देसी इंडियन लड़की की मदमस्त जवानी

मैं राज, एक लंबे अंतराल के बाद आपके सामने एक नई कहानी लेकर हाजिर हूँ।
आप मेरी कहानियाँ यहाँ एक साथ पढ़ सकते हैं!

मैं आपके सामने एक ऐसी लड़की की कहानी लेकर आया हूँ जो बला की खूबसूरत नाज़नीन है, लेकिन बेहद शर्मीली भी!
मेरा एक दोस्त बिहार का है, लेकिन दिल्ली में ही रहता है, एक बार मैं उसके घर गया, मैंने कॉल बेल बजाई, तो दरवाजा उसी नाज़नीन ने खोला।

मैं बस उसे देखता ही रह गया, उसने सफ़ेद रंग का सूट पहन रखा था, जो उसके जिस्म से चिपका था, बेहद टाइट था।

उसने दुपट्टा नहीं लिया था, तो उसकी बड़ी बड़ी चूचियां क़यामत लग रही थी।
अंदर उसने लाल रंग की ब्रा पहनी थी, जो सफ़ेद शर्ट के पार से पता चल रही थी।
नीचे उसने टाइट लेग्गिंग पहना था, उसके बड़े बड़े नितम्ब जैसे आमंत्रण दे रहे थे।

मैं पलभर उसे ऊपर से नीचे देखते रहा और उस पल मैं भूल गया कि मैं क्यों आया हूँ।
मैं उसे इस तरह देख रहा था जो शायद उसे अटपटा लगा और उसने अपनी नजरें झुका ली और पूछा- क्या काम है?

तो मैंने उसके भाई के बारे में पूछा।
वो बोली- अंदर हैं!
और बुलाने चली गई।

थोड़ी देर में मेरा दोस्त बाहर आया और मैं अंदर चला गया।
हम दोनों बैठ कर बात करने लगे लेकिन मेरी नजरें उस दिलकश हसीना को बार बार ढूँढ रही थी, जो अंदर वाले कमरे में बैठी थी।

थोड़ी देर में मेरे दोस्त ने आवाज दी- शेफाली, चाय नाश्ता तो लाना!
मेरा दिल मचलने लगा लेकिन चाय नाश्ते के लिए नहीं बल्कि इस अहसास से कि फिर से एक बार हुस्न की मल्लिका के दीदार होंगे।
मैं इन्तजार करने लगा कि कब शेफाली आती है, हाँ शेफाली नाम था उसका!
जितना प्यारा नाम… उतनी ही हसीं, सेक्सी थी लेकिन शर्मीली!

इन्तजार के वो कुछ पल बेहद लंबे लग रहे थे।

आखिरकार वो हाथों में प्लेट और पानी का ग्लास लेकर आई।
अब उसने दुपट्टा ले लिया था।

मेरा दोस्त बोला- यह शेफाली है मेरी बहन… और शेफाली यह राज है मेरा खास दोस्त।

मेरे दोस्त ने बताया कि शेफाली परीक्षा देने आई है और कुछ दिन में वापस बिहार चली जाएगी।

उसने नमस्ते की और जवाब में मैंने भी नमस्ते की।
मैंने उसे एक बार फिर देखा उसने शरमा कर नजरें झुका ली और वहाँ से चली गई।

थोड़ी देर के बाद वो चाय लेकर आई, उसकी नजरें झुकी थी।
शेफाली टेबल पर चाय रखने झुकी और मेरी नजरें उसके शर्ट के गले से अंदर गई।
आह क्या बड़ी बड़ी चूचियाँ थी, मेरा लंड खड़ा हो गया, बस दिल कर रहा था कि शेफाली की चूचियाँ अपने हाथों में पकड़ लूँ।

वो चाय रख कर वापस जाने लगी, उसके मटकते चूतड़ों पर मेरी नजरें चिपक गई, टाइट लेग्गिंग में गांड उभरी हुई नजर आ रही थी।
उसके बाद काफी देर मैं बैठा रहा लेकिन वो फिर नहीं निकली।

मैं वापस आने लगा और मैंने थोड़ा जोर से अपने दोस्त से बोला- अब मैं जा रहा हूँ।
मैं जोर से इसलिए बोला कि शेफाली सुन ले, लेकिन वो बाहर नहीं आई।

मेरा दोस्त मुझे छोड़ने दरवाजे तक आया और फिर वो अंदर चला गया।

मेरी नजरें उसकी एक झलक के लिए बेताब हो रही थी, मैंने उसकी खिड़की की तरफ देखा, खिड़की थोड़ी खुली थी और वो वहाँ खड़ी थी।

मैं उसे देखकर मुस्कुराया और उसे हाथ हिला कर बाय किया, वो शरमा कर खिड़की से हट गई और मैं वापस चल दिया।

पता नहीं मुझे क्यों यह एहसास हुआ कि वो मुझे देख रही है, मैं अचानक पीछे घूमा, वो खड़ी थी।
इस बार खिड़की पूरी खुली थी, दुपट्टा उसने नहीं लिया था, मेरी नजरें उसके चेहरे से फिसलते हुए उसकी मस्त चूचियों तक गई तभी वो अचानक पीछे हट गई।

धीरे धीरे मैं वापस आने लगा, थोड़ी देर बाद मैं फिर वापस घूमा, वो फिर वहीं खड़ी थी।
मैंने उसे हाथ हिलाया, उसने इस बार हाथ हिलाया और फिर खिड़की से हट गई।

कुछ दिन बाद मेरा दोस्त मेरे घर आया, बातें शुरू हुई, मेरा मन मचल रहा था कि उससे शेफाली के बारे में पूछूँ, लेकिन पूछ नहीं पा रहा था, सोचा कि वो अन्यथा ना ले ले।

बातों बातों में मेरे दोस्त ने बोला- यार मैं कुछ दिन के लिए घर जा रहा हूँ! तुम भी मेरे घर चले चलो कभी!

यह सुनकर ऐसा लगा मानो मेरे मन की मुराद पूरी हो गई, ऊपर मन से मैं मना करते रहा, लेकिन दिल में यह डर भी था कि कहीं वो मेरे मना करने से टल ना जाये, इसलिए जब वो बोला कि चार पांच दिन की ही तो बात है तो चलो, तो मैंने पूछा कि कब जाना है।

उसने 10 अगस्त का दिन बताया, मैं तैयार हो गया।

वो पटना के पास का रहने वाला था, उसने ट्रेन का टिकट बुक किया।

मैं बेसब्री से 10 अगस्त का इन्तजार करने लगा, आखिर वो दिन आ गया जब हम ट्रेन से पटना पहुँचे, वहाँ से लोकल ट्रेन से उसके घर पहुंचे।

उसके घर में उसकी माँ और शेफाली थी, उसके पिताजी नौकरी करते थे, इसलिए वो घर पर नहीं रहते थे।
मेरे दोस्त की शादी हो चुकी है, उसकी बीवी पेट से थी, उसे कम्पलीट बेड रेस्ट बताया हुआ है तो वो अपने मायके में थी।

शेफाली उस दिन ब्लू रंग का सूट पहने थी, उसने बालों को पीछे करके पोनी टेल बनाया हुआ था।
मेरी नजरें उस पर चिपक सी गई।

बातों में मेरे दोस्त ने बोला- कल सुबह ससुराल जाऊँगा, बीवी से मिल कर हाल चाल जान लूँगा। दो एक दिन की बात है।

मुझे और क्या चाहिए था, मानो मन की मुराद मिल गई हो।
मेरे दिलो दिमाग पर शेफाली की कमसिन जवानी छाई हुई थी।

थोड़ी देर में हम दोनों फ्रेश होकर खाना खा कर बैठ गए, उसकी माँ बातें करने लगी और शेफाली दूसरे कमरे के दरवाजे पर खड़ी होकर हमारी बातें सुन रही थी।

मैं रह रह कर उसकी तरफ देखता और जब हमारी नजरें मिलती, शेफाली अपनी नजरें झुका लेती।
इस तरह रात हो गई और हम दोनों खाना खाकर छत पर बैठे थे और थोड़ी देर में शेफाली अपनी माँ के साथ हमारे पास आकर बैठ गई।

हम दोनों कुर्सी पर बैठे थे और शेफाली और उसकी माँ नीचे बैठे थे।

शेफाली ने नाइटी पहनी थी, नाइटी का गला थोड़ा बड़ा था और मैं ऊपर बैठा था, मेरी नजरें उसकी ब्रा पर पड़ी, उसने फिर लाल रंग की ब्रा पहनी थी, ब्रा के बीच से मखमली चूचियों का दीदार हो रहा था, मेरी नजरें बार बार वही जा रही थी।

शेफाली ने समझ लिया कि मेरी नजरें कहाँ हैं तो उसने अपनी नाइटी थोड़ा पीछे खींच लिया।

हम काफी देर तक बात करते रहे फिर हम सोने चले गए।

अगले दिन दोस्त सुबह अपनी पत्नी के गांव चला गया।
घर में मैं, शेफाली और उसकी माँ थे।

मैं छत पर कमरे में अकेला बैठा था, मैं कमरे से निकलकर बाहर आया और नीचे झांक कर देखा, शेफाली बैठी थी, हमेशा की तरह बेहद टाइट सूट पहने थी, उसने दुपट्टा नहीं लिया हुआ था।

उसकी बड़ी बड़ी चूचियां देखकर मेरा लन्ड खड़ा हो गया था, दिल कर रहा था कि शेफाली की मस्त चूचियों को अपने हाथों में ले लूँ, दिल बेक़रार हो रहा था।

मैंने शेफाली को आवाज दी और पानी के लिए बोल कर कमरे में चला गया।

थोड़ी देर में शेफाली हाथों में पानी का गिलास लेकर ऊपर आई, अब उसने दुपट्टा ले लिया था।

मैंने उसके हाथ से पानी लिया और पानी पीते हुए उसके चेहरे को देख रहा था, शेफाली ने नजरें झुका ली।
पानी पीकर मैंने ग्लास शेफाली को दिया, वो ग्लास लेकर वापस जाने लगी, तभी मैंने उसकी माँ के बारे में पूछा।

वो बोली कि माँ पास में गई है, थोड़ी देर में आ जाएगी।
मैंने उससे पूछा कि आपको कोई काम है क्या?
शेफाली बोली- नहीं।

मैंने उसे बैठने को बोला और मैं उससे उसके बारे में पूछने लगा।
धीरे धीरे वो जवाब देने लगी और नजरें उठा कर बात करने लगी।

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बात करते करते बीच बीच में मैं उसे जोक्स सुनाते रहा, अब वो मेरे साथ सामान्य खुल गई थी।

मैंने उससे पूछा कि आपकी भी तो शादी हो जाएगी थोड़े दिन में!
शेफाली बोली- अभी दो साल के बाद।

मैंने पूछा- किसी को पसंद करती हो क्या?
वो खामोश हो गई, उसके चेहरे पर एक उदासी छा गई और उसकी आंखें नम हो गई।

मैं समझ गया कि कोई था जो अब उसके साथ नहीं है।

बार बार पूछने पर उसने बताया कि एक लड़के को वो चाहती थी, लेकिन उसने किसी और से शादी कर ली।
यह बताते हुए वो रो पड़ी।

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कुछ देर तक मैं उसे देखता रहा और फिर उसके हाथों को अपने हाथ में ले लिया और उसके हाथ पर थपकी देने लगा, उसे समझाता रहा।

कुछ देर के बाद उसकी माँ आ गई।
शाम में मैं, शेफाली और उसकी माँ एक साथ बैठे थे और बातें कर रहे थे।

शेफाली की माँ खाना बना रही थी और शेफाली वहीं बैठी थी, मैं बार बार शेफाली को देखता।

कभी वो उठकर कुछ लाने जाती, जब वो चलती, उसकी मटकती गांड देखना मुझे उत्तेजित कर रहा था।

शेफाली ने बहुत टाइट कपड़े पहने थे, उसकी चूचियाँ ब्रा में कसी हुई, बेहद सेक्सी लग रही थी।
काफी देर तक हम सब बातें करते रहे, इसी बीच शेफाली की माँ ने खाना बना लिया था।

मैं फ्रेश होने छत पर बाथरूम में चला गया और फिर ऊपर ही कमरे में बैठ गया।

शेफाली की माँ मुझे खाने को बोली तो मैं उन्हें बोला कि आप खा लो, मैं थोड़ी देर में खाऊंगा।
शेफाली की माँ बोली- शहर में रहने वाले देर से ही खाते हैं, लेकिन यहाँ तो हम जल्दी खाना खाकर सो जाते हैं।

उन्होंने शेफाली को बोला- मैं खाकर सोने जा रही हूँ, तुम राज को खिला देना।
वो खाना खा कर नीचे कमरे में सो गई।

मैं छत पर जिस कमरे में था, उसके बगल में ही शेफाली का बेडरूम था।
शेफाली ऊपर आई और अपने कमरे में चली गई, अब तक वो मेरे साथ खुल गई थी।

शेफाली के कमरे का दरवाजा खुला था, दरवाजे पर पर्दा लगा था, मैंने पर्दा थोड़ा हटाया, शेफाली कपड़े बदल रही थी।

शेफाली कमीज उतार चुकी थी, वो ऊपर ब्रा पहने थी, और नीचे लेग्गिंग।

मैं थोड़ा पीछे हट गया और परदे के बगल से देखने लगा, शेफाली ने लेग्गिंग उतार दी।
अब वो गुलाबी रंग के पैंटी और ब्रा में थी। उसकी गांड बड़ी थी, देखकर मेरा खड़ा हो गया।

फिर उसने नीचे पजामा और ऊपर टॉप पहन लिया।

मैं वहां से हट गया।
कुछ देर बाद मैंने उसे दरवाजे से आवाज दी, शेफाली ने मुझे अपने कमरे में बुला लिया, मैं अंदर गया।

हम दोनों बात करने लगे, अब शेफाली मुस्कुरा कर बात कर रही थी।

हम दोनों बेड पर बैठे थे बिल्कुल पास, मैंने शेफाली का हाथ अपने हाथों में ले लिया, वो कुछ नहीं बोली।
उसके हाथों को अपने हाथ में लेकर उसके आँखों में देखने लगा, कुछ देर उसकी आँखों में आंख डाले देखते रहा और फिर मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों में ले लिया, शेफाली की नजरें झुकी थी।

मैं धीरे धीरे अपने होठों को उसके होठों के करीब ले गया और उसके होठों को चूम लिया, वो सिहर सी गई।
मैंने अपना हाथ उसके पीठ पर रख दिया और शेफाली को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके चेहरे को चूमने लगा।
अब उसके होंठ मेरे होठों के बीच थे और मैं धीरे धीरे चूस रहा था।

अब मैंने अपने एक हाथ से उसके चेहरे को थाम लिया और फिर धीरे धीरे हाथ नीचे लाना शुरू किया और मेरे होंठ उसके चेहरे से नीचे
फिसलने लगे, अब मैं उसके चूचियों को अपने हाथ से धीरे धीरे दबा रहा था, शेफाली की आँखें बंद हो रही थी।

अब मैंने शेफाली को खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया, उसके दोनों पैर मेरे दोनों पैरों के दोनों तरफ थे।
शेफाली मेरे गोद में बैठी थी और उसका चेहरा मेरे चेहरे के पास था।

मेरा लन्ड खड़ा था और शेफाली की चूत से सट रहा था।
मैंने शेफाली को जोर से अपनी बाँहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगा।

मैं अब शेफाली की चूचियाँ अपने हाथों में लेकर धीरे धीरे दबाने लगा, शेफाली की आँखें बंद थी।
मैंने अपने दोनों हाथ शेफाली के टॉप में घुसा दिए और उसकी चूचियों को मसलने लगा।

मैंने शेफाली को गोद से उतारा और बेड पर लिटा दिया, खुद उसके बराबर में लेट गया।
मैंने अपना एक पैर शेफाली के पैरों के बीच रख दिया और धीरे धीरे उसका टॉप उठाने लगा।

शेफाली ने दोनों हाथों से अपना टॉप पकड़ लिया और उतारने से मना करने लगी, मेरे बार बार बोलने पर उसने लाइट बंद करने को कहा, लेकिन मुझे तो शेफाली का खूबसूरत जिस्म देखना था।

काफी बोलने के बाद उसने टॉप छोड़ा और मैं धीरे धीरे टॉप उठाने लगा, आगे से उसकी टॉप उठ गई, उसकी गुलाबी ब्रा नजर आ रही थी लेकिन पीठ के नीचे टॉप दबी थी, इसलिए निकल नहीं पा रही थी।

मैंने शेफाली को पेट के बल लिटा दिया, और फिर उसका टॉप ऊपर किया और बाहर निकाल दिया।
शेफाली पेट के बल लेटी थी, उसकी गांड आह कितनी सेक्सी थी।
मैं दोनों हाथों से उसकी गांड को धीरे धीरे दबाने लगा।

थोड़ी देर तक मैं उसके चूतड़ दबाता रहा, और फिर उसकी कमर की हल्की मसाज करते हुए ऊपर आया और अचानक उसकी ब्रा का हुक खोल दिया।
शेफाली का फिगर 36-28-36 था।

मैं फिर से शेफाली के बगल में लेट गया और उसे सीधा लिटा दिया उसकी चूचियाँ मेरे सामने थी, अब मैं निप्पल को अपने दो उंगलियों के बीच रखकर धीरे धीरे मसलने लगा, शेफाली अपने निचले होठ को दांतों से काट रही थी।

अब मैंने उसकी चूचियों को चूसना शुरू किया, हाथ उसके पजामे के अंदर डाल दिया और फिर पैंटी के अंदर, मेरे हाथ उसकी चूत पर फिसलने लगे।

उसकी चूत बिल्कुल चिकनी थी।
मुझे चिकनी चूत बहुत पसंद है, चूत चाटना मुझे बेहद पसंद है।

मैं शेफाली की चूत के बीच अपनी उंगली रख कर चूत को सहला रहा था, शेफाली अपने दोनों हाथ अपनी आँखों पर रखे हुए थी।

मैंने उसके हाथों को आँखों के ऊपर बड़ी मुश्किल से हटाया।

अब मैं शेफाली के चूत के दीदार को बेक़रार हो रहा था, मैंने अपने दोनों हाथ शेफाली की कमर पर रखे और धीरे धीरे पजामा नीचे करना शुरू किया।

पजामे के साथ पैंटी भी नीचे आ रही थी और आखिरकार शेफाली मेरे सामने बिना कपड़ों के लेटी थी, लेकिन वो बार बार अपनी आँखें बंद कर ले रही थी।

मैं बोला- शेफाली बेबी, आँखें खोलो, शर्माओ नहीं।
शेफाली ने अपनी आँखें खोल दी।

मैं अब शेफाली के जिस्म को चूमने लगा, मैंने अपने होंठ उसके पैरों पर रखे और धीरे धीरे ऊपर करता गया।
थोड़ा और ऊपर गया और उसके पैरों को मोड़ कर ऊपर उठा दिया।

शेफाली की खूबसूरत चूत के दोनों होंठ बिल्कुल पतले थे, मैंने उसकी चूत को फैलाया और देखकर यह अहसास हो गया कि शेफाली की चुदाई पहले हो चुकी है।

मैंने पूछा- आखिर बार सेक्स कब किया?
शेफाली- करीब दो साल पहले।

मैंने अब अपनी जीभ उसकी चूत पर घूमना शुरू किया, पहले उसकी चूत को ऊपर चाटता रहा और फिर उसकी चूत को दोनों हाथों से फैला कर बीच में जीभ रख कर चाटने लगा।

शेफाली अब तक काफी उत्तेजित हो गई थी, जब मैं उसकी चूत चाट रहा था, वो बड़े गौर से मुझे चूत चाटते हुए देख रही थी।

मैंने उसकी चूत को थोड़ा और फैलाया और अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दिया और चूत अंदर तक चाटने लगा।

शेफाली बोली- ये तो चीटिंग है, मेरे कपड़े उतार दिए और खुद अभी तक पहने हो।
मैं बोला- तुमने अपने कपड़े खुद तो नहीं उतारे, मैंने उतारे हैं तो मैं खुद क्यों उतारूँ?

शेफाली पर मस्ती का सरूर पूरी तरह हावी हो चुका था, वो बोली- रुको, पहले आपके कपड़े उतार दूँ।
मैंने अपनी बनियान खुद उतार दी और लेट गया।

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शेफाली बैठ गई और बोली- अपनी आँखें बंद करो तो मैं आपके कपड़े उतारूंगी।
मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और शेफाली ने मेरे पजामे को धीरे धीरे नीचे करके उतार दिया।

अब भी अंडरवियर पहने था, और मैं आँखें बंद किये इन्तजार कर रहा था, अंडरवियर के उतरने का।
लड़की के हाथों नंगा होना एक सेक्सी अहसास है।

अब शेफाली मेरे अंडरवियर को नीचे खीच रही थी, थोड़ा नीचे किया और जब मेरा लन्ड बाहर निकल गया तो वो रुक गई।
मैंने अपनी आँखें खोली तो देखा कि शेफाली मेरे लन्ड को देख रही है।

मैंने पूछा- क्या हुआ, ऐसे क्या देख रही हो?
शेफाली बोली- इतना बड़ा लंड कैसे जायेगा अंदर, बहुत दर्द होगा।
मैं बोला- बेबी, डरो नहीं, बड़े आराम से डालूंगा।

उसने दो साल सेक्स किया था तो उसकी चूत बिल्कुल टाइट थी।
मुझे रोमांच सा महसूस हो रहा था शेफाली की चुदाई को लेकर।

शेफाली ने मेरा अंडरवियर बाहर निकाल दिया।
मैंने पूछा- बेबी लन्ड चूसना पसंद है या नहीं?
शेफाली बोली- कई बार चूसी हूँ।

मैंने शेफाली को बोला- शेफाली एक काम करो, मेरे ऊपर आकर बैठ जाओ, दोनों पैर दोनों तरफ करके और अपना मुँह मेरे पैरों के तरफ रखना और अपनी चूत मेरे मुँह पर, ताकि मैं तुम्हारी चूत चूस सकूँ और तुम मेरा लन्ड चूसो।

शेफाली मेरे ऊपर आकर बैठ गई और मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को पकड़ लिया और शेफाली मेरे ऊपर लेट गई।
मैं उसकी चूत चाट रहा था और शेफाली मेरा लन्ड अपने हाथों से पकड़ कर धीरे धीरे चाटने लगी।

मैं शेफाली की गांड जोर जोर से मसल रहा था, शेफाली भी काफी उत्तेजित थी, उसने मेरे लन्ड को अपने मुँह में ले लिया और ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर चूसने लगी।

उसके होठों ने लन्ड को जकड़ रखा था और उसके होंठ लन्ड पर ऊपर नीचे हो रहे थे।

मैंने अपनी जीभ शेफाली की चूत में डाल दिया और उसकी गांड पकड़ कर उसे ऊपर नीचे कर रहा था और जीभ चूत के अंदर बाहर हो रही थी।

काफी देर तक हम दोनों ऐसे ही रहे, अब मेरा लन्ड चूत में जाने को बेक़रार हो रहा था, मैंने शेफाली को नीचे उतारा और बेड पर लिटाया, मैं बेड के नीचे खड़ा हो गया।

मैं उसे बेड के किनारे लाया और उसके पैरों को ऊपर उठा दिया और उसकी प्यारी सी छोटी चूत को दोनों अंगूठों से फैलाया और शेफाली से बोला- लन्ड को पकड़ कर चूत के बीच रखो।

शेफाली ने अपने हाथ से मेरे लन्ड को पकड़ा और अपनी चूत के बीच रखा।
लड़की लन्ड पकड़ कर चूत पर रखे तो उतेजना और बढ़ जाती है।

मैंने अब धीरे धीरे अपने लन्ड पर दबाव देना शुरू किया, चूत काफी टाइट थी, बस थोड़ा सा ही अंदर गया था कि शेफाली बोली- बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज बाहर निकाल लो।

मैं बोला- बस थोड़ी देर रुक जाओ, एक बार लन्ड अंदर चला गया और दो चार झटके दूंगा तो फिर दर्द कम जायेगा।

मैं शेफाली के साथ बातें करता रहा और लन्ड को धीरे धीरे शेफाली की टाइट चूत में डालते रहा।
जैसे जैसे लन्ड चूत की गहराइयाँ माप रहा था, शेफाली को दर्द हो रहा था।

मैं बोलता रहा- बस थोड़ा सा और है, एक बार पूरा अंदर जाने दो, उसके बाद दर्द नहीं होगा।

मैं बातें रहा, और जब आधा लन्ड शेफाली की चूत में चला गया, मैंने शेफाली की गांड को जोर से पकड़ा और अचानक एक जोर का झटका दिया और लन्ड दनदनाते हुए चूत के अंदर था।

शेफाली को काफी दर्द हो रहा था, वो निकालने बोल रही थी, मैंने उसे बोला कि अपने हाथ से छू कर देखो, पूरा लन्ड चूत के अंदर है।
शेफाली ने अपने हाथों से लन्ड को टटोला, उसके चेहरे पर थोड़ी राहत नजर आई।

मैं थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा, जब शेफाली थोड़ा शांत हुई तो मैं लन्ड अंदर बाहर करना शुरू किया, जब लन्ड थोड़ा निकाल कर अंदर डालता, उसे दर्द होता।

करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद शेफाली की चूत थोड़ा फ़ैल गई और लन्ड आराम से अंदर बाहर होने लगा।
अब शेफाली को भी मजा आ रहा था, हर झटके का जवाब वो नीचे से झटका देकर दे रही थी।

मैं अब शेफाली को बेड के ऊपर लिटा कर खुद भी बेड पर आ गया और शेफाली के दोनों पैर अपने कंधे पर रख लिया और झटके देने लगा।

मैं अपने हाथ से शेफाली की चूत मसल रहा था और लन्ड हर झटके से अंदर बाहर हो रहा था।

थोड़ी देर के बाद मैंने पोज़ बदला, शेफाली डॉग्गी पोज़ में किया और मैं बेड के नीचे खड़ा हो गया और शेफाली की गांड पकड़ कर लन्ड चूत में डाल दिया।

अब मैं शेफाली की कमर को पकड़ कर चूत की चुदाई कर रहा था, हर शॉट पर उसकी कमर पकड़ कर अपनी तरफ खींचता और लन्ड चूत के अंदर चला जाता।

शेफाली बोली- आह, चोद डालो, मेरी चूत फाड़ डालो।

यह सुनकर मैं दुगने जोश से पूरी रफ़्तार में चोदने लगा।
मैंने अब उसकी चूचियाँ पकड़ ली और जोर जोर से शॉट मारने लगा, शेफाली की चूत गीली हो गई थी।

मैं बार बार पोज बदलकर चोद रहा था, ताकि पोज बदलने में शेफाली को थोड़ा ब्रेक मिल जाये और मैं देर तक उसकी चुदाई करूँ।

आखिर में मैं मिशनरी पोज में आ गया, बेड पर शेफाली लेटी थी और मैं उसके ऊपर आ गया।

शेफाली के पैरों को अपने पैरों से थोड़ा फैलाया और लन्ड पकड़ कर उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार शॉट मारा, लन्ड पूरा का पूरा एक शॉट में चूत के अंदर था।

मैं शेफाली के ऊपर लेट गया, कभी उसके चेहरे को चूमता, कभी उसकी चूचियां चूसता और साथ साथ जोर जोर से शॉट मारते रहा।

शेफाली के मुंह से आह, आह की आवाज निकल रही थी जो मेरे जोश को बढ़ा रही थी और मैं जोर जोर से चूत चोद रहा था।

शेफाली बार बार बोल रही थी- और चोदो, और चोदो, आज फाड़ दो मेरी चूत।
मैं पूरी स्पीड में चोद रहा था।

तभी मैंने देखा कि शेफाली का जिस्म अकड़ने लगा, मैं समझ गया कि अब वो झड़ने वाली है, मैंने अपनी रफ़्तार और तेज की, हमारी सांसों की आवाज कमरे में गूंज रही थी, मैं पूरी रफ़्तार से चोद रहा था, मैं उसके साथ ही अपना वीर्य गिराना चाहता था।

थोड़ी देर में शेफाली ढीली पड़ने लगी, वो झड़ चुकी थी, मैंने थोड़ी रफ़्तार और बढ़ाई और फिर चंद पल के बाद मेरा वीर्य शेफाली की चूत में जा रहा था।

शेफाली के चेहरे पर एक संतुष्टि थी।

मैं उसके ऊपर थोड़ी देर वैसे ही लेटा रहा, फिर हम दोनों उठे, शेफाली बाथरूम गई और अपनी चूत साफ कर ली।

फिर शेफाली खाना ले कर आई, मैंने शेफाली को अपनी गोद में बिठा लिया, उसकी चूचियों दबाने लगा, उसे अपनी गोद में बिठा कर ही मैंने खिलाया और उसने मुझे।

खाना खाकर फिर हम बातें करने लगे और उस रात मैंने शेफाली की चूत चार बार चोदी।

अगले दिन पूरी रात हम जागते रहे और मैंने उस रात भी चार बार शेफाली की चुदाई की।

उसके अगले दिन मेरा दोस्त वापस आ गया।
मेरे पास एक दिन और था लेकिन मौका नहीं मिल पा रहा था।

आखिरी दिन मेरा दोस्त बाजार गया, जैसे ही मुझे मौका मिला, मैंने दिन में शेफाली की चुदाई कर दी।
बस उसकी पैंटी नीचे किया और चोद दिया।

आखिर वो दिन भी आ गया, जिस दिन हमें वापस आना था, मैं वापस आ गया।

हमारी बात तो फ़ोन पर होती है।

मैं इन्तजार कर रहा हूँ कि शायद कभी शेफाली दिल्ली आ जाये या मैं वहाँ जाऊँ तो फिर से मौका मिलेगा।

उम्मीद है कि मेरी हिन्दी सेक्स कहानी आपको अच्छी लगेगी, हमेशा की तरह आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहेगा।
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