अपनी दोस्त की बहन की मस्त चुदाई

दोस्तो, मेरा नाम प्रवीण है। आज मैं अपनी एक सच्ची सेक्स कहानी बताने जा रहा हूँ. मैं आपको अपने बारे में कुछ बता दूं कि मेरी उम्र 23 वर्ष है और मैं एक बहुत ही अच्छे शरीर का मालिक हूँ मेरा कद लगभग 5 फीट 11 इंच है और दिखने में भी अच्छा खासा गबरू जवान हूँ. मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है।
मैं अपने परिवार के साथ गांव में रहता हूँ।

यह घटना आज से एक महीने पहले की है। इस समय गाँव में कुछ ज्यादा खास काम होता नहीं है इसलिए मैं सारा दिन फ्री ही रहता था। मेरे घर के पास मेरे एक दूर के रिश्तेदार का घर था जो की घर में ही बाहर एक छोटे से कमरे में किराने की दूकान चलाते थे। मैं अक्सर वहीं पर बैठ कर लड़कियों को घूरता था क्योंकि वहां पास हैण्ड पंप था और बहुत से लोग पानी लेने और नहाने आते थे।
हैण्ड पंप ठीक दूकान के बगल में ही था तो लड़कियां जब पानी लेने के लिए आतीं तो मैं उनकी बूब्स को चोरी चोरी देखता रहता था और ऐसे ही मेरे दिन कट रहे थे।
उस दूकान में मेरे रिश्तेदार का लड़का पप्पू ही बैठता था तो हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई थी और जब दूकान के पास कोई नहीं होता था तब हम दोनों मोबाइल में सेक्सी ब्लू फिल्म देखा करते थे। ऐसे ही हमारी दोस्ती और गाढ़ी होती गई।

उस घर में चार ही लोग रहते थे, पप्पू के मम्मी पापा उसकी बड़ी बहन ज्योति और वो। पप्पू मुझसे कई साल छोटा था और उसे सेक्स के बारे में ज्यादा मालूम नहीं था। और मैं उसे ऐसी बातें बताया करता था। उसकी बहन ज्योति जो लगभग 18 साल की होगी, वो दिखने में किसी परी से कम नहीं थी और फिगर भी बहुत अच्छा था। उसके बूब्स बड़े बड़े उभरे हुए और उसकी गांड का उभार तो किसी की भी लंड का पानी निकाल दे। मैं इससे पहले कभी भी उसको गन्दी नजर से नहीं देखता था क्योंकि वो मेरी मुँह बोली बहन थी।

लेकिन एक दिन मैं उसके घर में उसके भाई के साथ बैठ कर मोबाइल में एक नई फिल्म देख रहा था। तभी अचानक मुझे खांसी आने लगी और मैंने मोबाइल दोस्त को देकर बाहर आँगन की ओर निकला और जैसे ही मैंने सामने देखा तो ज्योति नहाने के लिए कपड़े उतार रही थी और उसकी नजर मुझ पर पड़ी तो वो अचानक से मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई।

मेरा लण्ड तो मानो पैंट फाड़ के बाहर निकल आएगा। वो आधे कपड़े में मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी और उसकी पैंटी में से उसके गांड का उभार कुछ ज्यादा ही उत्तेजित करने वाला था। उसका बदन दूध की तरह सफ़ेद था और उसकी जांघें तो मानो मुझे अपने ऊपर टूट पड़ने को कह रही हों!
उसने अपने दोनों हाथों से अपने कुर्ते को पकड़ा हुआ था जिसे वह ऊपर की ओर उतार रही थी और पाजामा तो वह पहले ही उतार चुकी थी। मैंने उसके पीछे मुड़ने से पहले उसकी बूब्स को काले कलर की ब्रा में देख लिया था और पीछे से भी उसकी ब्रा की हुक साफ़ दिख रही थी। मेरा मन तो कर रहा था कि मैं अभी जाकर उसकी ब्रा की हुक खोल दूँ और उसके टाइट टाइट बूब्स पर टूट पड़ूँ।
मैं ऐसे ही उसे कुछ सेकेण्ड तक देखता रह गया। और जब वह शरमा कर वहीं पर बैठ गई तो मैं भी फिर से अंदर जाने लगा और बार बार पीछे मुड़कर चोरी से उसे देखने लगा। अब तो मानो की बुरा हाल हो रहा था मैंने अपने खड़े लंड को अपनी पैंट में सेट किया और दोस्त के बगल में जाकर फिर से बैठ गया मगर मेरा मन तो बस ज्योति के गोरे बदन में लगा हुआ था कि कैसे भी मुझे उसे नंगी देखना है।
और मैं सोचने लगा कि आँगन में कैसे जाऊँ। फिर मैंने देखा कि उस कमरे की दीवार पर एक छोटी सी खिड़की है जो थोड़ी ही दूरी पर थी। तो मैंने अपना दिमाग चलाया कि इस खिड़की से ज्योति को देखा जाये।

मेरा दोस्त तो पूरी तरह से मोबाइल में फिल्म देखने में व्यस्त था तो मैं मौका का फायदा उठाते हुए खिड़की के पास चला गया और थोड़ी सी खिड़की खोल ली। और मेरे दोस्त को कहीं शक न हो जाये इस लिए मैं वह पर रखे कुछ सामानों को देखने लगा और उससे उन सामानों के बारे में पूछने लगा पर चोर नजर से बाहर आँगन में उसकी बहन को नहाते हुए देख रहा था। उसने अपने कपड़े उतार कर एक पतला सा दुपट्टा लपेट रखा था और पैरों में पानी डालकर साबुन लगा रही थी। उसके दुपट्टे के अंदर ब्रा और पेंटी साफ़ साफ़ दिख रहे थे।

और जैसे ही उसने अपने गर्दन पर साबुन लगाना शुरु किया तो मैंने देखा कि वह अपने दुपट्टे को नीचे की ओर सरका रही है और उसने दरवाजे की तरफ देखते हुए अपनी ब्रा को निकाल दिया और अपनी गर्दन और बूब्स पर साबुन लगाने लगी। वह अपने बूब्स को दोनों हाथों से साबुन लगा कर सहला रही थी।
तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने कुल्ला करने के बहाने एक गिलास में पानी लेकर जल्दी से आँगन की तरफ निकला तो उसने मुझे देखते ही अपने दुपट्टे को जिसे उसने अपने बदन पर लपेट रखा था, उससे अपने बूब्स को ढकने लगी.
क्या कमाल के बूब्स थे… इतने टाइट और इतने तने हुए जिसे देख कर ही पता चलता था कि ये अभी तक किसी भी मर्द के हाथों में नहीं आए होंगे।

फिर मैं उसके पास में ही जाकर कुल्ला करने के बहाने उसे देखने लगा और वो शरमा कर सिमट कर बैठी हुई थी।

फिर मैंने धयान दिया कि उसके दोनों पैर थोड़े से खुले हुए हैं और वह अपनी पैंटी भी उतार भी उतार चुकी थी जिससे उसकी बुर के रेशमी बाल हल्के हल्के नजर आ रहे थे।
और यह सब देखने के बाद अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अंदर जाकर उसके भाई से अपना मोबाइल फोन माँगा और किसी काम का बहाना बनाकर अपने घर आ गया और मैंने अपने बेडरूम में आकर बेड पर लेटे लेटे उसके बूब्स के बारे में सोच कर मुठ मरी और जब मेरा लण्ड शांत हो गया तब मैंने सोचा कि यार अब इस माल को किसी न किसी तरह से चोदने के लिए तैयार करना होगा।

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उस दिन से वो मेरे लण्ड को भा गई, मैं दिन में कई बार उसके भाई के बहाने उसके घर जाने लगा और उससे किसी न किसी बहाने से बात करने लगा। मैं उसे घूरने लगा और उसे किसी न किसी बहाने से छूने की कोशिश करता।
ऐसे ही हम दोनों में अब हंसी मजाक होना शुरू हो गया और हम दो तीन दिनों में ही अच्छे से एक दूसरे से घुल मिल गए। जब भी वह किसी वजह से आगे झुकती तो मैं उसके गांड को कपड़ों के ऊपर से देखकर ही उन्हें मन ही मन छूने की सोचने लगता।
यार इतनी सेक्सी गांड और बूब्स देखने के बाद किसका मन नहीं करेगा उन्हें जी भर के छूने को और उसे चोदने को।

मैं फिर किसी मौके का इंतजार करने लगा कि वह कब मुझे अकेले में मिले और मैं उसे जी भर के चोद लूं।

एक दिन वो समय आ ही गया जब उसके मम्मी और पापा दोनों किसी रिश्तेदार के घर जो की गांव से बहुत दूर शहर में रहते थे, उनके यहाँ बच्चा हुआ था तो उसके नामकरण संस्कार में जा रहे थे। अब दो ही लोग घर में थे मेरा दोस्त और उसकी सेक्सी बहन ज्योति।
उसके पापा ने जाते वक्त मुझसे कहा कि बेटा हम तीन दिनों के लिए शहर जा रहे हैं तो तुम भी अपने दोस्त के साथ हमारे घर पर ही सो जाना, ये दोनों घर पर अकेले डरेंगे।
मानो मेरी तो दिल की तमन्ना पूरी हो गई हो… तो मैंने भी झट से हाँ कर दिया और कहा- ठीक है अंकल जी।

मैंने उन दोनों को बस स्टैंड तक छोड़ा और घर वापस आ गया। मैं उस समय बहुत खुश था और मन में सोचने लगा कि ज्योति को कैसे चोदूँ… कहीं उसने शोर मचा दिया तो? फिर मैंने सोचा जो होगा देखा जायेगा… अब उसे बिना चोदे तो मैं छोडूंगा नहीं।

शाम को 7 बजे करीब मैं उनके घर पर गया तो ज्योति खाना बना रही थी। मैं पप्पू के साथ उसके बेड पर बैठ गया और हम लोग मोबाइल में ब्लू फिल्म देखने लगे। पप्पू को मोबाइल में सेक्स देखने में बड़ा मजा आता था तो हम लोग जब अकेले में होते वो जिद करने लगता कि प्लीज दिखाओ न सेक्सी फिल्म!
और मैं मोबाइल में सेक्सी वीडियो लगा कर उसे देखने के लिए दे देता।

ऐसे ही हमें वीडियो देखते देखते 8.30 बज गए, अब तक ज्योति भी खाना बना चुकी थी और वह नहीं जानती थी कि मैं भी घर में आ चुका हूँ।
ज्योति ने मुझे जैसे ही देखा, वो बोली- अरे भैया आप किस समय आ गए? मुझे तो पटा ही नहीं चला!
तो मैंने कहा- तुम खाना बना रही थी, तभी आया था।

फिर मैं और पप्पू खाना खाने के लिए बैठ गए और ज्योति हमें खाना परोसने लगी।
तभी मैंने देखा कि ज्योति ने बड़े गले का सूट पहना हुआ है और जब वह झुक कर खाना परोस रही थी तो उसके दोनों बूब्स एकदम साफ दिख रहे थे. आज उसने ब्रा नहीं पहनी थी तो उसके बूब्स के भूरे भूरे निप्पल एकदम साफ दिख रहे थे।
हमें खाना परोसने के बाद ज्योति भी हमारे साथ खाना खाने लगी और हम तीनों ने खाना खाने के बाद कुछ देर तक बैठ के बातें की और ज्योति ने कहा- भैया मैं सोने जा रही हूँ, आप लोग भी सो जाइये।

मेरा और पप्पू का बिस्तर पहले से ही ज्योति ने बरामदे में लगा दिया था और वो पास के ही एक कमरे में जाकर सो गई।

अब मैं और पप्पू दोनों फिर से मोबाइल में पोर्न फिल्में देखने लगे। कुछ देर के बाद पप्पू को भी नींद आ गई। मगर मुझे कहां नींद आने वाली थी, मैं सोच रहा था कि ज्योति तो अपने रूम में जाकर सो गई है और अगर उसने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया होगा तो!
फिर मैंने सोचा कि यार एक बार जाकर देखने में क्या जाता है. और मैंने पप्पू को दो बार आवाज दी लेकिन पप्पू गहरी नींद में सो रहा था। मैं उठा और ज्योति के कमरे के दरवाजे को हल्के से धक्का दिया तो वह खुल गया, मेरी तो मानो आज किस्मत ही खुल गई हो।

अब मेरे सामने मेरे सपनों की रानी सोई हुई थी मगर मुझे डर भी लग रहा था कि अगर वह जाग गई और उसने शोर मचा दिया तो उसका भाई उठ जायेगा।
फिर भी मैं धीरे से ज्योति के बेड पर जाकर आराम से उसके पीछे लेट गया। उसने एक पतली सी चादर ओढ़ रखी थी, उसे मैंने हल्के से खींचा और अपने ऊपर भी डाल लिया। फिर आहिस्ता आहिस्ता मैं उसके एकदम करीब जाकर चिपक गया, उसकी गांड अब ठीक मेरे लण्ड के पास में थी और मैं थोड़ा और खिसक गया जिससे मेरा लंड ज्योति के गांड की दरार में सेट हो सके।

फिर मैं ज्योति के कुर्ते को धीरे धीरे ऊपर करने लगा. मेरी सांसें बहुत तेज चल रही थी, दिल में थोड़ा सा डर और कुछ नया करने का उत्साह भरा हुआ था। मैं ज्योति के कुर्ते के अंदर हाथ डाल कर उसके बूब्स को हल्के से सहलाने लगा। उसके बूब्स एकदम कड़क थे और उनके छोटे छोटे निप्पल थे।

बूब्स को छूते ही मेरा लंड एकदम कड़क हो गया और अब पूरे जोश में आ चुका था। मैंने अपने लंड को अंडरवियर से बाहर निकाला और उसके गांड की दरार में कपड़ों के ऊपर से ही रगड़ने लगा। मुझे और ज्यादा अच्छा लगने लगा तो मैंने ज्योति के बूब्स को थोड़ा जोर जोर से दबाने लगा और उसकी गर्दन और पीठ पर चुम्बन करने लगा।

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इतने में ही ज्योति के हाथों ने हरकत की और वो जैसे नींद में कुछ बड़बड़ा रही हो।
तो मैं थोड़ा सा पीछे हट गया और अपने हाथ को भी बाहर खींच लिया और दो मिनट के लिए शांत हो गया.

अब वो बेड पर सीधी होकर लेट गई थी। फिर कुछ देर बाद मैंने उसके बगल में सट कर उसके गाल और होंठ पे चुम्बन किया और उसके पलटने से अब कुरता और भी ऊपर आ गया था तो मैंने उसे धीरे से और ऊपर कर दिया। अब उसके नंगे बूब्स मेरे सामने एकदम तन के खड़े थे जैसे चीख चीख कर कह रहे हो कि आओ हमें मसल डालो।

मैंने उसके एक बूब पर हाथ रख दिया और दूसरे को मुंह में लेकर चूसने लगा।
तभी अचानक ज्योति की आँखें खुली तो उसने मुझे अपने ऊपर से हटाते हुए धीमे स्वर में कहा- भैया, आप ये क्या कर रहे हो?
वो अपने हाथों से अपने बूब्स को छुपाने लगी।

मैं बोला- कुछ नहीं ज्योति, वो आज तुम जब खाना परोस रही थी तो तुम्हारे बूब्स जैसे मुझे देख के चिड़ा रहे हो तो मैंने भी सोचा कि क्यों न इनसे थोड़ी छेड़ छाड़ कर ली जाये।
और इतना कह कर मैंने फिर से उसके बूब्स को पकड़ लिया।
ज्योति थोड़ा सा गुस्सा होकर बोली- ये सब गलत है भैया, आप अपने बिस्तर मे चले जाइए।
तो मैंने कहा- ये बताओ ज्योति, क्या तुहारा मन नहीं करता ये सब करने को?
और मैं ज्योति को समझाने लगा- इस उम्र में सेक्स सभी करते हैं, क्या तुमने कभी नहीं किया?

तो वो बोली- नहीं, मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता।
और वो मेरे तरफ पीठ करके सो गई।
तो मैंने फिर से कहा- ये सब करके तुम्हें भी बहुत मजा आएगा, एक बार कर के तो देखो। अगर तुम्हे मजा न आये तो मत करना।
और इसी तरह मैं अपनी बातों से उसे मनाने लगा लेकिन वो चुप थी।

फिर मैंने अपने एक हाथ से उसके हाथ के ऊपर सहलाने लगा तो वो कुछ नहीं बोली।
मैंने पूछा- क्या तुम्हारा कोइ बॉयफ्रेंड है?
तो वो बोली- नहीं, कोई नहीं है।
तो मैंने कहा- ठीक है, आज से मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड हूं।

इतना कह कर मैंने अपने हाथ धीरे धीरे उसके बूब्स पर रख दिए तो उसने कुछ नहीं कहा. फिर मैंने उसे सीधा करके लेटाया, उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और बूब्स को थोड़ी जोर से सहलाने लगा।
कुछ देर बाद ज्योति भी मेरा साथ देने लगी, मैं उसके होंठ को पागलों की तरह चूस रहा था और चूम रहा था. अब ज्योति भी गर्म होने लगी थी, वह भी चुम्बन में मेरा पूरा साथ दे रही थी।

अब मैं नीचे उसके गर्दन से होते हुए छाती तक पहुँच गया और जैसे ही मैंने उसके बूब्स के निप्पल में जीभ चलाना शुरु किया, ज्योति एकदम सिहर उठी, उसके बदन में जैसे करंट दौड़ गया हो। मैं उसके दोनों बूब्स को बारी बारी से चूस रहा था और ज्योति भी मेरे सर को पकड़ कर अपने बूब्स पर दबा रही थी, अब उसके मुंह से मदहोशी भरी आवाजें निकलने लगी थी।

करीब 15 मिनट बाद मैंने उसकी सलवार के नाड़े को खोल दिया और उसे उतार दिया. अब वो मेरे सामने केवल पेंटी में थी, उसका नंगा बदन देख कर लग रहा था कि कोई परी हो एकदम दूध की तरह गोरी।
फिर मैंने उसकी पैंटी भी निकाल दी तो वो एकदम से अपने हाथों से अपनी बुर को छुपाने लगी।
मैंने कहा- अब क्या शर्म मेरी जान… अब तो मैं तुझे जन्नत की सैर कराऊंगा, बस तू मेरा साथ देते रहना।

मैंने उसके हाथ हटाए और उसकी बुर को किस करने लगा और उसकी बुर के दाने को दांतों से रगड़ने लगा। अब ज्योति के मुँह से और ज्यादा जोर की आवाजें निकलने लगीं और वह मेरे सर को बुर पर दबाने लगी।
मैं समझ गया कि अब वह चुदाई के लिए बिल्कुल तैयार है, तब मैं धीरे से ऊपर आते हुए अपना लंड उसकी बुर पर रगड़ने लगा और उसके कंधे को पकड़ कर एक जोर का झटका मारा और मेरे लंड का सुपारा उसकी बुर के छेद में समा गया जिससे ज्योति दर्द से चिल्लाने लगी.

तभी मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और कुछ देर तक बिना हिले शांत रहा। जब ज्योति का दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने एक और जोर का झटका मर दिया और मेरा पूरा लंड उसकी बुर को फाड़ते हुए अंदर समां गया।
वो दर्द से छटपटा रही थी और मुझे अपने ऊपर से हटाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।

कुछ देर बाद मैं धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा। जब ज्योति का दर्द कम होने लगा तब वह भी मेरा साथ देने लगी और अपनी कमर को उठा उठा कर कर चुदने लगी।
तब मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार को बढ़ा दिया और पूरी ताकत से ज्योति को चोदने लगा। ज्योति भी कमर उछाल उछाल कर चुदने लेगी और मेरे शरीर पर अपने नाखून गड़ाने लगी।

ऐसे ही दस बारह मिनट तक चोदने के बाद ज्योति का शरीर एकदम से अकड़ने लगा, शायद वह झड़ गई थी। मैं और जोर से उसे चोदने लगा और 5 मिनट बाद मैं भी ज्योति की बुर के अंदर ही झड़ गया।
हम उसी स्थिति में लेटे रहे।
कुछ समय बाद मैंने ज्योति को फिर से किस करना शुरु कर दिया और ज्योति भी मुझे बेहद किस किये जा रही थी।

उस रात मैंने ज्योति को एक बार और चोदा। ज्योति बहुत ही संतुष्ट लग रही थी।
इस तरह बीती मेरी वो रात कुँवारी कन्या के साथ!
सुबह मैंने उसके भाई की दूकान से ही उसे दर्द की एक गोली देकर कहा कि इसे खा लेना सब कुछ ठीक हो जायेगा।

उसके बाद तो मैं और ज्योति जब भी मौका मिलता, हम मजे से चुदाई करते हैं।
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