आंटी के घर में नौकरानी की चूत चुदाई-2

अब तक आपने पढ़ा..
आंटी के घर पर एक नौकरानी सुषमा एक ग़दर माल थी उसको मैंने पटा लिया था।
अब आगे..

फिर करीब 2 महीने बाद आंटी जी आईं तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अगले दिन सुबह सुषमा आई और झाड़ू पोंछा करने लगी। तो मैंने पहले घर का दौरा करना ज़रूरी समझा। मेरी खुशी उस वक्त और बढ़ गई जब मुझे पता चला कि घर पर आंटी जी लेटी हुई हैं.. वो भी किसी किताब में मस्त हैं।

उन्होंने मुझे देखा तो मुझसे कहा- रोहन.. जा ऊपर चला जा.. और सफाई वाली से अच्छी तरह से सफाई करवा ले।

दोस्तो.. अब मैं रुकने वाला कहाँ था। अब तो आंटी जी ने भी कह दिया था। मैंने ऊपर जाकर सुषमा को पीछे से पकड़ लिया और उसके मम्मों को सहलाने लगा।
उसने एक आवाज़ लगाई- आंटी..

पर मैं नहीं रुका तो उसने कहा- आंटी.. रोहन भैया काम नहीं करने दे रहे हैं।
तभी आंटी की आवाज़ आई- रोहन अच्छी तरह से सफाई करवा।

मैं हँसने लगा और सुषमा भी हँसने लगी।
मैंने कमरा लॉक कर दिया और सुषमा को बिस्तर पर पटक दिया।
वो बार-बार कह रही थी- कोई आ जाएगा।

मैं उसकी एक नहीं सुन रहा था, आख़िरकार आज वो सुनहरा मौका आ ही गया था, मुझे उसको चोदने का मौका जो मिल रहा था।

मैं सबसे पहले भूखे शेर की तरह उसके कपड़े उतारने लगा। उसने लाल काले रंग का सेक्सी सा सूट पहना हुआ था.. जिसकी सलवार कसी हुई थी, उसकी गांड तो सलवार से बाहर आने को कर रही थी और उसके चूचे इतने बड़े थे कि मुश्किल से ही उसके सूट में फिट हो रहे थे।

कपड़ों के नीचे उसने सफ़ेद ब्रा और काली पैन्टी पहनी हुई थी।

इस रूप में वो किसी हुस्न की परी से कम नहीं लग रही थी, मैं तो पागलों की तरह उसे चूस-चाट रहा था।

मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों रखे और फिर मैंने उसकी ब्रा खींच कर उतार दी, उसके दो विशाल चूचे मेरे सामने थे.. जी कर रहा था इनमें से सारा दूध आज के आज ही पी जाऊँ।

फिर मैंने उसके मम्मों को काटना और चूसना शुरू कर दिया और एक हाथ उसकी चूत पर ले गया, पैन्टी के ऊपर से ही उसे सहलाने लगा, उसके मम्मों को मसलते हुए मैं तो मानो जन्नत की सैर कर रहा था।

फिर मैंने उसके चूचों को चूस-चूस कर लाल कर दिया और वो कड़े हो गए थे।

मैंने जीभ उसके पेट पर फेरी और उसकी नाभि में घुसा कर अन्दर-बाहर करने लगा, वो पागल हो उठी उसके मुँह से ‘उहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… छोड़ो प्लीज़..’ ऐसी आवाजें निकल रही थीं।

फिर मैंने अपने कपड़े उतारे, अब वो सिर्फ़ पैन्टी में और मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था।
मैंने तभी उसकी पैन्टी भी उतार दी।

मैंने कभी चूत को जीभ से नहीं चाटा था.. पर आज मैं ये करने वाला था क्योंकि ज्यादातर हिंदी सेक्स स्टोरीज में मैंने पढ़ा था कि चूत चाटने से औरत और गर्म हो जाती है.. इसलिए मैंने बिना समय गंवाए उसकी चूत के दाने पर अपना मुँह रख दिया।

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स्वाद कुछ अजीब सा था फिर भी लगा रहा। फिर मैंने चूत को देखा.. उस पर हल्के से बाल उगे हुए थे। मैंने चूत की पुत्तियों को दो उंगलियों से फैलाया और जीभ से चूत के अन्दर चखा।
तभी उसकी सिसकारी निकली- अहह..

नौजरानी की चूत चाटी

मैं समझ गया.. कि अब वो भी मूड में आने लगी है, मैंने उसकी चूत चाटनी चालू रखी।
मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ अन्दर-बाहर की.. तो वो पूरे मज़े में ‘अहह.. उहहो.. यएहह..’ करने लगी।

उसके बाद उसने अपना हाथ मेरे बालों पर रख कर मेरा सर अपनी चूत में घुसा दिया और ज़ोर-ज़ोर से अपनी गांड उठा कर मेरी जीभ से चुदवाने लगी।
मैंने भी चूत की चटाई जारी रखी, थोड़ी ही देर बाद वो झड़ गई।

मुझे उसके माल का टेस्ट कुछ अजीब सा लगा.. पर मैं उसे पी गया।

अब मैंने अपना अंडरवियर उतारा और मेरा लंड जो लम्बा और मोटा है, मैं अपना लंड उसके मुँह के पास ले गया, वो भी रंडियों की तरह मेरा लंड चूसने लगी।

हइईईईई.. क्या बताऊँ.. क्या मस्त मजा आ रहा था.. ऐसा लग रहा था मानो आज तो ज़िंदगी सफल हो गई। मैंने कई मिनट तक उससे अपना लंड चुसवाया फिर हम दोनों 69 की पोज़िशन में हो गए और मैं उसकी चूत भी चाटने लगा।

फिर उसकी चूत ने दुबारा अपना पानी छोड़ दिया, इस बार मैंने बड़े मज़े से पानी पी लिया।

फिर मैंने उसे सीधा किया और उसकी एक टाँग उठा कर उसकी चूत के छेद पर अपना लंड रख दिया। लंड चूत के मुहाने पर गुर्रा रहा था।

मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने आँख मार दी और मैंने धक्का मार दिया, उसकी चूत गीली थी और मेरा लंड भी लिसलिसा था.. तो पहली बार तो लंड उसकी गांड की तरफ फिसल गया।

उसकी चूत कुंवारी थी

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ.. ये इतनी टाइट कैसे है?
उसने बताया- मैं अभी तक किसी से चुदी ही नहीं हूँ।

मैं सुन कर हैरान रह गया.. पर मुझे यकीन नहीं हुआ।

अब मैंने अपने लंड पर थोड़ा तेल लगाया और उसकी चूत पर भी मल दिया, फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत में घिसा।

वो तड़प रही थी और कहे जा रही थी- साले डाल दे लंड.. फाड़ दे चूत.. मेरा मर्द तो साला नपुंसक है.. तू ही कुछ कर दे.. मैं तेरी गुलाम बन जाऊँगी।
यह सुन कर मुझे जोश आ गया और मैंने एक ज़ोरदार शॉट लगा दिया, इस बार लंड उसकी चूत घुसता चला गया।

वो चिल्लाई.. तो मैं डर गया कि कहीं आंटी ऊपर ना आ जाएं। फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ताकि वो चिल्ला ना सके।

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उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे.. तो मैंने थोड़ा नीचे देखा, उसकी चूत फट गई थी.. थोड़ा सा खून निकला हुआ था।

अब मैं थोड़ी देर ऐसे ही उसके ऊपर लेटा रहा।
फिर मैंने उससे कहा- और थोड़ा करूँ?
उसने कहा- हाँ.. अब थोड़ा कम दर्द हो रहा है।

मैंने सोचा इस बार ज्यादा ज़ोर से शॉट लगाता हूँ, फिर जाने दोबारा मौका मिले न मिले।

मैंने शॉट लगाने से पहले उसके मुँह पर हाथ रख दिया और मैंने शॉट लगाया।

‘फ्छ्च..’ की आवाज़ से पूरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था।
वो रो रही थी.. मेरा हाथ काट रही थी, मुझसे अपने आपको छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने धक्के चालू रखे।

करीब 5 मिनट बाद वो थोड़ी ठीक हुई.. पर उसे दर्द अभी भी हो रहा था, उसके मुँह से ‘अहह.. उहह.. नहींईई..’ की आवाज़ हर धक्के में निकल रही थी।

कमरे में ‘फॅक-फॅक’ की आवाजें आ रही थीं। मैं उसे बड़े ज़ोर से चोद रहा था.. तभी उसका पानी निकल गया।

फिर लंड और तेज़ी से उसकी चूत में जाने लगा। अब वो भी गांड उठा-उठा कर ‘आ.. आहह.. उईईई.. माँमाआ… और.. तेजज़्ज.. ज्जज्ज..’ बोले जा रही थी।
फिर मैंने भी और तेजी से लंड को उसकी चूत में पेलना शुरू कर दिया।

अब मैं एक साथ से उसके सर के पीछे हाथ रख कर उससे अपनी ओर आगे करके किस कर रहा था और साथ ही चूत में लंड पेल रहा था। इसी के साथ मैं दूसरे हाथ से उसके मम्मों पर थप्पड़ भी मारे जा रहा था और थप्पड़ मारने के साथ ही उसकी उसी चूची को मसल भी रहा था।

वो अपने दोनों हाथ मेरे पेट पर गड़ा लेती थी। यह नज़ारा देखने लायक था।
तभी अचानक वो ऐंठ गई और झड़ गई।

अब मेरा माल भी निकलने वाला था, कुछ ही धक्कों के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।

आह्ह.. क्या मदमस्त चुदाई हुई थी.. मैंने उसे किस किया और उसके बगल में लेट कर ज़ोर-ज़ोर से हाँफ़ने लगा, वो भी पूरी संतुष्ट लग रही थी।

मैं उठ कर कपड़े पहनने लगा, उधर सुषमा को देखा तो उससे उठा ही नहीं जा रहा था, मैंने उसकी मदद की।
जाते वक़्त आंटी ने उसने पूछा- पूरी सफाई की ना?
वो मेरी तरफ देख कर हँस पड़ी और कहने लगी- जी आंटी पूरी कर दी।

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