पतिव्रता बीवी की चुदाई गैर मर्द से करवाने की तमन्ना-4

This story is part of a series:


  • keyboard_arrow_left

    पतिव्रता बीवी की चुदाई गैर मर्द से करवाने की तमन्ना-3


  • keyboard_arrow_right

    पतिव्रता बीवी की चुदाई गैर मर्द से करवाने की तमन्ना-5

  • View all stories in series

पतिव्रता बीवी की चुदाई गैर मर्द से करवाने की तमन्ना-3

अब तक आपने मेरी इस बीवी की चुदाई सेक्स स्टोरी में पढ़ा कि मैं अपनी सेक्सी देसी बीवी को एक बूढ़े से चुदवाने की सोचने लगा था और मुझे मेरे ऑफिस के एक बुजुर्ग कर्मी गुप्ता जी का ख्याल आया, जो मेरे ऑफिस में सहायक अभियंता के पद पर हैं।
अब आगे..

अब मैं उनके बारे में आपको कुछ बताता हूँ। गुप्ता जी लगभग अपनी नौकरी के अंतिम पड़ाव पर थे, उनकी उम्र कोई 57-58 के आस-पास होगी, उनके सब बाल लगभग झड़ चुके हैं। गुप्ता जी की लंबाई कोई 5 फीट 6 इंच की होगी, गोरा रंग एवं उनके शरीर में बुढ़ापे में भी गजब की चुस्ती थी।

ये सब इस कारण भी था कि वे प्रत्येक दिन 5 बजे उठकर एक घंटा योग करते थे। उनका पेट थोड़ा निकला हुआ था। उनका बेटा का उम्र भी हमसे बड़ा अर्थात 35 साल का था, जैसे कि उन्होंने ही मुझे बताया था। चूँकि मैं भी एक इंजीनियर हूँ, तो ऐसे में हम दोनों, उम्र का काफी अंतर होने के बावजूद भी खुले हुए थे। गुप्ता जी बड़े बिन्दास थे, वे हमसे तो कभी-कभी कहते थे कि जय कोई लड़की या औरत का व्यवस्था करवाईए ना, मैं उसे एक बार के दस से पन्द्रह हजार भी देने को तैयार हूँ।

इस मैं बोल देता कि क्या गुप्ता जी.. इस उम्र में आपसे ये सब नहीं हो पाएगा।
वो बोलते कि अरे आजमा के देख लीजिएगा पुराना चावल हूँ।
और हम लोग हंसने लगते थे।

तो अब मैं संजना को उससे चुदवाने के लिए प्लानिंग को अंजाम देने के लिए व्यवस्था करने लगा।

एक दिन आफिस के बाद मैंने उससे कहा- चलिए एक मूवी देखने चलते हैं। वहाँ के लोकल हॉल में उस समय ‘जिस्म-2’ फिल्म लगी हुई थी।
फिल्म देखने के बाद वो बोले- जय यार कोई व्यवस्था करवाइए ना.. मुझे एक टंच माल चाहिए, जितना भी खर्च लगेगा मैं दूँगा।
मेरे पास यही मौका था, मैंने बोला- समझिए कि काम हो गया।
वो खुश होकर बोले- क्या?
मैंने बोला- एक लड़की है.. अभी 21 साल की है उसकी शादी को दो साल हुए हैं.. काफी सुंदर है।
वो खुश होकर बोले- फौरन व्यवस्था करो ना, कौन है वो?

मैं कहते हुए सकुचा रहा था, लेकिन नहीं कहने से भी मेरा बात नहीं बनती।

मैं बोला- अच्छा बताइए मेरी वाईफ कैसी है?
वो तो पहले चौंके, फिर बोले- संजना तो मेरी बेटी के जैसी है, निहायत शरीफ और खानदानी बच्ची है, लेकिन ये आप क्यों पूछ रहे हैं?
मैं थोड़ा घबराते हुए धीरे से बोला- क्या आप संजना के साथ सेक्स कीजिएगा?

वो तो जैसे सन्न रह गए और जोर से बोले- पागल हो गए हो क्या, अरे ठीक है मैं तुमसे खुल गया हूँ, इसका मतलब ये नहीं है कि मुझमें इंसानियत नहीं है। मैं हमेशा तुम्हें अपने बेटे तथा संजना को बेटी की नजर से देखा है।
मुझे लगा जैसे मामला हाथ से निकल रहा है, मैंने बोला- गुप्ता जी देखिए वो सब छोड़िए, ये कोई आपकी सगी बेटी नहीं है और जब मैं राजी हूँ तो आपको क्यों ऐतराज है। वैसे भी मैं तो आपके लिए कह रहा था, आपकी वाईफ को भी तो गुजरे पांच साल हो गया है। यही मौका है और हाँ इसमें आपको कोई पैसा भी नहीं देना है।

वो थोड़ी देर चुप रहे और बोले- लेकिन तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, क्या संजना इसके लिए तैयार है?
मैंने बोला- ये मेरी सेक्स फैन्टेसी है, इस बारे संजना को कुछ पता नहीं है और उसे पता चलेगा भी नहीं.. क्योंकि मैं उसकी आंख पर पट्टी बांधकर उसे आपसे चुदवाऊँगा।
गुप्ता जी तो जैसे रुआंसे से हो गए और बोले- सच में जय आप बहुत अच्छे इंसान हो, संजना सी कमसिन लड़की से सेक्स करके मेरी जिंदगी तर जाएगी। वैसे भी मैंने 6-7 सालों से सेक्स नहीं किया है।

मैंने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें आश्वस्त किया।
गुप्ता जी बोले- तो आज ही फिक्स कीजिये ना।
मैं बोला- नहीं.. आज संजना का मासिक का दूसरा दिन है। कल रात को प्रोगाम बनाते हैं।
वो बोले- ठीक है।

इसके बाद हम लोग घर आ गए। मैं घर आया तो संजना बोली- आज आपको ऑफिस से आने में काफी देर हो गई, घड़ी देखो, 9 बज गए हैं?
मैंने कहा- हाँ एक दोस्त के यहाँ चला गया था।

वो खाना ले आई और हम लोग खाकर बिस्तर पे आ गए। मैं उसके होंठों के किस करने लगा तो वो बोली- ओ…हो.. आपको तो 3 दिन भी बर्दाश्त नहीं होता है। आपके पता है ना कि मेरे पीरियड चल रहे हैं.. कल खत्म हो जाएंगे, तो जितना मन करे, कर लीजिएगा।

मैं उसकी मासूमियत पर फिदा हो गया।

मैं सुबह उठा तो देखा संजना नहा कर तैयार हो गई थी, वो काफी सुंदर लग रही थी।
वो चुपके से आकर मुझे चूमते हुए बोली- मेन्सिज खत्म हो गया है।
इतना कह कर वो मेरे करीब हो कर मेरे होंठों को चूसने लगी।

संजना अपने मेंसिस खत्म होने के बाद काफी कामुक हो जाती है, उसे इस समय चुदाई चाहिए ही चाहिए होती है।

चूंकि मैं उसे आज गुप्ता जी से चुदवाना चाहता था, पर मुझे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैंने उसे बेड पर लिटाया और फोरप्ले करने के बाद उसकी चूत में लंड पेल दिया।
उसने जोर से सिसकारी ली ‘ई…स.. ससस.. आह…’

मैं उसे धकापेल चोदने लगा। अभी 10-15 बार ही लंड अन्दर-बाहर किया था कि उसकी चूत से थोड़ा खून निकल गया। वो बोली- लगता है अभी मेंसिस क्लियर नहीं हुआ है।

मैंने सवालिया निगाहों से उसे देखा तो उसने मुस्कुरा कर कहा- फिर भी आप कीजिए ना.. मजा आ रहा है।
मैंने लंड निकाल कर बोला- नहीं.. इससे हम दोनों को इन्फेक्शन हो जाएगा।

वो अधचुदी मन मसोस कर रह गई।

ऑफिस से आते समये गुप्ता जी बोले- तो आज फिक्स है ना?
मैंने बोला- गुप्ता जी उसका मेंसिस आज पूरी तरह से क्लियर नहीं हुआ.. कल का डन।
वो थोड़ा मायूस हो गए।

अगला दिन रविवार का दिन था। सुबह ही संजना का मेंसिस पूरी तरह से क्लियर हो गया था। वो सुबह ही मुझसे चुदने को आतुर थी, पर मैं उसे रात के लिए पूरी तरह से व्याकुल कर देने के मूड में था।
मैंने बोला- अभी नहीं रात को करेंगे।
वो जिद कर रही थी, मैं बोला- थोड़ा सब्र करो.. सब्र का फल मीठा होता है।

वो किसी तरह कंट्रोल हुई। मैं उस दिन भर संजना को छेड़ता रहा, कभी-कभी उसकी सलवार के ऊपर से ही चूत पर दबाव बना देता था तो कभी उसके गांड पर हाथ फेर देता, तो कभी चुची मसल देता।

वो तो जैसे चुदवाने के लिए बेताब हो जाती थी।

शाम होते-होते उसकी आँखों में हवस भर गई थी तथा उसकी आँखें नशीली हो गई थीं। देख कर ऐसा लग रहा था जैसे इसको कोई लंड मिल जाए, तो वो इसे खा जाएगी।
मैंने उससे बोला- संजू आओ तुम्हारी झांटें साफ़ कर दूँ।
वो बोली- अभी ज्यादा बड़ी नहीं हैं, रहने दो।
मैं बोला- कोई बात नहीं.. मैं आज पूरी सफाचट कर दूँगा।

वो हंस पड़ी और आ गई।
वो चेयर पर बैठ गई और उसने अपने दोनों पैरों को फैलाकर चूत को मेरी तरफ कर दिया।

संजना आज कुछ ज्यादा ही हसीन दिख रही थी।

मैंने उसकी चूत पर किस किया, तो वो आह कर उठी और मैं उसकी चूत के ऊपर वीट हेयर रिमूवर लगाने लगा।

वो आंख मूंदकर चूत साफ़ करवाने का मजा ले रही थी। मैंने देखा उसकी चूत से काफी पानी रिस रहा है, इतना रस टपक रहा था कि चूत पर लगी हुई हेयर रिमूवर क्रीम भी धुल रही थी।

मैंने उसकी झांटों को एकदम साफ किया अब उसकी चूत काफी चिकनी-चमेली लग रही थी।

मैं उठ कर जाने लगा तो उसने मुझे पकड़ लिया और बोली- प्लीज बहुत मन कर रहा है.. अभी ही कीजिए ना, अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा है।
मैं उसकी हालत समझ रहा था और मैंने बोला- बस कुछ देर और रात को निश्चिन्त होकर चुदाई करेंगे।

इस बीच मैंने गुप्ता जी को तैयार होने कह दिया था। रात को जैसे ही दस बजे और हम लोग बेड पर आ गए।

संजना तो जैसे सुबह से इस पल के लिए व्याकुल थी। मैंने बेडरूम में आकर बाजार से गुलाब के फूल लाकर उसकी पंखुरियों से पूरा बेड सजा दिया था, जिससे पूरा कमरा महक रहा था।

संजना ने जैसे ही कमरे में आकर ये देखा, वो काफी खुश हो गई और बोली- वाह मेरे राजा आज काफी मूड में हो, चलो मैं भी आज आपको पूरा खुश कर दूँगी।

उस समय संजना कैप्री और कमीज पहने हुए थी। मैंने उसे बेड पर बिठाया और होंठों पर हल्के से किस किया, वो मदहोश हो गई और जोर-जोर से मेरे होंठों को चूसने लगी.. जैसे कि मुझे खा ही जाएगी।
इससे उसकी व्याकुलता साफ झलक रही थी।

मैं बोला- रुको डार्लिंग आज कुछ अलग करते हैं।
वो बोली- क्या?
मैंने झट से अपनी पॉकेट से एक ब्लैक कलर का स्लीपिंग आई कवर निकाला और उसकी आँखों पर बांधने लगा।
वो बोली- इसकी क्या जरूरत है.. ऐसे ही कीजिए ना?
मैंने कहा- नहीं… मुझे अच्छा लगता है।
वो खुश होते हुए बोली- ठीक है डार्लिंग आज आपको जो अच्छा लगे सो कीजिए.. मैं आपको मना नहीं करूँगी।

मैंने उसकी आंखों पर अच्छी तरह से कवर को बांध दिया.. जिससे कि उसे कुछ भी नहीं दिखे।
उसने बाँहें फैलाते हुए कहा- अब आइए ना।
मैंने कहा- एक मिनट मैं मेन गेट चैक कर लेता हूँ.. कहीं खुला तो नहीं है।

इसी बहाने मैं बाहर गया और गुप्ता जी, जो कि प्लॉन के मुताबिक गेट के पास चुपचाप खड़े थे, उनको चुपके से अन्दर कर लिया और दरवाजा बंद कर दिया।

अब हम लोग दबे पाँव बेडरूम में आ गए थे। गुप्ता जी संजना को देख कर ऐसे खुश थे, जैसे उन्हें हूर की परी मिल गई हो। वे कृतज्ञ भाव से मेरी तरफ देखने लगे। मैंने चुपके से उनकी पीठ में थपकी दी।

संजना जो व्याकुलता से मेरी पहल का इंतजार कर रही थी, बोली- प्लीज अब जल्दी आइये ना.. अब मुझे जरा भी बर्दाश्त करने का सामर्थ्य नहीं है।
मैं बोला- हाँ डार्लिंग.. बस आता हूँ लेकिन तुम्हें मेरी कसम है, आज बिना मेरे कहे तुम अपनी आँखों से पट्टी नहीं हटाओगी।
संजू अपने दूध दबाते हुए बोली- ठीक है राजा.. अब जल्दी से आकर मेरी प्यास बुझाइए ना।

मैंने गुप्ता जी को संजना के पास जाने का इशारा किया और खुद एक कोने में चुपचाप बैठ गया। गुप्ता जी संजना के पास गए और बैठ गए और अपने कांपते होंठों को संजना के होंठों से सटा दिए। एकाएक संजना बोली- ये आपके होंठों को क्या हो गया.. कुछ अजीब लग रहा है।

मैंने सुना तो अकचका गया। मुझे लगा जैसे वो जान जाएगी।
मैं झट से गुप्ता जी को हटा कर वहां बैठ गया और बोला- कुछ नहीं डार्लिंग, तुम ज्यादा व्याकुल हो ना.. इसलिए तुम्हें ऐसा लग रहा है।

वो कुछ नहीं बोली।

मुझे लगा कि ऐसे तो संजना जान जाएगी, अब एक ही उपाय है इसे रोल प्ले में लाना पड़ेगा।

मित्रो, मुझे उम्मीद है कि आप सभी को मेरी बीवी की चुदाई की सेक्स स्टोरी पसंद आ रही होगी। मुझे मेल जरूर लिखिएगा।
[email protected]
कहानी जारी है।

पतिव्रता बीवी की चुदाई गैर मर्द से करवाने की तमन्ना-5

More Sexy Stories  तीन पत्ती गुलाब-39