नमस्कार अंतर्वासना के प्रिय पाठकगण, मैं भगवान दास अपने जीवन की एक और देसी सेक्स स्टोरी लेकर हाजिर हूँ,
आपने मेरी पिछली सेक्स स्टोरी
मामी की चुदाई के बाद उनकी बेटी को चोदा
में पढ़ा कि किशोरावस्था से ही मामी अपनी वासना पूरी करने हेतु मेरा जमकर इस्तेमाल करती रही थीं, जिसके कारण मैं चुत का आशिक बन गया था. अब तो बस यूं हो गया था कि मैं कहीं भी रहता, मुझे कैसे न कैसे चुत मिल ही जाती या यूं कहिए कि घर, बाहर हर जगह मैं चुत की सम्भावना तलाशता रहता था. मुझे खुद भी आश्चर्य होता था कि न मालूम मुझे कैसे भी करके चूत मिल भी जाया करती थी. वैसे मैं सामान्य डील-डौल का 7 इंच लम्बा लंड धारी भोला भाला नवयुवक हूँ. शायद मेरा भोलापन ही नारियों को वशीभूत कर लेता है.
यह उस समय की बात है, जब मैं इंटर के एग्जाम देकर छुट्टियों में अपने गांव गया. गांव में हम लोगों के छोटे छोटे तीन मकान जो इकट्ठे बने हैं, वहां पर मेरी बुआ का परिवार रहता है. बुआ खुद परिवार खेती बाड़ी सम्भालती हैं. फूफा जी राजगंज में लोको पायलट हैं, जो अधिकतर बाहर ही रहते हैं. ऐसे में सारे परिवार की मुखिया बुआ ही थीं.
हम लोग कभी कभी गाँव में होने वाले किसी उत्सव या पूजा में पहुंचते हैं. बुआ के लड़के दीपक(22) और दो बहनें रीनामुनी(20) एवं रंजुमुनी(18) के साथ गांव सैर सपाटे में खूब मजा आता है.
मैं भी अबकी एग्जाम के बाद उन्मुक्त होकर गांव पहुंचा. जब से रंजु को देखा तब से मेरे मन में हरदम उस की छवि घूमती रहती थी. उसकी गोल गोल कठोर चूचियों के नीचे संगमरमर की तरह तराशी हुई लचकती कमर और चौड़े चूतड़.. जो उसकी 32-28-32 की अद्भुत देसी काया रचने में बड़ी मस्ती से उठे हुए थे. उस पर कजरारी आँखें किसी कहानी की परी की तरह लगती हैं.
लेकिन बड़ी बहन रीना बिल्कुल अलग है, वो मेरी हर बात का ख्याल रखती थी और जिसे उम्र के साथ दायित्वबोध कुछ ज्यादा ही है. रीना तीखे नैन-नक्श वाली और पाक कला में कुशल है. उसकी झील जैसी गहरी आंखें, सुराहीदार गर्दन और दो रसीले नर्म चूचों पर पतली कमर के नीचे थिरकते गोल गोल गद्देदार चूतड़ के साथ उसकी 34-28-32 की काया किसी भी लड़के को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती थी.
इस वक्त गर्मी पूरे जोर से पड़ रही थी इसलिए कहीं निकलना मुश्किल ही होता था. ऐसे में बुआ की कड़ी निगरानी में दिन निकल जाता, पर रात कुछ आनन्द करते थे. हम सब आपस में बहुत खुलने लगे थे. ऐसे में सेक्स की बातें हम सभी सरेआम इशारों में कर लेते थे. कभी कभी तो दोनों बहनें मुझे अकेला पाकर मेरा टार्चर करतीं, जैसे मेरी गांड में उंगली करना और गाल खींचना लेकिन दीपक भैया से वो बहुत डरती हैं.
रीनामुनी और दीपक B.com के छात्र हैं तथा रंजुमुनी ने इंटर के एग्जाम दिये थे.
गंगा दशहरा के दिन हम लोग चारों भाई बहन गंगा स्नान करने गए. उस दिन दोनों का जवान पानी में भीगा जिस्म देखकर मेरा लंड पानी में खड़ा होने लगा और मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं. रीना और रंजु भी मेरी बाजू पर बनीं मछलियों को तिरछी नजरों से घूरती रहीं.
मुझे पहल करना उचित लगा तो मैंने एक पानी में गोता लगाते हुए दोनों के चूतड़ जोरों से भींच दिए. तभी रीना मुझे पकड़ने को लपकी. अभी उसके हाथ लोअर तक ही पहुंचे तो मैं बचने के लिए चाह कर भी हिल नहीं सका क्योंकि मेरा लंड लोअर के साथ उसकी पकड़ में आ गया था.
लंड का अहसास होते ही रीना ने मेरा लंड छोड़ कर दोनों हाथ से अपना मुँह ढक लिया. उस की आंख मुंदते ही मैंने उस की चुत को पानी के अन्दर ही अपने हाथ से भर कर मसल दिया.. रानी सीत्कार उठी और उसने उलाहनावश अपनी आँखें खोलीं.
मैंने उसकी मदभरी आँखों से आँखें मिलाईं. उसकी नशीली आँखों को देखा तो मैं मुस्कुरा दिया. रीना भी पहले थोड़ा मुस्कुराई… फिर शर्मा कर उसने आँखें बंद कर लीं. मैं समझ गया कि लाइन क्लियर है और कभी भी रीना की चुत मेरे लंड के नीचे आ सकती है.
दीपक भैया इन हरकतों से अनजान तैरने में मशगूल रहे और रंजु उन पर पानी की थपेड़े मारती, हम दोनों को देख कर गंदे इशारे करते हुए हंसती रही.
दीपक को छोड़ कर हम तीनों सेक्स के लिए मूक सहमत हो गए और जगह एवं समय तलाशने लगे.
रंजु और मैंने एक प्लान के तहत शाम की चाय में बुआ को एक नींद की गोली दे दी और दीपक को चाय में *** की एक गोली दे दी.
रीना रसोई तैयार करने लगी, मैं बुआ के साथ था, अब गोली के असर से बुआ का सिर भारी होने लगा इसलिए शाम से ही वे अपने कमरे में लेटी रहीं. उधर रंजु लगातार दीपक भैया पर नजर रख रही थी. करीब 8 बजे सभी को खाना के लिए रीना आवाज देने लगी. रंजु किसी साये की तरह दीपक का पीछा करती खाने के लिए पहुँच गई. मैं भी बुआ को उठा कर खाने के टेबल तक लाया, वो कुछ बेमन से खाना खा रही थीं. यह देख रंजु और मेरी आँखों में खुशी चमक गई और एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते हुए सभी ने खाना खा लिया.
उसके बाद हम सभी सोने की तैयारी करने लगे.
दीपक भैया बेचैन हो कर छत पर टहल रहे थे. उन्होंने मुझे देखकर संयत होने की बेकार कोशिश की. उनकी आंखों में वासना के लाल डोरे तैरते नजर आ रहे थे. उनका लंड भी लोवर में सख्त हो गया था, जिसे छिपाने की वे नाकाम कोशिश कर रहे थे.
मैं भी उनकी मनोदशा के अनुकूल सेक्सी बातें करने लगा, जिसने उनकी दिलचस्पी को और बढ़ा दिया.
धीरे धीरे तीर निशाने पर लगते देख मैंने कमरे में बैठ कर सेक्सी फिल्म देखने का आग्रह किया. कुछ ही पलों बाद हम दोनों भाई मोबाइल पर चुत चुदाई का आनन्द ले रहे थे.
तभी दूध का जग और गिलास लिए दोनों बहनों ने धमाकेदार एंट्री की. कमरे में घुसते ही रंजु मेरे हाथ से मोबाइल झपट कर ले गई. मोबाइल पर चलती सेक्सी फिल्म से अनजान रीना ने चार गिलासों में दूध निकाल कर सभी को पीने को कहा, लेकिन दीपक और रंजु की हालत ऐसी थी, जैसे सांप सूँघ गया हो. वे एक दूसरे से नजरें चुराने लगे. मैंने भी अचानक आए माहौल को हल्का करने की कोशिश करते हुए रंजु से मोबाइल वापस लिया.
साथ ही मैंने दीपक भैया को दूध पीने का आग्रह किया.
उसके बाद चुपचाप सभी दूध पीने लगे. मैनें खामोशी भंग करते हुए बुआ का हाल पूछा. रंजु ने बताया कि अभी सभी रसोई के काम निपटा कर बुआ को दूध के साथ एक गोली और दी है. सुबह तक बिना जगाए नहीं उठने वाली हैं.
रंजु ने गजब का साहस दिखाया और हम दोनों भाई के बीच आकर बेड पर जम गई और मोबाइल पर चलती फिल्म दिखाने को कहा. मुझ से मोबाइल लेकर स्क्रीन टच करने लगी, पर मेरे ऑफ़ करने के कारण ऑन करने के अलावा कुछ नहीं कर सकी.
इधर मेरा और दीपक का खड़ा लंड रंजु के चूतड़ों में लग रहा था, जिसे वह भी महसूस कर रही थी, पर वासनामय होने के कारण मजे से मोबाइल पर लगी रही. रीना शरमा कर उठ कर जैसे ही जाने को हुई, मैंने लपक कर उसे बेड पर खींच लिया. रीना किसी कटे पेड़ की तरह मुझे लेकर बेड पर ढह गई, जिससे उसके चुचे मेरे मुँह के सामने और उसका मुँह ठीक दीपक के खड़े लंड के सामने आ गया. मौका न चूकते हुए मैं उसको बांहों में भर के उसके मस्त चुचों को दांतों से काटने लगा. इस अचानक हुए हमले से छूटने को रीना छटपटाने लगी और तभी रंजु दीपक के लंड को नंगा कर रीना के मुँह में लगाने लगी.
दीपक जैसे किसी सपनों की दुनिया से जगा और हड़बड़ा कर अलग हो गया. अब रंजु की बारी थी, जिसने बिना भला बुरा समझे, दीपक का लंड पकड़ कर खींच लिया और मोबाइल में चलती फिल्म की तरह चूसने लगी.
दीपक भैया की आंखें बन्द हुईं और मुँह से दर्द और आनन्द की मिली जुली आह निकल गई. अब रंजु को दीपक भैया का लंड चुसते देखकर रीना ने प्रतिरोध कम कर दिया. मैं धीरे-धीरे उसके रसीले चूचों को चूमता हुआ, उसकी टी-शर्ट हटा कर पेट पर पहुँच गया और नाभि को चूम लिया.
मेरा चूमना क्या हुआ कि रीना तो अपनी छाती उठा उठा कर सिसकारियाँ भरने लगी- स्स्स्स्श उह्ह्ह्हा.. आअस्श्ह्ह श्शस..
घोड़ी बनी रीना के नीचे से निकल कर उसका पेट चूमने चाटने के बाद मैं अब नीचे टांगों में आ गया. उसकी सफेद लांग स्कर्ट के नीचे पैन्टी पूरी तरह से भीग गई थी. मैंने प्यार से उसकी पैन्टी उतार दी.
हाय क्या चूत थी.. एक भी बाल नहीं.. चिकनी चमेली.. गुलाबी.. सुनहरी भीगी चूत.
उसकी चुत की महक ने मुझे दीवाना बना दिया. मैंने गीली चूत को पैन्टी से पोंछ दिया और चाटने लगा.
वाह.. क्या नमकीन सी चूत थी..
मैंने हल्के से उंगली भी करनी शुरू की, रीना मदहोश हो गई थी, वो मेरे बालों में हाथ फिराने लगी. रीना पर चुदास चढ़ गई थी, अब वो आपे से बाहर हो रही थी. उसने मेरे सर को टांगों में जकड़ लिया और जीवन में पहली बार चरम आनन्द को पाकर चीख चीख कर झड़ने लगी.
मैं लगातार चूत चाटे जा रहा था और कुंवारी चुत का मदनरस पी कर मैं धन्य हो गया क्योंकि रीना अभी तक वर्जिन थी. किसी कुंवारी चूत की सील देखना अब मेरे अनुभव में शुमार हो गया था, तो मैंने उसकी पैक सील चूत खोल कर देख ली थी.
धीरे धीरे हम दोनों के कपड़े फर्श पर आ गिरे थे. अब मैंने चाटना बंद किया और खींच कर दीपक के लौड़े को रीना चूत के मुँह पर टिका दिया. दीपक ने लौड़ा पीछे की तरफ स्प्रिंग की तरह टाइट करके.. एकदम से चूत में छोड़ दिया और झटका लगा दिया. लौड़ा सील तोड़ता हुआ चूत में घुस गया. रीना ने दर्द के मारे चीख मारी, पर दीपक उसके मुँह को होंठों में दबा लिया और रीना ने दर्द के मारे तड़फ कर तकिया, बिस्तर की चादर सब नोंच डाली.
दीपक ने एक हल्का झटका और लगाया और रीना ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज़ के साथ उसकी चूत पूरा 6 इंच का लंड गटक गई. उसके बाद कमरे में सिर्फ भाई-बहन की सिसकारियां तब तक गूँजती रहीं, जब तक दोनों थक कर गिर नहीं गए.
इधर मैं रंजु के ऊपर लेट गया, उसके होंठों से होंठ मिला दिए और चूमना शुरू किया. उसने अब तक मेरे लंड को चूस चूस कर तैयार कर दिया था. सहेलियों के साथ लेस्बो सेक्स करने के कारण रंजु को सेक्स के काफी तरीके मालूम थे. दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे को चाट कर शांत करने की कोशिश करने लगे.
रंजु एक बार झड़ चुकी थी, जिस से उस की चुत गीली हो गई. मैंने रंजु को बेड पर सीधा लिटा कर उसकी मोटी मोटी जाघों को मोड़ दिया, जिससे उसकी पाव जैसी फूली चुत उभर कर आ गई.
आह.. उस सेक्सी के शरीर के बयान करने को मेरे पास कोई शब्द नहीं रहे. मैंने ताव में चुत के मुहाने पर लंड टिकाया और नारी शक्ति का जयकारा लगा कर अपना 7 इंच का लंड आधा पेल दिया. रंजु ने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरी कमर पर नाख़ून गड़ा दिए, चूमतेचूमते मैंने 2-4 झटके और प्यार से लगा दिए. फिर मैं खड़ा हुआ और लंड से और चूत से खून साफ़ किया. रंजु ने खून देख लिया और घबरा गई.
मैंने कहा- पहली बार ऐसा होता है अब तुम वर्जिन नहीं रही हो.. तुम पर मेरी मोहर लग गई है. अब तुम्हें अच्छा लगेगा.
मैंने फिर से लंड चूत में डाला और झटका लगा दिया और हम एक दूसरे की बाँहों में झूल रहे थे, वो मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा रही थी. रंजु की दर्द और सिसकारियाँ से कमरा गूँज उठा ‘आह आह हाअहाहह.. श्श्ह्श्स ह्श्सश्ह्स श्श आह आह आहाह आहाह्ह्ह आहा आहा अह्हाअ..’
उसे बेहद दर्द हो रहा था, मेरा 7 इंच का पूरा लौड़ा उसकी फुद्दी के अन्दर आतंक मचा रहा था.
मैंने अब धीरे धीरे झटके लगाने शुरू किए और आनन्दमयी गति से चुदाई चालू कर दी. तभी रंजु की नजर रीना से मिली जो दीपक के साथ दूसरी राउंड की चुदाई करते बहुत खुश लग रहे थी.
रीना के हाथ कभी रंजु की चुत, तो कभी मेरी कमर एवं आंड को सहला रहे थे. इधर रंजु को भी मजा आ रहा था, वो अपने होंठों को चबा रही थी. मेरा पूरा लंड अब उसकी चूत के पूरा अन्दर तक जाता था. मेरा लौड़ा रंजु की बच्चेदानी के मुँह पर टक्कर मार रहा था. हर टक्कर पर रंजु ऐंठ जाती थी.
चूत की गहराई में लंड के उतरते ही कुछ देर के बाद रंजु झड़ गई और कुछ मिनट झटके लगाने के बाद मेरा माल भी निकल आया, मैंने सारा माल चूत के अन्दर ही छोड़ दिया.
कुल तीन बार रंजु झड़ कर बेहाल हो गई थी. उसकी चुत भी बीस मिनट की चुदाई में छिल गई थी.
अब तक का मजा उसके लिए सजा बन गया इसलिए चुत में जलन और दर्द के कारण रोने लगी. उसके बाद मैं रंजु की चुत पर पोंड्स पाउडर छिड़क कर ऊपर लेट गया.
खजुराहो की देवी रंजु सेक्स में माहिर थी परंतु पहली जंग में ही घायल हो गई और उधर रीना जीवन में पहली बार झड़ने के बाद लगातार दो बार दीपक भैया से चुदकर तीसरी बार चुदने के लिए मेरे लंड से खेल रही थी.
रीना का उत्साह देखते ही बन रहा था. उसे चुदाई का चस्का लग चुका था. मैं भी छोटी की जबरदस्त चुदाई के बाद रीना की चुत बजाने की चाहत में 69 की पोजीशन में चुत चाटने लगा, जिसमें दीपक का वीर्य लबालब भरा था. चाटकर पूरी चुत का रस तो साफ़ किया ही साथ में मैंने दीपक भैया का वीर्य भी साफ कर दिया क्योंकि वो भी तो रीना की चूत में था.
अब रीना चूतड़ नचा नचा कर मुझसे चुदने के लिए व्याकुल हो रही थी. इसलिए मैं पीठ के बल सीधा लेट गया और अपने खड़े लंड पर रीना को सवार होने का संकेत दिया.
किसी माहिर चुदक्कड़ की तरह रीना दोनों तरफ टांग करके चुत के मुँह पर लंड टिका कर दबाव देने लगी. दीपक से मेरा लंड मोटा होने के कारण उसकी चुत में फंस रहा था. नीचे से मैंने एक जोरदार शाट मारा कि रीना उछल पड़ी और पूरा लंड चुत में समा गया. धीरे धीरे मैंने हिल डुल कर चुत में लंड सैट कर लिया.
मैं समझ गया था कि रीना एक ठंडी लड़की है जो देर से सेक्स में संतुष्ट होती है इसलिए उसको ड्राइव करने के लिए लंड पर सवार कर लिया. चुत में लंड लेकर रीना बहुत खुश लग रही थी. हो भी क्यों नहीं.. एक ही दिन में दो लंड का स्वाद जो मिल गया था.
मैंने रीना को लंड पर बैठ कर रंजु की चुमा-चाटी शुरू कर दी, जो अपनी जख्मी चुत लेकर दीपक के लंड को चूसकर खड़ा करने की कोशिश कर रही थी. रंजु के कड़क निप्पल मुँह में किशमिश की तरह महसूस हो रहे थे.
इधर रीना भी अपनी रफ्तार में मेरे लंड पर उछल कूद मचा रही थी. वो कभी कभी जोर से चीख भी रही थी.
रंजु की मेहनत रंग लाई देखते ही देखते दीपक का लंड तीसरी बार खड़ा हो गया पर रंजु ने अपनी जख्मी चुत का वास्ता देकर माफी मांग ली. तब दीपक उठा और रीना जो मेरे लंड पर उछल रही थी उसकी गांड में लंड लगा दिया. रीना हाथ पैर जोड़ती रही, लेकिन दीपक भैया नहीं माने.
मेरे ऊपर से थोड़ा सा धकेल कर रीना की चूतड़ों के बीच लंड फंसा दिया. अब रीना दो लंडों के बीच में फंसी थी. नीचे मेरा लंड चुत में जड़ तक समाया हुआ था और ऊपर से दीपक का लंड उसकी गांड फाड़ने को तैयार था.
बहुत सारा थूक लगा कर दीपक ने रीना की गांड में लंड पेल दिया, जो धीरे धीरे सरकते हुए पूरा गांड में समां गया. रीना की जीभ बाहर निकल रही थी, फिर भी दीपक भैया नहीं रुके और पूरा लंड पेल कर ही दम लिया. पहले दिन ही डबल चुदाई में फंसी रीना दीपक के हर शाट पर गरज रही थी.. क्योंकि दीपक भैया लंड जब रीना की कोरी गांड में पेलते तो मेरा लंड भी चुत में जाकर बच्चेदानी में ठोकर मारता. वो दोतरफा मार न झेल सकी और अब तक रीना दो बार झड़ चुकी थी. अब चुदाई में उसे कोई इन्टरेस्ट नहीं रह गया था, वो लगातार रहम की भीख मांग रही थी. लेकिन जब तक दीपक भैया अपना माल नहीं निकाल लेते, तब तक तो उसे लंड भुगतना ही था.
करीब दस मिनट तक गांड का गुन्जन करने के बाद दीपक भैया रीना की गांड में छूट गए और मैं भी रीना की चुत में झड़ गया.
अब जाकर रीना ने रोना धोना बंद किया लेकिन रंजु ने इस घनघोर चुदाई को मेरे मोबाइल में रिकार्ड कर लिया, जो आज तक सुरक्षित है. कभी कभी रीना को उसकी पहले दिन की चुदाई की वीडियो दिखा कर मैं आज भी उसे चिढ़ाता हूँ.
इसके बाद रोज ही रंजु और रीना दोनों दीपक भैया के साथ बारी बारी अपने घर में ही चुत के मजे लेतीं, लेकिन पकड़े नहीं जाएं इसलिए एक हमेशा रात में बुआ के साथ सोतीं.
मैं भी जब तक उनके घर रहा, रोज किसी एक को हम दोनों मिल कर चोदते रहे. रंजु को हम लोग बारी बारी चोदते, लेकिन रीना हम दोनों से एक साथ चुदना पसंद करती.
अप्रैल में रीना की शादी एक रईस से तय हुई है और उसकी बड़ी ख्वाहिश है कि वो अपनी कोख में मेरा बच्चा लेकर जाए.
आगे देखते हैं कि क्या मंजूर होता है, नमस्कार! फिर कभी अपनी जीवन की एक देसी सेक्स स्टोरी ले कर आऊँगा.
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कहानी का अगला भाग : फुफेरी बहन की चुत और गांड चुदाई
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