प्रतिशोध की ज्वाला-2

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मेरी कहानी के पहले भाग में अब तक आपने पढ़ा कि मेरी सहेली तबस्सुम मुझे खुल कर जीने के लिए अपनी चूत का इस्तेमाल करने के बारे में बता रही थी.
अब आगे..

वो मुझसे बोली- यार तुम भी चेंज कर लो.
मेरे पास मोटे कपड़े थे, जब मैंने उनको डालना शुरू किया तो बोली- क्या यार, तुम भी कहाँ की दकियानूसी हो. मेरे जैसे कपड़े डाला करो और अब तुम पूरी मॉडर्न बन जाओ.

फिर उसने अपनी तरह की एक नाइटी मुझे दी और मैंने उसे डाल लिया, मगर डालते ही मुझे उसके सामने जाने में भी शरम आ रही थी.
उसने देखा और बोली- अब शरम नाम की चिड़िया को जहाँ से आई हो.. वहीं छोड़ दो. मेरे साथ मेरी तरह से रहा करो. जिन कपड़ों को मैंने डाला था, उसमें से मेरे मम्मों की घुंडियां और चूत के बाल भी नज़र आ रहे थे.
वो मुझे देख कर बोली- कल ये चुत की झांटें साफ कर लेना और हाँ कोई ब्लेड ना इस्तेमाल करना, इस काम के लिए गुसलखाने में क्रीम रखी हुई है, उसी को इस्तेमाल करना. उसे लगा कर दस मिनट रखना और फिर सब साफ हो जायेंगे. यह बाल चूत पर घूँघट बन कर उन्हें अपनी शकल देखने से रोकते हैं.

मैं चुप रही.

फिर वो बोली- देखो यार, नौकरी तो मिल जाएगी मगर तुम्हें अपना जलवा भी दिखाना पड़ेगा.
मैंने कहा- मैं मतलब नहीं समझी?
उसने कहा- तुमने देखा नहीं था सुबह मेरे होंठों का क्या हुआ था. वो सब मेरे बॉस ने किया था मगर क्योंकि नौकरी करनी है तो सब कुछ सहना पड़ता है. एक बात समझ लो, जो काम हमें दिया जाता है, उसके लिए तो वो लोग किसी से पांच हजार देकर भी करवा सकते हैं. जबकि इसी काम के लिए हमें 25000 से 30000 तक देते हैं, तो इनको वसूलेंगे भी ना.. और यह सब वसूला जाता है हमारे मम्मों से और चूत से.

उसने फिर मुझे समझाया कि देख यह दो मम्मे हमारे खजाने की चाबियाँ हैं और खजाना चूत है. चाबियों से दबा दबा कर खजाने का रास्ता निकलता है और जितनी जल्दी यह समझ जाओगी, तेरे लिए उतना ही अच्छा रहेगा.. और एक बात याद रखो कि लड़की सिर्फ़ एक चूत होती है, उसका काम हैं लंड को अपनी चूत में ले कर स्वागत करना. तुम खुद ही देख लो, तुम्हारे साथ लंडों ने क्या किया. सिवाए अपने अपने लंड को तुम्हारी चूत में डाल कर रगड़ा और चलते बने.
मैं उसकी बातों का मर्म समझ रही थी.

उसके बाद वो बोली- अभी पूनम तुमने चूत की असली जिंदगी नहीं देखी. उसके साथ क्या क्या किया जाता है. मैं तुम्हें बताती हूँ. यह लड़के 5-6 लड़कियाँ ले कर आते हैं और किसी ग्राहक, जो उन्हें चोदना चाहते हैं, उसके पास ले जाते हैं. फिर उन लड़कियो को नंगी करके उनकी नुमायश कराई जाती है. वो ग्राहक लड़कियों के मम्मों को बुरी तरह से दबा दबा कर देखता है कि यह कितने ढीले हुए हैं.. या अभी सख्त हैं. फिर उनकी नोकों को खींच खींच कर मींजता है. इस पर भी जब उसका दिल नहीं भरता, तब चूत को अपने हाथों से पूरी तरह से खोल कर देखता है. तब जा कर किसी को पसंद करके चोदने के लिए लेकर जाता है. मैं यह सब खुद देख सुन और भुगत चुकी हूँ.
मैं बस उसकी तरफ मूक दर्शक सी सुनती रही.

वो बोले जा रही थी- मगर जब यह चूत अपनी पर आ जाती है तो बड़े बड़े लंडों को पानी पिला देती है. परंतु इसके लिए बहुत कुछ करना पड़ता है.
उसने मुझे यह सब समझा कर कहा- अब तुम मेरे साथ रहती हो.. न कि अपने उन लोगों के साथ, जिन्होंने बिना सोचे तुम्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. अब तुम कुछ ऐसा काम करो कि उन सबको पानी पिला दो.
मैंने पूछा- क्या यह हो सकता है?
वो बोली- क्यों नहीं हो सकता, अगर कोई चूत अपनी पर आ जाए तो क्या नहीं कर सकती.

मैंने उससे कहा- मैं वो सब कुछ करूँगी, जिससे मेरे पति की बहन और माँ को चुदवा कर उनकी फिल्म बना लूँ.
वो बोली- उसके लिए बहुत कुछ करना पड़ेगा.. मगर हो जाएगा. उनसे बदला लेने के लिए मैं तुम्हारा साथ दूँगी.
मैं खुश हो गई थी.

उसने कहा- ठीक है, मैं तुम्हें कल शाम को अपने साथ ले कर चलूंगी और तुम को कुछ ऐसे लोगों से मिलवा दूँगी, जो यह सब कर पाएंगे.

अगले दिन उसने मुझे शाम के 4 बजे कहा कि ठीक 5.30 पर होटल मेट्रो के बाहर मिलना.. और हां ज़रा सेक्सी ड्रेस डाल कर आना. अगर ऐसी ड्रेस ना हो, तो मेरे अलमारी से निकाल कर डाल लेना.

शाम को मैं पूरी तरह से बन ठन कर ठीक समय पर होटल मेट्रो के बाहर खड़ी थी. तबस्सुम किसी के साथ आई और उसने मुझे इशारा किया कि मेरे पीछे आ जाओ.

मैं उसके पीछे पीछे चल पड़ी और जब वो दोनों होटल के किसी कमरे में जाने लगे तो मुझसे बोले कि तुम भी आ जाओ.
वहाँ पहले से ही 4-5 लड़के बैठे थे और हरेक किसी ना किसी लड़की के साथ था. बस मैं ही थी, जो किसी लड़के के साथ नहीं थी.

अब मैं वहाँ ताश के पत्तों का पपलू थी. सब लड़के मुझे देख कर अपने अपने लंड मसलने लग गए.

तबस्सुम ने उनको देख कर कहा- नहीं, यह आज हमारी मेहमान है और सिर्फ़ हम सबको देखेगी और फिर यह किसी खास आदमी की अमानत है. जब तक वो इसका भोग ना लगा ले, तब तक इसे कोई छू भी नहीं सकता.

उसके बाद सब लड़कों और लड़कियों ने अपने अपने कपड़े निकाल कर ऐसे फैंक दिए, जैसे वो सब फालतू हों.

अब कमरे में चुदाई का पूरा नंगा नाच होने लग गया. कभी कोई किसी को चूमता और मम्मे दबाता, कभी कोई किसी की चूत में उंगली करता. जो चाहे जिसकी चुत में चाहे जो करे, कोई किसी को कुछ नहीं बोल रहा था. सब पूरे मज़े ले रहे थे.

मेरे लिए यह सब एक नई दुनिया थी. रात को दस बजे वो सब एक दूसरे की चूत और लंड से खेल कर बाहर जाने लगे. मगर तबस्सुम वहीं पर रुकी रही और उसने मुझको भी रोक कर रखा.

उसने मुझसे बोला- अभी तक तो तुमने हम लोगों की चुदाई देखी है. अब तुम भी तैयार हो जाओ. तुम्हारा लौड़ा भी आने वाला है. उससे मस्त हो कर चुदवाना. वो तुम्हारा काम पूरे अंज़ाम तक पहुँचाएगा. मतलब कि तुम्हारे पति की माँ और बहन की बजवाएगा. मगर अभी उससे कुछ ना कहना, बस उसे खुश करना. उसको खुश कैसे करना है, वो तुम देख चुकी हो.

यह कह कर वो मेरा जवाब सुनना चाहती थी.
मैंने कहा- अपने अंजाम तक पहुँचने के लिए अगर कोई मुझे बाज़ार में भी नंगी हो कर नचवाएगा, तो भी मैं तैयार हूँ.
इतने में एक आदमी जो 40-45 साल का था, कमरे में आया और मुझको देखने लगा.

तबस्सुम ने कहा- बॉस, इसी के बारे में मैंने कहा था. यह आज आपकी गोद में बैठ कर आपकी पूरी रात रंगीन करेगी.
उसने तबस्सुम के मम्मों को दबा कर कहा- ठीक है.. इसे सब कुछ पता है ना.
तबस्सुम ने कहा- जी हजूर.
“ओके फिर तुम जाओ.”

वो मुझे आँख मार कर बाहर चली गई. अब कमरे में मैं और वो ही थे. उसने कहा- अपने कपड़े उतारो.
मैंने झट से उतार दिए.
अब मेरी पूरी साफ चुत और गोल गोल मम्मे और उनके ऊपर लगी गुलाबी घुंडियां उसको चिढ़ा और ललचा रही थीं.

उसने कहा- मुझे भी नंगा करो.
मैं उसके एक एक करके कपड़े उतारने में लग गई. जो ब्लू फ़िल्म मैंने तबस्सुम के घर पर कल देखी थी, उनसे ज्ञान ले कर सब कुछ कर रही थी.

जैसे ही मैंने उसकी चड्डी उतारी, उसका लंड आसमान को छूने लगा.
मैंने लंड देखते ही उसके कहने से पहले ही उसका लंड अपने मुँह में ले लिया. वो मेरे मुँह को चूत की तरह से चोदने लगा.. और तब तक चोदता रहा, जब तक उसका पानी मेरे मुँह में नहीं निकल गया.

वो लंड चुसाई से बहुत खुश हुआ और बोला कि तुम तो बहुत कमाल की चीज़ निकली.. मैं नहीं समझता था कि तबस्सुम कोई ऐसा माल भी अपने साथ रखती है.

अब उसकी बारी थी मेरी चूत को चाटने की, तो इस काम में वो बहुत ही माहिर था. उसने चूत को बड़े प्यार से चाटा, पहले तो बाहर से.. फिर चुत को खोला और अपनी उंगली की, मगर ध्यान उसका मेरी चूत के मटर पर था. उसको मुँह में ले कर बाहर की तरह खींचने लगा.

जब उसने मेरी चुत को पूरा लाल कर दिया, तब उसने अपनी ज़ुबान मेरी चूत में हिलानी शुरू कर दी. उस समय मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया, जो उसने चाट कर पी लिया.
फिर वो मुझसे बोला- आज तुम मेरी चुदाई करो.
मैं समझ गई कि वो मुझे अपने लंड पर बैठाना चाहता है.

यह सब मैं कल ही तबस्सुम के घर पर किसी फिल्म में देख चुकी थी कि किस तरह से लंड पर बैठा जाता है.

बस मैंने पूरी उसकी कॉपी करनी शुरू कर दी. अब तो वो पूरे सातवें आसमान पर था और उसने झट से तबस्सुम को फोन किया कि वो आज उसका पूरा कर्ज़दार हो गया. क्योंकि उसने आज बहुत दिनों बाद कोई असली चूत दिलवाई है.
मुझे नहीं पता कि तबस्सुम ने उससे क्या कहा, मगर उसका उत्तर था- हां हां बिल्कुल जितना हो सकेगा, पक्का करूँगा.

फिर उसने मुझसे कहा- क्या तुम किसी से बदला लेना चाहती हो?
मैंने कहा- साहब आज चुदाई में इन बातों को करना ठीक नहीं… वरना मज़ा भी गायब हो जाएगा. मैं फ़ुरसत में आपको सब बताऊंगी.

यह सुन कर वो और भी खुश हो गया. वो बोला- तुम सच में चुदाई की क्वीन (रानी) हो या कहूँ कि बेगम हो.. मैं तुम्हारा गुलाम बन चुका हूँ.
इस तरह से पूरी रात उससे अपनी चूत को चुदवाती रही और उसे पूरा खुश करती रही.

अगले दिन जब मैं घर वापिस आई तो तबस्सुम ऑफिस जाने को तैयार थी. वो बोली- आराम करो और नाइट शिफ्ट की तैयारी करके रखना. वो आज भी तुम्हें अपनी गोद में लेकर सोएगा.
मैंने कहा- मुझे लग रहा था कि यही होगा.
वो- ओह ओह बहुत जल्दी समझदार बन गई हो. आज कम से कम आधा घंटा अपने मम्मों की मालिश करना और हाथों को नीचे से ऊपर ले जाना और कभी भूल कर बिना ऊपर से नीचे ना लाना. इससे मम्मे हमेशा खड़े रहेंगे और लटकेंगे नहीं. अगर लटक गए तो समझ लेना कि सत्यानाश हो गया.
मैंने कहा- ठीक है.

उसके जाने के बाद मैंने पूरा एक घंटा मम्मों की मालिश की और मम्मों की नसों को नीचे से ऊपर ले जाती थी ताकि वो उठे रहें.

फिर चुत पर भी ध्यान देना शुरू किया. मैं लेट कर साँस लेती थी और हर सांस के साथ चूत को अन्दर की तरह करती थी, जिससे कि वो सिकुड़ जाए.

यह सब करने के बाद मैं नहाने चली गई और साबुन से अच्छी तरह से चूत की सफाई की, जिससे जब यह चुदाई करने वाले के सामने आए तो वो भी दिल भर करके इसे देख कर प्यार करे.

शाम को तबस्सुम का फोन आया कि तुम आज सेक्टर 7 में चली जाना और मैं बस स्टॉप पर तुम्हें लेने के लिए गाड़ी नम्बर 7819 आएगी. वो तुम्हें अपनी मंज़िल तक ले जाएगी.

मैं निश्चित टाइम पर पहुँच गई और जैसे ही गाड़ी आई तो उसमें वो ही आदमी बैठा था, जिसने कल मेरी चुदाई की थी.
मैं गाड़ी में बैठ गई और बैठते ही उसने मेरा मुँह अपने लंड पर रखवा दिया, जो पहले से ही पैन्ट से बाहर निकला हुआ था और पूरी तरह से खड़ा हुआ था. मैंने उसके लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और बड़ी मस्ती से चूसा, जिससे वो कुछ देर बाद ही झड़ गया. मैंने उसके लंड का सारा माल अपने गले के नीचे कर लिया.

अब वो मुझे अपनी गोदी में बिठा कर मेरे मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. मैंने उससे कहा- ज़रा आराम से कीजिएगा, मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ. अब आई हूँ तो पूरी तसल्ली करवा के ही जाऊंगी.
लेकिन वो कहाँ मानने वाला था, उसे तो मेरे मम्मे इस तरह से लग रहे थे जैसे किसी बच्चे को उसका मनपसंद खिलौना मिल गया हो और वो उसे छोड़ना ही ना चाह रहा हो.

आप मेरी कहानी बदले की आग के लिए अपने ईमेल भेज सकते हैं.
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मेरी ये सच्ची चुदाई की कहानी जारी है.

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