डॉक्टर साहिबा का अतृप्त यौवन-2

डॉक्टर साहिबा का अतृप्त यौवन-1

सुबह जब मैं उठा तो नेहा जाग गई थी और नंगी ही खड़ी चाय बना रही थी। मैं चुपके से इसके पास गया, नीचे बैठकर सीधा उसकी चूत पे मुँह लगा दिया और चाटने लगा।
वो थोड़ी चौंकी और फिर वो भी मजा लेने लग गई- आह जय… अभी तक जी नहीं भरा क्या? कितना मस्त चुत चाटते हो तुम। चाट और चाटो। बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं- हाँ नेहा, आज तुम्हें नहीं छोड़ूंगा… तुम जैसी सुन्दर और सेक्सी डॉक्टर मेरी तक़दीर में कहाँ कि तुम्हें जाने दूँ।

वो मेरा सर दबाते हुए किचन में ही लेट गई और सिसकारियाँ भरने लगी- ऊह यस… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह आह आआह जय… इतना पागल कैसे तुम किसी लड़की को बना देते हो। आहा उफ़्फ़… मैं झड़ रही हूँ… और कितना चाटोगे जय… अब डाल भी दो।
मैं- इतनी जल्दी कैसे… अभी तो शुरूआत हुई है रानी… तेरी चूत रगड़ के ही छोड़ूंगा।

इतने में मोबाइल फोन की रिंग बजी। उसके पति का फोन आया था, उसने जैसे ही फोन उठाया मैंने बड़ी नजाकत से उसकी क्लिट को चाटना शुरू किया और वो मजा लेती हुई बात करने लगी। उनके पति ने पूछा- इतनी एक्साइटिड क्यों हो जानू?
वो- कुछ नहीं जान, इतनी लज़ीज़ मेगी बनाई है कि बड़ा मजा आ रहा है खाने का!
उनका पति- जान मेरे लिए ही रखना मैं बस एयरपोर्ट पर उतर रहा हूँ, दो घंटे में आता हूँ। बाई!
वो- हाँ जान!

यह सुनते ही उनका जोश उतर गया और बोली- तुम अभी निकलो, मेरे पति आने वाले हैं 2 घंटे में!
मैं- नहीं नेहा, अभी तो 2 घंटे हैं हमारे पास… डोंट वरी!
वो- लगता है आज तुम मुझे मार ही डालोगे। तुम्हारे बगैर रहा भी नहीं जाता और राकेश(पति) भी आने वाला है।

फिर मैं चुत को छोड़कर उसके ऊपर आकर उसके होंठों को चूसने लगा और चुची मसलने लगा। वो भी मजा ले रही थी पर खुल कर एन्जॉय नहीं कर पा रही थी क्योंकि उसे राकेश का डर था।
मैं उसे लंड पर बैठा कर जोर से उछालने लग गया और जब तक हम दोनों नहीं थके, तब तक उसको चोदता रहा, फिर उसके मुंह में मैंने अपना माल छोड़ दिया और वो मेरे ऊपर गिर गई और मुझे नींद आ गई।

तभी राकेश का फ़ोन आया, हम दोनों की नींद टूटी।
राकेश ने कहा कि वो 10 मिनट में आ रहा है।
हम दोनों जल्दी से उठे, अपने अपने कपड़े पहने और हुलिया ठीक किया ही था कि राकेश ने डोर बेल बजा दी।

नेहा- तुमने आज मरवा दिया, आज मेरा तलाक पक्का है।
मैं- ज्यादा डरो मत, नार्मल होकर जाओ, कुछ नहीं होगा।

नेहा दरवाज़ा खोलने गई और मैं परदे के पीछे छुप गया क्योंकि बाहर जाने का एक ही रास्ता था। नेहा अपने पति राकेश के साथ ऊपर आई और बड़े गुस्से से बोली- तुम पागल हो क्या? निकलने से पहले फ़ोन नहीं कर सकते थे क्या?
राकेश- मैं तुम्हें सरप्राइज देना चाहता था जान, तुम तो यह भी भूल गई कि आज तो तुम्हारा जन्मदिन है।
नेहा- अरे यार, सच में भूल गई थी। कल पार्टी में ऐसा मजा आया कि मैं थक गई थी और आज देर से भी उठी। बाय द वे थैंक्स राकेश!

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राकेश- अच्छा बोलो मेरी जानू को क्या गिफ्ट चाहिए?
नेहा- मुझे तो मेरा गिफ्ट मिल गया। सुबह मेरे दोस्त ने मुझे मैगी की रेसिपी सिखाई कि मजा आ गया। ऐसा स्वाद मुझे लाइफ में कभी नहीं मिला।
यह सुन कर तो मुझे हँसी भी आ रही थी और मैं चौंक भी गया कि साली कितनी बड़ी नाटकबाज है यह… ना जाने कितनों के लंड खा गई होगी… पता करना पड़ेगा।

राकेश- अगर ये बात है तो मैं तुम्हें ऐसा गिफ्ट दूंगा कि वो पति के अलावा पत्नी को कोई नहीं दे सकता। आज मैं तुमको जी भरकर प्यार करूँगा जान!
मेरी तो हँसी ही नहीं रुक नहीं रही थी, आज तो साली मर ही जायेगी।

इतने में रमेश ने उसे गले लगाया।
नेहा आँख मारते हुए बोली- हाँ जान, कबसे तड़प रही हूँ तुम्हारे प्यार के लिए… तुम हो जो लंदन में नई लड़कियों को प्यार देते होंगे और मैं तुम्हारी पतिव्रता नारी बनके तुम्हारी राह देखती हूँ राकेश!
राकेश- नहीं नेहा जान, मैं जब तुम्हें याद करता हूँ तब तब तुम्हारे नाम की मुठ मरता हूँ। कभी दूसरी लड़की पे लाइन भी नहीं मारी। मेरी पतिव्रता बीवी को कैसे धोखा दे सकता हूँ।
नेहा- ओह राकेश, मैं भी किसी पराये मर्द के बारे में सोच नहीं सकती… तुम कितने अच्छे हो।

मेरी तो हँसी रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। इस पत्नीव्रता राकेश को कौन समझाये कि ये कितनी बड़ी चुदक्कड़ है और कितने लंड खा गई है ये रंडी। मेरे दिल में थोड़ी रेस्पेक्ट थी, वो भी चली गई। मुझे लगता था कि शायद एक दो बार किसी के साथ चुदवाया होगा। अब तो मैंने नेहा की चिंता छोड़ दी और अपना मजा लेने के बारे में सोचने लगा।

इतने में राकेश ने अपनी जेब में से दो गोली निकाल कर खा ली… शायद वो स्टेमिना बढ़ने के लिए होगी क्योंकि उसे शीघ्रपतन की बीमारी थी।
फिर वो फ्रेश होने के लिए टॉवल लेकर बाथरूम में गया।

मैं उनके जाते ही पर्दे के पीछे से बाहर निकल के नेहा के पास गया, उसे बेड पर गिरा दिया, उसके होंठों को चूसने लगा और उसकी जीन्स में हाथ डाल कर चुत मसलने लगा।
वो मुझसे अलग हो गई।

मैं- आज तो तुम्हें राकेश छोड़ेगा नहीं मेरी रंडी। तुम भी कमाल की एक्ट्रेस हो इतना नाटक तो मैं भी नहीं कर सकता नेहा रानी!
नेहा- हाँ यार, पता नहीं क्या होगा पर तुम जाओ यहाँ से… वरना मैं पकड़ी जाऊँगी।
मैं- हाँ जाता हूँ मेरी जान… पर इस चम्पू के जाते ही कॉल करना।
नेहा- हाँ बाबा हाँ… अभी जाओ यहाँ से!

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मैं वहां से निकल आया और ठीक उसके बैडरूम की विंडो के पास गया। मेरी किस्मत अच्छी थी कि उसका कांच थोड़ा टूटा हुआ था, मैं पूरा कमरा पूरा देख सकता था।
तभी राकेश कमरे में शॉर्ट्स पहन कर आया।

अब पर्दा भी रेडी था और दर्शक भी… अब तो सिर्फ फिल्म शुरू होने की देर थी।

राकेश बेड पर बैठा था, इतने में नेहा कमरे में आई और राकेश की गोद में सर रख कर लेट गई।
राकेश ने नेहा के होंठों पर होंठ रख दिए और चूसने लगा। वो धीरे धीरे बैठ गई और भरपूर साथ देने लगी। राकेश उसको किस करता हुआ उसकी गांड दबा रहा था और नेहा भी मचल रही थी क्योंकि उसको नया लंड मिला था 2 महीने बाद वो भी अपने पति का!

फिर राकेश ने नेहा की टीशर्ट उतार दी और उसकी चुची को ब्रा के ऊपर से मसलने लगा। बाद में उसके होंठों को छोड़कर उसकी गर्दन, कान गाल, माथे को चूम रहा था।
फिर नेहा की ब्रा को ऊपर करके उसके बूब्स पर टूट पड़ा।

नेहा- राकेश चूसो इसे जोर से चूसो, मसल के रख दो इसे!
राकेश- हाँ मेरी जान… कब से प्यासा हूँ मेरी जान!

नेहा ने राकेश की चड्डी उतार दी और लंड को ऊपर नीचे करने लगी। राकेश का 6 इंच का लंड खड़ा हो गया। फ़िर राकेश ने नेहा की जीन्स उतारकर नंगी कर दिया और चूत चाटने लगा, नेहा सिसकारियाँ लेने लगी।
तभी राकेश ने जल्दबाज़ी करते हुए अपना लंड नेहा की चूत में डाल दिया और !8-20 धक्के लगाये और झड़ गया।

नेहा भी शायद यही चाहती थी कि चुदाई से छुटकारा मिले।
पर पता नहीं क्यों वो भड़क गई- फिर से नामर्द बन गया तू आज? ये तेरा बर्थडे गिफ्ट है मेरे लिये भड़वे? कैप्सूल का भी असर नहीं होता तेरे पे अब!
राकेश- माफ़ कर दो नेहा जान, मैंने जो हो सका, वो किया पर मेरी क्या गलती है इसमें जान! मैं तुम्हारे जन्मदिन के लिए लंदन से यहाँ आया और तुम ऐसा बर्ताव कर रही हो? शर्म नहीं आती तुम्हें?
नेहा- आज मुझे मत बुलाना मादरचोद, कल मूड हुआ तो बात करेंगे। पूरे दिन की माँ चोद दी।

मुझे तो झटके पे झटके मिल रहे थे… हर आधे घंटे में नेहा का नया रूप देखने को मिल रहा था… नेहा के व्यक्तित्व को समझना मुश्किल हो रहा था।

राकेश तो कपड़े पहन कर बेचारा मुँह लटका के चला गया।
मैं भी समय की नज़ाकत को समझते हुए निकल गया।
नेहा ने घर का गेट बंद कर दिया और सो गई।
काफी थक गई थी।

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