मेरी कार सेक्स पोर्न स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी सहेली के दो दोस्तों से चलती कार में अपनी चूत की चुदाई करवाई. मेरे तीनों छेद उन दोनों ने कैसे ठोक कर मुझे मजा दिया?
हैलो फ्रेंड्स! आप लोगों ने मेरी पिछली कार सेक्स पोर्न स्टोरी के दो भाग
सहेली के ब्वॉयफ्रेंड से चलती कार में चुदाई
को इतना प्यार दिया इसके लिए धन्यवाद.
आज मैं अपनी कार सेक्स पोर्न स्टोरी वहीं से शुरू करती हूँ जहां मैंने अपनी पिछली सेक्स कहानी ख़त्म की थी.
नवरात्रि की रात को गरबा खेलने के बाद जब रुमित, भार्गव, तुषार और मैं जब घर आने के लिए निकले. तभी रास्ते में रुमित ने कार की पिछली सीट पर भार्गव और तुषार के सामने ही मुझे नंगी करके चोदा.
मुझे चोदने के बाद रुमित ने कार नाश्ता करने के लिए एक होटल की पार्किंग में रुकवाई. हम सब नाश्ता करने के लिए होटल में आ गए.
जब हम होटल में नाश्ता करने के लिए रुके, उस वक्त रात के ढाई बजे थे. होटल पर बहुत कम आदमी दिखाई दे रहे थे. भार्गव ने कार पार्किंग में पार्क की और हम सब नाश्ता करने अन्दर गए. सभी ने अपनी अपनी पसंद का नाश्ता मंगवाया.
तभी भार्गव ने हंसते हुए रुमित से कहा- यार रुमित … तुमने तो कार में ही पेट भरके नाश्ता कर लिया है … थोड़ा हमें भी तो नाश्ता कर लेने दिया होता.
ये सुनकर मैंने शरमाते हुए भार्गव को हाथ पर एक चपेट लगाई और हम सब हंसी मज़ाक करने लगे.
तभी अचानक मुझे मालूम हुआ कि मैं अपना पर्स तो कार में ही भूल आई हूँ. मैंने अपना मोबाइल भी उसी पर्स में रखा था.
तो मैंने भार्गव से पूछा- भार्गव, कार की चाबी तुम्हारे पास है न?
उसने कहा- हां … क्यों क्या हुआ?
मैंने कहा- अरे यार मैं अपना पर्स कार में ही भूल आई हूँ … और मेरा मोबाइल भी उसी में है. क्या तुम मुझे कार की चाबी दोगे … मैं पर्स ले आती हूँ.
भार्गव बोला- अरे पार्किंग में बहुत अंधेरा है … तुम अकेली कहां जाओगी. चलो मैं आता हूँ, तुम्हारे साथ.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर हम दोनों पार्किंग में उधर गए … जहां कार पार्क की थी. वहां बहुत अंधेरा था … और रात के तीन बजने को आए थे.
वहां इतना अंधेरा था कि मुझे बहुत डर लग रहा था. अंधेरे की वजह से मैंने भार्गव का हाथ पकड़ लिया.
ये देखकर भार्गव बोला- चलो इसी बहाने तुमने मेरा हाथ तो पकड़ा.
मैंने कहा- तुम्हें अभी मज़ाक सूझ रहा है … इधर अंधेरे के कारण मेरी जान जा रही है.
इसी तरह बात करते करते हम कार तक पहुंच गए. भार्गव ने कार का दरवाजा खोला … और कार की अन्दर की लाइट चालू की. जिससे मुझे पर्स ढूंढने में आसानी हो.
पर रुमित के साथ चुदवाते चुदवाते पता नहीं मैंने पर्स कहां रख दिया था कि मिल ही नहीं रहा था.
तभी भार्गव ने कहा कि शायद पर्स सीट के नीचे गिर गया होगा.
उसकी बात सुनकर मैं पर्स ढूंढने के लिए नीचे की ओर झुकी … तभी मैंने कार के सामने वाले कांच में मैंने देखा कि भार्गव पीछे से मेरा फिगर और मेरी गांड को बहुत गंदी नज़र से घूर रहा था. मुझे पता चल गया कि उसके मन में क्या चल रहा है.
फिर मैंने सीट के नीचे से अपना पर्स निकाला और लेकर कार की सीट पर बैठ गयी. मैंने अपना मोबाइल पर्स से निकाला … और देखा तो मोबाइल की बैटरी बची ही नहीं थी.
तभी मैंने कार से बाहर निकलते हुए भार्गव से कहा- अरे यार मेरे मोबाइल की बैटरी ही नहीं बची है … उसे चार्ज करना होगा … अब क्या करेंगे?
भार्गव बोला- तुम चिंता मत करो … कार में केबल है, उससे तुम चार्ज कर लो. लाओ, तुम्हारा मोबाइल मैं चार्जिंग में रख देता हूँ. थोड़ी ही देर में तुम्हारा मोबाइल चार्ज हो जाएगा.
ये कहते हुए उसने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिया और उसे आगे की सीट पर मोबाइल चार्जिंग के लिए लगा कर रख दिया.
मैंने कहा- अरे यार भार्गव … मोबाइल चार्ज होने में तो बहुत देर लगेगी … तुम रुमित को फ़ोन करके बोल दो कि हम दोनों यहीं कार मैं ही बैठे हैं.
भार्गव ने रुमित को फ़ोन करके बोल दिया … और मुझसे कहा- आओ हम दोनों अन्दर बैठ जाते हैं वरना खड़े खड़े थक जाएंगे.
मैंने हामी भरी और हम दोनों आगे की सीट पर बैठ गए.
रात के समय पार्किंग में हमारे सिवा कोई भी नहीं था. रुमित के साथ चुदवाने के बाद मैं बहुत थक गयी थी.
मैंने भार्गव से कहा- यार भार्गव … मैं बहुत थक गयी हूँ … मुझे नींद आ रही है. मैं पीछे की सीट पर जाकर सो जाती हूँ.
तभी भार्गव ने धीरे से अपना हाथ मेरी जांघ पर रखा और बोला- यार आशना … एक बात कहूँ … आज तुम्हारे उछलते हुए मम्मों को देखकर और तुम्हारी पतली और लचीली कमर को देखकर मेरा भी मन कर रहा है कि मैं तुम्हें मेरे लंड का स्वाद चखाऊं.
यह सुनकर मैं भार्गव के सामने देखती रह गई. उसकी दबी हुई वासना आखिर खुल कर सामने आ ही गई थी.
मैं उसे घूर कर देखने लगी.
भार्गव बोला- आशना … यार ऐसा मौका फिर कब मिलेगा. मैं तुम्हारी चूत का रस पीना चाहता हूँ.
उसकी ये बातें सुनकर मुझे भी कुछ कुछ होने लगा था … और मेरी चूत भी गीली होने लगी थी.
तभी भार्गव ने कहा- यार आशना अगर तुम चाहो … तो बस एक बार मेरा लंड देख लो. जब से मैंने तुम्हें चुदते देखा है, तब से ये साला बैठा ही नहीं है.
ये बोलते ही भार्गव ने मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया.
आआअहह … ओह्ह्ह … उसका लंड इतना कड़क था कि लंड हाथ में लेते ही मुझे शरीर मैं झनझनाहट होने लगी … और मैं अपने आप पर काबू नहीं कर सकी.
मैंने भी वासना से गरम होते हुए भार्गव से कहा- चलो पीछे चलते हैं.
ये सुनते ही वो बहुत खुश हो गया और हम दोनों कार में पीछे की सीट पर चले गए.
भार्गव ने पीछे जाते ही मुझे अपनी बांहों में ले लिया … और मेरे होंठों पर किस करने लगा.
‘आआआहह. … कितने प्यासे हो तुम!’
‘हां डियर..’
भार्गव के साथ किस करते करते मेरा हाथ उसके लंड पर जा रहा था. वो मेरे पूरे बदन को अपने हाथों से सहला रहा था.
हमम्म्म … आआहह …
थोड़ी देर बाद मैंने उसे धक्का देकर सीट पर लिटा दिया … और धीरे धीरे करके मैंने अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिए.
मैं जब अपने कपड़े निकाल रही थी तो भार्गव मुझे एसे ताड़ रहा था … मानो आज मुझे खा ही जाएगा.
मैंने धीरे धीरे करके अपने सभी कपड़े निकाल दिए और उसके सामने पूरी नंगी हो गयी.
मेरे नंगे बदन को देखकर उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और अपनी गोद में बिठाकर मेरे मम्मों को दबाने लगा.
मेरी आह निकलना शुरू हो गई ‘आआअहह … आअहम्म्म …’
उसके दोनों हाथ मेरे मम्मों को बहुत ज़ोर ज़ोर से दबा रहे थे … उसकी उंगलियां मेरी चुचियों को सहला रही थीं. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. थोड़ी देर तक मेरे मम्मों दबाने के बाद वो खड़ा हुआ … और उसने भी अपने सभी कपड़े निकाल दिए.
मेरी निगाहें भी उसके मर्दाना जिस्म पर अटक गई थीं. उसका खड़ा लंड देखकर ही मैं इतनी कामातुर हो गयी थी कि मैंने उसके नंगे होते ही उसका लंड पकड़कर अपने मुँह में ले लिया.
मुझे अलग अलग लोगों के लंड लेना बहुत पसंद है. ये बात भार्गव जानता था कि लंड मेरी कमज़ोरी है.
भार्गव का लंड मेरे मुँह में था … और मैं ज़ोर ज़ोर से उसका लंड मेरे मुँह में हिला रही थी. उसकी आंखें बंद थीं … और मैं देख रही थी कि उसे बहुत मज़ा आ रहा था.
जब मैं भार्गव का लंड अपने मुँह में लिए हिला रही थी, तभी अचानक रुमित और तुषार वहां आ गए … और उन्होंने हम दोनों को ये सब करते हुए देख लिया.
तभी तुषार बोला- अरे भार्गव … तुम आशना का मोबाइल चार्ज कर रहे हो या आशना को चार्ज कर रहे हो … अच्छा बच्चू … अकेले अकेले मज़े लिए जा रहे हैं!
उन दोनों के आ जाने पर मुझे बहुत शरम आने लगी. मैंने अपने हाथों से ही अपना मुँह छुपा लिया.
रुमित बोला- अरे आशना अब किससे शर्मा रही हो … मुझसे या तुषार से?
तब मैं शरम के मारे कुछ नहीं बोल सकी. ये देखकर वो धीरे से मुस्कुराया … और वो पीछे का दरवाजा खोल कर मेरे साथ आकर बैठ गया.
उसने धीरे से मेरे दोनों हाथ पकड़कर नीचे किए और रुमित से कहा- यार रुमित … अब तू कार चला ले … हम दोनों पीछे बैठते हैं … और आशना की शरम मिटाते हैं.
ये सुनकर मैं और शर्मा गयी.
रुमित ने कार चालू की और धीरे धीरे उसने हाइवे पकड़ लिया.
हाइवे पकड़ते ही तुषार ने भार्गव से कहा- अरे यार सीट को सीधा कर दे, तो सीट बड़ी हो जाएगी. फिर और ज़्यादा मज़ा आएगा.
भार्गव ने कार की सीट पीछे की ओर सीधा कर दिया, तो सीट बड़ी होकर बेड के जैसी हो गयी.
फिर भार्गव ने मुझे सीट पर लिटा दिया … और तुषार ने अपने सभी कपड़े निकाल दिए. वो मेरे मम्मों को दबाने लगा.
‘आआआहह … उउइइ म्म्म्माआ!’
आज मेरी ज़िंदगी में ऐसा पहली बार हो रहा था कि मैं एक साथ दो लोगों के साथ मज़े कर रही थी. तुषार ने भी अपने सभी कपड़े उतार कर सीट के ऊपर जहां मेरा मुँह था, वहां आ गया और धीरे से अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया.
आआअहह. … आज ही तीसरा लंड मुझे नसीब हो गया था.
दूसरी तरफ भार्गव नीचे से मेरी चूत को अपनी जीभ से चाट रहा था. उऊहह … मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था. मैं पूरी मस्ती में आ गयी थी … मेरी दोनों आंखें बंद हो चुकी थीं … और मैं चुदाई के पूरे मज़े ले रही थी.
थोड़ी देर बाद भार्गव ने मेरे दोनों पैर ऊपर किए और अपना लंड मेरी चूत में धीरे से सरका दिया.
उसका लंड चूत के अन्दर महसूस करते ही मेरी ‘आआअहह … ऊऊओह …’ निकल गई. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. एक ओर तुषार ने अपना लंड मेरे मुँह में दे रखा था, इसीलिए मेरी आवाज़ भी नहीं निकल रही थी.
भार्गव ने मेरी चूत में धक्का देना शुरू कर दिया. मुझे चूत में लज्जत आनी शुरू हो गई. लंड चूत में अन्दर लेते ही मेरी सारी थकान न जाने किधर छू-मंतर हो गई थी.
थोड़ी देर बाद उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और मेरे शरीर के ऊपर आकर मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा.
उसका लंड चूत में पूरी गहराई तक जा रहा था.
मेरे मुँह से मीठी दबी हुई आवाजें निकल रही थीं क्योंकि मेरे मुँह में लंड घुसा हुआ था.
‘गोंननंग गोंओं..’
तभी तुषार ने मेरे मुँह में से अपना लंड बाहर निकाला … और मेरे मुँह से चीख निकल गयी- आआअहह …
मुझे इस समय बहुत मज़ा आ रहा था. थोड़ी देर में भार्गव ज़ोर ज़ोर से धक्का देने लगा … और उसने मेरी चूत में ही अपना वीर्य निकाल दिया.
वो पसीना पसीना हो गया था … और मेरे बदन पर पड़े हुए मुझे किस कर रहा था.
तभी तुषार ने भार्गव से कहा- क्या यार … बस इतना ही पावर था … चल तू आगे चला जा … मुझे मोर्चा सम्भालने दे.
मुझे उसकी इस बात से हंसी आ गई. वास्तव में मैं अभी झड़ी नहीं थी.
फिर भार्गव कपड़े उठाकर बाहर निकला और अंधेरे में कपड़े पहनने के बाद रुमित के साथ आगे चला गया.
अब तुषार ने मुझे देखा और बोला- आशना चल, अब मैं तुझे दिखाता हूँ कि लौंडिया कैसे चोदते हैं.
तुषार की बात सुनकर मैंने कहा- ठीक है … मैं भी देखती हूँ कि तुममें भी कितना पावर है.
तुषार बोला- ऐसा है क्या … तो चल तू मुझे अपनी गांड दिखा … कैसी है.
उसने मुझे कमर से पकड़कर उलटा घुमा दिया … और पीछे से अपना लंड मेरी गांड में डालने लगा. उसकी इस हरकत से मैं डर गयी.
मैंने तुषार से कहा- यार प्लीज़ मेरी गांड में अपना लंड मत डालो, मुझे बहुत दुखेगा.
तुषार बोला- क्यों फट गई क्या … बस अभी से डरने लगीं … अरे मेरी जान कुछ नहीं होगा.
उसने मेरी एक ना सुनते अपना लंड मेरी गांड में लगा दिया और डालने की कोशिश करने लगा. उसके लंड का टोपा इतना बड़ा था कि मेरी गांड के अन्दर जा ही नहीं रहा था.
फिर भी उसने ज़ोर से मेरी गांड को चीरते हुए लंड मेरी गांड में ठूंस दिया.
‘आआअहह … आआअहह … उई मां मर गई.’ मेरी चीख निकल गई … मुझे बहुत दर्द हो रहा था.
मैंने तुषार से कहा- उन्ह … यार बहुत दर्द हो रहा है … प्लीज़ अपना लंड बाहर निकाल ले … मुझे सहन नहीं हो रहा है.
मेरी बात सुनकर तुषार ने मेरी गांड में ही अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया.
‘उउउइ म्म्मांआ …’ मुझे इतना दर्द हो रहा था कि मेरी आंखों से भी पानी निकलने लगा था. तुषार ज़ोर ज़ोर से मेरी गांड के अन्दर अपने लंड से धक्के दे रहा था.
दस मिनट तक वो मेरी गांड में अपना लंड हिलाता रहा.
आज मैं पहली बार किसी से गांड मरवा रही थी. मुझे बहुत दर्द हो रहा था. थोड़ी देर बाद उसने अपना पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया … और अन्दर बाहर करते हुए मेरी गांड मारता रहा.
मुझे बहुत दर्द होने लगा और मैं दर्द के मारे तेज स्वर में चीख रही थी … वो तो कार के शीशे बंद थे, जिस वजह से आवाज बाहर नहीं जा रही थी.
थोड़ी देर मेरी गांड मारने के बाद तुषार ने लंड बाहर निकाला … और उसने मुझे कमर से पकड़कर आगे की ओर घुमा दिया.
मैं सीट पर लेटी हुई सी हो गई थी … और वो मेरे सामने अपना लंड अपने हाथ से हिलाने लगा था. ये देखकर मैं बैठी सी हुई और अपने दोनों मम्मों से उसके लंड को मसलने लगी.
आआहह … उसका लंबा और सख़्त तना हुआ लंड मुझे बड़ी गर्मी दे रहा था. उसको भी मेरे मम्मों से मसलने से बहुत मज़ा आ रहा था. फिर उसने मुझे कमर से पकड़कर अपनी गोदी में बिठा दिया और मेरे मम्मों को दोनों हाथों से पकड़कर मसलने लगा. वो मेरी चुचियों को अपने मुँह में लेकर दबाने लगा.
आअहह. … आज एक ही रात में तीन लोगों ने मेरी चुचियों को चूसा, यह सोचकर ही मैं कामातुर हो रही थी.
उसकी गोदी में बैठते ही उसका लंड मेरी चूत को टच हो रहा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
थोड़ी देर बाद उसने कहा- आशना, चल अब मैं तुझे मज़े करवाता हूँ.
उसने मुझे सीट पर लिटा दिया … मेरे दोनों पैर पकड़कर उसने ऊपर की ओर उठाए … और अपनी दो उंगलियों से मेरी चूत के दाने को धीरे धीरे सहलाने लगा.
आआआहह … उसकी उंगली मेरी चूत के दाने से टच होते ही थोड़ी ही देर मैं में चरमसीमा पर पहुंच गयी.
चरमसीमा तक पहुंचते ही मेरे दोनों पैर अकड़ने लगे … और मैंने उसको ज़ोर से अपनी ओर खींच लिया.
मेरी कराह निकली- उउइइ म्म्मा …
और वो समझ गया कि मैंने चरमसीमा का अनुभव किया है. मेरी चूत एकदम गीली हो गयी थी. उसने उंगलियां फेरना बंद कर दिया. मैंने उसके सामने देखा … और हम दोनों एक दूसरे के सामने मुस्कुरा दिए.
मैंने उसको धीरे से इशारे में चूत की तरफ इशारा किया. मेरे इशारे से वो समझ गया कि मैं अब पूरी तरह चुदवाने को तैयार हूँ.
मेरे इशारे से वो अपना लंड अपने हाथों से हिलाने लगा था. फिर उसने मेरे दोनों पैर ऊपर किए और अपने लंड को मेरी चूत पर रखकर रगड़ने लगा.
आआआहह … उसके लंड की रगड़ मुझे बहुत हॉट बना रही थी … मैं अपनी आंखें बंद करके उसके लंड को मेरी चूत पर महसूस कर रही थी.
थोड़ी देर चूत पर अपना लंड रगड़ते रगड़ते उसने धीरे से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.
आआअहह. … ऊऊहह … जैसे प्यासी चूत को जन्नत मिल गई हो.
मैं मचल उठी और उसने मेरे शरीर पर अपना शरीर झुका कर मुझे एक लंबी किस की ‘उमाहम्म्ममम …’
बस किस करते करते वो मेरी चूत के अन्दर धीरे धीरे धक्का देने लगा. आआहह … तुषार का लंड बहुत लंबा और बड़ा था. उसने पहले ही धक्के से अपना पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर तक डाल दिया था. उसके हिलने से मेरी चूत के अन्दर की दीवार तक उसका लंड छू रहा था. चूत की अन्दर की दीवार को छूने से मुझे बहुत दर्द हो रहा था.
‘उउउइ मांआ … आआहह … आआअहह.’
मेरी सीत्कार सुनकर उसने मेरी बांहों में अपनी बाहें डाल दीं और पूरे मज़े से मुझे चोदने लगा. उसने यूं चुदने में मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था.
थोड़ी देर बाद वो थोड़ा ऊपर की तरफ उठा और मेरे दोनों पैर ऊपर उठा कर उसने ज़ोर ज़ोर से धक्का देना शुरू कर दिया.
उसके ज़ोर ज़ोर से धक्का देने से मेरी चूत में दर्द के साथ साथ मज़ा भी आ रहा था … और मेरी ‘आआहह …’ निकलना बंद ही नहीं हो रही थी.
थोड़ी देर ज़ोर ज़ोर से धक्का देते देते उसने अपना वीर्य चूत के अन्दर छोड़ दिया. लंड के वीर्य छोड़ने के बाद थोड़ी देर तक वो मेरी चूत में अपना लंड हिलाता रहा. फिर उसने अपना लंड चूत से बाहर निकाल दिया … और मेरे पास आकर सीट पर ही मुझे लेकर लेट गया.
थोड़ी देर हम दोनों एकदूसरे को लिपटकर वहां ही सीट पर लेटे रहे.
कुछ देर बाद तुषार ने मुझे किस किया … मेरे सिर पर प्रेम से हाथ फेरा और मुझसे कहा- आशना … मैं तुमसे प्रेम करता हूँ … मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो.
ये सुनकर मैं भी बहुत खुश हो गयी और मैंने भी उसको कहा- मैं भी तुमको प्रेम करती हूँ.
मेरी बात सुनकर वो बहुत खुश हो गया.
थोड़ी देर बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और मैं तुषार की बांहों में अपना सिर रखकर पड़ी रही.
तब रुमित बोला- अरे यार सुबह होने को आई है … तो बोलो अब क्या करना है?
तब तुषार ने कहा- तुम ऐसा करो … आशना अभी घर तो जा नहीं सकेगी, तो तुम मुझे और आशना को मेरे घर पर छोड़ दो … मेरे घर पर अभी कोई नहीं होगा … फिर बाद में मैं उसे छोड़ आऊंगा.
उसकी बात सुनकर रुमित ने हमें तुषार के घर छोड़ दिया … और वो दोनों कार लेकर चले गए.
तुषार के घर तब कोई भी नहीं था … तो हम उसके घर चले गए.
उसके घर में फ्रेश होने के बाद तुषार मुझे अपने बाइक पर बिठाकर उधर ले आया, जहां मैंने एक्टिवा रख दी थी.
वो वहां मुझे छोड़ने आया … और फिर मैंने तुषार को एक किस किया और एक्टिवा लेकर घर जाने को निकल गयी.
दोस्तो, ये थी मेरी अधूरी सेक्स कहानी का सच … आपको मेरी कार सेक्स पोर्न स्टोरी पसंद आई होगी ना? तो प्लीज़ मुझे मेल करना मत भूलना.
मेरी ईमेल आईडी है
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