दोस्त की बीवी और साली मेरे लंड की दीवानी- 1

हॉट भाभी फ्री सेक्स स्टोरी मेरे दोस्त की बीवी की दो साल बाद दोबारा चुदाई की है जब मैं उसके बेटे के जन्मदिन पर उसके घर गया था.

नमस्कार अन्तर्वासना के सभी प्यारे दोस्तो. मैं हर्षद आपके लिए एक नयी लेकिन पिछली कहानी से जुड़ी कहानी लेकर हाजिर हूँ.

आपकी यादें ताजा करने के लिए ये बताना जरूरी है कि पिछली कहानी में मैं अपने दोस्त के बेटे सोहम के जन्मदिन पर मम्मी और पिताजी के साथ दो दिन की छुट्टी निकालकर उसके गांव गए थे.

उसी रात सरिता भाभी यानि मेरे दोस्त विलास की पत्नी और उसकी बड़ी बहन सोनाली से मुलाकात हो गयी थी.
फिर उस रात को सोनाली की पूरी रात चुदाई किस प्रकार से हुई, ये सब आपने पढ़ा था.

सोनाली सुबह पांच बजे मेरे रूम से नीचे चली गयी. उसके जाते ही मैं लाईट बंद करके ऐसा ही नंगा अपने ऊपर लुंगी ओढ़कर सो गया.

अब इसके आगे क्या हुआ, वो हॉट भाभी फ्री सेक्स स्टोरी मैं आपके सामने पेश कर रहा हूँ.

सोनाली के जाने के लगभग पन्द्रह मिनट के बाद ही मुझे रूम का दरवाजा खुलने की आवाज आयी.
कोई अन्दर आया और उसने लाईट जला दी.

मैंने अधखुली आंखों से देखा तो ये सरिता भाभी थी.
वो बेड के पास आकर बेडशीट की हालत देखकर बुदबुदाई- कितना गीला और गंदा कर दिया है. इस सोनाली को भी अक्ल नहीं है कि बेडशीट बदल देना चाहिए. और ये बेचारा हर्षद ऐसे ही उस पर सो रहा है.

मैं सब सुन रहा था और सोने का नाटक कर रहा था.

सरिता मेरे पास आकर खड़ी हो गयी और झुककर अपने गुलाबी होंठ मेरे गाल पर रख दिए.
उसके होंठों की छुअन से मेरे पूरे बदन में बिजली सी दौड़ने लगी लेकिन मैं चुपचाप आंख बंद करके लेटा रहा.

करीब दो साल पहले सरिता के साथ बिताए पलों को मैं याद करने लगा. इसी बेड पर मैंने सरिता की रात भर अपने मूसल जैसे लंड से चुदाई की थी.
उन यादगार रातों को याद करते ही मेरे लंड में तनाव आने लगा था.

शायद सरिता भी वो सुनहरा दिन और सुनहरे पल याद करके ही मेरे पास आयी थी.

दो साल का विछोह … आह कितनी लंबी जुदाई थी हमारे बीच की.

उसने मेरे गाल पर हल्के से चूमते हुए अपना एक हाथ मेरे सर पर रख दिया और मेरे बालों को सहलाने लगी.
फिर वो मुझे जगाने की कोशिश करने लगी- उठो न हर्षद … अब इतनी लंबी जुदाई नहीं बर्दाश्त होती.

अब मैं भी नहीं सह सकता था. मेरा लंड पूरी तरह से तनकर लुंगी में फड़फड़ाने लगा था.
मैं पीठ के बल होते हुए आंखें खोल कर जागने का नाटक करते हुए बोला- सरिता तुम यहां?

तो सरिता बोली- हां मैं ही हूँ. क्या करती हर्षद, दो साल हो गए हमारे मिलन को. यहां पर ही तुमने पहली बार पूरी रात मेरे साथ संभोग करके मुझे ढेर सारी खुशियां मेरी झोली में डाल दी थीं.

मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसके होंठों को चूमते हुए कहा- हां मुझे सब याद है सरिता. जबसे आया हूँ, मैं तुमसे ही नजदीकियां चाहता था. लेकिन सभी मेहमान थे तो हम कुछ नहीं कर सकते थे.

सरिता बोली- हां हर्षद, मैं भी मजबूर थी. मैं तुम्हारे बदन को स्पर्श करने को कितना बेताब थी. इसलिए जब सोनाली नीचे आकर सो गयी, तो मैं मौका पाते ही तुम्हारे पास आ गयी. अब उठो मुझे ये बेडशीट बदलनी है. कितना गंदा कर दिया तुम दोनों ने. लगता है रात भर सोए ही नहीं हो. जल्दी से उठो हर्षद.

ये कहते हुए उसने मेरी लुंगी खींचकर फेंक दी.

मेरा खड़ा हुआ मूसल जैसा लंड देखकर सरिता बोली- हे भगवान, रात भर मेरी बहन चोद कर भी दिल नहीं भरा हर्षद. अब फिर खड़ा हो गया है.
मैंने सरिता को अपने ऊपर खींच लिया.

सरिता भी बिंदास सीधा मेरे ऊपर लेट गयी.
उसने मेहंदी कलर की नाईटी पहनी थी. आगे कमर तक बटन लगाए थे. ऊपर के दो बटन खुलने से उसके गोल मटोल दूध से भरे स्तन मेरे सीने पर दब गए थे.
नीचे मेरा तना हुआ लंड उसकी जांघों में कैद हो गया था.

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मैंने सरिता से चूमते हुए कहा- मुझे भूख लगी है.
सरिता मुस्कुराकर बोली- बहुत बदमाश हो … तुम दोपहर की बात अभी भी याद रखे हो.

मैंने सरिता से कहा- अपनी नाईटी उतार दो ना … नहीं तो खराब हो जाएगी.
सरिता ने मेरे ऊपर से उठ कर अपनी नाईटी निकालकर रख दी.
उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी. सिर्फ पैंटी पहनी थी.

सरिता मेरे बाजू लेट गयी और मैंने करवट बदलकर अपना मुँह उसके गोल कड़क स्तन पर रख दिया.
अगले ही पल मेरे होंठों में उसका एक निप्पल था.

मैं सरिता का दूध चूमने और चूसने लगा.
इससे सरिता एकदम से चिहुंक उठी.

मेरी जांघें सरिता की मांसल, गदरायी जांघों से चिपक गयी थीं, साथ में मेरा तना हुआ लंड उसकी चुत और जांघों पर रगड़ रहा था.

सरिता अपने हाथों से मेरा सर सहलाकर अपनी उंगलियां मेरे बालों में फिराने लगी थी, साथ में वो अपने स्तनों पर मेरा मुँह दबा रही थी.
बहुत लम्बी जुदाई के बाद सरिता मेरी बांहों में थी. मैंने जोश में आकर उसका स्तन मुँह में भर लिया और दबा कर चूसने लगा.

उसके स्तन से अमृत धारा की पिचकारियां मेरे मुँह में रिसने लगी थीं.
बहुत ही स्वाद भरा दूध का उसका, मैं पहली बार पी रहा था.
मैं बहुत खुश होकर सरिता के दोनों स्तनों से चूस चूस कर दूध पीने की इच्छा पूरी करने लगा था.

सरिता भी बहुत मदहोश होकर मेरा सर अपने स्तन पर दबाकर मुझे दूध पिला रही थी.
मैं बारी बारी से उसके दोनों स्तनों को चूसकर उसका सारा दूध पीने की कोशिश कर रहा था.

साथ में हम दोनों ही एक दूसरे की गांड और कमर को सहला रहे थे.
स्तन चूसते समय अजीब सी आवाजें मेरे मुँह से निकल रही थीं.
इससे सरिता भी सिहर उठी थी.

दस मिनट की चुसाई के बाद सरिता बोली- अब बस भी करो हर्षद … अपने सोहम के लिए भी थोड़ा दूध छोड़ दो.
मैंने कहा- हां सरिता, तुम ठीक कहती हो.

मैं बाजू से उठकर उसके ऊपर लेट गया.

सरिता अपनी बांहों में कसकर बोली- हर्षद, अब जल्दी से अपना मोटा और लंबा लंड मेरी चुत में डालकर अपने लंड का अमृत पिलाकर मेरी प्यास बुझा दो … मेरी चुत तड़फ रही है. बेचारी कितने दिनों से इंतजार कर रही है. कई रातों में इसने अपना पानी छोड़कर प्यासी ही रह कर तुम्हारा इंतजार किया है. अब देर ना करो हर्षद. मेरे पास समय नहीं है. नीचे सब मेहमान जाग गए तो हम दोनों मुसीबत में फंस जाएंगे.
मैंने भी हम दोनों की मजबूरी समझ ली.

मैं अपने घुटनों के बल पोजीशन लेकर उसकी जांघों के बीच बैठ गया.
उसकी चुत बहुत गीली हो गयी थी.

मैं अपने हाथों से सरिता की चुत सहलाने लगा.
वो सीत्कारने लगी.

मेरा हाथ गीला हो रहा था. मैंने अपने गीले हाथ से अपने लंड को सहलाया और उसे भी गीला करने लगा.

फिर मैंने अपने एक हाथ की उंगलियों से उसकी चुत की फांकों को फैलाया और अपने लंड का सुपारा चुत के मुँह पर रगड़ने लगा.
सरिता मदहोश होकर सिसकारियां लेने लगी- ऊफ्फ उन्ह आह आह हूँ हुं स् स्ह स्ह हा!

उसके मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं. उसकी चुत ने कितने इंतजार के बाद मेरे लंड का स्पर्श अपने मुँह पर पाया था.
मेरे लंड का सुपारा गीला होकर चिकना हो गया था.

मैं सरिता की ये हालत देख नहीं पा रहा था तो मैंने जोर से धक्का देकर आधे से अधिक लंड सरिता की चुत में डाल दिया.

इस अचानक हुए प्रहार से सरिता चिल्ला पड़ी.

मैंने झट से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए इससे सरिता की आवाज अन्दर ही दब गयी थी.

थोड़ी ही देर बाद सरिता मेरे होंठों को चूसती हुई बोली- बहुत शैतान हो तुम … इतनी जोर से कोई डालता है क्या हर्षद. जब से तुमने मुझे प्रेग्नेंट किया, तब से आज तक मैंने तुम्हारे दोस्त का भी लंड नहीं लिया. मेरी चुत सिर्फ तुम्हारा ही इंतजार करती रही.

ऐसे ही बातें करते करते अब सरिता नीचे से अपनी गांड हिलाने लगी तो मैं भी अपना लंड आहिस्ता आहिस्ता अन्दर बाहर करने लगा और सरिता से बातें करने लगा.

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मैंने कहा- सरिता, मैं भी तुम्हारी चुत पाने के लिए उतावला हो गया था. मुझे तो यकीन ही नहीं था कि हमारा मिलन इस माहौल में हो भी सकेगा या नहीं. ये सब तुम्हारा कमाल है सरिता. अगर तुम यहां ना आती, तो मैं तुम्हें आज पा ही नहीं सकता था.
तभी सरिता बोली- क्यों ना आती? तुमने मुझे सोहम के रूप में जो इतना बड़ा तोहफा दिया है, वो मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती.

अब मैंने लंड अन्दर बाहर करने की गति को बढ़ाया तो सरिता भी अपनी गांड उठा उठा कर लंड अन्दर लेने की कोशिश करने लगी थी.

कुछ मिनट के बाद सरिता के मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं.
मुझे भी जोश आ गया और जोर जोर से धक्के मारकर अपना लोहे जैसा लंड सरिता की चुतकी गहराई में डाल रहा था.

वो सीत्कारने लगी- ओह हर्षद ऊफ्फ आह ऊई हुं हा हा स्ह स्ह स् स् … अब मैं झड़ने वाली हूँ. मैं आ रही हूँ हर्षद.
मैंने आठ दस घपाघप शॉट मारकर अपना पूरा लंड उसकी चुत उतार दिया.

सरिता ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया. हम दोनों साथ में झड़ने लगे. सरिता ने अपनी दोनों टांगें मेरी गांड पर रखकर मुझे जकड़ लिया ताकि लंड का दबाव चुत पर बना रहे.

उसने अपने दोनों हाथों से मुझे अपनी बांहों में समा लिया.
मैंने अपना सर उसके कंधे पर रख लिया था.
हम दोनों की गरम सांसें एक दूसरे को महसूस हो रही थीं.

मेरे लंड से निकलने वाले वीर्य की पिचकारियां सरिता महसूस कर रही थी.
वो अपनी चुत की गहराई में मुझे लगातार खींच रही थी और अपने गर्म चुत रस से मेरे लंड को नहला रही थी.

कुछ मिनट हम ऐसे लेटे रहे थे.
बाद में सरिता ने अपने पैरों की पकड़ ढीली कर दी और पैर लंबे कर दिए.

वो मुझे चूमती हुई बोली- हर्षद अब बस हो गया, उठो मेरे ऊपर से.
मैं उठकर घुटनों के बल आ गया, तो मेरा लंड चुत से बाहर निकल आया.

मेरा लंड कामरस से लबालब हो गया था. सरिता की चुत से कामरस बहकर बेडशीट पर फैल रहा था.

मैंने सरिता को हाथ देकर उठाया और सरिता बैठकर चुत से बहते हुए कामरस को देख कर बोली- बहुत दिनों के बाद मेरी प्यासी चुत की प्यास तुम्हारे मोटे लंड ने बुझायी है हर्षद!
“हां सरिता आज मैं भी बहुत खुश हूँ. करीब दो साल के बाद मेरे लंड ने तुम्हारी चुत का अमृत पिया है. देखो तुमने चुतरस से कैसे नहला दिया इसे!”

सरिता ने उधर पड़ा हुआ कपड़ा लेकर मेरा लंड पौंछती हुई बोली- हां हर्षद … हम दोनों कितने प्यासे थे. सिर्फ फोन पर बात करने से क्या होता है. जब तन से तन मिले, तभी सब होता है.

उसने मेरा लंड साफ करके अपनी चुत भी साफ कर ली.
हम दोनों बेड के नीचे उतर गए.

सरिता ने अपनी पैंटी और नाईटी पहन ली और खराब बेडशीट धोने के लिए बाथरूम में रख दी; फिर दूसरी बेडशीट बेड पर डाल दी, तकिया के कवर बदल दिए.

वो मुझसे बोली- अब लुंगी लगाकर टी-शर्ट पहन लो और आराम से सो जाओ. साढ़े छह बज गए हैं, अब मैं नहाने जा रही हूँ.

मैं उसे अपनी बांहों में कसकर उसके होंठों को चूमने लगा. सरिता ने मुझे भी अपनी बांहों में कस लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी.
पांच मिनट की चूमाचाटी के बाद सरिता अलग हो गयी.

वो बोली- हर्षद, अब मैं चलती हूँ. अगर मौका मिलेगा, तो हम दोनों फिर से ऐसे ही मिलेंगे.
और सरिता निकल गयी और मैं लुंगी और टी शर्ट पहनकर लेट गया.

सरिता की चुत चोदने के मजा याद करके सोने की तैयारी करने लगा.
मुझे सोनाली की चुत की भी बड़ी याद आ रही थी.

इस कहानी के अगले भाग में मैं आपको चुदाई के अगले मजे से रूबरू कराऊंगा.
आपको मेरी हॉट भाभी फ्री सेक्स स्टोरी कैसी लगी, प्लीज़ मेल से बताएं.

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