कई दिनों से शलाका अपनी ब्रा पैंटी पे अजीब से दाग देख के परेशान थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था, कि ये दाग लग कहाँ से रहे हैं।
उस रोज़ शाम क़रीब आठ बजे शलाका नहा कर अपने कपड़े डालने छत पर गई। शलाका अपने कपड़े फैला कर छत पर टहलती हुई कोने में पहुँची।
तभी तेजी से अलीश आया और उसने उसकी गीली ब्रा-पैंटी उठाई और सीढ़ी के पास जाकर उसकी पैंटी सूंघ के उसकी ब्रा पे मुठ मारने लगा। अलीश ने ढेर सारा मुठ उसकी ब्रा के कप में गिर दिया और ब्रा-पैंटी वैसे ही टांग दी और नीचे चला गया।
अलीश ने शलाका को नहीं देखा था।
फिर शलाका ने अपनी ब्रा लेकर देखा तो उस पर ढेर सारा चिपचिपा से कुछ लगा हुआ था। शलाका अलीश को सोच के हैरान थी कि उसका भाई ये सब कर रहा है।
असल में शलाका अलीश के मामा की लड़की थी जो बारहवीं के बाद अपनी बुआ के घर बीए की पढ़ाई करने आई थी।
उस दिन की घटना ने शलाका को भी अंदर से हिला के रख दिया था। उसकी आंखों के सामने अपने भाई का लंड नाच रहा था क्योंकि अलीश का लिंग एकदम काला, मोटा और मूसल जैसा लंबा था।
उसने इज़्ज़त के डर से बुआ को कुछ नहीं बोला।
दिन तेजी के साथ बीत रहे थे और उसके कपड़ों पे दाग़ भी रोज लगते। अब जब भी शलाका झुक कर झाड़ू पोंछा करती तो अलीश चुपके चुपके शलाका के गोरे गोरे दूधों की दरार को घूरता और किसी न किसी बहाने से शलाका को छूने की कोशिश करता।
अलीश शलाका को छूने का कोई बहाना हाथ से नहीं जाने देता।
शलाका भी सब समझ रही थी पर किसी से कुछ कह भी नहीं सकती थी। आखिर कुछ भी हो … अलीश उसका भाई जो था।
एक दिन माँ के कहने पर अलीश बाजार से शलाका के लिए कुछ नए कपड़े ले आया। उसमें 2 चूड़ीदार सलवार कमीज़ और 2 टॉप और लोअर थे।
घर लाकर उसने सब शलाका को दिया और बोला- पहन के बताओ माप सही है ना?
शलाका ने पैकेट लिया और अपने कमरे में चली गई।
उसने सूट पहना तो वो एकदम सही माप में था। पर जब टॉप पहना तो दंग रह गई। टॉप इतना कसा था कि उसका दूध उभर आया। वो शर्म से लाल हो गई।
शलाका कपड़े बदल कर वापस गई और बोली- भैया, सब ठीक है, बस टॉप एक नंबर बड़ा ला दो।
अलीश ने उससे बोला- पगली. तेरे ही साइज का है. और बाकी सब ढीले आयेंगे. अच्छा तू पहन कर दिखा मुझे एक बार!
शलाका ने फिर से वही किया, अपने कमरे में जाकर टॉप पहना और शर्म से लाल होकर भाई के सामने आई।
उभरे हुए दूध देख के अलीश की आँखें चमक उठी और वो बोला- ठीक तो है पगली … अब कितना ढीला लेगी?
शलाका ने संकोच में वो टॉप ले लिया और पहनने लगी।
रोजमर्रा के काम करते वक़्त जब झुकती तो अब उसके दूध पहले से ज्यादा बाहर लटक जाते। अलीश ने भी उसको इसी वजह से तो इतना कसा टॉप दिया था।
पर अब अलीश शलाका की जवानी का स्वाद लेने के लिए उतावला था। बस शलाका की एक गलती उसकी बुर मरवा सकती थी.
और शायद शलाका भी ये बात जान चुकी थी. इसलिए वो कोई गलती नहीं करना चाहती थी। अलीश ने भी सारी तैयारी कर रखी थी बस कमी थी तो शलाका की।
शलाका का शहर आने के दो कारण थे, पहला अपनी पढ़ाई और दूसरा अपनी बुआ(अलीश की माँ) का ख्याल रखना! उसकी बुआ की तबीयत इन दिनों ज्यादा खराब थी, हाई ब्लड प्रेशर और शूगर की वजह से शरीर में सूजन आ गई थी इसलिए घर का काम शलाका ही करती।
एक दिन रसोई में शलाका खाना बना रही थी। मई का महीना था और गैस की गर्मी के कारण शलाका पसीने से भीगी हुई थी।
तभी अचानक अलीश ने पीछे से आकर उसको बांहों में पकड़ा और बोला- क्या बना रही हो?
शलाका ने जवाब दिया- सब्जी रोटी!
इस बातचीत के बीच शलाका के पसीने की मादक ख़ुशबू से अलीश का लंड तन गया और शलाका अपने कूल्हों की दरार के ऊपर भइया के लंड को साफ महसूस कर रही थी।
फिर अलीश उसके कूल्हे पे और दबाव डाल के बोला- कभी अपने हाथों से खिला भी दो!
इतना कहकर अलीश ने शलाका की पसीने से भीग गर्दन को चूमा और वहाँ से चला गया।
पर इस चुम्बन और लिंग की चुभन ने शलाका की दबी हुई आंतरिक वासना को चिंगारी दे दी थी। शलाका भी कोई अंजान नहीं थी। गांव से ताल्लुक होने की वज़ह से औरत मर्द के रिश्तों की उसे पूरी जानकारी थी। गांव में लड़कियों की शादी जल्दी हो जाती है।
इस सुखद कामुक अहसास को शलाका दुबारा महसूस करना चाहती थी। अब शलाका भी अलीश को पूरा समर्थन दे रही थी।
उस दिन अचानक बारिश होने लगी, वो सूखे कपड़े उतारने के लिए छत पे भागी और अलीश उसके पीछे भागा। कपड़े उतार के उसने सीढ़ी पे रख दिये। अचानक चुपके से अलीश ने उसको पीछे से पकड़ा और बारिश में खेलने के लिए बाहर की ओर उठा के लाया।
भीगने की वजह से उसका टॉप उसके शरीर से चिपक गया।
यह देख कर अलीश के अंदर मस्ती की लहर दौड़ उठी और वो शलाका को अपने बदन से चिपका कर खेलने लगा, उसे बांहों में भर कर उसको गोल गोल घुमाता। दोनों की छाती एक दूसरे से चिपक जाती और शरीर की गर्मी भड़क उठती।
छत पर थोड़ा पानी भरा हुआ था। अलीश शलाका को लेकर उस पानी में लेट गया और दोनों लोटने लगे। कभी अलीश शलाका के ऊपर तो कभी शलाका। शलाका के दूध को दबाने की हर मुमकिन कोशिश की अलीश ने।
झमाझम बारिश में दोनों भाई बहन जम के भीगे।
शलाका ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी जिसकी वजह से उसके दूध की घुंडी साफ दिख रही थी। सख्त घुंडी देख के अलीश जम के शलाका के साथ खेला।
फिर दोनों नीचे आये और शलाका बाथरूम में कपड़े बदलने गई।
जब अलीश कपड़े बदलने गया तो वहां शलाका की गीली पैंटी पड़ी थी. शायद शलाका ने अपनी पैंटी को जानबूझकर ऊपर रखा हुआ था।
अलीश ने उसकी पैंटी को पहले अच्छे से सूँघा और फिर मुठिया मारकर ढेर सारा रस उसी में डाल दिया।
फिर जब शलाका अपने कपड़े छत पर डालकर आई तो अलीश की तरफ घूर के देखा और फिर हल्का सा मुस्कुराई। अलीश को पूरा यकीन हो गया कि अब ये मुझसे चुदने को पूरी तरह से तैयार है।
रात को 11 बजे अलीश माँ के कमरे में गया। माँ खाना और दवाई खाकर सो चुकी थी। अब सिर्फ शलाका और अलीश ही जाग रहे थे।
शलाका बहुत धीरे धीरे बात कर रही थी अलीश से … पर अलीश को पता था कि अब वो कुछ भी कर ले पर माँ सुबह से पहले नहीं उठने वाली।
अलीश ने शलाका को कहा- मेरे कमरे में चल।
शलाका को अलीश अपने कमरे में लेकर गया और दरवाज़ा बंद कर लिया।
अलीश ने शलाका के साथ बेड पे लेट और धीरे से अपने पैर से उसके पैर को सहलाना शुरू कर दिया। शलाका ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की पर अलीश से बात करती रही।
अलीश एक हाथ उसके सर के ऊपर से ले जाकर उसके कंधे पर रखा और हल्के हल्के से उसके कंधे को सहलाने लगा। शलाका ने अलीश की तरफ अपनी कातिल नज़र डाली और मुस्कराने लगी।
इधर अलीश के हाथों ने अपना करतब दिखाना शुरू कर दिया। अलीश ने धीरे धीरे से अपनी उंगलियां उसके गले पर फिरानी शुरू कर दी।
शलाका की साँसें एकदम तेज हो रही थी, वो बस अपनी कातिल निगाहों से अलीश को देखे जा रही रही थी।
जैसे ही अलीश अपने हाथ को हल्के से उसके टॉप के अन्दर डाला और उसक दाहिने तरफ के उरोज की घुंडी पर अपनी उंगली फिराई तो उसे ऐसा लगा जैसे वो किसी हसीन ख्वाब से बाहर आई। उसने अलीश का हाथ पकड़ा और बाहर करते हुए बोली- बुआ आ जाएंगी।
अलीश कुछ नहीं बोला और एकदम से उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया।
एक बार तो उसकी आँखें बड़ी हो गयी पर फिर धीरे धीरे वो भी इस पहली चुम्बन के रोमांच में खोने लगी। साँसें उखड़ने तक वो दोनों एक दूसरे के होंठों को ऐसे ही चूसते रहे।
जब चुम्बन करके दोनों अलग हुए तो अलीश ने शलाका से कहा- मैं तुमको जी भरकर प्यार करना चाहता हूँ.
यह सुनकर शलाका सीधे अलीश गले लग गयी और बोली- भईया, मैं आपको बहुत पसंद करती हूँ. पर डर के मारे कभी कह न सकी।
ऐसा कहकर वो अलीश को बेतहाशा चूमने लगी कभी गालों पर, माथे पर, गले पर और फिर अपने होंठों को अलीश के होंठ पे रख दिये।
अलीश उसके होंठों को चूमते हुए उसके दूध को टॉप के ऊपर से ही दबाने लगा. फिर वो अपनी बहन का टॉप निकालने लगा तो उसने साथ दिया। काले रंग की ब्रा में गोरी गोरी दूध के अलीश मस्त हो गया।
अलीश ने फ़ौरन अपनी बहन के स्तनों को उसकी ब्रा से आज़ाद कर दिया और बारी बारी से उसके दूध को मसलकर जमकर चूसा।
शलाका के बूब्स के निप्पल मस्ती से सख्त हो चुके थे।
अलीश उसकी घुंडी पे जीभ फेरता तो कभी दांतों में हल्के हल्के भींच कर खूब खींचता।
शलाका की सिसकारियों से माहौल और भी मस्त होता जा रहा था।
फिर अलीश ने उसको बेड पर पीठ के बल लिटाकर, उसके पेट नाभि को चूमते हुए उसकी बुर की तरफ बढ़ना शुरू किया, उसके पजामे और पैंटी को एक ही बार में निकाल दिया।
अलीश उसके पैरों को चूमते हुए उसकी बुर तक पहुँच गया। एकदम चिकनी गोरी सी बुर जिस पर छोटे छोटे बाल थे, हल्की हल्की गीली होने की वजह से एकदम चमक रही थी।
अलीश सीधा उसकी बुर चूसने, चाटने लगा।
शलाका के मुँह से तेज सिसकारियाँ निकलने लगी ‘ऊह्ह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… माम्माह हमहा…’
अलीश ने जी भरकर अपनी बहन की बुर को चाटा और अपनी जीभ से उसकी बुर चुदाई भी की. आखिरकार शलाका की कुंवारी बुर ने अपना पहला पानी छोड़ दिया।
अब अलीश ने उसे अपना 7 इंच का औज़ार दिखाया और उसे चूसने को कहा। बिना किसी नखरे के शलाका ने औज़ार को अच्छे से चूस कर गीला किया।
अलीश ने उसे सीधे लिटाकर अपनी बहन शलाका के दोनों पैरों को ऊपर किया जिससे उसकी बुर खुलकर सामने आ गयी। फिर अलीश ने अपना लंड उसकी चिकनी बुर पर रखा, छेद पे लगाकर पहले ही झटके में आधा लंड अन्दर उसकी बुर में ठूंस दिया।
18-19 साल की लड़की की बुर में अलीश का लण्ड एक गर्म मूसल की तरह था, वो दर्द से बिलबिला उठी, उसकी चीख निकल गयी। उसने अलीश को अपने ऊपर से हटाने की नाकामयाब कोशिश की पर हटा न सकी।
कुछ देर के लिए अलीश रुक गया और उसके मुँह जोर से दबा कर दुबारा लंड इतना बाहर निकाला कि बस उसकी टोपी शलाका की बुर में थी। दो तीन बार इसी तरह करने से उसने शलाका की बच्चेदानी तक अपना लंड डाल दिया और फिर थोड़ा रुक गया।
शलाका दर्द से रो रही थी। अलीश रुका हुआ था और उसके कान में बोला- पगली, बस आज ही ये दर्द होगा, उसके बाद कभी नहीं होगा।
2 मिनट तक तक अलीश उसके गले और दूध को चूमता रहा ताकि लंड का तनाव बना रहे।
जब थोड़ी देर में शलाका शांत हुई तो अलीश ने फिर तेज़ी से झटके मारने शुरू किये। पांच मिनट तक धक्के देने के बाद शलाका के शरीर की भूख जगी और अब पूरी तरह से अपने भाई अलीश का साथ दे रही थी।
अलीश ने अपनी बहन के दूध को मसलते हुए, अपने झटकों में और तेजी लानी शुरू की।
शलाका नागिन की तरह उससे लिपट गई और दोनों पैरों से अलीश की कमर को जकड़ लिया।
आधे घंटे के बाद अलीश ने ढेर सारा पानी शलाका की बुर में भर दिया।
दोनों ने उस रात कई बार ये खेल खेला अगले दिन अलीश ने शलाका को गर्भनिरोधक दवा खिलाई ताकि बच्चा न रुके।
उस दिन के बाद दोनों भाई बहन कंडोम लगा कर एक दूसरे के साथ संबंध बनाते थे। पर हर 15 दिन पे बिना कंडोम के शारीरिक संबंध बनाते ताकि दोनों का पानी एक दूसरे के शरीर को लगे।
दोनों दो साल से एक दूसरे के साथ इसी तरह सेक्स में रत रहते रहे।
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लेखक की पिछली कहानी थी: दीदी की मचलती जवानी और मेरी नादानी
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