ताऊ के कमरे में ताई की चुदाई का नजारा

बड़ी उम्र की औरत की चूत की कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी ताई जी को अपने ताऊ जी के लंड से चुदाई कराते देखा. ताई रोज दूध देने ताऊ के कमरे में जाती थी.

नमस्कार दोस्तो, मैं विनोद कुमार गुरूग्राम हरियाणा का रहने वाला हूँ. मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच है, रंग गेहुंआ और वजन 80 किलो है.
मैं दिखने में इतना सुंदर तो नहीं हूँ कि लड़कियां मुझे देखते ही अपनी खोल दें मगर जब उनकी खुलती है तो फाड़ने में कोई कसर भी नहीं रहती है.

अन्तर्वासना की गर्म कहानियां मैं बहुत सालों से पढ़ रहा हूं और इसी के चलते मैं भी आज अपनी एक कहानी बताना चाहता हूँ, जो बिल्कुल सत्य है.
चूंकि अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली सेक्स कहानी है, तो गलती होना लाजिमी है. उसके लिए पहले से ही माफी का तलबगार हूँ.

दोस्तो, मेरी उम्र अब लगभग 40 है और शादीशुदा हूँ.

यह बड़ी उम्र की औरत की चूत की कहानी तब की है, जब मैं 12वीं में पढ़ता था.
सेक्स में रुचि सभी लड़कों में रहती है क्योंकि ये एक ऐसी कला है जो बिना किसी के बताए ही इंसान सीख जाता है.

ये सेक्स कहानी उस समय की है, जब सयुंक्त परिवार में सेक्स होना एक बड़ी बात थी.
आज की तरह महिलाएं सेक्स का एन्जॉय खुल कर नहीं कर पाती थीं.

तब भी उस समय औलादें ज्यादा होती थीं. क्योंकि मुझे लगता है कि उस वक्त सेक्स शायद बच्चे पैदा करने के लिए ही किया जाता था, मजा लेने के लिए नहीं.

पत्नियां घूँघट की आड़ में अपने पतियों के साथ संसर्ग करने जाती थीं और उनके सेक्स करने का अंदाज काफी छुपा छुपा सा रहता था.

जब मैं जवान हुआ तो सेक्स की जानकारी लगी कि नर मादा के बीच संसर्ग के उपरान्त ही बच्चे पैदा होते हैं.

इस विषय को मैंने गहनता से पढ़ा, तो चुदाई का मैकेनिज्म समझ आया.
मेरी आस पड़ोस की लड़कियों पर नजर जाना शुरू हो गई.

लेकिन तब सामाजिक बंधन इतने मजबूत हुआ करते थे कि पड़ोसन की लड़की को बहन ही मान लेना पड़ता था.
इस वजह से नजरों में खोट नहीं आ पाया.

शहर का माहौल तो काफी बदल गया था. मगर जिस छोटे से गांव से मैं ताल्लुक रखता हूँ, उधर ये सब इतना खुला नहीं था.

बाद में दोस्तों से जानकारी हुई कि गांव में भी सेक्स का खेल चलता है और वो शौच के बहाने खुले में जाकर लड़कियां अपने जानम से मिलती हैं और उनके बीच खेतों में सेक्स हो जाता है.

तब भी खेत में चुदाई करना कोई बहुत ज्यादा आरामदायक नहीं होती है.
वो तो सेक्स की चुल्ल ऐसी होती है कि चुदाई के समय न जमीन के कंकड़ गड़ते हैं और न कपड़े खराब होने की परवाह होती है.

उस वक्त सेक्स करने में एक घबराहट भी होती है कि कहीं कोई देख न ले.
तब भी सेक्स में जब तक डर न हो, तब तक उसका रोमांच मजा नहीं देता है, ये मैं सोचता हूँ.

लोगों की निगाहों से बचकर अपने प्रेमी या प्रेमिका से मिलने जाना एक गुदगुदी और सनसनाहट का मजा देती है.
कोई देख न ले … नहीं तो बदनामी हो जाएगी. इस सबका भारी खतरा भी रहता था.

फिर गांव जैसी छोटी जगह में ये खतरे और भी ज्यादा होते थे.

सयुंक्त परिवार में पति पत्नी के बीच सेक्स होना भी कोई सामान्य घटना नहीं होती थी.
पति पत्नी आज की तरह अपने कमरे में एक साथ नहीं सोया करते थे.

फिर जवानी निकल गई हो और बच्चों की शादी हो गई हो तो उस उम्र में तो सेक्स की बात सोचना ही एक बड़ी बात हुआ करती थी.
जबकि सेक्स तो हुआ ही करता था.

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सास बहू एक साथ बच्चे जनती थीं.
एक पलंग पर सास ने बच्चा दिया होता था और दूसरे पलंग पर बहू प्रसव पीड़ा झेल रही होती थी.

मैं भी एक सयुंक्त परिवार में रहता हूँ और ये सेक्स कहानी मेरे ताऊ और ताई की है.

मैं ताई के घर पर ही टेलीविजन देखता था और देर रात ताई दूध लेकर जाया करती थीं.

यह नजारा मैं अक्सर ही देखता कि ताई दूध लेकर जाया करती थीं.
उस समय ताई का सोने का समय होता था और वो अपने नाती पोतों के साथ सोती थीं.

जबकि सोने से पहले वो ये सब करती थीं, तो मुझे बड़ा कौतूहल हुआ करता था कि ताई दूध लेकर जाती हैं और एक घंटे से पहले नहीं लौटती हैं.

पहले तो मैं कुछ समझ नहीं पाया.
फिर एक दिन मैंने सोचा कि क्यों ना इनका पीछा किया जाए और देखा जाए.
मैं ये देखना चाहता था कि वो करने क्या जाती हैं.

यही बात जानने के लिए मैंने एक दिन उनका पीछा किया और वो वह दूध लेकर वहीं गईं, जहां ताऊ सोया करते थे.

पहले तो उन्होंने दूध रखा और फिर उन्होंने दरवाजे की सिटकनी बंद की.

ताऊ ने कहा- आज बड़ी देर लगा दी.
ताई हंस कर बोलीं- क्यों ज्यादा गर्मी चढ़ गई थी क्या?

ताऊ बोले- हां … अब जल्दी से आ जा.
ताई- आ रही हूँ, सब्र रखो.

फिर ताई ने ताऊ को दूध दिया.
दूध पीने के बाद ताऊ ताई पर हाथ फिराने लगे और ताई को गर्म करने लगे.

उस समय उनकी उम्र 50 के करीब थी, तो इस उम्र पर सेक्स कम हो जाता है.

वो पहले तो वो ताई पर हाथ फिराते हुए उनका ब्लाउज उतारने लगे, फिर छाती पर हाथ फिराते फिराते उनए मम्मों को मसलने लगे.
फिर उन्होंने पेटीकोट को भी निकाल दिया.

अब ताई बिल्कुल नग्न अवस्था में थीं.

ताई मस्ती भरी नजरों से ताऊ के लंड को देख रही थीं.

मैं तो किसी औरत को पहली बार नंगी देख रहा था.
वो अन्दर से एकदम गोरी-चिट्टी थीं और उनका बदन दूधिया रंग के बल्ब की रोशनी में चमचमा रहा था.

इतना देख कर मेरे तो पैरों में कंपन होने लगी.
मैं ये सब खाट के एक खूंटे पर खड़े होकर देख रहा था.

मेरे पैरों में दर्द तो हो रहा था पर देखने में मजा आ रहा था.

दर्द से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था.
उसी समय मेरा लंड अकड़ कर टाइट हो गया और उसमें से पानी निकलने लगा.

उधर तब तक ताऊ ने ताई को गर्म कर दिया था.
ताऊ ने उनका हाथ उठाकर अपने लंड पर रख दिया था और अब ताई भी ताऊ के लंड को सहला रही थीं.

धीरे धीरे ताऊ का लंड खड़ा हो रहा था और ताई की छातियां टाइट हो गई थीं.

ताऊ ने ताई को अपनी गोद में खींचा और उनके एक दूध के निप्पल को अपने होंठों में दबाकर चूसने लगे.

ताई के मुँह से हल्की हल्की आवाजें निकलने लगीं- पूरा गिलास दूध पी तो लिया है … अब क्या पी रहे हो?
ताऊ हंसे और बोले- तेरे दूध चूसे बिना मेरा खड़ा नहीं होता.

शायद ताई को अपने दूध पिलाने में मजा आने लगा था, तो वो भी ताऊ को अपने दोनों मम्मों का मजा दे रही थीं.

ताई अपने हाथ से अपने दूध का निप्पल ताऊ के मुँह में दे रही थीं.

फिर ताई ने कहा- जल्दी कर लो … कोई बच्चा चिल्लाता हुआ न आ जाए.
ताऊ ने कहा- हां अब मेरा भी पूरा खड़ा हो गया है, चल लेट जा.

उसके बाद ताऊ ने ताई को नीचे लिटाया और वो उनके ऊपर चढ़ गए.

ताऊ ने अपना लंड ताई की चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.
ताई ने अपने हाथ से ताऊ के लंड को पकड़ा और टांगों के बीच में सही जगह लगा कर ‘हन्न …’ की आवाज दे दी.

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उसी समय ताऊ ने लंड को चूत में पेल दिया और ताई की ‘आं … धीरे …’ की आवाज निकल गई.

अब ताऊ ताई की चूत में अपना लंड पेल कर चोदने लगे.
मैंने देखा कि इस उम्र में भी ताऊ की चुदाई किसी नौजवान के लंड से कम नहीं थी.

नीचे से ताई भी अपनी दोनों टांगें हवा में उठाए हुए लंड चूत में अन्दर तक ले रही थीं.
ताई नीचे लेटी लेटी अपने हाथ से अपनी चुचियां मसल रही थीं.
उनकी धीरे धीरे गर्म आवाज निकल रही थी.

मेरे ताऊ उनको पेलने में लगे थे और धक्के पर धक्के लगा रहे थे.
ताई नीचे लेटी लेटी मुस्करा रही थीं.

ताऊ बीच बीच में ताई की चूत में लुटिया में से पानी डाल रहे थे क्योंकि वो गर्मी के दिन.
मैंने गौर से देखा तो पता चला कि यह वो ही लुटिया थी जिससे हम दिन के समय पानी पीते थे.

मैं तो बड़ा स्तब्ध हुआ ये देख कर कि यह वही लुटिया थी.
मगर मुझे याद आया कि लुटिया का पानी बदल जाता होगा.

उन दोनों की चुदाई चल रही थी कि इतने में कोई बाहर कोई आ गया और उनको चुदाई बीच में ही रोकनी पड़ी.

मुझे भी अपने स्थान से उतरना पड़ा और उनके जाने के बाद में फिर से ऊपर चढ़ने लगा.

तो इस बार मैं जिस लोहे के ड्रम से चढ़ रहा था तो उसके ढक्कन से आवाज होने से वो दोनों चौंक गए औऱ कुछ देर के लिए रुक गए.

फिर जब उन्हें ये लगा कि उन्हें कोई नहीं देख रहा तो वो फिर से चुदाई में लग गए.

कुछ देर यूं ही चुदाई करने के बाद उन्होंने अपना आसन बदल दिया.
अब ताऊ ने ताई को घोड़ी बनने को कहा और वो घोड़ी बन गईं.

इसी आसन में ताऊ ताई की चुदाई करते रहे.
वो चुदाई करते करते पीछे से उनकी छातियां मसल रहे थे और ताई इन सब का मजा ले रही थीं.

फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने अपनी पोजीशन बदल ली.
अब ताऊ नीचे लेट गए और ताई ऊपर आ गईं.

उन्होंने एक हाथ से से लंड पकड़ा और अपनी चूत पर रख कर रगड़ने लगीं.

फिर लंड अपनी चूत पर लगा कर उसके ऊपर बैठ गईं और ऊपर नीचे होने लगीं.
मेरी तरफ उनका पीछे का हिस्सा था तो मुझे सब कुछ दिखाई दे रहा था.

मैं सब कुछ अच्छी तरह से देख सकता था, चूत भी दिखाई दे रही थी और वो दोनों धकापेल करके चुदाई कर रहे थे.

मेरा लंड भी फटने को हो रहा था.
उधर उन दोनों की ताबड़तोड़ चुदाई चल रही थी.

मेरा मन तो ऐसा कर रहा था कि मैं भी जाकर उनकी गांड ठोकने में लग जाऊं.
पर ऐसा हो नहीं सकता था.
इसलिए मैंने देखना ही मुनासिब समझा.

उन दोनों की धकापेल जारी थी और ताऊ ताई के सामने हाथ जोड़ रहे थे कि मेरे हथियार को मत उखाड़ देना.

इस बात पर वो थोड़ा मुस्कराईं और चुदाई में लगी रहीं.

काफी देर धकापेल के बाद आखिरकार उन दोनों का पानी निकल गया और दोनों निढाल हो गए.

फिर ताई ने अपने पेटीकोट से अपनी चूत को साफ किया औऱ ताऊ के लंड को साफ कर दिया.
अब वो वहां से जाने लगीं और मैं भी अपने स्थान से उतर गया.

मैं वापिस अपने घर आकर सो गया.

ये थी बड़ी उम्र की औरत की चूत की कहानी, आप मुझे मेल कर सकते हैं.
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