घर की चूत- पहले दीदी, फिर माँ

यह कहानी मेरी और मेरी दीदी के बीच में हुई सच्ची घटना की है। उस समय मेरी दीदी रमणी (बदला हुआ नाम) 24 साल की थी और मैं सोनू उससे 2 साल छोटा था। मेरे घर में मम्मी, पापा और हम दोनों ही रहते थे।

मैं आप लोगों को ज्यादा बोर नहीं करते हुए सीधे कहानी पर आता हूं।

एक दिन की बात है जब मैं बाथरूम में नहा रहा था और मेरी शुरू से ही आदत थी कि मैं पूरा नंगा होकर शावर लेता था. उस दिन मैं दरवाजा बंद करना भूल गया। तभी अचानक दीदी बाथरूम में चली आई. उस वक्त मैं अपने लंड पर साबुन मल रहा था. दरवाजा खुलते ही मैं भी सहम सा गया.

दीदी ने एक बार मुझे पूरा नंगा देख लिया. फिर मैंने दोनों हाथ एकदम से अपने लंड पर रख लिये और अपने साबुन लगे लंड को छिपा लिया. दीदी ने अगले ही पल दरवाजा बंद कर दिया. इस घटना ने मुझे सन्न सा कर दिया. काफी देर तक मैं यूं ही सोचता रहा और शावर का पानी मेरे ऊपर गिरता रहा.
थोड़ी देर बाद मैं भी नहा कर बाहर चला आया।

फिर दोपहर को मैं घर में अकेला ही बैठा हुआ था. दीदी भी वहां आकर बैठ गई और मुझसे बोली- क्या हुआ भाई, इतने उदास क्यों बैठे हुए हो तुम?
मैंने बोल दिया- क्या दीदी … आपने मुझे पूरा देख लिया।
दीदी बोली- तो क्या हुआ? देख लिया तो देख लिया. तुमको दरवाजा बंद करके नहाना चाहिये था न!
मैं- मगर तुम भी तो दरवाजा नॉक करके आ सकती थी?
दीदी- मैं दरवाजा क्यूं नॉक करूं, जो भी कोई बाथरूम में अंदर होगा यह उसकी जिम्मेदारी बनती है कि दरवाजे को अंदर से लॉक कर ले, और वैसे भी अगर देख लिया तो क्या हो गया, तुम भी तो मुझे देखते रहते हो जब मैं घर में काम करती रहती हूं।

दीदी ने नहले पे दहला दे मारा. उसकी बात भी सही थी क्योंकि मैं अक्सर दीदी को काम करते हुए ताड़ता रहता था. मगर मुझे नहीं पता था कि दीदी भी इस बात पर ध्यान देती है कि मैं उनको देखता रहता हूँ. लेकिन इसमें मेरी कोई गलती भी नहीं थी क्योंकि मेरी दीदी की फीगर और उसकी खूबसूरती को देख कर कोई भी उस पर लट्टू हो जाये.
और इतना ही नहीं, जब दीदी झुक कर झाडू लगाती थी तो मैं उसके चूचों को देखने के लिए ललायित रहता था. अब जब दीदी के साथ इतनी सारी बात हो ही गई थी तो मैंने सोचा क्यों न इससे आगे बढ़ा जाये?

मैं- मगर दीदी मैंने तो आपको केवल कपड़ों में ही देखा है. आपने तो मुझे बिना कपड़ों के पूरा का पूरा नंगा ही देख लिया.
दीदी- देख, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है. एक तो तुम नंगे होकर नहाते हो, फिर ऊपर से दरवाजा भी बंद नहीं करते हो. देख लिया तो देख लिया. मैं जान-बूझकर तुम्हें नंगा देखने के लिए बाथरूम में नहीं गई थी. मैं भी नहाने के लिए गई थी.

इतना कहकर दीदी उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी.
मैं भी दीदी के पीछे-पीछे चल पड़ा. दीदी जब बाथरूम के दरवाजे तक पहुंच कर दरवाजा बंद करने लगी तो उसने मुझे देखा और पूछने लगी- क्या बात है?
मैंने कहा- मैं आपको देखना चाहता हूँ.
दीदी- पागल है क्या … चल पीछे हट!

मैंने कहा- नहीं, दीदी आज तो मैं आपसे बदला लेकर ही रहूंगा.
मैं जानता था कि दीदी मुझे देखने तो नहीं देगी मगर मेरी बात पर गुस्सा भी नहीं करेगी. इसलिए मैं जिद पर अड़ा रहा.

दीदी- जाने दे ना … मुझे बहुत जोर से (पेशाब) लगी है.
मैंने कहा- तो कर लो. मैं कब रोक रहा हूं लेकिन दरवाजा तो मैं आपको बंद नहीं करने दूंगा.
दीदी- ठीक है, मैं तुझे कुछ देखने ही नहीं दूंगी.

दीदी ने अपने फ्रॉक के अंदर हाथ डाला और अंदर ही अंदर पैंटी को उतार कर नीचे बैठ गई. नीचे बैठते ही दीदी का फ्रॉक उसकी चूत के सामने फैल गया और मुझे सच में कुछ भी दिखाई नहीं दिया. दीदी दो मिनट तक ऐसे ही बैठी रही. उसे शर्म तो आ रही थी लेकिन वह पेशाब भी नहीं कर पा रही थी. फिर एकदम से सर्र … सर्र की आवाज होने लगी. दीदी ने पेशाब किया और उठ कर चलने लगी.

बाहर निकलते हुए मैंने दीदी का हाथ पकड़ लिया और कहा- दीदी, ये तो चीटिंग है. आपने तो सच में मुझे कुछ भी नहीं देखने दिया.
दीदी बोली- इसमें मेरी क्या गलती है. मैं तो तेरे सामने ही बैठी थी. तुझे कुछ दिखाई ही नहीं दिया तो मैं क्या कर सकती हूं?
मैंने कहा- प्लीज दीदी … कुछ तो देखने दो.
दीदी ने कुछ सोचा और बोली- ठीक है, रात को दिखाऊंगी. मेरे कमरे में आ जाना.

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उस वक्त मैंने भी और ज्यादा जिद करना ठीक नहीं समझा क्योंकि माँ घर से बाहर गई हुई थी और वह किसी भी वक्त आ सकती थी. अब मैं रात का इंतजार करने लगा. रात को माँ और पापा के सो जाने के बाद मैं दीदी के रूम में गया. दीदी लेटी हुई थी. मैंने दीदी के पास जाकर कहा- अब तो दिखा दो दीदी.
दीदी बोली- सुबह माँ और पापा नानी के घर जा रहे हैं. तुझे उनको सुबह स्टेशन पर छोड़ने के लिए जाना है. अगर तू अभी नहीं सोयेगा तो सुबह जल्दी कैसे जागेगा. जाकर सो जा.
मैंने कहा- मगर दीदी आपने कहा था कि रात को दिखाऊंगी.
वो बोली- कल घर में कोई नहीं रहेगा. तब देख लेना.

मगर मैं दीदी के तने हुए चूचों को देख रहा था. जिनको देख कर मेरे अंदर अब हवस जागने लगी थी.
मैंने दीदी से कहा- कल भी देख लूंगा मगर अभी तो दिखा दो.
दीदी बोली- नहीं. अभी ये सब नहीं करने वाली मैं.
मैंने कहा- ठीक है. किस तो करने दो अपने बूब्स पर!
दीदी बोली- ठीक है, एक बार करके चला जा अपने रूम में वापस.

मैंने दीदी के मोटे चूचों को एक बार हाथ से दबाया और फिर उसको कपड़ों के ऊपर से ही किस करने लगा. पहली बार मैंने दीदी के बूब्स को इतने मजे से टच किया था. बहुत मजा आ रहा था दीदी के बोबे दबाने में.
दीदी भी गर्म होने लगी थी. कई मिनट तक मैं दीदी के बोबे दबाता रहा और दीदी ने कुछ नहीं कहा. फिर मैंने जोश में आकर दीदी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया. दीदी एक बार तो मुझे हटाने लगी लेकिन फिर मेरा साथ देने लगी.
दो मिनट तक दीदी के होंठों को चूसने के बाद उसने मुझे अपने से अलग कर दिया.

यह मेरी लाइफ की पहली किस थी दोस्तो. उसके बाद मैंने दीदी को गुड नाइट कहा और अपने रूम में आ गया. मेरा लंड तना हुआ था और मैंने आने के बाद उसकी मुट्ठ मार दी. फिर सुबह जल्दी उठ कर मैं अपने मम्मी-पापा को स्टेशन छोड़ने चला गया.
आते वक्त मैंने बाहर से कुछ कंडोम और निरोध की गोलियां ले लीं क्योंकि मैं जानता था कि आज दीदी मुझसे जरूर चुदेगी.

मैं घर आया तो दीदी किचन में नाश्ता बना रही थी. मैंने चुपके से आकर दीदी को पीछे से पकड़ लिया.
दीदी बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- दीदी, अब तो घर में भी कोई नहीं है. अब तो दिखा अपनी वो.
दीदी बोली- मुझे खाना तो बना लेने दे.
मैंने कहा- आप बनाती रहो, मैं कब मना कर रहा हूँ?

दीदी खाना बनाने लगी और मैं पीछे से दीदी की चूची को दबाने लगा। थोड़ी देर में खाना तैयार हो गया।
दीदी बोली- चलो पहले खाना खा लिया जाए, फिर तुम अपनी इच्छा पूरी कर लेना।
मैं बोला- दीदी मैं पहले नहा लेता हूं.
दीदी बोली- मुझे भी नहाना है.

दीदी नीचे वाले बाथरूम में नहाने चली गई और मैं छत पर चला गया। हम दोनों ने नहा कर खाना खाया। दीदी ने अभी पैजामा और टीशर्ट पहनी हुई थी। दीदी हॉल में सोफे पर बैठ गई। मैं भी दीदी के पास जाकर बैठ गया।

तभी दीदी ने कोंडम और निरोध की गोलियां देख लीं जो मैं लाया था और बोली- भाई, बात सिर्फ देखने की हुई थी. मैं यह सब नहीं करूंगी.
मैं बोला- दीदी जब तक तुम खुद नहीं कहोगी, मैं कुछ भी जबरदस्ती नहीं करूंगा. जो भी होगा तुम्हारी मर्जी से ही होगा।

फिर मैं दीदी को किस करने लगा और अपने हाथों से उसकी चूची को दबाने लगा। थोड़ी देर के बाद हम दोनों की किस खत्म हुई और हम दोनों लंबी सांसें लेने लगे.
मैंने कहा- दीदी मैं आपकी टी-शर्ट उतार दूं?
तो दीदी ने हां में सिर हिलाया.

मैंने दीदी की टी शर्ट खोल दी. दीदी ने रेड कलर की ब्रा पहनी हुई थी जिसमें उसकी गोरी चूचियां फंसी हुई थी. फिर मैंने दीदी की मर्जी से उसका पैजामा भी खोल दिया. दीदी मेरे सामने केवल ब्रा और चड्डी में थी. मन तो कर रहा था अभी उसे चोद दूं लेकिन मैंने भी ठान लिया था कि जब तक दीदी खुद नहीं बोलेगी मैं उसे नहीं चोदूंगा। फिर मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूची को चूसने लगा.

चूसते-चूसते दीदी की ब्रा भीग गई तो दीदी बोली- मेरी ब्रा को क्यों खराब कर रहा है?
मैंने दीदी की ब्रा को खोल दिया और चूचों को आजाद कर दिया। अब मैं बूब्स के निप्पल को चूसने लगा जैसे कोई बच्चा दूध पीता है।

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दीदी कहने लगी- भाई, इतनी ट्रेनिंग कहां से ले रखी है?
मैं बोला- दीदी, मैं इस दिन का कब से इंतजार कर रहा था। आज जब आपके चूचे चूसने के लिए मिले हैं तो मैं कोई कमी नहीं छोडूंगा इनका दूध पीने में.

चूचों को चूसने के बाद दीदी काफी गर्म हो गई थी. मैंने दीदी से पूछा- आपकी चड्डी उतार दूं?
और दीदी के हां करने से पहले ही मैंने उसकी चड्डी खोल दी। दीदी की चूत बिल्कुल चिकनी थी. एक भी बाल नहीं था चूत पर.
मैंने दीदी से पूछा- आपने बाल कब साफ किये?
दीदी बोली- आज सुबह ही।

फिर मैं दीदी की चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा. दीदी के मुंह से कामुक सिसकारियाँ निकलना अब शुरू हो गई थी.
दीदी बोली- तुमने मेरे सारे कपड़े उतार दिये लेकिन अपने कपड़े नहीं उतारे. तुम भी नंगे हो जाओ.

दीदी के कहने पर मैंने सारे कपड़े उतार दिये. अब हम दोनों पूरे नंगे हो गये थे. मैं बिना देरी किये दीदी की चूत को चाटने लगा. दीदी सिसकारियां लेने लगी और कहने लगी- चाटो भाई, आह … मजा आ रहा है. तुम तो मेरी चूत को बहुत मजा दे रहे हो.
कुछ देर तक मैं दीदी की चूत को चाटता रहा. फिर हम कमरे में चले गये. मेरा लंड खड़ा हुआ था.

मैंने दीदी से कहा- दीदी आपने मेरा लंड देखा था बाथरूम में. देखो यह तुम्हारी चूत में जाने के लिए मचल रहा है. लेकिन उससे पहले मैं इसको तुम्हारे मुंह में देना चाहता हूँ. मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूस लो दीदी जैसे मैंने तुम्हारी चूत चूसी है.
दीदी ने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और उसको चूसने लगी.

कुछ देर तक मैंने दीदी को लंड चुसवाया और फिर हम दोबारा से बेड पर आकर 69 की पोजीशन में आ गये. कई मिनट एक-दूसरे के सेक्स अंगों से खेलने के बाद अब चुदाई के लिए दोनों ही तड़प उठे थे.
दीदी ने खुद ही बोल दिया- बस भाई, अब अपना लंड मेरी चूत में डाल दे. अब मैं और नहीं रुक सकती.
मैं कंडोम का पैकेट उठाकर खोलने लगा तो दीदी बोली- यह सब रहने दे. बस तू मेरी चूत में लंड डाल दे अपना और चोद दे इसको. मैं तेरे लंड का पूरा मजा लेना चाहती हूँ.
दीदी की बात सुनकर मैं खुश हो गया.

मैंने लंड को दीदी की चूत पर सेट कर दिया. मैंने धक्का मारा तो आधा लंड दीदी की चूत में चला गया. उसके बाद मैंने पूरा लंड दीदी की चूत में घुसा दिया. मैं सोच रहा था कि दीदी की चूत से खून निकलेगा मगर ऐसा नहीं हुआ.
लंड को डाल कर मैंने पूछा- पहले भी किसी का लंड ले चुकी हो क्या दीदी?
वो बोली- नहीं, बैंगन डाल लेती थी जिससे मेरी सील पहले ही टूट चुकी है. बहुत दिनों से मैं लंड के लिए तरस रही थी. मैं जानती थी कि तू मेरी चूत को चोदने की फिराक में है. फिर जब मैंने तुझे बाथरूम में नंगा देखा तो मेरा दिल भी तेरा लंड लेने के लिए करने लगा. आज तू भी अपने मन की हसरत पूरी कर ले. मैं भी तेरा लंड चूत में लेकर मजा लेना चाहती हूं. बातों में टाइम खराब मत कर और मेरी चूत को चोद!

दीदी कामुक हो गई थी. मैंने दीदी की चूत में धक्के लगाने शुरू किये. दीदी मेरे लंड से चुदाई का मजा लेने लगी. आह् आह … जोर से चोद भाई. मजा दे दे आज अपनी बहन की चूत को …
काफी देर तक दीदी इसी तरह मेरे लंड से चुदती रही. फिर मेरा माल निकलने को हो गया तो मैंने पूछा- दीदी, कहां निकालूं?
दीदी बोली- मेरी चूत में ही निकाल दे. मैं तेरे वीर्य को अपनी चूत में महसूस करना चाहती हूं.
उसके कहने पर मैंने अपना सारा माल चूत में ही उगल दिया.

मैंने पूछा- दीदी मजा आया?
वो बोली- हाँ, मैं तो यही चाहती थी. इतने दिनों से मैं अपनी गांड और चूची तुझे हिला कर दिखा रही थी. तुझे खुद ही समझ जाना चाहिए था कि मैं तेरा लंड लेना चाहती हूं.
मैंने कहा- दीदी आप इसकी चिंता मत करो. अब मैं आपकी चूत को ऐसे ही खुश रखूंगा.

दोस्तो, यह थी मेरी दीदी के साथ मेरी पहली चुदाई की कहानी. अगली कहानी में मैं आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने दीदी के साथ हनीमून प्लान किया. उसके बाद किस तरह से मैंने अपनी मां को भी चोद दिया.
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