अचानक मिली लड़की की सहेली को भी पेला- 2

गर्लफ्रेंड फ्रेंड सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी गर्लफ्रेंड मुझे अपनी सहेली के घर ले गयी. वो गर्म माल थी. उसकी 34-30-36 की फिगर देखकर मेरा लंड तनाव में आ गया था.

अन्तर्वासना के सभी दोस्तों को हर्षद का प्यार भरा नमस्कार.

मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग
सड़क के किनारे लड़की की चूत मारी
में आपने पढ़ा कि मैं और नीता बाईक पर जब हम नीता की सहेली गीता के घर पहुंचे, तो थोड़े से भीग गए थे.
जब गीता सामने आयी तो हम दोनों एक दूसरे की तरफ ही देख रहे थे.

गीता की बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी फिगर थी.
आगे उभरे हुए उसके स्तन, पीछे निकली हुई गोल मटोल गदरायी सी गांड और उसकी 34-30-36 की फिगर देखकर मेरा लंड तनाव में आ गया था.

उधर गीता की नजर मेरी पैंट के उभार पर टिकी हुई थी.
फिर हम तीनों चाय पीने के लिए बैठ गए थे.

अब इसके आगे की गर्लफ्रेंड फ्रेंड सेक्स कहानी आपके मनोरंजन के लिए पेश कर रहा हूँ.

बातें करते करते हम सभी ने चाय खत्म कर दी.
गीता बहुत ही हंसमुख थी, वो खुलकर ऐसे बातें कर रही थी, जैसे वो मेरी बहुत पुरानी दोस्त हो.

हम दोनों भी एक दूसरे को चाहने लगे थे. हम दोनों भी बार बार एक दूसरे को अलग नजरों से देख रहे थे.

इतने में गीता चाय के कप उठाने के लिए झुकी. चाय के कप मेरे सामने तिपाई पर रखे थे.
जैसे ही वो कप उठाने के लिए झुकी, तो उसकी नाईटी में छुपे हुए कसे हुए गोल मटोल, उभरे हुए दूध जैसे सफेद स्तन झूलते हुए देखकर मैं देखता ही रह गया.

गीता मेरी नजरों को ताड़ गयी थी.
उसकी नजरें मेरी नजरों से मिलीं, तो मैंने कहा- मस्त सेक्सी हैं.
तो गीता आहिस्ता से बोली- बहुत बदमाश हो हर्षद.
ये कहकर वो चाय की ट्रे लेकर अपनी गदरायी गांड मटकाती चली गयी.

नीता भी उसके साथ अपनी गांड मटकाती हुई चली गयी.
वो दोनों किचन में जाकर काम करने के साथ बातें करने लगी थीं.
मैं अकेला रह गया.

बाहर बारिश नहीं हो रही थी तो मैंने सोचा कि ऊपर छत पर जाकर जरा घूम लूं.
मैं सीड़ियों से छत पर आ गया.

बहुत मस्त मौसम था.
आकाश में बादल छाए हुए थे, ठंडी हवा चल रही थी.
बादलों की वजह से ज्यादा रोशनी नहीं थी.

छत का फर्श बारिश के पानी से गीला हो गया था तो मैंने अपनी लुंगी घुटनों तक लेकर कमर पर बांध कर ऊंची कर ली और मैं छत पर टहलने लगा.
मौसम सच में काफी रोमांटिक था लेकिन मैं अकेला बोर हो रहा था.

मेरे मन में गीता की जवानी का ही ख्याल आ रहा था. मेरे मन में उसकी बाहर निकाली गदरायी गांड और पतली कमर, उभरे हुए गोल मटोल स्तन ही आ रहे थे.

वो सब सोचते ही मेरा लंड तनाव में आने लगा था.
मैं अब छत की साईड की छोटी सी दीवार पर अपनी दोनों कलाईयों के सहारे झुक कर बाहर का नजारा देखने लगा था.

इतने में मेरी गर्लफ्रेंड फ्रेंड गीता आकर मेरे साथ ही झुककर खड़ी हो गयी.

मैंने उसे बाजू में देखा और कहा- अच्छा हुआ गीता तुम आ गईं. मैं अकेला बोर हो गया था.
तो गीता बोली- मैं भी तुम्हें ही ढूँढ रही थी हर्षद.

मैंने कहा- अच्छा, इसका मतलब हम दोनों एक दूसरे के बारे में ही सोच रहे थे.
गीता हंस कर बोली- हां हर्षद ऐसा ही कुछ है. जब से मैंने तुम्हें देखा है, मैं मन ही मन तुम्हें चाहने लगी हूँ. और तो और… जब से तुम्हारा गोरा सा लंबा और मोटा लंड देखा है, तो मैं और भी ज्यादा दीवानी हो गयी हूँ. मेरी चूत तो सोचते ही गीली हो जाती है हर्षद. अब तुम ही मेरी बरसों की प्यास बुझा सकते हो.

मैंने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा- गीता एक बात पूछूं?
गीता बोली- पूछो ना हर्षद, अब तुमसे क्या छिपाना.
मैंने कहा- गीता, तुम्हारे पति तुम्हें पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाते हैं क्या?

इस पर गीता बोली- मेरे पति अच्छे हैं, उन्होंने बहुत धन दौलत कमाई है, लेकिन उनके पास मेरे लिए समय नहीं है. हफ्ते में दो तीन दिन तो बाहर ही रहते हैं और पन्द्रह दिन में कभी कभार एक बार चोदते हैं. वो भी पांच-छह मिनट में चूत में पानी छोड़कर सो जाते हैं. उनका 4 इंच लंबा और एक इंच का गोल टुन्नू सा आइटम है. वो कभी मुझे चूमते नहीं, मेरे स्तन रगड़ते नहीं, चूत चूसने की तो बात ही दूर की है. आज तक कभी उन्होंने चूत को छुआ तक नहीं है, तो चूसना तो दूर की बात है. इतनी धन दौलत का क्या फायदा हर्षद. मेरा जिस्म तो प्यासा ही है. मैं बरसों से प्यासी हूँ. अपनी ये प्यास मैंने किसी को बता भी नहीं सकती हूँ. ऐसी बातें मैं किसके साथ शेयर कर सकती हूँ. बस मेरी एक ही सहेली है नीता, उसी को ही सब बताती हूँ.
उसके साथ ही मैं अपने दिल का बोझ हल्का कर लेती हूँ. अब मेरी सभी आशाएं तुम पर हैं हर्षद. तुम ही मेरा इलाज कर सकते हो.

इतना कहती हुई वो मेरे गले से लगकर रोने लगी.

मैं अपने एक हाथ से उसके सर को थपथपाने लगा और दूसरे हाथ से उसकी पीठ सहलाने लगा.
मैंने कहा- चुप हो जाओ गीता. अब मैं आ गया हूँ ना, तुम्हारी सभी अधूरी इच्छाओं को पूरी कर दूंगा.

उसने अपना सर उठाकर कहा- सच हर्षद?
मैंने उसके आंसू पौंछकर कहा- हां सच में!

इतना कहकर मैंने अपने दोनों हाथों में उसका चेहरा पकड़ा और उसका माथा चूम लिया.
गीता ने अपनी आंखें बंद कर लीं.

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मैं बारी बारी से उसकी आंखें, गाल, नाक को चूमने लगा.
अब उसने आंखें खोल दीं.

मैंने अपने होंठों और जीभ को उसके होंठों के पास ले गया.
उसके होंठ थरथराने लगे.

गीता ने फिर से अपनी आंखें मूंद लीं और मैंने अपनी गीली जीभ उसके होंठों पर फिरा दी.
एक बार को गीता सिहर सी उठी.

मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
गीता ने मुझे अपनी बांहों में कस लिया तो मैं उसके होंठों को लगातार चूमने लगा.
गीता का चेहरा खिलने लगा था.

मैं अपनी जीभ उसकी जीभ से लड़ाने लगा, तो उसे अच्छा लगने लगा.
वो भी मेरे जीभ से अपनी जीभ लड़ाकर मजे लेने लगी.
साथ में वो मेरे होंठों को चूसने लगी थी, तो मैं भी उसके होंठों को चूसने लगा था.

गीता के उभरे हुए कड़क स्तन मेरे सीने पर दब गए थे.
मैं उसकी पीठ पर हाथ फिराते हुए उसकी बाहर निकली गदरायी सी गांड को भी सहला रहा था.

गीता गर्म होने लगी थी.
अब मेरा लंड भी पूरे तनाव में आ गया था तो गीता की चूत से टकराने लगा था.

मैं गीता की गदरायी गांड अपने दोनों हाथों जोर से दबाने लगा तो गीता आहें भरने लगी.

दस मिनट की इस चुम्माचाटी के बाद मैं गीता की नाईटी के ऊपर से ही उसके निप्पलों को अपने होंठों से बारी बारी चुभलाने लगा.
गीता सीत्कार करने लगी- ओह हर्षद आह आ ऊ ऊ … क्या कर दिया है.

उसकी मादक आवाजों से मेरा जोश बढ़ने लगा.

मैंने गीता की नाईटी के आगे के बटन खोल दिए.
उसने ब्रा नहीं पहनी थी.

उसके गोरे गोरे उभरे हुए स्तन और उसके ऊपर भूरे रंग के खड़े निपल्स देखकर मेरे मुँह से तो पानी टपकने लगा था.

मैंने बिना हाथ लगाए अपनी जीभ, दोनों निप्पलों पर बारी बारी से गोल गोल घुमायी, तो गीता के मुँह से तेज तेज मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं- आह ओह ऊह ऊहं हूँ आह ऊ हू!

उसके निप्पल तनकर कड़क हो गए थे.
फिर मैं एक स्तन को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

तो गीता अपने दोनों हाथों से मेरा सर अपने स्तन पर दबाने लगी थी- ओह हर्षद और जोर से चूसो … आंह आज पहली बार कोई मर्द मेरे स्तन चूस रहा है … आंह मैं बहुत खुश हूँ. मैं ये सब तुमसे मजा ले कर रही हूँ.

गीता की बातें सुनकर मैं और जोश में आ गया और उसके दोनों स्तनों को बारी बारी से जोर से चूसने लगा.
वो मदहोश होकर मेरा सर जोर जोर से अपने स्तनों पर दबाए जा रही थी.

कुछ ही पलों में मैंने उसके दोनों स्तनों को चूसकर लाल कर दिए थे.
हम दोनों भी काफी गर्म हो गए थे और छत पर ही लगे थे.

इतने में बारिश शुरू हो गयी.
गीता बोली- अब नीचे चलो हर्षद, हम नीचे चलते हैं. इस बारिश को भी अभी ही आना था.
मैंने कहा- हां चलो नीचे चलते हैं, इस बारिश ने सब बेरंग कर दिया.

शाम गहरा गई थी और अंधेरा छाने लगा था.

हम दोनों नीचे आए तो नीता हॉल में बैठकर टीवी देख रही थी.

हमें देखकर वो बोली- यार मुझे अकेला छोड़कर तुम दोनों कहां चले गए थे?
वो ये सब मुझे आंख मारती हुई बोली थी.

गीता बोली- अरे हम दोनों छत पर टहलने गए थे.

ये कहते हुए हम दोनों नीता के साथ सोफे पर बैठ गए.
मैं उन दोनों के बीच बैठ गया था.

नीता ने टीवी पर रोमांटिक फिल्म लगायी हुई थी, तो वो ही देखने लगे.

गीता मेरे साथ सटकर बैठ गयी थी. उसकी मुलायम जांघों का अहसास मुझे उसकी पतली नाईटी के ऊपर से ही महसूस हो रहा था.

हम दोनों देख तो टीवी रहे थे लेकिन हमारा ध्यान कहीं और था.

नीता भी इस कामुक फिल्म को देखकर गर्म हो गयी थी.
अब वो भी मुझे सटकर बैठ गयी थी.

उन दोनों के बीच मैं भी गर्म हो गया था.
मैंने अपने दोनों हाथ गीता और नीता के कंधों पर से ले जाकर उनकी चूचियों पर रख दिए और एक एक चूची सहलाने लगा.

इससे वो दोनों भी सिहर उठी थीं.
उन दोनों ने अपने एक एक हाथ से मेरी दोनों जांघें सहलाना शुरू कर दिया.
मेरा लंड लुंगी के अन्दर फड़फड़ाने लगा था.

नीता ने देखा कि मेरी लुंगी में लंड के खड़े हो जाने से तंबू बन गया है, तो उसने अपने हाथ आगे बढ़ा दिया और जांघें सहलाती हुई उसने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया.
ये गीता ने भी देख लिया और उसने भी मेरी जांघों से हाथ सरका कर मेरा लंड का निचला हिस्सा पकड़ लिया.

दोनों ने लंड पकड़ा हुआ था और दोनों मिलकर मेरे लंड को सहलाने लगी थीं.
मेरे मन मे दो दो लड़कियों से लंड सहलवाने से लड्डू फूट रहे थे.

एक साथ दो दो के साथ मजा आने लगा था.
सच में ये पहली बार हो रहा था तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था.

मैं पूरे जोश में आ गया और उन दोनों के स्तन जोर जोर से मसलने लगा.
वो दोनों भी मादक सिसकारियां लेने लगी थीं.

गीता के मुँह से कराह निकली- ओह हाय हर्षद … अब और कितना जोर से दबाओगे … आंह यार बहुत दर्द हो रहा है … अब बस भी करो ना!

मैंने गीता के स्तन को भींचना बंद कर दिया.
गीता ने मेरे गाल को चूम लिया.

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इस सब में हमें समय का पता ही नहीं चला.
गीता घड़ी देख कर बोली- अरे आठ बज गए हैं. मैं चलती हूँ. सबके लिए खाना बनाना है.
इस पर नीता भी उठती हुई बोली- नहीं गीता, तुम बैठो. आज मैं खाना बनाती हूँ.

मैं भी नीता के साथ उठकर खड़ा हो गया.
गीता बोली- हर्षद, हम दोनों बालकनी में चलते हैं. मैं नीता को खाना का सब बताकर आती हूँ.

मैं सीढ़ियां चढ़ने लगा.
मैं बालकनी में जाकर बाहर का नजारा देखने लगा.

हल्की हल्की सी अभी भी बारिश हो रही थी और मस्त ठंडी हवा चल रही थी.

उधर एक सिंगल बेड पड़ा था. ये छोटा सा था, जिस पर एक आदमी सो सके. उसकी उंचाई भी कम थी.
मैं उस पर बैठ गया.

इतने में गीता आ गयी और मेरे पास बैठ कर बोली- हर्षद, यहां कैसा लग रहा है?
मैंने उसके होंठों को चूमकर कहा- बहुत ही अच्छा लगा. देखो ना मौसम भी कितना रोमांटिक है.

गीता चहक कर बोली- हां वो भी हमारा साथ दे रहा है.
गीता की बातें सुनकर मैंने कहा- हां गीता, तो हम क्यों अपना समय बर्बाद कर रहे हैं.

गीता समझ गई और मुस्कुराती हुई बोली- मतलब?
मैंने कहा- मतलब अभी समझा देता हूँ.

मैंने उसे खींच कर उसी बेड पर लिटा लिया और उसकी नाईटी के बटन खोल दिए.
गीता के बदन पर सिर्फ पैंटी थी.

मैंने झुक कर अपना एक हाथ उसकी चूत पर पैंटी के ऊपर से ही रखा तो गीता सिहरने लगी.
उसने अपनी दोनों टांगें फैला दीं और मेरे लिए जगह बना दी.

मैं ऊपर से नीचे तक चूत को सहलाने लगा.
गीता के मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं.
उसकी पैंटी पूरी गीली हो गयी थी.

मैंने एक ही झटके में उसकी पैंटी उतार दी और अपना दूसरा पैर बेड के दूसरी तरफ रख कर गीता के मुँह की तरफ अपनी गांड करके खड़ा हो गया.
फिर झुककर गीता के पेट और नाभि को चूमने लगा.

गीता आहें भरने लगी. उसे भी मजा आ रहा था.

फिर मैंने अपनी जीभ गीली करके उसकी नोक गीता की नाभि में डाल दी और घुमाने लगा.

गीता ने सिहर कर अपने दोनों हाथों से मेरी गांड सहलाते हुए कहा- हर्षद, बहुत गुदगुदी हो रही है वहां … लेकिन बहुत मजा आ रहा है.
गीता की बात सुनकर मैं और तेजी से जीभ घुमाकर नाभि को चूमने लगा.

फिर मैंने अपना मुँह कमर पर रख दिया.
मैं गीता की कोमल और पतली कमर को हर जगह चूमता हुआ नीचे रस टपकाती हुई उसकी चूत की तरफ बढ़ गया.

मैं उसकी चूत को देखता ही रह गया.
इतनी दूध जैसी गोरी और उभरी हुई, चिकनी, मुलायम मखमली चूत देखकर मैं हैरान था.

गीता की शादी को तीन साल होने के बाद भी उसकी चूत कुंवारी लड़की की तरह कसी हुई थी.
चूत के होंठ अभी भी खुले नहीं थे.

उसकी चिकनी चूत देखकर मेरा लंड फड़फड़ाने लगा था.

मैं चूत के आजू बाजू अपने होंठों से चूमने लगा तो गीता सिहरकर आहें भरने लगी.
वो कामुक होने लगी थी.

उसने मेरी लुंगी अपने हाथों से खींचकर फेंक दी और अपने दोनों हाथों में मेरा लंड पकड़कर सहलाने लगी.

अब मैंने अपने होंठों को एक बार अपनी जीभ से चाटकर गीले किए और गीता की चूत पर रख दिए.

गीता के मुँह से ‘आह ऊ ऊ उई …’ की मादक आवाज निकलने लगी.
मेरा जोश और बढ़ गया.

मैंने अपने दोनों हाथों की उंगलियों से चूत की दोनों फांकों को खींचकर चूत की दरार को चौड़ा कर दिया.
एक पल को चूत के अन्दर की गुलाबी रंगत को निहारा और अगले ही पल अपनी जीभ अन्दर डाल दी.

वो आंह आंह करके अपनी चूत सिकोड़ने लगी थी मगर मैं जीभ को चूत के अन्दर से पेल कर उसकी दीवारों को चाटने लगा.
उसकी चूत भट्टी जैसी गर्म हो गयी थी.

जैसे ही मैं जीभ से चूत सहलाने लगा तो गीता कसमसाने लगी थी.

उसने अपनी दोनों जांघों में मेरा सर कसकर जकड़ लिया था.
मैं अपनी पूरी जीभ चूत में डाल निकाल कर चूत की मुलायम, गुलाबी दीवारों से टपकने वाले रस को चाटने लगा था.

गीता से रहा न गया और उसने मेरा लंड अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उसे आगे पीछे करने लगी.
साथ में अपने होंठों पर मेरे लंड का तना हुआ, मुलायम, गुलाबी सुपाड़ा फिराने लगी थी.

मैंने भी अपने दोनों हाथ उसकी गोरी, गदरायी गांड के नीचे डालकर चूत को ऊपर उठा लिया और अपनी जीभ तेज गति से अन्दर बाहर करने लगा.

गीता जोर जोर से मादक सिसकारियां लेने लगी थी.
वो पहली बार ये सब अनुभव कर रही थी इसलिए गीता का शरीर जल्द ही अकड़ने लगा था.

वो अपने हाथों से लंड छोड़ कर मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी.
गीता अपने आपको रोक ना सकी और उसकी चूत ने ढेर सारा गर्म चुतरस छोड़ दिया था.

मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और चूत पर अपने होंठों को रखकर चूत से बाहर आने वाला खट्टा चुतरस पीने लगा.
उधर गीता मेरा सुपारा मुँह में लेकर चूस रही थी.

मैंने पूरा चूतरस गटक लिया था.
अब गीता ने अपनी जांघें फैलाकर मुझे आजाद कर दिया था.

दोस्तो, आपको गीता की चुदाई की कहानी का पूरा ब्यौरा सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.
आपको यह गर्लफ्रेंड फ्रेंड सेक्स कहानी कैसी लग रही है, मुझे मेल करना न भूलें.
[email protected]

गर्लफ्रेंड फ्रेंड सेक्स कहानी का अगला भाग: अचानक मिली लड़की की सहेली को भी पेला- 3