गलतफहमी में चुदाई का मजा

दोस्तो, मेरी एक और नई एडल्ट स्टोरी में आपका स्वागत है. ये कहानी मेरे अनुभवों पर नहीं, बल्कि किसी और के अनुभवों पर आधारित है, जिसे मैंने केवल अपने ऊपर लेकर प्रस्तुत किया है.

इस कहानी में आप जानेंगे कि कैसे किसी ग़लतफ़हमी की वजह से कुछ गड़बड़ हुए और मुझे एक अनजान औरत से रोमांस करने का सुनहरा मौका मिला. तो चलिए शुरू करते हैं.

मेरी एक पुरानी आदत है, आदत क्या कुछ यूं कहें कि मुझे पैदल चलने का शौक है. जी हाँ.. पैदल चलने मुझे बड़ा शौक है. मैं बिना मौसम देखे.. फिर चाहे कड़ाके की गर्मी ही क्यों न पड़ी हो, जिस दिशा में मन करता है.. पैदल चल पड़ता हूँ. इससे कुछ फायदे भी होते हैं, जैसे नए शॉर्टकट्स का पता लगना और कुछ नुकसान भी जैसे नो एंट्री में एंट्री औऱ रास्ता बंद या भटकना हो जाता था.

तो ऐसे ही उन दिनों गर्मी का मौसम था जब मैं एक अनजान डगर पर आगे बढ़ गया. वो रास्ता था तो अच्छा.. लेकिन काफी लंबा और घुमावदार था. मैं नजारों और रास्ते में मिलने वाली बालाओं को ताड़ता चला जा रहा था. लेकिन मैं ये नहीं देख रहा था कि मैंने कितने मोड़ लिए और किस दिशा में लिए. कुछ 2-3 किमी चलने पर मुझे लगा, वापस लौट चलूं. तो मैं वापस लौटने लगा और एक तिराहे पर पहुंच गया, जहाँ मुझे मालूम भी नहीं लगा कि मैं आया कहाँ से था. क्योंकि आस पास के सभी घर एक ही डिजाईन के थे. मैंने सोचा मेन मार्केट उत्तरी दिशा में है, तो उत्तर में चलता हूँ. और बस मैं उत्तर दिशा में आगे बढ़ गया. अब मैं एक ऐसी कॉलोनी में पहुंचा जो आगे से रास्ते को रोके हुए थी. तो मैं थोड़ा निराश हुआ और सोचने लगा कि किसी से रास्ता पूछ लेना चाहिए.

गर्मी का मौसम था, सब लोग अपने-अपने घरों या ऑफिसों में कैद थे.. बस मैं ही एक चूतिया था, जो रास्ता भूल चुका था.

तभी मुझे उसी कॉलोनी के एक घर के गेट पर एक महिला दिखी. उसकी उम्र लगभग 35 वर्ष, रंग गेंहुआ और अच्छी तरह मेन्टेन किया हुआ फिगर था.

मैं पता जानने उनकी ओर बढ़ा और जब तक मैं कुछ हाय हैलो बोलता, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और गुस्से में खींचते हुए ये बड़बड़ाते हुए अन्दर ले गईं कि तुम ना हमेशा नालायक ही रहना, पूरा आधा घंटे लेट हो गए हो और अब फालतू के सैकड़ों नखरे करोगे, सो अलग और पैसों के टाइम बिलकुल भी कम ज्यादा ना करोगे.
उनकी बातें सुनकर मैं बीच में ही रुक गया और बोला- अरे मैडम जरा आराम से.. और हाँ मैं पैसे क्यों लूंगा? और पहले तो आप ये बताइए कि ये क्या दादागिरी है.. मतलब राह चलते किसी को भी अन्दर खींच लाओ.

तब वो मेरी बात काटकर बोलीं- अबे देख मादरचोद अब बहुत हो गया.. हाँ, अब और मजाक नहीं.. वर्ना साले तेरी खैर नहीं..
मैं बोला- अच्छा धमकी..! अरे मैडम आपको कोई ग़लतफ़हमी हुई है और आप शायद किसी और के चक्कर में मुझे यहाँ खींच लाईं.
तब वो बोलीं- तुम सुरेश नहीं हो?

तब मैंने अपनी जेब से अपना बटुआ निकाला और बटुए से कॉलेज आईडी दिखाकर बोला- लो देखो और तसल्ली पाओ.
तभी उन्हें किसी का फोन आया, जिसे उन्होंने लंबी चौड़ी माँ बहन की गालियां दीं और मुझसे गलती होने पर माफ़ी मांगने की कोशिश की.

तब मैंने पीने के लिए पानी माँगा. उन्होंने मुझसे बैठने को कहा तो मैं वहीं अन्दर पड़ी एक कुर्सी पर बैठ गया. वो पानी लाईं.

जब मैं पानी पी रहा था, तब वो बोलीं- वैसे तुममें भी कोई कमी तो नहीं लगती है.
तो मैंने बोला- कमी? किस चीज की कमी? मुझे क्या दिक्कत है?
तब वो मेरे सामने बैठकर बोलीं- तुम्हें नहीं है.. तो क्या? मुझे तो है!
तो मैं बोला- आपको क्या कमी है? इतना अच्छा घर है, गाड़ी है, पैसे वाली हो ही.. फिर किस बात की कमी? और सबसे बड़ी बात आप किसके चक्कर में मुझे यहाँ खींच लाईं?

तब वो बोलीं- छोड़ो उस मादरजात को.. और कुछ अपने बारे में बताओ.
तो मैंने कहा- मेरे बारे में यहाँ कौन सा सामूहिक मेल मिलाप चल रहा है.. जो मैं अपनी कुंडली दिखाऊं?
वो बोलीं- हाँ जिसके चक्कर में तुम यहाँ पहुंचे, वो तो मेल मिलाप वाला आदमी ही था.
मैं बोला- मेल मिलाप.. वो पैसों वाली बात? कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं चल रही? पहले तो आप अपनी कहानी बताओ.. मैं जब तक भागने का रास्ता देखता हूँ.

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तब वो बोलीं- देख भई, वो तो एक गांडू था, जो पैसे लेकर हम जैसी औरतों का ख्याल रखता था. अब तुम बोलो तो उसकी कमी पूरी कर सकते हो.
तो मैंने बोला- क्या करना होगा?
तो वो बोलीं- चुदाई करनी होगी.. अगर है गुर्दे में दम.. तो बोलो?
तब मैं बोला- ये तो चैलेन्ज हो गया?
वो बोलीं- हाँ.. कुछ भी समझ लो.

तब मैं बोला- यहाँ घर के पिछले भाग में कोई गेट है क्या बाहर भागने का?
वो बोलीं- हाँ है ना.
तो मैंने बोला- तो फिर ठीक है, अपुन चलते हैं.. आप अपनी देखो.

मैं उठकर उस गेट की तलाश में उठ गया. तब वो बोलीं- यहाँ से दाएँ मुड़ो गेट मिल जाएगा.

मैं दाएं मुड़ा और एक गेट खोलकर खुले वातावरण में आ गया, लेकिन ये तो पार्किंग थी, जिसका बाहर निकलने का रास्ता बाहर से बंद था.

तब मैं वापिस लौटा और उनके बेडरूम में आ गया, वहां वो अकेली बैठीं कुछ सोच रहीं थीं.

मुझसे बोलीं- तुम दाएं की जगह बाएं मुड़ गए थे.
मैं बोला- लेकिन मैं तो दाएं ही मुड़ा था.
वो बोलीं- तुम अपने दाएं मुड़े थे, मेरे नहीं.

फिर मैं वापिस गया और उनके बताए अनुसार मुड़ा और एक कमरे में पहुँच कर मुझे गेट मिला, जो कि बाहर से बंद था.

मैं जब वापिस लौटा तो उन्होंने मुझे पास बुलाया और अपने कमरे में धक्का देकर जमीन पर पटक दिया और जल्दी से गेट लगाकर रोमांटिक एक्शन पोज में पैर फैलाकर खड़ी हो गईं.
तब मैं उठा और बोला- क्या है यार.. क्या चाहिए आपको?
वो बोलीं- कहा ना… प्यार चाहिए.
तब मैं बोला- और किसी से ले लो ना.
वो बोलीं- तुम क्यों नहीं?

अब वो अपना ब्लाउज खोलने लगीं, खोलने क्या लगीं, खोल ही दिया और ब्रा समेत उतारकर नीचे फेंक दिया.
अब ऊपर से मम्मे हिलाते हुए बोलीं- अब क्या बोलोगे?

मैंने उनके उन भारी भारी बड़े बड़े मम्मों को देखा और उनकी जवानी पर एक अलग नजरिए से ध्यान दिया तो मेरा मूड एकदम बदल गया. मेरा लंड पेंट में तंबू की तरह खड़ा हो गया और मुँह से पैरों तक लार टपकने लगी.
ये देख कर वो हंसने लगीं.

मैं उनके पास गया और बोला- अगर ऐसा पहले बताया होता.. तो कुछ अलग बात होती. उनके एकदम पास जाकर उनकी चोटी को अपने एक हाथ से पकड़कर उनके होंठों पर अपने होंठों को रखकर किस करने लगा और दूसरे हाथ से उनके शरीर को सहलाने लगा.

तब तक उन्होंने मेरी पैन्ट खोली और अपनी साड़ी उतार कर मुझे बेड पर धक्का देकर पटक दिया. खुद घुटनों के बल बैठकर मेरे लंड को अपने हाथों से सहलाने लगीं. इसी के साथ साथ अपने होंठों से मेरे लंड पर किस करने लगीं और लंड के आगे वाले भाग को अपने मुँह में लेकर अपनी जीभ से स्पर्श करते हुए चूसने लगीं.

उनका अंदाज इतना सही था कि मुझसे रहा नहीं गया और मेरे लंड से एक डेढ़ मिनट में ही ज्वालामुखी फूट पड़ा.
तब वो बोलीं- बस इतना ही? तभी तुम भाग रहे थे?

तो उनकी इस बात पर मुझे हल्का सा गुस्सा भी आया और मैंने उन्हें बेड पर लिटाकर पहले उनके मम्मों से जी भर के खेला, फिर नाभि के रास्ते उनके गदराए हुए बदन को चूमते हुए उनकी मखमली योनि तक आ पहुंचा, जहाँ एक भी बाल नहीं था. पहले तो मैंने उनकी योनि को अपनी हथेली से रगड़ा और फिर दो उंगलियों को योनि की गहराई में उतारकर अन्दर बाहर करने के साथ साथ अपनी जीभ से योनि के ऊपरी उभरे भाग को छेड़ने और चूसने लगा.

मैं काफी देर तक चुत में लगा रहा. वो भी अपनी टांगें फैला कर कराहें लेने में मस्त थीं. वे अपने हाथों से अपने चूचों को भींच और मींज रही थीं. ऐसा करते करते उन्होंने भी अपनी चूत का लावा गिरा दिया.

जैसे ही वो स्खलित हुईं, मैंने अपना लंड तैयार किया और उनकी रस छोड़ती हुई योनि में लगभग तीन इंच तक घुसा दिया, जिससे वो एकदम फड़फड़ा उठीं, वो कराहते हुए बोलीं- अबे भोसड़ी के, मादरचोद.. थोड़ा तैयार तो होने देता.
तो मैं बोला- मेरा तो तैयार था ना.

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बस ये कहते हुए मैंने अगले धक्के में पूरा लंड अन्दर कर दिया.
तब वो चिल्लाते हुए बोलीं- अरे मार डाला रे.. बोला था न.. तैयार होने दे.. लेकिन नहीं तुझे तो अपनी चलानी है. अब रुक थोड़ी देर वहीं..
तो मैं बोला- ना.. आप चाहे आंसू टपकाओ.. या फिर चीखो चिल्लाओ.. मैं ना मानूँगा.

बस मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए. मैं प्रत्येक धक्के को महसूस करके बड़ी नजाकत और सुकून में धीरे धीरे उन्हें पेलने लगा.

वो पहले तो विरोध करती रहीं, फिर कुछ पलों बाद ही उनकी योनि में फिर से जोश आने लगा और वो धीरे धीरे टाइट होने लगी. अब वे भी मेरा पूरा साथ देने लगीं और मैं भी पूरे जोश से पेलने लगा.

तभी जब मुझे लगा कि मैं छूटने वाला हूँ, तब तक अचानक उन्हें कुछ ध्यान आया और उन्होंने पास रखे एक टेबल पर से एक कप के नीचे से एक कॉन्डोम निकालकर मेरी ओर फेंकते हुए कहा- रुक तो साले.. पहले इसे तो पहन ले.
मैं बोला- अब नहीं.. मेरी रिदम टूट जाएगी.
वो बोलीं- कुछ भी हो.. ये बात तो तुम्हें माननी ही पड़ेगी.

मैंने लंड बाहर निकाला और जल्दी से कॉन्डोम पहन कर वापस चुदाई आरम्भ की, लेकिन इस बार वो बेड पर पैर फैलाने की जगह कुतिया बनकर मेरा लंड ले रही थीं.
काफी समय तक हम यूँ ही थकते थकाते हुए.. कभी मैं ऊपर, तो कभी वो.. रुक-रुक कर चुदाई में लगे रहे.

कुछ देर बाद पहले उन्होंने पानी छोड़ा लेकिन मैं नहीं रुका और उनके काँपते हुए पैरों को पकड़ कर चुदाई में लगा रहा. खैर कुछ ही देर में कॉन्डोम भी मेरे गरमा गरम लावे से भर गया और मैंने भी चैन की सांस ली तथा उन्हें भी राहत मिली.

इस सफल चुदाई के बाद उन्होंने मेरा शुक्रिया अदा किया और कुछ पैसे देते हुए बात को गुप्त रखने का वादा करके अपनी कार से मुझे मेरे मोहल्ले तक ड्रॉप करके गईं. वे जाते जाते मेरा नंबर भी ले गईं और बोलीं- आते जाते रहना.

इस अचानक हुई घटना में कुछ भी हो, मुझे तो बहुत मजा आया और किसी की मदद हुई सो अलग.. लेकिन मैंने इस बारे में काफी सोचा कि अगली बार जाऊं या नहीं. खैर निष्कर्ष यही निकला कि जाने में कोई बुराई वाली बात नहीं है. तो जरूर जाऊंगा और लगभग 15 दिनों के अंतराल में ही मुझे फोन आया और मैं वहाँ वापिस जाने लगा.

ऐसा तो हो नहीं सकता कि मैं किसी के घर चुदाई करने जाऊं और वो मुझे किसी और से ना मिलाएं.. तो ऐसे ही उन्होंने मुझे सरप्राइज देकर किसी सहेली से मिलाया और हमने साथ में कई मर्तबा चुदाईयां कीं.. और मजे करते रहे.

खैर अब वो शहर छोड़कर जा चुकी हैं लेकिन उनका दिया वो तोहफा अभी भी है. तो उस तोहफे वाली के बारे में अगली बार बताऊंगा.

दोस्तों यह चुदाई की कहानी यहाँ खत्म होती है. मेरी पिछली कहानी टीचर की लेस्बियन सहेलियों की चुदाई https://www.antarvasnasexstories.com/hindi-sex-story/teacher-ki-lesbian-saheliyon-ki-chudai/पर जो आपने इतना प्यार दिया, उसके लिए धन्यवाद. जैसा मैंने कहा था कि पिछली कहानी में अब कुछ मजेदार रहा नहीं, तो अब मैं उस कहानी को वहीं रोकता हूँ, बस इतना बताऊंगा कि वर्तमान समय में मैं चाची और मैडम दोनों के संपर्क में हूँ और वो दोनों एक दूसरे को जानने लगीं हैं. खैर चाची अब वापस झाँसी पहुँच गयी हैं.

कुछ लोगों के कुछ जुगाड़ वगैरह से मिलवाने से सम्बंधित मेल मुझे मिले, तो इनके जबाब में एक ही बात करूँगा कि सॉरी दोस्त.. मैं कोई दलाल नहीं हूँ.

अगले आने वाले भाग में इन मैडम की सहेली रिया उम्र (29 वर्ष), उसकी मादक फिगर.. ताबड़तोड़ चुदाई के बारे में जानना न भूलें. साथ ही उसके और मेरे बीच हुए एक झगड़े के बारे में भी जानें और उस नोंक झोंक में छिपी एक रोमांटिक सेक्स स्टोरी का मजा भी लें, लेकिन अभी नहीं.. बल्कि कुछ समय बाद..

खैर फ़िलहाल तो आपको ये एडल्ट स्टोरी कैसी लगी, ये मुझे मेल करके बताना ना भूलें.