भाभी देसी सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरी जवान पड़ोसन ने मुझसे दोस्ती करके सेक्स के लिए उकसाया. मैंने भाभी के रोमांटिक चुदाई कैसे की? मजा लें.
दोस्तो, मैं रौनक पुणे से एक बार फिर से हाजिर हूँ.
आप अब तक की भाभी देसी सेक्स कहानी के पिछले भाग
लॉकडाउन में मस्त पड़ोसन
में पढ़ चुके थे कि कविता भाभी ने मुझे जगा हुआ देखा तो वो मेरे सीने से लग गई.
अब आगे भाभी देसी सेक्स कहानी:
भाभी मेरे होंठों को चूसने के बाद और भी गर्म होने लगीं और मुझे बेड पर लेटा कर मेरे सारे शरीर को किस करने लगीं.
मेरा हाथ भी उनके शरीर पर चलने लगा और उनके मम्मों पर घूमने लगा.
मेरी छुवन से भाभी का रोम रोम खिलने लगा था. उत्तेजना के कारण वो बहकने लगीं.
और नतीजा ये निकला कि भाभी ने खुद से अपना नाईटगाउन खोल कर फैंक दिया.
वो अन्दर एकदम नंगी थीं … और वो मेरे शरीर से चिपक गईं.
अब हम दोनों के शरीर इतने गर्म हो गए थे कि ऊपर चलने वाला पंखे की हवा का भी पता नहीं चल रहा था.
हमारी सांसें तेज़ हो चुकी थीं.
हम दोनों के जिस्म मिलकर एक ही खुशबू हवा में बिखेर रहे थे.
भाभी का एक हाथ मेरे सिर पर था, तो दूसरा लोवर के अन्दर चलने लगा था.
अगले ही पल भाभी मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगीं.
मैं भी उनके जिस्म की गर्मी पाकर अपने बदन से सारे कपड़े हटाकर बिस्तर पर चुदाई की रंगत में आ गया. मैंने सबसे पहले 69 का पोज़ बनाया और भाभी की चूत में अपनी ज़ुबान डालकर चूसने लगा.
मैंने देखा कि इतनी देर में भाभी ने चूत के जंगल को साफ करके चमका दिया था. अब स्ट्रॉबेरी का टेस्ट हर जगह से निकल रहा था.
जितनी देर मैं भाभी की चूत को चूसता रहा, उनकी सांसें तेज़ आवाज में निकलती रहीं- आह आहहा … आहहाअह.
पूरे रूम में कामवासना का सुरीले स्वर गूँज उठा. मैंने भाभी की चूत को चूस चूस कर स्ट्राबेरी के जैसे लाल कर दिया.
भाभी ने भी मेरे लंड को हिला हिला कर और धीरे धीरे चूस कर एकदम तगड़ा कर दिया.
एक तरफ भाभी मेरे लंड को मोटा लंबा कर चुकी थीं और उनकी चूत ने जवानी के रस को निकालना शुरू कर दिया था.
अब तक भाभी दो बार चुत झाड़ चुकी थीं और उसी जोश में लंड को चूस चूस कर सारा का सारा लंड से निकला कामरस गटकती चली गईं. लंड को चाट चाट कर भाभी ने पूरा साफ कर दिया.
धीरे धीरे जब हालत काबू में आए तो डिनर की याद आ गई.
हम दोनों बिस्तर पर लिपटे पड़े एक राहत सा महसूस कर रहे थे.
अभी भी हम पूरे नंगे ही बिस्तर पर पड़े थे और जो हुआ था, उसका आनन्द ले रहे थे.
कविता भाभी मुझे प्यार से लिप किस दे कर बोलीं- आज की शाम के लिए धन्यवाद … चलो अब कुछ खाना पीना हो जाए.
मैंने हामी भर दी.
भाभी वैसे ही नंगी उठकर किचन में चली गईं और डिनर को टेबल पर लगाने लगीं.
जब हम दो ही थे घर में, तो मैं भी कपड़े पहन कर क्या उखाड़ लेता. मैं नंगा ही उठकर बाथरूम में चला गया.
उधर जाकर मैंने हाथ मुँह धो लिए और नंगे ही डिनर टेबल पर आ गया.
कविता भाभी ने जब मुझे नंगा देखा तो वो भी मेरी गोद में आकर बैठ गईं.
मैंने डिनर के पहले व्हिस्की के पैग बनाए और हम दोनों ने चियर्स किया.
दारू के बाद हम दोनों एक दूसरे को अपने हाथों से खाना खिलाने लगे.
पेट भर खाने के बाद किचन के बेसिन में सब बर्तन धोकर वापिस नंगे ही टीवी रूम में आ गए.
मैंने अपने फ्लैट में जाने का कहा.
तो कविता भाभी मस्ती में कहने लगीं- अब आज यहीं पर रुक जाओ.
मैं रुक गया.
तभी उनके पति रवि का फोन आ गया. ये वीडियोकॉल था. भाभी ने झट से नाइट गाउन पहना और बेडरूम में जाकर व्हाट्सैप पर वीडियो चैट करने लगीं.
ये सब देखकर मुझे एक अजीब सा लगने लगा.
एक ही शाम में कई बार कामरस निकल जाने से भाभी थोड़ी थकी हुई सी लगने लगी थीं. पति से चैट खत्म होने के बाद भाभी मेरे पास आ गईं और मेरे गले लग गईं.
मैंने पूछा कि क्या हुआ?
तो भाभी बोलीं- कुछ नहीं … रवि को अपनी दौलत दिखा कर ठंडा कर दिया. मैं भी एक बार फिर से निकल गई. अब मुझे थकान लग रही है.
मैंने भाभी को सीने से चिपटा लिया और उनको चूमने लगा.
मेरे लंड को सहलाती हुई भाभी बोलीं- आज मुझे अकेला मत छोड़ो, कई दिनों बाद मुझे अपनापन मिला है.
भाभी नशे में मेरी आंखों में आंखें डाले प्यार से देखने लगी थीं.
मैंने कहा- अगर सोसाइटी वालों को कुछ पता चला और उन्होंने रवि को बोल दिया, तो क्या होगा?
कविता भाभी बहक कर बोलीं- कुछ नहीं होगा यार, अगर तुम कहीं कुछ नहीं बोलोगे, तो किसी को कैसे पता चलेगा. फिर सोसाइटी का चेयरमैन खुद साला मुझे लाइन देता रहता है. उसकी बीवी मुझे अच्छे से जानती है. अगर मेरे बारे में उसको किसी ने कुछ भी बोला, तो उसकी बीवी नहीं मानेगी.
भाभी की मुस्कान में अब शरारत आने लगी थी और वो मेरे लंड को सहला कर लंबा करने लगीं- तो आज का फाइनल हुआ कि तुम यहीं रुकोगे.
मैंने भी समझ लिया कि भाभी से लिपट कर आज यहीं पर आराम करूंगा. कल देखेंगे कि क्या होता है.
कविता भाभी को अपनी बांहों में उठाकर मैंने उनके पलंग पर लेटा दिया.
भाभी का हाथ मेरे लंड पर ही चल रहा था. कविता भाभी ने मुझे भी बेड पर खींच लिया और मेरे होंठों को चूस चूस कर लाल कर दिया.
हम दोनों का लिपलॉक किस दस मिनट तक चलता रहा. हम दोनों की नज़रों के मिलते ही भाभी की आंखों से आंसू बहने लगे थे, शायद उनको कुछ याद आ गया था.
मैं- कविता क्या हुआ, जो तुम रोने लगीं?
भाभी- कुछ नहीं यार … बस ऐसे ही!
मैंने उन्हें कुरेदा, तो भाभी अपनी शादी से पहले के टूटे हुए अफ़साने को कहने लगीं.
मैं भी उनकी यादों में खो गया और उनके दर्द को समझने लगा. ये सिलसिला काफी देर तक चला. फिर भाभी गहरी नींद में खोती चली गईं.
मेरी समझ में ये आ रहा था कि किसी को चोदने से ज़्यादा प्यार की भावना होना कितना ज़रूरी होता है. बिना भावना की कदर किए जानवरों वाला प्यार तो कोई भी जानवर कर लेता है, पर इंसानों का प्यार अलग ही होता है. यही सब सोचते हुए मैं भी सो गया.
सुबह जल्दी आंख खुल गई. मैं कविता भाभी को बोलकर अपने कपड़े लेकर अपने फ्लैट में आ गया.
सुबह दस बजे तक फ्रेश होकर मैंने अपने रूम को ठीक किया, तब तक कविता भाभी मेरे लिए नाश्ता लेकर आ गईं और प्यार से बोलने लगीं.
भाभी- आओ आज मैं तुम्हें नाश्ता कराती हूँ.
उन्होंने मेरी टेबल पर सब सामान ढंग से लगा कर रेडी कर दिया. तब तक मैंने भी उठ कर दरवाजा लॉक कर दिया.
फिर टेबल पर लगे सामन को देख कर मैं एक कुर्सी खींच कर बैठ गया और भाभी के हाथों से पोहे खाने लगा.
आज वो साड़ी पहनकर आई थीं, बहुत ही प्यारी लग रही थीं.
कुछ देर इधर उधर की बात होने लगीं.
नाश्ता खत्म हुआ तो मैं उनके हाथों से प्लेट लेकर किचन में जाने लगा.
तो भाभी भी मेरी हेल्प करने अन्दर आ गईं. अन्दर मेरे रूम की हालत देखकर भाभी को हंसी आ गई और बोलीं- क्या यार … कमरा तो ठीक कर लेते.
मैं कुछ नहीं बोला और कुछ ही देर में भाभी ने सब पर्फेक्ट कर दिया.
कविता भाभी बोलीं कि अकेले क्यों रहते हो … अब तक शादी क्यों नहीं की?
मैंने भी बोल दिया- तुम्हारे जैसी कोई मिली ही नहीं.
कविता भाभी आंख मारती हुई बोलीं- तो अब तो मिल गयी है, बताओ क्या मूड है?
मैंने भाभी की मंशा समझी और उनकी साड़ी को खींचकर उन्हें अपनी ओर खींच लिया. मैं उनकी गर्दन पर किस करने लगा. कुछ देर तक की किस के बाद हम दोनों से रहा ही नहीं गया. मैंने उनकी साड़ी को पूरी खींच कर निकाल दी. ठीक उसी समय भाभी ने भी मेरा लोवर निकाल दिया.
मेरा लंड हवा में लहराने लगा और मैंने भाभी को अपने बेड धक्का देकर गिरा दिया.
भाभी खिलखिलाती हुई बेड पर टांगें पसार कर मेरे लंड के लिए बेचैन दिखने लगीं.
मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और उनकी पूरी बॉडी पर किस करने लगा. उनकी आंखों पर, होंठों पर, लंबी सी गर्दन पर, फिर उनकी रसभरी चुचियों पर मेरे होंठ कलाबाजी दिखाने लगे.
भाभी की मीठी सीत्कार इस खेल को और भी ज्यादा कामुक बना रही थी.
मैं नीचे को हुआ और उनकी नाभि पर मैंने जीभ फेर दी. जीभ के स्पर्श से भाभी के मुँह से निकल रहा था- आआहा … खा ले … आह बहुत भूख लगी है … आह आज मत छोड़ना.
मेरे दोनों हाथ भाभी की चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगे. इस समय एक बार फिर से मेरे होंठों उनकी नाभि को चूस रहे थे.
इस मस्त अहसास का आपको तो पता ही होगा. ऐसी अवस्था में अंग अंग में जोश भरने लगता है और दोनों तरफ से निकलती ‘आआह … आह …’ की मादक आवाजों से जोश दुगना होने लगता है.
कुछ ही पलों में भाभी जोश में आ गईं और उठकर अपने कपड़े सब निकालने लगीं.
मैं भी जल्दी से अपने बाकी बचे कपड़ों से मुक्त हो गया.
अब हम दोनों नंगे नाग-नागिन की तरह लिपट रहे थे. दोनों एक दूसरे के अंग अंग को बारी-बारी से प्यार कर रहे थे.
मैं भाभी की चूत को चूसने लगा, उनकी दोनों टांगों के बीच में लेटकर मैं अपनी जीभ को भाभी की चूत के अन्दर तक डालने लगा.
वो मेरे बिस्तर की चादर को जोर से पकड़ने लगीं. कुछ ही देर में भाभी की चुत का पानी निकल गया.
कविता भाभी बोलीं- यार, अब और नहीं रहा जाता, इस बार पूरा अन्दर कर दो.
मैं उनके चूतड़ों को प्यार करने लगा और साथ साथ चूत के अन्दर दो उंगली अन्दर बाहर करने लगा.
उंगली करने से कविता भाभी की ‘आह … आआह ..’ बढ़ने लगी.
मैंने और देर करना उचित नहीं समझा. मैं अगले ही पल अपने लंबे हो चुके लंड को कविता भाभी की चूत में डालने लगा.
बहुत दिनों बाद किसी का लंड अन्दर लेने में भाभी को भी दर्द होने लगा था, पर प्यार से उन्होंने मेरे लंड का अपनी चुत में वेलकम किया.
मैं पूरे लंड को चुत के अन्दर पेल कर थोड़ी देर के लिए रुक गया और प्यार से भाभी की चुचियों को चूसने लगा.
फिर भाभी ने नीचे से गांड उठाई तो हम दोनों एक साथ कमर हिलाने लगे.
मैं अपने होंठों को उनके होंठों पर लॉक करके लंड के शॉट मारने लगा. वो भी उसी ताल में कमर हिलाने लगीं.
काफी देर तक भाभी की चुदाई होती रही. धीरे धीरे अन्दर बाहर होने की जगह तेज़ी से चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी गई.
कुछ धक्कों के बाद हम दोनों जोश में होश को खोने लगे और ताबड़तोड़ चुदाई का मंजर चलने लगा.
मैं बार बार अपने लंड को भाभी की बच्चेदानी तक अन्दर ठेल दे रहा था जिससे वो कराह उठतीं और नीचे से अपनी गांड उठा कर मेरे लंड को चुततोड़ जवाब दे देतीं.
फिर चरम आ गया और एक लम्बी ‘आहा ..’ से हम दोनों का जूस निकल गया.
लगभग आधे घंटे तक चुदाई के बाद दोनों एक दूसरे में गुम से हो गए थे.
कविता भाभी के चेहरे की खुशी से उनके मूड के ठीक होने का पता चल रहा था. एक प्यारी सी लिपकिस से वो अपना धन्यवाद बयान करने लगी थीं.
यारों जहां पर दिल मिले हों, वहां पर शब्दों का क्या काम … शाम को वो सामान लेकर मेरे रूम में ही आ गईं. अब शायद उनको सिंगल रहना मंजूर नहीं था.
जब उनके पति का फोन आने का समय होता था, तब वो अपने फ्लैट पर चली जाती थीं. बाकी समय हम दोनों साथ ही रह कर लॉकडाउन का मजा ले रहे हैं.
आगे क्या हुआ, वो मैं फिर कभी लिखूंगा, पर आज भी अगर मूड और रजामंदी होती है हम दोनों प्यार कर लेते हैं.
दोस्तो, आपको ये भाभी देसी सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, ज़रूर बताइएगा.
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