कॉलेजगर्ल की अनजान मर्द से जोरदार चुदाई-4

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    कॉलेजगर्ल की अनजान मर्द से जोरदार चुदाई-3

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मेरी चूत की हालत ख़राब हो रही थी. अर्जुन मेरे जिस्म की गर्मी को समझ रहा था. एसी में पसीना तो आयेगा नहीं!
मेरा अब किसी भी हाल में लंड लेने का इरादा था. मैंने अर्जुन को बताया- अर्जुन, मैं बहुत गर्म हूँ, कुछ करो!
तभी आवाज़ आई- गाइस, ओके … आज इतना ही करते हैं. अभी मुझे कुछ काम है. जिम बंद करना है.

जिम वैसे रात को 11 बजे बंद होता था, अभी 10.45 हो चुके थे लेकिन अब एक सेकंड का भी मुझसे सब्र नहीं हो रहा था. शायद और देर होती तो मैं अर्जुन को वहीं चूमने लगती।

सभी एक एक करके गुडबाय सर कह कर जाने लगे.

सबके जाते ही अर्जुन ने तुरंत जिम को लॉक किया.

मैं अभी भी चूचियों की कसरत को कर रही थी. मेरी आँखें अब बंद हो रही थी, मेरी चूत की गर्मी अब बरदाश्त के बाहर थी. पता नहीं ये अर्जुन शांत कैसे है?

मेरा ये सोचना ही था कि मेरी चूचियां किसी के मजबूत हाथों में कैद हो गई.
“ओह फ़क अर्जुन आःह्ह … अभी तो तुम शांत दिख रहे थे!”

उसने मुझे वहीं मैट पे पटक दिया- हम्म … मैं शांत नहीं था. मेरे अन्दर चुदाई की ज्वाला जल रही थी. सब लोगों के होने के कारन काबू किये हुए था.
कहते हुए उसने मेरे योगा पैंट को अपनी उँगलियों से फाड़ दिया. चर की आवाज के साथ मेरा योगा पैंट मेरी रस टपकाती चूत को नंगी छोड़ गया.

मैं समझ गयी कि अर्जुन कितना गर्म है, दोनों और आग बराबर है. मैंने उसके जिम वेस्ट को उतार फेंका.

उसने एक झटके में अपना जांघिया और बॉक्सर निकल कर दूर कर दिया और पूरी जोर से एक बार में ही अपना पूरा 8 इंच का खड़ा लंड मेरी गीली चूत में पेल दिया.

‘आःह्ह अर्जुन … फ़क … जोर से चोदो.”

यहाँ चूमा चाटी से ज्यादा चुदाई की जरूरत थी दोनों को!
वो मुझे धकापेल चोदे जा रहा था.
‘आह्ह्ह’ मैं मादक आवाजें निकाल रही थी.

उसने मेरी स्पोर्ट्स ब्रा को एक बार में ही उठा कर ऊपर कर दिया. मेरी नंगी चूचियां उसके सामने हिलने लगी- आह्ह चाहत … क्या चूत है तेरी … उम्म उम्म्म्म अह्ह्ह्ह फ़क की मादक आवाज़ पूरे जिम में गूंज रही थी. उसका लंड एक सेकंड भी रुकने को तैयार नहीं था।

वो मेरी तरफ झुक कर मुझे चूमने लगा, मेरी चूचियों को दबाने लगा. मैंने उसके गले में हाथ डाल दिया और उसके लंड के मस्त झटकों को चूत की गहराई तक लेने लगी।

अर्जुन खड़ा हो गया. मैंने उसकी कमर को अपने पैरों से जकड़ लिया और गले में हाथ डाल कर जोर से पकड़ लिया. वो मुझे गोद में ही उठा कर चोदने लगा.

“आःह्ह मां… आआआ आअ आह … और जोर से चोदो मेरे राजा … बुझा दो मेरी प्यास … आह्ह्ह!” मेरे मुँह से ऐसे मादक जोश दिला देने वाले बोल निकल रहे थे।

अर्जुन ने मुझे जिम की डेस्क पे लिटा दिया और मेरे पैरों को अपने कंधों का सहारा दे दिया. यह डेस्क भी इतना सही ऊंचाई पे था जिससे मेरे चूत को अर्जुन का लंड आसानी से फाड़ सके. वो मेरी सेक्सी 24 की कमर को पकड़ कर जोर जोर से चोदने लगा.

“आह अर्जुन … आःह्ह मा … उम्म्म अह्ह्ह … चोदो चोदो!” मैं चिल्लाने लगी- आःह्ह मैं आने वाली हूँ. और जोर से चोदो. अह्ह्ह मा मैं आई!
“हाँ मेरी रानी … और ले … उफ्फ क्या चूत है तेरी!” कह कर अर्जुन ने रफ़्तार बढ़ा दी और मैं उसके लंड पे झड़ने लगी।

मेरा जिस्म शांत हो गया था लेकिन अर्जुन मुझे चोदे जा रहा था. मैं उसे निराश नहीं करना चाहती थी इसलिए झड़ने के बाद भी उसका यूँ ही साथ देने लगी।

अर्जुन के दिमाग में न जाने क्या आया, वो मुझे उठाकर जिम की बालकनी में ले गया और रेलिंग से सटा कर खड़ा कर दिया. मुझे रेलिंग के सहारे झुकने को कहा.
“आःह्ह्ह …” मेरे पीछे से उसने अपना लंड पेल दिया.

“हम्म!” अर्जुन की चुदाई से मैं फिर से गर्म हो गयी थी.

जहाँ वो मुझे चोद रहा था, वहाँ हम दोनों को कोई भी नीचे से देख सकता था. ये सोच कर मेरे चूत की गर्मी थोड़ी और बढ़ गयी, मैं अपनी गांड हिला हिला कर उसका साथ देने लगी.

उसने मेरी ब्रा निकाल दी और नीचे सड़क की ओर उछाल दी. मेरी चूचियां रेलिंग से टकरा रही थी. मैं नंगी एक जिम की बालकनी में चुद रही थी.
“अह्ह्ह उम् अह्ह्ह”

अर्जुन थक गया था लेकिन उसका लंड नहीं. वो पास रखी कुर्सी पर बैठ गया और मुझे अपने खड़े लंड पे बैठने का इशारा किया. मैं झट से उसके लंड को शांत करने के लिए चढ़ गयी और उछल उछल कर चुदवाने लगी.

मेरी चूचियों की गहराई का मजा अर्जुन अपनी गीली जुबान से बखूबी ले रहा था. अह्ह्ह उम्ह … मैं बालकानी में मादक मुद्रा में उसके लंड पे कूद रही थी.
“आह्ह्ह अर्जुन … उम्म्म ओह्ह याह्ह्ह!” ऐसी मेरी आवाजें निकल रही थी।

“फ़क चाहत! हम्म … क्या मखमली गर्म चूत है तेरी अआहह … मैं आने वाला हूँ मेरी रानी!”
“मैं भी आने वाली हूँ मेरे लंड के राजा … जोर से चोदो … आह्ह उम्म्म फ़क अह्ह्ह माआआअ …”
और हम दोनों एकसाथ एक दूसरे के अन्दर झड़ गए और शांत वैसे ही कुर्सी पे एक दूसरे से चिपक के बात करने लगे।

“ओह अर्जुन, तुम्हारा लंड मैं तो जीवन भर लेना चाहूंगी. क्या चोदते हो तुम. मैं तृप्त हो गयी ऐसी चुदाई से मेरे राजा!” और मैं उसको चूमने लगी.
मैं भी बहुत खुश हूँ चाहत. ऐसी चूत और चूचियां बहुत कम मिलती हैं. और मुझे तुम्हें चोद कर जन्नत नसीब हो रही है!”
और हम दोनों हंस पड़े।

“तो क्या मेरे राजा का लंड अब और नहीं चोद पायेगा?” मैंने उसके शांत लंड पे हिलते हुए कहा.
“हम्म … ये तो तुम्हारी चूत को तुम्हारे जाने तक चोदेगा तो भी इसकी भूख नहीं मिटेगी जान!” हा हा हा दोनों हंसने लगे।
“तो चोदो न अर्जुन, मैंने कब रोका है? मैं भी तुम्हारे लंड का मजा जी भर के लेना चाहती हूँ.”

“हम्म … मेरी चूत की रानी, चलो आज तुम्हारी ऐसी चुदाई करूँगा कि तुम मेरे लंड को हर बार चुदते वक्त याद करोगी. बेडरूम में चलें चाहत?”
मैंने उसके लबों को किस करके हामी भर दी।

“लेकिन अर्जुन, ऐसे जाऊँगी मैं? लिफ्ट में स्टाफ होगा न?”
उसने मेरे पीछे से गांड पे एक जोरदार थप्पर मारा- मेरी जान, रात के 12 बज चुके हैं. स्टाफ 10.30 तक ही रहता है. होटल में मैक्सिमम लोग सो चुके होंगे. कुछ हमारी तरह मस्त चुदाई तो नहीं लेकिन चुदाई कर रहे होंगे.

और हम दोनों हँसते हुए लिफ्ट की ओर बढ़ चले. मैं अर्जुन के जिस्म से जोंक की तरह चिपक गयी. मेरी योगा पैंट को अर्जुन ने अपने जिम में ही निकाल के फ़ेंक दिया मैं और वो बिल्कुल नंगे होटल के लिफ्ट में 5th फ्लोर पे जा रहे थे।

लिफ्ट के अन्दर वो मेरी चूचियों को चूस चूस कर न निकलता हुआ दूध पीने की कोशिश में था. मैं उसके लंड को सहला रही थी, उसके टोपे को मसल रही थी, उसके मजबूत कंधों को चूम रही थी. तभी आवाज़ हुई ‘टिंग’ लिफ्ट 5th फ्लोर पे आ रुकी थी.

मैंने रूम खोला उस दौरान भी अर्जुन मुझे मसल रहा था. ऐसा मर्द पाकर मेरी चूत सातवें आसमान पर थी।

“अर्जुन, मैं 2 मिनट में आई!”
“क्यूँ जान?” उसने मुझे बेड पे खींच लिया.

“आःह्ह अर्जुन, थोड़ा सब्र करो. मुझे टॉयलेट जाना है. सुसु आई है. ऐसे चोदोगे तो कहीं तुम भीग न जाओ मेरे मूत में अर्जुन!”
हा हा हा … दोनों जोर से हँसे।

मैं उठ कर जाने लगी. अभी बाथरूम के गेट तक ही पहुंची थी कि ‘स्टॉप चाहत … वहीं रुको!”
तो मैं रुक गयी- क्या हुआ जान?
मैं पलटी तो वहाँ का नजारा देखकर मेरी चूत अपना पानी निकालने लगी, मेरे जिस्म का पानी अन्दर कहीं छुप गया.

मैंने देखा, अर्जुन का लंड जैसे सांसें ले रहा हो, आधा खड़ा पूरा खड़ा होने की कोशिश में लगा हो.
काफी मादक था उसका लंड … मेरी नज़र उसपे गड़ सी गयी।

“चाहत, कुतिया बन के आओ और मेरे लंड को अपने मुँह के जूस से खुश कर दो.”
इतनी सेक्सी बातें प्यार से सुनकर मेरी चूत ने पानी बहाना तेज़ कर दिया. मेरे चुचे टाइट होने लगे. मैं झट से कुतिया बनके अपने लंड के राजा के पास गांड हिलाते हुए पहुँच गयी और बड़े प्यार से उसकी आँखों में देखते हुए उसके लंड को चाटने लगी.

उसका लौड़ा अपने आकार में आने लगा. मैंने उसके सुपारे को नीचे ऊपर करके उसके लंड के टोपे को अपने चुसाई से गीला कर दिया. उसका लंड अपना शुरुआती नमकीन सा पानी मेरे मुँह में गिराने लगा. मैं उसके पहले रस को चूस चूस कर गटकने लगी.

अर्जुन बड़बड़ा रहा था- आह जान … क्या चूसती हो … उम् अह्ह्ह फ़क!
ऐसा हो भी क्यों न … मेरे मुँह में जो लंड जाये और आहें न भरे? ऐसा हो ही नहीं सकता.

मैं कुतिया की तरह उसके लंड को 10 मिनट तक चूसती रही. वो मेरे चूत को सहला रहा था, मेरा चूत रस बेड पे टपक रहा था.

ये अर्जुन से देखा नहीं गया, वो मुझे स्पून के पोजीशन में ले आया. मेरी चूत के बीच उसने अपना सर रखा और एक बार में पूरे चूत रस को चूस जाना चाहा.
“आह्ह्ह्ह अर्जुन … उम्म्म मेरे राजा … चूसो मेरी चूत को! अह्ह्ह्ह!”

उसके लंड मैं को और जबरदस्त तरीके से मुँह में लेकर चूसने लगी. हम दोनों अब काफी गर्म हो चुके थे. मेरे जिस्म में चुदने के लिए अब जान आ चुकी थी।

मैं उठी और अर्जुन को सीधा लिटा दिया. अब उसका खड़ा लंड मेरे चूत को चीरते हुए अन्दर चले जाने को बेताब था. मैं प्यार से उसके लंड के ऊपर आके बैठ गयी और अर्जुन को हिलने से मना किया.

मैंने धीरे धीरे उसके पूरे लंड को अपनी चूत की गहराई में उतर जाने दिया और गांड हिलाने लगी. मेरी चूचियां उछलने लगी. जैसे मेरी गांड की रफ़्तार बढ़ती, मेरी चूचियां अपने हिलने की रफ़्तार बढ़ाती गयी.

हम दोनों प्यार भरी सिसकारियां ले रहे थे. अर्जुन मेरे मखमली चूत की गर्मी को अपने लंड से शांत कर रहा था.
“अह्ह्ह चाहत … उम्म्म!” अपनी तरफ खींच कर मुझे चूमने लगा. मेरी चूचियां उसकी छाती में धंस गयी थी. मैं इधर गांड हिलाए जा रही थी।
“उम्म्म अह्ह्ह अर्जुन … मेरे राजा … अब फाड़ दो अपनी चाहत की चूत।”

मेरा इतना कहना ही था कि अर्जुन ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. मैंने गांड हिलाना बंद कर दिया और उसके मस्त लौड़े का झटका अपने चूत की गहराई में लेने लगी. कमरा फच फच की आवाज़ से भर गया.
“अह्ह्ह उम्म्म ओह याह … फ़क अर्जुन … आःह्ह्ह जोर से पेलो मुझे … उम्म्म!” मैं उसे चूमने लगी।

अर्जुन ने मेरे पैरों को पकड़ कर मुझे बेड से आधा झुक जाने को कहा जिससे मेरी कमर के नीचे का हिस्सा बेड के किनारे था. मेरे हाथ जमीं पे थे और अर्जुन मेरे पैरों को जकड़े मुझे चोदे जा रहा था. उसके झटके इतने तगड़े थे कि हर वार के साथ मेरी चूत जैसे फट जाये.

“आह्ह्ह अर्जुन … अह्ह्ह हाह … हानन्न फाड़ दो मेरी चूत … आःह मेरे राजा … चोदो अपनी रानी को!”
मैं थक गयी. आखिर कब तक अपने जिस्म के भार और अर्जुन के लंड का झटका झेल पाती. मेरे हाथ अब और मुझे संभाल नहीं सकते थे. मैं कांपने लगी उसकी चुदाई से!
फिर भी मैं चिल्लाये जा रही थी- हहम्म फ़क अर्जुन … आह्ह्ह … जोर से चोदो मुझे … फाड़ दो मेरी चूत।”

अर्जुन को मेरी हालत का अंदाजा हुआ, उसने मुझे ऊपर अपनी गोद में बिठा लिया और हम दोनों काउच पे आ गए. मैं बड़े जोश में थी. वो मुझे काउच पे स्पूनिंग पोजीशन में चोदने लगा. मेरे चूचों को मसलते हुए मेरी मस्त चुदाई कर रहा था.
हमारी मादक सिसकारियां और चुदाई की थाप पूरे कमरे में गूँज रही थी।

हमने पोजीशन बदली और कुतिया बनकर बेड पे आ गयी. वो मुझे धकापेल चोदने लगा मैं और वो सिसकारियां लेने लगी. हम दोनों एक दूसरे को अपने में समा लेना चाहते थे.
“अह्ह्ह अर्जुन … अह्ह्ह उम्म्म … हाहाहा … ऐसे ही हूँन्न … हहह चोदो अपने मस्त लौड़े से अपनी चाहत की चूत … आह आह उम्म्म मा … अर्जुन मैं आने वाली हूँ. आह्ह्ह और जोर से चोदो!”

पर उसकी प्लानिंग कुछ और थी. वो रुक गया और मुझे पलट कर पीठ के बल सुला दिया. मेरे नितंब के नीचे एक तकिया लगा दिया. अब उसने अपना लंड मेरे चूत पे सेट कर के मुझे जबरदस्त चोदने लगा. एक हाथ से मेरे चुचे मसल रहा था, एक से मेरे बाल और लबों से मेरे लबों को चूसे जा रहा था.

उसने झटकों की रफ़्तार बढ़ा दी. ‘आह्ह्ह्ह उम्म्म’ हमारी सिसकारियां एक दूसरे के मुँह के अन्दर दफ़न होने लगी.
वो थोड़ा ऊपर उठ के बोलने लगा- आह्ह्ह चाहत … उम्म्म मैं आ रहा हूँ!”
“मैं भी अर्जुन … अह्ह्ह जोर से चोदो … ओह्ह्ह!”

और एक जोरदार ऐंठन के साथ वो मेरे अन्दर झड़ने लगा. मेरी भी चूत उसके लावे के साथ अपना चूत रस झरने लगी.
“आःह्ह्ह” मैं जोर से चीखी और मेरी कमर नितंब कांपने लगे.

मेरी चूत अपने रस की बौछार कर बैठी थी जोकि मेरे चूत के साइड में बचे थोड़ी जगहों से पूरा जोर लगा के बाहर निकली. अर्जुन मुझे सँभालने लगा. मेरे पसीने छुटने लगे. ऐसा मुझे पहले कभी किसी ने नहीं झड़वाया था.

अर्जुन का लंड अभी भी मेरी चूत में था.

मैं थोड़ी देर में अपने होश में आई- ऊह्ह्ह अर्जुन … आई लव यू!
और उसे चूमने लगी- मैं तुम्हारे लंड को पाकर खुश हो गयी.

वो भी मुझे प्यार से बोलने लगा- मैंने भी तुम्हारी जैस मस्त मलिका नहीं चोदी चाहत! उम्म्म!
हम दोनों एक दूसरे से चिपके ही लेटे रहे।

करीब एक घंटे के बाद दोनों उठे. बेडशीट पूरी मेरे झड़ने से गीली हो गयी थी. मैं लेटी रही, मेरे जिस्म में बहुत कम जान लग रही थी लेकिन अर्जुन का लंड मेरे दिमाग से नहीं उतर रहा था.
हम दोनों ने उस रात अलग अलग तरह से चुदाई की.
थक गए तो एक एक बार एक दूसरे के लंड चूत को बस चूस कर झाड़ा.

सुबह हमने कमरे बदल लिया. अर्जुन ने वो कमरा साफ करवा दिया समीर को पैसे देकर!
फिर कुछ जूस वगैरा लेकर हमने फिर 3 राउंड चुदाई की.

अर्जुन ने मेरा पूरा ख्याल रखा. मेरी फ्लाइट से 3 घंटे पहले हमने एक बार और यादगार चुदाई की. उसने मेरे चूत की मालिश भी की ताकि चूत का दर्द कम हो जाये।

रात को करीब 7.30 बजे मुझे उसने एअरपोर्ट ड्राप कर दिया. हमने एक दूसरे को गुडबाय किस किया जैसे कपल हों.
और थे भी … भले चुदाई कपल!
हा हा हा!

हमने एक दूसरे को वादा किया कि कभी भी वो दिल्ली आये या मैं बंगलौर आऊँ तो हसीं रात साथ गुजारेंगे।

मैं ये सोचते हुए वहाँ से लौट आई कि अगर ऐसा लंड मिले तो कौन छोड़ेगा. मेरे चेहरे पे स्माइल और चूत में काफी सुकून था. मैं तो यह सोच के डर रही थी कि ऐसी चुदाई मेरी गांड की होती तो शायद मैं मर ही जाती!
हा हा हा!

तो मेरे दोस्तो, कैसी लगी आपको अपनी प्यारी चाहत की चुदाई की दास्तान? आप सब अपने जज्बात मुझे मेल कर सकते हैं.
मेरा मेल आईडी है
[email protected]
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तब तक के लिए आप सभी से विदा लेना चाहूंगी.
आपकी चहेती चाहत

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