भाभी की बुर की कहानी में पढ़ें कि लॉकडाउन के अकेलेपन में मेरे साथ वाले फ़्लैट की भाभी ने मेरे साथ रोमांटिक खेल शुरू कर दिया. भाभी के बाथरूम में क्या हुआ?
दोस्तो, मैं रौनक एक बार फिर से आपके सामने लॉकडाउन में पड़ोसन कविता भाभी की बुर की कहानी का दूसरा भाग लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
लॉकडाउन में मस्त पड़ोसन 1
में अब तक आपने पढ़ा कि भाभी जी एक बड़ी हॉट सी ड्रेस में अपने मम्मों का मुजाहिरा करते हुए मेरे दरवाजे पर खड़ी थी और उनको गैस सिलेंडर बदलवाना था.
अब आगे भाभी की बुर की कहानी:
जब भाभी जी ने मुझे देखा तब मेरी हालत एक कुंवारे जवान लड़के जैसी ही थी. इसका मतलब आपको तो पता ही है कि हर बैचलर अपने रूम में बियर के साथ लगभग नंगा-पुंगा ही होता है.
मैंने आधी नींद में भाभी से फिर हामी भर दी.
कविता भाभी अपने फ्लैट की तरफ चल दीं और मैं ऐसी ही हालत में उनके किचन में चला गया.
वहां शेल्फ के अन्दर जाकर सिलिंडर का बोल्ट खोलकर नया सिलिंडर फिक्स किया.
और जैसे ही बाहर निकाला कि कविता भाभी मेरे सीने से टकरा गईं.
फिर मुझे याद आया कि मैं सिर्फ़ लोवर में विदाउट अंडरवियर ही आया हूँ. शायद अभी तक भाभी ने मेरा सारा सामान भी हिलता फूलता देख लिया होगा.
दोनों के टकराने से मुझे उनकी पतली कमर और खूबसूरत बूब्स के अलावा लंबे बालों के मखमली स्पर्श का अहसास हुआ.
जैसे ही मैंने जाने की इज़ाज़त मांगी, तो कविता भाभी ने कहा- हर बार बिना कुछ लिए चले जाते हो … आज रुक जाओ … चाय पीकर जाना.
मैं खुद को शराफ़त का पुतला साबित करता हुआ वहीं रुक गया.
भाभी ने झट से चाय चढ़ा दी और कुछ मिनट बाद मैं चाय बनने में देरी होते देख कर वापस हॉल में जाने लगा.
मेरे पीछे भाभी जी भी कुछ लेने हॉल में आईं.
उसी समय आज न ज़ाने क्यों मेरे अन्दर का शैतान जोश मारने लगा था.
फिर जब भाभी ने सामान लेकर वापस किचन की तरफ चलना शुरू किया, तो मैं उनके पीछे पीछे किचन में चला गया … और खुद से नलके से पानी निकालने लगा.
उसी समय झट से कविता भाभी ने कहा- ये गर्म पानी है … मैं तुमको दूसरा पानी देती हूँ.
भाभी ने झट से दूसरे गिलास से पानी दिया.
कुछ जल्दी और हड़बड़ाहट में मेरे हाथों से गिलास छूट गया.
भाभी नीचे झुकीं … और उन्होंने अपनी खूबसूरत वादियों के दर्शन करवा दिए. जिसकी वजह से मेरा रॉकेट भी गर्म हो गया.
उन्होंने मेरे खड़े होते लंड को एक नजर निहारा और उठ गईं.
हम दोनों खामोश खड़े रहे.
फिर मैं वहां से निकल कर बाहर आ गया और सोफे पर लेट गया.
दो मिनट बाद कविता भाभी चाय बनाकर लाईं … और उन्होंने मेरे हाथों में एक कप थमा दिया. खुद भाभी दूसरा कप लेकर मेरे साथ वाले सोफे पर ही बैठ गईं.
हम दोनों की खामोशी टूटने का नाम नहीं ले रही थी … पर अब चाय खत्म हो गयी थी.
कविता भाभी ने बड़े खुले अंदाज़ में कहा- रौनक, आज शाम का डिनर साथ ही करते हैं.
मैंने फिर से वही हामी भर दी.
मेरे दिमाग़ में कुछ चल रहा था, जो साफ समझ नहीं आ रहा था.
कविता भाभी ने कहा- क्या बात है … अगर कुछ काम है तो बोलो!
मैंने हालात को बेकाबू होता देखकर सोच लिया कि अब जो होता है, होने दो … शायद भगवान की यही मर्ज़ी है.
जवाब में मैंने कह दिया- आजकल काम ही क्या है, सिर्फ़ नहा कर खाना खाना होता है और फिर से सो जाना होता है.
कविता भाभी ने कहा- क्यों … इतने बोरिंग हो क्या. तुम एक काम करो, जाओ अभी मेरे बाथरूम का शॉवर चला कर खड़े हो जाओ और अच्छे से नहा लो. फिर हम दोनों मूवी देखेंगे. फिर यहीं से डिनर करके अपने रूम में सोने के लिए चले जाना.
मैंने फिर से हामी भर दी … और भाभी के बाथरूम में शॉवर के नीचे खड़ा हो गया. सच में भाभी जी का बाथरूम बहुत आलीशान था.
मैंने कहा- भाभी जी!
भाभी- सिर्फ कविता कहो … तुम और मैं लगभग एक ही उम्र के हैं. तुम भाभी कहते हो तो ऐसा लगता है कि मैं बहुत उम्रदराज महिला हो गई हूँ.
मैं हंस पड़ा और बोला- ओके कविता, तुम ये तो बता दो कि शॉवर चालू कहां से होता है.
भाभी मेरी शरारती सोच को समझते हुए बाथरूम के अन्दर आ गईं और दो-तीन नॉब घुमा दिए. इतने में नॉर्मल टेंपरेचर का पानी आने लगा … और हम दोनों ही भीगने लगे.
भाभी को भीगने से बचने की कोई जल्दी नहीं दिख रही थी. यूं ही भीगते हुए कविता भाभी ने बताया कि कौन सा साबुन कहां रखा है.
इतना सब बोलने में वो भी पूरा भीग गयी थीं.
मैंने भी कह दिया कि आज तो आपके साथ ही शॉवर हो गया.
हम दोनों हंस पड़े.
ऊपर से गिरता हुआ पानी कविता भाभी के सिर पर से बहता हुआ, आंखों के बीचों बीच से बहते हुए, गुलाबी नर्म होंठों को छूते हुए, उनके खूबसूरत चेहरे से बहकर … लंबी सुराहीदार गर्दन से चिपक कर धीरे धीरे गुलमर्ग की वादियों में जा रहा था.
भाभी की मदमस्त चूचियों की घाटी से होते हुए पानी उनके सारे रसीले अंगों का रस समेट कर नीचे जन्नत की गहराइयों को छू रहा था. फिर उस जन्नती दर्रे से गुज़रते हुए वो पवित्र जल की धार धरती को छू रही थी.
मैंने ये सब बड़े गौर से देखा, तो भाभी ने भी मुझे पूरी आंखों से भरके ताड़ा.
फिर हम दोनों की नजरें मिलीं, तो एक पल का सन्नाटा छाया और अगले ही पल भाभी एक हाथ में साबुन लेकर मेरे शरीर पर मलने लगीं.
एक नया स्पर्श मेरे अन्दर वासना भर रहा था. शायद ये वक़्त की ज़रूरत थी.
कविता भाभी को मस्ती चढ़ने लगी थी. उन्होंने साबुन को मेरे बदन के हर हिस्से पर रगड़ रगड़ कर मलना शुरू कर दिया. इसके बाद वो हुआ जिसका इन्तजार था.
भाभी ने मेरे लोवर के अन्दर हाथ घुसाकर कहा- अन्दर के सामान को खुद ही साफ कर लो.
अब मेरे दिल में कुछ भी अलग ख्याल नहीं आया.
मैंने भी भाभी का हाथ पकड़ कर कहा- ये काम भी तुम ही पूरा करो.
जैसे ही उसका हाथ पकड़ कर मैंने अपने लंड पर हाथ दबाया … तो कविता भाभी ने खुद को मेरे और करीब कर लिया.
भाभी प्यार से लोअर के ऊपर से ही साबुन लगाने लगीं.
मेरा एक हाथ उनके हाथ को पकड़े हुए मेरे लंड को सहलवा रहा था … और दूसरे हाथ से मैं भाभी की कमर को पकड़े हुए था.
शॉवर का पानी जल की जगह अब आग बरसा रहा था. भाभी ने प्यार से लोवर के ऊपर से ही लंड को सहला कर लंबा कर दिया और मेरे बदन से चिपक गईं.
अब मैं भाभी के बदन को अपनी बांहों में लपेटे हुए उनकी कमर और पीठ को सहला रहा था. भाभी भी मुझसे एकदम से लिपट गईं.
मैंने अपना मुँह उनके मुँह के सामने करते हुए एक हल्का सा किस भाभी की आंखों पर कर दिया.
वो भी मस्त हो गईं और खुद को मेरी बांहों में घुसा देना चाहती थीं.
किसी ने सच ही कहा है कि बरसात में बहते हुए आंसुओं को कोई देख नहीं सकता … आज कुछ वैसा ही लग रहा था.
मैंने भाभी को दो तीन लम्बे किस किए और उन्हीं से लिपट कर खड़ा रहा.
थोड़ी देर बाद वो खुद ही मेरे बदन से अलग हुईं और बाहर चलने का इशारा किया.
उनका हाथ पकड़े हुए मैं कमरे में आ गया. बाहर आकर उन्होंने सबसे पहले मुझे एक तौलिया दिया और खुद अल्मारी के पास चली गईं.
मैं भाभी की मटकती गांड को ही देखे जा रहा था. मुझे अपना बदन पौंछने की कोई सुध ही नहीं थी.
भाभी ने अलमारी से अपने पति का लोवर निकाल कर मुझे दे दिया.
मुझे होश आया और मैंने तौलिया लपेट कर अपने गीले लोवर को उतार दिया. तब तक दूसरे तौलिया से भाभी खुद को सुखाने में लगी थीं. फिर बाथरूम में जाकर वो अपने गीले कपड़े उतार कर एक टी-शर्ट और लोवर पहन कर कमरे में आ गईं.
भाभी की नज़रों को देख कर ऐसा लग रहा था कि अब उन्हें कोई इच्छा नहीं है.
उनका बदला हुआ मूड देख कर मैंने बाथरूम में हुए किस के लिए जब भाभी माफी मांगनी चाही.
तो कविता भाभी ने कहा- जो हुआ ठीक हुआ, आगे भी जो होगा, अच्छा ही होगा. ये तो कभी ना कभी होना ही था.
उनकी इस बात ने फिर से माहौल को मस्त कर दिया था.
एक पल बाद कविता भाभी मेरे पास आईं और उन्होंने मुझे एक किस करते हुए कहा- तुम सिर्फ़ मेरा साथ दो, मुझे कोई अफसोस नहीं है.
मैं- ठीक है … फिर तुम मुझे एक टी-शर्ट दे दो.
कविता भाभी मुस्कुरा कर बोलीं- अब मेरे से क्या शर्म, ऐसे ही अच्छे लग रहे हो.
ये कह कर भाभी ने आंख दबा दी.
हालात को फिर से काबू में होता देख मैं काफी रिलेक्स हुआ और वापस सोफे पर बैठ गया.
मैंने सामने रखी टेबल से सिगरेट की डिब्बी उठाई और एक सिगरेट निकाल कर सुलगाने लगा.
जब सिगरेट जल गई … तब मुझे ध्यान आया कि ये तो वही डिब्बी है, जो मैं लाया था और भाभी के सामान के साथ ही रखी छोड़ दी थी.
मतलब भाभी ने खुद ही ये डिब्बी निकाल कर रखी थी और डिब्बी खुली थी, इसका मतलब भाभी को सिगरेट पीना पसंद है.
तब तक भाभी भी सज़ संवर कर मेरे पास आ गईं.
अब दिल में कोई शक नहीं था कि ये औरत मुझे पसंद करती है और मुझे आज इस मस्त अहसास को संभालना होगा.
तभी कविता भाभी भी टीवी का रिमोट लेकर मेरी गोद में चढ़ कर बैठ गईं और उन्होंने मेरे हाथ से सिगरेट ले ली. अगले ही पल एक लम्बा कश खींच कर भाभी ने सिगरेट वापस मुझे थमा दी.
कविता भाभी के अंगों से मुझे अहसास हो गया था कि उन्होंने भी इस वक्त सिर्फ टी-शर्ट और लोवर ही पहना था. उसके अन्दर ब्रा पैंटी कुछ भी नहीं डाला था.
उसके मेरे ऊपर लेटने से उसके बदन से चिपकने का मस्त अहसास हुआ. मेरी सांसें बढ़ने लगीं. मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और उनकी गर्मी को महसूस करने लगा.
फिर बिना कुछ और सोचे, हम दोनों एक मूवी देखने लगे.
भाभी मेरे सीने से लिपटकर ऊंघने लगीं. मैंने भाभी को ऊंघता हुआ देखा, तो चैनल बदल कर देखने लगा.
उस दिन न्यूज़ चैनल पर हर जगह कोविड की ही बात चल रही थी. सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करने की बात कही जा रही थी.
मेरे होंठों पर मुस्कान तैर गई कि यहां पर हम दोनों सोशल डिस्टेन्सिंग की बैंड बजा रहे थे.
थोड़ी देर में भाभी मेरी बांहों में सो गईं तो मैंने उसे उठाकर उनके बिस्तर पर लेटा दिया और खुद सोफे पर लेटकर मोबाइल में एक पॉर्न मूवी देखने लगा.
धीरे धीरे वासना का नशा मुझ पर चढ़ने लगा. फिर जो मेरा शैतान जगा, तो शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था. मैं कविता भाभी के पास जाकर लेट गया और उनसे लिपट गया.
मैं उनके बदन को प्यार करने लगा और टी-शर्ट को ऊपर उठा दिया.
भाभी की नंगी कमर को देखकर कर मैं उत्तेजित होने लगा और मैंने उनकी को चूम कर बहुत प्यार किया.
मैंने भाभी को किस करते करते टी-शर्ट को और ऊपर कर दिया और उनकी गोल गोल चुचियों को चूसने लगा.
दोनों दूध पके हुए आम की तरह मस्त थे.
मैंने भाभी के दोनों मम्मों को बारी बारी से प्यार से चूस चूस कर उनका रस पान किया.
दूध चूसने के बाद अब मेरी चुदास जाग गई और भाभी की चूत के दीदार करने का मन होने लगा.
तो मैंने भाभी के लोवर को नीचे सरका दिया और भाभी की बुर के दर्शन कर लिए.
भाभी की अलसाई सी चुत पर नमी आने लगी थी.
मैंने भाभी की बुर पर एक प्यारा सा किस करके चूमना शुरू किया और भाभी की चुत नीचे के जंगल के साथ ही फांकों को जीभ से चाट चाट कर आनन्द लेने लगा.
मेरा लंड पूरे ताव में आकर जोश भरने लगा था. मैंने उठ कर भाभी की चुचियों के बीच में लंड को फंसाकर आगे पीछे किया और कुछ ही देर में अपने के जोश को हल्का कर दिया.
बेहोशी से ज़्यादा होश में प्यार का रंग कुछ और ही होता है, ये सोचकर मैं वहीं भाभी से चिपककर लेट गया.
देर शाम होने के बाद आंख खुली, तो देखा कि भाभी नहाकर बेदिंग गाउन में चाय की चुस्की ले रही थीं.
मैं बंद आंखों से उनकी मदमस्त जांघों को निहारता रहा.
फिर भाभी उठकर किचन की ओर चली गईं और खाना बनाने लगीं.
पहले भाभी ने दारू पार्टी के लिए पकौड़े तले, फिर बाद में खाना बना कर तैयार कर दिया.
उसके बाद भाभी ने ड्रेस बदल कर एक नाइट गाउन पहन लिया. जब मैं उनके बेडरूम में उनकी तैयारी को देख रहा था, तो वो किसी परी से कम नहीं लग रही थीं.
घुँघराले बाल, लंबी गर्दन, पतली कमर कैटरीना जैसा फिगर देख कर लगता ही नहीं था कि कविता भाभी शादीशुदा होंगी.
मैं उठ गया और उनको ‘हाय स्वीटहर्ट’ कहा.
मुझे जगा देखकर वो मुस्कुरा उठीं और दौड़ कर मेरे गले लग गईं. भाभी मेरे होंठों को प्यार से चूसने लगीं.
उनके गुलाबी होंठों को स्ट्रॉबेरी लिपस्टिक का फ्लेवर मिलने से लिपलॉक किसिंग का मज़ा और भी ज्यादा आने लगा था.
अब तो बस कविता भाभी को चोदना ही बाकी रह गया था, मगर मैं भाभी की मर्जी से ही उनकी चुदाई का मजा लेना चाहता था.
अगले भाग में भाभी की चुदाई का मजा लिखूंगा. आप इस भाभी की बुर की कहानी के लिए मुझे मेल करना न भूलें.
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भाभी की बुर की कहानी का अगला भाग: लॉकडाउन में मस्त पड़ोसन की चुदाई- 3