मैं एक हसीना की कामुकता संतुष्टि का साधन बना

नमस्कार दोस्तो, मैं आपका एक बार फिर से स्वागत करता हूँ एक नई कहानी में, मेरी कहानी का नायक है राहुल और नायिका अनामिका है.
राहुल 20 साल का एक लड़का है, बी कॉम के दूसरे साल का छात्र है जो रोजाना बस से अपने कॉलेज जाता है. कभी कभी बस में सीट मिल जाती है तो कभी कभी नहीं भी मिलती.
अनामिका 30 साल की एक शादीशुदा औरत हैं जो किसी बैंक में काम करती हैं.. और ये भी बस से ही बैंक जाती हैं. अनामिका देखने से ही खाते पीते घर की लगती है मतलब उसका बदन भरा पूरा है. जैसे आप समझ लो विद्या बालन जैसा… बड़ी बड़ी चूचियाँ, उभरे चूतड़, भरा हुआ चेहरा!

एक बार ये दोनों एक ही बस से अपने अपने गंतव्य स्थान की ओर जा रहे थे, स्थिति कुछ ऐसी थी कि राहुल को तो सीट मिल गई थी लेकिन अनामिका जी वहीं उसकी सीट से सट कर खड़ी थीं. उनका एक खरबूजे के साइज का चूचा राहुल के सर के पास था या यूँ कहें कि उसके सर से सटा हुआ था. पहले तो इसके बारे में उनका और राहुल का कोई ध्यान नहीं था लेकिन जैसे ही बस चलना शुरू हुई एक हल्के से धक्के से वो सब कहानी समझ गए. अब चूँकि राहुल एक लड़का था तो उसके अन्दर एक शरारती कीड़ा उठने लगा. अब वो हर झटके पर अपनी तरफ से अपने सिर से उनके नर्म गर्म और मुलायम चूचों को दबा देता. उसे उस अहसास में मजा आने लगा और वो ये भी भूल गया कि ये चूचे किसी और के हैं, उसके नहीं.

खैर उसे महसूस हुआ कि जो चूचे पहले नर्म और मुलायम थे, अब थोड़े-थोड़े टाइट होते जा रहे है, जो कि राहुल की नज़र में उसके लिए एक अच्छा संकेत था. उसने अपना सिर ऊपर उठा कर अनामिका जी के चेहरे की ओर देखा तो वो भी उसे ही देख रही थीं. दोनों एक दूसरे को देख कर थोड़े शर्माए और फिर राहुल ने वही मम्मों को दबाना जारी रखा. लेकिन अब के दबाने में और पिछले में थोड़ा अंतर था. अब वो ज्यादा देर तक दबाए रख रहा था और अनामिका जी भी थोड़ा पास को आ गई थीं. अब राहुल का कंधा अनामिका की जांघों के बीच में घुस रहा था. अब राहुल अपने सर के साथ अपनी उंगलियों का भी प्रयोग करने लगा, वो अपना एक हाथ अनामिका की टांगों पर ले आया और आस पास के लोगों से आँख बचाकर चूत तक पहुंचने की कोशिश करने लगा.

थोड़ी देर में अनामिका जी अपने स्टॉप पर उतर गईं और वो अपने कॉलेज चला गया, जहाँ पढ़ाई करने में उसका मन नहीं लगा.

अगले दिन छुट्टी थी तो दोनों अपने-अपने घर पर रहे. उसके बाद अगले दिन उन्हें पास पास की सीट मिल गई. वो एकदम शांत बैठे थे. शायद ये इंतज़ार में थे कि कौन पहले बात करेगा.
थोड़ी देर बाद अनामिका जी ने चुप्पी तोड़ी और राहुल से उसके कॉलेज के बारे में पूछा तो उसने जवाब में अपना कॉलेज के बारे में बताते हुए उनसे पूछा कि आप क्या करती हैं? तो उन्होंने भी अपनी जॉब के बारे में बता दिया.

फिर अनामिका जी ने राहुल से उसका एड्रेस पूछा तो राहुल ने अपना एड्रेस बताते हुए उनका पता पूछा. इससे उन दोनों को पता लगा कि दोनों ज्यादा दूर नहीं रहते हैं. फिर उन्होंने यह कह कर राहुल का मोबाइल नम्बर ले लिया कि अगर वो अपने घर से कभी लेट होती हैं तो राहुल को बता कर एक दो मिनट के लिए बस को रोका जा सके.

अगले दिन कोई और बस थी, जिसमें कुछ ज्यादा ही लोग भरे हुए थे तो वो दोनों भी जैसे तैसे अन्दर घुस गए. अनामिका जी आगे थीं और राहुल उनके पीछे खड़ा था. तभी राहुल को एक शरारत सूझी और वो उनके पीछे से उनकी गांड पर अपने अगले हिस्से से ठोकर मारने लगा और जब उसका लंड थोड़ा खड़ा हुआ तो उसने पैंट के ऊपर से निशाना लगा कर गांड के पास दे मारा, जिससे वो पलट कर खड़ी हो गईं.

अनामिका जी उसका लंड पकड़कर बोलीं- जरा सब्र करो, इतनी जल्दबाजी भी ठीक नहीं… तुम तो मौके का फायदा उठाना अच्छी तरह जानते हो.
तो राहुल हल्का सा मुस्कुरा दिया, तब अनामिका जी लंड को हल्का सा दबाते हुए बोलीं- देखते हैं कि कितना दम है, कल हाफ डे है.. अगर फ्री हो तो घर आना.. फिर देखते हैं.
तभी बस रुकी और अनामिका जी अपने स्टॉप पर उतर गईं.

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अगले दिन राहुल की नींद उनके फ़ोन से टूटी तो वो पूछ रही थीं कि क्या हुआ आओगे या डर गए?
तो राहुल बोला- रुको जरा आपको बताता हूं कि कौन डरता है और कितना डरता है.
तब अनामिका जी ने जवाब दिया कि इंतज़ार रहेगा.

लगभग 3 बजे के करीब राहुल उनके बताए घर पर पहुँच गया और दरवाजे की बेल बजाई तो थोड़ी देर में एक खूबसूरत सी लड़की ने दरवाजा खोला.
उसने बड़ी शालीनता से राहुल से पूछा- आप कौन?
तो राहुल ने अपना परिचय देते हुए पूछा- क्या ये अनामिका जी का घर है?

तभी अनामिका जी आईं और राहुल को ‘वेलकम राहुल..’ बोल कर अन्दर ले गईं. अनामिका जी ने उस खूबसूरत सी लड़की से परिचय करवाते हुए कहा- इसका नाम रिया है.. ये मेरे साथ काम करती है.
थोड़ी देर बाद रिया अपने घर चली गई, तब अनामिका जी और राहुल को फ्री टाइम मिला.
अनामिका के पति को दूसरे शहर में रहना पड़ रहा है, कुछ महीने पहले ही उनका तबादला हुआ था. वे महीने में एक बार ही वीक एंड पर आते हैं. अनामिका की कोई सन्तान नहीं है.

अनामिका जी बोलीं- हाँ बॉस, अब बताओ कि फ़ोन पर क्या बोल रहे थे?

तो राहुल ने प्यार से उनके गाल पर हाथ घुमाते हुए उन्हें किस करना शुरू कर दिया.
राहुल को सेक्स का कुछ ख़ास अनुभव नहीं था, उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी, बस एक बार यार दोस्तों की मदद से एक काल गर्ल को होटल में बुला कर चोदा था. बस उसी अनुभव के सहारे राहुल आगे बढ़ रहा था.

कुछ ही पलों में वो धीरे धीरे उनके होंठों को अपने होंठों से चूस रहा था. वो भी अपनी जीभ और होंठों का एक परफेक्ट तरीके से उपयोग कर रही थीं. उन्हें बाकी के काम की कोई जल्दबाज़ी नहीं थी.

राहुल धीरे धीरे उनके चूचों पर अपने हाथ को घुमाते हुए ले गया औऱ उनके ब्लाउज का एक हुक खोल कर अपने होंठों से उनके गले पर किस करने लगा. बगल में ही लैपटॉप में उन्होंने एक सेक्सी ट्यून लगा रखी थी, जो माहौल को और भी मज़ेदार सेक्सी बना रही थी. राहुल उनके कान से लेकर उनके गले से होते हुए अपने होंठों को उनके ब्लाउज के पास चूचों की शुरुआती गहराइयों तक ले जा रहा था. अनामिका जी ने अपने आपको ऐसे उसके हवाले कर दिया था कि जैसे उनके शरीर में जान ही ना हो. वे एकदम निढाल हो गई थीं और उनके मुंह से एक हल्की सी मादक आवाज आ रही थी.

थोड़ी देर बाद राहुल ने उनका ब्लाउज उनके सेक्सी बदन से अलग कर दिया औऱ लगभग 38 इंच के टाइट हो चुके चूचों पर अपने हाथ और मुंह को ले गया. वो उनके दाएं तरफ के चूचे को अपने हाथ से मसल रहा था और दूसरे चूचे पर गुलाबजामुन की तरह जड़े हुए चॉकलेटी कलर के निप्पल को अपने होंठों से चूसते हुए अपने दांतों से बीच बीच में काटता जा रहा था.

घड़ी में 4 बज चुके थे, इसका मतलब उन्हें एक दूसरे की बाँहों में खोए हुए लगभग आधा घंटे से ज्यादा हो गया था. लगभग 5 मिनट के बाद जब राहुल उनके दोनों चूचुकों को चॉकलेटी से लाल कर चुका था तो उसने उनके बदन से सारे कपड़े उतार दिए और अपने हाथों को अनामिका जी के पेट से घुमाते हुए उनकी नाभि और उनकी नाभि से उनकी चूत तक ले गया जो कि पूरी तरह गीली हो चुकी थी.

राहुल उनकी गद्देदार चूत के होंठों के आस पास धीरे धीरे से अपनी उंगली को घुमाने लगा. फिर जिस तरह वो अपनी उंगली को उनकी चूत तक लाया था, उसी तरह अपने मुंह को उनकी नाभि को चूमते हुए उनकी चिकनी चूत पर ले गया. अब राहुल उनकी चूत के होंठों को अपने होंठों में लेकर रसपान करने लगा.
अनामिका जी की हालत ऐसी हो रही थी जैसे किसी मछली को पानी से बाहर निकाल दिया हो.
राहुल अपनी नाक से उनकी चूत के दाने को छेड़ रहा था और अपनी जीभ को उनकी चूत में जितनी अन्दर तक हो सकता था, घुसेड़ रहा था.

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थोड़ी देर बाद वो झड़ गईं और खड़ी हो गईं. अनामिका जी के खड़े होने पर उनकी टाँगें काँप रही थीं. तभी राहुल ने अपनी पैन्ट उतार दी और करीब 7 इंच का तूफानी लंड उनके सामने आ गया.
खड़ा और बड़ा लंड देख कर अनामिका जी थोड़ा ठिठक गईं, तो राहुल बोला- क्या हुआ?
तो अनामिका जी बोलीं- बहुत बड़ा है… जरा धीरे धीरे करना.
राहुल ने कहा- डर गईं क्या?

तो वो थोड़ी शर्मा गईं और अपने घुटनों पर बैठकर राहुल से कुछ बातें करती हुईं उसके लंड को आगे पीछे करने लगीं. उन्होंने लंड के सुपारे को थोड़ा खोला और अपने मुंह से चूसने लगीं. उधर उनकी इस हरकत से राहुल का बुरा हाल हो चुका था.

इधर वो पूरे लंड को अपने मुंह में लेने की कोशिश कर रही थीं, पर लंड थोड़ा बड़ा था. जब राहुल को लगा कि उसका हथियार तैयार है तो उसने अनामिका जी को मोर्चा सम्भालने को कहा. वो बेड पर सीधी लेट गईं. राहुल ने उनका एक पैर अपने कंधे पर रखा और अपने लंड को उनकी रसीली चूत के द्वार पर लगा कर धीरे धीरे अन्दर सरकाने लगा.
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निहारिका के मुख से निकला. या आनन्द और दर्द मिश्रित आह थी. शुरूआत में थोड़ी थोड़ी तकलीफ दोनों को हुई क्योंकि लंड बड़ा और चूत टाइट थी.

कुछ ही देर में राहुल ने अपना पूरा लंड अनामिका की चूत में घुसा दिया और हल्के हल्के धक्के मारने लगा. दोनों के मुख से आनन्द भारी सीत्कारें निकल रही थी.
लेकिन थोड़ी ही देर बाद नजारा बदल गया था. राहुल ने अनामिका की चूत में दनादन धक्कों की बौछार कर दी. वो भी चूत और चूतड़ उछाल उछाल कर लंड का मजा लेने लगीं. असुविधा होने पर दोनों पोजीशन बदल देते और थोड़ा रुक रुक कर चोदने से काफी लंबे चले.
कुछ देर में दोनों स्खलित हो कर लेट गए. राहुल अनामिका के वक्ष पर ही गिर गया था. कुछ देर तो अनामिका राहुल का भार सहती रही लेकिन फिर उसने राहुल को हटने के लिए कहा. राहुल हटा तो अनामिका की चुत में से राहुल का वीर्य बाहर बहने लगा. अनामिका नंगी ही उठी और अलमारी से दो छोटे तौलिये निकाले, एक राहुल को दिया और दूसरे से अपनी चूत पौंछने लगी.

अनामिका बोली- यार हमने अनप्रोटेक्टेड सेक्स कर लिया. अब मुझे गोली खानी पड़ेगी.
राहुल सिर्फ मुस्कुरा कर रहा गया और उसने अनामिका को पुनः अपनी बांहों में ले लिया. दोनों अगल बगल लेट कर बातें करने लगे. उसने बताया कि उसके पति बहुत अच्छे हैं, चुदाई का पूरा मजा देते हैं लेकिन अब जॉब के कारण उन्हें बाहर रहना पड़ा रहा है.
तो मुझे समझ आया कि मैंने अनामिका को नहीं पटाया बल्कि अनामिका ने अपनी कामुकता की संतुष्टि के लिए मुझे साधन बनाया है. चलो मुझे क्या… खरबूजा चाकू पर गिरे या चाकू खरबूजे पर… कटेगा तो खरबूजा ही… मुझे तो एक बढ़िया मजेदार साफ़ सुथरी चूत मिल ही गई चोदने को!

अनामिका ने राहुल से एक वादा लिया कि ये सब बातें प्राइवेट होंगी और तुम मेरे घर आते रहोगे. उसने मुझे कहा- तुम मुझे फोन मत करना कभी, या तो हम बस में बात कर सकते हैं या फिर मैं तुम्हे फोन कर लिया करूंगी जरूरत होने पर.
इसके बाद वो मुझे दो बार अपने घर बुला चुकी है.

तो दोस्तो, इस तरह से मैंने एक अजनबी हसीना की चूत की चुदाई का मजा लिया.

आप अपनी अनमोल राय मुझ तक पहुंचाइए longname8[email protected] आशा करता हूँ कि अधिक से अधिक मेल मुझे प्राप्त होंगे. वो लड़के मेल ना करें जिन्हें कुछ जुगाड़ लगवानी है.. और हाँ सबसे बड़ी बात इस कहानी का केवल 50% भाग (जो कुछ बस में हुआ) ही असली है.. बाकी काल्पनिक है. धन्यवाद!

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