दोस्त की अम्मी ने मुझे पटा कर चूत चुदा ली

हैलो फ्रेंड्स, क्या हाल हैं? सबके लंड और चूत मस्त हैं ना..
चूत को लंड और लंड चूत मिल रही है ना..

दोस्तो, मेरा नाम समर है और मैं 24 साल का हूँ। मेरा रंग सांवला जरूर है.. पर दिखने में मैं बहुत हॉट हूँ।

मेरी सेक्स कहानी मेरे दोस्त की माँ की है जो मुझसे चुदी थी। मेरे दोस्त का नाम आमिर है और उसकी माँ का नाम आशना है। आमिर और हमारी दोस्ती स्कूल टाइम से है। मैं उसके घर.. वो मेरे घर आता रहता था।

आमिर के पाप एक बड़ी कंपनी में नौकरी करते थे, उनके पास पैसों की कोई कमी ना थी, गाँव में भी उनके बहुत खेत थे, आमिर का एक फ़ार्म हाउस भी है.. पर एक साल पहले एक कार दुर्घटना में आमिर के पापा की मौत हो गई थी।

दोस्त की अम्मी की चुदास

आशना की उम्र 45 साल है.. पर आशना ने अपने को बहुत मेंटेन कर रखा है इसलिए वो सिर्फ 35 साल की ही लगती हैं।
आशना का फिगर 36-30-36 है जो मुझे बाद में पता चला।

मैं आशना को आंटी कहता था। मैंने कभी उनको गलत नज़र से नहीं देखा था, मैं उनको माँ समझता था.. वो भी मुझे बेटे जैसा प्यार करती थीं।

लेकिन अंकल के मरने के कुछ दिन बाद से मैं आंटी में चेंज होते देख रहा था.. जैसे कभी वो सिर्फ ब्लाउज-पेटीकोट में मेरे सामने आ जातीं.. या कभी नाइटी में मेरे सामने कभी अंगड़ाई लेतीं।

पर मैं कुछ ध्यान नहीं देता था और आमिर के रूम में जाकर उससे बातें करता और घर आ जाता था।

ऐसा करते-करते 6 महीने बीत गए और होली आ गई। होली के दिन जब मैं आमिर के घर गया और उस दिन मैंने उसके साथ और आंटी के साथ खूब होली खेली। होली खेलते वक़्त मैंने नोट किया कि आंटी कुछ ज़्यादा ही मस्ती कर रही थीं, खास कर जब आमिर ना होता।

शायद आंटी की किस्मत आंटी का साथ दे रही थी। क्योंकि उसी वक्त आमिर के गाँव से फ़ोन आया कि कुछ लोग तुम्हारी ज़मीन पर कब्ज़ा करने वाले हैं.. इसलिए तुम फ़ौरन आ जाओ।

आमिर को जाना ज़रूरी था.. तो वो जब जाने लगा तो उसने मुझसे बोला- मैं 3 या 4 दिन में आ जाऊँगा.. तब तक माँ का ध्यान रखना और रात में यहीं सो जाना।

मैंने बिना कुछ सोचे आमिर को ‘ओके..’ बोल दिया।

आमिर गांव चला गया। मैंने भी अपने घर पर बोल दिया कि आंटी अकेली रह गई हैं.. इसलिए मैं उनके घर सोने जा रहा हूँ।

आंटी ने मुझे अपना शरीर दिखा कर लुभाया

रात को दस बजे मैं आमिर के घर पहुँचा तो आंटी ने दरवाज़ा खोला। मैं तो आंटी को देखता ही रह गया। आंटी ने एक पतली सी नाइटी पहन रखी थी.. जिसमें से उनकी पैंटी और ब्रा दिख रही थी।

पैंटी तो ऐसी थी जिसने सिर्फ उनकी चूत को ढक रखा था। मैं उनको घूर रहा रहा था.. तो आंटी मुस्करा कर बोलीं- क्या हुआ?
मैं झेंपते हुए बोला- कुछ नहीं आंटी।

हम दोनों अन्दर आ गए। वो मेरे आगे चल रही थीं.. मैं पीछे था। उनकी गांड क्या मटक रही थी.. कसम से वो बहुत मस्त लग रही थीं।

हम दोनों जाकर हॉल में बैठ गए और बातें करने लगे। बातें करते-करते मैंने नोट किया कि आंटी बार-बार अंगड़ाई ले रही थीं, वो कहने लगीं- आज होली में बहुत मज़ा आया।

मैं उनकी बातें कम सुन रहा था.. उनको देख ज़्यादा रहा था।
तभी एकदम से वो बोलीं- समर, मेरा एक काम कर दो।
मैंने कहा- बोलो आंटी?

वो बोलीं- आज होली की वजह से बहुत भाग-दौड़ हुई है.. इसलिए मेरे पैरों में दर्द हो रहा है.. क्या तुम मेरी मालिश कर दोगे।

मैं समझ गया कि आंटी आज चुदवाना चाहती हैं पर मैं सोच रहा था कि ये मेरे दोस्त की माँ हैं।

आंटी शायद समझ गईं.. वो बोलीं- प्लीज़ समर बहुत दर्द है.. अगर आमिर होता तो उससे मालिश करवा लेती.. पर वो है नहीं.. तुम कर दो प्लीज़।
मैं बोला- ठीक है आंटी।

उनके होंठों पर अब एक अजीब सी मुस्कान आ गई थी।
मैं बोला- आप तेल लेकर कमरे में चलो, मैं फ्रेश होकर आता हूँ।

जब मैं फ्रेश होकर आंटी के कमरे में पहुँचा तो आंटी की नाइटी घुटनों तक चढ़ चुकी थी और आंटी के आधे गोरे चिकने पैर दिख रहे है।
ये सब देख कर मेरा भी लंड खड़ा होने लगा था।

आंटी बोलीं- आ गए फ्रेश होकर..
मैंने कहा- हाँ..
इस पर वो बोलीं- अपने कपड़े चेंज कर लो.. ये लो आमिर की लुंगी बाँध लो।
मैं बोला- ओके..

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मैंने कपड़े चेंज किए।

एक बात बताऊँ मैंने उस दिन अन्डरवियर नहीं पहनी थी। मैंने तेल लेकर जैसे ही आंटी की मसाज करना शुरू की तो आंटी ने अपनी टांगें V शेप में फैला दीं और उन्होंने अपनी आँखें बंद कर लीं।

मैं भी उनकी टांगों पर हाथ फेरने लगा। बहुत ही मुलायम और चिकने पैर थे।

आंटी भी मज़ा ले रही थीं। मैं भी आंटी का पूरा बदन घूर रहा था। जब आंटी साँस लेतीं.. तो उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ बहुत मस्त लग रही थीं।
मेरा हाथ धीरे-धीरे उनकी गुप्त जगहों पर पहुँच गया था। अब आंटी ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने लगी थीं।

मैंने आंटी से बोला- आंटी तेल से आप की नाइटी ख़राब हो रही है.. इसे ऊपर कर दूँ?
आंटी बोलीं- जो करना है कर..

आंटी की चूत

मैंने नाइटी कमर तक कर दी और उनके दोनों पैरों के बीच में बैठ गया। फिर धीरे-धीरे उनकी जांघों पर हाथ फेरते-फेरते मैं उनकी को चूत को टच कर देता.. तो आंटी के मुँह से ‘आआहह..’ निकल जाती।

मैंने बोला- आंटी कैसा लग रहा है?
आंटी बोली- समर मेरी प्यास बुझा दे।
मैं बोला- हाँ आंटी अब तो मैं भी प्यासा हो गया हूँ।
‘तो बुझा ले न अपनी प्यास..’

मैंने कहा- आंटी एक बार हमें चूत दिखा दो.. आज तक मैंने रियल में चूत नहीं देखी है।
आंटी बोलीं- पहले तू अपना लंड दिखा.. फिर तुझे सब दिखाती हूँ.. चल अपने कपड़े उतार।

मैं सिर्फ लुंगी और बनियान पहना हुआ था, मैंने फ़ौरन कपड़े उतार दिए।
आंटी मेरा लंड देख कर चौंक गईं.. बोलीं- ओह.. तेरा कितना बड़ा है और मोटा भी है?
मैं बोला- आपको पसंद आया?
वो बोलीं- बहुत पसंद आया..

‘अब आप अपनी चूत दिखाओ।’
वे बोलीं- रुक.. ज़रा मैं तेरे लंड को प्यार तो कर लूँ.. कितना लम्बा और मोटा है। मुझे एक साल के बाद लंड के दीदार हुए हैं।

आंटी उठ कर बैठ गईं और उन्होंने मुझे लिटा दिया और मेरे लंड पर हाथ फेरने लगीं। जैसे ही आंटी का हाथ मेरे लंड पर लगा.. मेरे लंड को और जोश आ गया। कुछ देर हाथ फेरने के बाद आंटी खड़ी हो गईं और अपनी नाइटी ब्रा और पैंटी सब उतार दिया।

मैं तो बस उनको देखता रहा गया.. क्या मस्त माल थीं आन्टी.. उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां.. उन पर भूरे-भूरे से लम्बे निप्पल.. मस्त गहरी नाभि आह्ह.. वो बहुत ही मस्त दिख रही थीं।

उनकी नाभि तो ऐसी थी कि वो आंटी के जिस्म में चार चाँद लगा रही थी। नाभि के नीचे 4 इंच लंबी आंटी की चिकनी चूत.. जिसे देख कर लगता था कि आज ही झांटें साफ की गई हैं।

मैं आंटी से बोला- आप कितनी मस्त और सेक्सी माल हो।
आंटी बोलीं- तेरा औज़ार भी बहुत मस्त है.. तेरे अंकल से भी ज़्यादा लम्बा और मोटा है.. आज तो मुझे मज़ा आ जाएगा।

ये कह कर वो बैठ गईं और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं।

आंटी के मुँह में पूरा लंड जा नहीं पा रहा था। करीब 3 इंच लंड आंटी के मुँह से बाहर ही था।

आंटी बोलीं- साले अकेले लेटे-लेटे मज़ा ले रहा है.. तू भी तो कुछ कर।
मैं बोला- मैं क्या करूँ.. मेरा तो पहली बार है.. मुझे कुछ नहीं पता.. आप बोलो क्या करूँ?
आंटी बोलीं- बताती हूँ।
ये कह कर उन्होंने मेरा लंड चूसना बंद कर दिया।

मैं बोला- आंटी चूसो ना.. मज़ा आ रहा है।
आंटी बोलीं- चुप साले मादरचोद!

आंटी के मुँह से गाली सुन कर मैं तो दंग रह गया.. पर आंटी के मुँह से गाली अच्छी लग रही थी।
आंटी उठीं और दोनों टांगें फैला कर मेरे मुँह पर पीठ करते हुए बैठ गईं और बोलीं- ले चाट..

पहले तो मुझे गन्दा लगा.. पर बाद में मज़ा आने लगा। आंटी की चूत से नमकीन पानी निकल रहा था।
आंटी झुक कर फिर मेरा लंड मुँह में ले लिया, आंटी मेरा लंड चूस रही थीं और अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ रही थीं।

पता नहीं क्या बड़बड़ा रही थीं.. पर जो भी कह रही थीं बड़ा मादक था।

करीब 5 मिनट की चुसाई में आंटी अकड़ने लगीं, वो बोलीं- समर जल्दी जल्दी चूस.. आआहह.. उईई.. ल्ला..

इस तरह कि सीत्कार करते-करते आंटी ने मेरे मुँह में पानी छोड़ दिया.. जिसे मैं पी गया। आंटी की चूत का पानी बहुत मस्त स्वाद वाला था।

अब मेरा भी पानी निकलने वाला था.. तो मैंने आंटी से कहा- आंटी, मेरा भी निकलने वाला है।
आंटी बोलीं- तो निकाल दे न.. मेरे मुँह में ही..

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उन्होंने ये कहा और मेरे लंड को और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं। मेरे मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं।

तभी एकदम से मेरा पानी निकला तो सीधे आंटी के गले तक धार मारता हुआ चला गया। आंटी सारा पानी पी गईं और उन्होंने मेरे लंड को चूस कर उसकी एक-एक बूंद को निचोड़ने के बाद ही लंड को अपने मुँह से निकाला।

अब वो मेरी तरफ देख कर मुस्कराईं और बोलीं- आह्ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मज़ा आ गया।
मैं बोला- सच में आंटी बहुत मज़ा आ गया।
वो बोलीं- इससे ज़्यादा मज़ा तो तब आएगा.. जब तू मुझे चोदेगा।
यह कहकर वे मेरे गले में बाँहें डाल कर मेरे होंठों को किस करने लगीं।

मैं भी उन्हें किस करते-करते उनकी रसभरी चूचियों को दबा रहा था। आंटी की चूचियाँ बहुत ही मुलायम थीं.. लेकिन एकदम तनी हुई थीं।

कुछ देर होंठ चूसने के बाद हम दोनों 69 पोज़ में हो गए। वो मेरे लंड चूस कर खड़ा करने लगीं.. और मैं आंटी की चूत चाट कर उनको गरम करने लगा।

कुछ ही मिनट में हम दोनों चुदाई के लिए रेडी हो गए थे, आंटी बोलीं- समर अब बर्दाश्त नहीं होता.. अब तू चोद दे मुझे!
यह कह कर आंटी किसी रण्डी की तरह टांगें पसार कर लेट गईं ‘चल.. आ जा..’

मैंने भी लंड हाथ में पकड़ कर उनकी चूत पर लगा दिया और धीरे से धक्का मारा.. पर मेरा लंड अन्दर नहीं गया।
आंटी बोलीं- जरा रुक..
मैं रुक गया।

आंटी ने मेरा लंड पकड़ा और चूत फैला कर लंड को चूत के छेद पर सैट किया। अब वो लंड पकड़े हुए थीं.. बोलीं- मार ज़ोर से धक्का..

मैंने भी पूरी ताक़त से धक्का मारा.. मेरा लंड उनकी चूत की फांकों को चीरता हुआ आधा अन्दर घुस गया।

लंड का उनकी चूत में घुसना था कि आंटी बहुत ज़ोर से चिल्लाईं- मार डाला हरामी भोसड़ी वाले.. क्या किया भैन के लौड़े.. अपनी अम्मी की चूत समझ कर घुसेड़ा है कुत्ते..

मैं मस्त हो गया और आंटी के ऊपर ही औंध गया और उनके निप्पलों को चूसने लगा।

दोस्तो, आंटी की चूत बहुत टाइट थी.. जैसे किसी कुंवारी लौंडिया की चूत हो।
कुछ पल बाद आंटी नीचे से अपनी गांड उठाने लगीं और बोलीं- बाहर कितना लंड बचा है?
मैं बोला- आधा और बचा है.. डाल दूँ?
आंटी बोलीं- जो बचा है वो क्या अपनी अम्मी की चूत में डालेगा.. डाल पूरा भोसड़ी के.. पूछ रहा है.. डालूँ.. साले चूत फाड़ दी।

मुझे भी जोश आ गया.. मैंने पूरी ताक़त से आधा बचा लौड़ा उनकी चूत में पेल दिया।
अब आंटी अपने हाथों से मुझे पीछे धकेलने लगीं, आंटी के आँखों से आंसू निकलने लगे।

मैं झुक कर आंटी के होंठ चूसने लगा। कुछ देर बाद आंटी नार्मल हुईं.. तो मैं बोला- आंटी आपकी चूत बहुत टाइट है।
आंटी बोलीं- एक साल से कोई लंड अन्दर नहीं गया था.. ऊपर से तेरा लंड कुछ ज्यादा ही लम्बा और मोटा है। चल अब ठीक है.. अब धीरे-धीरे मुझे चोदना चालू कर दे।

मैंने 2 इंच लंड बाहर निकाला और घचाक से अन्दर कर दिया। इस तरह कुछ ही धक्कों में आंटी की चूत से पानी आने लगा और मेरे लंड ने जगह बना ली।

आंटी गालियां दे दे कर मुझसे चुदवा रही थीं। कुछ देर की चुदाई में आंटी का पानी 3 बार निकल गया था। मैंने आंटी को घोड़ी बनाकर भी चोदा।

जब मेरा पानी निकलने वाला था.. तो मैं बोला- आंटी मेरा पानी निकलने वाला है.. कहाँ निकालूँ?
आंटी बोलीं- अन्दर ही निकाल दे.. मेरी तो नसबन्दी हो चुकी है।

फिर 8-10 तगड़े धक्कों के बाद मैंने आंटी की चूत में ही अपने लंड का पानी निकाल दिया और आंटी के ऊपर ही लेट गया।

कुछ देर के बाद आंटी मुझे चूमते हुए बोलीं- मज़ा आया?
मैं बोला- बहुत मज़ा आया।

उस रात मैंने आंटी को 3 बार चोदा। सुबह मैंने अपने घर जाकर आमिर के आने तक की बोल कर आंटी के घर पर ही अपना डेरा जमा लिया और जब तक आमिर नहीं आ गया.. तब तक मैंने आंटी को दिन-रात खूब चोदा।

आमिर के वापस आने के बाद भी आंटी के संग चुदाई होती थी.. पर तब जरा ध्यान रखना पड़ता था।

दोस्तो, मेरी कहानी कैसे लगी.. मेल जरूर करें।
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