चुद गई पापा की परी-2

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    चुद गई पापा की परी-1

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एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था, मैंने कॉल करके अविनाश को बुलाया हुआ था, हम दोनों पूरी तरह से प्यार भरी चुदाई के खेल में डूबे हुए थे।
तभी दरवाज़ा खोलकर किसी के दबे पाँव अन्दर आने की आवाज़ हुई।

इससे पहले कि हम दोनों अपने आप को सम्भालते, मम्मी ने घर में घुसते ही हम दोनों को देख लिया। मैं तुरंत बेड से उतर कर वाशरूम की तरफ भाग गई। मेरे जिस्म पर मोज़े और खुली हुई सफ़ेद शर्ट थी।

मम्मी ने अविनाश को बहुत बुरा भला कहा, उसको मम्मी ने थप्पड़ भी लगा दिए थे।
शाम को बात पापा तक पहुँच गई, उन्होंने ‘अभी बच्ची है!’ कहकर मुझे सीने से लगा लिया।
इस घटना के बाद अविनाश अचानक कहीं चला गया, फिर नहीं आया।

मम्मी की वजह से मैंने अपने बॉयफ्रेंड को खो दिया था लेकिन अविनाश की मुहब्बत मेरे जिस्म पर साफ दिख रही थी, कच्ची उम्र में भी मेरा फिगर 36-27-38 हो गया था।
पापा की मौत के बाद मेरा घर में रहना मम्मी को पसंद नहीं था, बात बात पर मेरी उनसे लड़ाई होती थी, शायद मैं उनके वैवाहिक या सेक्स जीवन में कवाब में हड्डी की तरह हो गई थी।

अभी मेरे नए पापा में और मम्मी में नया-नया जोश भी था।
मम्मी पापा का कमरा ऊपर था, नीचे सिर्फ़ एक कमरा और बैठक थी, मैं बैठक में ही सोती थी।

मेरे चूतड़ थोड़े से भारी हैं और कुछ पीछे उभरे हुए भी हैं… मेरे ब्लू टाईट शॉर्ट्स में चूतड़ बड़े ही सेक्सी लगते हैं। मेरे चूतड़ों की दरार में घुसी पैन्ट देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था… फिर पापा की नजर तो मेरे पर ही रहती थी, वह जवान ही थे और कभी-कभी मेरे चूतड़ों पर हाथ मार कर अपनी भड़ास भी निकाल लेते थे।
उनकी यह हरकत मेरी शरीर को कम्पकपा देती थी।
‘मेरी सेलेना गोम्स…’ कहकर वह हँस देते।

मैं भी उनको कामुक मुस्कान दे देती थी जिससे मम्मी चिढ़ जाती थीं, उनको मेरा पापा के साथ हंसी मज़ाक पसंद नहीं था।

मुझे मम्मी से बदला लेना था, मैं अन्दर ही अन्दर जल रही थी, कैसे बदला लूं इस बात को लेकर सोचती रहती थी।

मम्मी की अनुपस्थिति में पापा मुझसे छेड़छाड़ भी कर लिया करते थे और मैं भी पापा को आँखों में इशारा करके मज़ा लेती थी। मैं उन्हें जान-बूझ कर के और छेड़ देती थी।

रात को हम डिनर करते थे, फिर पापा और मम्मी जल्दी ही अपने कमरे में चले जाते थे।
लगभग दस बजे मैं अकेली हो जाती थी… और कम्प्यूटर पर कुछ-कुछ खेलती रहती थी।

ऐसे ही एक रात को मैं अकेली रूम में बोर हो रही थी… नींद भी नहीं आ रही थी… तो मैं घर की छत पर चली आई।
ठण्डी हवा में कुछ देर घूमती रही, फिर सोने के लिये नीचे आई।

जैसे ही मम्मी के कमरे के पास से निकली मुझे ससकारियों की आवाज आई। ऐसी सिसकारियाँ मैं पहचानती थी… जाहिर था कि मम्मी चुद रही थी… मेरी नज़र अचानक ही खिड़की पर पड़ी… वो थोड़ी सी खुली थी।

मेरी जिज्ञासा जागने लगी, दबे कदमों से मैं खिड़की की ओर बढ़ गई… मेरा दिल धक से रह गया…
मम्मी बिस्तर पर सलवार खोले घोड़ी बनी हुई थी और पापा पीछे से उसकी गोरी गांड चोद रहे थे।
मुझे सिरहन सी उठने लगी।

पापा ने अब मम्मी के बोबे मसलने चालू कर दिये थे… मेरे हाथ स्वत: ही मेरे स्तनों पर आ गये… मेरे चेहरे पर पसीना आने लगा… पापा को मम्मी की चुदाई करते पहली बार देखा तो मेरी चूत भी गीली होने लगी थी।

इतने में पापा झड़ने लगे… उसके वीर्य की पिचकारी मम्मी के सुन्दर गोल गोल चूतड़ों पर पड़ रही थी।

मैं दबे पाँव वहाँ से हट गई और नीचे की सीढ़ियां उतर गई।
मेरी साँसें चढ़ी हुई थीं, धड़कनें भी बढ़ी हुई थीं। दिल के धड़कन की आवाज़ कानों तक आ रही थी।

मैं बिस्तर पर आकर लेट गई… पर नींद ही नहीं आ रही थी, मुझे रह रह कर मम्मी पापा की चुदाई के सीन याद आ रहे थे।
मैं बेचैन हो उठी और अपनी चूत में उंगली घुसा दी… और ज़ोर-ज़ोर से अन्दर घुमाने लगी, कुछ ही देर में मैं झड़ गई।

मुझे मम्मी से बदला लेने के लिए युक्ति मिल गई थी, दिल कुछ शान्त हुआ।

सुबह मैं उठी तो पापा दरवाजा खटखटा रहे थे।
मैं तुरन्त उठी और कहा- दरवाजा खुला है… पापा!

पापा चाय ले कर अन्दर आ गये, उनके हाथ में दो प्याले थे, वो वहीं कुर्सी खींच कर बैठ गये- गुड मोर्निंग मेरी बेबी, मजा आया क्या?
मैं उछल पड़ी… क्या पापा ने कल रात को देख लिया था?
‘जी क्या… किसमें… मैं समझी नहीं…?’ मैं घबरा गई।

‘वो बाद में… आज तुम्हारी मम्मी को दो दिन के लिए नानी के घर जाना है… अब आपको घर संभालना है।’
‘हम लड़कियाँ यही तो करती हैं ना… फिर और क्या क्या संभालना पड़ेगा?’ मैंने पापा पर कटाक्ष किया।
‘बस यही है और मैं हूँ… संभाल लेगी क्या?’ पापा भी दुहरी मार वाला मज़ाक कर रहे थे।

‘पापा… मजाक अच्छा करते हो!’ मैंने अपनी चाय पी कर प्याला मेज़ पर रख दिया।
मैंने बेड से उठने के लिये जैसे ही अपने पैर उठाये तो मेरी स्कर्ट ऊपर को उठ गई और मेरी नन्ही सी प्यारी नंगी चूत पापा को नज़र आ गई।

मैंने जानबूझ कर पापा को एक झटका दे दिया, मुझे लगा कि आज ही इसकी ज़रूरत है।
पापा एकटक मुझे देखने लगे… मुझे एक नज़र में पता चल गया कि मेरा जादू चल गया।
मैंने कहा- पापा… मुझे ऐसे क्या देख रहे हो?
‘कुछ नहीं बेटी… सुबह-सवेरे अच्छी अच्छी चीजों के दर्शन करना शुभ होता है!’
मैं तुरंत पापा का इशारा समझ गई… और मन ही मन मुस्कुरा उठी।

शाम को मैंने अपनी टाईट मिनी स्कर्ट पहन ली और मेकअप कर लिया। पापा के आते ही मैंने डिस्क जाने की फ़रमाईश कर दी।

वो फ़िर से कार में बैठ गये… मैं भी उनके साथ वाली सीट पर बैठ गई। पापा मेरे साथ बहुत खुश लग रहे थे। कार उन्होंने कोल्ड-ड्रिंक की दुकान पर रोकी, कोल्ड-ड्रिंक पापा ने कार में ही मंगा ली।

‘हाँ तो मैं कह रहा था कि मजा आया था क्या?’
मुझे अब तो यकीन हो गया था कि पापा ने मुझे रात को देख लिया था।
‘हां… मुझे बहुत मज़ा आया था!’ मैंने प्रतिक्रिया जानने के लिए तीर मारा।

पापा ने तिरछी निगाहों से देखा और हँस पड़े- अच्छा, फिर क्या किया?
‘आप बताओ कि अच्छा लगने के बाद क्या करते हैं?’ पापा का हाथ धीरे धीरे सरकता हुआ मेरी जांघों पर आ गया। मैंने कुछ नहीं कहा… लगा कि बात बन रही है।

‘मैं बताऊँगा तो कहोगी कि अच्छा लगने के बाद आईसक्रीम खाते हैं।’ और हँस पड़े और मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैं पापा को तिरछी नजरों से घूरती रही कि ये आगे क्या करेंगे, मैंने भी हाथ दबा कर इकरार का इशारा किया।
हम दोनों मुस्कुरा पड़े, आँखों आँखों में हम दोनों सब समझ गये थे।

मैंने टाइट रेड मिनी स्कर्ट के साथ काली कलर की टॉप पहनी थी। हम डिस्को पहुंचे और अंदर वहाँ सभी लोग मुझको घूर घूर कर देख रहे थे।
पापा ने मुझे कोई ड्रिंक की थमा दी, मैं उनका मुँह देखने लगी तो वे बोले- बच्चों वाली है, पी लो।
मैं पापा के साथ डांस करते हुए ड्रिंक करने लगी।

तभी एक आदमी ने नशे में डोलते हुए पापा से पूछा कि यह तेरी गर्लफ्रेंड तो बहुत ही अच्छा माल है।
तो मैंने उसे कहा- अंकल, आप चुप रहो, ऐसा मत बोलो…
तो पापा ने कहा- यह मेरी बेटी है।
पापा को तुरंत अपनी गलती का एहसास हुआ, मैंने स्माईल दी और डांस करने लगी।

हम करीब 2 बजे डिस्क से वापस आए और अपने अपने रूम में चले गये। पर एक झिझक अभी बाकी थी।
पापा अपने कमरे में जा चुके थे… मैं निराश हो गई… सब मज़ाक में ही रह गया, मैं अनमने मन से बिस्तर पर लेट गई।

रोज की तरह आज भी मैंने बिना पैन्टी के एक छोटी सी फ्रॉक पहन रखी थी… मैंने करवट ली और सोने की कोशिश करने लगी।
अचानक मेरा सेक्स मूवी देखने का मन करने लगा और मैंने नेट से कुछ पोर्न मूवी डाउनलोड करके देखने लगी।

उनको देखते देखते मैं बहुत गर्म हो गई और अपनी चूत में उंगली करने लगी। मेरे मुख से जोर से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगी थी।
तभी पता नहीं कहाँ से पापा अन्दर आ गए और उन्होंने मुझे ये सब करते हुए देख लिया।
मैं डर गई और जल्दी से अपने कपड़े ठीक करने लगी और मेरा मम्मी का पति मेरे कमरे से बाहर चला गया।

फिर कुछ देर बाद मैंने पापा को जाकर सॉरी बोला। पापा ने मुझे कुछ भी नहीं कहा और कुछ देर ऐसे ही चुपचाप खड़े रहने के बाद, मैंने पापा को कहा– पापा, प्लीज मम्मी को कुछ मत बोलना, वरना मम्मी मेरी वाट लगा देंगी।

मेरे पापा ने मुझे देखा और बोले– तू टेंशन मत ले, मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊँगा। जो तू कर रही थी, वो आजकल हर लड़की करती है।
फिर मैंने उसको थैंक्स बोला और वहीं बैठ गई, उससे पूछा– पापा, आपकी कोई शादी से पहले गर्लफ्रेंड थी क्या?
पापा ने कहा– नहीं।

फिर मैंने कुछ सोच कर बोला– पापा आप भी तो जब मम्मी नहीं होती अपना हिलाते ही होंगे?
पापा ने मुस्कुरा कर जवाब दिया– हाँ, हिलाकर ही शांत होता हूँ।
फिर पापा ने मुझसे पूछा– तू ब्लू फिल्म देखती है?
मैंने कहा– हाँ, देखती हूँ।

पापा ने कहा– मेरे साथ देखेगी?
मैंने कहा– नहीं पापा। हम बाप बेटी हैं।
पापा ने कहा– इतनी टेंशन क्यों कर रही है? कौन सी तू मेरी सगी बेटी है। सिर्फ देखेंगे, कुछ करेंगे नहीं।
मैंने बोला– ठीक है।

और फिर मेरे पापा ने अपने लैपटॉप में एक मस्त सी पोर्न मूवी लगा दी, हम दोनों बैठ कर मूवी देखने लगे।
फिर मूवी देखते देखते पापा अपने लंड को बाहर निकाल कर हिलाने लगे।

मैं बोली– पापा, यह क्या कर रहे हो?
पापा बोले– तू भी तो अपनी चड्डी खोल कर फिन्गरिंग कर रही थी। और अब भी अगर तू चाहे, तो अपनी खोल कर फिन्गरिंग कर सकती है।

यह बात सुनकर मुझे भी जोश चढ़ गया और मैं भी गर्म हो चुकी थी, मैंने भी अपनी जांघें खोलकर फिन्गरिंग करनी शुरू कर दी।

‘चूसेगी?’
मैंने शर्माते हुए न में सिर हिला दिया।

फिर मैंने अपने आप ही अपने पापा का लंड पकड़ लिया और उसको अपने मुँह में लेने लगी।
मैंने काफी देर तक उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसा और उसको हिलाने लगी।

‘आह मेरी बेबी… पापा की परी… चूस..चूस और जोर से चूस!’ मैंने अपने पापा के लंड को बहुत देर तक चूसा और जब उसने पानी छोड़ दिया, तो उसका पानी भी पी लिया।

फिर मैंने अपने पापा को बोला– पापा, अपनी मासूम बच्ची को चोद दो, फक मी प्लीज! आज बना लो अपनी बेटी को अपनी रखैल!
पापा यह सुन कर पागल हो गए और मुझे पकड़ लिया और मेरे होंठों पर चुम्बन करने लगे।

किस करते करते वो मेरे बूब्स दबा रहे थे।
काफ़ी देर तक हमारी किसिंग चलती रही तब पापा ने बोला– चल अब मेरा लंड चूस।

हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और एक दूसरे को चूसने लगे। चूसते चूसते काफी टाइम हो गया तो मैंने पापा से बोला– पापा, अपनी बेटी को चो दो अब… प्लीज फक मी, अब और कण्ट्रोल नहीं हो रहा है मुझसे!

पापा भी कम चालाक नहीं थे, वो मुझे खूब तड़पा रहे थे और मेरी पुसी में उंगली कर रहे थे। मेरे से तो रहा ही नहीं जा रहा था, मैं जोर जोर से सिसकारियाँ ले रही थी- आहाहह अहह अहहः अहहाह उऔ औऔऔअ उईईईइ फक मी प्लीज अहहहः अहहाह प्लीज अब तो लंड डाल दो… प्लीज… फक मी हार्ड… मेरी पुसी बहुत प्यासी है… प्लीज … और मत तड़पाओ…

‘कमीने चोद मुझे… जैसे मेरी मम्मी को रंडी की तरह चोदता है!’ मैं कुछ भी बक रही थी, मेरी चूत में आग सी लगी हुई थी।

पापा ने अपना 7 इंच का लंड का टोपा मेरी चूत पर रखा और एक जोरदार झटका मारा और उनका टोपा अन्दर चला गया।
‘ले मादरचोद रंडी की औलाद… ले मेरे लंड को अन्दर तक ले!’ इसी बीच… उसने एक और जोरदार झटका मारा और इस बार उसका आधा लंड अन्दर घुस गया।

मेरी तो हालत ख़राब हो गई थी… बहुत जबरदस्त दर्द हो रहा था, मैंने पापा से बोला– पापा, प्लीज इसे बाहर निकालो… मैं मर जाऊँगी… बहुत दर्द हो रहा है मुझे!
मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था।
पापा मुझे किस करने लगे और कुछ देर रुक गए, उनका आधा लंड ही मेरी चूत में था।

कुछ देर बाद मेरा दर्द कम होने लगा और मेरा शरीर शांत सा हुआ, पापा ने फिर से एक और झटका मार दिया और उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुसता चला गया… इस बार भी मेरे मुख से जोरदार चीख निकली और मुझे बहुत दर्द होने लगा लेकिन इस बार पापा मेरी नहीं सुन रहे थे, वो अपने लंड को दनादन मेरी चूत में पेले जा रहे थे।

कुछ देर बाद मुझे भी मज़ा आने लगा और मैं भी पापा का साथ देने लगी थी, पूरे कमरे में हमारी चुदाई की छप छप छप की आवाज़ें आ रही थी।

करीब पंद्रह मिनट के बाद, मेरा बाप झड़ने जा रहा था और मैं तब तक दो बार झड़ चुकी थी।
फिर मैंने पापा को बोला– बाहर ही झड़ना, नहीं तो मैं प्रेग्नेंट हो जाऊँगी।

लेकिन मेरे सौतेले बाप ने अपने लंड का माल मेरे मुँह में डाल दिया और हम दोनों वहीं बिस्तर पर लेट गए।

आधे घंटे बाद हम फिर से तैयार हो गए थे।

पापा के हाथ मेरे चिकने गोरे चूतड़ों पर फ़िसलने लगे… ए सी की हवा मेरे चूतड़ों पर लग रही थी।
पापा धीरे से मेरी पीठ से चिपक कर लेट गये… उनका लंड खड़ा था… उसका स्पर्श मेरी चूतड़ों की दरार पर हो रहा था, उसके सुपारे का चिकनापन मुझे बड़ा प्यारा लग रहा था।

पापा मेरी चूचियों को इतनी कसकर मसल रहे थे जैसे उखाड़ ही लेंगे। पापा मेरी चूचियों को मसलते हुए बोले- बेबी, कोल्ड क्रीम और टॉवल तो लेकर आ!
‘पापा, क्रीम क्यों?’
‘अरे लेकर आ… तब बताऊँगा!’

मैं क्रीम और टॉवल ले बैडरूम में पहुंची, मैं बहुत खुश थी, जानती थी कि क्रीम क्यों मंगाई है।
कमरे में पहुंची तो पापा बोले- आओ बेबी!

मैं गुदगुदाते मन पापा के पास बैठ गई, पापा मेरे पीछे आये और अपने दोनों हाथ मेरी कड़ी चूचियों पर लाये और दोनों को प्यार से
दबाने लगे। पापा के हाथ से चूचियों को दबवाने में बड़ा मजा आ रहा था।
पापा मेरी कड़ी चूचियों को मुट्ठी में भरकर दबा रहे थे साथ ही दोनों घुंडियों को भी मसल रहे थे, मैं मस्ती से भरी मजा ले रही थी।

तभी पापा ने पूछा- बेटी, तुमको अच्छा लग रहा है?
‘हाय पापा, बहुत मजा आ रहा है।’

पापा ने मेरी चूचियाँ मसलते हुए कुतिया की अवस्था में आने को कहा तो यकीन हो गया हो गया कि आज पापा अब लंड मेरी गांड में घुसाएँगे।

मैं कुतिया बन गई, पीछे से आकर पापा ने मेरे बोबे जोर से पकड़ लिए और लंड मेरी गांड की दरार पर दबा दिया।
मैंने लंड को गांड ढीली कर के रास्ता दे दिया और पापा के लंड का सुपारा एक झटके में छेद के अन्दर था।

‘पापा… हाय रे… मेरी गांड मार दी… फ़ाड़ दिया मेरी पिछाड़ी को…’ मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी।
पापा का लंड मेरी गांड की गहराइयों में मेरी सिसकारियों के साथ उतरता ही जा रहा था।

‘मेघा जो बात तुझमें है, तेरी मम्मी में नहीं है!’ पापा ने आह भरते हुए कहा।

लंड एक बार बाहर निकल कर फिर से अन्दर घुसा जा रहा था, हल्का सा दर्द हो रहा था। पर पहले भी मैं गांड चुदवा चुकी थी।

अब पापा ने अपनी उंगली मेरी चूत में घुसा दी थी और दाने के साथ मेरी चूत को भी मसल रहे थे। मैं आनन्द से सराबोर हो गई, मेरी मन की इच्छा पूरी हो रही थी… पापा पर दिल था और मुझे अब पापा ही चोद रहे थे।

‘मत बोलो पापा, बस चोदे जाओ… हाय कितना मज़ा आ रहा है… चोद दो अपनी बच्ची की गांड को…’ मैं बेशर्मी पर उतर आई थी।

उसका मोटा लंड तेजी से मेरी गाँड में उतराता जा रहा था… अब पापा ने बिना लंड बाहर निकाले मुझे उल्टी लेटा कर मेरी भारी चूतड़ों पर सवार हो गये और हाथों के बल पर शरीर को ऊँचा उठा लिया और अपना लंड मेरी गाँड पर तेजी से मारने लगे… उनका ये फ्री स्टाईल चोदना मुझे बहुत भाया।

‘संजय, मेरी चूत का भी तो ख्याल करो या बस मेरी गांड ही मारोगे?’ मैंने पापा को नाम से बुलाया।
‘मेरी मासूम बच्ची, मेरी तो शुरू से ही तुम्हारी गांड पर नजर थी… इतनी प्यारी सी गांड… उभरी हुई और इतनी गहरी… हाय मेरी जान… तेरी मम्मी से शादी करने का मेरा असल मकसद तेरी मासूम गुलाबी चूत को चोदना ही था।’

पापा ने लंड बाहर निकाल लिया और चूत को अपना निशाना बनाया- जान… चूत तैयार है ना, ले ये गया मेरा लंड तेरी चूत में… हाय इतनी चिकनी और गीली…’ और उसका लंड पीछे से ही मेरी चूत में घुस पड़ा।

एक तेज मीठी सी टीस चूत में उठी, चूत की दीवारों पर रगड़ से मेरे मुख से आनन्द की सीत्कार निकल गई।

‘हाय रे… पापा मर गई… मज़ा आ गया… और करो….’ पापा का लंड गाँड मारने से बहुत ही कड़ा हो रहा था… पापा के चूतड़ खूब उछल उछल कर मेरी चूत चोद रहे थे।

मेरी चूचियाँ भी बहुत कठोर हो गईं थीं, मैंने पापा से कहा- पापा, मेरी चूचियाँ जोर से मसलो ना… खींच डालो!’

पापा तो चूचियाँ पहले से ही पकड़े हुए थे पर हौले-हौले से दबा रहे थे। मेरे कहते ही उन्हें तो मज़ा आ गया, पापा ने मेरी दोनों चूचियाँ मसल के रगड़ के चोदना शुरू कर दिया।
मेरे दोनों चूतड़ों की गोलाईयाँ उसके पेडू से टकरा रहीं थीं… लंड चूत में गहराई तक जा रहा था… मैं कुतिया बनी हुई थी वह घोड़े की तरह चूतड़ के धक्के मार मार कर मुझे चोद रहे थे।

मेरे पूरे बदन में मीठी-मीठी लहरें उठ रहीं थीं, मैं अपनी आँखों को बन्द करके चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी, मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, पापा के भी चोदने से लग रहा था कि मंज़िल अब दूर नहीं है, उनकी तेजी और आहें तेज होती जा रही थी… उसने मेरी चूचुक जोर से खींचने चालू कर दिये थे।

मैं भी अब चरम सीमा पर पहुँच रही थी, मेरी चूत ने जवाब देना शुरू कर दिया था, मेरे शरीर में रह रह कर झड़ने जैसी मिठास आने लगी थी।
अब मैं अपने आप को रोक ना सकी और अपनी चूत और ऊपर दी, बस उसके दो भरपूर लंड के झटके पड़े कि चूत बोल उठी कि बस बस… हो गया- पापा ऽऽऽऽऽ बस… बस… मेरा माल निकला… मैं गई… आऽऽई ऽऽऽअऽ अऽऽऽआ…

मैंने ज़ोर लगा कर अपनी चूचियाँ उससे छुड़ा ली, बिस्तर पर अपना सर रख लिया और झड़ने का मज़ा लेने लगी।
पापा का लंड भी आखिरी झटके लगा रहा था।

फिर आह… उनका कसाव मेरे शरीर पर बढ़ता गया और उन्होंने अपना लंड बाहर खींच लिया।

झड़ने के बाद मुझे तकलीफ़ होने लगी थी… थोड़ी राहत मिली… अचानक मेरे चूतड़ और मेरी पीठ उसके लंड की फ़ुहारों से भीग उठी… पापा झड़ रहे थे, रह रह कर कभी पीठ पर वीर्य की पिचकारी पड़ रही थी और अब मेरे चूतड़ों पर पड़ रही थी।

पापा लंड को मसल मसल कर अपना पूरा वीर्य निकाल रहे थे।

जब पूरा वीर्य निकल गया तो पापा ने पास पड़ा तौलिया उठाया और मेरी पीठ को पौंछने लगे- मेघा, तुमने तो आज मुझे मस्त कर दिया!
पापा ने मेरे चेहरे को किस करते हुए कहा।

मैं चुदने की खुशी में कुछ नहीं बोली पर धन्यवाद के रूप में उन्हें फिर से बिस्तर पर खींच लिया।

मुझे अभी और चुदना था, मम्मी दस दिन तक घर से बाहर रहीं मैं लगातार अपने सौतेले पापा से अपनी चूत और गांड चुदवाती रही।
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