रॉन्ग नंबर से मिली चुत की चुदाई

देसी गाँव की भाभी की चूत कहानी में पढ़ें कि एक फोन काल से एक भाभी मेरी दोस्त बनी. उसका पति उसे छोड़ चुका था. हम आगे बढ़े तो बात सेक्स तक पहुँच गयी.

दोस्तो, मेरा नाम संतोष है. मैं बिहार से हूं, पर मैं नॉएडा में रहता हूं.
मेरी पिछली कहानी थी: गर्लफ्रेंड की चूत में मेरे मोटे लण्ड का तूफ़ान

ये देसी गाँव की भाभी की चूत कहानी सन 2017 की है. उस समय मेरी एक फ्रेंड थी, जिससे मैं काफी बात किया करता था.
उसका फोन नंबर अचानक से बंद हो गया और उससे मेरी बहुत दिनों तक बात न हो सकी.

फिर मैंने एक दिन यूं ही चैक करने के लिए उसका नंबर लगाया कि देखूँ उसका नंबर चालू हुआ या नहीं. अब उस नम्बर पर रिंग जाने लगी थी.

फोन उठने पर उधर से बहुत ही मीठी बोली सुनाई दी. किसी अन्य औरत ने फोन उठाया था.

मैं उसका नाम यहां नहीं लिखूंगा, मैं उसे स्वीटी कहने लगा था.

उससे मैं धीरे-धीरे बातें करने लगा. वह मुझसे हंस-हंस कर बातें करने लगी.
तो मैं समझ गया कि मैं इसे पटा सकता हूं.

मैं उसे बार-बार कॉल करने लगा.
पहले उसने मुझे बहुत समझाया कि मेरी उम्र ज्यादा है … मेरे तीन बच्चे हैं और मैं ज्यादा सुंदर भी नहीं हूं. तुम मुझसे क्या बात करते हो, किसी जवान लड़की को पटाओ.

फिर भी मैं उससे बात करता रहा कि मुझे आपकी आवाज बहुत सुंदर लगी और सुन्दरता तो एक बहाना होती है. इंसान का दिल अच्छा होना चाहिए.

वो मेरी बातों से प्रभावित होने लगी थी. वो भी मुझसे बात करने लगी थी.

चूंकि सारी बात हम दोनों समझ गए थे कि ये एक दूसरे के प्रति आकर्षण वाला मामला है, तो वो भी मुझसे इठला कर बात करने लगी थी.

धीरे-धीरे उसे बातचीत खुल कर होने लगी और कुछ दिन बाद मैंने उससे अपने प्यार का इजहार कर दिया.
हमारी बातें फोन पर कुछ ज्यादा ही होने लगीं. हम दोनों एक दूसरे से सेक्स की बात करने लगे.
मैं उससे उसकी जिंदगी में घट रही घटनाओं के विषय में भी पूछने लगा था.

उसने मुझे बताया कि उसका पति उसको छोड़ कर उसकी बहन के साथ रहने लगा है. वह अकेले अपने तीनों बच्चों को पाल रही है.

मुझे यह सुनकर काफी बुरा लगा कि उसके साथ इतना गलत हो रहा है.

मैंने उसे काफी प्यार से समझाया और वो मेरे साथ अब एक प्रेमिका के जैसे बात करने लगी थी.
हम दोनों चुदाई की बातें भी करने लगे.

बीस दिन तक इस तरह की बात करने के बाद मैंने उससे मिलने के लिए पूछा, तो वह सहर्ष तैयार हो गई.

उसने अब तक मुझे अपने गांव का पता बता दिया था. उसका गांव नॉएडा से काफी ज्यादा दूर था. मगर ये बिहार के मेरे जिले से लगभग साठ किलोमीटर दूर था.

मैं ट्रेन से अपने घर गया और उधर एक दिन रुक कर उधर से बस से उसके गांव गया.
बस ने गांव के पास मुख्य सड़क पर उतार दिया.
बस से उतर कर मैंने उसे फोन किया.

उसने बताया कि वो सड़क के किनारे ही मेरा इंतजार कर रही थी.

मैंने उससे पूछा कि मुझे उधर तक किस रास्ते से आना होगा.
उसने मुझे बताया कि तुम्हें जहां पर बस ने छोड़ा है, वहां से गांव की सड़क पर चल कर सीधे आगे को आ जाओ. उधर स्टेट बैंक है, उसके पास ही मैं तुम्हें मिलूंगी.

मैं जैसे ही स्टेट बैंक के पास पहुंचा, मैंने देखा 38-40 साल की एक महिला खड़ी है.
दूर से देखने पर वह आदिवासी महिला लग रही थी, उसका रंग गोरा तो नहीं था, काला ही कहा जा सकता था.
पर उसके चेहरे में और पूरे जिस्म में बहुत ज्यादा चमक थी.

फिर मैं उसके करीब गया और उसकी तरफ देखा तो वो मुस्कुरा दी.
वो बैंक के बगल में एक गली में घुस गई.

मैं भी इधर उधर देखता हुआ उसके पीछे चल दिया.
उधर वो मेरी तरफ मुड़ी और मुझे प्यासी नजरों से देखने लगी.

मैंने आगे बढ़ कर धीरे से उसे अपने गले से लगा लिया.
वो भी मेरी बांहों में सिमट गई.

दस सेकंड बाद उसने फुसफुसाते हुए कहा- इधर नहीं, घर चलो.

मैं उसके साथ उसके घर पर चला गया.
उसने मुझे घर में लेते ही दरवाजा बंद कर दिया और हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर चूमाचाटी करने लगे.

कुछ पल बाद वो मुझसे अलग हुई और उसने मुझसे नहाने के लिए कह दिया.

मैंने उससे अलग होकर उसके घर के देसी बाथरूम में घुस गया और नहा कर ताजा हुआ.

स्वीटी ने एक कमरे में जाने का इशारा किया, तो मैं बिना कुछ बोले उस कमरे में चला गया.
मेरे पीछे से वह भी कमरे में आ गई. उसने कमरे में आकर दरवाजा बंद कर दिया था तो मैं उसकी प्यास को समझ गया.

मैंने बेड पर बैठे-बैठे ही उसे अपने बांहों में जकड़ लिया और उसके दोनों सख्त से पिछवाड़े को दबाने लगा.
उसके बाद उसे एक किस लिया और आगे बढ़ने को हुआ.

तो वो बेटियों के बाहर होने की बाद बोल कर अलग हो गई और ‘रात को प्रोग्राम करेंगे ..’ कह कर बाहर चली गई.

उसके जाने के बाद मैं भी थोड़ी देर बाद बाहर आ गया.
हमारा नाश्ते का सिलसिला हुआ और मैं कमरे में जाकर सो गया.

मैं एक घंटे बाद उठ गया आर शाम होने का इंतजार करने लगा.
अब तक चार बज गए थे.

स्वीटी महुआ की देसी शराब बनाकर बेचती थी. चार बजे से देर शाम तक वो अपने दारू के धंधे में लगी रही.

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मैं वहीं उसके पास एक आड़ में कुर्सी पर बैठ गया; उसे दारू बेचते हुए और ग्राहकों से बात करते हुए देखता रहा.

फिर शाम को सात बजे उसने मुझे थोड़ी सी देसी महुआ वाली शराब पिला दी. मैंने देसी दारू पहले कभी नहीं पी थी. अंग्रेजी शराब तो कई मर्तबा पी थी.

उसने मुझे बहुत प्यार से धीरे धीरे करके दारू पिलाई और साथ में मसाले वाला चकना भी खिलाया था.
सच में धीरे धीरे देसी दारू पीने में मुझे मजा आ गया.

मैं उसके प्यार की मस्ती में देसी दारू पी गया और मदहोश हो गया.

वो ग्राहकों को हंस कर तो कभी झिड़क कर दारू बेचती रही और मैं उसके पास बैठ कर मजे से सिगरेट का धुंआ उड़ाता रहा.

इस तरह से धीरे-धीरे शाम गहरा गई और उसने अपनी दारू की दुकानदारी बंद करके दरवाजे लगा लिए.

अब तक रात के नौ बज गए थे. वो मुझसे बोली- तुम अन्दर चल कर बैठो, मैं चिकन लेकर आती हूँ.
मैंने कहा- ओके.

वह बीस मिनट बाद चिकन ले आई थी. उसने चिकन बनाया और हम सबने साथ में बैठकर खाया.
जब उसकी दोनों बेटियां अन्दर अपने कमरे में सोने चली गईं तो मैं भी अपने कमरे में आ गया.

कुछ देर बाद स्वीटी फ्रेश होकर मेरे पास आ गई.
उसने एक मैक्सी पहनी हुई थी. वह बहुत ही खुश नजर आ रही थी.

आज तक मुझे उसका वो खिला हुआ चेहरा याद है, जब वह मेरे पास आकर बेड पर बैठी तो बहुत खुश थी.

उसने मेरे पैरों को अपने हाथों से दबाना शुरू किया और दस मिनट तक वो मेरी ऐसे सेवा करती रही जैसे कोई पत्नी अपने पति की सेवा करती है.

उसने मेरे पैर दबाने के साथ मुझे थोड़ा छेड़ा और मेरे लंड तक अपने हाथ को लगाया.
इस कारण से मेरा मूड बनने लगा और उसको चोदने का मन होने लगा था.

मैंने उसे खींच कर अपने बगल में ले लिया और चूमने लगा.
वो भी मूड में आ गई थी. उसने भी मुझे चूमना शुरू कर दिया था.

उसे चूमते हुए ही मेरा हाथ उसकी चूचियों पर चला गया. पहले मैंने उसके नाइटी के बटन को खोल कर ऊपर से ही हाथ घुसा कर उसकी चूचियों को दबा कर मजा लिया.

उसकी चूचियों का साइज 34 डी के करीब था. उसकी चूचियों की सख्ती से लगता था कि उसके पति ने उसकी चूचियों को अच्छे से दबाया नहीं था.

फिर मैंने मैक्सी के ऊपर से ही उसकी एक चूची को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
उसने मुझे चूची चूसते देखा तो अपनी मैक्सी निकाल दी. अब वह केवल ब्रा और पैंटी में थी.

मैं उसे किस करने लगा और किस करते-करते ही उसकी पीठ के पीछे अपना हाथ ले जाकर ब्रा को खोल कर निकाल दिया.
उसकी चूचियां जैसे ही ब्रा से आजाद हुईं, तो उछलकर तन कर मेरे सामने आ गईं.

उसका चेहरा वासना से एकदम भर गया था और उसकी आंखें बोल रही थीं कि उससे अब रहा नहीं जा रहा है.

उसने बहुत दिनों से सेक्स नहीं किया था … इसलिए वह भी बहुत ज्यादा चुदासी हो रही थी.

उसके बाद मैंने उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया. बीच-बीच में मैं उसके निपल्स को भी चूस लेता था.

अगले दस मिनट तक मैं उसके गाल, निप्पल, चूचियों को चूसना और चूचियों को मसल मसल कर दबाने में लगा रहा.

वो भी मादक आवाजें करती हुई मुझे अपना दूध पिला रही थी. उसकी आँखों और कराहों से मुझे और भी ज्यादा उत्तेजना चढ़ रही थी.

अब मेरा फुल मूड बन चुका था और उसे जल्दी से चोदने का मन करने लगा था.

मैंने उसे अपना लंड सहलाने को कहा, तो वह मेरा लंड अपने हाथों में लेकर बोलने लगी कि तुम्हारा बहुत बड़ा लंड है.

मेरा लंड काफी लंबा और मोटा है. अपने इस मूसल लंड से मैं तीन चार बच्चों की मां को भी दर्द दे सकता हूं.

मैंने उसे लंड चूसने का इशारा किया, तो उसने इशारा समझ कर नजरअंदाज कर दिया.
मैं समझ गया कि ये लंड चूसने के मूड में नहीं है.

मैंने दूसरी बार में लंड चुसाई का सोच कर उसे सीधा लिटा दिया और अपने हाथों से उसकी पैंटी को उसकी खींच कर निकाल दिया.
उसकी चुत नंगी हो गई थी.

मैं उसके ऊपर चढ़ गया, तो उसने अपनी दोनों टांगें फैला दीं.

वह बहुत दिनों से नहीं चुदी थी, इसलिए जल्दी से लंड चुत में ले लेना चाह रही थी.

मैं यह जानता था कि ये लंड की भूखी है. इसलिए मैं उसे तड़पाने लगा.
मैंने अपना लंड अपने हाथ से पकड़ कर उसकी चुत की फांकों में … और दाने के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया.

वह एकदम से मचल उठी और तड़फ कर मुझे अपनी बांहों में भरने का कोशिश करने लगी.
मैं उसे थोड़ी देर तक यूं ही तड़पाता रहा.

फिर अचानक से मैंने अपने लंड का टोपा उसकी चुत में अच्छे से सैट कर दिया.

उसकी चुत पूरी गीली हो चुकी थी और चुत से हल्का हल्का पानी भी निकलने लगा था.

लंड का सुपारा चुत में सैट करके मैंने उसके कंधों के पीछे अपना हाथ रखा और एक तेज झटके से उसकी चुत में अपना लंड पूरा एक बार में ही घुसा दिया.

एक तेज धक्के से लंड चुत के अन्दर घुस जाने से उसकी तो सांस ही रुक गई.
जब उसकी आवाज नहीं निकली तो मैं समझा कि इसको दर्द नहीं हुआ और ये लंड खा गई.
लेकिन उसकी चुत की कसावट बता रही थी कि इसको लंड के एकदम से घुस जाने से चिल्लाना चाहिए था.

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मगर उसकी कोई आवाज नहीं निकली थी, इससे मैं थोड़ा सोच में पड़ गया.

तभी मैंने एक बार लंड को खींच कर फिर झटका मारा, तो शायद उसकी बेहोशी टूट गई और वो एक तेज आवाज में कराह उठी- उई माई रे … मर गई.

उसकी आवाज सुन कर मैंने एक बार फिर से झटका मारा और उसकी चुत में अपना पूरा लंड घुसा दिया.

इस बार वो कसमसाने लगी और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी.
उसकी आवाजें निकलने लगी थीं मगर वो दबे स्वर में कराह रही थी- आह मार दिया … आह निकाल लो … मुझे बहुत दर्द हो रहा है … आह मैंने कभी इतना अन्दर नहीं लिया … आह छोड़ दो.

तब मुझे समझ आया कि पहली बार में ये लंड के झटके से बेहोश हो गई थी इसी लिए नहीं चीखी थी.

मैं उसके ऊपर ही लदा रहा और पूरा लंड चुत में पेल कर उसे चूमने सहलाने लगा.

कुछ देर बाद वो कुछ शांत हुई, तो मैंने कमर हिलानी शुरू कर दी और मेरे लंड ने चुत के अन्दर रह कर अपनी जगह बनानी शुरू कर दी.
वो हल्के स्वर में कराहते हुए लंड को झेलने लगी.

कुछ समय में वो जैसे ही चुप हुई, तो मैंने लंड बाहर खींचा और एक तेज झटके से उसकी चुत में फिर से अपना पूरा लंड घुसा दिया.

इस बार के झटके से लंड अन्दर गया तो उसने ऊपर को सरकना चाहा.
लेकिन मैंने उसे कंधे से दबाकर अपने लंड की तरफ खींच लिया जिससे मेरा लंड सीधे उसके बच्चेदानी के अंतिम छोर से जाकर टकराया.

स्वीटी के मुँह से आह की आवाज निकली और वो मचल कर मुझे नौचने लगी.

फिर मैं थोड़ा रुक कर उसकी चूचियां दबाने लगा और उससे पूछा कि क्या अब तुम्हारी चुत की आग ठंडी हुई. मेरा लंड पूरा तुम्हारे अन्दर चला गया है.

उसने केवल सिर हिलाकर अपनी हामी भरी और आगे बढ़ने का इशारा किया.

मैं फिर से धक्के लगाने लगा. वो अब लंड का मजा लेने लगी.

इधर एक बात देखने लायक थी कि जब भी मैं धक्के लगाता था, तो वह अपनी कमर को ऊपर की ओर कर देती थी ताकि मेरा लंड उसकी चुत के अंत तक चला जाए.

इसी प्रकार मैं उसे लगातार चोदता रहा. वह मुँह से बहुत ज्यादा आवाजें निकालने लगी थी- आह संतोष … और जोर से चोदो मुझे आज ठंडा कर दो … आह मजा आ रहा है.

अब वो चुदते समय अब मस्ती भरी तेज स्वर में आवाजें निकालने लगी थी.
इस कारण एक बार तो मैं डर ही गया कि साला कोई लफड़ा न हो जाए.

वह इतनी जोर जोर से चिल्लाने लगी थी कि मुझे उसे खुद चुप कराना पड़ा.

फिर मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा, तो मुझे लगा कि वह सेक्स को बहुत इंजॉय कर रही है, इसलिए चिल्ला रही है.

जब मैंने उसको चेताया कि कोई सुन न ले.
तो उसने कहा- मुझे किसी की कोई परवाह नहीं है.

अब जाकर मेरा डर थोड़ा खत्म हुआ.
मैं भी उसकी चुत पर पिल पड़ा था और लम्बे लम्बे शॉट मारने लगा था.

उसकी चुत में जब भी लंड अन्दर रुकता था, तो मुझे लगता था कि मेरा लंड उसकी चुत के अंत में जाकर टकरा रहा है. उसकी तेज आह निकलती … और मेरा मजा दुगना हो जाता.

मैं और जोर-जोर से उसे चोदने लगा. अब उसे भी मजा आने लगा था और उसकी दोनों टांगें हवा में उठ गई थीं.

वो उम्र में भी मुझसे बड़ी थी और पूरी भरी हुई औरत थी. फिर भी मैं जितना जोर लगा कर उसे चोद सका, चोद दिया.

वह कहने लगी- शुरू में तुमने मुझे बहुत दर्द दिया था मगर अब बड़ा अच्छा लग रहा है.

बीस मिनट तक लगातार उसकी चुदाई करने के बाद उसकी चुत थोड़ी ढीली हो गई और उसमें से पानी निकलने लगा.
पानी निकलने के बाद उसकी चुत एकदम गीली हो गई और मेरा लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा.

फिर वो एकदम से अकड़ कर बड़बड़ाने लगी और भलभला कर झड़ गई.
उसकी चुत के गर्म पानी से मेरा लंड भी पिघल गया और मैं भी उसी की चुत में झड़ने को हो गया.

जैसे ही मेरा पानी झड़ने लगा. उसने मुझे अपनी बांहों में कस कर ऐसे जकड़ लिया, जैसे वह मुझे अपने अन्दर समेट लेना चाहती हो.

उसने बहुत जोर से चिल्ला कर कहा- आह संतोष, मजा आ गया.

फिर पानी निकलने के बाद मैं कुछ देर तक उसके ऊपर लेटा रहा.

जब उसने अपनी बांहों की पकड़ को ढीला किया तो मैंने उसके गालों पर किस किए और हल्के हल्के से चूचियां दबाते हुए उसके बगल में उतर कर बाजू में सो गया.

उस रात हमने दो बार और चुदाई की.

मैं उसके यहां 3 दिनों तक रुका. इन तीन दिनों में लगभग 15 बार मैंने उसके साथ उसकी चुदाई की.
उसके बाद मैं उससे मिलने का वादा करके वापस अपने घर आ गया.

आज भी हम दोनों सम्पर्क में हैं और अब तक दो बार और मिल चुके हैं. इस महीने में हम दोनों फिर से मिलने का प्रोग्राम बना रहे हैं.

मेरे प्रिय पाठको, मुझे लंड चुसवाना और चुत चाटना बहुत पसंद है. पर मैंने इस सेक्स कहानी में थोड़ा भी कुछ बाहर से जोड़ने का चेष्टा नहीं की है. जो सच्चाई थी, वही मैंने इसमें लिखी है.

मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को मेरी देसी गाँव की भाभी की चूत कहानी पसंद आई होगी.
आप मुझे मेल कर सकते हैं या हैंग आउट पर भी जुड़ सकते हैं. आपके विचारों का मैं इंतजार करूंगा.

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