दोस्त की बहन की चुत की आग शांत की

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम लव है, मैं लखनऊ के पास का रहने वाला हूं. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, तो सोचा क्यों न अपनी भी एक कहानी बताई जाए, जो मेरे जीवन में घटित हुई है.

यह चुदाई की घटना मेरे एक फ्रेंड की बड़ी बहन के साथ घटित हुई है, जो मैं आप सभी में बताना चाहता हूँ.

मैं आपको बता दूँ कि मेरा दोस्त कानपुर में रहता है. उसका नाम हरविंदर है. हम दोनों बचपन से ही साथ रहते थे. उसके पिता जी एक सरकारी विभाग में बहुत बड़े अधिकारी हैं और वो लखनऊ में हमारे घर में ही किराए पे रहते थे. उसके घर में उसकी बड़ी बहन विभा, छोटी बहन सिमरन और माँ रहती थीं. फिर कुछ ही सालों बाद उनका तबादला कानपुर हो गया, इस तरह वो और हम दूर हो गए.

फिर कुछ महीनों बाद पता चला कि उसकी दीदी की शादी तय हो रही है, लड़का लखनऊ से ही था. मैं भी शादी में गया.. खूब डांस हुआ और मौज मस्ती हुई. फिर वो अपने घर चली गयी.

उस वक़्त मेरी उम्र 21 साल थी. इसके बाद हम दोनों दोस्त और उसकी बहन, मतलब हर कोई अपने अपने काम में लग गया और ऐसे ही दिन कटना शुरू हुए.

लगभग 2 साल बाद एक रात अचानक से हविंदर का फ़ोन आया कि भाई मैं इस वक़्त पढ़ाई के चक्कर में पुणे में हूँ और दीदी की तबियत ठीक नहीं है. तुम लखनऊ में हो तो प्लीज़ दीदी के घर चले जाओ क्योंकि पापा किसी काम के सिलसिले में बाहर गए हैं और घर में छोटी और माँ ही है. इतनी रात में उनका वहाँ से आना ठीक नहीं, तो प्लीज़ तुम उसके घर चले जाओ.

अब मैंने भी दोस्ती के नाते हां कह दिया और उसके बताए पते पर चला गया. वहाँ पहुँचा तो देखा कि उसकी दीदी लेटी थीं और उनके साथ उनकी देवरानी थीं. फिर मेरे पूछने पे पता चला कि दीदी के पति कनाडा में जॉब करते हैं और उनको गए लगभग डेढ़ साल हो गए हैं.

दीदी ने डॉक्टर के लिए कहा तो मैं वहाँ से निकला और डॉक्टर को साथ लाया. डॉक्टर ने दीदी को चैक किया, कुछ दवा आदि लिख दीं. फिर मैंने रात में ही दवा ला कर दीं, जिसको खा कर वो सो गयी.

उसके बाद मैं वहाँ से जाने लगा और उनकी देवरानी, जिसका नाम सरोज था उसको बोलकर निकलने लगा. उस टाइम मैंने सरोज को देखा पटियाला सूट में एकदम कमाल की अप्सरा सी लग रही थी. उसका चेहरा एकदम गोरा है.

मैं उसकी चूचियों को जी भर के देखा और उसको बता कर निकलने लगा. मैं अपने घर वापस आ गया.

फिर मेरा रोज उसकी दीदी के घर आना जाना लगा रहता था. तीसरे ही दिन कुछ दिनों के लिए मेरे मम्मी पापा गांव चले गए. तो मुझे खाना बनाना तो आता था, मुझे कोई दिक्कत भी नहीं थी.

माँ पापा के जाने के बाद अगले दिन मैं दीदी के घर गया, तो पता चला कि उनकी देवरानी कहीं गयी हुई है. उसके चाचा के लड़के की शादी थी और घर में कोई न होने की वजह से दीदी उसके साथ नहीं जा पाई थी.

मैंने दीदी को बताया कि मेरे घर पर भी कोई नहीं, आजकल तो मम्मी पापा भी गाँव गए हैं.

यह सुनकर वो बहुत खुश हो गयी, उसके चेहरे की मुस्कान से ही पता चल रहा था. दीदी ने मुझसे कहा- तुम यहीं मेरे घर रुक जाओ क्योंकि मुझको रात में अकेले रहने में डर लगता है.

मैं भी यह बात सुनकर खुश हो गया. फिर मैं घर वापस गया और वहाँ से अपने कुछ कपड़े, जो घर में पहनता था.. लेकर आ गया. शाम हो चली थी तो मैं फ्रेश हो कर हॉल में बैठ कर टीवी देखने लगा.

कुछ देर बाद दीदी खाना बना के ले आयी और मेरे मुझे खाना खिलाने लगी.

उस टाइम उसने दीप गले का सूट पहन रखा था. वो जैसे ही मुझे खाना परोसने के लिए झुकी तो मुझे उसकी 34 साइज की चूचियों के दीदार हो गए. ये बात उसने नोटिस कर ली और मुझे देख कर स्माइल पास कर दी.

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फिर मैं जब खाना खाने लगा तो वो बोली- आज गर्मी बहुत है लव.. तुम खाना खाओ, जब तक मैं जाकर नहा लेती हूँ.

उसके बाद वो बाथरूम में घुस गई और कुछ देर बाद ही अचानक से उसकी आवाज आई. मैं जल्दी से बाथरूम के पास गया तो देखा वो थोड़ी भीगी हुई फर्श पे गिरी पड़ी थी और दर्द से कराह रही थी. मैंने उसको उठाया और सहारा देकर धीरे धीरे उसको उसके रूम में लेकर गया. उसकी कमर में चोट लग गयी थी, वो उठ नहीं पा रही थी. मैंने उसको सहारा देकर बेड के पास आराम से लेटा दिया. मैं जब उसको उठा कर बेड पे ला रहा था, तब उसकी चूची से मेरा हाथ छू रहा था, जिस वजह से मेरा लंड अपने आकार में आ गया था. मेरे खड़े होते हुए लंड को दीदी ने लोवर में देख लिया था.

फिर मैंने उसको दवा ला कर दी और उसके रूम के बाहर निकलने लगा. दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहने लगी कि तुम यहीं मेरे पास रुक जाओ.
मैं उसके पास रुक गया.
फिर वो कहने लगी कि मेरी कमर में बहुत दर्द हो रहा तो तू जरा मालिश कर दे.

मैंने एक दर्द निवारक क्रीम लाकर उसके पास बैठ गया लेकिन वो क्रीम लगवाने से मना करने लगी, मैंने कहा- फिर क्या लगा कर मालिश करूँ?
उसने अपनी अलमारी से एक तेल की शीशी निकालने को कहा, मैं ले आया. उसने कहा कि इससे मेरी कमर पर लगा कर मालिश कर दे.

उसके बाद दीदी ने अपने सूट को ऊपर की तरफ उठा दिया और इशारे से मुझे कमर पे तेल लगाने के लिए बोलने लगी.

मैं अपने काँपते हुए हाथों से उसकी कमर पे तेल लगाने लगा. फिर धीरे धीरे मेरा लंड अपने पूरे रूप में आ गया, जिसका एहसास दीदी को हो गया था.

कुछ देर बाद दीदी की मस्त चिकनी कमर को सहलाने के बाद मैंने उसको बोला कि दीदी अब कहाँ लगाऊं तेल?
वो बोली- पहले तो तू मुझे दीदी नहीं विभा बोल.

इसके बाद उसने अपनी सलवार समीज को निकाल दिया और वो मेरे सामने ब्रा और पैंटी में आ गयी. मैं तो उसको देख कर पागल हो गया था क्योंकि उसको देख कर लग ही नहीं रहा था कि वो एक शादी शुदा औरत है.

फिर उसने तेल लगाने के लिए मुझे अपने पैर की तरफ इशारा किया. मैं एक अच्छे बच्चे की तरह उसके पैरों में मालिश करने लगा. उसकी आँखों के इशारे को देखते हुए मैं महसूस कर रहा था कि वो भी वासना की आग में जल रही है और धीरे धीरे मैं ऊपर की तरफ आने लगा.

दीदी ने अपनी टांगें खोल दीं. मैं उसकी चुत को पैंटी के ऊपर से दबाने लगा. जिससे वो जोश में आ गयी और हल्का हल्का सिस्कारने लगी. कुछ ही देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, जिससे उसकी पैंटी गीली हो गयी.

मैंने उसकी गीली चूत को दबाया तो उसने पेंटी को निकाल दिया और झट से उठ कर मुझे पकड़ लिया. अब वो पागल कुतिया की तरह मेरे कपड़े को उतारने लगी. मेरे भी बर्दाश्त करने की सीमा नहीं नहीं रह गयी थी और फिर हम दोनों के होंठों का एक साथ मिलन हो गया.. जो दस मिनट तक चला.

इसके बाद दीदी ने मेरे लौड़े को पकड़ लिया और कहने लगी- इसे बाहर निकालो.
उसने खुद ही मेरे लोवर से लंड को आजाद कर दिया. वो मेरे लंड को हाथ में लेकर बोलने लगी- आह.. इतना बड़ा तो मेरे पति का भी नहीं है.

मैं कुछ समझ पाता कि दीदी ने लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी.. जिससे मैं एकदम पागल हो गया और उसके बालों को पकड़ कर अपने लंड को उसके मुँह के अन्दर पेलने लगा. मोटे लंड के कारण उसकी आंखों में नमी आ गयी.

फिर कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेरा रस निकल जाएगा तो मैंने उसके मुँह से अपना लंड निकाल कर उसको बिस्तर पे सीधा लेटा दिया. दीदी के दोनों पाँव ऊपर करके उसकी चुत पे अपना मुँह लगा दिया.. जिससे वो पागल हो गयी.

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अब दीदी ‘आह ह ह ह ओहोऊऊऊ..’ की आवाज निकालने लगी. ऐसा करते हुए मैंने कुछ ही देर में उसका पानी निकाल दिया और फिर उसके पानी को अपने मुँह में ले कर पी गया. उसकी चूत का स्वाद हल्का नमकीन और बदबूदार था, पर था बहुत मस्त.

फिर विभा और हम कुछ देर रुके. मुझे एक आईडिया आया. मैं किचन से शहद ले आया और उसकी चुत और अपने लंड पे लगा दिया. फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए. वो मेरा लंड लंड चूसने लगी, मैं उसकी चुत चाटने लगा.

उसके बाद हम दोनों एक दूसरे के मुँह में झड़ गए और अलग हुए.

फिर वो बोलने लगी- इतना मज़ा आज तक न तो मेरे बॉयफ्रेंड ने दिया है न ही मेरे पति ने.. क्योंकि दोनों को तो बस मेरी चुत में लंड डालने की जल्दी रहती है. मेरा मन तो कभी समझ ही नहीं आया उनको.. लेकिन आज तुमने मुझे बहुत मज़ा दिया.

फिर उसने मुझे चुम्बन करना आरम्भ कर दिया, जिससे मैं और वो फिर गर्म हो गए.
अब वो बोलने लगी- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा लव.. डाल दो अपना लंड मेरी चुत में..

मैं अभी उसको और तड़पाना चाहता था तो मैं अपने लंड का टोपा हल्का सा अन्दर डालता, फिर निकाल कर उनकी चुत पे रगड़ने लगता, जिससे वो और पागल हो जा रही थी. उसकी चुत ने फिर से पानी छोड़ दिया.

अब वो मुझे गाली देने लगी और फिर मुझे उल्टा पटक कर मेरे ऊपर आ चढ़ गयी. मेरे लंड पे अपनी चुत रख कर अपनी गांड दबाने लगी. मोटे लंड के कारण उसको दर्द होने लगा था, जिसका पता मुझे तब चला जब देखा उसकी आँखों में आंसू आ गए.

मैं उसको चोदते हुए पूछने लगा- रंडी मादरचोद तू क्यों रो रही.. तूने तो अब तक दो दो लंड लिए हैं?
वो बोली- मादरचोद तेरे लंड में ऐसा जादू है कि मैं पागल हो गयी हूँ, आज तक मुझे ऐसा लंड नहीं मिला.. वाह क्या लंड पाया है रे तूने.. आह आह आह जोर जोर से चोद.. मेरे लव अब तो तू ही मेरा सब कुछ है.. अब तेरे लंड की दीवानी हो गयी हूँ आह.. मेरे राजा तू तो किसी बुढ़िया को भी चोद दे तो वो अपनी जवानी को याद करने लगेगी.. और सोचेगी काश तू पहले मिल जाता.

इस तरह चुदाई करते हुए 20 मिनट बाद वो अपने पूरे चरम पे पहुँच गयी थी और उसने मुझे कसके पकड़ लिया. अति उत्तेजना की स्थिति में दीदी ने मेरे होंठों को काट लिया और कुछ ही देर में उसका पानी निकल गया. चूत का पानी निकलने के बाद वो मेरे ऊपर निढाल हो कर लेट गयी.

अब मेरा भी निकलने वाला था तो मैंने उसको सीधा लेटाया और पांच मिनट तक चोदने के बाद जब मेरा निकलने लगा तो मैंने उससे पूछा कि कहा निकालूँ?
तो उसने बोला कि ऐसा मर्द का पानी चुत में निकलवाना ही अच्छा होगा.

बस फिर क्या था.. मैं उसको चोदते हुए उसकी चुत में खाली हो गया. उस रात मैंने उसको 5 बार अपने लंड की सवारी करवाई. अब तो जितने दिन उसकी देवरानी नहीं आई, उतने दिन तक मैं उसको पेलता रहा. उसके आने के बाद भी जब भी हम दोनों को मौका मिलता है, हम चुदाई कर लेते हैं.

अब उसके पति के एक बार आ जाने के बाद मैं फ्री होकर उसको चोदता हूँ.
मेरे लंड के द्वारा उसको एक लड़का भी है जो बहुत खूबसूरत है. अब वो मेरी पत्नी की तरह पेश आती है और मेरी सारी जरूरतों को पूरा करती है.

उसकी देवरानी भी इस बात को समझ चुकी है कि मैं दीदी को चोदता हूँ. शायद वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. जल्द ही उसकी भी दीदी के साथ एक ही बिस्तर पर चोदने का मन है, देखो कब सपना पूरा होता है.

आपको मेरी चुदाई स्टोरी कैसी लगी, आप मुझे जरूर बताना. मुझे आपके संदेश का इंतज़ार रहेगा!