ही नहीं.
गुलशन जी ऐसे बर्ताव करने लगे जैसे ये अंजाने में हुआ हो.
गुलशन- अरे वो उस दिन तुझे कपड़े दिलाए थे.. उसमें वो अन्दर की भी थी ना.. उसे पहना कर.
सुमन- व्व..वो पापा घर में मुझे अच्छा नहीं लगता इसलिए.
गुलशन- अच्छा अच्छा समझ गया.. जाने दे वैसे वो नए कपड़े क्यों नहीं पहनती. वो बहुत अच्छे हैं, तुझपे जमेंगे भी.
सुमन- बाद में पहन लूँगी पापा.. अभी नहीं.. पहले मैं थोड़ी एड्जस्टमेंट कर लूँ उसके बाद पहनूंगी.
गुलशन- अच्छा ठीक है, जब मर्ज़ी हो पहन लेना.. अच्छा बेटी तुझे बुरा तो नहीं लगा ना.. अभी जो मैंने किया?
सुमन- नहीं पापा आपने जानबूझ के थोड़े किया.. वो तो ग़लती से हो गया इट्स ओके.
गुलशन- अच्छा बेटी वो तेल मालिश और ये बात अपनी माँ को मत बताना. ऐसे उन्हें पता लगेगा तो अच्छा नहीं लगेगा ना.
सुमन ने बहुत ही सेक्सी अंदाज में मुस्कान दी.
सुमन- आप भी ना पापा.. ये बात कोई बताने की थोड़ी है और वैसे भी अपने ऐसा कुछ गलत भी नहीं किया. मेरे दर्द को ठीक किया और अभी खुजली की.. बस यही ना..!
सुमन की बात सुनकर गुलशन जी खुश हो गए, उनको लगा सुमन भी यही चाहती है कि उसके पापा उसको मज़ा दें.
सुमन- क्या हुआ पापा क्या सोच रहे..?
बोलते-बोलते वो जोर से उछली जैसे उसको किसी जानवर ने काट लिया हो.
सुमन- ओह माँ उफ़फ्फ़ पापा आह..
गुलशन- अरे क्या हुआ.. ऐसे क्यों उछल रही हो.. क्या हो गया है?
सुमन- व्व..वो पापा टी-शर्ट में कोई कीड़ा है.. मुझे जोर से काट लिया.. उफ़फ्फ़..
गुलशन- मैंने पहले ही कहा था.. ला इधर आ.. देखने दे मुझे.
गुलशन जी ने मौके का फायदा उठाया और सुमन की टी-शर्ट में हाथ डाल कर अबकी बार बारी-बारी दोनों मम्मों को अच्छे से दबाया और मसला.
सुमन- उफ़फ्फ़ सस्स क्या हुआ पापा.. कुछ मिला क्या?
गुलशन- नहीं कुछ नहीं मिला.. मुझे ठीक से देखने दे.. शायद चिंटी होगी.
इतना कहकर गुलशन जी ने टी-शर्ट ऊपर कर दी. अब सुमन के नंगे चूचे उनके सामने थे और सुमन आँखें बंद किए बस दर्द का नाटक कर रही थी.
गुलशन जी ने एक बार सुमन को देखा फिर अच्छे से पूरे मम्मों पर दोबारा हाथ घुमाया और मौका देख कर जल्दी से एक निप्पल को चूस भी लिया.
सुमन इस हरकत से एकदम सिहर गई और जल्दी से पीछे हो गई, उसने अपनी टी-शर्ट ठीक की और गुलशन जी से नज़रें चुराने लगी.
गुलशन- क्या हुआ सुमन.. देखने तो दे.
सुमन- नहीं पापा निकल गया शायद.. अब आप बाहर जाओ, मुझे काम करने दो.
दरअसल सुमन उत्तेजित हो गई थी और वो नहीं चाहती थी कि वो पापा को इससे ज़्यादा मौका दे, वरना कुछ भी हो सकता था.
गुलशन जी भी समझ गए कि शायद उन्होंने कुछ ज़्यादा कर दिया, तो वो चुपचाप बाहर निकल गए और अपने कमरे में चले गए.
सुमन ने परांठे बना लिए, तब तक हेमा भी आ गई. सबने खाना खाया और रोज की तरह आराम करने लगे.
उधर मोना ने भी चाल खेली और गोपाल को सूखा ही रहने दिया ताकि उसकी तड़फ बढ़ जाए और वो नीतू को चोदने का पक्का मन बना सके.
दोस्तो सुमन और मोना की कहानी को थोड़ा ब्रेक लगाओ और बाकी सब की भी खैर-खबर ले लो ताकि आप किसी को भूल ना जाओ.
संजय और पूजा का तो आपको पता ही है. अब पूजा के पापा आ गए तो उसका यहाँ सोने का प्रोग्राम बंद हो गया. मगर दोपहर को एक बार तो वो संजय से चुदवा ही लेती है. बाकी संजय के दोस्त.. तो उनका अभी कोई खास काम है नहीं.. तो उनको जाने दो. उधर फ्लॉरा की कहानी आपको पता ही है, बस उसका एक राज बाकी है, वो भी आपको जल्दी ही बता दूँगी.
अब सुमन की कहानी शुरू हो गई है तो इन सबका धीरे-धीरे काम ख़त्म ही समझो. बस मैं कोई खास मौके पर इनसे आपको मिलवा दूँगी और टीना तो वक़्त-वक़्त पे सुमन से मिलती ही है, तो आप उसका टेंशन मत लो.
आज सनडे था.. तो टीना अपने भाई को बाहर घुमाने ले गई. शाम तक दोनों ने खूब एंजाय किया और घर आ गए.
शाम को सुमन उठी और फ्रेश होकर टीना से मिलने चली गई.
टीना- अरे सुमन आज सनडे था और तू आई ही नहीं.. मैंने सोचा बाहर जाएँगे.. घूमेंगे, मस्ती करेंगे.
सुमन- नहीं दीदी आज घर पर थोड़ा काम था इसलिए नहीं आई.
टीना- मैंने सोचा आज तू अपने पापा के साथ कोई गेम खेलेगी, ये सोचकर मैं तेरे घर नहीं आई. वैसे बता ना.. कोई काम बना या नहीं?
सुमन- कोशिश तो बहुत की, मगर कुछ हुआ नहीं दीदी. अब आप कोई नया आइडिया दो, जिससे मैं पापा को तड़पा सकूं.
सुमन ने एकदम झूठ कहा और सारी बातें छुपा लीं. अब ये अदा उसमें कैसे आई, ये तो आप अच्छी तरह जानते हो. टीना ने उसे रंडी बनाने के लिए फास्ट बनाया और सुमन अब आधी रंडी तो बन ही गई थी. अब तो सुमन टीना के साथ ही गेम खेल रही है.. उसने अपनी कहानी टीना से छुपा ली.
बस दोस्तो अब सुमन पर जवानी का रंग चढ़ गया है. अब आगे देखो क्या होता है.
दोस्तो, आप मुझे मेरी इस हिंदी पोर्न स्टोरी पर कमेंट्स कर सकते हैं.
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कहानी जारी है.