चूत जो खोजन मैं चल्या चूत ना मिल्यो कोय

दोस्तो, मैं आपका दोस्त कुणाल सिंह कानपुर से! मेरी एक सेक्स कहानी
मेरी जयपुर वाली मौसी की ज़बरदस्त चुदाई
पहले भी तीन भागों में अन्तर्वासना पर आ चुकी है. लेकिन आज की कहानी मेरी पिछली कहानी से भी पहले की है जब मैं किसी चूत के लिए तरस रहा था, तड़प रहा था.

मुझे उम्मीद है कि मेरी यह कहानी पढ़ कर आपको मेरी और मेरे जैसे और भी नौजवानों की हालत समझ में आएगी, और हो सकता है किसी को मेरी इस हालत पर तरस भी आ जाए।

बात कुछ यूं है दोस्तो कि मैं कुणाल सिंह एक 24 साल का हैंडसम नौजवान हूँ। रंग रूप, कद काठी, किसी चीज़ की कमी नहीं है मुझमें। अगर कमी है तो बस हिम्मत की! मैं बचपन से ही बहुत शर्मीला रहा हूँ। पढ़ाई में होशियार, मगर बाकी सब कामों में फिसड्डी। पढ़ाई में अच्छा था तो स्कूल खत्म होने के बाद पिताजी ने आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली भेज दिया।

दिल्ली में मैं अपनी मौसी के घर रुका। मेरी मौसी की बेटी मेरी हम उम्र थी, मगर वो दिल्ली में रहने के कारण मुझे गँवार ही समझती थी इसलिए मुझ पर हुकुम चलाना, मुझे नीचा दिखाना उसकी आदत थी।

मैं कुछ दिन तो मौसी के घर रहा, मगर ज़्यादा दिन मैं वहाँ रह नहीं पाया, फिर मैं पिताजी से बात करके एक पीजी में शिफ्ट हो गया। कभी कभी मन में बहुत विचार आता के अगर मौका मिल जाए तो अपनी मौसी की लड़की को ही पेल दूँ।

अक्सर घर में वो निकर या बरमूडा में ही होती थी, ऊपर से एक ढीली ढाली से टी शर्ट। बहुत बार मैंने उसकी टी शर्ट के खुले गले के अंदर उसकी गोरी गोरी चूचियाँ झूलते हुये देखी थी। निकर में तो उसकी गोरी चिकनी जांघें अक्सर ही दिखती थी।
उसके नाम की बहुत मुट्ठ मारी, मगर मुझसे पटने की बात तो दूर, उसने कभी मेरे साथ ढंग से बात भी नहीं की।

अपनी मौसी को भी मैं उसी नज़र से देखता था। जब रात को अकेला होता, तो बड़ा दिल करता कि कोई आंटी, कोई गर्लफ्रेंड हो, जिसे मैं खूब मज़े ले ले कर चोदूँ… मगर ऐसी कोई नहीं थी।
लड़की से बात करने में घबराने वाला, कैसे किसी लड़की को पटा पाता। तो बस जब दिल मचलता तो मुट्ठ मारता।

कभी रात को घर की छत पर चला जाता, और जहां मौसी की बेडरूम है, वहाँ उनके बेड स्थिति नाप कर, वहाँ खड़ा हो कर मुट्ठ मारता- आह मौसी, देख इस छत के नीचे तू लेटी है, तेरा पति तेरी तरफ पीठ करके लेटा है, मगर मैं पूरा गर्म हूँ, देख मेरा लंड तेरे लिए ही अकड़ा हुआ है, मौसी उतार अपनी नाईटी… खोल अपनी चूत और ले ले लंड अपने यार का! और पी अपने यार का गरम माल!

कभी ऐसे ही अपनी मौसी की लड़की के कमरे की छत पर खड़ा हो कर मैं मुट्ठ मारता।

मगर ये सिर्फ मेरी ख्वाबखयाली ही थी, असल में तो मैं घर में छुपा सा रहता था। जब मेरा मन नहीं लगा तो फिर मैं एक पीजी में शिफ्ट हो गया। मेरे साथ और भी 5 लड़के उसी घर में रहते थे, मगर सब अलग अलग कोलेज में पढ़ते थे।

बेशक मैं घर से बाहर आ गया, मगर मेरा शर्मीलापन मेरे साथ ही रहा। अपनी क्लास की लड़कियों से बात करने में मुझे अभी भी बहुत हिचक थी। हमारे रूम में दो लड़के ऐसे थे, जिनकी गर्लफ़्रेंड्स थी और वो उनके साथ घूमते, पूरी ऐश करते और जब मौका मिलता तो उनको चोदते भी।
और हम बाकी के 4 झंडू बाम उनकी बातें सुनते और अंदर ही अंदर मन मसोस कर रह जाते। ज़्यादा होता तो रात को अपने बिस्तर पे लेटे लेटे या फिर बाथरूम में जा कर मुट्ठ मार लेते। मगर इस से ज़्यादा हमारे पास करने को और कुछ नहीं था।

दिल्ली से अपनी डिग्री करने के बाद वापिस अपने घर कानपुर आ गया। मगर यहाँ आ कर भी मेरे हालात वैसे ही रहे। मैं खुद महसूस करता था कि मैं लड़कियों से भी ज़्यादा शर्मीला था। पता नहीं क्यों लड़की देख कर तो मेरी घिग्गी बंध जाती थी।

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कानपुर में ही बहुत जगह नौकरी की ट्राई की, मगर कोई सफलता नहीं मिली तो मैंने आगे मास्टरज़ डिग्री करने की सोची। मगर इस बार मैंने दाखिला कानपुर के ही एक नए खुले कॉलेज में ले लिया।
क्लास में बहुत से लड़कियां थी, मगर बात तो तब बने जब मैं बात करूँ। एक दो लड़कियों ने देखा भी और लाइन भी दी, मगर मुझमें पकड़ने की हिम्मत ही नहीं। हमारी क्लास के करीब करीब सभी लड़कों ने सेक्स किया हुआ था, सिर्फ मुझे छोड़ कर। पर मैंने झूठ ही बोला था कि दिल्ली में मैंने बहुत सी रंडियाँ चोदी हैं। मैं वैसे ही झूठ मूठ के किस्से सुना देता।
मगर सच यह था कि मैं तो किसी भी लड़की या बदन को छूने को भी तरसता था।

बड़ी परेशानी थी… जब दिल किया, मुट्ठ मार लेनी! मगर मुट्ठ से भी दिल नहीं भरता। फिर सोचा क्या करूँ?

तब एक दोस्त से वैसे ही बात की। उसने कहा- जो पानी पीने वाली बोतल होती है न, प्लास्टिक की। अरे फ्रिज में रखते हैं जिसे, थोड़ी बड़े मुँह वाली, वो ले आ। बस रात को तेल लगा कर बोतल में डाल दे लंड, और पेल… मज़ा ही मज़ा!
मुझे उसका आइडिया अच्छा लगा, अगले ही दिन मैं बाज़ार से एक अच्छी सी बोतल देख कर ले आया, तेल की एक छोटी शीशी भर कर भी अपने रूम में रख ली।

रात को जब सब सो गए, तो मैंने सबसे पहले अपने रूम को लॉक किया, फिर अपनी लोअर चड्डी सब उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया और बेड पे लेट कर अपना लंड हिलाने लगा। मन में तरह तरह के विचार आने लगे कि आज अपने विचारों में किस को चोदूँ। क्लास की लड़कियां, सपना, अंकिता, आशु, यही सबसे सुंदर हैं। या कोई प्रोफेसर? नहीं यार! तो कोई पड़ोसन, ऊँ… हूँ…
कोई रिश्तेदार, मौसी, चाची, उनकी किसी की बेटी?

बहुत सोचने के बाद मेरी खोज मेरी एक आंटी पर रुकी, जो एक बहुत ही सेक्सी औरत हैं और मेरी मम्मी की किट्टी पार्टी की फ्रेंड हैं। बहुत ही गदराए हुये बदन की मालकिन हैं जैसी कि इस उम्र के लड़के सोचते हैं आंटी के साथ सेक्स, बिल्कुल वैसी हैं।

मैंने उनको ख्याल में लाकर अपना लंड सहलाया तो थोड़ी सी ही देर में मेरा लंड तन गया। मैंने उठ कर पहले अपने लंड पर तेल लगाया और फिर बोतल के मुँह में तेल लगाया, फिर बोतल को बेड पे रखा और दो सिरहाने उस पर रख कर बोतल को दबाया। फिर अपने लंड का टोपा उस बोतल के मुँह पर रखा।
“ओह शोभा आंटी, मज़ा आ गया! आज पहली बार मैं अपना लंड आपकी चूत में डालने जा रहा हूँ, ये लो, मेरा लंड अपनी चूत में स्वीकार करो!” कहते हुये मैं अपना लंड आगे को धकेला और तेल की चिकनाहट की वजह से वो फिच करके अंदर घुस गया।

सच में किसी की चूत में लंडन घुसने के जैसा तजुरबा था। अब सच में भी ऐसा ही मज़ा आता है या नहीं पर, मुझे बड़ा अच्छा लगा। मैं और ज़ोर लगाता गया और मेरा लंड पूरा का पूरा बोतल में घुस गया।
फिर मैंने शुरू की बोतल की चुदाई।
थोड़ी थोड़ी देर बाद मैं एक दो बूंद तेल टपका देता और पिचक पिचक कर मैं बोतल को चोदता रहा। क्या मस्त मज़ा था। बेशक बोतल थोड़ी टाईट थी, मगर चुदाई का मज़ा पूरा था। मैं यही सोच रहा था कि जो लोग लड़की की चूत मारते हैं, उन्हें भी ऐसा ही मज़ा आता होगा।

मुझे बड़ा मज़ा आया, और जब एक कसी हुई टाईट चूत को मैंने जम कर चोदा तो 5 मिनट में ही मेरा पानी गिर गया।
‘ओह…’ कितना आनंद आया, चूत (चाहे प्लास्टिक की ही थी) के अंदर ही अपना माल गिरा कर!

मैं वैसे ही बोतल के अंदर डाले लेट गया। कुछ देर बार जब लंड ढीला पड़ गया तो मैंने बोतल से निकाल लिया। फिर बोतल को अच्छी तरह से साफ करके, धोकर उसमें पानी भर कर रख दिया कि अगर कोई देखे तो सोचे के पीने के लिए पानी रखा होगा। उसके बाद तो हर रात यही कहानी होने लगी।

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मैंने अपनी जान पहचान की हर औरत को अपने ख्यालों में लाकर उस बोतल को चोद दिया। मगर बोतल टाईट थी, तो मुझे थोड़ी, दिक्कत होती थी। फिर मैंने सोचा कि कुछ इंतजाम किया जाए।
एक दिन मैंने बाज़ार में एक गुब्बारे वाले के पास गुब्बारे देखे जिन्हें उसने सेब की तरह बना रखा था।

कमीनी सोच… मैंने तभी सोच लिया कि अगर इस गुब्बारे को चोद कर देखा जाए, बोतल तो सख्त है, पर ये नर्म है।
मैं उससे एक गुब्बारा खरीद लाया, और अपने कमरे में छुपा दिया।

रात को मैंने उस गुब्बारे को चोदने की कोशिश की मगर उसमे लंड ही न घुसे, फिर मैंने उसके सुराख पर और अपने लंड पर हल्का सा तेल लगाया। इस बार मेरा लंड बड़े आराम से अंदर घुस गया, मगर दिक्कत ये कि ये बहुत ही ढीली चूत थी, साला बिल्कुल भी मज़ा नहीं आ रहा था। थोड़ी देर करने के बाद जब मज़ा नहीं आया, तो मैंने गुब्बारा खिड़की से बाहर फेंक दिया, और फिर से अपनी पेट बोतल निकाली और फिर से उसमें चोदा, पानी निकला तो मैं संतुष्ट हो कर सो गया।

मगर अभी भी मेरी खोज रुकी नहीं थी, एक बढ़िया और अच्छी नकली चूत की। अब वैसे तो बाज़ार में सेक्सी डॉल और बनी बनाई सिलिकोन की चूत मिलती है, मगर वो बहुत महंगी हैं तो मैंने यूटऊब पर भी नकली चूत के लिए सर्च किया। उसमें भी मुझे कुछ बढ़िया आइडियाज़ मिले, मगर सब के लिए, सामान ज़्यादा चाहिए था, और फिर उसको मैं छुपाता कैसे।

एक दिन एक और सेक्सी साइट पर एक और वीडियो देखी। उस विडियो में एक आदमी ने लौकी को आधा काट कर उसके अंदर का गूदा निकाल कर उसे एक चूत की तरह इस्तेमाल किया। मुझे यह आइडिया भी अच्छा लगा।

अगले दिन मैं बाज़ार से लौकी ले आया। रात को अपने रूम में मैंने पहले उसको बीच से आधा काटा, फिर उसके अंदर का गूदा खुरच खुरच कर निकाला, जब लगा कि यह छेद मेरे लंड के साइज़ का बन गया है तब मैंने अपने लंड को पहले तो हिला हिला कर खड़ा किया, फिर जब मैंने लौकी को बेड पे रख कर उसमे अपना लंड डाला, तो ये तो बिल्कुल आराम से अंदर घुसा, नरमी से घुसा। अंदर से पहले ही गीला होने की वजह से कोई तेल भी लगाने की ज़रूरत महसूस नहीं हुई।

ये प्रयोग बहुत बढ़िया लगा मुझे, बड़ा मज़ा ले कर लौकी को चोदा। बहुत अच्छी बीवी साबित हुई, ये लौकी तो। जब झड़ा तो अंदर ही माल गिरा गिया। फिर उस को भी धोकर लिफाफे में बंद करके रख दिया।

अगले दो तीन उस लौकी ने मुझे खूब स्त्री सुख दिया। मगर तीन दिन में ही वो 18 साल की जवान लड़की की चूत 80 साल की बूढ़ी औरत की चूत बन गई।

उसके बाद एक दिन मैं एक छोटा कद्दू ले कर आया। उसको चोदा, मगर वो भी ठीक नहीं लगा।

एक दिन एक छोटा तरबूज लाया, उसमे सुराख कर के उसको चोदा। मगर असली मज़ा आया, लौकी में ही। मैं अक्सर कहीं दूर से लौकी खरीद कर लाता और फिर उसको चोदता।

फिर कुछ भी प्रयोग करके देखे, जैसे मैं लौकी को चोद रहा हूँ तो एक लंबा बैंगन अपनी गांड में भी लेकर देखा। अब जब अपने ही बदन से खेलना है, तो अच्छी बुरी और चीज़ें भी करके देखनी चाहियें। मगर गांड में कुछ लेने का मुझे कुछ मज़ा नहीं आया इसलिए मैं सिर्फ चोदने के लिए ही लौकी की सब्जी लाता हूँ।

कभी कभी सोचता हूँ, लड़कियों के लिए भगवान ने कितनी चीज़ें बनाई हैं। बैंगन, लौकी, तुरई, खीरा, कुछ भी अपनी चूत या गांड में ले लो, मगर मर्द के लिए ऐसे कोई सब्जी नहीं बनाई, जिसमें पहले से ही सुराख हो, जिसमें मर्द अपना लंड घुसेड़ सके।

आजतक यही चल रहा है। मगर सच में मैं किसी औरत या लड़की चूत मारने को बहुत तड़प रहा हूँ।
प्लीज मुझे मेल करें, आपकी मेल पाकर मैं खुद को बहुत खुशनसीब समझूँगा।
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