मेरा नाम राज है. मैं असम राज्य में एक प्राइवेट कम्पनी में कार्यरत हूँ. मैं पहली बार आज आपको एक सच्ची कहानी सुनाने आया हूँ. चूंकि यह मेरी पहली कहानी है तो हो सकता है कि यह कहानी लिखते समय मुझसे कुछ गलतियाँ हो जाएं. उसके लिये मैं आप लोगों से पहले ही क्षमा याचना करना चाहूंगा. अब मैं अपनी कहानी को शुरू करता हूँ.
यह बात उस समय की है जब मैं स्नातक की पढ़ाई खत्म होने के बाद सीकर में बैंक परीक्षा की तैयारी कर रहा था. नवम्बर 2012 में मैंने बैंक की परीक्षा दी थी. लिखित परीक्षा में मेरा सिलेक्शन हो गया. उसके बाद साक्षात्कार जयपुर में होना था. मेरा गाँव जायल के पास में है.
मेरा भाई जायल में ही काम करता था. अत: निर्धारित तिथि से एक दिन पहले मैं और मेरा भाई साक्षात्कार के लिए जायल-जयपुर वाली बस में जयपुर जाने के लिए सवार हो गये.
गाड़ी में पहले से ही बहुत भीड़ थी. मगर कुछ देर के बाद हम दोनों को अलग-अलग सीटों पर बैठने की जगह मिल गई. रास्ते में डीडवाना से आगे जाने पर एक शादीशुदा महिला जिसकी उम्र लगभग 26 वर्ष के करीब थी, वहां से बस में चढ़ी. सर्दी होने की वजह से उसने अपना चेहरा दुपट्टे से ढक रखा था. उसमें से उसकी काली आंखें ही दिखाई दे रही थीं.
आंखों को देखने पर तो वह किसी कयामत से कम नहीं लग रही थी. सीट न होने के कारण वह सीट के साथ लग कर खड़ी हुई थी. मैंने उसके शरीर को ऊपर से नीचे तक पूरा नाप लिया. उसका फीगर करीब 32-28-30 के आस-पास था.
देखने में वो कयामत लग रही थी. गाड़ी में सीट न होने की वजह से मैंने चान्स मारने के लिए मौके का फायदा उठाने के बारे में सोचा.
मैंने उसका सामान पकड़ने के लिए पूछा तो मेरे कहने पर उसने अपना सामान मुझे दे दिया. सीकर में मेरे पास वाली सीट खाली हो गई तो मैंने उसको बैठने के लिए कह दिया. वह सीट पर अंदर घुसते हुए शीशे वाली खिड़की की तरफ बैठ गई.
बैठने के बाद उसके नर्म-कोमल पैर मेरे पैरों पर टच हो गये. उसके बैठने के बाद मैंने उसके चेहरे का चोरी-चोरी चुपके-चुपके नीची नजरों से दीदार किया. उसका चेहरा गोल था. डीप गले का ब्लाउज पहना हुआ था और नीले रंग की साड़ी थी. उसके गोरे बदन पर नीला रंग उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा था.
कुछ देर के बाद मैंने बातों ही बातों में उसके बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला कि उसका नाम सेलिना है और वो जयपुर के मुरलीपुरा की रहने वाली है. बात आगे बढ़ी तो पता लगा कि उसका पति रेलवे में काम करता है और बाहर ही रहता है. वह अपनी छोटी बहन और दो साल की बेटी के साथ वहाँ पर एक फ्लैट में रहती थी.
कुछ ही देर में हम दोनों दोस्तों की तरह हँस-हँस कर बातें करने लगे. कई बार मेरे हाथ उसकी जांघ को छू चुके थे. मगर इसका उस महिला की तरफ से कोई विरोध नहीं हो रहा था.
जब रींगस में बस रुकी तो सब लोग पानी-पेशाब करने के बहाने से उतर गये मगर वह वहीं सीट पर बैठी रही. बाहर आकर मैंने अपने भाई को सारी बात बताई. मेरे भाई से मेरी अच्छी बनती थी और उसने मुझसे कह दिया कि रात में वहीं रुकने का प्लान बना ले और मजे कर.
वापस आकर मैंने सेलिना को बताया कि मैं जयपुर में इंटरव्यू के लिए जा रहा हूँ और रात को मुझे एक होटल में रुकना पड़ेगा. मैंने कुछ इस तरह से बात की जैसे कि होटल में रुकना मेरी मजबूरी हो. दिल ही दिल में मैं चाह तो रहा था कि उसके साथ कुछ टांका फिट हो जाये. किस्मत से मेरा तीर निशाने पर लगा और उसने खुद ही कह दिया कि अगर मैं बुरा न मानूं तो मैं उसके घर रात में रुक सकता हूँ.
उसने कहा- आप मेरे घर में आराम से रहना और आपको वहाँ पर कोई परेशान भी नहीं करेगा. सुबह आपके इंटरव्यू के समय से पहले ही मैं आपको अपनी गाड़ी में छोड़ आऊंगी.
मेरा काम हो गया था. मैं तो यही चाहता था. मगर भोला बनने का नाटक करने लगा. मैंने कहा- वैसे मैं भी होटल में रुकने को लेकर ज्यादा खुश नहीं हूं लेकिन मैं आपको परेशान नहीं करना चाहता.
वह बोली- इसमें परेशानी की क्या बात है. मुझे तो खुशी होगी अगर आप हमारे घर मेहमान बनकर आएंगे तो. वैसे भी हमारे फ्लैट में तीन कमरे हैं. आपको प्राइवेसी की भी कोई दिक्कत नहीं होगी.
जैसा मैं चाह रहा था वैसा ही हुआ. मेरा काम बन गया था. मैं मन ही मन खुश हो रहा था. कुछ देर के बाद हम जयपुर पहुंच गये. बस में से उतरने के बाद हम दोनों ने अपने फोन नम्बर एक-दूसरे को दिये और मैं वहाँ से भैया के रूम पर चला गया. मैंने सेलिना को शाम को उसके घर आने के लिए कह दिया.
भैया के रूम पर जाकर कुछ देर पढ़ाई की और शाम के 4 बजे का वक्त हो गया. तभी सेलिना का फोन आया और उसने पूछा- आप आ रहे हो न?
वो भी शायद मुझमें उतनी ही रुचि ले रही थी जितनी कि मैं उसमें दिखा रहा था.
मैंने कहा- हाँ, आ रहा हूँ.
वो बोली- तो खाने में क्या पसंद करेंगे आप?
मैंने मजाक के लहजे में कहा- दिल तो आपको ही खाने का है.
वह हँसने लगी और बोली- वह सब बाद में देखेंगे मगर पहले ये बताओ कि पेट-पूजा के लिए आपके लिए क्या बनाऊं?
मैंने कह दिया- जो भी आप प्यार से खिलाएंगी वही खा लूंगा.
मुझे उसने 7 बजे तक घर पहुंचने के लिए कह दिया. उसके बाद उसने यह कहकर फोन रख दिया कि वह बाजार जा रही है. फोन रखने के बाद मेरे फोन में सेलिना के नम्बर से एक मैसेज रिसीव हुआ जिसमें कि उसने अपने घर का पता लिखा हुआ था.
मैं भी समय से पहले ही उसके घर जाने के लिए तैयार हो गया.
उसके घर पहुंच कर मैंने उसके फ्लैट का दरवाजा खटखटाया. दो मिनट बाद दरवाजा सेलिना ने ही खोला. उसने एक नीले रंग का गाउन पहन रखा था जिसमें से उसके उरोज ज्यादा तो नहीं दिख रहे थे मगर हल्की सी घाटी यह जरूर बता रही थी अंदर और भी गहराई है. मैं उसको ताड़ने लगा तो सेलिना भी मेरी मनोकामना शायद भांप गई.
वह मुस्कराई और हम दोनों अंदर चले गये.
उसने मुझे रूम दिखाया जहाँ पर मैं रात को ठहरने वाला था. उसने मुझे फ्रेश होने के लिए कह दिया और बोली कि तब तक मैं खाना लगा देती हूँ. रात को सबने साथ मिलकर खाना खाया.
उसकी बहन से मेरी ज्यादा बात-चीत नहीं हुई मगर उसकी बेटी मेरे साथ काफी घुल-मिल गई थी.
खाना खाने के बाद मैं अपने रूम में चला गया और पढ़ाई करने लगा. पढ़ते-पढ़ते रात के दस बज गये और मुझे थकान सी होने लगी. उबासी लेते हुए मैं बिस्तर पर लेट गया. मैंने लोअर पहन रखी और मेरे लंड का उभार मेरी लोअर में दिख रहा था. कमरे का दरवाजा खुला हुआ था. मैंने अंदर से लॉक नहीं किया था. मैं टांगें फैला कर बेड पर लेटा हुआ था.
तभी सेलिना कमरे में दाखिल हुई. उसके हाथ में दूध का गिलास था.
उसे देख कर मैं थोड़ा सा संभल गया और पैर मिला लिए जिससे मेरे लंड वाला भाग बीच में इकट्ठा हो गया. सेलिना को देख कर मेरे मन में हवस जागना शुरू हो गई थी और मेरे लंड ने अपना आकार लेना शुरू कर दिया था.
सेलिना बोली- हो गई पढ़ाई?
मैंने कहा- हाँ. लेकिन पढ़ाई के साथ कुछ और भी हो जाये तो कैसा रहे?
वो मेरा इशारा समझ गई और मुझे आंख मार दी.
उसकी इस हरकत पर मैंने अपने लंड को सहला दिया और जब मैं अपने लंड को सहला रहा था तो वो मेरे हाथ और मेरे लंड को ही देख रही थी.
उसने कहा- अभी थोड़ा इंतजार और करना पड़ेगा आपको. मेरी बेटी जग रही है.
मैंने अपने लंड से हाथ हटाया तो वह तन चुका था. सेलिना ने मेरी लोअर में तने हुए मेरे लंड को देखा और उसके देखते ही मेरे लंड ने एक झटका दे दिया. वो फिर से मुस्कराई और दूध का गिलास रख कर चली गई.
अब मुझसे और इंतजार नहीं हो रहा था. आधे घंटे तक वो कमरे में नहीं आई. मुझे नींद आने लगी थी. मैं सोच रहा था कि कहीं यह औरत मेरे साथ मजाक तो नहीं कर रही है.
मगर फिर अचानक से वो कमरे में दाखिल हुई. रात के 11 बजने वाले थे.
इंतजार के पलों को खत्म करने के इरादे से मैंने पूछा- तुम्हारी बेटी सो गई क्या?
वो बोली- क्यूं, तुम्हें उसके साथ कुछ खेलना है क्या?
उसने मेरा मजाक बनाते हुए कहा.
मैंने कहा- खेल तो कुछ और ही खेलना है तभी तो आपके घर आया हूँ. लेकिन कहीं आपकी बहन इस खेल में अडंगा न डाल दे.
वो बोली- उसके खाने में मैंने नींद की दवाई मिला दी थी. वह अपने कमरे में खर्राटे भर रही है.
कहते हुए उसने दरवाजे की कुंडी को अंदर से बंद कर दिया. मेरे पास आते हुए उसने अपना गाउन निकाल दिया और जब तक वो बेड पर मेरे पास पहुंची उसके बदन पर ब्रा और पेंटी ही दिखाई दे रही थी. उसको इस रूप में देखते ही मेरे अंदर का हवसी शैतान जाग उठा और मैंने उसको खींच कर बिस्तर गिरा लिया.
अपनी गोदी में लेटा कर उसके चूचों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसने लगा. मेरा दूसरा हाथ उसकी पैंटी पर उसकी चूत को मसलने लगा. उसकी चूत को छूकर लगा कि बहुत दिनों से वो चुदी नहीं है. मेरा हाथ उसकी चूत को मसलते हुए उसको गर्म करने लगा और मैं उसको चूसता रहा. कुछ देर में ही उसकी चूत गर्म हो गई.
वह उठी और मुझे बिस्तर पर धकेल दिया. उसने मेरी लोअर खींच दी. मैंने छाती पर केवल बनियान ही पहना हुआ था. जब तक उसने लोअर मेरी टांगों से बाहर निकाली तो मैंने ऊपर से बनियान को निकाल दिया था. मेरे बदन पर केवल मेरी फ्रेंची रह गई थी जिसमें मेरा तना हुआ लौड़ा बेकाबू सा हुआ जा रहा था.
सेलिना आकर मेरे पेट पर बैठ गई और उसकी गांड मेरे लंड से टच होने लगी. उसने अपनी ब्रा को खोल दिया और उसके गोरे चूचे मेरे सामने नंगे होकर लटक गये. ओए होए … क्या चूचियां थीं उसकी. नंगे चूचों को मैंने जोश में आकर अपने दोनों हाथों में लेकर भींच दिया और उसकी सिसकारी निकल गई.
वह अपनी गांड को बार-बार मेरे लंड की तरफ पीछे धकेल रही थी और मेरे अंडरवियर में तना हुआ मेरा लंड उसकी गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था. जब मुझसे रहा न गया तो मैंने उसको अपनी बगल में पटक लिया और उसकी पैंटी को खींच कर उसकी चूत को नंगी कर दिया.
सेलिना के होंठों को चूसते हुए मैंने उसकी नंगी चूत को हाथ से रगड़ा तो उसने मेरे लौड़े को अपने हाथ में भर लिया. मैं उसके हाथ की तरफ जोर लगाते हुए अपनी गांड को धकेल कर उसके हाथ को जैसे चोदने की कोशिश करने लगा. फिर मैं घूम गया और मेरा मुंह उसकी चूत की तरफ आ गया. उसकी चूत गीली हो रही थी.
मैंने उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिये और ऊपर की तरफ उसने मेरे लंड के ऊपर से अंडरवियर को निकाल कर उसे अपने मुंह में भर लिया. उसके हाथ मेरी गांड पर सेट हो गये और मैंने उसके मुंह में धक्के देना शुरू कर दिया. मैं उसके मुंह को चोदते हुए उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा.
कुछ ही देर की चुसाई के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं उसके सारे पानी को चाटते हुए पी गया. चूत तो मैंने इससे पहले भी बहुत सी खाई थी लेकिन सेलिना की चूत की बात कुछ अलग थी. मुझे ये भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसने अपनी इसी चूत से बच्ची को बाहर निकाला है. बहुत ही मस्त और रसीली चूत थी उसकी.
उसकी चूत का पानी निकल गया था और वह मेरे लंड को चूसे जा रही थी. मैं नहीं चाहता था कि वह मेरा पानी इतनी जल्दी निकाल दे. मैंने अपने लंड को उसके मुंह से बाहर निकाल लिया और उसको सीधी लेटा कर उसकी टांगों को चौड़ी करवा दिया. उसके बाद मैंने उसकी चिकनी चूत में उंगलियां चलानी शुरू कर दीं.
कभी मैं उसकी चूत में उंगली डालते हुए उसके चूचों को दबा देता तो कभी उसकी गर्दन पर जाकर अपने होंठों से उसको किस कर लेता. दस मिनट की मेहनत के बाद मैंने सेलिना को फिर से गर्म कर दिया और उसके हाथ फिर से मेरी पीठ को सहलाने लगे.
मेरा लंड नीचे की तरफ उसकी चूत में अंदर घुसने का रास्ता खोज रहा था. मगर अभी मैं उस जवान औरत को और ज्यादा गर्म करना चाहता था. मैंने उसकी चूत में तेजी के साथ उंगलियों को चलाना शुरू कर दिया और उसके मुंह से स्स्स… आह्ह … अम्म… ओह्ह जैसी मधुर आवाजें निकलने लगीं.
जब उससे रहा न गया तो बोली- बस करो, अब तो डाल दो इसमें अपने लंड को, बहुत दिनों से इसने ऐसा लंड नहीं लिया है. अपने लंड से इसको चोद कर शांत कर दो राज … प्लीज!
मैंने उसकी चूत पर अपने लंड को सेट किया और धक्का देकर एक ही झटके में पूरा लंड उसकी टाइट सी चूत में फंसा दिया. वो एक बार तो थोड़ी सी उचक कर बेचैन हुई मगर मैंने अगले ही पल उसके होंठों को भी चूसना शुरू कर दिया. मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके मुंह में जीभ डाल कर उसको आनंद देने लगा.
कुछ ही देर में उसने अपनी गांड को हिलाना शुरू किया और यह इस बात का इशारा था कि अब वह मेरे लंड से चुदाई के लिए तड़प उठी है. मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को अंदर-बाहर करना शुरू किया. मेरे होंठ अभी भी उसके होंठों को चूस रहे थे.
फिर वह तेजी के साथ अपनी गांड उचकाने लगी तो मेरे अंदर भी जोश बढ़ गया. मैंने दोनों हाथ उसके चूचों की बगल में टिका दिये और अपने मूसल लंड से जोशीले धक्के लगाते हुए उसकी चूत को फाड़ने लगा. वह तड़पने लगी. मेरे धक्के उसे दर्द कम और आनंद ज्यादा दे रहे थे.
वह बार-बार अपनी गर्दन उठा कर मेरे होंठों को चूस कर वापस से चुदाई का मजा लेने लगती थी. उसकी हालत देख कर मैं समझ गया था कि उसका पति शायद उसकी ऐसी चुदाई नहीं करता होगा. इसीलिये वह अपनी चूत की प्यास मेरे लंड से बुझाने के लिए इतनी जल्दी तैयार हो गयी.
मैं उसको चोदता रहा और बीस मिनट की जोरदार चुदाई के दौरान वह दो बार झड़ गई. फिर मेरा लंड भी जवाब देने लगा और मैंने तीन-चार धक्के पूरी ताकत के साथ लगाये और उसकी चूत में अपना गर्म-गर्म वीर्य भर दिया.
उस रात मैंने तीन बार उसको चोदा और सुबह के करीब चार बजे वह उठ कर अपने कमरे में गई. उसे चाल भी नहीं आ रही थी. मैं भी बुरी तरह से थक कर सो गया. सुबह 7 बजे उसने मुझे उठाया.
सेलिना ने मुझे एक दिन और रुकने के लिए कहा मगर मुझे घर पर किसी काम से वापस आना था इसलिए मैं दूसरी रात को उसके पास नहीं रुक पाया.
मगर उस रात की चुदाई के बाद हम दो बार और मिले. मैंने उसकी चूत चोद कर पूरा मजा लिया. फिर शायद वह उस फ्लैट से कहीं और शिफ्ट कर गई. उसका नम्बर भी बंद हो गया. मैं उसके फ्लैट पर गया तो वहाँ कोई और रह रहा था.
आज भी मैं उसके साथ हुई चुदाई को बहुत मिस करता हूँ. इस तरह चूतों को चोदते-चोदते मैं जिगोलो ही बन गया हूं. फ्री टाइम में चूतों को चोद कर मैं मजा लेता हूँ और मेरे पास कुछ एक्सट्रा पैसे भी आ जाते हैं.
दोस्तो, उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी यह कहानी पसंद आई होगी. यदि हां तो कहानी पर कमेंट करके अपना प्यार दें और मेल के जरिये भी आप मुझे मैसेज कर सकते हैं.
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