पड़ोस वाली कुंवारी लड़की की पहली चुदाई

कुंवारी बुर चुदाई का मौक़ा मुझे मेरे पड़ोस वाली सेक्सी लड़की ने मुझे दिया. एक बार मुझे उनके घर सोना पड़ा तो मैंने कैसे उसकी बुर चोद कर मजा लिया?

दोस्तो, मैं आपका मित्र लेकर आया हूं एक रोमांटिक कुंवारी बुर चुदाई स्टोरी, जिसे पढ़कर आपको बहुत मजा आएगा।
कोई गलती हो जाए तो माफ करना।

मैं प्रतापगढ़ का रहने वाला हूं।

बात एक साल पहले सर्दियों के मौसम की है। आप तो समझते ही होंगे कि सर्दियों में चुदाई का ज्यादा मन करता है।

मेरे पड़ोस में एक लड़की रहती है जिसका नाम मैं यहां नहीं बता सकता हूं। फिर भी आप उसे प्रिया मान लीजिए ताकि कहानी पढ़ने का आनंद खराब न हो।
तो प्रिया एक 5 फीट लम्बी लड़की है और उसका फिगर 32-28-32 का है।

देखने में वो एकदम माल लगती है। हमारी उनसे बोलचाल थी और कई बार काम से आना जाना भी हो जाता था।

तो सर्दियों के दिनों में एक बार उसके मम्मी-पापा उनके मामा के यहां गए थे।
जाने से पहले उन्होंने मेरी मम्मी को कह दिया था कि प्रिया और उसकी बहन दोनों घर पर अकेली हैं, तो ध्यान रखे।

फिर मम्मी को किसी काम से बाहर जाना पड़ गया तो उन्होंने मुझे प्रिया और उसकी बहन का ध्यान रखने के लिए कह दिया।
मम्मी शाम तक लौटी।

अंधेरा होने के बाद प्रिया हमारे घर आई और कहने लगी कि उन्हें घर में अकेले सोने से डर लगता है।
इस पर मम्मी ने मुझे उनके घर सोने के लिए कह दिया और मैं खाना खाकर प्रिया के घर चला गया।

मेरा बिस्तर पहले से लगा हुआ था।

मेरे बेड के बगल में ही दोनों बहनें खाट पर लेटी थीं।
हम सोने लगे।

खाट इतनी पास थी कि मेरा हाथ आराम से प्रिया तक पहुंच सकता था।

कुछ देर बाद उनको नींद नहीं आई तो प्रिया बोली कि फोन में मूवी लगाकर दे दो।
मैंने उनको मूवी चलाकर दे दी।

प्रिया बहुत सेक्सी थी तो मेरा लंड अपने आप ही खड़ा हो रहा था।

कमरे की लाइट बंद थी और वो दोनों बहनें मूवी देखने में बिजी थीं।

मुझसे रुका नहीं जा रहा था मैंने हिम्मत करके प्रिया के हाथ पर रख दिया।
बदले में उसने भी मेरा हाथ पकड़ लिया।

मेरी खुशी का ठिकाना न रहा।
मुझे हरी झंडी मिल गई थी।
मैं धीरे से उसके हाथ को सहलाने लगा।

वो भी मेरी उंगलियों में उंगलियां फंसाने लगी।
फिर हाथ को ऊपर लाते हुए मैं उसके बूब्स पर ले गया और आराम से रख दिया।
उसने फोन को अपनी बहन के सीने पर रखा हुआ था और खुद मेरे हाथ से खेल रही थी।

मैंने उसके बूब्स को हल्के से दबाना शुरू कर दिया।
उसने कोई विरोध नहीं किया और आराम से लेटी रही।

मैंने धीरे से उसका कमीज उठाना चाहा और उसको इशारा दिया कि वो इसे ऊपर कर ले।
वो समझ गई और उसने शर्ट ऊपर कर लिया।
नीचे उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी।

उसकी नंगी चूची मेरे हाथ में आ गई।
मैं उसको भींचने लगा।

अब प्रिया थोड़ी हलचल करने लगी।
उसके बदन में अब कसमसाहट पैदा हो रही थी।
उसकी चूचियां तनाव में आ रही थीं।

मैं उसके निप्पलों पर उंगली को गोल गोल घुमा रहा था और निप्पल एकदम से मटर के दाने जैसे कड़क लग रहे थे।

हाथ फिराते हुए मैं नीचे पेट पर ले गया और उसकी लैगिंग में डालने लगा।
उसने मेरे हाथ को रोक लिया।

अब मैं मानने वाला नहीं था, मेरा लंड फटने को हो रहा था।
उसने मेरे हाथ को रोक रखा था और अंदर नहीं जाने दे रही थी।

मैंने जोर लगाकर उसका हाथ हटा दिया और अंदर डालने लगा।
उसने फिर से मेरे हाथ को पकड़ लिया।

फिर मैंने ऊपर से ही हाथ उसकी बुर पर रख दिया।
मैं धीरे-धीरे उसकी बुर को लैगिंग के ऊपर से सहलाने लगा।

उसको अच्छा लगने लगा तो उसने अपना हाथ हटा लिया।
मैंने कुछ देर बुर को लैगी के ऊपर से ही सहलाया और फिर दोबारा से अंदर डालने की कोशिश की।
इस बार भी उसने मुझे रोका लेकिन मैं रुका नहीं और अंदर हाथ दे ही दिया।

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उसकी पैंटी हल्की गीली लग रही थी।
मैंने पैंटी के अंदर हाथ देकर बुर को छेड़ना शुरू कर दिया।

उसकी बुर पर बाल थे जो मुझे उंगलियों और हथेली पर महसूस हो रहे थे।

धीरे-धीरे मैं उसकी बुर को ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर की ओर सहलाने लगा।
उसकी बुर के होंठों को छेड़ने लगा।

अब प्रिया की सांसें भारी होने लगीं।
उसकी बुर से हल्का रस बाहर आने लगा जिससे बुर के होंठ चिकने होने लगे।
मैंने दो उंगलियां अब बुर के होंठों के बीच में देकर रगड़ना शुरू कर दिया।

प्रिया अब बेचैन सी होने लगी।
मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था और मैंने उसकी बुर में उंगली अंदर डाल दी।

उसके बदन में हल्का झटका लगा और मुझे महसूस हुआ कि उसने बुर में मेरी उंगली को जैसे भींच लिया।
मैं धीरे धीरे उंगली को अंदर बाहर करने लगा।

अब उसकी जांघें थोड़ी फैलना शुरू हो गईं।
मुझे उसकी बुर में उंगली करने में बहुत उत्तेजना हो रही थी और मैं उसे चाटने के लिए बहुत प्यासा हो गया था।
मैंने दूसरी उंगली भी उसकी बुर में डालने के लिए सोचा लेकिन दूसरी उंगली अंदर नहीं जा रही थी।

प्रिया की बुर काफी टाइट थी।
मैं काफी देर तक उसकी बुर में उंगली को अंदर बाहर करता रहा।
फिर करते-करते उसकी बुर से बहुत सारा पानी निकल गया।

मेरी पूरी हथेली उसकी बुर के रस में भीग गई।
मैंने उसकी पैंटी से हाथ बाहर निकाला और चूतरस को चाट गया।
इससे मेरी प्यास और ज्यादा बढ़ गई।

मैंने दोबारा हाथ उसकी लैगी में देना चाहा तो उसने रोक दिया।
वो उठकर बाथरूम में चली गई।

उसकी बहन अभी भी कानों में ईयरफोन लगाए मूवी देखने में व्यस्त थी।

इस मौके का मैंने फायदा उठाना चाहा।
मैं भी उठकर बाहर निकल गया।

जब प्रिया बाथरूम से बाहर आने लगी तो मैंने उसको वहीं पकड़ कर दीवार के साथ लगा लिया और उसके होंठों को चूमने लगा।
उसने मुझे हटा दिया और जल्दी से कमरे के अंदर झांक कर देखा।

फिर दोबारा से मेरे पास आकर फुसफुसाई- अभी कुछ नहीं हो सकता है, बहन जाग रही है। उसको सोने दो पहले!
इतना बोलकर वो अंदर चली गई और मैं भी बेड पर आकर लेट गया।

अब हम दोनों ही उसकी बहन के सोने का इंतजार करने लगे।

लेटे-लेटे एक घंटा बीत गया लेकिन उसकी बहन नहीं सोई।
फिर पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।

रात के 2.30 बजे मेरी आंख खुली।
प्रिया सो रही थी।

मैंने उसको हाथ लगाकर जगाया तो वो तुरंत उठ गई। मैंने उसका हाथ खींचकर बाहर आने का इशारा किया।

दो मिनट बाद वो उठकर बाहर आ गई और मैं उसे दूसरे रूम में ले गया।
जाते ही मैं उससे लिपटने लगा, उसकी लैगी में हाथ डालकर बुर सहलाने लगा।

वो एकदम से पीछे हटकर बोली- मुझे डर लग रहा है, कुछ हो गया तो?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, मैं हूं तुम्हारे साथ!

हम दोनों करीब आए और एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।
मुझसे ज्यादा देर रुका नहीं गया और मैंने उसे नंगी करके बेड पर गिरा लिया।
मैंने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए।

दरवाजा अंदर से हमने लॉक कर लिया था।
मैं उसकी बुर में मुंह लगाकर चाटने लगा।
बहुत शिद्दत से मैंने उसकी बुर तो चूमा, चाटा और काटा।
वो भी एकदम से जैसे पागल हो गई।

उसने मुझे खींचकर अपने ऊपर कर लिया और मैंने उसके होंठों को चूसते हुए उसकी बुर पर लंड को टिका दिया।
मैंने धक्का दिया तो लंड अटक गया और अंदर नहीं जा पाया।
फिर मैंने उसकी बुर पर काफी सारा थूक मला।

हाथ से लंड को पकड़े हुए मैंने धक्का देकर उसकी बुर में लंड के टोपे को फंसा दिया।
वो एकदम से मुझसे चिपक गई।
मैंने कोशिश जारी रखी और हल्का से जोर लगाते हुए लंड को धकेलता चला गया।

उसको बहुत ज्यादा दर्द होने लगा और वो मेरे कंधों और पीठ को नोचने लगी, कभी मुझे पीछे धकेलने की कोशिश करती।

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धीरे से उसने कराहते हुए मेरे कान में कहा- बाहर निकाल लो प्लीज … आईई … आह्ह … बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने उसकी चूचियों को सहलाते हुए कहा- बस एक बार ही होगा, कुछ देर में मजा आने लगेगा।

फिर मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे किस करने लगा, वो भी साथ देने लगी।
मैंने उसके नॉर्मल होने तक इंतजार किया।

फिर पूछा- करूं अब शुरू?
वो बोली- हां, मगर आराम से!

मैंने उसकी बुर में लंड के धक्के लगाने शुरू किए।
कुंवारी बुर चुदाई से उसे दर्द हो रहा था लेकिन मैं उसको किस करता रहा।

फिर वो मुझसे लिपट गई और मेरी पीठ को कस कर पकड़ लिया।

अब मैंने तेजी से धक्के देने शुरू किये।
कुछ देर तो वो बर्दाश्त करती रही लेकिन फिर से लंड निकालने के लिए कहने लगी।

मैंने लंड निकालने के लिए मना कर दिया और चोदता रहा।

उसकी बुर में मैं लंड को पूरा अंदर घुस रहा था और उसकी जांघों से मेरी जांघें हर धक्के के साथ टकरा जाती थीं।
इससे लगातार पट-पट की आवाज हो रही थी।

अब प्रिया के चेहरे पर और ज्यादा दर्द दिखाई देने लगा था।
चोदते हुए मैं लगातार उसकी प्रतिक्रिया देख रहा था।
कभी-कभी लगता था कि उसे मजा आ रहा है और कभी लगता था कि सिर्फ दर्द हो रहा था।
उसका चेहरा बिल्कुल लाल हो गया था।

फिर बीच में चुदाई रोक कर मैं उसकी चूचियों को चूसने लगा।
उसको कुछ राहत मिली और फिर कुछ देर में वो नीचे से गांड चलाने लगी।
मैंने चुदाई एक बार फिर से शुरू की।

अब मुझे और ज्यादा मजा आ रहा था चोदने में!

मैंने अपनी पूरी ताकत लगाकर उसकी बुर में धक्के देने शुरू किए।
मेरा जोश हर पल बढ़ता जा रहा था।

उसकी कुंवारी बुर में दर्द हुआ तो वो फिर से मुझे अपने ऊपर से धकेलने लगी।

अबकी बार मैं रुकने वाला नहीं था, मैंने और तेजी से उसको चोदना शुरू किया।
लग रहा था जैसे किसी जानवर की ताकत आ गई थी मेरे अंदर!

प्रिया की आंखों में आंसू आ गए थे लेकिन मेरा फिर भी रुकने का मन नहीं कर रहा था बल्कि और ज्यादा मजा आ रहा था।
मेरा मन कर रहा था जैसे उसकी बुर को चोद चोदकर फाड़ ही दूं।

मगर इतने में ही प्रिया की हालत खराब हो गई।
चोदते हुए पता नहीं कब उसको बेहोशी आ गई और वो नीचे लेट गई।

मैं एक बार के लिए तो घबराया लेकिन चोदने का जुनून ऐसा सवार था कि मैंने चुदाई जारी रखी।
टाइट बुर में मेरा लंड रगड़ खाता हुआ जा रहा था।

कुछ ही देर में मेरा माल निकलने को हो गया।
इतने में ही उसे होश आ गया।
वो फिर से मुझसे लिपट गई और मेरा माल उसकी बुर में निकल गया।

मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया। मैं हांफ रहा था।

वो बोली- तुम हमेशा मेरा साथ दोगे ना?
मैंने कहा- हां मेरी जान … मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगा।

इस बात पर वो मुझे होंठों पर किस करने लगी।
मैं भी उसके मुंह में जीभ देकर चूसने लगा।

हम दोनों काफी देर तक किस करते रहे।

फिर जब हमें नींद आने लगी तो उठकर वहां से जाने लगे।
प्रिया चलने लगी तो उससे चला नहीं जा रहा था।
मैंने उसको गोद में उठा लिया और धीरे से उनकी खाट के पास उतार दिया।

वो आराम से खाट पर लेट गई।
मैं भी बेड पर सो गया।

फिर सुबह उठकर मैं अपने घर चला गया।

प्रिया के साथ मेरी वो पहली चुदाई थी। उसके बाद हमें एक-दो बार और भी मौका मिला चुदाई करने का। लेकिन अब 1 साल हो गया है, हमें कोई मौका नहीं मिला है।

दोस्तो, मैं अब इंतजार कर रहा हूं कि कब फिर से प्रिया की चूत मारने का मौका मिलेगा।

आपको यह कहानी कैसी लगी मुझे अपनी राय जरूर देना। कहानी पर कमेंट्स जरूर करें।

कुंवारी बुर चुदाई कहानी आप सबकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा। आप मुझे नीचे दिए गए ईमेल पर भी मैसेज कर सकते हैं।
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