बॉयफ्रेंड के साथ मेरी पहली चुदाई

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम प्रिया सिंह है, मैं कॉलेज में पढ़ती हूं. अंतर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है, कोई गलती दिखे, तो माफ करना. वैसे मैं अंतर्वासना की नियमित पाठक तो नहीं हूँ, पर कभी कभी मन करता है, तो पढ़ लेती हूं.

इस साइट के बारे में मुझे मेरे बॉयफ्रेंड ने बताया था. यह कहानी भी मेरे और मेरे बॉयफ्रेंड की है, जो कि एकदम सच है.

जब मेरा कॉलेज शुरू हुआ तो मैं रोज कॉलेज जाने लगी. उस समय मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था. मैं साधारण सी दिखने वाली लड़की थी. मेरे साथ में ही कॉलेज में लड़का पढ़ता था, जिसका नाम था विवेक.. वह क्लास रूम में मुझसे किसी न किसी विषय पर बातें करता रहता था. धीरे-धीरे हमारी खुलकर बातें होने लगीं और मुझे उसके साथ बातें करने में अच्छा लगने लगा.

अब तो मैं भी उसके साथ बातें करने के लिए कोई न कोई बहाना ढूंढ लेती और उससे बातें करती. हमारे बीच फोन पर बातें और व्ट्सऐप पर चैट भी होने लगी. कॉलेज में भी हम साथ-साथ में रहते थे.
मेरा घर उसके घर से कुछ ही दूरी पर था तो कॉलेज जाते वक्त वह अपनी बाइक से मुझे मेरे घर तक छोड़ देता था.

एक दिन मेरी सहेली ने मुझसे कुछ पैसे मांगे, लेकिन मेरे पास नहीं थे तो मैंने विवेक से लेकर उसे दे दिए. कुछ दिन बाद उसने मुझे वापस पैसे दे दिए, तो मैं विवेक को देने उसके घर चली गई. उसके घर जाकर दरवाजे की घंटी बजाई, तब विवेक ने दरवाजा खोला. उस समय वह केवल तौलिए में था, वो शायद नहा रहा था.

मैंने उसे इस तरह पहली बार देखा था तो मैं शरमा गई और पैसे देकर वापस जाने लगी.
विवेक ने मुझे रुकने को बोला तो मैंने मना कर दिया, लेकिन वह नहीं माना. मैं रुक गई और विवेक ऊपर कपड़े पहनने चला गया.

मैंने टीवी ऑन कर लिया और देखने लगी. तभी विवेक आ गया और हम दोनों बातें करने लगे. वह पढ़ाई के साथ-साथ ऑनलाइन पार्ट टाइम जॉब भी करता है, तो उसने मुझे बताया कि तुम भी मेरी कम्पनी में जॉइन हो सकती हो तो किसी से पैसे मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

मैंने तभी उसे जॉब को ज्वाइन करने का कह दिया. फिर मैंने उससे किसी और विषय पर बात करने को कहा. तो वो मजाक करने लगा.

इसी तरह हम बातें कर रहे थे, साथ में सामने टीवी पर कोई मूवी चल रही थी. तभी उस मूवी में गाना चलने लगा, जिसमें हीरो हीरोईन को किस कर रहा था. मैंने वो देख कर भी अनदेखा कर दिया और उससे बातें ही करती रही.

लेकिन वह टीवी की तरफ भी देख रहा था, साथ में मुझसे बातें कर रहा था. विवेक कब बातें करता करता मेरे पास में आ गया, मुझे पता ही नहीं लगा. वह पास आकर मेरे कंधे पर हाथ रख कर घुमाने लगा था. मैंने मना कर दिया तो कुछ दर रूक कर फिर से करने लगा. मुझे भी गुदगुदी सी हो रही थी, साथ में उसका ऐसे हाथ घुमाना अच्छा भी लग रहा था.

थोड़ी देर बाद वह दूसरा हाथ भी मेरे घुटनों के ऊपर घुमाने लगा. मुझे तो बस मजा आ रहा था. मेरी आंखें बंद हो गई थीं. वह धीरे धीरे हाथ घुमाता रहा.

कुछ समय के बाद लगा कि उसने मुझे गाल पर चूम लिया. ऐसा करना बहुत अच्छा लगा. फिर उसने मेरे होंठ पर होंठ रख दिए और धीरे धीरे किस करने लगा. मुझे मजा आ रहा था सो मैंने कोई विरोध नहीं किया.

अब तो वह मेरी टी-शर्ट ऊपर करके मेरे पेट पर हाथ सहलाने लगा. फिर हम अलग हुए, वो मेरी टी-शर्ट उतारने लगा तो मैंने मना कर दिया. मैं शर्म के मारे उससे नजर भी नहीं मिला पा रही थी, लेकिन इन सबमें मजा भी बहुत आ रहा था. उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया और प्यारी प्यारी बातें करने लगा.. साथ ही मुझे पीठ कमर और पेट पर सहलाता रहा.

अब तक मैं मदमस्त हो चली थी. मैंने महसूस किया कि वो अपना एक हाथ मेरी टी-शर्ट के अन्दर डाल कर मेरे मम्मों पर ले गया और मेरे दूध दबाने लगा. मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैं आंखें बंद करके बस उससे चिपकी रही.

फिर वो मुझे सोफे पर ही लेटाकर मेरे ऊपर लेट गया और मेरे मम्मों को मुँह में लेकर चूकने लगा. साथ ही उसने एक हाथ से मेरी जींस का बटन खोल कर नीचे पेंटी में डाल दिया और मेरी चूत सहलाने लगा.

मेरे साथ यह सब पहली बार हो रहा था, मेरे शरीर में करेंट सा दौड़ रहा था. वह लगातार मेरे मम्मों को चूस रहा था और मेरी चुत सहला रहा था. कुछ देर बाद मेरे अन्दर से तेज गरम पानी सा कुछ निकल गया. उसका हाथ मेरे पानी से भीग गया. वह वो चाट गया और कुछ उसने मेरे मुँह में दे दिया. मैंने थोड़ा सा लिया, फिर हाथ दूर कर दिया.

मैं अब सोफे पर शिथिल लेटी पड़ी थी, वह मेरे बगल लेट गया था. तभी उसका फोन बजने लगा. फोन उसके पापा ने किया, उन्होंने बताया कि हम 15-20 मिनट में घर पहुँचने वाले हैं. मैंने फटाफट कपड़े ठीक किए. वह बाथरूम में चला गया. मैं उसे कॉलेज में मिलने को बोलकर अपने घर आ गयी.

उस दिन हमारे बीच इतना ही हुआ और उसी रात हमारे बीच घंटों फोन पर बातें हुईं. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, उस रात मुझे नींद भी बहुत अच्छी आयी.

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सुबह मुझे उठने में देर हो गयी तो मुझे मम्मी ने आकर जगाया. मैं जल्दी जल्दी अपना काम करके कॉलेज चली गयी. वहां विवेक मेरा पहले से ही वेट कर रहा था. मैं उससे मिली और हम साथ में अन्दर चले गए. हम क्लास में गए, वहां अभी हमारे अलावा कोई नहीं आया था. वहां उसने मुझे पकड़ कर अपने पास खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगा. कुछ देर बाद किसी के आने की आवाज सुनाई दी तो हम दोनों अलग हो गए.

अब तो जहां भी मौका मिलता, विवेक मुझे पकड़ कर किस करने लग जाता. मुझे भी इन सब में बहुत मजा आता.

एक दिन उसने बताया कि कल उसके घर वाले तीन चार दिन के लिये बाहर जा रहे हैं और वह घर पर अकेला है. तो हमने उसके घर पर मिलने का प्लान बनाया.

दूसरे दिन जब उसके घर वाले चले गए, तब उसने मुझे फोन पर बता दिया. उस दिन तबियत खराब होने का बहाना बनाया और कॉलेज नहीं गयी. दोपहर को फिर सहेली से मिलने का बहाना बनाया और घर से बाहर आ गई. बाहर आकर विवेक को कॉल किया और वह मुझे लेने आ गया.

मैं विवेक के घर ले कुछ दूरी पहले बाईक से उतर गई. फिर पैदल चलकर उसके घऱ के पीछे के दरवाजे से अन्दर आ गई. वह मुख्य दरवाजे से अन्दर आ गया. उसने अन्दर आकर घर के सारे दरवाजे बंद कर लिए.

अब हम घर में अकेले थे, उसने मुझे गोद में उठाया और सोफे पर जाकर बैठ गया. मैं उसकी गोद में थी, वह मुझे किस करने लगा. मैं भी उसका साथ दे रही थी.. मुझे बहुत मजा आ रहा था.

बहुत देर तक किस करने के बाद उसने मेरी टीशर्ट उतार दी. मैं ज्यादातर टीशर्ट और जींस ही पहनती हूँ. टी-शर्ट उतर जाने के कारण मैं काले रंग की ब्रा और जींस में थी. वह मेरे मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही ऐसे दबा रहा था, जैसे इनकी सारी हवा निकाल ही देगा. साथ में वो मेरे होंठों को भी चूसे जा रहा था. मुझे तो बहुत ही मजा आ रहा था.

ऐसा कुछ समय तक चलने के बाद उसने मुझे सोफे पे बैठा दिया और खुद खड़े होकर उसने अपनी शर्ट ओर बनियान उतार दी. फिर उसने सोफे के नीचे बैठकर मेरी जींस का बटन खोल कर पेंट नीचे खिसका दी. मैंने काले रंग की पेंटी पहन रखी थी. वो मेरी पेंटी के ऊपर से ही मेरी फूली हुई चुत को सहलाने लगा. चूत पर हाथ का स्पर्श पाते ही मानो मुझे करंट सा लग गया हो, मैं आंख बंद करके बैठी रही. उसने मेरी जींस को भी पूरा उतार दिया. अब मैं सिर्फ ब्रा और पेंटी में रह गई थी.

वह मुझे पेट पर चूम रहा था, साथ ही एक हाथ से मेरे मम्मे दबा रहा था. काफी देर तक ऐसा चलने के बाद अब उसने अपनी पेंट भी उतार दी. वह अब केवल अंडरवियर में था और मैं ब्रा पेंटी में थी.

उसने मुझे ही गोद में उठा लिया और बेडरूम में जाने लगा. रास्ते में मेरा शरीर उसके शरीर से रगड़ खा रहा था, जिससे मुझे बड़ी चुदास भड़क रही थी. बेडरूम में आते ही उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और झट से दरवाजा बंद कर दिया. वह मेरे ऊपर आकर चढ़ गया और मुझे फिर से किस करने लगा. मैं अब तक अपनी भड़की हुई चुदास के कारण अपने नियंत्रण से ही बाहर हो गई थी. इस वजह से मैंने पेंटी के अन्दर ही जोर से पानी निकाल दिया, जिससे मेरी पूरी पेंटी गीली हो गयी.

वह मेरी गीली पेंटी को सूँघ रहा था. फिर उसने मेरी ब्रा पेंटी दोनों उतार दीं. मैं पूरी नंगी हो गई थी. अभी मैं कुछ समझ पाती कि वह मेरी चुत चाटने लगा. मुझे ये सब बड़ा अजीब सा लग रहा था, पर मजा भी बहुत आ रहा था. कुछ देर चूत चाटने के बाद मेरे अन्दर फिर से करंट सा दौड़ने लगा.

अब वह उठ गया और उसने मुझसे अपना अडंरवियर उतारने को बोला. मैंने धीरे से उसका अंडरवियर नीचे किया तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं. उसका लंड काला मोटा और बहुत बड़ा था. मैं उसके मूसल लंड को देख कर डर रही थी कि ये इतना बड़ा लौड़ा मेरी चूत के अन्दर कैसे जाएगा. मैंने पूरा अंडरवियर उतार दिया तो उसने मुझे लंड सहलाने को बोला. मैंने उसके लंड को पकड़ लिया और आगे पीछे करने लगी.

इस बार उसे मजा आ रहा था और वह ‘आह आह…’ कर रहा था.

उसने अपने लंड को हिलाते हुए मुझसे मुँह में लेने को बोला. मुझे उसके लंड से अजीब सी गंध आ रही थी तो मैंने लंड चूसने से मना कर दिया. कुछ देर बाद उसने मुझे लेटा दिया और वह मेरे पैरों के बीच आकर बैठ गया.
मेरा एक पैर उसने ऊपर किया और ठीक से बैठ गया, साथ में वो मेरे होंठों को चूसने लगा.

इसी के साथ वो अपना लंड मेरी चुत की फांकों में घिसते हुए डालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मेरी चुत गीली थी इसलिए उसका लंड बार बार फिसल कर ऊपर मेरे पेट पर आ जा रहा था.

उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी चुत पर टिका लिया और उसे धक्का देने का इशारा किया. उसने एक जोर से धक्का दिया, थोड़ा सा लंड चुत में चला गया. मुझे बहुत दर्द हुआ, मेरी आंखों से पानी निकल रहा था. मैं चिल्ला भी नहीं सकती थी क्योंकि उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से कस कर पकड़ रखे थे. मैं सिर्फ उससे छूटने के लिये ‘घुंऊं घुंऊं..’ की आवाज कर रही थी. इसके अलावा मैं कुछ नहीं कर सकती थी. थोड़ी देर के लिए वह रूक गया. मुझे भी कुछ आराम मिल रहा था. फिर उसने एक और जोर का धक्का मारा, जिससे आधे से ज्यादा लंड मेरी चुत में घुस गया.

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मुझे बहुत दर्द हो रहा था. इतना दर्द मुझे पहले कभी नहीं हुआ. मुझसे सहन भी नहीं हो पा रहा था. मैंने उसकी तरफ कातर भाव से देखा, तो इस बार वह जरा अधिक देर के लिए रुक गया. उसके रुक जाने के कुछ पल बाद मुझे आराम सा मिलने लगा था.

लेकिन तभी उसने बिना इशारा किए एक बहुत तेज धक्के के साथ अपना पूरा लंड मेरी कमसिन चुत में उतार दिया. इस बार मुझे बहुत तेज दर्द हुआ और मेरे मुँह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल पड़ी. मेरी कराह सुनकर वह फिर रूक गया और मेरे ऊपर ही लेट गया.

इस बार हम काफी देर तक आपस में चिपक कर लेटे रहे. इसी बीच उसने मेरे होंठों को भी छोड़ दिया और मैंने उससे लंड को निकालने को कहा, क्योंकि मुझे अभी भी दर्द हो रहा था, साथ ही मुझे डर भी लग रहा था कि कुछ गलत ना हो जाए.

उसने लंड को निकाला नहीं बल्कि मुझे समझाने लगा कि पहली बार में दर्द होता इसके बाद में सिर्फ मजा आएगा. मैं भी इस बात को जानती थी कि पहली बार में दर्द होता है लेकिन मुझे ये नहीं मालूम था कि दर्द कितना होता है. मैं शांन्त लेटी रही, कुछ देर बाद मेरा दर्द कुछ कम हो गया था.

विवेक अब धीरे धीरे मेरी चुत में लंड अन्दर बाहर करने लगा. इस बार दर्द के साथ मुझे मजा भी आ रहा था. मेरी आंखें बंद थीं और मुँह से ‘आह आह आह सी… सी… सी…’ की आवाज निकल रही थी. वह धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ा रहा था. मुझे भी उतना ही मजा आ रहा था. फिर 10-12 मिनट ऐसे ही धकापेल चुदाई के बाद वह उठा और मेरे बगल में लेट गया.

मैं समझी कि वो झड़ गया लेकिन उसने मुझको उठ कर अपने ऊपर आने को कहा. मैं उठी तो देखा कि बेड की चादर खून से पूरी लाल हो गयी थी. मैं एक पल के लिए तो डर गयी कि खून निकला है तो कुछ न कुछ तो गलत हुआ है.

मैंने विवेक को यह सब नहीं करने को बोला, तब विवेक ने मुझे फिर समझाया कि पहली बार में दर्द और खून आना आम बात है, आगे से ऐसा कभी नहीं होगा, सिर्फ मजा आएगा.

मैं भी समझती तो थी ही, तो मान गयी और उसके ऊपर बैठ कर मैंने उसके खड़े लंड को अपनी गीली चुत में ले लिया. इस बार उसका मूसल लंड बड़ी आसानी से मेरी चूत के अन्दर चला गया. मैं उसके लंड पर ऊपर नीचे होने लगी. इस वक्त मुझे काफी मजा आ रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे मानो मैं कहीं आसमान में उड़ रही हूँ.

करीब 8-10 मिनट तक इस आसन में चुदने के बाद मेरे अन्दर से तेज गर्म पानी की धार बहने लगी. उसी पानी के साथ ऐसा लगा जैसे मानो मेरी सारी ताकत निकल गयी हो. मैं एकदम से निढाल हो कर उसके ऊपर गिर गयी.

कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद उसने पलटी मारी और मुझे अपने नीचे ले लिया. अब वह ऊपर आकर मुझे जोर जोर से चोदने लगा, मुझमें हिलने डुलने की भी ताकत नहीं बची भी. फिर भी मुझे बहुत मजा आ रहा था. काफी देर तक वो मुझे चोदता रहा, फिर अचानक उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और 2-4 झटके के बाद उसने अपना लंड निकाला और मेरे पेट पर सफेद बहुत सारा पानी गिरा दिया. उसका माल बहुत ही गरम था.

अब हम एक दूसरे को बांहों में लेकर लेटे रहे. वह मेरे गाल को धीरे धीरे काट चूम रहा था, साथ मेरे दूध पर भी च्यूंटी भी काट रहा था. मुझे पता नहीं चला कि कब मेरी आंख लग गयी.

करीब एक घंटे बाद विवेक ने मुझे उठाया, फिर वह हम दोनों के कपड़े लाने हॉल में चला गया. इधर मैं नहाने के लिये बाथरूम के लिए उठी तो मुझसे चला भी नहीं जा रहा था. विवेक ने मुझे सहारा देकर बाथरूम तक छोड़ा और हम साथ में नहाए. नहाकर कपड़े पहने और कुछ देर बातें की. फिर घर जाने का समय भी हो रहा था. मैं विवेक के साथ बाईक पर घर के लिए रवाना हो गई.
मेरे घर के थोड़ी दूर पहले ही मैं उसकी बाईक से उतर गई. उसने मुझे एक टेक्सी रोक कर उसमें बैठाया और वह चला गया. मैं अपने घर आ गई. घर आने पर मम्मी ने ठीक से नहीं चलने का कारण पूछा, तो मैंने कहा सहेली के घर बाथरूम में पैर फिसलने से गिर गई और पैर में मोच आ गई.

मम्मी ने मसाज करने को बोला और वे अपना काम करने में लग गईं. मैंने मेरे रूम में आकर विवेक को फोन पर बता दिया कि यहां सब ठीक है.. मतलब किसी को कुछ पता नहीं चला.

उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई करते हैं और खूब मजा लेते हैं.

दोस्तो, कैसी लगी मेरी चुदाई की कहानी.. मुझे मेल जरूर कीजिएगा.
मैं कोशिश करूंगी कि आगे की कहानी जल्दी ही लिखूँ इसलिए मेल जरूर कीजिएगा.