हाय फ्रेंड्स … मेरी दोस्त की वाइफ की चुदाई कहानी के पिछले भाग
वाइफ शेयरिंग क्लब में मिली हॉट माल की चुदायी- 1
में आपने जाना था कि समीर की बीवी पूजा मेरे साथ चुदने वाली थी. चुदाई से पहले समीर अपनी विदेशी पार्टनर नीना और मैं पूजा के साथ होटल में खाना खाने आ गए थे.
इस सेक्स कहानी में आगे बढ़ने से पहले एक आप लोगों के लिए एक शेर अर्ज करने का मन है.
प्यासी थी जवानी पूजा की …
जिस्म जल रहा था हमारा भी …
बस खेल था इन दोनों के मिलन का,
जो देख रहा था खड़ा लंड … और भीगी चुत तुम्हारी भी.
मुझे उम्मीद है कि मेरी ये सेक्स कहानी आपको पसंद आ रही होगी. आप सभी को भी ऐसी कमसिन चुत चोदने का मन करता होगा. चुत होती ही ऐसी चीज है … जिस पर औरत का गुमान और लंड का सम्मान टिका होता है. जिसे लंड की नोक से ही धवस्त किया जाता है.
अब आगे की दोस्त की वाइफ की चुदाई कहानी:
चूंकि इस होटल में सभी लोग सिर्फ खाने आते हैं, तो खाना लाने में समय लग जाता है. वहां आर्डर के हिसाब से खाना गर्मागर्म बनाया जाता था.
फिलहाल हम लोग खाना आने का वेट कर रहे थे. उधर नीना और समीर बात करने में लगे हुए थे. मैं पूजा का पैर नीचे से सहला रहा था. पूजा के पास मेरा नम्बर था … तो उसने मैसेज पर मुझे मना किया कि मैं ऐसा ना करूं.
मैंने जवाब में पूजा से गेम खेलने के लिए कहा.
पूजा ने सबके सामने ट्रूथ एंड डेयर खेलने का प्रस्ताव रख दिया … जिसको सभी ने मान लिया.
पहले नीना की बारी, फिर समीर की थी. सब लोग इस खेल में एक दूसरे से मजे ले रहे थे.
फिर अचानक पूजा ने अपनी बारी पर डेयर मांग लिया. मैंने उसे पैंटी उतार कर टेबल के नीचे से मुझे देने को कहा.
तो पूजा मुस्कराने लगी और समीर आंख फाड़ कर देखने लगा. समीर बाहर की तरफ बैठा था, तो उसने साइड से पूजा को चड्डी उतारते देख लिया.
पूजा ने कमरे की तरफ से ऊपर से नीचे की ओर खिसकाई और गांड ऊपर उठा कर पैंटी को जांघ तक खींच लिया. इस तरफ मैं मुस्करा रहा था. विदेशी नीना को तो ये सब अजीब सा लग रहा था.
समीर हर तरह से पूजा को ढकने में लगा हुआ था.
उधर पूजा भी खिलाड़ी निकली, उसने पैंटी को नीचे खिसकाया और घुटने से नीचे खींच कर पैरों तक हिला हिला कर उतार दी और हल्का सा नीचे झुक कर उसने अपनी पैंटी बाहर निकाल कर पैरों के नीचे से मेरे हाथ में थमा दी.
इतने में वेटर हमारा खाना ले आया था. नीना और समीर प्लेट लगाने का नाटक करने में लग गए. वेटर के जाने के बाद मैंने हाथ ऊपर किया और पैंटी को सूंघने लगा. उसमें से उसकी चुत रस की महक आ रही थी.
फिर मैंने वो मुट्ठी में भरके अपनी जेब में रख ली. बगल में देखा, तो समीर भी नीना के पैर पर नीचे से हाथ फिरा रहा था. इससे मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गई और मेरा लंड फनफनाने लगा.
मेरी पैन्ट में लंड का उभार सीधे हाथ की ओर बन गया था … जिसे नीना ने देख लिया था. वो मुस्कराते हुए सबको खाना देने लगी.
अब तक सबके सामने खाना लग चुका था और हम लोगों ने खाना शुरू कर दिया था. पर मेरा लंड मुझे चैन से बैठने तक नहीं दे रहा था. मैंने अपने जूते उतारे और पैर लम्बा करके पूजा की चुत पर पैर का अंगूठा रख दिया. उसकी चूत खुली हुई थी. उसकी पैंटी मेरी जेब में थी और चुत खुली हवा खाने के कारण बहकने लगी थी.
मैंने थोड़ा जोर लगाया, तो चुत का पानी बह कर मेरे मोजे को गीले करने लगा. पर मैं लगातार पूजा की चुत में अंगूठा चलाए जा रहा था.
इधर पूजा भी इस एहसास का पैर खोल कर आनन्द ले रही थी. कोई आधा घंटे में हम लोगों ने खाना खत्म किया और पीने के लिए रेड वाइन और खाने को मीठा मंगा लिया.
अब खुल कर मस्ती करने के कारण मैं मजा तो ले ही रहा था … तो मैंने वाइट रसगुल्ला उठाया और नीचे झुक गया. अपने मोज़े निकाले और रसगुल्ला चुत के ऊपर रख कर वापस ऊपर को हो गया. उसका रस तो मैंने निचोड़ ही लिया था.
दोस्तों ये इतनी आसानी से इसलिए कर पा रहा था, क्योंकि मैं 6 फीट का हूँ. तो मेरे हाथ पैर भी लम्बे लम्बे हैं. ये सब खेल आसानी से मेज की दूसरी तरफ तक जा रहा था. मुझे अंधेरे का फायदा भी मिल रहा था.
अब मैंने रसगुल्ला जो पूजा की चुत पर रखा, तो उसके चिपचिपे और ठंडेपन से पूजा सहम सी गयी.
एकदम ठंडा एहसास होने के कारण उसका मन मचल रहा था.
ये अहसास कैसा था इसे आप पूजा की जुबानी ही सुनिए.
हैलो, मैं पूजा, आप सभी पाठकों को मेरा कामुकता भरा प्रणाम. इस सेक्स कहानी का अभिन्न हिस्सा बनना मेरे लिए काफी अच्छा है.
जब अनिकेत ने वो ठंडा रसगुल्ला मेरी लावा उगलती हुई चुत पर टच किया, तो वो मुझे बेसब्र सा करने लग गया. मुझे ऐसा एहसास होने लगा था, जैसे कोई कोमल रुई ठंडी मेरी चुत पर रख दी हो.
मेरे अन्दर खलबली सी मच गयी थी. मैं कुछ समझ पाती कि अनिकेत ने अपने पैर के अंगूठे से उस रसगुल्ले को अन्दर मेरी नंगी चुत में ठेल दिया. मैं एकदम से उचक गयी. क्योंकि बहती चुत में एकदम किसी के पैर का अंगूठा एकदम जगह बना ले, तो मेरी कामुक आवाज निकलना पक्का था. वही हुआ भी ‘आह … श्श्ह्श्श्..’ करके मेरी सिरहन निकल गयी.
मैंने नीचे देखा, तो अनिकेत का पैर वापिस अपनी जगह जा चुका था. पर मेरी चुत पर चूतरस के साथ साथ रागुल्ले का रस भी लग गया था जिससे चुत बहुत चिपचिपा रही थी. इस समय मेरी चुत लगातार भट्टी की तरह जल रही थी.
मेरी आह निकली तो समीर ने समझा कि मुझे मिर्ची लग गई है. वो मुझे पीछे से सहलाने लगा. वो मेरी जांघों पर हाथ फिरा कर मुझे शांत करने की कोशिश कर रहा था. पर उस से मेरी चुत में और जलन सी होने लगी. मैं चाह कर भी उसका हाथ नहीं हटा सकती थी. मेरे चुचे के निप्पल एकदम खड़े हो गए थे.
मैं अब अनिकेत के लंड को कच्चा खा जाना चाहती थी. पर ये सभी लोग मुझे विवश कर रहे थे. मुझमें इतनी सिरहन भर गयी थी कि मेरा गला सूखने लगा था. मैंने जोश में आकर सारी वाइन एक सांस में ही पी ली. नीना और समीर दोनों मुझे जंगली बिल्ली की नजर से देखने लगे.
मैं हो भी ऐसी गयी थी. उस समय का अहसास मुझे याद है. मेरी चुत की फांकें आपस में चिपकी हुई ऐसे फड़फड़ा रही थीं, मानो को लंड के लिए चुत मरी जा रही हो. उस समय यदि चुदाई का मौका होता … तो एक ही झटके में लंड को अन्दर तक ले कर उसे चोद देती. इसी लिए मुझे अब वहां से जाने की जल्दी होने लगी थी. मैंने समीर से ये कहा, तो उसने ओके कह दिया.
हम सबने अपनी अपनी ड्रिंक खत्म की और वहां से बाहर निकल आए.
रास्ते में समीर ने मेरी गांड जोर से पकड़ के भींच दी. एक तो मेरी चुत में वो रसगुल्ला मुझे चलने नहीं दे रहा था. ऊपर से अब बाहर आते ही मेरी गांड को और तड़पाना गजब हो गया था.
अनिकेत कार ले आया और उधर नीना भी कार ले आयी थी. हम दोनों ने होटल अलग अलग बुक किया था ताकि हम दोनों अपने अपने साथियों से खुल कर चुदायी का आनन्द ले सकें.
मैं जल्दी से कार में बैठी. मैंने अपनी टांगों के बीच में से रसगुल्ला निकालने के लिए अभी हाथ बढ़ाया ही था कि अनिकेत ने मेरा हाथ पकड़ लिया. मगर मुझे बहुत जोर से झनझनी चढ़ी थी. मैंने अनिकेत के लंड को आंड सहित अपनी मुट्ठी में भरने का प्रयास किया, पर पैंट में जब पकड़ा, तो बस टट्टे ही हाथ आए. क्योंकि लंड अपने विकरालतम रूप में था. मेरे हाथ लगाने से लंड और भी ज्यादा अकड़ गया.
मैंने पूरी भड़ास के साथ पकड़ा था और टट्टे ही हाथ लगे थे, तो मैंने दबा दिए. टट्टे मसले जाने से अनिकेत पूरा उछल गया. वो मुझसे अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करने लगा. उसने मेरे निप्पल पर इतनी जोर का हाथ मारा कि मेरी चीख के साथ हाथ ढीला पड़ गया.
अब उसने थोड़ी देर सहला कर गाड़ी चलायी, तो हम लोग मेनरोड पर आ गए थे.
इस समय तकरीबन 11:00 हो रहे होंगे. कुछ देर बाद उसने मेरी चुत के पास हाथ लगा कर मसल दिया, मैं चिहुंक गयी और ‘म्ह्ह्ह्ह…’ करके मचल उठी. वो मेरी चुत को हाथ से कुरेदने लगा और उंगली डाल कर रसगुल्ले को बाहर निकाल लिया. वो मेरे योनिरस से भीगा हुआ था और हर जगह से मसल सा चुका था.
अनिकेत उसे हाथ में लेकर सूंघने लगा और उसको निचोड़ कर उसका रस टपकाने लगा.
इधर मेरे अन्दर अब भी सिरहन दौड़ रही थी. कार की स्पीड बहुत स्लो थी … लगभग 10 या 15 पर रही होगी.
मैं इतनी कामुक हो गयी थी कि मैंने अपने आप अनिकेत के पैन्ट की चैन खोलकर लंड को आजाद कर दिया. प्यासी जवानी, ऊपर से गाड़ी फुल एसी की ठंडक होने के बावजूद मुझे इतनी गर्मी लग रही थी कि मुझसे अब बिना लंड के रुका नहीं जा रहा था.
मैंने लंड चूसने के लिए मुँह खोला ही था कि अनिकेत ने मेरी चुत से भीगा हुआ रसगुल्ला मेरे ही मुँह में ठूंस दिया. उसने मेरे मुँह में खारा सा स्वाद कर दिया.
पर मुझे कहां पता था कि ये अनिकेत की एक चाल थी कि मैं मुँह का स्वाद अच्छा करने के लिए लंड को और ज्यादा चूसूंगी. मैंने लंड की खाल को ऊपर नीचे करके देखा, जिसमें गुलाबी रंग का टोपा ऐसे खुल गया था जैसे वो अभी ही मेरी चुत को फाड़ डालेगा.
इस समय हम रास्ते में थे, तो लाईट की वजह से मैं बस टोपे को चूस कर लंड की खाल को ऊपर नीचे करके फैंटे मार रही थी.
फिर अचानक मैंने देखा कि अनिकेत ने गाड़ी हाईवे से नीचे उतार दी है.
मैंने सवालिया निगाहों से अपना मुँह बनाकर उससे पूछा- ये नीचे कहां ले जा रहे हो … अपना होटल तो आगे सिटी में है.
उस समय हमारा होटल इतनी दूर था मानो दिल्ली से गुरुग्राम की दूरी हो.
पर अनिकेत ने मेरी बात का कोई जबाव नहीं दिया. वो चुपचाप अंधेरे में गाड़ी चलाए जा रहा था. मैं उसके लंड को हिलाए जा रही थी और बीच बीच में उसके टोपे को चूस भी रही थी.
इस वक्त मेरी चुत इतनी ज्यादा कुलबुला रही थी कि बस मुझे कोई अब पटक कर चोद दे.
ऊपर से मुझे अनिकेत पर गुस्सा आ रहा था कि ऐसे समय में ये किसी कच्चे रास्ते से ले जा रहा था. मेरी प्यास और जोर मार रही थी.
हम दो मिनट तक थोड़ा और ज्यादा चले ही होंगे कि अनिकेत ने गाड़ी रोक दी. मैंने यहां देखा चारों और खेत ही खेत थे और बीच में एक गाड़ी निकलने लायक रास्ता था. यहां मुझे कोई आदमी नहीं दिखायी दे रहा था. मेरी चुत पानी फेंक रही थी.
इतना सुनसान देख कर मेरी गांड भी फटने लगी कि ये इसने कहां गाड़ी रोक दी.
अनिकेत गेट खोल कर घूम कर मेरी तरफ आया और दरवाजा खोला. उसने मेरी तरफ से अचानक नीचे झुक कर मेरे दोनों घुटनों के बीच में अपनी पूरी बाजू फंसा दी. दूसरे हाथ को मेरी गर्दन पर टिका कर मुझे उठा लिया. अनिकेत की चौड़ी छाती मुझे जकड़े हुए थी, जिससे मेरे जिस्म में और आग लग गयी थी. मैं बिना एक पल गंवाए उसकी गरदन को चूमने लगी.
अनिकेत ने गाड़ी का पीछे वाला गेट खोल कर उसने मुझे बैठा दिया और चैन में से खुला लंड मेरे मुँह के सामने रख दिया.
अब मैं आपको अनिकेत के लंड के बारे में बता दूं. इस समय उसका लंड अपने पूरे शवाब पर था. उसका टोपा मानो लंड से अलग फटने को हो रहा था. टोपा एकदम लाल होकर कोई टमाटर जैसा फूला हुआ था.
मैं अनिकेत के लंड के सुपारे को अपने मुँह में लेकर जोर जोर से उसको चूसने लगी. साथ ही उसकी पैंट की बेल्ट भी खोलने लगी थी.
मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपनी चुत को थपथपाते हुए लंड को सांस की रफ्तार से चूसने लगी थी.
उसी समय अनिकेत की पैंट खुल कर नीचे हो गयी और टट्टों के साथ लंड की जड़ तक जीभ फिराने लगी थी. मगर मुझे क्या पता था कि अनिकेत को इस समय कुछ और ही सूझ रहा था.
चूंकि वो कार से बाहर खड़ा होकर मुझे लंड चुसवा रहा था. तो उसने पैंट अलग करके गाड़ी के अन्दर डाल दी और मेरे घुटने के नीचे से हाथ निकाल कर मेरी गांड पर सहारा देकर मुझे अपनी बाजू में उठा लिया. फिर मुझे गोदी में उठाकर अनिकेत ने मेरी चुत पर जीभ रख दी, जिससे मेरे जिस्म में सिरहन सी दौड़ पड़ी और मैं पैर हिलाकर उसकी मजबूत पकड़ से आजाद होने की कोशिश करने लगी.
मेरी ये कसमसाहट सिर्फ लंड ही बुझा सकता था. लंड से चुत की लड़ाई ने किस तरह से अपनी मंजिल हासिल की … इस सबका बखान में पूरे जोश से इस दोस्त की वाइफ की चुदाई कहानी के अगले भाग में लिखूंगी.
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