भाभी ने मेरे मन की मुराद पूरी की

मेरा नाम सोनू है, मैं गुजरात सोमनाथ से हूँ।
मेरी उम्र 25 साल है। मैं दीव के पास रहता हूँ। मैं दिखने में सामान्य हूँ.. पर मेरा लंड लम्बा है। जोकि किसी भी लड़की या भाभी के लिए मजेदार केला है।

मैं अन्तर्वासना का पिछले तीन साल से नियमित पाठक हूँ।

मैं यहाँ अपना एक निजी अनुभव आपके सामने रखने जा रहा हूँ। यह मेरी पहली कहानी है तो आप मुझे अपने विचार जरूर भेजना.. क्योंकि इससे मुझे आगे लिखने की प्रेरणा मिलेगी।

बात उन दिनों की है.. जब मेरे पास वाला घर खाली था और एक दिन उस खाली घर में एक भाभी अपने पति के साथ रहने आई। उसका नाम काजल था।
वह दिखने में बहुत अच्छी और सेक्सी लगती थी।

उसके पति काम की वजह से ज्यादातर बाहर रहते थे। पहले दिन से ही मैं उसको चोदने की फिराक में था क्योंकि वह बहुत सेक्सी थी और उसके देखने की नजर से मुझे ऐसा लगता था कि वह भी यही चाहती थी।

उसका गदराया हुआ जिस्म 32-28-34 का था.. जो किसी भी मर्द को उकसाने के लिए काफी था। मुझे कोई मौका नहीं मिल रहा था। जबकि हमारे दोनों घरों के बीच आवाजाही आम बात थी।

एक दिन मेरे मन की मुराद पूरी होती दिखी!
उस दिन उसका पति बाहर गाँव गया हुआ था तो उसने मुझे चाय के लिए बुलाया।
हालांकि मैं काफी बार उसके घर में चाय पीने चा चुका था.. पर आज उसके बुलाने का अंदाज़ कुछ अलग ही था।

मुझे पता था कि उसके घर पर आज कोई नहीं है इसलिए मैं अपनी तैयारी में गया।
मैंने दरवाजा खटखटाया।
उसने जैसे ही दरवाजा खोला.. तो मैं देखते ही रह गया।
उसने एक बहुत ही पारदर्शी साड़ी पहनी हुई थी। क्या मस्त माल लग रही थी यारों.. मैं तो उसे देखते ही खुश हो गया.. क्योंकि मुझे मालूम था कि आज यह चुदवा कर ही रहेगी।

मैं अन्दर गया और बैठ गया।

उसने मेरे लिए चाय बनाई और चाय पीते वक्त इधर-उधर की बात के बाद उसने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है कि नहीं?
मैंने ‘ना’ कहा।

बाद में कुछ और बातें करते वक्त मुझे उसका मुँह थोड़ा सा उतरा-उतरा सा लगने लगा।

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इसको देख कर मैंने उसका कारण पूछा.. तो उसने मुझे अपनी सेक्स लाईफ के बारे में बताया। उसने बताया- मेरे पति के ज्यादातर बाहर गाँव रहने के कारण मुझे पूरी संतुष्टि नहीं मिलती।

उसने मुझे इस समस्या के बारे में बताया और इसको दूर करने के लिए मुझसे मदद मांगी.. तो मैंने ‘हाँ’ कर दी तो वह उठी और अन्दर चली गई।

थोड़ी देर बाद वह आई तो वह सिर्फ एक नायलोन की नेट वाली एकदम झीनी नाइटी में थी। जिसमें से उसके मम्मे बाहर आने को मचल रहे थे। उसके चूतड़ भी उछल-उछल कर न्योता दे रहे थे।

वह मादकता से आगे बढ़ी और मेरे एकदम पास आकर बैठ गई। उसके हाव भाव मुझे काफी अलग और कामुक लगे।
तभी उसने मेरी गोद में बैठते हुए मुझसे कहा- क्या तुम मेरी सचमुच मदद करोगे?

मैंने ‘हाँ’ कहा.. तो उसने मुझे एक जोरदार चुम्बन किया और उठ गई.. और खुद के पीछे आने का इशारा करके आगे को चलने लगी।
मैं उसके पीछे-पीछे उसके थिरकते चूतड़ों को ललचाई नजरों से देखते हुए जाने लगा।

वह मुझे अपने बेडरूम में ले गई।

वहाँ जाकर मैंने देखा तो पता चला कि सुहाग सेज के जैसा बिस्तर सजाया हुआ था। मैंने सोचा कि साली ये तो मेरे से एक कदम आगे निकली, इसने सारी तैयारी कर रखी थी।

वह बिस्तर पर जाकर बैठी.. और मेरी तरफ बाँहें फैला दीं।
मैंने उसको अपने सीने से लगते हुए उस पर चुम्बन की बारिश कर दी और उसे गर्म करने लगा।

वह भी मेरा भरपूर साथ देने लगी.. फिर धीरे से मैं उसके मम्मों के ऊपर हाथ फेरने लगा.. तो वह सिसकारी लेने लगी।
धीरे-धीरे मैंने उसकी नाईटी उतार दी और उसको सिर्फ ब्रा और पैन्टी में ला दिया।

उसने भी धीरे-धीरे करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे पूरा नग्न कर दिया।

उसने पहले मुझे पूरा नंगा किया बाद में उसने मेरा लंड चूसना शुरू किया। मैं उस दिन जन्नत में था.. क्योंकि मेरा यह पहला अनुभव था।

उसके कुछ देर लौड़ा चूसने से ही मेरा माल जल्दी छूट गया।
मैंने वह माल उसके मुँह में ही डाल दिया।

फिर मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी उतार दी और हम दोनों 69 की स्थिति में आ गए।
इस अवस्था में मैं पूरी जीभ उसकी चूत में डाल कर चूस रहा था और कभी-कभी मेरी दोनों उंगलियों को उसकी चूत में डाले जा रहा था।

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कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मैंने उसे सीधा लिटाया।
अब तक वह दो बार झड़ चुकी थी।

उसके बाद ऐसे ही लेटा कर मैं उसके ऊपर आ गया और लंड को उसकी चूत पर घिसने लगा.. तो वह तड़प उठी।
उसने चुदासी होकर कहा- अब डाल भी दो यार.. मत तड़पाओ।

फिर भी थोड़ा तड़पाने के बाद मैंने अपने लंड पर कन्डोम चढ़ाया और उसकी चूत पर रख कर धीरे से धक्का लगा दिया.. तो चिकनी चूत होने के कारण मेरा आधा लंड चूत के अन्दर चला गया।

वह शादीशुदा थी तो मुझे तो कुछ ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी।
धीरे-धीरे मैंने पूरा लंड चूत में डाल दिया और फिर धीरे-धीरे मैंने चुदाई की अपनी स्पीड बढ़ा दी।

उसके मुँह से अजीब सी आवाज़ आ रही थीं.. जो मेरे शरीर को ऊर्जा और उत्तेजना दे रही थीं।

बाद में मैं उसको घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी बुर चोदने लगा।
वह कराहने लगी और पूरा आनन्द लेने लगी। इस पोज में वह भी आगे-पीछे होकर मेरा भरपूर साथ दे रही थी।

कुछ ही पल बाद वह कहने लगी- और और तेज करो मुझे मजा आ रहा है।

कुछ मिनट बाद मुझे मेरे लंड के ऊपर कुछ गर्म सा महसूस हुआ तो मैं समझ गया कि वह झड़ गई है। अब मैं भी अपनी सारी ताकत के साथ उसको चोदने लगा।

कई मिनट की धकापेल चुदाई के बाद जब मेरा छूटने वाला था.. तो मैंने उससे पूछा- कहाँ डालूं?
तो उसने कहा- अन्दर ही छोड़ दो।

मैंने अपना पानी अन्दर ही छोड़ दिया। वह भी झड़ चुकी थी। मैं उस पर थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा।

फिर हम बाथरूम में गए और वहां एक बार फिर वही दौर चला। मैं घर चला गया। उसके बाद तो वह मेरी आदत बन गई। अगर आप सबको मेरी कहानी अच्छी लगी हो तो मेल कीजिएगा।
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