दोस्त ने मेरे बड़े लंड से गांड मरवाई- 2

गांडू सेक्स की कहानी मेरे ख़ास दोस्त की है. उसे गांड मरवाने का शौक लग गया था. उसने एक बार मुझे अपने घर बुलाया. वहां पर क्या क्या हुआ?

दोस्तो, मैं हर्षद आपको अपने दोस्त की गांड चुदाई की कहानी सुना रहा था.
पहले भाग
मेरा जिगरी यार गांडू निकला
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने रात को अपने दोस्त विलास की दो बार गांड मारी थी.

अब आगे गांडू सेक्स की कहानी:

मैं नहाने चला गया. तब तक विलास ने चाय बनाकर रखी थी.

फिर हम दोनों ने चाय पी और विलास ने अपनी बाईक पर मुझे मेरे घर तक छोड़ दिया.

इस तरह हर छुट्टी के दिन मैं उसकी गांड चुदाई करने लगा था. विलास बहुत खुश था.

कुछ महीने तक हमारा ये गांड चुदाई का सिलसिला चलता रहा था.

बाद में उसके घरवालों ने एक अच्छी सी लड़की देखकर उसकी शादी तय कर दी.

मैं भी लड़की देखने उसके साथ गया था.

कुछ दिन में विलास ने नौकरी छोड़ दी और अपने गांव चला गया.
उनकी खेतीबाड़ी बहुत थी और देखभाल करने वाला दूसरा कोई नहीं था. उसके पिताजी बीमारी की वजह से अब ये सब नहीं कर पाते थे.

जब शादी की तारीख तय हो गयी तो विलास ने मेरे घर आकर शादी का कार्ड देकर कहा- सब लोग शादी में आना!
मैं, मां और पिताजी शादी में गए थे.

कभी विलास मुझे फोन करता था, कभी मैं उसे फोन करता था.

हम दोनों एक दूसरे की खुशहाली की बात करते थे.
वो अपनी शादीशुदा जिंदगी में खुश था और मैं अपनी सौतेली मां के साथ रहता था, उन्हें चोद लेता था. वो सब तो आपको पता ही है.

अभी दो तीन महीने पहले की बात है.

एक दिन विलास का फोन आया.
वो बोला- यार हर्षद, मुझे तेरी बहुत याद आ रही है. तुम दो तीन की छुट्टी निकालकर आ जाओ ना. बहुत सारी बातें करेंगे.
मैंने कहा- ठीक है. मैं अगले हफ्ते आ जाऊंगा.

अगले हफ्ते में मैंने रविवार को जोड़ कर दो दिन की छुट्टी ऑफिस से ले ली.

शनिवार शाम को विलास के घरवालों के लिए कुछ गिफ्टस और मिठाई खरीद ली.
भाभी के लिए अच्छी सी साड़ी भी खरीद ली.

दो तीन दिन रहने के वास्ते मैंने अपने दो तीन जोड़ी कपड़े, टॉवेल, लुंगी, ब्रश सब सामान बैग में पैक कर दिया और खाना खाकर सो गया.

सुबह मां ने मुझे सात बजे जगाया.
मैं आधा घंटे में तैयार हो गया और बैग लेकर घर से निकल पड़ा.

बस से चार घंटा का सफर करके मैं बारह बजे के करीब विलास के घर पहुंच गया.

सभी लोग मेरा ही इंतजार कर रहे थे. मुझे आया देख कर सब खुश हो गए.
मैं भी बहुत खुश था.

सभी ने मेरा अच्छे से स्वागत किया.
विलास ने तो मुझे अपनी बांहों में लेकर कसके जकड़ लिया.
मैंने भी उसे अपनी बांहों में कस लिया.

भाभी हमारी ये दोस्ती देखकर बहुत प्रभावित हो गयी थी, उसकी आंखों में आंसू आ गए थे.

तभी विलास के पिताजी बोले- अरे इसे फ्रेश तो होने दो, चाय पानी करो, बाद में ढेर सारी बातें कर लेना.

विलास ने मुझे बाथरूम में जाने को बोला.

चाय पानी के साथ हम सब लोग गपशप करते रहे और समय का पता ही नहीं चला.

तभी भाभी आकर बोली- अरे आप लोगों को खाना भी खाना है या नहीं. डेढ़ बज चुके हैं. चलिए मैं खाना लगाती हूँ.

सरिता भाभी मेरी तरफ हंसकर बोल रही थी.
उसकी नजर बहुत ही मादक थी; मैं तो वहीं पर घायल हो गया था.

हम सब लोग एक साथ ही खाना खाने बैठ गए.

भाभी मेरी कुछ ज्यादा ही खातिरदारी कर रही थी. जब वो नीचे झुकती, तो उसकी गोरी और गोल मटोल चूचियां साफ़ दिखती थीं लेकिन मैं नजरअंदाज कर देता था.
वो मेरे दोस्त की पत्नी थी; मैं उसके बारे में कैसे गलत सोच लेता.

हमारा खाना हो गया था और घड़ी में सवा दो बज गए थे.
मैं जो गिफ्ट लाया था, वो मैंने सबको दे दिए.

सरिता भाभी को साड़ी बहुत पसंद आयी थी.
उसने मुझे हंसकर थैंक्यू कहा.

मैंने कहा- भाभी, मैं तुम्हारा देवर हूँ. थैंक्यू किस बात का?
सरिता पट से बोली- हां, मैं भी तो तुम्हारी भाभी हूँ.

उसने हंसकर और आंख मारकर मुझे देखा और गांड मटकाती हुई अन्दर चली गयी.
सब लोग खुश थे.

इतने में विलास बोला- हर्षद, चल ऊपर चल कर आराम कर ले.

उनका घर दो मंजिल का है. ऊपर दो बेडरूम हैं. दोनों के बीच में दरवाजा है. दोनों रूम में टॉयलेट और बाथरूम बनाए थे.

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विलास का बेडरूम पहले था. इसलिए मुझे पीछेवाले रूम रहने को दिया गया.

मैंने अपना बैग वहीं पर रख दिया. सब सामान बाहर निकालकर रख दिया.
मस्त हवा आ रही थी.
मैं बहुत खुश हुआ.

विलास बोला- अब आराम कर ले.

मैं अपनी शर्ट निकाल कर बेड पर लेट गया. विलास भी मेरे पास लेट गया.

वो धीमे से बोला- यार हर्षद बहुत दिनों से तेरी याद आ रही थी. तेरा लंड लिए हुए करीब डेढ़ साल हो गया है. आज बहुत ही ज्यादा दिल कर रहा है.

ऐसा बोलते हुए उसने अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया और पैंट के ऊपर से ही लंड दबाने लगा.

मैंने कहा- विलास अभी नहीं, रात को करेंगे. ऊपर कोई आ गया, तो हंगामा हो जाएगा.
विलास गांडू सेक्स की चाह में बोला- मां और पिताजी ऊपर नहीं आते और तेरी भाभी अब सीधे शाम को ही चाय लेकर ऊपर आएगी. अभी तो चार ही बजे है, तुम चिंता मत करो.

ये सुनकर मुझे सुकून सा मिल गया.
मैं भी यही चाहता था.

विलास अपना हाथ मेरे लंड पर आहिस्ता आहिस्ता घुमा रहा था.

अब मेरा लंड खड़ा होने लगा था.
मैं विलास से बोला- यार दरवाजा तो बंद करके आ … कुंडी मत लगाना.

विलास ने जाकर रूम का दरवाजा बंद कर दिया. फिर मेरे पास लेटकर मेरा लंड रगड़ने लगा.

मुझे बहुत मजा आ रहा था.

विलास ने नीचे सरककर मेरे पैंट की चैन खोल दी और अंडरपैंट से मेरा लंड बाहर निकाल दिया.

मेरा लंड पूरा 90 डिग्री में खड़ा हुआ था.

विलास ने अपने होंठों से मेरे लंड के सुपारे पर किस किया और उस पर अपनी जीभ को गोल गोल करके फेरने लगा.

मैं बहुत उत्तेजित हो रहा था.
बीच में ही वो सुपारा मुँह में लेकर चूसता था तो बहुत मजा आता था.

विलास बोला- यार हर्षद, तेरा लंड तो और भी मोटा हो गया है.
मैं बोला- तुमने ही इसे चूसकर और अपनी गांड में लेकर मोटा किया है.

विलास बोला- यार, ये तो अब मेरे मुँह में घुसता ही नहीं है. मेरा दम घुटने लगता है.
मैं बोला- पहले इसपर ढेर सारा थूक लगाकर इसे गीला करो और आहिस्ता आहिस्ता चूसना शुरू कर दे.

ये सुनकर विलास ने अपने थूक से मेरा पूरा लंड लबालब कर दिया और आहिस्ता आहिस्ता अपने मुँह में लेने लगा.

अहाहा मस्त मजा आ रहा था.

विलास की खुरदरी जीभ की वजह से मैं बहुत ही उत्तेजित हो रहा था.
मैं अपनी आंखें बंद करके लेटा रहा और लंड चुसवाने के मजा लेता रहा.

विलास बोला- यार हर्षद, अभी मैं तेरे लंड अमृत पीना चाहता हूँ. बहुत दिनों की इच्छा है मेरी! आज मैं पहले ये इच्छा पूरी करना चाहता हूँ.
मैंने बोला- तू जो चाहे कर ले. अब ये तेरा है.

विलास ने मेरा लंड चूसने का काम जारी रखा.
मैं भी बहुत दिनों के बाद इस मजा का सुख ले रहा था.
विलास की शादी के पहले ही उसने लंड चूसा था. उसे अभी डेढ़ साल हो गया था इसलिए हम दोनों ही जोश में थे.

विलास पूरे जोश से मेरा लंड चूस रहा था.

मुझसे भी अब रहा नहीं जाता था, मैं भी नीचे से गांड उठाकर उसका मुँह चोद रहा था.

आधे घंटे से ज्यादा समय हो गया था. लंड चुसाई लगातार हो रही थी.

विलास ने मेरे लंड को पूरी तरह से अपने कब्जे में किया हुआ था.

अब मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता था. मैंने विलास से कहा- अब मैं झड़ने वाला हूँ.
विलास बोला- हर्षद कोई बात नहीं, तू मेरे मुँह में ही झड़ जा. मुझे तेरा अमृत पीना है.

वो और जोर से लंड चूसने लगा.
मैं भी नीचे से गांड उठा उठाकर उसके गले में गहराई तक लंड डालने लगा.

इतने में लंड ने गले में गहराई तक पिचकारी मार दी.
विलास मेरा लंड रस चूस चूसकर गटक रहा था.

पूरा रस पीकर उसने मेरा लंड चाट चाट कर साफ कर दिया, एक बूंद तक नहीं छोड़ी उसने!

मुझे बहुत सुकून मिल रहा था, मैं आंखें बंद करके पड़ा था.

विलास ने लंड मुँह से बाहर निकाला.
अभी भी मेरा लंड कड़क था.

विलास लंड के सुपारे पर जीभ फिराकर उसे साफ कर रहा था और चुम्बन भी कर रहा था.

इतने में बाहर का दरवाजा खुलने की आहट सुनाई दी.

मेरी तो फट गयी … मैंने जल्दी से लंड अन्दर डालकर पैंट की चैन लगा दी.

लेकिन लंड अभी भी थोड़ा सा कड़क था और पैंट के ऊपर से उसका उभार दिख रहा था.

विलास भी उठकर बैठ गया और बातें करने लगा था.
भाभी को लगना चाहिए था कि हम दोनों बातें कर रहे थे.

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दोनों कमरों के बीच का दरवाजा खुला ही था तो भाभी सीधा अन्दर आयी.
उसके हाथ में चाय की ट्रे थी.

भाभी बोली- देवर जी, चलो फ्रेश हो जाओ. हम तीनों एक साथ चाय पिएंगे.

विलास उठकर बाथरूम में चला गया.

भाभी सामने की कुर्सी पर बैठी थी. वो मेरी तरफ ही देख रही थी.
उसकी नजर मेरे पैंट के उभार पर ही टिकी थी.

मैं शर्मा गया … मैं अपने लंड को दबाकर छुपाने की कोशिश कर रहा था.
भाभी मेरी तरफ देखकर हंसने लगी.

उसका चेहरा अजीब सा दिख रहा था. वो सेक्सी नजरों से मेरी तरफ देख रही थी.
वो अभी भी मेरे लंड से बने हुए पैंट के उभार पर ही नजरें लगाए बैठी थी.

मैं भी अपना बड़ा और लंबा लंड छुपाने की कोशिश कर रहा था.

अब भाभी अपने एक हाथ से साड़ी के ऊपर से ही चुत को रगड़ने लगी.

इतने में विलास बाथरूम से बाहर आया.

भाभी बोली- देवर जी, अब आप जाओ … और जल्दी फ्रेश होकर आ जाओ, नहीं तो चाय ठंडी हो जाएगी.

अब मुझे ना चाहते हुए भी उठना पड़ा, मेरी मजबूरी थी.
मैं उठा, तो भाभी ने पूरा नजारा देख लिया.

मेरे लंड का उभार देखकर उसने अपने मुँह पर हाथ रख दिया.
शायद वो पहली बार इतना बड़ा देख रही थी.

मैं फ्रेश होकर आया.
अब मैं सामान्य था, मेरा उसे कुछ नहीं दिख रहा था.

भाभी ने ट्रे को आगे किया और तीनों के लिए चाय रख दी.
हम तीनों इधर उधर की बातें करते चाय पी रहे थे.

भाभी मेरे साथ घुल-मिल कर बातें कर तो रही थी लेकिन उसकी आंखों में कुछ अलग सी ख्वाहिश दिख रही थी.
वो मादक नजरों से मेरी तरफ देख रही थी.

तभी वो विलास से बोली- जरा देवरजी को अपनी खेतों में घुमा कर ले आओ. देवर जी भी फ्रेश हो जाएंगे.

ये कह कर भाभी ने मुझे आंख मारी और उठते समय आपनी चुत एक हाथ से रगड़ ली.
उसने दूसरे हाथ में चाय की ट्रे उठाई और उसे लेकर गांड मटकाती हुई चली गयी.

तभी विलास उठकर बोला- यार हर्षद, चलो मैं तुम्हें हमारी खेती दिखाता हूँ. तुझे भी अच्छा लगेगा. मौसम भी अच्छा है.

उस समय शाम के साढ़े पांच बजे थे.
हम दोनों निकल पड़े.

खेती नजदीक ही थी. खेत में ही एक बाजू में नया घर बनाया था. घर के आस-पास की जगह खाली ही रखी गई थी.

बहुत सारी जमीन थी. उसमें गन्ने की, ज्वार, गेहूँ, तरकारी सब अलग अलग किया था.
आम के पेड़, चीकू, पेरू, अनार, ढेर सारे पेड़ लगे थे.

मैंने विलास से कहा- यार बहुत ही बढ़िया खेती बनायी है तूने. मैं बहुत खुश हूँ विलास!
तब उसने कहा- ये सब पिताजी ने बनाया है. अब मैं बस इसकी देखभाल करता हूँ.

हम दोनों काफी देर तक खेतों में घूमते रहे.

अब अंधेरा छाने लगा था तो विलास बोला- हर्षद, चल अब घर चलते हैं.

हम घर के लिए निकल पड़े.

रास्ते में मैंने विलास से कहा- तेरा सब कुछ अच्छा चल रहा है यार, लेकिन शादीशुदा जिंदगी कैसी चल रही है?
विलास बोला- अच्छी चल रही है. तेरी भाभी घर का सब काम. मां, पिताजी की अच्छी सेवा करती है. वो तो मेरी मां और पिताजी की लाड़ली हो गयी है.

मैं बोला- अच्छी बात है. ऐसे ही खुश रहो तुम सब लोग!
इस तरह बातें करते हम घर पहुंच गए.

हम हाथ पांव धोकर अन्दर आए और सोफे पर आराम से बैठ गए.
विलास के पिताजी और मां के साथ इधर उधर की बातें करने लगे.

भाभी भी हंसी मजाक के साथ बातें कर रही थी.
टाइम कैसे निकल गया, पता ही नहीं चला.

फिर भाभी उठी और बोली- मैं खाना बनाने जा रही हूँ. तुम लोग ऊपर जाकर आराम से टीवी देख लो.

वो गांड मटकाती हुई रसोई में चली गयी.
मैं और विलास ऊपर जाकर विलास के बेडरूम में बैठ गए.

विलास ने टीवी पर गाने का चैनल लगा दिया और हम दोनों देखने लगे.

मेरा दोस्त मेरे पास ही बैठा था, उसने एक हाथ मेरी जांघ पर रखा और मेरे लंड को टटोलने लगा.

अब विलास फिर से कामुक होने लगा था.
मगर मुझे उसकी बीवी की वो चुत पर फेरने वाली बात गर्म कर रही थी.

आगे की बात अगले भाग में!
अभी तक की गांडू सेक्स की कहानी पर अपने विचार आप मुझे मेल जरूर करें.
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