सभी भाभियों और अन्तर्वासना के पाठकों को आपके अरमान का नमस्कार.
दोस्तो, मेरे पास करीब सौ से ज्यादा भाभियों और लड़कियों के मेल आए थे, जिसमें उन्होंने मेरी अब तक की सभी कहानियों को काफी सराहा और अगली सेक्स कहानी के लिए रिक्वेस्ट की.
खास तौर पर मेरे पास महिलाओं के बहुत ही ज्यादा मेल आते हैं, जो मिलने की इच्छा जताती हैं. लेकिन मैं अपनी मालकिनों के प्रति वफादार हूँ और आगे भी वफ़ादारी निभाता रहूँगा.
मेरी पिछली कहानी थी: शादी में प्यासी भाभी की चुदाई का मौक़ा
इसी बीच मुझे एक मेल साहिल का मिला, जो अपनी भाभियों की चुदाई करता है. उसने अपनी भाभियों को मेरी सेक्स कहानी के बारे में बताया, तो वो उससे मेरी मुलाक़ात करवाने की कहने लगीं. मतलब साहिल अपनी भाभियों की चुदाई अब मुझसे करवाना चाहता है.
उसने मुझे अपनी भाभियों के साथ कैसे चुदाई की शुरूआत हुई थी, ये भी लिख कर भेजा है. चूंकि उसका परिवार काफी धनी और इज्जतदार है. इसलिए उसका कहना है कि उसकी ये देसी सेक्स आंटी स्टोरी मैं अपने जरिये आप लोगों तक पहुंचाऊं.
मैंने उसकी सेक्स कहानी को आप तक पहुंचाने के लिए उससे हां कह दी. उसने मुझे जो कहानी लिख कर भेजी है, उसे आप उसी के शब्दों में पढ़ें और आनन्द लें.
दोस्तो, मैं साहिल … आपको तहे दिल से और सभी कुंवारी कन्याओं और भाभियों को लंड खड़ा करके नमस्कार करता हूँ.
यह मेरी पहली देसी सेक्स आंटी स्टोरी है. मेरा नाम तो आप जान ही चुके हैं. मैं 25 साल का हूँ. मेरा परिवार आम परिवारों की तरह ही बड़ा है. मेरे परिवार में मेरे अम्मी अब्बू, बड़े चाचा-चाची, छोटे चाचा-चाची और उनके बच्चे … हम सब साथ में ही रहते हैं.
हमारा मकान तीन मंजिला है. सबसे नीचे की मंजिल में अब्बू-अम्मी का कमरा है. बीच में दोनों चाचाओं के कमरे हैं. सबसे ऊपर मेरा कमरा और एक गेस्टरूम है.
मेरे परिवार में सब खुले विचारों के लोग हैं. हमारा कन्ट्र्क्शन का बड़ा काम है. अब्बू और दोनों चाचा साथ में ही काम करते हैं.
मैं अपनी पढ़ाई करता हूँ और थोड़ा बहुत अब्बू के ऑफिस का काम भी कर लेता हूँ.
मेरे घर पर नौकर भी काम करते हैं … इसलिए अम्मी और दोनों चाचियां अपने अपने सवेरे के काम निपटा कर हमेशा बन संवर कर तैयार ही रहती हैं. वे सब कपड़े भी बड़े बड़े गले के बैकलैस और स्लीवलैस ही पहनती हैं. वो तीनों पार्टियों में और क्लब में आना जाना पसंद करती हैं.
अब्बू और चाचा को ऑफिस के काम से फ़ुर्सत ही नहीं मिलती है, इसलिए अम्मी और चाचियां अपने काम या खरीदी के लिए खुद ही अपनी कार लेकर बाज़ार चली जाती हैं.
मेरी चाचियों की उम्र कुछ 40-42 के आस पास होगी. मेरे और चाचा के सभी दोस्त, मेरी दोनों चाचियों के दीवाने हैं. और हो भी क्यों नहीं … वे दोनों हैं ही इतनी कयामत कि क्या कहूँ. उन दोनों के बड़े बड़े चुचे, बड़ी बड़ी गांड, लम्बी हाईट, ग़ोरा रंग. मोहल्ले में न जाने कितने ही लोग उन्हें देख कर अपने लंड की पिचकारियां छोड़ते होने.
मैं खुद भी उन्हें देख कर गर्मा जाता था, पर परिवार की वजह से मैं कुछ कर नहीं सकता था. बस आते जाते उनके हिलते हुए चुचे और थिरकती गांड देख कर लंड सहला लिया करता था.
एक दिन मैं और मेरा दोस्त अपने कॉलेज से घर आ रहे थे.
मेरे दोस्त ने मुझसे कहा- चलो, आज कहीं कॉफ़ी पीने चलते हैं.
मेरे पास भी कुछ काम तो था नहीं, तो मैंने हां कर दी.
हम दोनों एक कैफे में पहुंचे, तो वहां पर मैंने देखा कि मेरे घर की कार पार्किग में खड़ी है.
मैंने ये देखा, तो एक मिनट रुक कर सोचने लगा. फिर मैं कैफे में चला गया.
हम दोनों अन्दर एक ऐसी जगह बैठ गए जिधर से मुझे कैफे में आने जाने वाले हर आदमी पर नजर जा सकती थी.
कुछ देर बाद मेरी बड़ी चाची एक लड़के के साथ हाथ में हाथ डाल कर बाहर निकल रही थीं. उस वक्त उन्होंने काला स्लीवलैस ब्लाउज और गुलाबी साड़ी पहनी हुई थी. उनके टाईट ब्लाउज में से उनके बड़े बड़े चुचे साफ़ नजर आ रहे थे.
वो लड़का चाची से काफी चिपक रहा था. बाहर जाते हुए न जाने कैसे, चाची ने मुझे देख लिया. मुझे देखते ही चाची एकदम से घबरा कर वहां से तेज कदमों के साथ चली गईं. मैं भी जल्दी से उठा और कैफे से निकल कर अपने घर आ पहुंचा.
घर आकर मैंने देखा कि चाची की कार घर पहुंच गई थी.
मैंने चाची के कमरे में जाकर देखा तो चाची बाथरूम में नहा रही थीं.
तभी पीछे से छोटी चाची ने मुझे देख लिया और बोलीं- यहा क्या कर रहे हो … उधर तुम्हारी अम्मी तुम्हें बुला रही हैं.
और तभी बड़ी चाची बाथरूम से निकल आईं.
मैंने उन्हें देखा कि वो मुझे देख रही थीं. इस समय उन्होंने झीना सा गाउन पहन रखा था. उस गाउन का गला काफी बड़ा था. चाची के दोनों चुचे उसमें से साफ़ दिख रहे थे.
मेरे दिमाग में चाची के बारे में सेक्सी विचार तो पहले से ही थे. इसी लिए मेरी कामुक नजरें चाची के चूचों पर ही जमी हुई थीं. चाची भी ये सब देख रही थीं.
खैर एक पल बाद मैंने खुद को संभाला और कमरे से बाहर जाने लगा.
तभी बड़ी चाची मुझसे बोलीं- उस कैफे में रोज जाते हो … या आज मुझे देखने ही आए थे?
उनकी बात सुनकर मैं तो सकपका गया और बिना कुछ जवाब दिए कमरे से बाहर चला आया.
मेरे बाहर आते वक्त दोनों चाचियों ने जोर का ठहाका लगाया और हंसने लगीं.
मैं उन दोनों की हंसी सुनता हुआ नीचे आ गया.
रात को सबने साथ खाना खाया. खाना खाते वक्त मेरे अब्बू, दोनों चाचा से कहीं जाने की बात कर रहे थे.
मैंने पूछ लिया- बाहर कौन जा रहा है?
अब्बू ने कहा- तुम्हारे दोनों चाचा काम के सिलसिले में चार दिन के लिए बंगलोर जा रहे हैं.
मैं काफ़ी देर से देख रहा था कि चाचा लोगों के बाहर जाने की खबर सुन कर दोनों चाचियां हौले हौले से मुस्कुरा रही थीं.
अब्बू ने चाचाओं से बात खत्म की और खाना खा कर सब अपने अपने कमरे में चले गए. मैं भी अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गया.
रात के नौ बज चुके थे. मैं चाचा के कमरे से गुजर रहा था.
तभी बड़े चाचा ने मुझे आवाज दी- साहिल, तुम अभी हमारे साथ एयरपोर्ट छोड़ने चलना.
मैंने कहा- ठीक है.
चाचा की फ्लाइट का टाईम साढ़े ग्यारह बजे का था. मैं कमरे में जाकर टीवी देखने लगा.
थोड़ी देर के बाद चाचा ने मुझे आवाज दी. मैं चाचा के कमरे में पहुंचा तो देखा चाचा अपने बैग में सामान चैक कर रहे थे. चाची पास में खड़ी थीं. चाची मुझे देखते ही मुस्कुराने लगीं.
चाचा ने मुझे देख कर कहा- चलो.
चाची अभी भी पीछे से मुस्कुरा रही थीं. मेरा ध्यान फ़िर से उनके चूचों में अटक गया था.
चाचा ने जोर से कहा- चलो साहिल … क्या सोच रहे हो!
मैंने अपने आपको संभाला और घर से बाहर निकल कर कार की तरफ़ चलने लगा.
हम तीनों कार से एयरपोर्ट पहुंचे, तब ग्यारह बज चुके थे. दोनों चाचा बोले- बेटा काफी वक्त हो गया है … तू घर चला जा, हम चले जाएंगे.
मैं कार से सामान उतार कर चाचा से बाय बोल कर चला आया.
रास्ते भर मेरे सामने चाची का चेहरा घूम रहा था. मैं घर में घुस कर अपने कमरे में जाने लगा. अब्बू-अम्मी सो गए थे.
ऊपर चढ़ा, तो देखा बड़ी चाची जाग रही थीं.
मैं अपने कमरे में जाने लगा, तो चाची ने आवाज दी- साहिल.
मैं उनके दरवाजे तक पहुंच गया- क्या हुआ?
चाची ने मुझे कमरे में अन्दर बुलाया. मैंने देखा कि चाची ने अब सिर्फ़ एक जाली वाली नाईटी पहनी थी. मेरा ध्यान फ़िर से उनके चूचों पर चला गया. नाईटी से उनके चूचों के निप्पल साफ़ दिख रहे थे.
इतने में चाची बोलीं- तुमने मुझे देख लिया था न?
मैंने पूछा- हां, वो लड़का कौन था?
उन्होंने बिंदास कहा- वो मेरा ब्वॉयफ्रेंड है.
मैंने कहा- चाचा को पता है?
चाची ने कहा- नहीं, लेकिन तुम भी मत बताना प्लीज़.
मैंने उनसे पूछा- क्यों, चाचा में क्या कमी है?
चाची एकदम से झल्लाने लगीं- तुम समझते नहीं हो.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोलीं- तुम्हारे चाचा को काम से फ़ुर्सत ही कहां है. इतनी जवान और खूबसूरत बीवी घर पर है, पर मेरी तरफ वे देखते ही नहीं हैं.
मैं चाची की तरफ हैरानी से देखने लगा.
चाची मुझसे पूछने लगीं- क्या तुमको नहीं पता कि जवान बीवी को क्या चाहिए होता है?
मैंने पूछ लिया- क्या चाहिये होता है?
वो बोलीं- ज्यादा भोले मत बनो साहिल, मुझे मालूम है कि तुम्हें सब पता है. क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने कहा- हां एक है तो सही.
चाची ने पूछा- लेटने वाली है या गाड़ी के पीछे बैठने वाली है.
वो इतना कह कर मुस्कुराने लगीं और बोलीं- कैफे वाली बात किसी को नहीं बताओगे, तो मैं तुम्हें एक गिफ़्ट दूंगी.
मैंने कहा- ठीक है, मैं नहीं कहूँगा.
चाची से बातें करते वक्त मेरी नजरें उनके उठे हुए मस्त चूचों पर ही बार बार जा रही थी. चाची ये सब ध्यान से देख रही थीं.
फिर चाची ने कहा- अच्छा अपनी आंखें बन्द करो, तुम्हें अब ही एक गिफ़्ट मिलेगा.
मैंने आंखें बन्द कर लीं.
कुछ आधा मिनट के बाद मैंने कहा- और कितनी देर लगेगी?
तभी मेरे होंठों पर किसी के होंठ टच हुए. मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि अब तो चाची भी तैयार हैं.
फिर जैसे ही मैंने अपनी आंखें खोलीं, छोटी चाची मेरे होंठों पर किस कर रही थीं.
मैंने हैरानी से देखा, तो वे दोनों देख कर मुस्कुराने लगीं. मुझे मालूम ही नहीं चला था कि छोटी चाची भी कमरे में आ गई होंगी.
तभी बड़ी चाची बोलीं- आज हम दोनों तुझे लेटना सिखाएंगे.
बड़ी चाची ने अपने पर्स से एक टेबलेट निकाली और मुझे खाने का बोलीं.
मैंने पूछा- क्या है ये?
बड़ी चाची ने कहा कि तुम अभी नए हो और जवान भी … और हम दो हैं. तुम हम दोनों को अच्छी तरह चोद पाओ, इसलिए ये स्टेमिना बढ़ाने की दवा है. इससे तुम ज्यादा टाइम चुदाई कर पाओगे.
छोटी चाची दूध का गिलास भर कर लायी थीं.
मैंने उनके मुँह से ‘चोद पाओ’ शब्द सुना तो खुश हो गया. मैंने झट से उनके हाथ से वो टेबलेट ले ली और मुँह रख कर ऊपर से दूध का गिलास पीकर गोली खा ली.
मैंने दूध पिया तो मेरे होंठों की बगल से दूध की लकीर बन गई. ये देख कर दोनों मेरे गालों को चूमने लगीं और बारी बारी से मुझे किसिंग करने लगीं. हम तीनों फ़ोरप्ले करने लगे.
मैंने खुलते हुए कहा- हां तो रंडियों, अब ज्यादा मत तड़पाओ … लंड लेने की तैयारी शुरू कर दो.
मेरी बात सुनकर उन दोनों ने आपस में कान में कुछ कानाफूसी की और हंसने लगीं.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
छोटी चाची बोलीं- आज तो हम दोनों पूरा मजा लेंगी.
इसके बाद बड़ी चाची कम्पयूटर की तरफ़ बढ़ीं और उन्होंने कम्पयूटर चालू कर दिया. फिर एक पेन ड्राईव लगा कर उसमें ब्लू फ़िल्म लगा दी. उस ब्लू फिल्म में दो महिलाएं, एक पुरुष का लंड हाथ में लेकर आगे पीछे कर रही थीं.
बड़ी चाची मेरे पास आकर बोलीं- आज फ़िल्म में जो भी होगा, वही हम भी करेंगे.
हम तीनों मूवी देखने लगे. उसमें करीब तीस मिनट की चुदाई थी.
मूवी देखते ही मेरा लंड पैंट के अन्दर कड़क होने लगा. पेन्ट के अन्दर ही लंड अंगड़ाइयां ले रहा था. हम तीनों बेड पर बैठ कर चुदाई की फिल्म का मज़ा ले रहे थे.
मेरे दोनों हाथ चाचियों के बदन पर चल रहे थे. चाचियों के हाथ मेरे सीने पर और पेन्ट के उभरे हुए हिस्से पर चल रहे थे.
तभी अचानक मैंने कहा- दरवाजा तो लगा दो.
बड़ी चाची ने मुझे बेड पर धक्का देकर गिरा दिया और छोटी चाची उठ कर दरवाजा बंद करने चली गईं.
अब मैं पूरी तरह से अपनी चाचियों की चुदाई के लिए तैयार था. दोनों चाचियां बेड के पास खड़ी गईं और एक दूसरे के कपड़े उतारने लगीं. इस दौरान वो दोनों एक दूसरे के होंठों पर किस भी कर रही थीं.
कुछ देर बाद दोनों के जिस्म पर केवल पैंटी ही रह गईं. दोनों एक दूसरे के चुचे सहला रही थीं. मैंने पहली बार इतने बड़े बड़े चुचे एक साथ देखे थे.
फ़िर बड़ी चाची ने मुझे गाली देकर कहा- मादरचोद … मुझे ही नंगी करवाएगा या खुद भी लंड निकालेगा?
मैं बेड पर ही उठ खड़ा हुआ और नीचे उतर कर मैंने दोनों को अपनी बांहों में ले लिया. अब हम तीनों एक दूसरे को किस कर रहे थे. वे दोनों मुझे लगभग नौंच रही थी. कुछ ही पलों में मेरा लंड मेरे काबू से बाहर हो गया था. ऐसा लग रहा था कि गोली ने अपना असर दिखाना चालू कर दिया था.
बड़ी चाची ने मेरी टी-शर्ट को निकाल दिया और छोटी चाची अपने एक हाथ मेरे लंड को पजामे के ऊपर से टटोल रही थीं. फ़िर उन दोनों ने एक एक हाथ से मेरा पजामा नीचे सरका दिया.
मैंने भी देर नहीं की और पजामे को पैर की मदद से पूरा उतार दिया.
अब हम तीनों के शरीर पर केवल लंड चुत को ढंकने वाले अंडरगारमेंट्स ही रह गए थे.
दोनों रंडियों की कामुक नजर मेरे अंडरवियर पर ही टिकी थी.
छोटी चाची मचलते हुए बोलीं- तेरी चाबी तो बाहर आने को मचल रही है.
ये कहते हुए वो मेरे लंड को सहलाने लगीं.
उनकी बात पर हम तीनों ही हंस दिए.
अब दोनों ने एक एक हाथ से एक दूसरे के चुचे मसलना शुरू कर दिए थे और दूसरे हाथ से मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही सहला रही थीं. मुझसे कन्ट्रोल नहीं हुआ, तो मैंने अपना अंडरवियर भी उतार दिया.
दोनों ने मेरे छह इंच के मोटे लंड को देखा तो वाओ कहते हुए लंड को हाथ में ले कर आगे पीछे करने लगीं.
मेरा गोरा लंड तन कर खम्बे सा खड़ा था और चमक रहा था.
छोटी चाची बोलीं- तेरी गर्लफ्रेंड ने अपनी चुत में कितनी बार इसको लिया है. तूने तो उसकी चुत को बहुत बार चोदी होगी.
ये कह कर दोनों हंसने लगीं.
मैं दोनों चाचियों के बड़े बड़े चूचों को नीचे झुक कर अपने मुँह में लेने लगा. बड़ी चाची के चुचे, छोटी चाची से थोड़े ज्यादा बड़े थे. मैंने इतने बड़े बड़े चुचे पहली बार देखे थे … तो मुझसे रहा ही नहीं जा रहा था. जब मैंने उनके चूचों को मुँह में लेना चालू किया, तो उनकी सिसकारियां फूट पड़ीं.
मैंने दोनों के चूचों को बारी से मसलता और चूसता जा रहा था. इससे दोनों के गले से ‘आह … आह …’ की आवाज निकलने लगी.
दोनों के हाथ मेरे लंड पर चल रहे थे और वे अपने मुँह से बड़बड़ा रही थीं.
छोटी चाची- आह दीदी … क्या मस्त लंड है साले का.
बड़ी चाची बोलीं- हां साला घर का माल हमें दिखा ही नहीं.
मुझे भी आज समझ आ गया था कि दोनों चाची मेरे लंड का कचूमर निकाल कर ही रहेंगी.
इस देसी सेक्स आंटी स्टोरी के अगले भाग में आपको साहिल की दोनों चाचियों की एक साथ चुदाई का रस सेक्स कहानी के रूप में पढ़ने मिलेगा.
सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करना न भूलें.
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देसी सेक्स आंटी स्टोरी का अगला भाग: छोटी चाची बड़ी चाची की एक साथ चुदाई- 2