नमस्कार दोस्तो, मैं काफी सालों से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. मैंने अभी तक यहां अनगिनत कहानियां पढ़ी हैं. हर रिश्ते और अवसर की घटनाओं को जाना है.
सच कहूँ तो मेरे अकेलेपन या जब भी मैं परेशान होता तो ये अन्तर्वासना का पटल मेरा सच्चा साथी रहा है.
कभी कभी लगता था कि ये सब मनगढ़ंत कहानियां हैं या कभी कभी लगता कि नहीं यार सच्ची हैं.
पर सच तो ये है कि चाहे सच्ची हों या झूठी … मन को हल्का करने, सबको खुशियां देने के लिए अपना काम कर रही हैं.
मैंने खुद भी कई बार इस पर अपनी कहानी लिखने की सोची, पर न जाने कुछ न कुछ ऐसा हो जाता जो मुझे रोक लेता था.
अरे बातचीत में मैं अपने बारे मैं बताना ही भूल गया.
मैं छत्तीस वर्षीय एक मध्यम वर्ग का पुरुष हूँ. दिखने मैं अच्छा नहीं दिखता पर जिन लोगों से परिचित हूँ … उनका कहना है कि बोलने में मेरा कोई जवाब नहीं.
मैं अच्छा लिखता हूँ, अच्छा बोलता हूँ, डांस, गाना, खेल, लीडरशिप या यूं कहिये कि दिखने के अलावा सब कुछ है.
कभी कभी वो कहते हैं ना कि ‘फर्स्ट इम्प्रेशन इज लास्ट इम्प्रैशन …’
इस कहावत की वजह से कुछ लोग मेरे लिए बुरा विचार बना लेते हैं.
पर एक दो बार बात करने के बाद उन पर मेरा प्रभाव बहुत अच्छा असर डालता है.
मैं, मेरी सोसाइटी या अन्य मित्र समूहों में, सभी महिला सदस्यों का पससंदीदा हूँ.
मुझे बड़ा अच्छा लगता कि अच्छा ना दिखते हुए भी मेरी बहुत सी खूबसूरत महिला मित्र हैं.
मैं शुरू से ही महिलाओं के प्रति आकर्षित रहा हूँ और बहुत काम उम्र से सेक्स करता आ रहा हूँ जिसकी वजह से सेक्स में मेरी टाइमिंग भी बहुत अच्छी है.
आज तक की मेरे साथ जितनी भी सेक्स पार्टनर रही हैं, उन सभी को मैंने ना केवल संतुष्ट किया बल्कि उनके मुँह से मुझे ये सुन कर कि ‘अब बस करो … मैं थक गयी हूँ …’ काफी अच्छा लगता है.
मैंने कभी अपने लंड को नापा नहीं है. पर हर पार्टनर ने ये तारीफ की कि तुम्हारा बहुत बड़ा है, मोटा है.
खैर तारीफ तो तब समझूंगा, जब आप में से कोई पढ़ने वाली भाभी या महिला मुझसे मिलने के बाद कहेगी कि हां मैं संतुष्ट हुई.
आज मेरा यहां आने का कारण मेरे बहुत से अनुभवों में से एक को साझा करने का है.
आशा करता हूँ आप सबको पसंद आएगा और आपका भी प्यार करने का मन बन जाएगा.
वैसे तो मेरे सच्चे किस्से बहुत सारे हैं.
आज पहला वाकिया लिख रहा हूँ. अगर आप लोगों को पसंद आए, तो लिखना जरूर … फिर और भी किस्से शेयर करूंगा.
ये बात लॉक डाउन से पहले की है. यह मेरे साथ घटी एकदम सच्ची घटना है. जगह और पात्रों का नाम बदल रहा हूँ. ताकि किसी की गरिमा को ठेस न पहुंचे.
पहले मैं अपने बारे में थोड़ा सा और बता दूँ. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ, पर जब मेरा ट्रांसफर हुआ तो अब गुजरात के एक बहुत खूबसूरत शहर में रहता हूँ.
यहां के लोग भी बहुत अच्छे हैं. मैं यहां मेरे परिवार के साथ रहता हूँ यानि पत्नी और एक आठ साल की बेटी के साथ.
मैं और मेरी बेटी का लगाव हर पिता पुत्री की तरह कुछ ज्यादा ही है. इसलिए उसको स्कूल बस तक छोड़ कर आना या उसका कोई भी काम मेरे ही जिम्मे है.
जैसा कि आप जानते हैं कि स्कूल बस स्टॉप पर ज्यादातर औरतें ही अपने बच्चों को छोड़ने आती हैं.
यहां भी बस पर आने वाली 15-16 औरतों के बीच, मैं एक अकेला मर्द अपनी बेटी को छोड़ने आता हूँ.
सभी औरतों को मेरी ये आदत बहुत पसंद है कि मैं बिना नागा हमेशा मेरी बेटी को छोड़ने आता हूँ.
अब काफी महीने हो जाने की वजह से सबसे मेरा हैलो होना शुरू हो गया था.
पर उन सबमें से एक, जिसका नाम स्वीटी (बदला हुआ नाम) था, मुझे हमेशा अपनी ओर आकर्षित करती थी.
मैं अक्सर अपनी गाड़ी उसके बिल्कुल पास ले जाकर खड़ा करता था.
वो वह अपने दोनों लड़कों को छोड़ने आती थी.
शुरू में औपचारिक नमस्ते से शुरुआत हुई. फिर धीरे धीरे ‘आप कैसे हो …’ ‘आप आज अच्छी लग रही हो …’ ‘आप टीचर पेरेंट्स मीटिंग में जाने वाली हो.’ जैसे शब्दों से बातचीत शुरू हो गई थी,
अब ऐसा होने लगा कि अगर मैं किसी कारणवश उससे दूर खड़ा होता तो वो मेरे पास आ जाती.
बच्चे साथ खड़े रहते और हम एक दूसरे से कुछ हल्की फुल्की बातें कर लेते.
इन्हीं सब बातों में दिन जा रहे थे और मेरा मन उसकी तरफ आकर्षित होता जा रहा था.
उसकी खूबसूरत स्माइल, वो दीवाना कर देने वाला फिगर था.
सच में मन तो करता था कि अभी कहूँ कि साथ चलो, मुझे तुम्हें चोदना है. पर क्या करता मर्यादा … और फटती गांड दोनों ही मुझे हमेशा कुछ भी काण्ड करने से पहले रोक देते थे.
एक दिन बहुत तेज़ बारिश हो रही थी.
मैं जब सुबह पहुंचा तो वो अपने दोनों बच्चों के साथ वहीं दीवार की आड़ लिए खड़ी थी.
वो अपने आप को बारिश से बचाने के लिए कोशिश जरूर कर रही थी पर वो अपने बच्चों को बचाने के चक्कर में खुद पूरी गीली हो चुकी थी.
सच में सफ़ेद टी-शर्ट और काली ट्रैक पैंट में वो कमाल लग रही थी.
उसका भीगा चेहरा, उसका वो टी-शर्ट से झांकता बदन, गीले होने की वजह से कड़क हुए उसके निप्पल्स मानो मुझे उसकी ओर और खींचे जा रहे थे.
मैंने मौके का फायदा उठाते हुए अपनी कार एकदम उसके पास ले जाकर रोक दी और दरवाजा खोल दिया.
वो बिना देर लगाए दोनों बच्चों को लेकर मेरी कार की पिछली सीट पर बैठ गयी.
मेरी नज़र मानो उसके चमकते हुए चूचों पर टिक गई.
मैं चाह कर भी अपनी नजरें उसके कड़क हो चुके निप्पलों पर से हटा नहीं पा रहा था.
शायद उसने भी इस बात को नोटिस कर लिया था और मुझे लगा कि वो इस बात से थोड़ा असहज हो गयी है.
मैंने जल्दी ही मौके को संभालने की कोशिश की और बच्चों से बातें करने लगा.
बारिश ज्यादा थी तो बस को भी आने में देर हो रही थी.
मैंने उससे कहा- अगर आपको प्रॉब्लम ना हो, तो मैं आपको घर छोड़ देता हूँ. बच्चों को मैं बस में चढ़ा दूंगा. आप भीग गयी हैं, बीमार हो जाएंगी. इसलिए आप कहो तो आपको छोड़ दूँ.
बच्चों ने भी फ़ौरन मेरी हां में हां मिलायी. मेरा मन तो नहीं था उसे ऐसे घर भेजने का, पर उस पर अपना इम्प्रैशन ज़माने का एक अच्छा मौका था.
मैं उसको घर छोड़ आया.
वो भीगी हुई गजब की बला लग रही थी.
उसकी उठी हुई गांड, चौंतीस की साइज के चूचे, एकदम गोरा बदन और वो कातिल सी मुस्कराहट मेरे दिल को घायल कर गई. सच कहूँ तो मुझे उससे प्यार सा हो गया.
पर ना जाने क्यों … आज जब वो जा रही थी तो उसके चेहरे पर जो मुस्कराहट थी ना … वो मानो कह रही थी कि बेटा तेरे लंड को इसकी चुत मिल कर रहेगी.
बस थोड़ा इन्तज़ार और भाव और देना बाकी था.
अगले दिन जब मैं गया तो वो रोज़ की तरह मुझसे पहले खड़ी थी और शायद आज बस की तरफ नहीं … बिल्डिंग की गली तरफ देख कर मेरे आने का ही इन्तज़ार कर रही थी.
मेरी गाड़ी की आवाज़ सुनते ही उसने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया.
मैं पहुंचा, तो रोज़ की तरह बस हाय हैलो करके हम दोनों चुप हो गए.
फिर उसने कल के लिए थैंक्स कहा और आंखों में आंखें डाल कर बस मुस्कुरा दी.
आज उसकी आंखों में रोज़ से कुछ अलग चमक थी.
शायद आज उसको पता लग गया था कि मैं उसको पसंद करता हूँ या उसके खूबसूरत बदन पर फ़िदा हूँ.
मैं भी जब भी, जैसा भी मौका देख कर उसके बदन की, उसकी आंखों की मुस्कराहट की किसी ना बहाने तारीफ़ कर ही देता.
उसकी वो सुराहीदार गर्दन, पतली कमर की ढलान के नीचे चुत की उभरी हुई आकृति अक्सर मेरे लंड में तनाव ला देती थी.
आज जब हम स्कूल बस का इंतज़ार कर रहे थे, तभी स्कूल से मैसेज आया कि आज स्कूल बस नहीं आएगी. अभिभावकों को बच्चों को स्कूल छोड़ने जाना पड़ेगा.
मैसेज पड़ते ही वो थोड़ा परेशान हो गयी.
मेरे पूछने पर उसने कहा कि अब अचानक से कैसे जाना होगा.
मेरी तो मानो जैसे लॉटरी लग गयी हो. मैंने कहा- मैं ले चलूँगा, मुझे भी तो छोड़ने जाना है. आपको कोई तकलीफ ना हो … तो साथ चलते हैं.
जब मैंने ये किसी मददगार की मुस्कराहट के साथ कहा, तो वो पहले तो थोड़ा चुप रही.
फिर बोली- चलिए, चलते हैं.
मैंने अपनी पत्नी को फ़ोन करके बताया और उसने भी अपने पति को कि वह बच्चों को स्कूल छोड़ने जा रही है. आज बस नहीं आएगी.
अब हम दोनों इधर उधर की बातें करते स्कूल की तरह चल दिए.
आज वो मेरी आगे की सीट पर बैठी थी. बच्चे पीछे मस्ती कर रहे थे.
तभी एकाएक ज़ोरों से बारिश शुरू हो गई.
बच्चों का स्कूल, घर से कुछ किलोमीटर था. पहुंचते हुए कुछ 35 मिनट लगे.
हमने बच्चों को छोड़ा और गाड़ी में आ कार बैठ गए.
तेज़ बारिश ने मुझे उसका वो भीगा बदन याद दिला दिया.
उस एक पल में मेरे लंड ने ऐसे तुनकी मारी, जैसे भोसड़ी का अभी पैंट फाड़ कर बाहर आ जाएगा और स्वीटी को कहेगा कि एक बार चोदने दो ना.
वहां से निकले तो मैं उसे हमारे ग्रुप के बारे में बताने लगा कि मैं क्या करता हूँ. मेरा ऑफिस कहां है, दिल्ली कैसा है.
वो मेरी बातों में बहुत रूचि ले रही थी. इसी बीच वो जगह आयी, जहां अक्सर हम सब चाय पीने आते थे.
मैंने उसको बताया कि यहां चाय अच्छी मिलती है, अगर घर पर कोई काम ना हो … तो चाय पीते हैं.
उसने पहले तो मना किया, फिर पता नहीं क्या सोचा … और हां कर दी.
मैंने भी बिना देर किए गाड़ी को स्टाल पर रोक लिया.
चाय के साथ एक प्लेट भजिया का आर्डर दे दिया.
उसने मना किया, पर मैंने कहा- एक बार खाकर तो देखो.
वो चुप हो गई.
आज उसने पहली बार सामने से कुछ बात शुरू की.
उसने बताया कि वो मुझे बहुत पहले से जानती है … मतलब उसने मुझे सोसाइटीज के फंक्शन्स में देखा है. अक्सर माइक लिए लोगों का मनोरंजन करते, बच्चों को गेम्स खिलाते देखा है.
उसने बताया कि वो और उसके हस्बैंड अक्सर आपस में बात करते हैं कि मेरी पर्सनैलिटी और आवाज़ एकदम अलग है.
मैं हंस दिया और हाज़िरजवाब होते हुए कह दिया- तो आप ये कहना चाहती हो कि मैं बुरा दिखता हूँ.
वो थोड़ा शर्मिंदा सी हो गयी- अरे नहीं नहीं … मेरा मतलब वो नहीं था. मैं कहना चाहती थी कि आपकी आवाज़ बहुत अच्छी है.
इसी तरह की बातचीत के बाद आज हम दोनों ने अपने नंबर्स भी एक दूसरे को दे दिए.
उसने अपने बारे में, अपनी पसंद नापसंद को लेकर बहुत कुछ बताया.
इस पूरे समय में, मैं बस उसके चेहरे को, होंठों को, उसकी गर्दन को देखता रहा.
वो भी मेरी इन सब बातों को नोटिस कर रही थी.
फिर एकाएक वो पूछ बैठी- क्या देख रहे हो?
मैंने नज़र चुराते कहा- कुछ नहीं कुछ नहीं.
वो भी समझ तो सब रही थी पर उसने भी मेरी निगाहों को अनदेखा कर दिया.
हम दोनों ने चाय खत्म की और घर को वापस चल दिए.
मैंने उससे ऐसे ही कह दिया कि आज मैं पहली बार किसी लड़की के साथ चाय पर … या कहो डेट पर आया हूँ.
वो मेरी इस बात पर सकपका गयी- अरे हम डेट पर … ये क्या कह रहे हो. हम तो बस बच्चों को छोड़ने आए थे … और मैं कोई लड़की थोड़ी ही हूँ.
ये कह कर वो खिलखिलाने लगी.
मैंने कहा- हां तो कौन कहेगा कि तुम दो बच्चों की मां हो. कोई इस खूबसूरत मुस्कुराती लड़की पर अपना दिल खो बैठे, तो मैंने भी कह दिया कि डेट पर आया हूँ … हा हाहा हा.
इस तरह हम दोनों हंसते हुए बातें करते घर आ गए.
कार से उतरते समय उसने जब बाय किया तो मैंने कहा- अगर मेरी कोई बात अनजाने मैं बुरी लगी हो तो सॉरी.
वो मुस्कुरायी और बोली- वैसे बातें तो कई बुरी लगीं, पर हां मैं भी आज पहली बार किसी के साथ डेट पर गयी थी.
उसने इतना कहा और बाई कह कर चली गयी.
सच कहूँ दोस्त, उस पल तो मन किया कि उसको वापस खींच कर गाड़ी में बैठा कर कस कर चूम लूं.
जब तक वो बिल्डिंग में नहीं चली गयी, मैं वहीं खड़ा रहा. या ये कहो कि वो पलटेगी या नहीं, उसका इंतज़ार कर रहा था.
वो नहीं पलटी तो मैं थोड़ा सा मायूस हो गया.
पर अगले ही पल वो वापस मुड़ी और दूर से ही बाई करके हंसती हुई अन्दर चली गई.
आज से मेरे सपनों ने दुगनी रफ़्तार से उसको चोदने के सपने सजाने शुरू कर दिए.
मैं घर आ गया और बाथरूम में जाकर उसको सोचते हुए आंख बंद कर, अपने लंड को हिलाने लगा. उसके होंठ उसकी उसकी मस्त आंखें, उसकी गर्दन, वो थिरकते चुचे, वो उसकी चुत की शेप याद करते ही मेरे लंड में जैसे करंट आ गया हो.
मैंने मुठ मारी और अपने आपको शांत कर लिया.
दोस्तो, सेक्स कहानी के अगले भाग में स्वीटी की मादक जवानी को अपने लंड के नीचे लाकर किस तरह से चोदने लायक बनाया, वो लिखूँगा.
आप मुझे मेल करना न भूलें.
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कहानी का अगला भाग: बस स्टॉप पर एक भाभी से दोस्ती और प्यार- 2