मकानमालकिन को पटाकर लंड को ठंडा किया

देसी आंटी की चुदाई का मौक़ा मुझे मिला किराए के घर में लैंड लेडी के साथ. वो खूबसूरत बला थी. मन किया कि यहीं पटक कर चोद दूँ! मेरी मुराद कैसे पूरी हुई?

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम नितिन है और मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, यहां कहानिया पढ़कर मैंने भी अपनी एक सच्ची सेक्स कहानी लिख़ने की सोची.

ये बात मेरी पहली चुदाई के अनुभव की है और बहुत पुरानी है.

देसी आंटी की चुदाई कहानी पर आने से पहले मैं आपको अपने बारे में थोड़ा बता देता हूँ.

मेरी उम्र 25 साल है और मेरी अभी शादी नहीं हुई है, मैं जॉब करता हूँ और गुरुग्राम में अकेला रहता हूं. मेरे परिवार में मेरा बड़ा भाई, एक बहन और मम्मी पापा हैं.

बात उस समय की है, जब मेरी जॉब लगी ही थी और मैं गुरुग्राम में आ गया था.
यहां आकर मैंने एक कमरा किराए पर लिया और रहने लगा.

उस दिन मकान मालिक से ही मेरी बात हुई थी.

दूसरे दिन मैंने अपनी मकान मालकिन को देखा तो क्या खूबसूरत बला थी.
मन किया कि यहीं पटक कर चोद दूँ!

पर मैंने अपने आप पर काबू किया और सोचा कि यहीं तो है. अगर पट गयी तो चोद दूंगा.
बस मैं मौके की तलाश करने लगा.

मैं मकान मालकिन के बारे में थोड़ा बता दूँ.
उनका नाम सुषमा था और उम्र करीब 40 साल के आस पास थी.

इस उम्र में भी उनका शरीर एकदम माल था. मस्त फूली हुई मोटी गांड, बड़े बड़े बूब्स, एकदम गोरी-चिट्टी … मतलब ऊपर से नीचे तक कांटा माल.
जब भी वो मुझे दिखती थीं, तो मन करता कि एक बार मिल जाए बस.

उनकी एक बड़ी बेटी औऱ छोटा लड़का था. अंकल का बिज़नेस था, सो वो बाहर ही रहते थे.

वो गर्मी का टाइम था और लाइट चली गयी थी.
रात हो गयी थी, मैं हवा खाने ऊपर छत पर चला गया था.

मैंने देखा कि सुषमा आंटी भी वहीं थीं.
उन्होंने मुझे देखा और पूछा- कैसे हो नितिन?

मैंने भी बात शुरू की और कहा- मैं अच्छा हूँ. आप बताएं कैसी हैं.
सुषमा आंटी ने बताया- मैं अच्छी हूँ.
फिर मैंने पूछा- आप यहां हवा खाने आयी हैं क्या?

तो वो बोलीं- हां वो लाइट गयी हुई है ना … और पता नहीं हमारा इन्वर्टर बन्द हो गया है. मुझसे सही नहीं हुआ तो यहां आ गयी.
मैंने पूछा- अंकल और बच्चे कहां हैं?

वो बोलीं- तुम्हारे अंकल बाहर गए हैं. वो अपनी किसी बिज़नेस ट्रिप पर हैं और बच्चे उनके किसी फ्रेंड की बर्थडे पार्टी है, वहीं गए हैं … लेट आएंगे.
मैंने बोला- लाओ मैं देख लेता हूं क्या प्रॉब्लम है इन्वर्टर में.

वो बोलीं- ठीक है चलो.

मैंने सोचा आज ही मौका मिल गया है. कुछ करने को मिला, तो मजा आ जाएगा.

मैं उनके पीछे चल रहा था.
आंटी ने सूट सलवार पहन रखा था.

जब वो चल रही थीं, तो उनकी गांड मस्त लग रही थी.
मन किया अभी मार लूं … पर मैं चलता रहा और इन्वर्टर रूम में जाकर चैक किया, तो उसकी अन्दर से एक वायर निकली हुई थी.

मैंने तार लगा दिया और लाइट आ गयी.

आंटी खुश हो गईं.

फिर उन्होंने मुझे सोफे पर बैठाया और मेरे लिए पानी लेने चली गईं.
आंटी ने मुझे पानी पिलाया, फिर वो मेरे सामने बैठ गईं.

मेरा ध्यान उनके बूब्स और चूत की तरफ था, ये बात आंटी ने शायद नोटिस कर ली थी.

वो मुझे देख कर स्माइल करने लगीं और उन्होंने पूछा- क्या देख रहे हो नितिन?
तभी मैंने अपना ध्यान हटाया और नीचे देखने लगा.

मुझे ऐसे देख कर वो बोलीं- क्या हुआ … क्या देख रहे थे?
मैंने कहा- कुछ नहीं आंटी.

वो हंस कर बोलीं- मुझे आंटी मत कहो प्लीज. मैं अभी आंटी थोड़ी ही हुई हूँ.
मैंने बोला- सॉरी भाभी.

इस पर वो मुझे और ज्यादा स्माइल देने लगीं.
अब मैं समझ गया था कि बात बन सकती है.

मैं सोचने लगा कि कैसे भाभी के पास जाऊं.

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फिर मैंने प्लान सोच लिया और भाभी से बात शुरू की.

मैं- भाभी, आप बाहर कहां कहां घूमने गई हैं.
वो मुझे बताने लगीं.

हम दोनों काफी देर तक बात करते रहे.

तभी बीच में मैंने भाभी को अपने फ़ोन में कुछ पिक्चर्स दिखाने के बात कही- आप मेरी कुछ फोटो देखेंगी?
वो बोलीं- हां हां दिखाओ.

मैं फोटो दिखाने के बहाने से उनके पास जाकर बैठ गया और उन्हें अपने मोबाइल में फोटो दिखाने लगा.

हम दोनों एक साथ पिक्चर्स देखने लगे.

फ़ोटो दिखाते दिखाते मैं उनके और करीब को हो गया.
वो भी कुछ नहीं बोलीं.

हम दोनों एकदम सट कर बैठे थे.
मुझे कुछ आभास होने लगा था कि भाभी कुछ गर्मा रही हैं.

मैंने मौका देख कर भाभी की जांघों पर हाथ रख दिया और साथ साथ फोटोज दिखाने लगा.
भाभी ने अभी भी कुछ नहीं कहा तो इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गयी.
मैं उनकी जांघों पर हाथ फिराने लगा.

तभी भाभी ने मेरी तरफ देखा और मुझे लगा कि मैं गया काम से, पर भाभी ने मुझे एक सेक्सी सी स्माइल दी.
मैं समझ गया कि सिग्नल ग्रीन है.

मैंने फ़ोन साइड में रखा और भाभी को होंठों पर किस करने लगा.
भाभी भी बिना हिचकिचाहट के मेरा साथ देने लगीं.

हम दोनों एक दूसरे को बहुत देर तक चूमते रहे.
फिर मैंने अपना एक हाथ सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत पर रखा तो पाया कि वो एकदम गीली हो गई थीं.

मैंने पूछा- ये क्या हो गया है भाभी?
वो बोलीं- मैं बहुत देर से गर्म थी, तुम्हारा टच मिलते ही मेरी पिक्की ने पानी छोड़ दिया.

मैंने कहा- भाभी उसे शायद पिक्की नहीं … कुछ और कहते हैं.
वो हंस दीं और बोलीं- तुम बताओ उसे क्या कहते हैं.

मैंने कहा- वो आपका सामान है. आप बताओ न?
भाभी धीरे से बोलीं- पुसी.

मैंने कहा- मुझे तो पुसी का मतलब बिल्ली मालूम है … सही सही नाम बताओ न?
भाभी गाली देती हुई बोलीं- पूरे हरामी हो … तुम सब जानते हो फिर भी मुझसे पूछ रहे हो.

मैंने कहा- आपने सही पहचाना भाभी जी, मैं बहुत बड़ा हरामी हूँ मगर आज पहली बार आपके साथ कुछ करने का मौका मिला है न … इसलिए आपसे मजा ले रहा हूँ.
भाभी ने कहा- मेरे साथ पहली बार मजा ले रहे हो मगर इससे पहले तो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ मजा ले चुके होगे.

मैंने कहा- मेरी गर्लफ्रेंड कोई नहीं है भाभी. आप मुझे कुंवारा माल ही समझिए. मेरे लंड पर अब तक सिर्फ मेरा हाथ ही चला है.

ये सुनकर भाभी एकदम खुश हो गईं और बोलीं- क्या सच में तुमने अभी तक सेक्स नहीं किया है?
मैंने कहा- हां भाभी, आज मेरा पहली बार का सेक्स होने वाला है. मगर आप वो तो बताओ, जो मैंने पूछा है.

भाभी इस बार खुल कर बोलीं- अरे यार नितिन मुझे तुम्हारे भैया के साथ सेक्स किए एक महीने से ऊपर हो गया है. मेरी चूत लंड के लिए तड़फ रही है.

फिर मैंने बिना देर किए उनको सोफे पर ही लेटा दिया और उनकी सलवार खोल कर उतार दी.

उन्होंने पैंटी नहीं पहन रखी थी.
सलवार उतरते ही भाभी की चूत मेरे सामने आ गई.

उनकी मस्त फूली हुई चूत देख कर मेरा लंड उफान मारने लगा.
भाभी की चूत एकदम साफ और गोरी थी.

मैंने सुषमा भाभी की चूत पर अपनी जीभ रख दी और उसे चाटने लगा.

भाभी की चूत की मादक गंध मुझे पागल कर रही थी और मेरे चाटने से वो भी पागल हो रही थीं.

मैं करीब 5 मिनट तक उनकी चूत चाटता रहा और उन्होंने आंह आंह करते हुए अपनी चूत से पानी छोड़ दिया.
मैंने उनकी चूत का सारा पानी चाट लिया.

फिर वो खड़ी हुई और मेरा लंड लोअर से बाहर निकाल कर सहलाने लगीं.
मेरा लंड एकदम कड़क था.
उन्होंने उसे चूमा और अपने मुँह में ले लिया.

मैं पहली बार किसी से लंड चुसवा रहा था.
भाभी ने मुझे सच में पागल कर दिया था.
मैं ज्यादा देर तक नहीं रुक पाया और दो मिनट में ही मैंने उनके मुँह में पानी छोड़ दिया.

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भाभी ने एक बाजारू रंडी की तरह मेरा सारा पानी पी लिया.

अब भाभी और मैं फिर से एक दूसरे से प्यार करने लगे.
कुछ ही पलों में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
भाभी की चुदाई करने के लिए मैं रेडी था.

मैंने भाभी को खड़ा किया और उनकी एक टांग सोफे पर रख दी, दूसरी जमीन पर थी.

फिर मैंने उनकी चूत पर लंड सैट किया और एक ही झटके में लंड अन्दर पेल दिया.

सुषमा भाभी दर्द के मारे बिलबिला उठीं.
वो मेरे लंड से हुए दर्द से आगे की तरफ होने लगीं पर मेरी पकड़ भी मजबूत थी इसलिए वो हिल भी नहीं पाईं.

भाभी कराहती हुई बोलीं- आंह आराम से करो यार … मैं बहुत दिनों से चुदी नहीं हूँ और तुम्हारा बहुत मोटा भी है.

मैंने भाभी की एक बात नहीं सुनी. मैं आज पहली बार सेक्स कर रहा था तो बस उन्हें चोदे जा रहा था.
भाभी और तेज़ तेज़ आवाजें लेने लगीं और मैं भी तेज तेज झटके लगाने लगा.

सारा हॉल भाभी की मादक सिसकारियों से गूंज रहा था.
भाभी की आह आह की आवाज, चूत और लंड की फच फच की आवाज मुझे पागल कर रही थीं.

मैं अभी भाभी को चोद ही रहा था कि तभी दरवाजे की रिंग बजी.
हम दोनों डर गए और अलग होकर फटाफट कपड़े पहने.

भाभी ने जाकर दरवाजा खोला.
बाहर सोनम (उनकी लड़की) और रवि (लड़का) आ गए थे.

भाभी ने सोनम को बताया कि लाइट में कुछ प्रॉब्लम थी, ये वही ठीक करने आया था.
उनके बच्चे मान गए.

मैंने देखा कि भाभी की बेटी सोनम भी कमाल की फिगर की मालकिन थी.
मैं उसे घूरता रहा.

उसने मुझे देख लिया था पर वो कुछ नहीं बोली और रवि को लेकर रूम में चली गयी.

मुझे उस पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था कि वो 10-15 मिनट और नहीं रुक सकती थी क्या … पर क्या कर सकता था.

मैं वहां से जाने लगा.

तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने कमरे में ले गईं.

मैंने बोला भी- अभी सेफ नहीं है, आपकी लड़की यहीं है.
वो बोली- कोई बात नहीं, अभी पूरा कर लो … और जल्दी से अपना पानी निकाल लो. सोनम तो सो गई होगी और वो यहां नहीं आएगी.

इतना सुनते ही मैं सुषमा भाभी पर टूट पड़ा और उन्हें बेतहाशा चूमने लगा.

भाभी ने मुझे अलग किया और बोलीं- अभी इसका टाइम नहीं है, तुम जल्दी से अपना पानी निकाल लो. ये सब फिर कभी आराम से करेंगे. तुम्हारा पहला सेक्स पूरा होना चाहिए.

मैं मान गया और उनकी सलवार उतार कर उन्हें बेड पर गिरा दिया.

मैंने जल्दी से भाभी की चूत में अपना लंड घुसा दिया और हम दोनों फिर से चुदाई करने लगे.

दस मिनट की चुदाई के बाद मैं सुषमा भाभी की चूत में ही झड़ गया.
वो भी पहले ही झड़ चुकी थीं. एक बार पहले राउंड में और एक बार अभी.

हम दोनों बहुत खुश थे.

भाभी ने मेरा लंड मुँह में लेकर अच्छे से साफ किया और हमने कपड़े पहन लिए.

फिर मैंने भाभी के होंठों को दोबारा चूमा और वहां से जैसे तैसे करके निकल कर अपने रूम में आकर सो गया.

उसके बाद मैंने सुषमा भाभी को बहुत दिनों तक चोदा. जब भी मुझे मौका मिलता, मैं उनकी चूत की मरम्मत कर देता था.
वो मेरी रंडी बन चुकी थीं.

अब मेरी नजर भाभी की बेटी सोनम की जवानी पर थी और मैं माँ बेटी को एक साथ एक ही बिस्तर पर चोदने की प्लानिंग करने लगा.

दोस्तो, यह थी मेरी और मेरी मकान मालकिन की चुदाई की कहानी.
उसके बाद मैंने भाभी की गांड कैसे मारी और कैसे उनकी लड़की सोनम को चोदा, ये सब अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.
धन्यवाद.

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