कमसिन चचेरी बहन की चुदाई-2

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    कमसिन चचेरी बहन की चुदाई-1


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    कमसिन चचेरी बहन की चुदाई-3

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दोस्तो, आपने मेरी भाई बहन की चुदाई की कहानी में अब तक पढ़ा कि मैं अपनी चचेरी बहन अनुराधा को चोदना चाहता था और उसको पटाने में लगा था. इस खेल में मैंने फिलहाल उसे नंगी कर दिया था.
अब आगे..

वो विरोध करने लगी. काफ़ी सब्र करने के बाद मेरी हवस जवाब दे गई. मैंने उसे खींच कर बिस्तर पर पटक दिया तो वो थोड़ा घबराई सी रोने लगी.
मैंने कहा- नंगी हो पूरी..
अनुराधा- मुझे घर जाना हैं.
मैं- जरूर जाना.. मगर पहले नंगी हो. साली नखरे कर रही.. आज तो तेरी चुत चूस के ही रहूँगा.
अनुराधा- मतलब?
मैं- तुझे जैसा कहता हूँ वैसा कर.. तुझे बहुत मजा आएगा.
अनुराधा- क्या करूँ?
मैं- नंगी हो.. पूरी तरह से.
अनुराधा- क्यों?
मैं- मैं तुझे नंगी देखना चाहता हूँ.

वो धीरे-धीरे अपनी टी-शर्ट निकालने लगी. मैंने उसकी टी-शर्ट जल्द से निकल के फेंक दी. वो शर्म से छुपने लगी. मैं भी पूरा नंगा हो गया. उसकी आँखें बंद ही थीं. मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और अपने लंड पे रख दिया. तो उसने हाथ हटा लिया.

मैं- अगर तू जैसा मैं कहता हूँ वैसा नहीं करेगी तो मैं तुझसे कभी बात नहीं करूँगा.
वो सहम गई.
अनुराधा- मुझे शर्म आती है.
मैं- शर्म क्यों? मैं तेरा भाई हूँ. पहले तू आँखें खोल ना.
अनुराधा- नहीं.
मैं- प्लीज़..
उसने आँखें खोलीं और मेरे जिस्म पे नजर डाल कर सीधा लंड को देखने लगी.
मैंने कहा- देख इसे.. टच कर.
अनुराधा- ना..
मैं- जितना कहता हूँ उतना कर ना.

वो मान नहीं रही थी. मैंने काफ़ी समझाया उसे लेकिन मानी ही नहीं. मैंने उसके सामने एक बार मुठ भी मारी.
पहली बार किसी लड़की के सामने मैंने मुठ मारी और माल भी गिराया. वो मेरे लंड को देखने लगी.

करीब दस मिनट से मैं उसके सामने नंगा खड़ा था तो उसे भी अब शर्म नहीं आ रही थी. फिर भी वो अपनी चुत छुपा रही थी. मैं झड़ गया तो थोड़ा शांत हुआ.

हम फिर बिस्तर पर बैठ गए. इस बार इसने अपनी टांगें खोल ली थीं.. और नंगी होने की वजह से उसकी खूबसूरत चुत मेरे आँखों के सामने थी. मैंने उससे बात करनी शुरू की. मेरी बातों में गंदी बातें सेक्स की और चुदाई की ज्यादा थीं.
मैं- एक बात बता.
अनुराधा- क्या?
मैं- तू सुसू कैसे करती है?
अनुराधा- बैठ के.. जैसे सब लड़कियां करती हैं.
मैं- मगर.. लड़कियों के पास लंड कहाँ होता है.
अनुराधा- तो हम यहाँ से करते हैं ना!
उसने अपनी राइट हैंड की उंगली अपनी चुत पर रखी और बताने लगी.
मैं- मगर वो यहाँ पर कहाँ से निकलता है?

अभी तक वो भूल गई थी कि हम दोनों पूरी तरह नंगे हैं. उसने अपनी दोनों टांगें पूरी तरह खोल दी थीं और उसकी चुत के होंठ मेरे सामने थे. दुनिया में सबसे सुंदर चीज मेरे सामने थी. उसकी वर्जिन टाइट चुत.. जिस पर एक भी झांट नहीं थी और वो थोड़ी चमक भी रही थी. मतलब उसकी चुत भीग रही थी. उसे सेक्स चढ़ रहा था. कसम से अगर वो पूरी जवान होती तो मैं उसकी इतनी चुदाई करता कि उसकी चुत लाल हो जाती. उसके निपल्स चूस-चूस कर उनको लाल कर देता. तभी मुझे याद आया कि मैं निप्पल तो चूस ही सकता हूँ.

मैं- अनुराधा, लेट जा बिस्तर पर.
अनुराधा- क्यों?
मैं- बस लेट जा.

वो अपनी जगह से उठी और पीछे चली गई. मैंने उसका हाथ पकड़ा और जबरदस्ती उसे बिस्तर पर लेटा दिया. वो हंसने लगी. मैंने उसकी जाँघों को पकड़ा.. और उन्हें फैला दिया और उसकी चुत को नजरों से पीने लगा. मैं धीरे-धीरे उसके नंगे जिस्म पे चढ़ता गया और फाइनली उसके होंठों पर मैंने अपने होंठ रखे. उस पोजीशन में मैं उसके जिस्म पे पूरी तरह चढ़ गया था. हम दोनों के नंगे जिस्म एक-दूसरे से भिड़ रहे थे.

वो मेरी आँखों में देख रही थी. उसकी वो नशीली आँखें.. आह.. उन आँखों को देख कर मेरा लंड दोबारा खड़ा हो गया.

ऐसा कभी भी नहीं हुआ था कि मैंने मुठ मारी हो और 5 मिनट बाद फिर खड़ा हुआ हो. ये उसके जिस्म का जादू ही था कि मेरा लंड पत्थर सा हो गया.

मैंने उसको किस करना स्टार्ट किया. वो नहीं जानती थी कि किस कैसे करते हैं मगर वो मेरी कॉपी करने लगी. उसने मेरे होंठों को चूसना स्टार्ट किया.

मैं- कैसा लग रहा है?
अनुराधा- उम्म्म..
मैं समझ गया कि ये लड़की चुदने को रेडी हो गई. मैंने धीरे-धीरे उसके होंठों से नीचे आकर उसकी गर्दन को किस किया और उससे पूछा- मैं नीचे जाऊं?
अनुराधा- हाँ.

मैंने उसके राइट निप्पल को टच किया. उसके छोटे से लाइट ब्राउन निप्पल बिल्कुल सख़्त थे. मैंने उसका निप्पल चूसना शुरू किया और राइट हैंड से उसके लेफ्ट निप्पल को मसलने लगा.

मैं बारी-बारी से उसके निप्पल चूस रहा था. अब वो ‘आआअह आआअह.. उम्मह..’ करने लगी थी.

मैं- क्या हुआ? और चूसूं तेरे निप्पल.. कैसा लग रहा है?
अनुराधा- अच्छा लग रहा है.. और चूसो.
मैं- इसी तरह मैं तेरी चुत भी चूसने वाला हूँ.. चलेगा ना?
अनुराधा- हाँ..
मैंने सोचा कि मौका अच्छा है.
मैं- अपने हाथ से मेरा लंड पकड़.
जैसे कहने भर की देर थी.. उसने तुरंत अपने नाज़ुक हाथों से लंड को पकड़ लिया.
मैं- महसूस कर इसे..
अनुराधा- भैया बाद में करूँगी.. आह.. अभी मुझे कुछ हो रहा हैं.. मेरा सुसू निकल रहा है.. आआअह..

मैंने तुरंत उससे उठाया और बाथरूम में ले गया. उससे कमोड पर बैठा कर मैं भी उस पे बैठ गया. अब इस पोज़िशन में वो मेरे सामने थी और मेरा लंड और उसकी चुत ऑलमोस्ट टच कर रहे थे.

मैंने उससे कहा- कर सुसू..
अनुराधा- तुम गंदे हो जाओगे..
मैं- तू बस मूत.. मैं भी तेरी चुत पे मूतूंगा.
अनुराधा- नहीं..
मैं- मजा आएगा.. मैं देखना चाहता हूँ कि तू कैसे पेशाब करती है.
अनुराधा- ठीक है.

मेरी बहन ने मूतना स्टार्ट किया और सेम टाइम पर मैंने भी स्टार्ट कर दिया. मेरा मूत उसकी चुत पे गिरने लगा और उसने ‘अया..’ की. हम दोनों एक-दूसरे पे मूतने लगे और उसे मजा आने लगा. मैंने उसकी चुत पूरी गीली कर दी. जब पेशाब करना खत्म हो गया तो हम साफ़ करने गए.

मैंने कहा- चल एक-दूसरे को साफ करते हैं.

अब उसे कोई चिंता नहीं थी. जैसा मैं कहने लगा वैसा वो करने लगी. मैंने हैंडशावर लिया और बहन की चुत पर पानी डालने लगा. वो खड़ी थी, गरम मूत पर ठंडा पानी.. उसकी चुत भीग गई थी.

मैं- साफ कर ना.
अनुराधा- क्या?
मैं- तेरी चुत.
अनुराधा- साफ कैसे करूँ?
मैं- मैं कर दूँ?
अनुराधा- हाँ.

मैंने अपना हाथ उसकी चुत पे ले गया और पहली बार किसी चुत को फील किया. बिल्कुल भीगी थी और गरम भी. मैंने धीरे-धीरे हाथ फेर कर उसकी कमसिन चुत को साफ करता गया. मौका अच्छा देख कर मैंने उससे कहा- तू भी मेरे लंड को हाथ में ले ना.
उसने तुरंत हाथ में लंड ले लिया.
मैं- अब हिला इसे.
वो लंड को शेक करने लगी.
मैं- ऐसे नहीं.
मैंने उसका हाथ पकड़ा और लंड को ऊपर-नीचे करवाने लगा.
अनुराधा- ऐसे?
मैं- हाँ ऐसे..

अब वो मेरे लंड को हिला रही थी और मैं उसकी चुत को साफ कर रहा था. हम दोनों चरम पे पहुँच गए.. मैंने अचानक उसका रिएक्शन देखने के लिए अपना हाथ रोक दिया और खड़ा हो गया.

अनुराधा- क्या हुआ.. रुक क्यों गए? करो ना.
मैं- क्या करूँ?
अनुराधा- वो ही जो कर रहे थे.
मैं- बता तो.. क्या कर रहा था?
अनुराधा- मुझे शर्म आती है.
मैं- बोल.. बोल ना.
अनुराधा- मेरी चुत को साफ करो ना.
मैं- ठीक है, अगर तू चाहती है कि मैं वो करूँ तो तुझे भी मेरे लंड से कुछ करना होगा!
अनुराधा- हिला तो रही हूँ.. अब क्या करूँ?
मैं- इससे चूस..
अनुराधा- नहीं..
मैं- ठीक हैं.. मैं भी नहीं करता.

मैं उसके दिमाग़ से खेल रहा था. अगर ये आज लंड चूसती है, तो ज़िंदगी भर लंड चूसने से मना नहीं करेगी.

अनुराधा- मैं तुम्हारा लंड क्यों चूसूं? तुमने तो मेरी चुत नहीं चूसी?
मैं- तू बोली ही नहीं.. मैं तो तुझे चोदने तक को रेडी हूँ.
अनुराधा- चोदने को? मतलब?
मैं- बताऊंगा.. पहले लंड चूस.
अनुराधा- और मेरी चुत का क्या?
मैं- एक काम करते हैं.. तू मेरा लंड चूस मैं तेरी चुत चूसता हूँ. एक साथ करेंगे.
अनुराधा- वो कैसे?
मैं- आ जा बिस्तर पे चल.. बताता हूँ.

हम बिस्तर पे आ गए.

मैं- मैं बिस्तर पे लेटता हूँ और तू मेरे ऊपर लंड की तरफ मुँह करके लेट जा.
वो मेरे ऊपर चढ़ गई और उल्टी लेट गई. इसी दौरान जब वो चढ़ रही थी तो उसकी चुत मेरे लंड के ऊपर आ गई. और वो चीख पड़ी.
मैं- क्या हुआ?
अनुराधा- तुम्हारा लंड ने मुझे काटा!
मैं- काटा नहीं.. किस किया.. और जब ये अन्दर जाता हैं ना.. तो उसे चोदना कहते हैं.. वो भी सीखेगी क्या?
अनुराधा- नहीं.. दर्द होगा.
मैं- मजा भी उतना ही आता है.
अनुराधा- अब क्या करूँ?
मैं- तू उल्टी तरह से चढ़ी है. अपनी गांड मेरे मुँह के पास रख और अपने मुँह को मेरे लंड पर रख कर लेट.

उसने पोजीशन चेंज कर ली और हम 69 में आ गए. अब उसकी गांड मेरे सामने थी.
मैंने उससे कहा- अब तू लंड चूस.
मेरा लंड पूरी तरह खड़ा था. उसकी चुत मेरे आँखों के सामने थी, मगर उसके पैर आपस में बंधे हुए थे. मैंने उसकी जाँघों को किस किया और उसकी गांड पे हाथ रखा. उसकी गांड बिल्कुल सॉफ्ट थी.
मैं- तेरी गांड बहुत ही सुंदर है अनुराधा.
मैंने उसकी गांड को मसलना स्टार्ट किया.. उसकी दूध जैसी गोरी गांड पे मेरे उंगलियों के निशान बन गए. मैंने उसकी गांड को उस तरह मसला जैसे रोटी बनाते वक़्त आटा मसलते हैं. वो दर्द से कराह रही थी, पर उससे मजा भी आ रहा था.

मैं रुक गया.. अब मेरी नजर उसकी तरफ गई. वो सिर्फ़ लेटी थी और मेरे लंड को देख रही थी.
मैं- क्या कर रही है? मैंने तुझसे लंड चूसने को कहा.
अनुराधा- मुझे शरम आती है भाई.. मैं नहीं चूसूंगी.

मैंने अपने राइट हैंड से उसकी गांड पे जोर से एक चपत मारी तो उसकी गांड सुर्ख लाल हो गई.
अनुराधा- आआहह.. भैयाया.. मार क्यों रहे हो.. दर्द होता है.
मैं- साली रंडी बहन .. मैं तबसे तेरे गांड चाट रहा और तू मेरा लंड नहीं चूसेगी.. तब से गांड मेरे सामने खोल के लेटी है तो शर्म नहीं आ रही और अब शर्म आती.
अनुराधा- भैया मारो मत.. प्लीज़..अया.. दुख रहा..
मैं- तो जैसा कहता वैसा कर ना!

वो छटपटाने लगी.. मैंने उससे पकड़ लिया. उसकी गांड को अपने हाथों से दबाए रखा, जिससे वो उठ ना पाए.

मैं- मुँह खोल.. आज तो तू चूसेगी मेरा लंड..
अनुराधा- नहीं भैया जाने दो.
मैं- तू ऐसे नहीं मानेगी.

मैंने अपनी उंगली मुँह में डालकर उसे गीला किया और उंगली से उसकी गांड के छेद पे दबाने लगा.

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भाई बहन की चुदाई की कहानी जारी है.
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