भाभी को प्यार से चोदा-1

दोस्तो और मेरी सेक्सी भाभियो, कैसी हो आप सब! मैं एक बार फिर से आपकी चुत में लंड का मजा देने के लिए हाजिर हूँ. सेक्सी भाभियो और हॉट लड़कियो, अपनी चूतों से पानी निकलवाने के लिए यश के लंड के लिए तैयार हो जाओ.
मेरी पिछली कहानी जो अन्तर्वासना पर प्रकाशित हुई थी, वो थी
भाभी की बहन की कुंवारी चूत चोदन स्टोरी
मुझे आपसे मिले बहुत दिन हो गए हैं. इस बीच आपको सुनाने के लिए बहुत सी घटनाएं तैयार हो गई हैं. कुछ अपने आप मिली चूतें थीं और कुछ के लिए मुझे थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ी.

ये बात अभी कुछ एक साल पहले की है. बहुत दिन से मैंने कोई चुदाई नहीं की थी तो मैं चुत के लिए बावला हुआ जा रहा था. इस समय ठंड भी शुरू हो ही रही थी और चुदाई करने के लिए कोई माल था नहीं. मैं फिराक में था कि कब कोई मस्त चूत की चुदाई करूं और अपने लंड को शांत कर लूं.

एक बन्दा मेरा बहुत अच्छा दोस्त है, उसका नाम सोनू है. मेरा उसके घर आना जाना इतना अधिक हो गया था, समझो कि मैं उसके घर का ही सदस्य बन गया होऊं.

ऐसे ही एक दिन में सोनू के घर गया था, तो थोड़ी देर बाद हम सब इकट्ठे बैठे हुए थे. गप्प सड़ाका होने लगा. उधर बात होने लगी थी कि एक पार्टी का कार्ड आया है, कौन कौन चलेगा. बातचीत के बाद हम दोनों का पार्टी में जाना पक्का हो गया.

पार्टी वाला दिन आ गया था. उस दिन हम रात के 9 बजे पार्टी में गए.

सोनू मुझसे बोला- यार, यहां तो बहुत सारे माल दिख रहे हैं.
मैंने कहा- इतने सारे माल दिख रहे हैं, तो फिर देर क्यों करता है … पटा ले किसी को.
सोनू बोला- देखता हूँ … पहले कोई पटे तो सही यार.
मैंने कहा- ठीक है तू माल पटा … मैं खाना खाने जा रहा हूँ.
वो बोला- ठीक है तू जा.

उसके इतना बोलते ही मैं खाना खाने चला गया. मैं भी इतनी सारी लड़कियों और भाभियों को देख कर पगला गया था. मेरा भी मन होने लगा कि बहुत दिन से मेरे लंड ने चूत का स्वाद नहीं चखा … साली कोई लंड का शिकार बन जाए, तो मजा आ जाए.

जहां पार्टी का इंतजाम किया था, वहां कई रूम भी थे. मेरी नजरें बहुत सेक्सी सेक्सी लड़कियों को देख रही थीं कि तभी अचानक मेरी नजर एक भाभी पर पड़ी.

उसी समय किसी ने उन्हें उनके नाम से पुकारा, तो मैंने जान लिया कि उन भाभी का नाम स्नेहा है. स्नेहा भाभी दिखने में एकदम सेक्सी, हॉट और गोरी चिट्टी थीं. उस दिन उन्होंने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी. भाभी को देखने से ऐसा लग रहा था कि उनकी शादी हुए अभी ज्यादा टाइम नहीं हुआ था.

स्नेहा भाभी को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. अब मैं जानबूझ कर उनके पास हो गया. शायद वो अपने पति के साथ आई थीं और उनका पति दारू पीने में कहीं मस्त था.

मैं भाभी के और पास हो गया. उधर जाकर मैंने एक गिलास पेप्सी ले ली और जहां स्नेहा भाभी खड़ी थीं, वहीं खड़ा हो गया. मैंने इधर उधर देखा और किसी को अपनी तरफ न देखते हुए, मैंने अपना गिलास थोड़ा टेढ़ा करते हुए उनके ऊपर गिरा दिया.

वो गुस्से से पीछे को मुड़ीं और मुझे गुस्से से देखने लगीं. जैसे ही वो कुछ बोलतीं, मैंने ‘सॉरी भाभी जी!’ बोल दिया.
सच में यार वो पास से और भी ज़्यादा सेक्सी और हॉट लग रही थीं. भाभी का फिगर यही कोई 34-30-36 का रहा होगा.

मेरे सॉरी बोलने पर वो एक मिनट में ही ठंडी हो गईं और हँस कर बोलीं- कोई बात नहीं.
भाभी मुझे नजर भर कर देखने लगीं.

उनकी नजरों का शिकार बनते ही मैं उनसे थोड़ा दूर होकर खड़ा हो गया. मगर मैं उनको देखे जा रहा था. उधर स्नेहा भाभी भी अपनी नजर घुमाकर मुझे ही बार बार देख रही थीं. शायद उन्हें ये लग रहा था कि मैं उन्हें नहीं देख रहा हूँ.

फिर स्नेहा भाभी पीछे की तरफ मुड़ीं, तो उनके पीछे मुड़ते उनकी अधनंगी दूध सी गोरी पीठ मेरी नजरों में गड़ गई. भाभी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी. उनका मैचिंग का ब्लाउज भी बैकलैस था. मतलब नीचे सिर्फ एक इंच की पट्टी से सधा हुआ था.

उनकी नंगी पीठ से अपने आंखें सेंकने के बाद मेरी नजर नीचे सरकी और भाभी की गांड पर पड़ी. स्नेहा भाभी साड़ी भी टाइट पहने हुई थीं, जिससे उनके चूतड़ों का साइज साफ़ समझ आ रहा था.

भाभी की उठी हुई गांड देखकर मन तो हुआ कि अभी ही भाभी को किसी कमरे में ले जाकर इनकी जोरदार चुदाई कर दूँ. पर ये सब इतनी जल्दी सम्भव नहीं था.

फिर मैंने देखा कि स्नेहा गुलाब जामुन खाने जा रही हैं. मैं भी सोच रहा था कि भाभी से बात कैसे शुरू हो, सो मैं भी वहीं जा कर उनके बाजू में खड़ा हो गया.

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मैंने जानबूझ कर स्नेहा भाभी को हैलो बोला.
स्नेहा भाभी ने भी स्माइल करते हुए कहा- हां जी बोलिए … मैं आपको नहीं जानती हूँ … आप कौन हैं?
मैंने कहा- अगेन सॉरी भाभी … वो पेप्सी आपके ऊपर गिर गई थी.
स्नेहा भाभी हंसते हुए बोलीं- कोई बात नहीं … शादी पार्टी में तो ये सब चलता रहता है.

मैंने छूटते ही बोला- वैसे एक बात कहूं?
स्नेहा भाभी बोलीं- हां जी बोलो?
मैंने कहा- वो पेप्सी तो गिरनी ही थी.
तो स्नेहा भाभी चौंकते हुए बोलीं- क्या मतलब?
मैंने कहा- जब आपके जैसी इतनी सुंदर भाभी सामने हो, तो ध्यान तो आप पर ही जाएगा न.
स्नेहा भाभी थोड़ा शर्माते हुए बोलीं- अच्छा जी.

मैंने कहा- हां जी भाभी जी … आपसे इतनी बात हो गई, पर आपने अपना नाम नहीं बताया.
स्नेहा भाभी बोलीं- मेरा नाम स्नेहा है.
मैंने कहा- ये जिनकी पार्टी हो रही है क्या आप उनकी रिश्तेदार हैं क्या?
स्नेहा भाभी बोलीं- नहीं, मैं अपने पति के दोस्त की पार्टी में आई हूँ.

इतने में कोई लड़की आई और वो स्नेहा भाभी से बात करने लगी. पर मैं उनकी नजरों के सामने ही थोड़ा पीछे खड़ा हो गया.

अब सीन ये था कि स्नेहा भाभी बात तो उस लड़की से कर रही थीं, पर उनकी नजरें मेरी नजरों से मिल रही थीं.

पता ही नहीं चला कि कब टाइम निकल गया और मेरा दोस्त मेरे पास आ गया.

अब मैं ये देखना चाहता था कि वो मुझे जाता हुआ देखती हैं या नहीं. मैं जानबूझ कर अपने दोस्त के साथ दूसरी तरफ जाने लगा.

फिर मैंने एकदम से पीछे देखा, तो स्नेहा भाभी की नजरें बस मेरे ऊपर ही थीं. मैं भी समझ गया कि अब इनसे मोबाइल नम्बर लेने का मौका आ गया है.

मैंने अपने दोस्त से कहा कि तू चल … मैं अभी आता हूं.

वो चला गया और मैं वापस स्नेहा भाभी के पास आ गया. स्नेहा भाभी अब भी मुझे ही देख रही थीं.

मैंने भाभी को इशारा करते हुए रूम की तरफ आने का कहा, तो उन्होंने सर हां में हिला दिया. मैं आगे बढ़ा और एक तरफ खड़ा हो गया.

थोड़ी देर में स्नेहा भाभी मेरे पास आईं और बोलीं- क्या हुआ … आपने मुझे क्यों बुलाया?
मैंने कहा- मुझे आपका नम्बर चाहिए.

मैं समझ रहा था कि भाभी कुछ सवाल करेंगी, पर उन्होंने देर ना करते हुए अपना नम्बर मुझे दे दिया. मैंने भी पलट कर अपना नम्बर दे दिया.
भाभी बोली- आप मुझे कॉल मत करना … मैं खुद कॉल करूँगी ओके.
मैं समझ गया कि भाभी की चुत मचल रही है.

इतने में भाभी के मोबाइल पर कोई कॉल आ रहा था.
वो मुझे देखते हुए चली गईं.

मैं भाभी का नम्बर सेव करते हुए सोच रहा था कि अभी शुरूआत में दोस्ती के नाम पर भाभी से एक लिपकिस मिल जाता, तो मजा ही आ जाता. पर मैंने जल्दी करना सही नहीं समझा.

मेरे मन में बस अब ये ही लगा था कि कैसे स्नेहा भाभी अकेले में मिलें और मैं उनकी खूब चुदाई करूं.

मेरी निगाहें अब भाभी की तरफ ही लग गई थीं. मैंने देखा कि वो अपने पति के साथ जा रही थीं और उनकी नजरें अभी भी मेरे ऊपर टिकी थीं. उनका पति भी अच्छा खासा स्मार्ट और मुझसे लंबा भी था. मुझे थोड़ी निराशा सी हुई कि शायद भाभी ने मुझे चूतिया न बनाया हो.

फिर कुछ टाइम बाद मैं भी अपने घर चला गया. अब बस मुझे स्नेहा भाभी का सेक्सी फिगर और उनकी टाईट साड़ी ही नजर आ रही थी. जिस लाल रंग की कसी हुई साड़ी में उनके मस्त उठे हुए चूतड़ और तने हुए चुचे मुझे झझकोर रहे थे. मुझे उनकी नंगी पीठ बार बार याद आ रही थी.

फिर मुझसे रहा नहीं गया और उसी टाइम मैंने लगातार 2 बारी मुठ मार कर खुद को शांत किया. मुठ मारने के बाद मैं कब सो गया, मुझे पता ही नहीं चला.

सुबह उठा, तो देखा कि व्हाट्सएप पर भाभी का हैलो का मैसेज आया हुआ था.
मैंने भी उनको रिप्लाई किया- हैलो भाभी जी … कैसी हो आप?
थोड़ी देर बाद भाभी का मैसेज आया- मैं ठीक हूँ … आप बताओ आप कैसे हो?
मैंने कहा- आपकी दुआ से मैं भी अच्छा हूँ.

भाभी ने एक हंसने का स्माइली भेजा.

मैंने पूछा- भाभी अभी आप क्या कर रही हो?
स्नेहा- वही … घर का काम.
मैं- वैसे आपके घर में कौन कौन है?
स्नेहा भाभी- मेरे घर में … मैं, मेरे पति और मेरी एक ननद है.
मैं- अच्छा जी … और सास ससुर या कोई देवर नहीं है आपका?
स्नेहा भाभी- देवर है, पर वो यहां नहीं है. मेरे सास ससुर गांव में रहते हैं.
मैं- आप लोग दिल्ली में कहां रहते हो?

स्नेहा भाभी ने अपना पता बताया कि यहां रहती हूं.

भाभी से उनके घर का पता जाना तो मैं खुश हो गया. स्नेहा भाभी का घर मेरे घर से यही कोई 15 किलोमीटर दूर ही था.

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मैं- भाभी जी, आपकी शादी हुए ज्यादा टाइम तो नहीं हुआ होगा.
स्नेहा भाभी- हां मेरी शादी हुए अभी 8 महीने ही हुए हैं.
मैंने ‘हम्म..’ लिखा.

इतने में स्नेहा भाभी बोलीं- आप क्या करते हो?
मैंने कहा- मेरी अभी तो स्टडी चल रही है जी.
स्नेहा भाभी- क्या कर रहे हो स्टडी में?
मैं- बी.ए.

स्नेहा भाभी- तुम्हारी कोई जीएफ तो होगी ही?
मैं- हां भाभी थी, मगर उससे मिले बहुत टाइम हो गया है. वो मुझे पसंद नहीं आई थी.
स्नेहा भाभी बोलीं- आपको कैसी लड़की पसंद है?
मैं- मुझे तो बिल्कुल आपके जैसी चाहिए.
भाभी- हम्म.

मैं मजे लेने के लिए बोला- अगर आपकी शादी नहीं हुई होती, तो पक्का आपके पीछे पड़ जाता.
स्नेहा भाभी- अच्छा जी … वो क्यों?
मैंने कहा- इतनी सुंदर हॉट सेक्सी गर्लफ्रेंड सामने हो, तो कोई पागल ही होगा … जो आपके पीछे ना पड़े.
स्नेहा भाभी- अच्छा जी … मेरे पीछे पड़ कर क्या करोगे?
मैं- जो सब करते हैं.

स्नेहा भाभी- अच्छा जी … चलो कभी आपसे भी ठीक से बात होगी … बाय … अभी मुझे कुछ काम है, तो जब मैं मैसेज करूं … तभी आप करना ओके!
इतना बोल कर भाभी ऑफलाइन हो गईं.

ऐसे ही एक महीना बीत गया. अब हम दोनों बड़े अच्छे से खुल गए थे. अब हम दोनों सेक्स की बातें भी कर लेते थे.

एक दिन भाभी ने मुझसे कहा था- यार मेरी तुम्हारी उम्र में कोई ज्यादा फर्क नहीं है … तुम मुझे भाभी मत कहा करो.
मैंने हंस कर पूछा- तो क्या स्नेहा डार्लिंग कहने लगूं?
भाभी बोलीं- अभी स्नेहा तक ही रखो.

मैं समझ गया कि भाभी जब लंड ले लेंगी, तब से डार्लिंग या जानू कहलवाना पसंद करेंगी.

फिर मैंने एक दिन मैंने स्नेहा भाभी से बोला- यार अब कितना इन्तजार करवाओगी?
भाभी बोलीं- किस बात का इन्तजार है.
मैंने कहा- मुझे आम चूसना है … और मुझे आम मिल नहीं रहे हैं.
भाभी ने मैसेज में हंस कर दिखा दिया.

फिर इसी तरह की सेक्स की बातें करने के बाद और मेरे बहुत बार बोलने पर भाभी मुझसे मिलने के लिए तैयार हो गईं.
स्नेहा भाभी बोलीं- मेरे पास एक प्लान है, पर रूम तुमको ही देखना होगा और वो सेफ होना चाहिए ओके.
मैंने कहा- यार कमरे की चिंता तुम छोड़ दो … मैं सब इंतजाम कर लूंगा.

भाभी- और सुनो … मैंने अपने घर पर ये बोला है कि मेरे फ्रेंड की शादी है और मैं रात को वहीं रुकूँगी. अब तुमको देखना है कि रात में कहां चलना है ओके!
मैंने पूछा- क्या वाकयी आपके किसी फ्रेंड की शादी है?
भाभी- हां यार … पहले तो मैं अपनी फ्रेंड की शादी में ही जाऊंगी, फिर वहां से तुम मुझे लेने आ जाना ओके.
मैंने कहा- ठीक है.

शादी वाले दिन का मुझे इन्तजार था. उस दिन रात के 10 बज रहे थे. स्नेहा भाभी का कॉल आया- कहां हो? मुझे लेने आ जाओ.
मैं स्नेहा भाभी को लेने चला गया.
जैसे ही मैं उनकी सहेली के घर पहुंचा, तो मैंने भाभी को कॉल किया.

थोड़ी ही देर में स्नेहा भाभी बाहर आ गईं. आह … क्या लग रही थीं … मानो सामने कोई क़यामत हो. स्नेहा भाभी ने उन दिन नीले रंग का गाउन टाइप सूट पहना हुआ था. मैं तो उनको बस देखता ही रह गया.

इतने में स्नेहा भाभी मेरे करीब आईं और बोलीं- चलो … क्या देख रहे हो?
मैं तो बस उनको ऊपर से नीचे तक देखने में ही लगा हुआ था.
स्नेहा भाभी बोलीं- अब चलोगे भी या यही आँखों से ही अपना इन्तजार पूरा कर लोगे? अब जल्दी से चलो … यहां किसी ने देख लिया, तो प्रॉब्लम हो जाएगी.

मैं बाइक लाया था. वो बाइक पर पीछे बैठ गईं. जैसे ही भाभी मुझसे चिपक कर बैठीं … मेरा लंड सलामी देने लगा. मैंने भी देर ना करते हुए बाइक को स्पीड दे दी.

कुछ ही देर में मैंने रूम के पास बाइक लाकर खड़ी कर दी. ये रूम ऐसी जगह पर था कि कोई पूछने या देखने वाला ही नहीं था. ये मेरे दोस्त का घर था. वहां कोई रहता ही नहीं था. आस पास के घर भी थोड़ी दूर दूर थे, तो किसी बात की दिक्कत नहीं थी.

अब हम दोनों बाइक से उतर गए और मैंने ताला खोल दिया. हम दोनों रूम में आ गए.

मैं बोला- स्नेहा, कुण्डी लगा देना.

स्नेहा ने जैसे ही लॉक लगाया, मैंने उनको पीछे से ही पकड़ लिया. अगले ही पल मेरे दोनों हाथ उसके चूचों पर टिक गए थे और मैं भाभी की गर्दन को पागलों की तरह चूमने लगा.

स्नेहा कसमसाते हुए बोली- उन्हह … इतनी भी जल्दी क्या है … आराम से कर लेना.
मैंने कहा- जान मुझे कब से इस पल का इन्तजार रहा था.

स्नेहा भाभी को चोदा कैसे मैंने? चुत चुदाई की कहानी का अगला भाग आपके सामने कल पेश करूंगा. आप मुझे मेल जरूर कीजिएगा.
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कहानी का अगला भाग: भाभी को प्यार से चोदा-2

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